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भगवान श्री कृष्ण पर निबंध (Lord Krishna Essay in Hindi)

सोलह कलाओं में निपुण भगवान श्री कृष्ण को लीलाधर भी कहते है। उन्होंने जन्म ही लीलाओं के साथ लिया था। भगवान कृष्ण का बचपन विभिन्न कथाओं से भरा है। वे सभी के घरों से मक्खन चुराते थे, गोपियों के स्नान करते समय कपड़े चुरा लेते थे। उन्होंने मामा कंस द्वारा भेजे गए सभी राक्षसों को मार डाला था। भगवान कृष्ण को उनकी पालक माँ यशोदा ने बहुत प्यार और देखभाल के साथ पाला था।

भगवान श्री कृष्ण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Lord Krishna in Hindi, Bhagwan Shri Krishna par Nibandh Hindi mein)

श्री कृष्ण पर निबंध – 1 (300 – 400 शब्द).

सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ श्री कृष्ण की लीलाएँ दुनिया भर में विख्यात है। इनके जैसी मनमोहक और अनुपम जीवन लीला और किसी भी देवता की नहीं। श्री विष्णु के दस अवतारो में से आँठवा अवतार श्री कृष्ण का था। उनके सभी दस अवतार (मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि) में से सर्वाधिक अनुपम और अद्वितीय श्री कृष्णावतार है।

कृष्ण का पालन-पोषण

कृष्ण का पालन-पोषण एक ग्वाल परिवार में हुआ था और वह अपना समय गोपियों के साथ खेलने, उन्हें सताने, परेशान करने, बाँसुरी बजाने आदि में बिताते थे, कृष्ण बहुत ज्यादा शरारती थे। लेकिन वो इतने अधिक मनमोहक थे कि अगर कोई भी माँ यशोदा से उनकी शिकायत करता तो मैया यशोदा विश्वास ही नहीं करती थी। उनका भोला और सुंदर रुप देखकर हर कोई पिघल जाता था।

राधा-कृष्ण का आलौकिक प्रेम

बचपन में राधा के साथ कृष्ण का जुड़ाव अत्यंत दिव्य और आलौकिक था, जो हिन्दू संस्कृति में पूजनीय है। राधारानी देवी लक्ष्मी की अवतार थीं।

गोपियो के संग रास

राधा-कृष्ण वृंदावन में रास करते थे। कहते है आज भी वृंदावन के निधी वन में उनकी उपस्थिति महसूस की जा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि एक चांदनी रात में, कृष्ण ने उन सभी गोपियो के साथ नृत्य करने के लिए अपने शरीर को कई गुना कर लिया था, जो भगवान कृष्ण के साथ रहना और नृत्य करना चाहती थी। यह वास्तविकता और भ्रम के बीच का अद्भुत चित्रण है।

महाभारत का युध्द

कृष्ण अपने मामा कंस को मारने के बाद राजा बने। कुरुक्षेत्र की लड़ाई के दौरान कृष्ण ने सबसे महत्वपूर्ण किरदार निभाया और अर्जुन के सारथी बने। कृष्ण पांडवों की तरफ से थे। कृष्ण ने युद्ध के मैदान में अर्जुन के दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में अनवरत मार्गदर्शन किया। अर्जुन पीछे हट रहे थे क्योंकि उन्हें अपने भाइयों को मारना था और अपने गुरुओं के खिलाफ लड़ना था।

श्रीमद्भागवत गीता का सार

महाभारत के युध्द में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग का पाठ दिया जिसका अर्थ है परिणामों की अपेक्षा से स्वयं को अलग करना। उन्होंने “श्रीमद्भागवत गीता” के रूप में समस्त संसार को ज्ञान दिया, जो कि 700 श्लोकों के साथ 18 अध्यायों की एक ग्रंथ है। यह मानव जीवन से संबंधित है। यह दर्शन की एक महान और अपराजेय पुस्तक है जिसे हम भारतीयों ने अपनी अनमोल विरासत के रूप में ग्रहण किया है।

सोलह कलाओं में निपुण भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरम्पार है। उनके जैसा अन्य कोई नहीं। श्रीमद्भागवत गीता में इंसान के सभी परेशानियों का श्री कृष्ण ने समाधान दे रखा है। जो आज भी एक इंसान का सच्चा मार्गदर्शक है।

श्री कृष्ण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

हिंदू श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। हिंदू इस त्योहार को भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं। भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली अवतार हैं। यह पर्व प्रायः अगस्त (ग्रिगोरियन कैलेंडर) महिने में पड़ता है। यह हिंदुओं के लिए एक खुशी का त्यौहार है। इसके अलावा, हिंदू भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि जैसे विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।

सबसे बड़ी मित्रता

श्रीकृष्ण के लिए सबसे बड़ी मित्रता थी। जब उनके परम मित्र सुदामा उनसे मिलने द्वारका पहुंचे तो सुदामा अपनी दरिद्रता के कारण द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने से झिझक रहे थे, लेकिन श्रीकृष्ण का अपने मित्र के प्रति प्रेम देखकर भावविभोर हो गए। और ऐसा कहा जाता है कि प्रभु ने स्वयं अपने अश्रुओं से उनके पैर पखारे (धोए) थे।

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ?

लोग मध्य रात्रि में जन्माष्टमी मनाते हैं। क्योंकि भगवान कृष्ण अंधेरे में पैदा हुए थे। चूँकि श्री कृष्ण को माखन खाने का बहुत शौक था, इसलिए लोग इस मौके पर दही-हांडी जैसे खेल का आयोजन करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ

अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ अर्थात इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness – ISKCON) का आरंभ 1966 में न्यूयार्क में आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने किया था। देश-विदेश के जन-जन तक कृष्णा को पहुँचाने का श्रेय प्रभु को ही जाता है।

इसे “हरे कृष्णा आन्दोलन” की भी उपमा दी जाती है। यह एक धार्मिक संगठन है, जिसका उद्देश्य धार्मिक संचेतना और आध्यात्म को जन-जन तक पहुँचाना है। इसकी पूरे विश्व में 850 से ज्यादा शाखाएं है। इसके देश भर में अनेक मंदिर और विद्यालय स्थित हैं। इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल (भारत) के मायापुर में है।

उत्सव का माहौल घरों में भी दिखाई देता है। लोग अपने घरों को बाहर से रोशनी से सजाते हैं। मंदिर आदि लोगों से भर जाते हैं। वे मंदिरों और घरो के अंदर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं। परिणामस्वरूप, हम पूरे दिन घंटियों और मंत्रों की आवाज सुनते हैं। इसके अतिरिक्त, लोग विभिन्न धार्मिक गीतों पर नृत्य करते हैं। अंत में, यह हिंदू धर्म में सबसे सुखद त्योहारों में से एक है।

Bhagwan Shri Krishna par Nibandh – निबंध 3 (500 शब्द)

श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्णा कहते हैं-

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥

प्रभु श्रीकष्ण, अर्जुन से कहते हैं, ‘जब-जब अधर्म अपना सर उठाएगा और धर्म का नाश होगा, तब-तब सज्जनों के परित्राण (कल्याण) और दुष्टों के विनाश के लिए मैं विभिन्न युगों में आता रहूँगा।’

भगवान कृष्ण को समझ पाना आम इंसान के बस की बात नहीं। वे जहाँ एक ओर महान ज्ञाता है तो वहीं दूसरी ओर नटखट चोर भी है। वो महान योगी है तो रास रचैया भी।

श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार

श्रीकृष्ण का जन्म भी उन्ही की भांति अद्भुत था। जन्म लेने के पूर्व ही वो अपनी लीला दिखाना शुरु कर दिए थे।

भगवान कृष्ण ने श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार के रुप में जनम लिया था। द्वापर युग के भाद्रपद्र की कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को प्रभु ने इस धरती पर अवतरित होने का दिन सुनिश्चित किया था।

अद्भुत संयोग

उस दिन खूब तेज बारिश हो रही थी। माता देवकी को अर्धरात्रि में प्रसव-पीड़ा होना शुरु हो गया था। सातवाँ मुहुर्त खत्म हुआ और आंठवे मुहुर्त के शुरु होते ही प्रभु कृष्ण देवकी के गर्भ से कारागार में अवतरित हुए। कहते है कृष्णा के जन्म लेते ही कंश के सारे सैनिक बेहोश हो गए थे। केवल माँ देवकी और पिता वासुदेव ही अपने अद्भुत पुत्र के दर्शन कर पाए। लेकिन यह पल अत्यंत क्षणिक था। अभी माता देवकी अपने लाल को जी भर देख भी नहीं पाई थी। किंतु अपने भाई कंस से अपने पुत्र को बचाने के लिए वो अपने बच्चे को पिता वासुदेव को दे देती है। अब उन्हें क्या पता था, जिसे वो कंस से बचा रही हैं वो उसी कंस के उध्दार के लिए ही जन्मा है।

यमुना में उमड़ता तूफान

वासुदेव जी उसी तेज कड़कती बिजली और बारिश में प्रभु को मथुरा से गोकुल अपने मित्र नंद के पास लेकर चल दिए। यमुना में तूफान अपने चरम पर था, पर जैसे ही प्रभु के चरणों का स्पर्श किया, यमुना भी भगवान का आशीर्वाद पाकर कृतार्थ हो गयी और बाबा वासुदेव को जाने का रास्ता दे दिया।

गोकुल का दृश्य

उधर गोकुल में माता यशोदा भी प्रसव-पीड़ा में थी। यह कोई संयोग नहीं था, यह तो भगवान की रची-रचाई लीला थी। जिसके तहत सभी अपना-अपना किरदार निभा रहे थे। हम सभी तो केवल उनके हाथ की कठपुतलियां है, वो जैसे नचाता है, सभी उसके इशारे पर नाचते हैं।

उनके माँ-बाप देवकी और वासुदेव भी वही कर रहे थे, जो वो करवाना चाह रहे थे। जैसे ही नंद बाबा के यहाँ वासुदेव बालक कृष्ण को लेकर पहुंचे, माता यशोदा की कोख से माया ने जन्म ले लिया था, और यशोदा बेहोश थी। नंद बाबा तुरंत बच्चों की अदला-बदली कर देते है, माता यशोदा के पास कृष्ण को रख देते हैं और अपनी पुत्री को वासुदेव को दे देते है, यह जानते हुए कि कंस उनकी बच्ची को देवकी का बच्चा समझ कर मार डालेगा, जैसे उसने देवकी के सभी सातों बच्चों को पैदा होते ही मार दिया था। कृष्ण उनकी आंठवी संतान थे।

कंस के मौत की भविष्यवाणी

कंस के मौत की भविष्यवाणी हुई थी कि उसकी बहन की आंठवी संतान ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इस कारण उसने अपनी ही बहन और बहनोई को कारागार में डाल दिया था। ‘विनाश काले विपरित बुध्दि’, कहते है न जब विनाश होना होता है, तो सबसे पहले बुध्दि साथ छोड़ देती है। कंस के साथ भी कुछ ऐसा ही था। जैसे ही वासुदेव मथुरा पहुंचते है, सब सैनिकों को होश आ जाता है, और कंस को खबर मिलती है कि देवकी को आठवें पुत्र की प्राप्ति हो चुकी है, कंस जैसे ही बच्ची को मारने के लिए हवा में उछालता है, माया ऊपर आकाश में उड़ जाती है। और कहती है कि तुझे मारने वाला इस धरती पर आ चुका है। इतना कहते ही वो आकाश में ही विलीन हो जाती है।

श्रीकृष्ण का जन्म ही धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। उन्होंने पुरी दुनिया को प्रेम का संदेश दिया। राधा और कृष्ण को प्रेम का प्रतीक मानकर पूजा जाता है।

Essay on Lord Krishna

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500+ Lord Krishna quotes in hindi (2023) |कृष्ण के महान उपदेश

श्री कृष्णा के अनमोल वचन.

आज के हमारे इस लेख में हम आप लोगों के लिए krishna quotes in hindi के कुछ अनमोल विचार और उपदेशों का संग्रह लेकर आए हैं, जैसा कि हम सब जानते हैं भगवान श्री कृष्ण को प्रेम के देवता के रूप में जाना जाता है और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री कृष्ण की सेवा करता है भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से उसे संसार के हर सुख प्राप्त होते हैं, श्री कृष्ण कभी भी अपने सच्चे भक्तों का साथ नहीं छोड़ते और उनका आशीर्वाद हमेशा उनके साथ बना रहता है।

पूरे संसार के कल्याण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कुछ अनमोल वचनों का संग्रह इस समाज को दिया है जिसे हम लोग भगवत गीता के नाम से भी जानते हैं आज के हमारे इस लेख krishna quotes in hindi में हमने भगवत गीता से कुछ महत्वपूर्ण और सुंदर उपदेशों का चयन किया है जो आप लोगों को काफी पसंद आएगा और अगर आप इन उपदेशों का पालन अपने जीवन में करते हैं तो यकीन मानिए आपके जीवन में सफलता और खुशहाली का आगमन हमेशा बना रहेगा।

Krishna quotes in hindi - श्री कृष्णा के महान उपदेश

आज के हमारे इसलिए को शुरू करने से पहले मेरा आप सब से निवेदन है कि अगर आप लोगों ने हमारा पिछले लेख भगवत गीता के अनमोल उपदेशों को ना पढ़ा हो तो उसे भी जरूर पढ़ें और मुझे पूरा विश्वास है हमारा पिछले लेख आप लोगों काफी पसंद आएगा

Lord Krishna Quotes In Hindi | कृष्णजी के महान उपदेश

सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सबका पालनहार है, तू सजा दे या माफी दे प्रभु krishna quotes in hindi

“सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सबका पालनहार है, तू सजा दे या माफी दे प्रभु, तू ही हमारे जीवन की सरकार है”

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“जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के सीन हो जाने पर भाग्य भी नष्ट हो जाता है”

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“समय कभी एक जैसा नहीं होता, उन्हें भी रोना पड़ता है, जो बेवजह दूसरों को रुलाते हैं”

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“मन से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं है, क्योंकि वहां जो भी कुछ बोला जाएगा, बढ़ता जरूर है चाहे फिर वह “विचार” हो, “नफरत” हो या फिर “प्यार” हो”

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“जिन्होंने आप को कष्ट दिया है, कष्ट तो उन्हें भी मिलेगा, और यदि आप भाग्यशाली हुए, तो ईश्वर आपको यह देखने का अवसर भी देगा”

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“चमत्कार उन्हीं के साथ होते हैं, जिनके मन में विश्वास होता है”

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“मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है, क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं”

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“कभी-कभी आप बिना कुछ गलत किए भी बुरे बन जाते हैं, क्योंकि जैसा लोग चाहते हैं आप वैसा बन नहीं पाते”

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“आपके हर कर्म का फल, आपको किसी ना किसी रूप में, अवश्य प्राप्त होता है”

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“सोच अच्छी रखो लोग अपने आप अच्छे लगेंगे, नियत अच्छी रखो तो काम अपने आप ठीक होने लगेंगे”

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“जब कोई हाथ और साथ दोनों ही छोड़ देता है, तब कुदरत कोई ना कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देता है, उसी का नाम “कान्हा” है”

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krishna quotes in hindi, प्रेम एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी परास्त नहीं होने देता

“प्रेम एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी परास्त नहीं होने देता, और घृणा एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी जितने नहीं देता ।”

प्यार या प्रेम एक ऐसा एहसास है जो किसी भी इंसान को कभी भी असफल नहीं होने देता और अहंकार या घृणा वह एहसास है जो किसी भी इंसान को कभी भी सफल नहीं होने देता।

krishna quotes in hindi with images, जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो बस इस पल में है , केवल इस पल में

“जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में, जीवन तो बस इस पल में है , केवल इस पल में।”

जो मनुष्य अपने जीवन को अपने अतीत या अपने भूतकाल के भरोसे जीते हैं, उन्हें श्री कृष्ण मार्गदर्शन देते हुए कहते हैं – कि मनुष्य का जीवन ना तो उनके भूतकाल में है और ना ही भविष्यकाल में है, मनुष्य के जीवन का असली सुख उसके वर्तमानकाल में ही है इसलिए हर मनुष्य को अपने वर्तमान के जीवन का पूरा आनंद लेना चाहिए और निस्वार्थ भाव से सत्य कर्म करते रहना चाहिए।

lord krishna quotes in hindi and english, राधा ने श्री कृष्ण से पूछा प्यार का असली मतलब क्या होता है? श्री कृष्णा ने हँस कर कहा

“राधा ने श्री कृष्ण से पूछा, प्यार का असली मतलब क्या होता है? श्री कृष्णा ने हँस कर कहा, जहाँ ‘मतलब’ होता है, वहाँ प्यार ही कहा होता है॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस प्रेम के रिश्ते में स्वार्थ, अहंकार या मतलब होता है वह रिश्ता प्रेम का रिश्ता कभी नहीं कहला सकता, क्योंकि प्रेम के रिश्ता निस्वार्थ होता है यानी प्रेम के रिश्ते में कोई स्वार्थ नहीं होता।

krishna quotes in hindi with images, राधा कृष्ण का मिलना तो बस एक बहाना था, दुनिया को प्यार का सही मतलब समझाना था

“राधा कृष्ण का मिलना तो बस एक बहाना था, दुनिया को प्यार का सही मतलब समझाना था॥”

श्री कृष्ण और राधा दोनों ने ही इस पृथ्वी पर कुछ विशेष कार्य को पूर्ण करने के लिए अवतार लिया था, उन दोनों का मिलना और मिलकर बिछड़ना एक प्रक्रिया मात्र थी जो पहले से निश्चित थी और इसी प्रक्रिया के माध्यम से उन्होंने प्रेम के वास्तविक रूप को इस संसार को समझाया।

Inspirational krishna quotes in hindi

inspirational krishna quotes in hindi, जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं क्योंकि हमारी आशाएं बड़ी होती है

“जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं, क्योंकि हमारी ‘आशाएं’ बड़ी होती है, इन आशाओं का ‘त्याग’ करके देखो, जीवन में ‘सुख’ ही ‘सुख’ है॥”

मनुष्य के जीवन के दुखों का मुख्य कारण उसके खुद की आशाएं और इच्छाएं होती है, मनुष्य की इच्छाएं काफी प्रबल होती हैं और जब मनुष्य की इच्छा के अनुरूप कार्य नहीं होता तो उसका मन दुखी होता है । अगर मनुष्य अपनी इच्छाओं का त्याग करें तो उसके जीवन में सुख के अलावा और कुछ नहीं होगा।

प्रेम और आस्था दोनों पर किसी का जोर नहीं ये मन जहां लग जाए वही ईश्वर नजर आता है, meera krishna quotes in hindi

“प्रेम और आस्था दोनों पर किसी का जोर नहीं, ये ‘मन’ जहां लग जाए वही ‘ईश्वर’ नजर आता है॥”

हमारी मन की आस्था और हमारा प्रेम एक ऐसी शक्ति है जिस पर हमारा खुद का नियंत्रण होता है और हमारी आस्था और प्रेम जिस चीज में भी लग जाए उसी चीज में हमें श्री कृष्ण के दर्शन हो जाते हैं, क्योंकि श्री कृष्ण का वास संसार के कण-कण में है।

god krishna quotes in hindi, अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव तीनों ही चले जाते हैं

“अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं॥”

जिस मनुष्य के मन में अहंकार का वास होता है उस मनुष्य के जीवन से उसकी प्रतिष्ठा, उसका वंश और उसका वैभव तीनों समाप्त होते चले जाते हैं।

sri krishna quotes in hindi, अहंकार मत कर किसी को कुछ भी देकर, क्या पता – तू दे रहा है

“अहंकार मत कर किसी को कुछ भी देकर, क्या पता – तू दे रहा है, या पिछले जन्म का ‘कर्जा’ चुका रहा है॥”

जीवन में कभी भी दान देते समय मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि हो सकता है जिसे वो दान दे रहा है उसे दान देकर वो अपने पिछले जन्म का कर्ज चुका रहा है।

Radha krishna quotes in hindi

बुरे कर्म करने नहीं पड़ते हो जाते है, और अच्‍छे कर्म होते नहीं करने पड़ते हैं, radha krishna quotes in hindi

“बुरे ‘कर्म’ करने नहीं पड़ते हो जाते है, और अच्‍छे ‘कर्म’ होते नहीं करने पड़ते हैं॥”

मनुष्य को बुरे कर्म करने की आवश्यकता नहीं होती, बुरे कर्म खुद ही हो जाते हैं, पर अच्छे कर्म खुद से नहीं होते मनुष्य को अच्छे कर्म स्वयं अपनी इच्छा से करने पड़ते हैं तभी उसका जीवन सफल हो पाता है।

shri krishna quotes in hindi, जब आप प्रभु के साथ जुड़ जाओगे तो आपकी परीक्षा आरंभ हो जाएगी

“जब आप ‘प्रभु’ के साथ जुड़ जाओगे, तो आपकी परीक्षा आरंभ हो जाएगी, कुछ लोग इसे ‘दुख’ समझते हैं, तो कुछ लोग प्रभु की ‘कृपा’॥”

सदियों से ईश्वर अपने भक्तों के परीक्षा लेता आया है और इस परीक्षा के दौरान ईश्वर अपने भक्तों को अनेक प्रकार के कष्टों से सामना करवाता है, सामान्य मनुष्य इन कष्ट और दुखों को भगवान की पीड़ा समझ कर भगवान से मुंह मोड़ लेता है तो दूसरी तरफ सच्चे भक्त प्रभु का आशीर्वाद समझकर इन कष्टों का सामना करते हैं।

mahabharat krishna quotes in hindi, जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, परिवार के साथ रहो

“जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, ‘परिवार’ के साथ रहो, सुख हो तो बड़ जाता है, और दुःख हो तो बट जाता है॥”

मनुष्य के जीवन की परिस्थिति चाहे जैसी भी हो उसे हर परिस्थिति में अपने परिवार के साथ रहना चाहिए, अगर उसके जीवन में सुख हो तो परिवार के साथ सुख और भी बढ़ जाएगा और उसके जीवन में अगर दुख हो तो उसके परिवार के सहारे से वो दुख कम हो जाएगा।

स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं, jai shree krishna quotes in hindi

“स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं, और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस रिश्ते की शुरुआत स्वार्थ से हो वह रिश्ता कभी सफल नहीं हो पाता और जिस रिश्ते की शुरुआत प्रेम से हो उस रिश्ते को दुनिया की कोई भी ताकत नहीं तोड़ सकती।

Lord krishna quotes in hindi

lord krishna quotes in hindi, फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है

“फल की अभिलाषा छोड़कर, कर्म करने वाला पुरुष ही, अपने जीवन को सफल बनाता है॥”

जिस मनुष्य का अटूट विश्वास अपने कर्मों पर होता है और जो मनुष्य अपने कर्मों पर सदा अडिग रहता है वही मनुष्य जीवन में सफल हो पाता है और जो मनुष्य सिर्फ फल की चिंता करता है और कर्म नहीं करता उसे जीवन में सिर्फ असफलता ही प्राप्त होती है।

hare krishna quotes in hindi, अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और

“अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और, भगवान से पहले ‘माता पिता’ को पहचान ले तो, जिंदगी में कभी कोई कठिनाई नही आएगी॥”

अगर मनुष्य शिक्षा प्राप्त करने से पहले अच्छे संस्कार प्राप्त करें, व्यापार करने से पहले अच्छा व्यवहार सीखे और ईश्वर को पहचानने से पहले अपने माता-पिता को पहचान ले, तो उस मनुष्य के जीवन में कभी भी कोई कठिनाइयां नहीं आती है।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा तथा ‘भावना’ से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है, lord krishna quotes in hindi images

“वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है, ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा तथा, ‘भावना’ से मुक्त हो जाता है, उसे शांति प्राप्त होती है॥”

जिस मनुष्य के मन से ‘मैं’ या ‘मेरा’ या ‘अहंकार’ का भाव समाप्त हो जाता है और जिसके मन में सांसारिक मोह माया की लालसा समाप्त हो जाती है वही मनुष्य अंत में परम परमात्मा की शरण को प्राप्त करता है।

हर कीमती चीज को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं, माँ और पिता का आशीर्वाद भी, कृष्णा कोट्स इन हिंदी

“हर कीमती चीज को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं, माँ और पिता का आशीर्वाद भी, इनमें से एक हैं॥”

श्री कृष्ण कहते हैं – जैसे हर कीमती वस्तु को उठाने के लिए मनुष्य को झुकना पड़ता है ठीक उसी प्रकार माता-पिता के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए भी मनुष्य को झुकना ही पड़ता है, क्योंकि माता-पिता का आशीर्वाद इस संसार मैं सबसे ज्यादा कीमती होता है।

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shri krishna quotes in hindi, खाली हाथ आए खाली हाथ वापस चले जाओगे आज तुम्हारा है कल किसी और का था

“खाली हाथ आए, खाली हाथ वापस चले जाओगे, आज तुम्हारा है कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा, तुम जिसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो, बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण है॥”

मनुष्य की मन की इच्छा और सांसारिक सुख की मोह माया ही उसके दुखों का असली कारण होती है, मनुष्य इस बात को नहीं समझता कि वह इस संसार में खाली हाथ आया था और उसे इस संसार से खाली हाथ ही जाना है, इसीलिए जिस वस्तु को वह हमेशा अपना समझ कर खुश होता है वही उसके दुखों का असली कारण होता है, क्योंकि जो आज उसका है वह कल किसी और का हो जाएगा।

mahabharat star plus krishna quotes in hindi, प्यार और तकदीर कभी साथ नहीं चलते क्योंकि जो तकदीर में होते है उनसे कभी प्यार नहीं होता

“प्यार और तकदीर कभी साथ नहीं चलते, क्योंकि जो ‘तकदीर’ में होते है, उनसे कभी ‘प्यार’ नहीं होता, और जिससे हमे प्यार हो जाता है, वह तकदीर में नहीं होता॥”

प्रेम और किस्मत कभी साथ नहीं चल सकते क्योंकि हमारे किस्मत में जो होता है उससे हमें प्रेम नहीं होता और हम जिससे प्रेम करते हैं वो हमारी किस्मत में नहीं होता, यही प्रभु की माया है।

lord krishna quotes hindi text, क्रोध की अवस्था में भ्रम जन्म लेता है भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देती है

“क्रोध की अवस्था में भ्रम जन्म लेता है, भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देती है, बुद्धि के नष्ट होते ही, व्यक्ति का पतन हो जाता है॥”

मनुष्य का क्रोध ही इस संसार में उसका सबसे बड़ा शत्रु होता ,है क्योंकि जब भी मनुष्य क्रोध की अवस्था में होता है तब उसके मन में भ्रम का जन्म होता है और हमारा भ्रम हमारी बुद्धि का नाश कर देता है और हमारे बुद्धि का नाश होते ही हमारा भी नाश होना निश्चित होता है।

मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मो पर चलता है, कृष्णा कोट्स इन हिंदी इमेजेज,

“मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मो पर चलता है, जैसा कर्म होता है, वैसा उसका जीवन होता है॥”

हमारा जीवन केवल हमारे कर्मों के बल पर ही चलता है, जैसे हमारे कर्म होंगे, हमारा जीवन भी वैसा ही बनता जाता है।

Jai shree krishna quotes in hindi

New krishna quotes in hindi, तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं

“तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य शोक के योग्य नहीं होता उसके बारे में शोक करके हमें कुछ प्राप्त नहीं होगा, श्रेष्ठ और बुद्धिमान मनुष्य वही होता है जो जीवित और मृत व्यक्तियों के लिए शोक नहीं करता।

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जिसके मन के अंदर शांति होती है, उस मनुष्य से ज्यादा धनवान और सुखी व्यक्ति इस संसार में कोई नहीं होता।

good morning krishna quotes in hindi, जब आपके जीवन के चारों ओर हताशा और निराशा हो

जब आपके जीवन के चारों ओर हताशा और निराशा हो, जब दुखों ने आपको हर जगह से घेर रखा हो, तब आप सच्चे मन से कृष्ण जी के नाम का दीपक जलाना और अपना सब हाल श्री कृष्ण को सुना देना, श्री कृष्ण स्वयं आपके सब दुख हरने आएंगे।

lord krishna quotes in hindi on love, महान व्यक्ति वो नहीं होता जो धनवान हो बल्कि महान व्यक्ति वह होता है जो

महान व्यक्ति वो नहीं होता जो धनवान हो बल्कि महान व्यक्ति वह होता है जो जीवन में कभी किसी का अपमान नहीं करता और ना ही खुद का अपमान कभी सेहता है।

“यदि आप किसी के साथ ‘मित्रता’ नहीं कर सकते हैं, तो उसके साथ ‘शत्रुता’ भी नहीं करना चाहिए॥”

अगर आप किसी के साथ मित्रता करके जीवन भर उसका साथ नहीं दे सकते तो आपको कोई हक नहीं कि आप उसके साथ शत्रुता करके उसे पीड़ा दे।

krishna quotes on truth in in hindi, जो लोग सच्चे मन से श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उन पर अटूट विश्वास करते हैं

जो लोग सच्चे मन से श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उन पर अटूट विश्वास करते हैं, उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि अपने सच्चे भक्तों के साथ मुरलीवाला हमेशा साथ रहता है।

“जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता हैं”

जिस मनुष्य का मन उसके नियंत्रण में नहीं होता ऐसे मनुष्य का मन

उसके शत्रु के समान काम करता है और हमेशा उसके दुखों का कारण बनता है।

Best krishna quotes hindi

radha krishna thoughts in hindi, चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं

चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं

“श्री कृष्ण जी कहते हैं, जिस व्यक्ति को आपकी क़द्र नही, उसके साथ खड़े रहने से अच्छा हैं, आप अकेले रहे॥”

श्री कृष्ण कहते हैं जो मनुष्य आप की कदर नहीं करता और ना ही आपका सम्मान करता है, ऐसे मनुष्य के साथ रहने से अच्छा है कि आप संसार में अकेले रहें।

krishna quotes in hindi for life, बिना श्री कृष्ण के इस संसार में सब कुछ व्यर्थ है

बिना श्री कृष्ण के इस संसार में सब कुछ व्यर्थ है हमारा, हम शब्द हैं श्री कृष्ण के और वे स्वयं हमारे शब्दों के अर्थ हैं।

“जिस व्यक्ति के पास ‘संतुष्टि’ नहीं है, उसे कितना भी मिल जाए वह ‘असंतुष्ट’ ही रहेगा॥”

जो मनुष्य अपने जीवन में धन दौलत, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि को हासिल करता है परंतु संतुष्टि को हासिल नहीं कर पाता ऐसा मनुष्य जीवन भर दुखी रहता है और जो मनुष्य थोड़े से संसाधन में भी संतुष्ट हो जाता है वो मनुष्य जीवन भर सुखी रहता है।

जो मनुष्य अपने जीवन में गीता का सच्चे मन से अध्ययन करता है वो मनुष्य संसार के मोह माया

जो मनुष्य अपने जीवन में गीता का सच्चे मन से अध्ययन करता है, वो मनुष्य संसार के मोह माया और हर बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक आनंद का आशीर्वाद पाता है।

“अंत काल में जो मनुष्य मेरा स्मरण करते हुए, देह त्याग करता है वह मेरी शरण में आता है, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अंत काल में मेरा चिंतन करें॥”

जो भी मनुष्य अपने जीवन के अंतिम समय में मेरा संस्मरण करते हुए अपने देह का त्याग करेगा वो मनुष्य मेरी शरण में आता है और जीवन के मोह माया से मुक्ति प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति करता है।

radha krishna quotes in hindi, मनुष्य अपने सच्चे हृदय से जो दान दे सकता है वह अपने हाथों से नहीं दे सकता

“मनुष्य अपने सच्चे हृदय से जो दान दे सकता है वह अपने हाथों से नहीं दे सकता और मौन रहकर हम जो कह सकते हैं वह हम अपने शब्दों से नहीं कह सकते।”

Shri krishna quotes hindi

shri krishna quotes hindi

“इस संसार में मनुष्य किसी भी रूप में बड़ा नहीं होता, बल्कि मनुष्य के पीछे जो ताकत खड़ी होती है वो ज्यादा बड़ी होती है॥”
“जिंदगी में सदैव अवसरों का आनंद लेना चाहिए, लेकिन किसी के भरोसे को तोड़कर नहीं॥”

इस संसार में भरोसा और विश्वास ही ऐसी चीज है जिन्हें प्राप्त करने में मनुष्य को वर्षों का समय लगता है और फिर भी कई मनुष्य को यह प्राप्त नहीं हो पाता, इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं कि जीवन में किसी का भी भरोसा तोड़ कर किसी अवसर को प्राप्त करके उसका सुख नहीं भोगना चाहिए।

hindi krishna quotes for peace, अगर आप जीवन में असफल होते हैं तो आपको दोबारा प्रयास करने में कभी नहीं घबराना

“अगर आप जीवन में असफल होते हैं तो आपको दोबारा प्रयास करने में कभी नहीं घबराना चाहिए, क्योंकि जब आप दोबारा प्रयास करते हैं तो आप की शुरुआत सुनने से नहीं बल्कि आपके अनुभव से होती है॥”
“जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा, तुम भूत का पश्चाताप न करो, भविष्य की चिंता न करो, वर्तमान में जियो॥”

हमारे साथ जो भी हुआ अच्छा हुआ, हमारे साथ जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और हमारे साथ जो भी होगा वह अच्छा ही होगा यही सोचकर हमें अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए, अगर हम अपने भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता में अपने जीवन व्यतीत करेंगे तो हम अपना वर्तमान भी नष्ट कर देंगे।

श्री कृष्ण कभी भी हमारा हाल नहीं पूछते पर वो हमारी सब खबर रखते हैं

“श्री कृष्ण कभी भी हमारा हाल नहीं पूछते, पर वो हमारी सब खबर रखते हैं, श्री कृष्ण अपने सच्चे भक्तों पे हर घड़ी नजर रखते हैं॥”
“‘दुष्ट’ लोग अगर समझाने मात्र से समझ जाते, तो यकीन मानो ‘महाभारत’ कभी ना होता॥”

अगर दुष्ट और बुरे व्यक्तियों को समझाने मात्र से कार्य सिद्ध हो जाते तो यकीन मानिए महाभारत कभी नहीं होता।

Hindi quotes of Shri Krishna

अगर कोई मनुष्य हमारे साथ बुरा कर रहा है तो उसे करने दो यह उसका कर्म है

“अगर कोई मनुष्य हमारे साथ बुरा कर रहा है, तो उसे करने दो यह उसका कर्म है, और समय उसके कर्म का फल उसे जरूर देगा, लेकिन हमें कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यही हमारा धर्म है॥”
“जो दूसरों की तकलीफों को समझते हैं, जिनमें दया है, दिल से अच्छे हैं, उन्हें दोबारा जन्म लेना नहीं पड़ता।।”

जो इंसान दूसरे इंसान के तकलीफ, मजबूरियां और दुखों को समझता है और जो इंसान मन का सच्चा होता है उस इंसान को दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता और वो मोक्ष को प्राप्त होता है।

इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई ताकत नहीं जो इंसान की इच्छाओं की पूर्ति कर सके

“इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई ताकत नहीं जो इंसान की इच्छाओं की पूर्ति कर सके, क्योंकि इंसान की इच्छाएं एक समुद्र के समान होती है जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता।”
“वह दिन मत दिखाना कान्हा, कि हमें खुद पर गुरुर हो जाए, रखना अपने दिल में इस तरह, कि जीवन सुफल हो जाए॥”

हे श्री कृष्ण हमें वह दिन कभी मत दिखाना जिस दिन हमें खुद पर घमंड हो जाए, आप हमेशा हमें अपने मन में शरण देना ताकि हमारा जीवन सफल हो जाए ।

इंसान का मुश्किल वक्त उसके लिए एक दर्पण की तरह होता है

“इंसान का मुश्किल वक्त उसके लिए एक दर्पण की तरह होता है, जो हमारी क्षमताओं का दर्शन हमें करवाता है॥”

ईश्वर ने हमारे भाग्य में जो लिखा है उसे हम से कोई नहीं छीन सकता

“ईश्वर ने हमारे भाग्य में जो लिखा है उसे हम से कोई नहीं छीन सकता, लेकिन अगर हमें अपने ईश्वर पर सच्चा भरोसा है, तो हमें वो भी मिल सकता है जो हमारे भाग्य में नहीं लिखा होता॥”

मनुष्य मनुष्य को अपने जीवन में किए गए कर्मों के परिणाम से होने वाले फलों की प्राप्ति की चिंता

मनुष्य को अपने जीवन में किए गए कर्मों के परिणाम से होने वाले फलों की प्राप्ति की चिंता को लेकर ग्रसित नहीं होना चाहिए, उसे तो बस सच्चे मन से सत्य कर्म करते रहना चाहिए, समय रहने पर ईश्वर उसे उसके कर्मों का फल जरूर देंगे।

मैं आशा करता हूं कि हमारा आज का यह लेख krishna quotes in hindi आप लोगों को काफी पसंद आया होगा और इस लेख से आप लोगों को काफी प्रेरणा भी मिली होगी हमारे हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले सबसे अहम देवताओं में से एक है भगवान श्री कृष्ण, उन्होंने उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में ऐसे कई अनमोल उपदेश दिए हैं जो मानव जीवन के लिए काफी कल्याणकारी है, मेरा आप सब से निवेदन है कि आज के हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद इन उपदेशों का पालन अपने जीवन में भी नियमित रूप से करें और भगवान श्री कृष्ण की सच्ची श्रद्धा भाव से सेवा करें

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भगवान कृष्ण पर निबंध- Essay on Lord Krishna in Hindi

In this article, we are providing information about Lord Krishna in Hindi- Essay on Lord Krishna in Hindi Language. भगवान कृष्ण पर निबंध- Bhagwan Krishna par Nibandh for Kids/students.

भगवान श्रीकृष्ण स्वभाव से बहुत ही चंचल है और सभी देवों में सबसे सुंदर माने जाते हैं। इनका रंग मेघश्यामल है और इनमें से हमेशा एक मनमोहक गंध आती है। श्रीकृष्ण जी के 108 नाम है जैसे माधव, कान्हा और हमेशा पीले वस्त्र पहनने के कारण इन्हें पीतांबर के नाम से भी जाना जाता है। इनके सिर पर एक मुकुट विराजता है जिसमें मोर का पंख लगा होता है। इन्होंने माता देवकी से मनुष्य के रूप में धरती पर जन्म लिया था। इनकी बांसुरी की धुन सुन कर सभी मुग्ध हो जाते हैं। इनकी 108 रानियाँ है और राधा रानी इनकी प्रेमिका है। श्री कृष्ण जी के चक्र का नाम सुदर्शन है और गरूड़ उनका वाहन है।

भगवान श्रीकृष्ण जी रासलीला और मक्खन चुराने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। श्रीकृष्ण जी जब परमधीम को गए तब उनका एक भी बाल सफेद नहीं था और उन्होंने अपने अंतिम वर्षों को छोड़कर द्वारका में कभी भी 6 महीने से अधिक समय नहीं बिताया था। श्री कृष्ण जी का शंख गुलाबी रंग का था जिसका नाम पंचजन्य था। श्रीकृष्ण बहुत ही नटखट स्वभाव के थे। वह हमेशा गोपियों को परेशान करते रहते थे। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में तीन सबसे भयंक युद्ध का संचालन किया था जिसमें से महाभारत के युद्ध में वह अर्जुन के सारथी बने थे। उन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश दिया था जिसमें पूरे जीवन का सार है। श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा थे जिनके साथ उन्होंने दोस्ती को पूरे दिल से निभाया था। श्रीकृष्ण ने 125 वर्ष की उमर में मनुष्य देह को त्यागा था जब एक शिकारी ने उनकी हत्या कर दी थी। श्रीकृष्ण का नटखट स्वभाव सबको बहुत अच्छा लगता है और लोग इनकी पूजा अर्चना करते हैं। श्रीकृष्ण ने जिस दिन मानव रूप में जन्म लिया था उस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता था। श्रीकृष्ण सभी को प्रिय है।

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1 thought on “भगवान कृष्ण पर निबंध- Essay on Lord Krishna in Hindi”

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10 lines on lord krishna in hindi

10 lines on lord krishna in hindi : भगवान् कृष्ण भारतीयों के प्रमुख आराध्य देव हैं। उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। भगवान् कृष्ण को कान्हा, केशव आदि भी कहा जाता है। उनका जन्म अष्टमी के दिन मथुरा के एक कारावास में हुआ। उनके जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवन कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है। वे अपने माता-पिता वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे।

10 lines on lord krishna in hindi

  • भगवान् कृष्ण भारतीयों के प्रमुख आराध्य देव हैं। 
  • उन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। 
  • भगवान् कृष्ण को कान्हा, केशव आदि भी कहा जाता है। 
  • उनका जन्म अष्टमी के दिन मथुरा के एक कारावास में हुआ। 
  • उनके जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। 
  • इस दिन भगवन कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है। 
  • वे अपने माता-पिता वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे। 
  • माता यशोदा और नन्दबाबा उनके पालक माता पिता थे। 
  • उनका बचपन गोकुल, वृन्दावन और नंदगांव आदि जगहों में बीता। 
  • कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करके पाप का नाश किया। 
  • महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई। 
  • इसी युद्ध में उन्होंने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया। 
  • भगवान् कृष्ण सौराष्ट्र स्थित द्वारिका नगरी के राजा थे। 

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कृष्ण लीला - कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा

श्री कृष्ण लीला अध्यात्म की सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। कृष्ण को लोग बिलकुल अलग अलग रूपों में देखते थे। आइये पढ़ते हैं कृष्ण की कहानियाँ और जानते हैं कि दुर्योधन, शकुनी और शिखंडी जैसे लोग उनके बारे में क्या कहते थे। साथ ही जानते हैं उनकी कुछ लीलाएं।

drawing of krishna with flute in orange colour by isha

कृष्ण एक बहुत नटखट बच्चे हैं। वे एक बांसुरी वादक हैं और बहुत अच्छा नाचते भी हैं। वे अपने दुश्मनों के लिए भयंकर योद्धा हैं। कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं। वे एक चतुर राजनेता और महायोगी भी हैं। वो एक सज्जन पुरुष हैं, और ऐसे अवतार हैं जो जीवन के हर रंग को अपने भीतर समाए हुए हैं। जानते हैं उनके आस-पास के लोग उन्हें किस रूप में देखते थे।

1. कृष्ण के बारे में दुर्योधन, शकुनी और अन्य की राय

कृष्ण को अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीकों से देखा और अनुभव किया है। इसे समझने के लिए दुर्योधन का उदाहरण लेते हैं। वह अपनी पूरी जिंदगी एक खास तरह की स्थितियों से घिरा रहा। इतिहास उसे एक ऐसे शख़्स की तरह देखता है, जो बहुत ही गुस्सैल, लालची और असुरक्षित था। वह हमेशा सब से ईर्ष्या करता रहा और सबका बुरा चाहता रहा। अपनी ईर्ष्या और लालच में उसने जो भी काम किये, वे उसके और उसके कुल के विनाश की वजह बन गए। ऐसा दुर्योधन कृष्ण के बारे में कहता है – “कृष्ण एक बहुत ही आवारा और मूढ़ व्यक्ति है, जिसके चेहरे पर हमेशा एक शरारती मुस्कान रहती है। वह खा सकता है, पी सकता है, गा सकता है, प्रेम कर सकता है, झगड़ा कर सकता है, बड़े उम्र की महिलाओं के साथ वह गप्पें मार सकता है, और छोटे बच्चों के साथ खेल भी सकता है। ऐसे में कौन कहता है कि वह ईश्वर है?”

महाभारत का ही एक और चरित्र है – शकुनि। शकुनि को कपट और धोखेबाजी का प्रतीक माना जाता है। वह कहता है – “अगर हम मान लें कि वह भगवान है तो इससे क्या फर्क पढ़ता है। आखिर भगवान कर क्या सकता है? भगवान बस अपने उन भक्तों को खुश कर सकता है, जो उसकी पूजा करते हैं और उसे प्रसन्न रखते हैं। होने दो उसे भगवान, लेकिन मैं तो उसे बिलकुल पसंद नहीं करता। जब आप किसी को बिलकुल पसंद नहीं करते, तब भी आपको उसकी प्रशंसा करनी चाहिए।”

कृष्ण की बचपन की सखी और प्रेमिका राधे उनको बिलकुल अलग तरीके से देखती थी। राधा कौन थी? एक साधारण सी गांव की लड़की, जो दूध का काम करती थी। लेकिन राधा के नाम के बिना कृष्ण का नाम अधूरा माना जाता है, क्योंकि कृष्ण के प्रति उनमें अत्यंत श्रद्धा और प्रेम था। हम कृष्ण-राधे कभी नहीं कहते हैं; हम कहते हैं राधे-कृष्ण। एक साधारण सी गांव की लड़की इतनी महत्वपूर्ण हो गयी, जितने कि स्वयं कृष्ण।और कहीं-कहीं तो वे कृष्ण से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है। कृष्ण के बारे में राधा कहती है – “कृष्ण मेरे भीतर हैं। मैं कहीं भी रहूँ, वे हमेशा मेरे साथ हैं। वे किसीके भी साथ रहें, तो भी वे मेरे साथ हैं।”

गरुड़ के पुत्र वेन्तेय

गोमांतक पर्वत पर रहने वाले गरूड़ के पुत्र थे – वेन्तेय। वे किसी बीमारी की वजह से पूरी तरह अपंग हो गए थे। जब वे कृष्ण से मिले तो उनकी बीमारी पूरी तरह ठीक हो गयी, और वे अपने दम पर चलने लगे। वे कहते हैं – “मेरे लिए तो कृष्ण भगवान हैं।”

कृष्ण के चाचा अक्रूर

कृष्ण के चाचा अक्रूर एक बुद्धिमान और सज्जन पुरुष थे। उन्होंने कृष्ण के बारे में अपनी सोच को इस तरह बताया है – “इस युवा बालक को देखकर मुझे लगता है मानो सूर्य, चन्द्र, तारे सब कुछ उसके चारों तरफ चक्कर काट रहे हों। जब वो बोलता है तो ऐसा लगता है, मानो कोई शाश्वत और अविनाशी आवाज़ सुनाई दे रही हो। अगर इस संसार में आशा नाम की कोई चीज़ है, तो वह स्वयं कृष्ण ही है। “

शिखंडी के बारे में तो हम सभी जानते हैं कि उसकी स्थितियां कुछ अलग तरह की थीं। बचपन से ही उन्हें काफी सताया गया था। उनकी सुनिए – “वैसे तो कृष्ण ने मुझे उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई है। लेकिन वह जहां भी होते हैं, आशा की एक लहर चलती है जो सबको छूती है। और सबका जीवन बदल देती है।”

2.श्री कृष्ण की बचपन की कहानी

वसुदेव ने अपने आठवें पुत्र को नंद और यशोदा की पुत्री के स्थान पर रख दिया और उस नन्ही बच्ची को लेकर वापस आ गए। जब कंस वहाँ पहुंचा तो वसुदेव और देवकी ने उसे कहा इसे छोड़ दो ये तो लड़की है। पर कंस नहीं माना उर उसने उस बच्ची को जमीन पर पटकना चाहा। पर वो बच्ची जमीन पर नहीं गिरी उसने एक अलग ही रूप धारण कर लिया...

कृष्ण का बाल्यकाल

कृष्ण माखन चुराया करते थे, और माखन ही गोप गोपियों की आजीविका थी। ऐसे में वे कृष्ण की माँ से शिकायत करतीं थीं। पर कृष्ण मासूम बनकर उन्हें फिर से मना लेते थे।

कृष्ण की मधुर मुस्कान

कृष्ण के सांवले होने पर भी हर कोई उनपर मुग्ध था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वे हर समय मुस्कुराते रहते थे।

कृष्ण ने उठाया गोवेर्धन पर्वत

गोकुल के लोगों में इन्द्रोत्सव मनाने की परंपरा थी। पर कृष्ण के कहने पर उन्होंने गोपोत्सव मनाने का फैसला किया। उसी समय गोकुल में भारी वर्षा हुई और यमुना का स्तर इतना बढ़ गया कि सब कुछ डूबने लगा। ऐसे में कृष्ण सभी को गोवेर्धन पर्वत की गुफाओं तक ले गए। तभी अचानक एक च्चम्त्कार हुआ और पर्वत जमीन से ऊपर उठ गया।

3.कृष्ण - एक गुरु के रूप में

भक्ति योग का महत्व.

श्रीमद भगवद गीता के बारहवे अध्याय में कृष्ण से अर्जुन ने चैतन्य के निराकार और साकार स्वरुप के अंतर के बारे में पूछा था। श्री कृष्ण बताते हैं कि निराकार की साधना कठिन है, पर भक्ति का मार्ग सरल है। वे अर्जुन को बताते हैं कि अगर वो पूरे विश्वास के साथ उनमें मन लगाए तो वो मुक्ति को प्राप्त हो जाएगा।

मृत्यु के पल का महत्व

श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि मृत्यु के समय जो भी मनुष्य उन्हें याद करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वे उन्हें प्राप्त हो जाता है। सद्‌गुरु हमें आखिरी पल पर उठने वाले विचारों का महत्व समझाते हैं और बताते हैं कि मुक्ति को पाने के लिए अंतिम समय में कैसी भीतरी स्थिति की जरूरत होती है।

कृष्ण भक्तों को क्यों झेलने पड़े कष्ट?

बलराम ने एक बार कृष्ण से ये प्रश्न पुछा कि तुम्हारे होते हुए, हमें इतने कष्ट क्यों झेलने पड़ रहे हैं। इस पर श्री कृष्ण ने उन्हें आध्यात्मिक पथ की प्रकृति के बारे में समझाया। वे बता रहे हैं कि एक बार पथ पर आने के बाद किस तरह आपके कर्म तेज़ी से चलते हैं और आप जीवन को हर रूप में बहुत तीव्रता से अनुभव करते हैं।

4.कृष्ण का जीवन

भगवान कृष्ण की साधना.

एक साधक ने सद्गुरु से प्रश्न पूछा कि भगवान कृष्ण ने अपने जीवन में क्या साधना की थी। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि कृष्ण जीवन के हर पल आनंदित और चेहरे पर मुस्कान लिए रहते थे। यही उनकी साधना थी। इसके अलावा वे हमें उस साधना के बारे में भी बता रहे हैं जो कृष्ण ने गुरु संदीपनी के सानिध्य में की थी।

कृष्ण का ब्रह्मचर्य और उनकी लीलाएं

भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रस लीलाएं रचाई थीं। पर फिर उन्होंने कुछ वर्ष ब्रह्मचारी का जीवन भी जिया था। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि ब्रह्मचर्य का जीवन जीने का मतलब है - मैं और तुम का फर्क न होना। कृष्ण में ये गुण बचपन से ही था, जब उन्होंने माता यशोदा को अपने मुख में पूरे ब्रह्माण्ड के दर्शन कराये थे।

जरासंध और शिशुपाल का अंत

शिशुपाल कृष्ण की बुआ का बेटा था। उसे कृष्ण से बहुत ईर्ष्या थी, और वो हमेशा कृष्ण को अपशब्द कहता रहता था। कृष्ण ने वचन दिया था कि वे उसकी निन्यानवे गलतियां माफ़ कर देंगे, पर एक और गलती करने पर वे खुद को नहीं रोक पाएंगे। एक दिन शिशुपाल भीष्म और उनकी माता गंगा के बारे में अपशब्द कहने लगा और वो उसकी एक सौ वीं गलती थी...

श्रीगला वासुदेव का अंत

करावीरपुर का राजा श्रीगाला वासुदेव खुद को भगवान का अवतार मानता था। उसे यही लगता था कि असली वासुदेव वही है, जिसके बारे में भविष्य वाणी की गयी थी। एक बार श्री कृष्ण और श्रीगला आमने सामने आए, और श्रीगला ने कृष्ण पर बाण चलाने शुरू कर दिए। कृष्ण ने इशारों से उसे समझाना चाहा, पर वो नहीं माना। आखिरकार कृष्ण ने सुदर्शन चला दिया...

5.कृष्ण लीला की कहानी - कृष्ण के जीवन में महिलायें

कृष्ण और राधे.

कृष्ण ने राधे से विवाह करने का फैसला अपने माता पिता को बता दिया था। लेकिन फिर गुरु गर्गाचार्य ने जब ये बताया कि वे तारनहार हैं, तो उनके भीतर एक रूपांतरण हुआ और उन्होंने अपना फैसला बदल लिया।

कृष्ण और शैब्या

करावीरपुर के राजा श्रीगला वासुदेव को मारने के बाद कृष्ण शैब्या को अपने साथ अपनी बहन बना कर ले गए थे। पर शैब्या कृष्ण से क्रोधित थी क्योंकि वो श्रीगला को भगवान मानती थी। श्री कृष्ण ने उसे एक दिन उसे श्रीगला की एक मुर्ति भेंट की और उसकी पूजा करने को कहा।  फिर धीरे धीरे उसमें रूपांतरण आने लगा...

कृष्ण और यशोदा

जब कृष्ण छोटे बालक थे तब यशोदा के भीतर मातृत्व का प्रेमपूर्ण भाव था। लेकिन कृष्ण जब एक युवा में रूपांतरित हुए तो यशोदा भी एक गोपी की तरह उनसे जुड़ गयीं।

कृष्ण और रुक्मणि

रुक्मणि ने कृष्ण को तब देखा था, जब वे 12 वर्ष की थीं। उसी समय रुक्मणि ने ये निर्णय कर लिया था, कि वे श्री कृष्णा से ही विवाह करेंगी। लेकिन उसके घरवालों ने रुक्मणि का कहीं और विवाह करने का फैसला किया। आखिरकार कृष्ण ने उन्हें उस स्थिति से निकाला

6.कृष्ण की कृपा

द्रौपदी का चीर हरण बचाया कृष्ण ने.

पांडवों और कौरवों के बीच के जुए के खेल में हार जाने के बाद, दुह्शासन ने द्रौपदी का चीर हरण करने का प्रयास किया। उस समय कृष्ण वहाँ मौजूद नहीं थे, वे द्वारका में थे। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं, कि अगर शिष्य दीक्षित हो तो कैसे कृपा गुरु की मौजूदगी के बिना भी काम कर सकती है। वे बताते हैं, कि ऐसा जरुरी नहीं - कि जिसके माध्यम से कृपा कार्य कर रही है, उसे उस समय इस बात की जानकारी हो।

कृष्ण का नीला रंग

कृष्ण को जहां भी चित्रित किया जाता है, उन्हें नीले रंग का दर्शाया जाता है। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं, कि नीला रंग कृष्ण से कैसे जुड़ा है। वे बता रहे हैं कि समस्त ब्रह्माण्ड को समाहित करने की उनके क्षमता के कारण उनका आभामंडल नीला हो गया था।

कृष्ण की त्रिवक्रा पर कृपा

त्रिवक्रा मथुरा में रहती थी, और वो किसी बीमारी की वजह से अपंग हो गयी थी। उसे किसी ने बताया था, कि वसुदेव पुत्र श्रे कृष्ण तारणहार हैं, और वे उसे मुक्त कर सकते हैं। सद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि कैसे त्रिवक्रा ने कृष्ण को देखते ही पहचान लिया, और फिर कृष्ण ने उसके अंगों को ठीक कर दिया।

क्यों झेलने पड़े कृष्ण को कष्ट?

एक साधक ने प्रश्न पूछा कि अवतारी पुरुष जैसे कृष्ण और शिव भी कष्ट झेलते हैं। मनुष्यों के ऊपर कष्ट उनके प्रारब्ध की वजह से आते हैं , फिर अवतारों के जीवन में कष्ट क्यों आते हैं। सद्गुरु बता रहे हैं कि शरीर धारण करने पर वे भी भौतिक जगत के नियमों के अंतर्गत आ जाते हैं।

कृष्ण भक्त मीरा बाई की कथा

मीरा बाई को उनकी माँ ने बचपन में कृष्ण की छवि की ओर इशारा करते हुए कहा था - ये तुम्हारे पति हैं। उस दिन से ही मीरा ने उन्हें अपना पति मान लिया, और ये भक्ति इतनी गहरी हुई कि विष का प्याला भी उन पर बेअसर हो गया। सद्‌गुरु हमें मीरा बाई के जीवन की कथा और उनके मेड़ता और चित्तौड़ से वृंदावन और द्वारका के सफर के बारे में बता रहे हैं।

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कृष्ण की कहानियां

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About Krishna in Hindi – भगवान कृष्ण की जीवनी (श्रीकृष्ण के बारे में)

About Krishna in Hindi  – भगवान् कृष्ण भारतीयों आराध्य देव हैं। यह भगवान विष्णु के 8वें अवतार माने जाते है। इनको कान्हा, केशव, मुरारी, श्याम, मुरलीवाले, गिरधर, कनहिया, छलिया, भगवान कृष्ण, कृष्णा, लोकपाल, दिग्विजयी आदि नामों से भी जाना जाता है। भारत में इनके जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान् कृष्ण और राधा जी की पूजा होती है। भगवान् कृष्ण का जन्म अष्टमी के दिन मथुरा के एक कारावास में हुआ था।

भगवान् कृष्ण के जन्म दिन को जन्माष्टमी मनाई जाती है।

इस दिन हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की का जयकार हर कृष्ण मंदिर में सुनाई देती है।

About Krishna in Hindi – संछिप्त परिचय

About Krishna in Hindi

Shri Krishna Ka Jeewan Parichay

  • नाम – कृष्ण
  • जन्म –  अष्टमी के दिन रात्रि में 12 बजे हुआ था
  • युग – त्रैता युग
  • पिता का नाम – वासुदेव
  • माता का नाम – देवकी
  • पालन पोसन करने वाली माता – यशोदा
  • भाई – बलराम
  • पत्नी – रुक्मणि, सदभामा
  • श्री कृष्ण के प्रिय सखा – अर्जुन
  • सारथी – दारुक
  • शिक्षा – दीक्षा – उज्जैन सांदीपनि आश्रम में
  • किशोरावस्था में श्री कृष्ण ने किया कंस का वध

एक बार की बाद है जब कंश अपनी बहन देवकी को वासुदेव के राज्य में छोड़ने जा रहा था तभी आकाशवाणी हुई, जिसमे यह कहा गया था की देवकी की होने वाली 8वीं संतान कंस का वध करेगी। यह बाद सुनकर कंश ने देवकी को कारागार में डाल दिया था। बाद में उसने बासुदेव को भी कारागार में डलवा दिया था, और बाद में कंश ने इनकी सातों संतानों को मार डाला। बाद में भगवान् कृष्ण का जन्म हुआ, उसी समय नंद और यशोदा ने बच्ची को जन्म दिया था, तभी वासुदेव वृंदावन में कृष्ण को यशोदा मैय्या के पास पास सुलाकर बच्ची को लेकर वापस कारागार लौट आए थे।

भगवान् श्री कृष्ण का जन्म (त्रेता युग) के बीच कंस के कारगार में हुआ था।

बाद में कंस को पता चला की उसको मारने वाला जन्म ले चुका है, तब कंस ने कृष्ण को मरवाने के लिए कई प्रयास किये मगर उसका एक भी प्रयास सफल नहीं हो सका बाद में कंस के अत्याचार की वजह से कृष्ण ने उसको परलोक पंहुचा दिया।

कृष्ण भगवान् ने कंस का संहार करने के बाद महाभारत में अर्जुन के सारथि के रूप में रहे यहाँ इन्होने असत्य पर सत्य की जीत करवाई।

बताया जाता है की कृष्ण भगवान् को जरा’ नामक एक बहेलिये ने हिरण के भ्रम से तीर मारा था, उसी समय भगवान् अपने लोक चले गए थे।

भगवान् कृष्ण के बाद द्वापर युग का अंत और कलियुग का आरंभ हुआ।

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भगवान श्री कृष्ण से सीखे जीवन बदलने वाले सबक

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Lord Krishna Teachings in Hindi

जिस किसी ने भी प्राचीन भारतीय महाकाव्य महाभारत पढ़ा है, वह भगवान कृष्ण के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में जानता है। वह विष्णु के आठवें अवतार हैं और हिंदू धर्म में सबसे व्यापक रूप से प्रशंसित देवताओं में से एक हैं। 

कृष्ण, एक हिंदू भगवान से अधिक, एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु हैं जो इस ब्रह्मांड ने कभी देखे हैं। उन्होंने मानव जाति के आध्यात्मिक और क्रमिक भाग्य में सुधार किया। उन्होंने दुनिया को भक्ति और धर्म के साथ-साथ अंतिम वास्तविकता के बारे में शिक्षित किया। 

कृष्ण अतीत में, आज आधुनिक दुनिया में हर दृष्टि से लोगों के लिए आदर्श रहे हैं और निश्चित रूप से आने वाले युगों में भी रहेंगे।

भारत में सबसे लोकप्रिय पुस्तक - भगवद-गीता जिसे अक्सर केवल गीता के रूप में संदर्भित किया जाता है, संस्कृत में एक 700 श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है। यह हिंदू महाकाव्य महाभारत का एक हिस्सा है, जहां कुरुक्षेत्र की लड़ाई में पांडवों और कौरवों के बीच धर्मी युद्ध के दौरान, भगवान कृष्ण अपनी बुद्धि से अर्जुन को प्रबुद्ध करते हैं। यह कई सबक सिखाता है जिसे आसानी से हमारे दैनिक जीवन में लागू किया जा सकता है।

स्वयं भगवान से सीखे जीवन बदलने वाले सबक :-

कृष्ण पाठ # 1: कर्म का महत्व (कर्तव्य)

कुरुक्षेत्र की लड़ाई में, अर्जुन की अंतरात्मा अपने ही रिश्तेदारों, पूर्वजों और गुरुओं को मारने के विचारों से त्रस्त थी। उन्होंने लड़ने से इनकार कर दिया, और फिर कृष्ण ने भगवद गीता नामक दार्शनिक महाकाव्य दिया। 

उन्होंने कहा, "मैं इस ब्रह्मांड का एकमात्र निर्माता हूं। मैं चाहूं तो 'सुदर्शन चक्र' से क्षण भर में शत्रुओं का संहार कर सकता हूं। लेकिन मैं आने वाली पीढ़ी को कर्म (स्वयं का कर्तव्य निभाना) का महत्व सिखाना चाहता हूं। 

उन्होंने आगे कहा, "अपना कर्तव्य करो और उसके परिणाम से अलग हो जाओ, परिणाम से प्रेरित मत हो, वहां पहुंचने की यात्रा का आनंद लो।" अंत में, उसने अर्जुन को दुश्मनों से लड़ने और नष्ट करने के लिए मना लिया।

यदि आप कर्म नहीं करेंगे या अपना कर्तव्य नहीं निभाएंगे, तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा या परिणाम नहीं मिलेगा। यह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं से सबसे अच्छी शिक्षाओं में से एक है। 

आपको परिणाम या अंतिम परिणाम की आशा किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। जबकि मैं यह कह रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि आशा रखना या आशावादी होना गलत है, लेकिन कर्मों के बिना, आपका मार्ग भयानक होगा। चाल अंतिम परिणाम पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने और वहां पहुंचने की प्रक्रिया का आनंद लेने की नहीं है।

कृष्ण पाठ # 2: हर चीज़ के पीछे एक कारण जरूर होता है। 

भगवद-गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि सब कुछ एक कारण या अच्छे कारण से होता है। जीवन में जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है और उसके पीछे हमेशा कोई कारण  जरूर  होता है। 

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हम सभी एक निर्माता, ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर सर्वोच्च शक्ति है और यह दुनिया उसके द्वारा शासित है। और चूंकि, हम सब भगवान के बच्चे हैं, हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता। इसलिए, जो कुछ हुआ है या जिन चीजों पर हमारा नियंत्रण नहीं है, हमें चीजों को जाने देना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए।

कृष्ण पाठ #3: वर्तमान में सचेतना से रहना(माइंडफुलनेस)

कृष्ण हमें वर्तमान क्षण में जीना सिखाते हैं। वह भविष्य के प्रति सचेत था, लेकिन उसने बिना किसी चिंता के वर्तमान क्षण में जीना चुना। भले ही वह जानता था कि आने वाले भविष्य में क्या होगा, फिर भी वह वर्तमान क्षण में बना रहा। 

माइंडफुलनेस वर्तमान में रहने और वर्तमान क्षण के बारे में जागरूक होने के बारे में है। वर्तमान में जीना और वर्तमान क्षण पर अधिक ध्यान देना आपके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बाधा उत्पन्न होना अधिक संभव है, लेकिन सचेत रहना और वर्तमान क्षण में जीना चीजों को बहुत आसान बना सकता है। हमें यह सीखने की जरूरत है कि कैसे वर्तमान पर ध्यान केंद्रित किया जाए, न कि भविष्य या अतीत पर।

कृष्ण शिक्षण #4: अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें

भगवान कृष्ण ने भगवद-गीता के अध्याय 2, श्लोक 63 में क्रोध का वर्णन इस प्रकार किया है:

क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः । स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥2.63॥ krōdhādbhavati saṅmōhaḥ saṅmōhātsmṛtivibhramaḥ. smṛtibhraṅśād buddhināśō buddhināśātpraṇaśyati৷৷2.63৷৷

अर्थ : क्रोध से निर्णय के ऊपर बादल छा जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्मृति भ्रमित हो जाती है। जब स्मृति व्याकुल हो जाती है तो बुद्धि नष्ट हो जाती है। और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो व्यक्ति नष्ट हो जाता है। (कृष्णा उद्धरण)

अतः क्रोध व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की असफलताओं का मूल कारण है। यह नरक के तीन मुख्य द्वारों में से एक है, अन्य दो लालच और वासना हैं। मन को शांत रखते हुए क्रोध को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

कष्ण उपदेश #5: बलिदान

कृष्ण ने भीम से क्रुक्षेत्र की लड़ाई में घटोत्कच (भीम के पुत्र) को बुलाने के लिए कहा। यह कौरव सेना का सफाया करने के लिए नहीं था, बल्कि कर्ण को इंद्रस्त्र (एक घातक दैवीय हथियार) का उपयोग करने के लिए मजबूर करने के लिए था, जिससे कोई भी जीवित नहीं बच सकता। 

उसने यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया कि युद्ध जीतने की कुंजी अर्जुन जीवित रहे। अत: उसने एक प्रतापी योद्धा की बलि देकर पांडवों की विजय सुनिश्चित की।

इसको हम अपने जीवन में कैसे उतार सकते है। 

वैसे ही जीवन में हमें सफलता प्राप्त करने के लिए कई चीजों का त्याग करना पड़ता है। त्याग के बिना कोई महत्वपूर्ण प्रगति या उपलब्धि नहीं हो सकती। यदि आप अपने आराम क्षेत्र, गर्व, अहंकार, समय, धन या सुरक्षा का त्याग करने को तैयार नहीं हैं, तो आप कभी भी अपने उच्चतम स्तर की सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

कृष्ण पाठ #6: नम्रता या विनय

भले ही कृष्ण शानदार द्वारका के राजा और सारी सृष्टि के देवता थे, फिर भी वे विनम्र थे और हमेशा अपने बड़ों के प्रति जबरदस्त सम्मान दिखाते थे - चाहे वे उनके माता-पिता हों या शिक्षक। वह उन्हें सुख देने के लिए सदैव तत्पर रहता था। इस वजह से वे जहां भी जाते थे लोग उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, कृष्ण ने नीच सारथी की भूमिका निभाई। श्री कृष्ण सादगी के प्रतिरूप थे और सारथी के रूप में उनकी भूमिका उसी का प्रमाण है।

विनम्र या विनम्र होना व्यक्तित्व की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। कृष्ण की तरह आपको भी जीवन में विनम्र होना चाहिए। यह आपको ईमानदार लोगों के साथ वास्तविक संबंध विकसित करने में मदद करता है। लोगों को अपने जीवन में खुश रहने के लिए और अधिक कारण देने के लिए पर्याप्त विनम्र रहें।

कृष्ण पाठ #7: कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता  ।

भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र की लड़ाई को अकेले ही जीत सकते थे। लेकिन उन्होंने अर्जुन का मार्गदर्शन करना चुना और उनके लिए अपना रथ चला दिया। वह कहते हैं कि नौकरी एक नौकरी है; कोई बड़ा या छोटा काम नहीं है। कोई भी श्रम बिना सम्मान के नहीं होता। 

आपको अपनी नौकरी से प्यार करना चाहिए और अपनी नौकरी में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो। आपकी नौकरी आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा भरती है, और वास्तव में संतुष्ट होने का एकमात्र तरीका सभी प्रकार की नौकरियों का सम्मान करना और उन्हें स्वीकार करना है।

कृष्णा कोट्स  

यहाँ ऊपर दिए गए पाठों के अलावा कुछ सबसे व्यावहारिक भगवान कृष्ण कोट्स हैं जो आपको कठिन समय में आवश्यक प्रेरणा देंगे ।

" आत्म-विनाश और नरक के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लोभ। " ~ भगवान कृष्ण

“मनुष्य अपने विश्वासों से निर्मित होता है। जैसा वह मानता है। तो वह बन जाता है।" ~ भगवान कृष्ण

"कोई भी जो अच्छा काम करता है उसका कभी भी भयानक अंत नहीं होगा।" ~ भगवान कृष्ण

"अपने स्वयं के कर्तव्यों को अपूर्ण रूप से निष्पादित करना दूसरे की जिम्मेदारियों को सीखने से कहीं बेहतर है।" ~ भगवान कृष्ण

"जो कुछ करना है करो, लेकिन अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति से करो।" ~ भगवान कृष्ण

"तुम मुझ पर विजय पाने का एकमात्र तरीका प्रेम के माध्यम से है, और वहाँ मुझे खुशी से जीत लिया गया है।" ~ भगवान कृष्ण

"परिवर्तन दुनिया का नियम है। पल भर में तुम करोड़ों के मालिक बन जाते हो। दूसरे में तुम दरिद्र हो जाते हो।" ~भगवान कृष्ण

"खुशी की कुंजी इच्छाओं की कमी है।" ~ भगवान कृष्ण

"इंद्रियों का सुख पहले तो अमृत जैसा लगता है, लेकिन अंत में विष के समान खट्टा होता है।" ~ भगवान कृष्ण

"खुशी मन की एक अवस्था है, जिसका बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है।" ~ भगवान कृष्ण

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श्री कृष्ण की सम्पूर्ण जीवन गाथा और बचपन की कहानी

Story of Lord Krishna in Hindi: भगवान श्री कृष्णा ने द्वापर युग में धरती पर जन्म लिया था। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। धरती पर इनका अवतार लेने का मुख्य उद्देश्य धरती को राक्षसों के अत्याचार से मुक्त कराना था।

Story of Lord Krishna in Hindi

भगवान श्री कृष्णा के जन्म से लेकर उनकी बचपन की संपूर्ण लीला, श्री कृष्ण की बचपन की कहानी के बारे में हम आज के इस लेख में बताने वाले हैं। यह लेख भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के लिए बहुत ही खास है।

धरती पर भगवान श्री कृष्ण का अवतार

बहुत लंबे समय पहले की बात है जब धरती पर उग्रेशन का पुत्र दुष्ट कंस अन्य राक्षसों के साथ मिलकर लोगों पर अत्याचार कर रहा था।

उस समय धरती उसके दुष्कर्मों से परेशान होकर सहायता मांगने के लिए सुमेरु पर्वत पर भगवान ब्रह्मा के पास जाती है। भगवान ब्रह्मा पृथ्वी मां की प्रार्थना सुनते हैं और भगवान विष्णु से उनकी मदद करने के लिए फरियाद करते हैं।

भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट होकर बोलते हैं कि हे पृथ्वी अब तुम्हें नहीं डरना है। क्योंकि धरती पर बहुत जल्दी केशवों की दो लटे कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम के रूप में जन्म लेने वाले हैं, जो इन दुष्ट राजाओं का नाश करके पृथ्वी को इन पापियों से मुक्त कराएगी।

कंस मथुरा नगरी का एक दुष्ट राजा था। वह बहुत ही निर्दय था और वहां के लोगों पर बहुत ही ज्यादा अत्याचार करता था। लेकिन उसे अपनी बहन देवकी से बहुत ज्यादा स्नेहा था। इसलिए वह अपनी बहन की शादी बहुत ही धूमधाम से शूरसेन के पुत्र वासुदेव से कराता है।

यहां तक कि वह विदाई के दौरान वह अपनी बहन देवकी और वासुदेव के रथ को खुद ही हांकने लगता है। इसी बीच एक आकाशवाणी सुनाई देती है कि हे मूर्ख कंस तू जिसके रथ को हांक रहा है, इनका आठवां संतान ही तेरे वध्द का कारण होगा।

जिसे सुनने के बाद कंस गुस्से से भर जाता है और वह रथ रोक अपने म्यान से तलवार निकालता है और देवकी की हत्या करने के लिए उस पर उठाता है कि उसी समय वासुदेव उसके पैरों में झुक के गिरगिराने लगते हैं और कहते है कि हे कंस तुम मुझे और देवकी को छोड़ दो, इसके बदले में हमारी जितने भी संतान होगी, जन्म के तुरंत बाद हम उन्हें तुम्हें सौंप देंगे।

इसके बाद वह देवकी और वासुदेव की जान तो बक्श देता है लेकिन उन्हें अपने कारागार में डाल देता है। देवकी ने कारागार में एक-एक करके सात संतान को जन्म दिया लेकिन कंश ने उन सातों संतान की हत्या कर दी।

भगवान श्री कृष्ण का जन्म

देवकी आठवी संतान को जन्म देने वाली थी। आठवें संतान की रक्षा करने के लिए भगवान ने एक लीला रची। वृंदावन में वासुदेव के मित्र नंद जी रहा करते थे। उसी समय नंद जी की पत्नी यशोदा को भी संतान होने वाला था।

जिस रात देवकी आठवी संतान को जन्म देने वाली थी, उसी समय वासुदेव और देवकी के सपने में स्वयं भगवान विष्णु प्रकट होते हैं और उन्हें कहते हैं कि वृंदावन में तुम्हारे मित्र नंद की पत्नी यशोदा के गर्भ से एक कन्या जन्म लेने वाली है, जो कि एक माया है।

तुम्हें अपने इस आठवे संतान की जान बचाने के लिए इसे उनके यहां सोंपना पड़ेगा और उस कन्या को यहां पर लाना होगा।

यहां का वातावरण अनुकूल नहीं है, फिर भी तुम्हें चिंता नहीं करना है। सभी पहरेदार सो जाएंगे तब कारागार के फाटक अपने आप खुल जाएगा, तुम्हें यमुना को पार करके वृंदावन जाना है।

भगवान श्री कृष्ण का वृंदावन आगमन

जब देर रात हो गई और सभी पहरेदार सो गए तब वासुदेव शिशु रूप श्री कृष्णा भगवान को एक टोकरी में रखकर कारागार से निकल पड़े।

वह दिन बहुत ही अलौकिक था क्योंकि उस दिन तूफान के साथ भयंकर वर्षा हो रही थी। सभी कारागार के फाटक अपने आप खुल गए। यमुना नदी में पहुंचते ही वासुदेव को नदी ने स्वयं रास्ता दे दिया। वासुदेव तूफान और बारिश के बीच नन्हे श्री कृष्ण को लेकर चल पड़े।

नवजात शिशु को बचाने के लिए यमुना से स्वयं शेषनाग प्रकट हो गए, जिन्होंने एक छाते की तरह भगवान श्री कृष्ण के शिशु रूप को वर्षा से भीगने से बचाया।

वासुदेव भगवान श्री कृष्ण को वृंदावन लेकर पहुंच गए और उन्होंने यशोदा के बगल में सोई उनकी कन्या को उठाकर वहां पर भगवान श्री कृष्ण को लेटा दिया और फिर उस कन्या को अपने साथ कंस के कारागाह में ले आए।

कंस को जब पता चला कि देवकी ने आठवीं संतान को जन्म दिया है, वह कारागार में जाता है और उनसे कन्या को छीन लेता है।

वह पृथ्वी पर कन्या को पटकना चाहता है कि इस समय वह कन्या आकाश में उड़ जाती हैं और दिव्य रूप में प्रकट होते हुए कंस को चेतावनी देते हुए कहती है कि हे मूर्ख तू मेरा क्या नाश करेगा, तेरा नाश करने वाला तो सुरक्षित जगह पर पहुंच चुका है। जल्दी तेरे पापों का दंड तुझे मिलेगा।

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भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी पूतना

जब कंस को पता चला कि देवकी और वासुदेव का आठवां संतान वृंदावन में कहीं पर है तो उनकी हत्या करने के लिए वह पूतना नामक राक्षसी को वृंदावन भेजता है।

पूतना एक सुंदर स्त्री का रूप धारण करके वृंदावन पहुंचती है और यशोदा के घर पहुंच जाती है। वह यशोदा को अपने संतान को अपने गोद में लेकर खिलाने के लिए आग्रह करती हैं।

पूतना भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को अपने गोद में लेकर थोड़ी दूर निकल आती है और वह श्री कृष्ण को स्तनपान कराती है ताकि उसके जहर से नन्हे श्री कृष्णा की मृत्यु हो जाए।

लेकिन नन्हे श्री कृष्णा अपनी लीला दिखाते हैं, जिससे राक्षसी पूतना के स्तन में इतना दर्द होता है कि वह दर्द से बचाओ बचाओ चिखने लगती है।

तब सभी गांव वाले वहां पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वह स्त्री एक राक्षस है। हालांकि नन्हे श्री कृष्ण के इस लीला को कोई समझ नहीं पाया।

नन्हे नटखट कान्हा

वृंदावन में नन्हे बालकृष्ण कन्हैया या कान्हा के नाम से प्यार से पुकारे जाते थे। वह बचपन से ही बहुत ही नटखट थे। उन्हें मक्खन बहुत ही पसंद था और सबके घरों से माखन चुरा कर खा जाते थे, इसलिए उन्हें माखन चोर भी कहा जाता था।

कृष्ण और उनके शाख के डर से वृंदावन की सभी औरतें मक्खन को छुपा के रखती थी। लेकिन वह कहीं भी मक्खन को छुपा के रख दे, भगवान श्री कृष्णा मक्खन के हांडी को ढूंढ ही लेते थे।

नटखट कान्हा की शिकायत लेकर हमेशा वृंदावन की गोपियों या अन्य औरतें मां यशोदा के पास आ जाती थी। एक दिन एक गोपी मां यशोदा के पास आकर नटखट कन्हैया का शिकायत लेकर आती है और कहती है कि आपका कान्हा बहुत ही नटखट है।

मां यशोदा पूछती हैं कि मेरे लला ने क्या किया? गोपी बोलती है कि मैं सुबह गाय का दूध निकालने गई थी तो मैंने देखा कि किसी ने बछड़े को खोल दिया और बछड़े ने गाय का सारा दूध पी लिया। तब मैंने देखा की कान्हा वहां पर खड़े मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गई यह कान्हा की ही करतूत है।

इसी तरह एक बार वृंदावन की एक महिला मां यशोदा के पास भगवान श्री कृष्ण की माखन चुराने की शिकायत लेकर आती है। वह कहती हैं कि मैं आपके माखन चोर कान्हा से परेशान हो गई हूं। मैंने मटके को एक छींक पर लटका दिया था लेकिन तुम्हारा नटखट कान्हा अपने दोस्तों के साथ मेरे घर पर आया और मटकी को फोड़ सारा माखन चुरा लिया।

इस तरह नन्हे कृष्ण का जीवन वृंदावन में शरारत और नटखटपन के साथ बीत रहा था। वह गायों को चराते, अपने दोस्तों के साथ खेलते और इस बीच कई सारी लीलाएं भी करते थे।

श्री कृष्ण के द्वारा कालिया दमन लीला

श्री कृष्णा ने बचपन में कई लीलाएं दिखाई और उन्ही लीलाओं में से एक है कालिया नाग का दमन। भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को अपनी लीला से उसके घमंड को चूर-चूर कर दिया।

यह उस समय की बात है जब भगवान श्री कृष्णा अपने शखोओ के साथ गोकुल में खेल रहे थे और पास में ही यमुना नदी बहती थी।

उस समय यमुना नदी में कालिया नामक जहरीला नाग ने अपना घर बना लिया था, जिसने अपने विष के जहर से यमुना नदी के पूरे पानी को काला कर दिया था। उस पानी को पीकर गांव के कई पशु पंछी मरने लगे थे।

एक बार बाल कृष्णा अपने दोस्तों के साथ वहीं खेल रहे थे कि खेलने के दौरान अचानक से उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई। गेंद को वापस लाने के लिए भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी में कूद पड़े।

हालांकि उनके शखोओ ने उन्हें बहुत रोका। भगवान श्री कृष्णा ने किसी की बात नहीं मानी और नदी में चलांग लगा दिए। सभी शखा डर के मारे मां यशोदा के पास पहुंचे और इस घटना की सूचना दी।

गांव के सभी लोग और मां यशोदा दौड़ते हुए यमुना नदी के पास आते हैं और वहां पर फूट-फूट कर रोने लगती हैं। भगवान श्री कृष्ण जब यमुना नदी के अंदर आए तो उस समय कालिया नाग सो रहा था।

श्री कृष्ण को देखकर उसकी पत्नी ने उन्हें जाने की चेतावनी दी लेकिन भगवान श्री कृष्ण नहीं गए। तब इस बीच कालिया नाग जाग उठा। भगवान कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना नदी से प्रस्थान करके इसे विष मुक्त करने के लिए कहा।

लेकिन कालिया नाग नहीं माना और वह अपने विशाल फन के साथ भगवान श्री कृष्ण पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा। भगवान श्री कृष्ण उसके घमंड को तोड़ने के लिए उसके फन पर खड़े होकर पृथ्वी जितना भार ला देते हैं, जिससे कालिया नाग को सहन नहीं हो पता है।

उसी समय उसकी पत्नी आती है और भगवान श्री कृष्ण से उन्हें छोड़ देने की विनती करती है। इधर कालिया नाग भी डर के मारे भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगने लगता है। उसके बाद वह यमुना नदी से सदा के लिए चला जाता है और इस तरह यमुना नदी विष मुक्त हो जाती हैं।

श्री कृष्ण की गोवर्धन पर्वत लीला

गोकुल के लोग हमेशा अच्छी वर्षा के लिए भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के उद्देश्य से इंद्राओज यज्ञ किया करते थे।

एक बार भगवान श्री कृष्ण गोप ग्वालों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे तो वहां पर उन्होंने गोपियों को 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच गान करते हुए देखा।

उन्होंने पूछा कि यह क्या हो रहा है? गोपियों ने कहा कि इंद्र की पूजा की तैयारी हो रही है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि इंद्र में क्या शक्ति है?

गोपियों ने कहा कि उन्ही के कारण तो वर्षा होती है और अच्छी फसल होती है। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि उनसे ज्यादा शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है, जहां पर गाए चरती हैं, जिसके कारण वर्षा होती है।

भगवान श्री कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत की अनेक विशेषता बताए जाने के बाद सभी बृजवासी इंद्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

जब यह बात भगवान इंद्र को पता चलती है तो वह बहुत क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में आकर ब्रजभूमि पर मूसलाधार वर्षा शुरू कर देते हैं। इस भयंकर वर्षा से सभी बृजवासी भयभीत हो जाते हैं और श्री कृष्ण की शरण में जाते हैं।

तब पूरे ब्रजभूमि को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्णा अपने कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लेते हैं और फिर सभी लोग पर्वत के नीचे शरण लेते हैं जब तक की तूफान शांत ना हो जाए।

यह देख भगवान इंद्र को अपनी गलती का एहसास होता है और वे भगवान श्री कृष्णा से क्षमा याचना मांगने लगते हैं। इस तरीके से ब्रजभूमि पर श्री कृष्णा की यह लीला देख सभी बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण के दिव्य स्वरूप का ज्ञान हो जाता है।

भगवान श्री कृष्णा यादव वंश के क्षत्रिय जाति से ताल्लुक रखते थे।

भगवान श्री कृष्ण को जन्म देने वाले माता-पिता का नाम वासुदेव और देवकी था लेकिन इनका लालन-पालन करने वाली माता यशोदा और पिता नंद थे।

भगवान श्री कृष्ण के गुरु का नाम महर्षि सांदीपनि था।

भगवान श्री कृष्ण के द्वारा उनके मामा कंस का वध होने के बाद उसके ससुर जरासंध ने भगवान कृष्ण की खात्मा करने के लिए वह अक्सर मथुरा पर आक्रमण करता था। मथुरा के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए भगवान श्री कृष्ण मथुरा को छोड़कर द्वारिका में बस गए थे।

इस तरह भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल्यावस्था में गोकुल में रहते हुए कई लीलाएं की। उनके सांवले रंग पर भी गोकुल की सभी गोपिया उन पर मोहित थी। भगवान श्री कृष्ण के मधुर बांसुरी की आवाज सुनकर पूरा ब्रज झूम उठा करता था।

चारों तरफ दिव्य वातावरण फैल जाता था। भगवान श्री कृष्णा जब 16 वर्ष के हुए उस समय में मथुरा आए और अपने मामा कंस की हत्या कर अपने असल माता-पिता वासुदेव और देवकी को मुक्त कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

यहां पर कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा (Story of Lord Krishna in Hindi) और संपूर्ण कृष्ण लीला के बारे में विस्तार से बताया है।

हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में भगवान श्री कृष्ण की संपूर्ण लीला आपको बहुत अच्छी लगी होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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Rahul Singh Tanwar

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श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार

Shree Krishna Quotes in Hindi

भगवान् श्रीकृष्ण की कहानियाँ और उनके अनमोल विचार हम सदीयों से अपने पूर्वजो से सुनते आये है। श्रीकृष्ण का हर एक सुविचार अनमोल है, उनके कहे विचारों को अगर हम अपनी जिंदगी में उतारेंगे तो हमारे जीवन में कभी भी दुःख और अशांति नहीं आयेंगी। हम हमेशा ख़ुशी से जीवन जी सकेंगे।

भगवान् श्रीकृष्ण के विचार चाहे वह श्रीमद् भागवत गीता के अनमोल विचार हो या फिर किसी कहानी में सुने हो, आज के ज़माने के लिए भी उतनेही अनुरूप और योग्य है। इन विचारों को सुनना और उनपे अमल करना हमारे लिए और समाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है।

किसी व्यक्ति ने कहा हुआ कोई quote हो या फिर कोई motivational quotes हो, उनका सही उपयोग करने के बाद ही हमे उनका असली मतलब समाज में आता है। ज्ञानी पंडित आजके इस पोस्ट में आपके लिए भगवान् श्रीकृष्ण के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार लेके आया है।

भगवान् श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Shree Krishna Quotes in Hindi

Shri Krishna Quotes in Hindi

“नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध, और लालच।”

“आत्मा पुराने शरीर को ठीक उसी तरह छोड़ देती है, जैसे कि मनुष्य अपने पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।”

Krishna Gif Images

“मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।”

“परिवर्तन इस संसार का नियम है, कल जो किसी और का था, आज वो तुम्हारा हैं एवं कल वो किसी और का होगा।”

Krishna Quotes in Hindi

Krishna Quotes in Hindi

“जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता हैं।”

“आत्मा न तो जन्म लेती है, न कभी मरती है और ना ही  इसे कभी जलाया जा सकता है, ना ही पानी से गीला किया जा सकता है, आत्मा अमर और अविनाशी है।”

Lord Krishna Quotes in Hindi

धरती पर महापापी कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलवाने के लिए जन्में भगवान श्री कृष्ण ने न सिर्फ इस संसार को आपस में प्रेम करना सिखाया बल्कि कई ऐसे प्रेरणादायक और अनमोल सीख भी दी, जिनको अगर हम सभी अपने जीवन में उतार लें तो निश्चय ही एक सफल और श्रेष्ठ जिंदगी जी सकते हैं।

इसके साथ ही श्री कृष्ण ने हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमदभगवतगीता के माध्यम से मनुष्य के जन्म-मरण के चक्र की खूबसूरत व्याख्या की है और मनुष्य को इस संसार रुपी मोह से निकालकर मोक्ष प्राप्ति का सूत्र बताया है।

वहीं हम आपको अपने इस आर्टिकल में भगवान श्री कृष्ण के कुछ उत्तम विचारों को उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे पढ़कर न सिर्फ आप लोगों के मन में अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी बल्कि एक-दूसरे के प्रति आदर-सम्मान का भाव पैदा होगा, आपसी रिश्ते मजबूत होगें।

इसके साथ ही जीवन जीने की सही कला के बारे में ज्ञात हो सकेगा।

वहीं आप श्री कृष्णा के इन सर्वश्रेष्ठ विचारों को व्हाटसऐप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर भी शेयर कर सकते हैं, और अपने दोस्तों, परिजनों एवं करीबियों से श्री कृष्ण के इन विचारों पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि वे एक श्रेष्ठ जीवन का निर्वहन कर सकें।

“केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता हैं।”

“अत्याधिक क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि नष्ट होती है और जब बुद्धि नष्ट होती है, तब तर्क ही नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पूरी तरह पतन हो जाता है।”

Quotes on Shri Krishna in Hindi

Quotes on Shri Krishna in Hindi

“अगर आप अपना लक्ष्य पाने में नाकामयाब होते हो तो अपनी रणनीति बदलो, लक्ष्य नही।”

“सभी मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होते हैं, जैसा वे भरोसा करते हैं, वो वैसा ही बन जाता हैं।”

Jai Shree Krishna in Hindi Status

“निर्माण केवल मौजूदा चीजों का प्रक्षेपण हैं।”

“अप्राकृतिक कर्म बहुत ज्यादा तनाव पैदा करता है, उससे मत डरो जो कि वास्तविक नहीं है और ना कभी था और ना कभी होगा, जो वास्तविक है, वो हमेशा था, और उसे कभी नष्ट भी नहीं किया जा सकता है।”

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभगवतगीता के माध्यम से कहा है कि मनुष्य को अगर अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है तो, फल की इच्छा किए बिना ही कर्म करना चाहिए।

इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने विचारों के माध्यम से यह भी कहा है कि जो व्यक्ति भूतकाल को लेकर पश्चाप करता रहता है, उस व्यक्ति का वर्तमान तो खराब हो ही जाता है, इसके साथ ही वह अपने भविष्य के लिए भी कुछ नहीं कर पाता है।

इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण के कई ऐसे सर्वश्रेष्ठ सुवविचार हैं, जिन्हें अगर सही मायने में व्यक्ति अपने जीवन में उतार लें तो वह अपने जीवन के तमाम दुख और परेशानी से छुटकारा पाकर सुखमय जीवन जी सकता है।

Shree Krishna Quotes

“अपने अनिवार्य कर्तव्यों को पूरा करो क्यूंकि कार्य करना संपूर्ण निश्कार्यता से बेहतर है।”

“तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य ही नहीं होते, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना तो जीवित और ना ही कभी मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।”

Krishna Status in Hindi

Krishna Status in Hindi

“इंसान अपने विचारोंसे बनता है। जैसा वह सोचता है वैसा ही वह बनता है।”

“कर्म का फल व्यक्ति को ठीक उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कि कोई बछड़ा हजारों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।”

श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

“मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वो विश्वास करता हैं, वैसा वो बन जाता हैं।”

“मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर सके सभी कार्य कर रही है।”

shree krishna

“मन अशांत हैं और उसे नियंत्रित करना कठीण हैं, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।”

“जो भी मनुष्य अपने जीवन के अध्यात्मिक ज्ञान के चरणो के लिए दृढ़ संकल्पो मे स्थिर हैं, वह समान्य रूप से कठोर संकटो को भी आसानी से सहन कर सकते हैं, और निश्चित तौर पर ऐसे व्यक्ति खुशियां और मुक्ति पाने के पात्र होते हैं।”

“अपना-पराया, छोटा-बड़ा, मेरा-तेरा ये सब अपने मन से मिटा दो, और फिर सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो।”

Shree Krishna Status in Hindi

धरती पर पाप का अंत करने के लिए भगवान विष्णु के 8वें अवतार में जन्में श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के द्धारा पूरे जगत को ज्ञान दिया।

भगवान श्री कृष्ण ने अपने सर्वश्रेष्ठ सुविचारों के माध्यम से मनुष्य को बताया कि, अपने अशांत मन को व्यक्ति अभ्यास के माध्यम से किस तरह अपने वश में कर सकता है, क्योंकि जो व्यक्ति अपने मन को काबू में नहीं करते हैं, उनके लिए वह दुश्मन की तरह काम करता है।

इसके अलावा श्री कृष्ण ने उन व्यक्तियों को भी अपने विचारों के माध्यम से सीख दी है, जो कि संसार में मौजूद हर चीज को संदेह की नजर से देखते हैं, उनके लिए श्री कृष्ण ने अपने विचारों में कहा है कि हमेशा संदेह और शक करने वाले व्यक्ति के लिए खुशी ना तो इस लोक मे हैं और ना ही कहीं और हैं, इसलिए मनुष्य को अपने संदेह की प्रवृत्ति छोड़ देना चाहिए।

इसके अलावा भी भगवान श्री कृष्ण के कई ऐसे सर्वश्रेष्ठ सुविचार हैं, जिन्हें अगर वास्तव में कोई व्यक्ति अपने जिंदगी में उतार ले, तो उसका जीवन सफल हो सकता है।

इसके साथ ही भगवान श्री कृष्णा के द्धारा बताए गए कई ऐसे उपदेश हैं जिन्हें अगर आप सोशल साइट्स पर शेयर करेंगे तो इससे आपके दोस्तों, मित्रों और करीबियों को भी अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने की सीख मिलेगी।

Shree Krishna Status in Hindi

“अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं, जो स्वर्ग के द्वार के समान हैं।”

“भगवान या परमात्मा की शांति सिर्फ उनके साथ ही होती हैं, जिसके मन और आत्मा दोनों मे एकता हो, जो इच्छा और क्रोध से पूर्ण रुप से मुक्त हो एवं जो अपने अंदर की आत्मा को सही मायने मे जनता हो।”

“आनंद बस मन की एक स्थिति है जिसका बाहरी दुनिया से कोई नाता नहीं है।”

shree krishna photo with quotes

“जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता हैं, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।”

“सुख का राज अपेक्षाए कम रखने में है।”

shree krishna speech

“सदैव संदेह करनेवाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में हैं ना ही कही और।”

“कोई भी उपहार/भेंट तभी अच्छी और पवित्र लगती हैं जब वह पूरी तरह दिल से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाए और जब उपहार देने वाला व्यक्ति उस उपहार के बदले में कुछ पाने का इच्छा बिल्कुल भी न करता हो।”

अगले पेज पर और भी…

31 thoughts on “श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार”

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Ye sab vichar mere andar bhare pade hain

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jai shree shyam………

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

जय श्री कृष्ण | श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबन्ध.

Last Updated: September 11, 2023 By Gopal Mishra 29 Comments

जय श्री कृष्ण Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi

जय श्री कृष्ण

 श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

 shree krishna janmashtami essay in hindi.

यशोदा नंदन, देवकी पुत्र भारतीय समाज में कृष्ण के नाम से सदियों से पूजे जा रहे हैं। तार्किकता के धरातल पर कृष्ण एक ऐसा एकांकी नायक हैं, जिसमें जीवन के सभी पक्ष विद्यमान है। कृष्ण वो किताब हैं जिससे हमें ऐसी कई शिक्षाएं मिलती हैं जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हैं।

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कृष्ण के जन्म से पहले ही उनकी मृत्यु का षड्‍यंत्र रचा जाना और कारावास जैसे नकारात्मक परिवेश में जन्म होना किसी त्रासदी से कम नही था । परन्तु विपरीत वातावरण के बावजूद नंदलाला , वासुदेव के पुत्र ने जीवन की सभी विधाओं को बहुत ही उत्साह से जिवंत किया है। श्री कृष्ण की संर्पूण जीवन कथा कई रूपों में दिखाई पङती है।

नटवरनागर श्री कृष्ण उस संर्पूणता के परिचायक हैं जिसमें मनुष्य, देवता, योगीराज तथा संत आदि सभी के गुणं समाहित है। समस्त शक्तियों के अधिपति युवा कृष्ण महाभारत में कर्म पर ही विश्वास करते हैं। कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। गोकुल का ग्वाला, बिरज का कान्हा धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों के मायाजाल से दूर मोह-माया के बंधनों से अलग है।

कंस हो या कौरव पांडव, दोनो ही निकट के रिश्ते फिर भी कृष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रस्तुत किया कि धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों की बजाय कर्तव्य को महत्व देना आवश्यक है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि कर्म प्रधान गीता के उपदेशों को यदि हम व्यवहार में अपना लें तो हम सब की चेतना भी कृष्ण सम विकसित हो सकती है।

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कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है, जिसमें सृजन का संगीत है, आनंद है, अमृत है और रास है। तो दूसरी ओर शंख है, जिसमें युद्ध की वेदना है, गरल है तथा निरसता है। ये विरोधाभास ये समझाते हैं कि सुख है तो दुःख भी है।

यशोदा नंदन की कथा किसी द्वापर की कथा नही है, किसी ईश्वर का आख्यान नही है और ना ही किसी अवतार की लीला। वो तो यमुना के मैदान में बसने वाली भावात्मक रुह की पहचान है। यशोदा का नटखट लाल है तो कहीं द्रोपदी का रक्षक, गोपियों का मनमोहन तो कहीं सुदामा का मित्र। हर रिश्ते में रंगे कृष्ण का जीवन नवरस में समाया हुआ है।

माखन चोर, नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता का आयोजन, खेल-खेल में समझा जाता है कि किस तरह स्वयं को संतुलित रखते हुए लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है; क्योंकि संतुलित और एकाग्रता का अभ्यास ही सुखमय जीवन का आधार है। सृजन के अधिपति, चक्रधारी मधुसूदन का जन्मदिवस उत्सव के रूप में मनाकर हम सभी में उत्साह का संचार होता है और जीवन के प्रति सृजन का नजरिया जीवन को खुशनुमा बना देता है।

“श्रीकृष्ण जिनका नाम है,

गोकुल जिनका धाम है!

ऐसे श्री भगवान को

बारम्बार प्रणाम है।”

 जन्माष्टमी की बधाई के साथ कलम को विराम देते हैं।

जय श्री कृष्णा

Anita Sharma Voice For Blind

अनिता जी दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं। उनके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें –  नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनिता शर्मा और  उनसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

इन सम्बन्धित लेखों को भी ज़रूर पढ़ें:

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  • सफल और संतुष्ट जीवन के तीन तप – श्री कृष्ण उपदेश 
  • श्रीमद्भगवद्गीता के अनमोल वचन
  • कहाँ हैं भगवान्?- छोटी सी हिंदी कहानी 
  • सबसे बड़ा गुरू- महाभारत की कहानी

We are grateful to  Anita Ji  for sharing this   Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi.

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speech on krishna in hindi

September 4, 2018 at 1:58 am

Aap ne yeh chotey se nibandh maye sri krishna ko jis tarah se sanjoya haye woh mujhe GAGAR MAY SAGAR jayese lagta haye. Aap ka bhut bhut dhanyawad.

speech on krishna in hindi

September 2, 2018 at 6:33 pm

Achikhabar website ak bahut achhi website hai padai me muje nibandh me bahut kam me aayi hai

Thanks achikhabar Prashant,

speech on krishna in hindi

August 15, 2017 at 9:16 am

जय श्री कृष्ण…

श्री कृष्ण के कदम आपके घर आए, आप खुशियों के दीप जलाएं, परेशानी आपसे आंख चुराए, कृष्ण जन्मोत्सव की आपको शुभकामनायें Happy Janmashatmi, Best Wishes from :- acchitips.com

speech on krishna in hindi

August 12, 2017 at 8:06 pm

कृष्ण नाम जितना छोटा है उनका व्यक्तित्व उतना ही विशाल | आपने सही कहा माखन चोर और योगेश्वर वो दोनों ही विरोधाभासों में संतुलन बना लेते हैं , फिर क्यों मन श्री कृष्ण की भक्ति के रंग में रंग जाए | जन्माष्टमी के सुअवसर पर आपके इस भक्ति रस से परिपूर्ण लेख के लिए धन्यवाद |

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August 26, 2016 at 8:51 am

B’happy makhanchor

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August 26, 2016 at 1:32 am

Happy birthday kanhiya

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September 2, 2018 at 9:56 pm

Bohot hi badhiya nibandh tha bhai. Shri krishna ji ke chamtkarik leela ko jankar bohot accha lagta hai.

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Lord Krishna Teachings on Life in hindi | जीवन पर भगवान कृष्ण की शिक्षाएँ हिंदी में

krishana Teachings

Shri Krishana Teachings: श्री कृष्ण हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक हैं और उनकी शिक्षाओं को भगवद गीता में प्रलेखित किया गया है। इस पोस्ट में आप जीवन में महत्वपूर्ण और बेहतर निर्णय लेने के लिए भगवान कृष्ण की शिक्षाओं के बारे में जानेंगे।आइये पढ़ते हैं भगवान् श्री कृष्ण की कुछ प्रमुख शिक्षाएँ 

Teachings of Lord Krishna for a Better Life in Hindi: जीवन पर भगवान कृष्ण की शिक्षा हिंदी में

निःस्वार्थ कर्म का महत्व : श्री कृष्ण कर्म के फल की आसक्ति से रहित होकर कर्म करने के महत्व पर बल देते हैं। वह सिखाते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति खुद को कर्म के बंधन से मुक्त कर सकता है और आंतरिक शांति प्राप्त करता है।

धर्म की अवधारणा: श्री कृष्ण सिखाते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक अद्वितीय कर्तव्य या धर्म होता है। अपने धर्म को पूरा करके, व्यक्ति आध्यात्मिक विकास प्राप्त कर सकते हैं और समाज की भलाई में योगदान करते हैं।

आत्म-साक्षात्कार की खोज: श्री कृष्ण सिखाते हैं कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य आत्म-साक्षात्कार या स्वयं के वास्तविक स्वरूप की प्राप्ति है। वह इस लक्ष्य को प्राप्त करने में ध्यान और चिंतन के महत्व पर बल देता है।

प्रेम और भक्ति की शक्ति: श्री कृष्ण सिखाते हैं कि आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने के लिए प्रेम और भक्ति शक्तिशाली उपकरण हैं। खुद को परमात्मा के सामने समर्पित करके व्यक्ति आंतरिक शांति और खुशी प्राप्त करता है।

वैराग्य का महत्व: श्री कृष्ण सिखाते हैं कि आध्यात्मिक विकास के लिए भौतिक संपत्ति और इच्छाओं से वैराग्य आवश्यक है। अपने कर्मों के फल से विरक्त होकर व्यक्ति कर्म के चक्र में फंसने से बचता है।

श्री कृष्ण की शिक्षाओं को सारांशित करने वाले कुछ प्रमुख शीर्षकों में निस्वार्थ कर्म , धर्म, आत्म-साक्षात्कार , प्रेम और भक्ति और वैराग्य शामिल हैं। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, श्री कृष्ण लोगों को उद्देश्यपूर्ण, करुणा और आध्यात्मिक विकास का जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।

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  • Sahitya (साहित्य) /

Krishna Quotes in Hindi: श्री कृष्ण द्वारा कहे गए ज्ञानवर्धक अनमोल वचन

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 28, 2023

Krishna Quotes in Hindi

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है जिसमें मनुष्य को जीवन, कर्म, ध्यान, शांति, सत्य, योग और सफलता के बारे में सभी महत्वपूर्ण विषयों को गहराई से जानने को मिलता है। जो ज्ञान किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को कुरुक्षेत्र में न केवल ज्ञान की बातें बताई उसके साथ ही जीवन जीने की कलाओं के बारे में भी बताया है। इस ब्लॉग में हम krishna quotes in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे। जो कि हर मनुष्य के लिए प्रेरणास्त्रोत का कारण होता है। 

This Blog Includes:

Krishna quotes in hindi, बेस्ट 15 krishna quotes in hindi, ज्ञानवर्धक krishna quotes in hindi, श्रीमद्भगवद्गीता श्री कृष्ण अनमोल वचन, krishna quotes in hindi : महाभारत में कृष्ण के कहे 10 अनमोल वचन.

भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान गीता के ये उपदेश अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को दिए थे। गीता में दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं। श्रीकृष्ण के उपदेश हमें धर्म के मार्ग पर चलते हुए अच्छे कर्म करने की शिक्षा देते हैं। जानते है Krishna Quotes In Hindi जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं।  

कर्म किए जाओ, फल की चिंता मत करो।

Krishna Quotes In Hindi

आत्मा अमर है, इसलिए मरने की चिंता मत करो।

Krishna Quotes In Hindi

इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है।

नर्क के तीन द्वार हैं: काम, क्रोध और लोभ।

Krishna Quotes In Hindi

मौन सबसे अच्छा उत्तर है, किसी ऐसे व्यक्ति के लिए, जो आपके शब्दों को महत्व नही देता

Krishna Quotes In Hindi

आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना होता है।

Krishna Quotes In Hindi

धर्म केवल कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा ही नहीं है।

Krishna Quotes In Hindi

अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं।

Krishna Quotes In Hindi

मैं सभी प्राणियों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ। 
मैं सभी प्राणियों का आदि, मध्य और अंत भी हूँ।
सत्य कभी नष्ट नहीं हो सकता। 

Krishna Quotes In Hindi

अच्छा करने से नहीं डरना चाहिए।

बेस्ट 10 Krishna Quotes In Hindi नीचे दी गई है:

समय कभी नहीं रुकता, आज यदि बुरा चल रहा है तो कल अवश्य अच्छा आएगा

Krishna Quotes In Hindi

आप केवल निस्वार्थ भाव से कर्म कीजिए केवल वही आपके हाथ में है ।

मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है,

“मैं श्रेष्ठ हूँ”  यह आत्मविश्वास है, लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ”  यह अहंकार है”

व्‍यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि विश्‍वास के साथ इच्छित वस्‍तु पर लगातार चिंतन करें।

प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है। 

जो रास्ता ईश्वर ने आपके लिए खोला है उसे कभी भी कोई बंद नहीं कर सकता!

मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मों पर चलता है, जैसा कर्म होता है, वैसा उसका जीवन होता है।

एक बार माफ़ करके अच्छे बन जाओ परन्तु दुबारा उसी इन्सान पर भरोसा करके बेवकूफ कभी न बनो। 

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।

जीवन में आधे दु:ख इस वजह से आते है, क्यूंकि हमने उनसे आशाऐं रखी जिन से हमें नहीं रखनी चाहिए थी।

मैं ही इस सृष्टि की रचना करता हूँ, मैं हीं इसका पालन-पोषण करता हूँ और मैं हीं इस सृष्टि का विनाश करता हूँ।

जब संसार में धर्म की हानि होगी, अधर्म की विजय तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लूंगा।

शांति से भी दुखों का अंत हो जाता है और शांत चित्त मनुष्य की बुद्धि शीघ्र ही स्थिर होकर परमात्मा से युक्त हो जाती है।

हमारी आस्था की परीक्षा तब होती है, जब हम जो चाहे वो न मिले और फिर भी हमारे दिल से प्रभु के लिए शुक्रिया ही निकले

लोग अक्सर सच कहने से बचते हैं या डरते हैं, पर सत्य कभी छुप नहीं सकता और न ही कभी मिट सकता है। कितना भी छुपा लें पर सच तो उजागर हो ही जायेगा।

जो बात सच पर आधारित हो उसे करने या कहने और मानने से कभी नहीं डरना चाहियें।

Krishna Quotes In Hindi

कुछ ज्ञानवर्धक krishna quotes in Hindi नीचे दी गई है:

इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना।

धर्म केवल रास्ता दिखाता है।

लेकिन मंजिल तक तो कर्म ही पहुँचाता है।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है। मैं और मेरा की लालसा तथा भावना से मुक्त हो जाता है। उसे शांति प्राप्त होती है।

श्री कृष्ण ने कहा है, अगर तुम्हें किसी ने दुखी किया है तो बुरा मत मानना। लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते है, जिस पेड़ पर ज्यादा मीठे फल होते है।

स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं। और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते।

अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और भगवान से पहले माता पिता को पहचान ले तो जिंदगी में कभी कोई कठिनाई नही आएगी।

जिस मनुष्य ने जवानी में बहुत पाप किए है उसे बुढ़ापे में नींद नहीं आती।  

श्री कृष्ण कहते है कि मनुष्य को अपने मन को बार बार समझाना चाहिए कि ईश्वर के सिवा उसका कोई नहीं है। 

परिवर्तन इस संसार का नियम है, कल जो किसी और का था,

आज वो तुम्हारा हैं, एवं कल वो किसी और का होगा।

विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है। क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है।

जो कुछ हुआ, अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है। जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।

मेरे लिए न कोई घृणित है और न ही कोई प्रिये, न कोई निर्धन है और न ही कोई धनी, बस जो भक्ति भाव के साथ मुझे याद करते हैं मैं उनका हूँ और वो मेरे।

आप वही हैं जिसमें आप विश्वास करते हैं, आप वह बन जाते हैं जो आप मानते हैं कि आप बन सकते हैं।

अगर तुम अपना कल्याण करना चाहते हो, तो सभी तरह के उपदेशों, सभी धर्मों को छोड़ कर मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें मुक्ति प्रदान करुंगा।

जिस इंसान के चारों तरफ नकारात्मक लोग रहते हैं, उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है।

जिंदगी में सब कुछ ख़त्म होना जैसा कुछ भी नही होता, हमेशा एक नही शुरूआत हमारा इन्तजार कर रही होती हैं। 

श्रीमद्भगवद्गीता में कहे गए श्री कृष्ण के अनमोल वचन:

इंद्रियों के अधीन होने से मनुष्य के जीवन में विकार और परेशानियां आती है। 

सुख-दुख का आना-जाना सर्दी-गर्मी के आने-जाने के जैसा ही है। इसलिए इन्हें सहन करना सीखना ही उचित है। 

निर्बलता अवश्य ईश्वर देता है परंतु मर्यादा मनुष्य का मन खुद निर्माण करता है। 

जीवन में वाणी को संयम में रखना अनिवार्य है क्योंकि वाणी से दिए हुए घाव कभी भरे नहीं जा सकते।

मनुष्य उसके लिए शोक करता है जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।।

मैं हमेशा तुम्हारे साथ और तुम्हारे आसपास रहता है चाहे तुम कुछ भी कर रहे हों।

जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा होगा। स्वयं को मुझ पर छोड़ दो अपने कर्म पर ध्यान दो। कर्म ऐसा जो स्वार्थरहित पापरहित हो।

जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, परिवार के साथ रहो। सुख हो तो बढ़ जाता है, और दुख हो तो बट जाता है।

मोहग्रस्त होकर अपने कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है, क्योंकि इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी।

श्रीकृष्ण कहते है कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है। परंतु कुसंगति में पड़ना मनुष्य के अपने ही हाथों में होता है। 

यहाँ महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिए गए 10 अनमोल उपदेशों के बारे में बताया जा रहा है :

कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ़ लेता है, जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ़ लेता है।

मैं सभी जीवों में विद्यमान हूं, मैं चींटी में भी विद्यमान हूं और हाथी में भी विद्यमान हूं। 

मेरे भी कई जन्म हो चुके हैं। तुम्हारे भी कई जन्म हो चुके हैं। ना तो मेरा अंतिम जन्म है और ना यह तुम्हारा अंतिम जन्म है।

व्यक्ति कर्म करने से कभी छुटकारा नहीं पा सकता है। इसलिए तुम्हें हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। क्योंकि कर्म के बिना तुम्हारे शरीर का निर्वाह भी नहीं हो सकता है।

परिवर्तन ही संसार में स्थाई है। इसलिए परिवर्तन से नहीं भयभीत नहीं होना चाहिए।

जो लोग दूसरों की सहायता करते हैं, ईश्वर उनकी सहायता करते हैं।

जब यह संसार ही स्थाई नहीं है, तो इस संसार की कोई वस्तु कैसे स्थाई हो सकती है?

आत्मा शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।

मन शरीर का हिस्सा है। सुख दुख का एहसास करना आत्मा का नहीं शरीर का काम है। मान अपमान लाभ हानि गम और खुशी सब मन का खेल है। 

आशा है आपको Krishna Quotes In Hindi पर आधारित यह ब्लॉग पसंद आया होगा। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 2 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।

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भगवान श्री कृष्ण का संदेश Shri Krishna Story in Hindi

Shri krishna inspirational story in hindi.

श्री कृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके जीवन की हर एक घटना एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है, चाहे बचपन की रास लीला हो या गीता का ज्ञान या फिर महाभारत का युद्ध, भगवान श्री कृष्ण के जीवन का हर एक पल मानव जाति के लिए एक शिक्षा है।

यूँ तो महाभारत की पूरी कथा हम सभी जानते हैं और किताबों में काफी पढ़ भी चुके हैं, इसके आलावा टीवी पर भी अक्सर आप लोग महाभारत देख चुके होंगे। महाभारत के युद्ध की एक घटना है जो मुझे बहुत ज्यादा प्रेरित करती है और मुझे उम्मीद है आप लोग भी इसे काफी एन्जॉय करेंगे और हाँ, कहानी को केवल पढ़ के मत छोड़ देना क्यूंकि इससे मिलने वाला सन्देश आपका जीवन बदल सकता है।

श्री कृष्णा और भीष्म पितामह वार्तालाप –

श्री कृष्ण ने अपनी पूरी सेना दुर्योधन को सौंप दी थी और स्वयं पाण्डवों की तरफ से युद्ध का आगाज कर रहे थे। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से वादा किया था कि वह युद्ध में हथियार नहीं उठाएँगे और निहत्थे ही पाण्डवों को विजयी बनायेंगे।

युद्ध के नौवें दिन कौरवों के सेनापति भीष्म पितामह में चारों तरफ कहर बरपा रखा था। वो अकेले ही पूरी पांडव सेना पर भारी पड़ रहे थे। भीष्म पितामह अपने वचन और प्रतिज्ञा पर अडिग रहने के लिए जाने जाते थे। उनका मानना था कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने की है उसे प्राण देकर भी निभाना है। एक तरफ श्री कृष्ण अपने निहत्थे रहने के वचन से बंधे थे लेकिन वहीं भीष्म पितामह पांडव सेना पर आग उगल रहे थे ऐसा लग रहा था मानो कुछ क्षण में ही भीष्म पांडवों को हरा देंगे।

lord shri krishna mahabharat yuddha

श्री कृष्ण शांति पूर्वक सब कुछ देख रहे थे वो जानते थे कि अर्जुन भीष्म का मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन उन्होंने अर्जुन से वादा किया था कि वह पांडवों को ही विजयी बनाएंगे। वहीँ महाबलशाली भीष्म पांडवों का तहस नहस करने में लगे थे, यही सोचकर श्री कृष्ण ने भीष्म पितामह को रोकने के लिए रथ का पहिया उठा लिया। लेकिन भीष्म जानते थे कि श्री कृष्ण भगवान हैं इसीलिए उन्होने मुस्कुराते हुए अपने धनुष बाण एक ओर रख दिए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए।

भीष्म पितामह – भगवन आपने तो युद्ध में कोई शस्त्र ना उठाने का वादा किया था, और आप तो भगवान हैं आप अपना वादा कैसे तोड़ सकते हैं।

श्री कृष्ण – हे भीष्म, आप तो खुद ज्ञानी हैं। आप कभी अपना वचन या प्रतिज्ञा नहीं तोड़ते इसीलिए आपका नाम भीष्म पड़ा। लेकिन शायद आप नहीं जानते कि धर्म और सत्य की रक्षा करना, आपकी प्रतिज्ञा से ज्यादा बढ़कर है। आप अपनी प्रतिज्ञा और वचन पर अटल हैं लेकिन अपनी प्रतिज्ञा निभाने के चक्कर में अधर्म का साथ दे रहे हैं। याद रहे, जब जब दुनियाँ में धर्म का नाश होगा तब तब मैं इस धरती पर अधर्म का नाश करने अवतरित होता रहूँगा। तुम एक इंसान होकर अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ पाये और अधर्म का साथ दे रहे हो लेकिन मैं भगवान होकर भी धर्म की रक्षा के लिए अपनी प्रतिज्ञा तोड़ रहा हूँ। अगर मेरी किसी प्रतिज्ञा या वचन की वजह से धर्म और सत्य पर कोई आंच आती है तो मेरे लिए वो प्रतिज्ञा कोई मायने नहीं रखती है और मैं धर्म के लिए ऐसी हजारों प्रतिज्ञा तोड़ने के लिए तैयार हूँ। अगर आपके सामने धर्म का नाश हो रहा हो और आप कुछ नहीं कर रहे तो भी आप पाप के भागी हैं|

श्री कृष्ण का ये सन्देश दिल पर बहुत गहरी छाप छोड़ता है। दोस्तों सत्य की रक्षा हमारे हर स्वार्थ, हर वचन और हर मज़बूरी से बढ़ कर है यही इस कहानी की शिक्षा है। – जय श्री कृष्णा

इन लेखों को भी पढ़ें – श्री कृष्ण के मनमोहक चित्र श्रीमद भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित गीता के उपदेश

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श्री कृष्णा जी के 180+ सर्वश्रेष्ठ सुविचार-Shree Krishna Quotes In Hindi

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1. आपका मन अगर आप अपने वश में नहीं करेंगे, तो वो आपके दुश्मन की तरह काम करना शुरू कर देगा।

2. निर्माण केवल पहले से बनी चीजो का नया रूप हैं।

3. केवल किस्मतवाला योद्धा ही स्वर्ग तक पहुँचाने वाला युद्ध लड़ता हैं।

4. इंसान अपने विश्वास की बुनियाद पर उस जैसा बनता चला जाता हैं।

5. आपके साथ अब तक जो हुआ अच्छे के लिए हुआ, आगे जो कुछ होगा अच्छे के लिए होगा, जो हो रहा हैं, वो भी अच्छे के लिए हो रहा हैं, इसलिए हमेशा वर्तमान में जीओ, भविष्य की चिंता मत करो।

6. कोशिश की जाए तो अपने अशांत मन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं।

7. इंसान नहीं उसका मन किसी का दोस्त या दुश्मन होता हैं।

8. जो किसी दुसरो पर शक करता हैं, उसे किसी भी जगह पर खुशी नहीं मिल सकती।

9. अपने जरुरी कार्य करना, बाकी गलत कार्य करने से बेहतर हैं।

10. कर्म ना करने से बेहतर हैं, कैसा भी कर्म करना।

11. आपका निराश ना होना ही परम सुख होता हैं।

12. क्रोध मुर्खता को जन्म देता हैं, अफवाह से अकल का नाश, और अकल से नाश से इंसान का नाश होता हैं।

13. किसी भी काम में आपकी योग्यता को योग कहते हैं।

14. भगवान सभी लोगो मन में बसते हैं, और अपनी माया से उनके मन को जैसा चाहे वैसा घड़े की तरह घड़ते हैं।

15. सही मायने में चोर वो हैं, जो अपने हिस्से का काम किये बिना भोजन करता हैं।

16. कर्म किये जाओ, फल की चिंता मत करो।

17. मन बहुत चंचल हैं, जो इंसान के दिल में उथल-पुथल कर देता हैं।

18. हर कोई खाली हाथ आया था, और खाली हाथ ही इस दुनिया से जाएगा।

19. परिवर्तन संचार का नियम हैं, कल जो किसी और का था आज वो तुम्हारा हैं कल वो किसी और का होगा।

20. आत्मा अमर हैं, इसलिए मरने की चिंता मत करो।

21. मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो।

22. भूत और भविष्य में नही, जीवन तो इस पल में हैं अर्थात वर्तमान का अनुभव ही जीवन हैं।

23. तू करता वही हैं, जो तू चाहता हैं, होता वही है जो मैं चाहता हूँ, तू वही कर जो मैं चाहता हूँ फिर होगा वही, जो तू चाहता हैं।

24. जो मन को नियंत्रित नही करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता हैं।

25. खुशियों में तो सब साथ होते हैं, असली दोस्त वही हैं जो दुःख में साथ दे।

26. सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को कभी भी सुख नही मिल सकता।

27. नर्क के तीन द्वार हैं:वासना, क्रोध और लालच।

28. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वह विश्वास करता हैं, वैसा वह बन जाता हैं।

29. जानने की शक्ति झूठ को सच से पृथक करने वाली जो विवेक बुद्धि हैं, उसी का नाम ज्ञान हैं।

30. परिवर्तन ही संसार का नियम हैं।

31. क्रोध से भ्रम पैदा होता हैं, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती हैं तब तर्क नष्ट हो जाता हैं जब तर्क नष्ट होता हैं तब व्यक्ति का पतन हो जाता हैं।

32. मन अशांत हो तो उसे नियंत्रित करना कठिन हैं लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।

33. तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।

34. खाली हाथ आये हो और खाली हाथ जाना हैं इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़कर व्यक्ति को हमेशा सद्कर्म करना चाहिए।

35. जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखो का कारण हैं।

36. जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ।

37. कवल मन ही किस का मित्र और शत्रु होता है।

38. अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता स बेहतर है।

39. कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।

40. आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है, ना ही इसे जलाया जा सकता है, ना ही पानी से गिला किया जा सकता है, आत्मा अमर और अविनाशी है।

41. मैं किसी के भाग्य का निर्माण नहीं करता और ना ही किसी के कर्मो के फल देता हूँ।

42. व्यक्ति या जीव का कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करता है।

43. आत्मा पुराने शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।

44. इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है।

45. मन शरीर का हिस्सा है, सुख दुख का एहसास करना आत्मा का नहीं शरीर का काम है।

46. मान, अपमान, लाभ-हानि खुश हो जाना या दुखी हो जाना यह सब मन की शरारत है।

47. वर्तमान परिस्थिति में जो तुम्हारा कर्तव्य है, वही तुम्हारा धर्म है।

48. मैं ऊष्मा देता हूँ, मैं वर्षा करता हूँ और रोकता भी हूँ, मैं अमरत्व भी हूँ और मृत्यु भी।

49. मेरे भी कई जन्म हो चुके हैं, तुम्हारे भी कई जन्म हो चुके हैं, ना तो यह मेरा आखिरी जन्म है और ना यह तुम्हारा आखिरी जन्म है।

50. हे अर्जुन अगर तुम अपना कल्याण चाहते हो, तो सभी उपदेशों, सभी धर्मों को छोड़ कर मेरी शरण में आ जाओ, मैं तुम्हें मुक्ति प्रदान करुंगा।

51. मोहग्रस्त होकर अपने कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है, क्योंकि इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही तुम्हारी कीर्ति बढ़ेगी।

52. धर्म युद्ध में कोई भी व्यक्ति निष्पक्ष नहीं रह सकता है। धर्म युद्ध में जो व्यक्ति धर्म के साथ नहीं खड़ा है इसका मतलब है वह अधर्म का साथ दे रहा है, वह अधर्म के साथ खड़ा है।

53. भगवान प्रत्येक वस्तु में, प्रत्येक जीव में मौजूद हैं।

54. मुझे जानने का केवल एक हीं तरीका है, मेरी भक्ति, मुझे बुद्धि द्वारा कोई न जान सकता है, न समझ सकता है।

55. आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना होता है।

56. मैं हीं इस सृष्टि की रचना करता हूँ, मैं हीं इसका पालन-पोषण करता हूँ और मैं हीं इस सृष्टि का विनाश करता हूँ।

57. मैं सभी प्राणियों को जानता हूँ, सभी के भूत, भविष्य और वर्तमान को जानता हूँ. लेकिन मुझे कोई नहीं जानता है।

58. जो मुझे जिस रूप में पूजता है… मैं उसी रूप में उसे उसकी पूजा का फल देता हूँ।

59. जन्म लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है, और मरने वाले व्यक्ति का फिर से जन्म लेना निश्चित है।

60. क्या नींद क्या ख्वाब, आँखे बन्द करू तो, तेरा चेहरा, आंख खोलू तो तेरा ख्याल मेरे कान्हा…

61. रख लूँ नजर मे चेहरा तेरा, दिन रात इसी पे मरती रहूँ.., जब तक ये सांसे चलती रहे, मे तुझसे मोहब्बत करती रहूँ.., !!…मेरे कान्हा मेरी दुनिया..!!

62. मत रख अपने दिल में इतनी नफरते ऐ इंसान, जिस दिल में नफरत हो उस दिल में मेरा श्याम नहीं रहता..

63. बड़ी आस ले कर आया, बरसाने में तुम्हारे कर दो शमा, किशोरी जी अपराध मेरे सारे, सवारू में भी अपना जीवन, श्री राधा नाम जपते जपते…, प्रेम से बोलो श्री राधे..

64. वो दिन कभी न आए, हद से ज्यादा गरूर हो जाये, बस इतना झुका कर रखना, “मेरे कन्हैया”, की हर दिल दुआ देने को मजबूर हो जाये…

65. कैसे लफ्जो मे बयां करूँ खूबसुरती तुम्हारी सुंदरता का झरना भी तुम हो…. मोहब्बत का दरिया भी तुम हो….. मेरे श्याम

66. साँवरे को दिल में बसा कर तो देखो, दुनिया से मन को हटा के देखो, बड़े ही दयालु हैं बाँके बिहारी, एक बार चौखट पे दामन, फैला कर तो देखो….

67. उन्होंने नस देखि हमारी और बीमार लिख दिया… रोग हमने पूछा तो वृंदावन से प्यार लिख दिया… कर्जदार रहेगे उम्र भर हम उस वैद के जिसने दवा में.. “श्री राधे कृष्ण” नाम लिख दिया…

68. इस नये साल मे खुद को भी, एक गिफ्ट देना है साँवरे, जिससे आप की परवाह नही, उसे छोड देना है..

69. जय श्रीराधे राधे! श्रीकृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है! ऐसे श्रीकृष्ण को मेरा, बारम्बार प्रणाम है!

70. मेरे दिल की दीवारों पर श्याम तुम्हारी छवि हो, मेरे नैनो की पलकों में कान्हा तस्वीर तेरी हो, बस और न मांगू तुझसे मेरे गिरधर… तुझे हर पल देखू मेरे कन्हैया ऐसी तकदीर हो मेरी….

71. डूबे ना वो नैया, चाहे तूफान आए या सुनामी, जिसकी नांव का मांझी, खुद है शीश का दानी।

72. जहाँ बेचैन को चैन मिले वो घर तेरा वृन्दावन है, जहां आत्मा को परमात्मा मिले वो दर तेरा वृन्दावन है, मेरी रूह तो प्यासी थी, प्यासी है तेरे लिए सावरिया, जहां इस रूह को जन्नत मिले वो स्थान ही मेरा श्री वृन्दावन है।

73. सुन्दर से भी अधिक सुंदर है तु, लोग तो पत्थर पूजते है, मेरी तो पूजा है तु, पूछे जो मुझसे कौन है तु? हँसकर कहता हुँ, जिंदगी हुँ में और साँस है तु…

74. भाव बिना बाज़ार मै वस्तु मिले न मोल, तो भाव बिना हरी ” कैसे मिले, जो है अनमोल…

75. हे बांके बिहारी… नही रही कोई और हसरत इक तेरे दिदार के सिवा… गौ़रतलब ये है मेरे नूर-ऐ-हरि…. अब हर तमन्ना ने मुझसे किनारा कर लिया… राधे राधे जय श्री कृष्णा ……

76. मेरे कान्हा, जानते हो फिर भी अंजान बनते हों, इस तरह क्यों हमें परेशान करते हों, पुछते हो तुम्हें क्या क्या पंसद है, जबाब खुद हो फिर भी सवाल करते हों… राधे राधे। जय श्री राधे कृष्णा।

77. तुम क्या मिले की साँवरे, मेरा मुकद्दर सवंर गया, उजड़े हुए नसीब का गुलशन निखर गया… जय श्री कृष्णा।

78. अजीब नशा है, अजीब खुमारी है, हमे कोई रोग नहीं बस, जय श्री राधे कृष्णा, राधे कृष्णा बोलने बीमारी है…

79. वृंदावन की हवा, जरा अपना रुख हमारी तरफ भी मोड दे, इस वीरान दिल मे राधा नाम की मस्ती छोड दे… उड़ जाये माया की मिट्टी ओर, दीदार हो सांवरे का, ऐसी प्रीत हमारी राधा नाम से जोड़ दे… जय श्री राधे।

80. गजब के चोर हो कान्हा, चोरी भी करते हो, और दिलो पर राज भी….

81. एक तेरे ख्वाबो का शोक एक तेरी, याद की आदत, तू ही बता साँवरे… सोकर तेरा दीदार करूँ या जाग कर तुझे याद…

82. बैरागी बने तो जग छूटे, सन्यासी बने तो छूटे तन, कान्हा से प्रेम हो जाये, तो छूटे आत्मा के सब बन्धन।

83. शिव भी मैं हूँ, दुर्गा भी मैं हूँ। समस्त ब्रह्माण्ड, समस्त सृष्टि में मैं ही हूँ, मृत्यु भी मैं ही हूँ। सरे देवी-देवता मुझी को जानो। आकाश, पर्वत, वन सब मैं ही हूँ।

84. कोई मुझे दुर्गा रूप में माता समझकर पूजता है, तो कोई मुझे विष्णु मानकर पूजता है।

85. मैं अजन्मा हूँ, मैं नित्य हूँ, न मेरा ओर है.. न छोर।

86. मूलतः मैं निराकार हूँ।लेकिन मेरे भक्त बड़े ही अनोखे और निराले हैं। कोई मेरी मूर्ति बनाकर मुझे अपनी नजरों से देखना चाहता है, तो कोई मुझसे प्रेमी, पुत्र या पिता के रूप में अपने समीप देखना चाहता है। अपने भक्तों के वश में होकर ही मैं भिन्न-भिन्न रूप धरता हूँ।

87. मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है, और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।

88. ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है।

89. सभी अच्छे काम छोड़ कर बस भगवान में पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ। मैं तुम्हे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा। शोक मत करो।

90. किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।

91. मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ, ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ।

92. प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता।

93. मेरी कृपा से कोई सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी बस मेरी शरण में आकर अनंत अविनाशी निवास को प्राप्त करता है।

94. मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।

95. तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं हैं, और फिर भी ज्ञान की बाते करते हो.बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।

96. कभी ऐसा समय नहीं था जब मैं, तुम,या ये राजा-महाराजा अस्तित्व में नहीं थे, ना ही भविष्य में कभी ऐसा होगा कि हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाये।

97. कर्म मुझे बांधता नहीं, क्योंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं।

98. वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

99. बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए बिना आसक्ति के काम करना चाहिए।

100. जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं, उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म। जो भगवान के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति।

101. वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और मैं और मेरा की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांती प्राप्त होती है।

102. मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय। किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वो मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूँ।

103. जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं वे देवताओं का पूजन करें।

104. बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं, और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते।

105. स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है।

106. केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है।

107. मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।

108. ऐसा कुछ भी नहीं, चेतन या अचेतन, जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।

109. वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।

110. वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं।

111. जो दान बिना सत्कार के, कुपात्र को दिया जाता है वह तमस दान कहलाता है।

112. मनुष्य संप्रदाय दो ही तरह के है एक दैवीय सम्प्रदा वाले एक आसुरी सम्प्रदा वाले।

113. दैवीय सम्प्रदा मुक्ति की तरफ और आसुरी सम्प्रदा नार्को की और ले जाने वाली है।

114. मन, वाणी और कर्म से किसी को भी दुःख न देना, प्रिय भाषण, अपना बुरा करने वाले पर भी क्रोध न करना, चित की चंचलता का आभाव,दम्भ, अहंकार, घमंड, क्रोध अज्ञान ये आसुरी सम्प्रदा के लक्षण है।

115. भय का आभाव, अनन्तःकरण की निर्मलता, तत्ज्ञान के लिए ध्यानयोग में स्थिति, दान, गुरुजन की पूजा, पठन पाठन, अपने धर्म के पालन के लिए कष्ट सहना ये दैवीय सम्प्रदा के लक्षण है।

116. शास्त्र, वर्ण, आश्रम की मर्यादा के अनुसार जो काम किया जाता है वह कार्य है और शास्त्र आदि की मर्यादा से विरुद्ध जो काम किया जाता है वह अकार्य है।

117. हे कान्हा जिंदगी लहर थी आप साहिल हुए न जाने कैसे हम आपके काबिल हुए न भूलेंगे हम उस हसीन पल को जब आप हमारी छोटी सी जिंदगी में शामिल हुए।

118. कान्हा तुम मुझे बासुरी बजाना सिखा दो जिस तरह से तुम बासुरी से राधा राधा नाम पुकारते हो उसी तरह मुझे भी बासुरी से कान्हा कान्हा कहना सिखा दो।

119. राधा ने कन्या से पूछा : कोईं अपना तुझे छोड़ कर चला जाये तो क्या करोगे। कन्या ने उत्तर दिया: अपने कभी छोड़ कर नहीं जाते और जो चले जाये है वह अपने नहीं होते।

120. मेरे दिल की दीवारों पर श्याम तेरी छवि हो, मेरे नैनों के दरवाज़े पर कान्हा तेरी तस्वीर हो, बस कुछ और न मांगू तुझसे मेरे मुरलीधर, तूझे हर पल देखूं मेरे कन्हैया ऐसी मेरी तकदीर हो।

121. आज फिर आईना पोछता है के तेरी आँखों में नमी क्यों है, जिसकी चाहत में खुद को भुला दिया, फिर उसकी आँखों में नमी क्यों है।

122. बिना देखे तेरी तस्बीर बना सकते है बिना मिले तेरा हाल बता सकते है हमारे प्यार में इतना दम है तेरे आंसू अपने आँखों में गिरा सकते है।

123. राधे जी का प्यार मुरली की मिठास माखन का स्वाद गोपियन का रास इन से मिल कर बनाता है राधे कृष्णा का प्यार।

124. प्यार तो एक ताज होता है साथी को जिस पर नाज होता है।

125. सावरिया अभी बाकि दिल में बहुत हसरत पर मगर तुम वह अधूरे मुलाकात छोड़ गए।

126. मुरली मनोहर ब्रज के धरोहर, वो नंदलाल गोपाल है बंसी की धुन पर सब दुःख हरनेवाला।

127. कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं।

128. तेरे बिना एक सजा है ये जिंदगी मेरे कान्हा किस्मतवाला बस वो है, जो दीवाना है तेरा कान्हा।

129. पूरी दुनिया मोह-माया में खोई हुई है मेरे कान्हा बस मैं हीं हूँ, जिसे तेरी माया जकड़ न पाई।

130. चारों तरफ फ़ैल रही है इनके प्यार की खुशबू थोड़ी-थोड़ी कितनी प्यारी लग रही है, साँवरे-गोरी की यह जोड़ी।

131. कान्हा तेरे साँवले रंग से जलने लगे हैं लोग तेरे जैसा कोई ढूढ़ नहीं पाए हैं लोग इसलिए तुझे तेरे रंग का उलाहना देने लगे हैं लोग।

132. जब भोर हुई तो मैंने कान्हा का नाम लिया सुबह की पहली किरण ने फिर मुझे उसका पैगाम दिया सारा दिन बस कन्हैया को याद किया जब रात हुई तो फिर मैंने उसे ओढ़ लिया।

133. राधा ने किसी और की तरफ देखा हीं नहीं… जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गई कान्हा के प्यार में पड़कर, वो खुद प्यार की परिभाषा हो गई।

134. राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था दुनिया को प्यार का सही मतलब जो समझाना था। जब कृष्ण ने बंसी बजाई, तो राधा मोहित होने लगी जिसे कभी न देखा था उसने, उससे मिलने को व्याकुल होने लगी।

135. प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे हीं जैसे.. प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है।

136. प्रेम करना हीं है, तो मेरे कान्हा से करो जिसकी विरह में रोने से भी तेरा उद्धार हो जाएगा।

137. हे मन, तू अब कोई तप कर ले एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर ले।

138. जमाने का रंग फिर उस पर नहीं चढ़ता… जिस पर कृष्ण प्रेम का रंग चढ़ जाता है वो सभी को भूल जाता है, जो साँवरे का हो जाता है।

139. कृष्ण की आँखों में राधा हीं राधा नजर आती है, मानो कृष्ण की आँखें, राधा की थाती है।

140. अगर तुमने राधा के कृष्ण के प्रति समर्पण को जान लिया तो तुमने प्यार को सच्चे अर्थों में जान लिया।

141. राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार क्योंकि यही वही वो नाम है जिससे कृष्ण को प्यार।

142. किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें।

143. एक उपहार तभी अलसी और पवित्र है जब वह हृदय से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाये, और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद ना रखता हो।

144. ऐसा कोई नहीं, जिसने भी इस संसार में अच्छा कर्म किया हो और उसका बुरा अंत हुआ है, चाहे इस काल में हो या आने वाले काल में।

145. जो भी मनुष्य अपने जीवन अध्यात्मिक ज्ञान के चरणों के लिए दृढ़ संकल्पों में स्थिर है, वह सामान रूप से संकटों के आक्रमण को सहन कर सकते हैं, और निश्चित रूप से यह व्यक्ति खुशियाँ और मुक्ति पाने का पात्र है।

146. जो खुशियाँ बहुत लम्बे समय के परिश्रम और सिखने से मिलती है, जो दुख से अंत दिलाता है, जो पहले विष के सामान होता है, परन्तु बाद में अमृत के जैसा होता है – इस तरह की खुशियाँ मन की शांति से जागृत होतीं हैं।

147. भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में एकता/सामंजस्य हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने स्वयं/खुद के आत्मा को सही मायने में जानते हों।

148. नरक तिन चीजों से नफरत करता है: वासना, क्रोध और लोभ।

149. आपको कर्म करने का अधिकार है, परन्तु फल पाने का नहीं। आपको इनाम या फल पाने के लिए किसी भी क्रिया में भाग नहीं लेना चाहिए, और ना ही आपको निष्क्रियता के लिए लम्बे समय तक करना चाहिए। इस दुनिया में कार्य करें, अर्जुन, एक ऐसे आदमी जिन्होंने अपने आपको स्वयं सफल बनाया, बिना किसी स्वार्थ के और चाहे सफलता हो या हार हमेशा एक जैसे।

150. सन्निहित आत्मा के अनंत का अस्तित्व है, अविनाशी और अनंत है, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब है, इसलिए हे अर्जुन लड़ते रहो।

151. बुद्दिमान व्यक्ति ना ही जीवित लोगों के लिए शोक मनाते हैं ना ही मृत व्यक्ति के लिए। ऐसा कोई समय नहीं था, जब तुम और मैं और सभी राजा यहाँ एकत्रित हुए हों, पर ना ही अस्तित्व में था और ना ही ऐसा कोई समय होगा जब हम अस्तित्व को समाप्त कर देंगे।

152. अपने कर्म पर अपना दिल लगायें, ना की उसके फल पर।

153. सभी काम धयान से करो, करुणा द्वारा निर्देशित किये हुए।

154. जैसे की एक कवी जनता है, तप स्वार्थी गतिविधियों को छोड़ रहा है, और बुद्धिमान घोषित करता है, त्याग फल के कार्रवाई को छोड़ रहा है।

155. अपने कर्त्तव्य का पालन करना जो की प्रकृति द्वारा निर्धारित किया हुआ हो, वह कोई पाप नहीं है।

156. गर्मी और सर्दी, खुशी और दर्द की भावनाएं, उनकी वस्तुओं के साथ होश से संपर्क के कारण होता है। वे आते हैं और चले जाते हैं, लम्बे समय तक बरक़रार नहीं रहते हैं। आपको उन्हें स्वीकार करना चाहिए।

157. में आत्मा हूँ, जो सभी प्राणियों के हृदय/दिल से बंधा हुआ हूँ। मैं साथ ही शुरुवात हूँ, मध्य हूँ और समाप्त भी हूँ सभी प्राणियों का।

158. सभी वेदों में से मैं साम वेद हूँ, सभी देवों में से मैं इंद्र हूँ, सभी समझ और भावनाओं में से मैं मन हूँ, सभी जीवित प्राणियों में मैं चेतना हूँ।

159. हम जो देखते/निहारते हैं वो हम है, और हम जो हैं हम उसी वस्तु को निहारते हैं। इसलिए जीवन में हमेशा अच्छी और सकारात्मक चीजों को देखें और सोचें।

160. यह तो स्वभाव है जो की आंदोलन का कारण बनता है।

161. वह मैं हूँ, जो सभी प्राणियों के दिल/ह्रदय में उनके नियंत्रण के रूप में बैठा हूँ; और वह मैं हूँ, स्मृति का स्रोत, ज्ञान और युक्तिबाद संबंधी. दोबारा, मैं ही अकेला वेदों को जानने का रास्ता हूँ, मैं ही हूँ जो वेदों का मूल रूप हूँ और वेदों का ज्ञाता हूँ।

162. बुद्धिमान अपनी चेतना को एकजुट करना चाहिए और फल के लिए इच्छा/लगाव छोड़ देना चाहिए।

163. आपका अपने ड्यूटी पर नियंत्रण है, परन्तु किसी परिणाम पर दावा करने का नियंत्रण नहीं। असफलता के डर से, किसी कार्य के फल से भावनात्मक रूप से जुड़े रहना, सफलता के लिए सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि यह लगातार कार्यकुशलता को परेशान कर के धैर्य को लूटता है।

164. इन्द्रियों की दुनिया में कल्पना सुखों की एक शुरुवात है और अंत भी जो दुख को जन्म देता है, हे अर्जुन।

165. मेरे प्रिय अर्जुन, केवल अविभाजित भक्ति सेवा को में समझता हूँ, मैं आपसे पहले खड़ा हूँ, और इस प्रकार सीधे देख सकता हूँ। केवल इस तरह से ही आप मेरे मन के रहस्यों तक पहुँच सकते हो।

166. हजारों लोगों में से, कोई एक ही पूर्ण रूप से कोशिश/प्रयास कर सकता है, और वो जो पूर्णता पाने में सफल हो जाता है, मुश्किल से ही उनमे से कोई एक सच्चे मन से मुझे जनता हैं।

167. स्वार्थ से भरा हुआ कार्य इस दुनिया को कैद में रख देगा। अपने जीवन से स्वार्थ को दूर रखें, बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के।

168. एक योगी, तपस्वी से बड़ा है, एक अनुभववादी और एक कार्य के फल की चिंता करने वाले व्यक्ति से भी अधिक. इसलिए, हे अर्जुन, सभी परिस्तिथियों में योगी बनो।

169. भले ही सबसे बड़ा पापी दिल से मेरी पूजा/तपस्या करे, वह अपने सही इच्छा की वजह से सही होता है। वह जल्द ही शुद्ध हो जाते हैं और चिरस्तायी/अनंत शांति प्राप्त करते हैं। इन शब्दों में मेरी प्रतिज्ञा है, जो मुझे प्रेम/प्यार करते हैं, वह कभी नष्ट नहीं होते।

170. मैं समय हूँ, सबका नाशक, मैं आया हूँ दुनिया को उपभोग करने के किये।

171. एक जीवित इकाई/रहने वाले मनुष्यों, के संकट का कारण होता है भगवान/परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को भुला देना।

172. क्योंकि भौतिकवादी श्री कृष्ण के अध्यात्मिक बातों को समझ नहीं सकते हैं, उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे शारीरिक बातों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें और देखने की कोशिश करें की कैसे श्री कृष्ण अपने शारीरिक अभ्यावेदन से प्रकट होते हैं।

173. वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन दरवाजे हैं।

174. क्रोध से पूरा भ्रम पैदा होता है, और भ्रम से चेतना में घबराहट। अगर चेतना ही घबराया हुआ है, तो बुद्धि तो घटेगी ही, और जब बुद्धि में कमी आएगी तो एक के बाद एक गहरे खाई में जीवन डूबती नज़र आएगी।

175. आदमी/मनुष्य के लिए मन बंधन का कारण है और मन मुक्ति का कारण भी है। मन वस्तुओं की भावना में लीन रहे तो बंधन का कारण है, और अगर मन वस्तुओं की भावना से अलग रहे तो वह मुक्ति का कारण है।

176. ऐसा कोई समय नहीं था जब मेरा अस्तित्व ना हो, ना तुम, ना ही इनमे से कोई राजा। और ऐसा ना ही कोई भविष्य है जहाँ हमें कोई रोक सके।

177. वह जो अपने भीतर अपने स्वयं से खुश रहता है, जिसके मनुष्य जीवन एक आत्मज्ञान है, और जो अपने खुद से संतुष्ट हैं, पूरी तरीके से तृप्त है – उसके लिए जीवन में कोई कर्म नहीं हैं।

178. अपनी इच्छा शक्ति के माध्यम से अपने आपको नयी आकृति प्रदान करें। कभी भी स्वयं को अपन आत्म इच्छा से अपमानित न करें। इच्छा एक मात्र मित्र/दोस्त होता है स्वयं का, और इच्छा ही एक मात्र शत्रु है स्वयं का।

179. देवत्व का परम व्यक्तित्व कहता है: यह सिर्फ वासना ही है, अर्जुन, जिसका जन्म चीजों के जुनून के साथ संपर्क होने के लिए हुआ है और बाद में यह क्रोध में तब्दील हो जाता है, और जो सभी इस दुनिया के भक्षण पापी दुश्मन है।

180. हमारी गलती अंतिम वास्तविकता के लिए यह ले जा रहा है, जैसे सपने देखने वाला यह सोचता है की उसके सपने के अलावा और कुछ भी सत्य नहीं है।

181. हम कभी वास्तव में दुनिया की मुठभेड़ में घुसते, हम बस अनुभव करते हैं अपने तंत्रिता तंत्र को।

182. जन्म के समय में आप क्या लाए थे जो अब खो दिया है? आप ने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया है? जब आप पैदा हुए थे, तब आप कुछ भी साथ नहीं लाए थे। आपके पास जो कुछ भी है, आप को इस धरती पर भगवान से ही प्राप्त हुआ है। आप इस धरती पर जो भी दोगे, तुम भगवान को ही दोगे। हर कोई खाली हाथ इस दुनिया में आया था और खाली हाथ ही उसी रास्ते पर चलना होगा। सब कुछ केवल भगवान के अंतर्गत आता है।

183. मेरे लिए न कोई ग्रहणीत है न प्रिय, किन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते है, वो मेरे साथ है और मैं भी उनके साथ हूँ।

184. वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और मै और मेरे की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है।

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कृष्ण भगवान के प्रेरणादायक विचार | Krishna bhagwan quotes in hindi

नमस्कार, इस लेख में कृष्ण भगवान के अनमोल विचार दिए है. इन्हें पढने बाद के आपके जीवन से निराशा दूर भाग जाएगी. तथा आपको सफलता की राह पर चलने के लिए हौसला मिलेगा. आप सभी जानते है की कृष्ण भगवान के विचारों से पूरा संसार प्रेरित होता है. उनके नाम मात्र से मन में प्रसंता उत्पन होती है. इसलिए अगर आपने इन अनमोल विचारों को आत्मसात कर लिया. तो सफलता जीवनभर आपका साथ नहीं छोड़ेगी. तो चलिए पढ़ते है. krishna bhagwan quotes in hindi

यह भी पढे – श्री कृष्ण सहस्त्रनाम

krishna bhagwan quotes in hindi

  • भगवान श्री कृष्ण कहते है; मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है. जैसा वो विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है.

अर्थ: आपका खुद के बारे में जैसा विश्वास होता है. आप सच में वैसे ही बन जाते है. अगर आप खुदको यह विश्वास दिलाते रहे की “ मैं हार चुका हूँ ” तो हाँ आप का विश्वास सही है. आप मैदान से चले जाओगे. लेकिन अगर आप खुद से कहो गे के की नहीं मैं अभी हारा नहीं मानूंगा. तो आप एक बार और कोशिश करोगे. इस तरह एक दिन सफलता खुद आपको खोजते हुए आयेगी.

2.  श्री कृष्ण कहते है; “मन अशांत हैं और उसे नियंत्रित करना कठीण हैं, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं.

अर्थ : मनुष्य का मन चंचल होता है. हर बार भावनाओं में बहकर विविध विचारों के पीछे भटक जाता है. जिसमे अच्छे ,बुरे, और बेमतलब हर तरह के विचारों का समावेश होता है.

इसी वहज से मूल लक्ष्य से मनुष्य का ध्यान विचलित हो जाता है. पर अगर हम प्रयास करें. तो मन को लगातार आज्ञा देकर एकाग्र किया जा सकता है.

3. श्री कृष्ण कहते है; हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है.

अर्थ: हर इंसान का विश्वास उसके स्वभाव के अनुरूप ही मजबूत या कमजोर होता है. क्योंकि जीवन की हर परिस्थिति में हम कैसी प्रतिक्रिया देते है. यह हमारा स्वभाव निश्चित करता है.

भगवान कृष्ण ये भी कहते है की हर मनुष्य का स्वभाव उसके गुण से आता है और गुण प्रकृति से आता है.इसलिए हमे किसी के स्वभाव को लेकर कभी परेशान नहीं रहना चाहिए.

4. कृष्ण भगवान कहते है: प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता.

अर्थ : एक बुद्धिमान व्यक्ति किसी से मदत मिलने की उमीद में समय व्यर्थ नहीं करता. वह भगवान कृष्ण पर भरोसा रखकर अपना रास्ता खुद खोजता है.

5. कृष्ण कहते है : जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.

अर्थ : अगर किसी के मन में कोई बुरा खयाल बार-बार आ रहा है. और वह उस खयाल को रोकने या उसकी जगह दूसरा खयाल लाने की कोशिश न करें. तो वह खयाल उसे बुरी तरह से विचलित कर सकता है.

उदाहरण:  बोर्ड परीक्षा में जाते वक़्त. विद्यार्थियों को. यह विचार सताता है की.कही एग्जाम हॉल में जाकर “मै सब कुछ भूल न जाऊ और बहुत बार यह सच भी होता है. इसलिए बुरे खयाल आते है. उन्हें श्री कृष्ण भगवान का नाम लेकर उन्हें बदल देना चहिए.

6. कृष्ण भगवान कहते है: उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था और ना कभी होगा. जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.

अर्थ: इंसान उस बुरी घटना की कल्पना करके चिंता करता रहता है. जो कभी घटि ही नहीं. इसलिये उस डर को आपकी कल्पना से इसी वक़्त हटा दो. जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. और भगवान श्री कृष्ण को याद कर के अपने जीवन के नित्य कर्म में लीन हो जाओ.

7. श्री कृष्ण भगवान कहते है: निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है.

अर्थ: इसका अर्थ यह होता है की इस ब्रम्हांड में जीव सृष्टि के लिए. सभी जीवन आवश्यक चीजे मौजूद है. हमे सर्फ उन चीजो को खोजना है. इसलिए विज्ञान और वैज्ञानिक कहते है.

हमने “खोज या आविष्कार” किया क्योंकि इसका निर्माण सृष्टि के निर्माता श्री कृष्ण ने पहले से कर के रखा है.

8. श्री कृष्ण भगवान कहते है : व्यक्ति जो चाहे बन सकता है. यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.

अर्थ :आप जो चाहे वो बन सकते है. पर इसके लिए आपको उस लक्ष्य पर लगातार ध्यान लगाना होगा. यानिकी बाकि सारे खयाल मन से हटाकर  सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा. भगवान श्री कृष्ण के बताये हुए. इसी महान विचार की बदौलत इस दुनिया में सफल हस्तियों की रचना हुए है.

9. श्री कृष्ण कहते है : मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं.

अर्थ: इसका अर्थ बिलकुल सरल है.  महाभारत में पांडव भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करते थे और सिर्फ उनका साथ चाहते थे. और उन्हें वो मिला भी. कृष्ण भगवान महाभारत का युद्ध जितने तक उनके साथ उनके मार्गदर्शक बनकर रहे है.

10. श्री कृष्ण भगवान कहते है: भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी.

अर्थ: आप जिस भी कार्य को पुरे विश्वास और लगन के साथ मन लगाकर करते है. उसमे भगवान श्री कृष्ण का निवास होता है. वो कभी विफल नहीं होता. और इस संसार के कण कण में ईश्वर बसते है. वही शुरुआत है वही मध्य है और वही अंत है.

11. देवकी नंदन कहते है: सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और.

अर्थ :  कुछ लोगो की ये आदत होती है. वे हेमशा किसी इंसान या किसी कार्य के प्रति संदेहजनक रहते है. उदाहरण: एक पति का अपनी पत्नी पर हेमशा संदेह करना की किसी दुसरे पराये पुरुष के साथ उसके कोई सम्बन्ध तो नहीं. ऐसा संदेह रखने वाला पुरुष मनसे हमेशा विचलित रहता है. यही बात महिलाओं पर भी सामान लागु होती है.

12. श्री कृष्ण भगवान कहते है: क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.

अर्थ : जब इंसान क्रोधित हो जाता है. तो उसकी बुद्धि पर उसका नियंत्रण नहीं रहता. अछे बुरे की पहचान करना, भविष्य में परिणाम क्या होगा. इन सब बातो का उसे ध्यान नहीं रहता. वो बस अपने क्रोध की अग्नि शांत करना चाहता है. और उसी समय मनुष्य अपने जीवन में गलती कर बैठता है.

13. श्री कृष्ण कहते है: मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है.

अर्थ: आपके मन में उत्पन होने वाली हर सकरात्मक भावना और उससे जन्म लेने वाले विचार और जीवन अंत तक चलने वाली सांसे. इन सभी में कृष्ण बसते है. वह हर समय हमारे साथ है. हम खुद उसी ईश्वर का एक अंश है. हां हम सब श्री कृष्ण का अंश है.

14. कृष्ण भगवान कहते है: अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कर्म करना निष्क्रियता से बेहतर है.

अर्थ: इंसान ने हमेशा उसके अनिवार्य कार्य को सबसे पहले पूरा करना चाहिए. मतलब हम जिस परिवार का हिस्सा होते है. उसके प्रति हमारे कुछ कर्तव्य होते है. परिवार की कुछ जरूरते होती है. हमे सबसे पहले उनका ध्यान रखना चाहिए. हमारे परिवार की सेवा करते हुए. भी हम भगवान कृष्ण कि सेवा करते है.

15. श्री कृष्ण कहते है: नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच.

अर्थ: मनुष्य अपने जीवन की खुशी और दुःख के लिए खुद जिम्मेदार होता है. वासना क्रोध और लालच इन्ही से इस दुनिया में पाप की निर्मिती होती है. इसलिए अपने मन को सदा नियंत्रण में रखो.

16. श्री कृष्ण भगवान कहते है: जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है. जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो.

अर्थ: जन्म और मृत्यु एक शाश्वत सत्य है. जिनसे धरती पर मानव अवतार लेकर आने वाले भगवान भी नहीं चुकाते. इसलिए किसी भी “नश्वर” के लिए हद से ज्यादा दुखी मत रहना.

17. श्री कृष्ण भगवान कहते है: जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो बस इस पल में है, केवल इस पल में.

अर्थ: मनुष्य ने न तो भविष्य की चिंता करनी चाहिए और न तो अतीत को याद करके खुद को कोसना चाहिए. बस इस पल को जीना और  यादगार बनाना चाहिए. यही मनुष्य जीवन है.

18. श्री कृष्ण कहते है:  बुराई तो तुम्हें हजारों की भीड़ में भी तुम्हे ढूंढ लेती है. ठीक उसी प्रकार जैसे गायों की झुंड में बछडा अपनी मां को ढूंढ लेता है.

अर्थ : बुरे कर्म करने वाले इंसान को अपने कर्मो की सजा इसी जन्म में भुगतनी पड़ती है. कोइ भी अपने किये पापा कर्मो से मुंह नहीं मोड़ सकता .

नमस्कार दोस्तों krishna bhagwan quotes in hindi पोस्ट पढने के लिये धन्यवाद. इसी पोस्ट के नीचे कृष्ण भगवान के महत्वपूर्ण लेख दिये गये है. उसे भी जरूर पढे.

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sandeep auther

नमस्कार दोस्तों मै हूँ संदीप पाटिल. मै इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ. मैने बाणिज्य विभाग से उपाधि ली है. मुझे नई नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाना बहुत पसंद है. हमारे इस ब्लॉग पर शेयर बाजार, मनोरंजक, शैक्षिक,अध्यात्मिक ,और जानकारीपूर्ण लेख प्रकशित किये जाते है. अगर आप चाहते हो की आपका भी कोई लेख इस ब्लॉग पर प्रकशित हो. तो आप उसे मुझे [email protected] इस  email id पर भेज सकते है.

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