भारतीय संस्कृति पर निबंध 10 lines (Indian Culture Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

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Indian Culture Essay in Hindi –  भारत अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह कई अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं वाला देश है। इस देश में विश्व की प्राचीन सभ्यताएं पाई जा सकती हैं। Indian Culture Essay अच्छे शिष्टाचार, शिष्टाचार, सभ्य संवाद, रीति-रिवाज, विश्वास, मूल्य आदि भारतीय संस्कृति के आवश्यक तत्व हैं। भारत एक विशेष देश है क्योंकि इसके नागरिक कई संस्कृतियों और परंपराओं के साथ सद्भाव से एक साथ रहने की क्षमता रखते हैं। यहां ‘भारतीय संस्कृति’ पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

भारतीय संस्कृति पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines On ‘Indian Culture in Hindi)

  • किसी भी देश की संस्कृति उसकी सामाजिक संरचना, विश्वासों, मूल्यों, धार्मिक भावनाओं और मूल दर्शन को प्रदर्शित करती है।
  • भारत एक सांस्कृतिक रूप से विविध राष्ट्र है जहां हर समुदाय सौहार्दपूर्वक रहता है।
  • संस्कृति में अंतर बोली, पहनावे और धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं में परिलक्षित होता है।
  • भारत की विविधता दुनिया भर में जानी जाती है।
  • ये संस्कृतियां और परंपराएं भारत के गौरवशाली अतीत को उजागर करती हैं।
  • संगीत, नृत्य, भाषा आदि सहित हर क्षेत्र में भारत का एक अलग सांस्कृतिक दृष्टिकोण है।
  • भारत की संस्कृति और परंपराएं मानवता, सहिष्णुता, एकता और सामाजिक बंधन को दर्शाती हैं।
  • परंपरागत रूप से, हम नमस्कार, नमस्कारम, आदि कहकर लोगों का अभिवादन करते हैं।
  • देश के कई क्षेत्रों में युवा पीढ़ी सम्मान दिखाने के लिए बड़ों के पैर छूती है।
  • भारत की खान-पान की आदतों में सांस्कृतिक और पारंपरिक विविधताएं भी देखी जा सकती हैं।

भारतीय संस्कृति पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत की संस्कृति दुनिया में सबसे पुरानी है और 5,000 साल से भी पुरानी है। दुनिया की पहली और सबसे बड़ी संस्कृति भारत की ही मानी जाती है। वाक्यांश “विविधता में एकता” भारत को एक विविध राष्ट्र के रूप में संदर्भित करता है जहां कई धर्मों के लोग अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों को बनाए रखते हुए सह-अस्तित्व रखते हैं। अलग-अलग धर्मों के लोगों की अलग-अलग भाषाएं, पाक रीति-रिवाज, समारोह आदि हैं और फिर भी वे सभी सद्भाव में रहते हैं।

हिन्दी भारत की राजभाषा है। हालाँकि, देश की लगभग 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं के अलावा, भारत के कई राज्यों और क्षेत्रों में नियमित रूप से 400 अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। इतिहास ने भारत को एक ऐसे देश के रूप में स्थापित किया है जहां बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म जैसे धर्म सबसे पहले उभरे।

भारतीय संस्कृति पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत विविध संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का देश है। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसके लंबे इतिहास और देश में हुए विभिन्न आक्रमणों और बस्तियों का परिणाम है। भारतीय संस्कृति विभिन्न रीति-रिवाजों और परंपराओं का एक पिघलने वाला बर्तन है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है।

धर्म | भारतीय संस्कृति में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में प्रचलित प्रमुख धर्म हिंदू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म हैं। प्रत्येक धर्म की अपनी मान्यताएं, रीति-रिवाज और प्रथाएं होती हैं। हिंदू धर्म, भारत का सबसे पुराना धर्म, प्रमुख धर्म है और इसमें देवी-देवताओं की एक विशाल श्रृंखला है। इस्लाम, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म भी व्यापक रूप से प्रचलित हैं और देश में उनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं।

खाना | भारतीय व्यंजन अपने विविध प्रकार के स्वादों और मसालों के लिए जाने जाते हैं। भारत में प्रत्येक क्षेत्र की खाना पकाने की अपनी अनूठी शैली और विशिष्ट व्यंजन हैं। भारतीय व्यंजन मसालों, जड़ी-बूटियों और विभिन्न प्रकार की खाना पकाने की तकनीकों के उपयोग के लिए जाने जाते हैं। कुछ सबसे प्रसिद्ध भारतीय व्यंजनों में बिरयानी, करी, तंदूरी चिकन और दाल मखनी शामिल हैं। भारतीय व्यंजन अपने स्ट्रीट फूड के लिए भी प्रसिद्ध है, जो कि भारतीय भोजन के विविध प्रकार के स्वादों का अनुभव करने का एक लोकप्रिय और किफायती तरीका है।

भारतीय संस्कृति पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत समृद्ध संस्कृति और विरासत का देश है जहां लोगों में मानवता, सहिष्णुता, एकता, धर्मनिरपेक्षता, मजबूत सामाजिक बंधन और अन्य अच्छे गुण हैं। अन्य धर्मों के लोगों द्वारा बहुत सारी आक्रामक गतिविधियों के बावजूद, भारतीय हमेशा अपने सौम्य और सौम्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने सिद्धांतों और आदर्शों में बिना किसी बदलाव के भारतीय लोगों की देखभाल और शांत स्वभाव के लिए हमेशा प्रशंसा की जाती है। भारत महान महापुरूषों का देश है जहां महान लोगों ने जन्म लिया और ढेर सारे सामाजिक कार्य किए। वे अभी भी हमारे लिए प्रेरक व्यक्तित्व हैं।

भारत वह भूमि है जहां महात्मा गांधी ने जन्म लिया और अहिंसा की एक महान संस्कृति दी। वह हमेशा हमें दूसरों से लड़ने के लिए नहीं कहते थे। इसके बजाय, यदि आप वास्तव में किसी चीज़ में बदलाव लाना चाहते हैं, तो उनसे विनम्रता से बात करें। उन्होंने हमें बताया कि इस धरती पर सभी लोग प्यार, सम्मान, देखभाल और सम्मान के भूखे हैं; यदि आप उन्हें सब कुछ देते हैं, तो वे निश्चित रूप से आपका अनुसरण करेंगे।

गांधी जी हमेशा अहिंसा में विश्वास करते थे और वास्तव में वे एक दिन ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने में सफल हुए। उन्होंने भारतीयों से कहा कि वे अपनी एकता और सज्जनता की शक्ति दिखाएं और फिर बदलाव देखें। भारत पुरुषों और महिलाओं, जातियों और धर्मों आदि का अलग-अलग देश नहीं है। हालाँकि, यह एकता का देश है जहाँ सभी जातियों और पंथों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं।

भारत में लोग आधुनिक हैं और आधुनिक युग के अनुसार सभी परिवर्तनों का पालन करते हैं; हालाँकि, वे अभी भी अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संपर्क में हैं। भारत एक आध्यात्मिक देश है जहाँ लोग आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं। यहां के लोग योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में विश्वास करते हैं। भारत की सामाजिक व्यवस्था महान है; लोग अभी भी एक बड़े संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा, चाची, चाचा, ताऊ, चचेरे भाई, भाई, बहन आदि के साथ रहते हैं। इसलिए, यहां के लोग जन्म से ही अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में सीखते हैं।

भारतीय संस्कृति पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Indian Culture in Hindi)

भारत एक समृद्ध संस्कृति का दावा करने वाला देश है। भारत की संस्कृति छोटी अनूठी संस्कृतियों के संग्रह को संदर्भित करती है। भारत की संस्कृति में भारत में कपड़े, त्योहार, भाषाएं, धर्म, संगीत, नृत्य, वास्तुकला, भोजन और कला शामिल हैं। सबसे उल्लेखनीय, भारतीय संस्कृति अपने पूरे इतिहास में कई विदेशी संस्कृतियों से प्रभावित रही है। साथ ही, भारत की संस्कृति का इतिहास कई सहस्राब्दी पुराना है।

भारतीय संस्कृति के घटक

सबसे पहले, भारतीय मूल के धर्म हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं। ये सभी धर्म कर्म और धर्म पर आधारित हैं। इसके अलावा, इन चारों को भारतीय धर्म कहा जाता है। भारतीय धर्म अब्राहमिक धर्मों के साथ-साथ विश्व धर्मों की एक प्रमुख श्रेणी है।

साथ ही भारत में भी कई विदेशी धर्म मौजूद हैं। इन विदेशी धर्मों में अब्राहमिक धर्म भी शामिल हैं। भारत में अब्राहमिक धर्म निश्चित रूप से यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम हैं। इब्राहीमी धर्मों के अलावा, पारसी धर्म और बहाई धर्म अन्य विदेशी धर्म हैं जो भारत में मौजूद हैं। नतीजतन, इतने सारे विविध धर्मों की उपस्थिति ने भारतीय संस्कृति में सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को जन्म दिया है।

संयुक्त परिवार प्रणाली भारतीय संस्कृति की प्रचलित व्यवस्था है। सबसे उल्लेखनीय, परिवार के सदस्यों में माता-पिता, बच्चे, बच्चों के जीवनसाथी और संतान शामिल हैं। परिवार के ये सभी सदस्य एक साथ रहते हैं। इसके अलावा, सबसे बड़ा पुरुष सदस्य परिवार का मुखिया होता है।

भारतीय संस्कृति में अरेंज मैरिज का चलन है। संभवत: अधिकांश भारतीयों की शादियां उनके माता-पिता द्वारा नियोजित होती हैं। लगभग सभी भारतीय शादियों में दुल्हन का परिवार दूल्हे को दहेज देता है। भारतीय संस्कृति में विवाह निश्चित रूप से उत्सव का अवसर होता है। भारतीय शादियों में हड़ताली सजावट, कपड़े, संगीत, नृत्य, अनुष्ठानों की भागीदारी होती है। सबसे उल्लेखनीय, भारत में तलाक की दर बहुत कम है।

भारत बड़ी संख्या में त्योहार मनाता है। बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक भारतीय समाज के कारण ये त्यौहार बहुत विविध हैं। भारतीय उत्सव के अवसरों को बहुत महत्व देते हैं। इन सबसे ऊपर, मतभेदों के बावजूद पूरा देश उत्सव में शामिल होता है।

विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक भारतीय भोजन, कला, संगीत, खेल , कपड़े और वास्तुकला में काफी भिन्नता है। ये घटक विभिन्न कारकों से प्रभावित होते हैं। इन सबसे ऊपर, ये कारक भूगोल, जलवायु, संस्कृति और ग्रामीण/शहरी सेटिंग हैं।

भारतीय संस्कृति की धारणा

भारतीय संस्कृति अनेक लेखकों की प्रेरणा रही है। भारत निश्चित रूप से दुनिया भर में एकता का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से बहुत जटिल है। इसके अलावा, भारतीय पहचान की अवधारणा में कुछ कठिनाइयाँ हैं। हालाँकि, इसके बावजूद, एक विशिष्ट भारतीय संस्कृति मौजूद है। इस विशिष्ट भारतीय संस्कृति का निर्माण कुछ आंतरिक शक्तियों का परिणाम है। इन सबसे ऊपर, ये ताकतें एक मजबूत संविधान, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, धर्मनिरपेक्ष नीति, लचीला संघीय ढांचा आदि हैं।

भारतीय संस्कृति एक सख्त सामाजिक पदानुक्रम की विशेषता है। इसके अलावा, भारतीय बच्चों को कम उम्र से ही समाज में उनकी भूमिका और स्थान के बारे में सिखाया जाता है। शायद, कई भारतीय मानते हैं कि उनके जीवन को निर्धारित करने में देवताओं और आत्माओं की भूमिका होती है। इससे पहले, पारंपरिक हिंदुओं को प्रदूषणकारी और गैर-प्रदूषणकारी व्यवसायों में विभाजित किया गया था। अब यह अंतर कम हो रहा है।

भारतीय संस्कृति निश्चित रूप से बहुत विविध है। इसके अलावा, भारतीय बच्चे मतभेदों को सीखते और आत्मसात करते हैं। हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में भारी परिवर्तन हुए हैं। इन सबसे ऊपर, ये परिवर्तन महिला सशक्तिकरण, पश्चिमीकरण, अंधविश्वास में गिरावट, उच्च साक्षरता, बेहतर शिक्षा आदि हैं।

इसे योग करने के लिए, भारत की संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है। इन सबसे ऊपर, कई भारतीय तेजी से पश्चिमीकरण के बावजूद पारंपरिक भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं। भारतीयों ने अपने बीच विविधता के बावजूद मजबूत एकता का प्रदर्शन किया है। अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति का परम मंत्र है।

भारतीय संस्कृति पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 भारतीय धर्म कौन से हैं.

A1 भारतीय धर्म धर्म की एक प्रमुख श्रेणी का उल्लेख करते हैं। सबसे उल्लेखनीय, इन धर्मों की उत्पत्ति भारत में हुई है। इसके अलावा, प्रमुख भारतीय धर्म हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं।

Q2 हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में क्या परिवर्तन हुए हैं?

A2 निश्चित रूप से हाल के दशकों में भारतीय संस्कृति में कई परिवर्तन हुए हैं। इन सबसे ऊपर, ये परिवर्तन महिला सशक्तिकरण, पश्चिमीकरण, अंधविश्वास में गिरावट, उच्च साक्षरता, बेहतर शिक्षा आदि हैं।

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भारतीय संस्कृति पर निबंध – Essay on Indian Culture in Hindi

Essay on Indian Culture in Hindi

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन एवं महान संस्कृति है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। भारतीय संस्कृति सार्वधिक संपन्न और समृद्ध है और अनेकता में एकता ही इसकी मूल पहचान है।

भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां एक से ज्यादा जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, पंथ आदि के लोग मिलजुल कर रहते हैं और सभी अपनी-अपनी परंपरा और रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

भारत संस्कृति का विज्ञान, राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के क्षेत्रों में हमेशा ही एक अलग स्थान रहा है। भारतीय संस्कृति में मानवीय मूल्यों, नैतिक मूल्यों, शिष्टाचार, आदर, गुरुओं का सम्मान, अतिथियों का सम्मान, राजनीति, दर्शन, धर्म, समाज, परंपराएं, रीति-रिवाज, सौंदर्य़ बोध, आध्यात्मिकता, आदि का बेहद खूबसूरत तरीके से समावेश किया गया है।

भारतीय संस्कृति के महत्व को आज की पीढ़ी को समझाने के लिए कई बार स्कूल-कॉलेजों में आयोजित परीक्षाएं अथवा निबंध लेखन प्रतियोगताओं में भारतीय संस्कृति के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में भारतीय संस्कृति पर हैडिंग के साथ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Essay on Indian Culture in Hindi

प्रस्तावना –

भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, पंथ, लिंग के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद भी आज अपने नैतिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए हुए है।

प्रेम, धर्म, राजनीति, दर्शन, भाईचारा, सम्मान, आदर, परोपकार, भलाई, मानवीयता, आदि भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं हैं। भारत में रहने वाले सभी लोग सभी अपनी संस्कृति का आदर करते हैं और इसकी गरिमा को बनाए रखने में अपना सहयोग करते हैं।

संस्कृति की परिभाषा एवं संस्कृति शब्द का अर्थ – Meaning of Culture

किसी देश, जाति, समुदाय आदि की पहचान उसकी संस्कृति से ही होती है। संस्कृति, देश के सभी जाति, धर्म, समुदाय को उसके संस्कारों का बोध करवाती है।

जिससे उन्हें अपने जीवन के आदर्शों और नैतिक मूल्यों पर चलने की प्रेरणा मिलती है और अच्छी भावनाओं का विकास होता है। विरासत में मिले विचार, कला, शिल्प, वस्तु आदि ही किसी देश की मूल संस्कृति कहलती है।

संस्कृति शब्द का मुख्य रुप से संस्कार से बना हुआ है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सुधारने अथवा शुद्धि करने वाली या फिर परिष्कार करने वाली। वहीं चार वेदो में से एक यजुर्वेद में संस्कृति को सृष्टि माना गया है, जो समस्त विश्व में वरण करने योग्य होती है।

जीवन को सम्पन्न करने के लिए मूल्यों, मान्यताओं एवं स्थापनाओं का समूह ही संस्कृति कहलाता है, सीधे शब्दों में संस्कृति का सीधा संबंध मनुष्य के जीवन के मूल्यों से होता है।

सभ्यता एवं संस्कृति:

सभ्यता और संस्कृति को भले ही आज एक-दूसरे का पर्याय कहा जाता हो, लेकिन दोनों एक-दूसरे से काफी अलग-अलग होती हैं। सभ्यता का सबंध मानव जीवन के बाहरी ढंग अथवा भौतिक विकास से होता है, जैसे उसका रहन-सहन, खान-पान, भाषा आदि। संस्कृति का सीधा अभिप्राय मनुष्य की सोच, चिंतन, अध्यात्म, विचारधारा आदि से होता है।

संस्कृति का क्षेत्र काफी व्यापक और गहन होता है। इसके तहत आन्तरिक गुण जैसे विन्रमता, सुशीलता, सहानुभूति, सहृदयता, एवं सज्जनता आदि आते हैं जो इसके मूल्य व आदर्श होते हैं।

हालांकि, सभ्यता एवं संस्कृति का आपस में काफी घनिष्ठ संबंध होता है, क्योंकि मनुष्य अपने विचारों से ही किसी वस्तु को बनाता है।

विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति:

भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है, लेकिन आधुनिकता और पाश्चात्य शैली अपनाने के बाबजूद आज भी भारतीय संस्कृति ने अपने मूल्यों और सांस्कृतिक विरासत को बना कर रखा है।

इतिहासकारों के मुताबिक भारतीय संस्कृति के सबसे प्राचीनतम होने का प्रमाण मध्यप्रदेश के भीमबेटका में मिले शैलचित्र एवं नृवंशीय व पुरातत्वीय अवशेषों और नर्मदा घाटी में की गई खुदाई से सिद्ध हुआ है।

इसके अलावा सिंधु घाटी की सभ्यता में किए गए कुछ उल्लेखों से यह ज्ञात होता है कि आज से करीब 5 हजार साल पहले भारतीय संस्कृति का उदगम हो चुका था। यह नहीं वेदों में भारतीय संस्कृति का उल्लेख भी इसकी प्राचीनता का एक बड़ा प्रमाण है।

भारतीय संस्कृति क्यों हैं विश्व की समृद्ध संस्कृति और इसकी विशिष्टताएं:

भारतीय संस्कृति में कई अलग-अलग धर्म, समुदाय, जाति पंथ आदि के लोगों के रहने के बाद भी इसमें विविधता में एकता है। भारतीय संस्कृति के आदर्श एवं मूल्य ही इसे विश्व में एक अलग सम्मान दिलवाती है और समृद्ध बनाती है। भारतीय संस्कृति की कुछ प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं –

भारतीय संस्कृति आज भी अपने मूल रुप-स्वरूप में जीवित है:

भारतीय संस्कृति की निरंतरता ही इसकी प्रमुख विशेषता है, विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति होने के बाबजूद आज भी यह अपने मूल रुप में जीवित है। वहीं आधुनिकता के इस युग में आज भी कई धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज, धार्मिक अनुष्ठान कई हजार सालों के बाद भी वैसे ही चले आ रहे हैं। धर्मों और वेदों में लोगों की अनूठी आस्था आज भी भारतीय संस्कृति की पहचान को बरकरार रखे हुए है।

सहनशीलता एवं सहिष्णुता:

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत सहिष्णुता और सहनशीलता है। भारतीयों के साथ अंग्रजी शासकों एवं आक्रमणकारियों द्धारा काफी क्रूर व्यवहार किया गया और उन पर असहनीय जुर्म ढाह गए, लेकिन भारतीयों ने देश में शांति बनाए रखने के लिए कई हमलावरों के अत्याचारों को सहन किया।

वहीं सहनशीलता का गुण भारतीयों को उसकी संस्कृति से विरासत में मिला है। वहीं कई महापुरुषों ने भी सहिष्णुता की शिक्षा दी है।

आध्यात्मिकता, भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषता:

भारतीय संस्कृति, का मूल आधार आध्यात्मिकता है, जो कि मूल रुप से धर्म, कर्म एवं ईश्वरीय विश्वास से जुड़ी हुई है। भारतीय संस्कृति में रह रहे अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों को अपने परमेश्वर पर अटूट आस्था एवं विश्वास है।

भारतीय संस्कृति में कर्म करने की महत्वता:

भारतीय संस्कृति में कर्म करने पर बल दिया गया है। यहां कर्म को ही पूजा माना गया है। वहीं कर्म करने वाला पुरुष ही अपने लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाता है और अपने जीवन में सफल होता है।

आपसी प्रेम एवं भाईचारा:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर एक-दूसरे के प्रति प्रेम, परोपकार, सद्भाव एवं भलाई की भावना निहित है, जो इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।

अनेकता में एकता – Anekta Mein Ekta

भारत में अलग-अलग जाति, धर्म, लिंग, पंथ, समुदाय आदि के लोग रहते हैं, जिनके रहन-सहन, बोल-चाल एवं खान-पान में काफी विविधता है, लेकिन फिर भी सभी भारतीय आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं, इसलिए अनेकता में एकता ही भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है।

नैतिक एवं मानवीय मूल्यों का महत्व:

भारत संस्कृति के तहत नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है। जिसमें विचार, शिष्टाचार, आदर्श, दर्शन, राजनीति, धर्म आदि शामिल हैं।

भारतीयों के संस्कार हैं इसकी विशेषता:

भारतीय मूल के व्यक्ति की शिष्टता एवं अच्छे संस्कार जैसे बड़ों का आदर करना, अनुशासन में रहना, परोपकार एवं भलाई करना, जीवों के प्रति दया का भाव रखना एवं अच्छे कर्म करना ही भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत है।

शिक्षा का महत्व – Shiksha Ka Mahatva

भारतीय संस्कृति में शिक्षा को खास महत्व दिया गया है। यहां शिक्षित व्यक्ति को ही सम्मान दिया जाता है, जबकि अशिक्षित व्यक्ति का सही रुप से मानसिक, नैतिक एवं शारीरिक विकास नहीं होने की वजह से उसे समाज में उपेक्षित किया जाता है वहीं अशिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में दर-दर की ठोकरें खाता है।

राष्ट्रीयता की भावना:

भारतीय संस्कृति में लोगों के अंदर राष्ट्रीय एकता की भावना निहित है। राष्ट्र पर जब भी कोई संकट आया है, तब-तब भारतीयों ने एक होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

अतिथियों का सम्मान:

भारतीय संस्कृति में अतिथियों को भगवान का रुप माना गया है। हमारे देश में आने वाले मेहमानों का खास तरीके से स्वागत कर उनको सम्मान दिया जाता है। वहीं अगर कोई दुश्मन भी मेहमान बनकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करना प्रत्येक भारतीय अपना फर्ज समझता है।

गुरुओं का विशिष्ट स्थान:

भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से ही गुरुओं को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है, क्योंकि गुरु ही मनुष्य को सही कर्तव्यपथ पर चलने के योग्य बनाता है और उसे समस्त संसार का बोध करवाता है।

मनुष्य के अंदर जो भी गुण समाहित होते हैं, वो उसे उसकी संस्कृति से विरासत में मिलते हैं और उसे एक सामाजिक एवं आदर्श प्राणी बनाने में मद्द करते हैं। वहीं मानव कल्याण एवं विकास के लिए सभी सहायक संपूर्ण ज्ञानात्मक, विचारात्मक, एवं क्रियात्मक गुण उसकी संस्कृति कहलाते हैं।

भारतीय संस्कृति इसके नैतिक मूल्यों, आदर्शों एवं अपनी तमाम विशिष्टताओं की वजह से पूरी दुनिया में विख्यात है और दुनिया की सबसे समृद्ध संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है जहां सभी लोग एक परिवार की तरह रहते हैं।

  • Essay in Hindi

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3 thoughts on “भारतीय संस्कृति पर निबंध – Essay on Indian Culture in Hindi”

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Thanks for the help and I hope it helps others also and they can understand it easily….for their exams

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thank you so much this essay is very useful for me I score 30/30 in my exam

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boht sundar essay thank you

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भारतीय संस्कृति पर निबंध

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By विकास सिंह

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विषय-सूचि

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (100 शब्द)

भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए दुनिया भर में एक प्रसिद्ध देश है। यह विभिन्न संस्कृति और परंपरा की भूमि है। यह दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं का देश है। भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक अच्छे शिष्टाचार, शिष्टाचार, सभ्य संचार, संस्कार, विश्वास, मूल्य आदि हैं।

सभी की जीवन शैली आधुनिक होने के बाद भी, भारतीय लोगों ने अपनी परंपराओं और मूल्यों को नहीं बदला है। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोगों के बीच एकजुटता की संपत्ति ने भारत को एक अनूठा देश बना दिया है। यहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हुए भारत में शांति से रहते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (150 शब्द)

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भारत की संस्कृति 5,000 वर्षों के आसपास दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है। भारतीय संस्कृति को दुनिया की पहली और सर्वोच्च संस्कृति माना जाता है। भारत के बारे में एक आम कहावत है कि “अनेकता में एकता” का अर्थ है भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ कई धर्मों के लोग अपनी अलग संस्कृतियों के साथ शांति से रहते हैं। विभिन्न धर्मों के लोग अपनी भाषा, भोजन परंपरा, अनुष्ठान आदि में भिन्न होते हैं, हालांकि वे एकता के साथ रहते हैं।

भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी है, हालांकि इसकी विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भारत में लगभग 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और 400 अन्य भाषाएँ दैनिक बोली जाती हैं। इतिहास के अनुसार, भारत को हिंदू और बौद्ध धर्म जैसे धर्मों के जन्मस्थान के रूप में मान्यता दी गई है। भारत की विशाल जनसंख्या हिंदू धर्म से संबंधित है। हिंदू धर्म के अन्य रूप हैं शैव, शाक्त, वैष्णव आदि।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, Indian culture essay in hindi (200 शब्द)

भारतीय संस्कृति ने दुनिया भर में बहुत लोकप्रियता हासिल की है। भारतीय संस्कृति को दुनिया की सबसे पुरानी और बहुत ही रोचक संस्कृति माना जाता है। यहां रहने वाले लोग विभिन्न धर्मों, परंपराओं, खाद्य पदार्थों, पहनावे आदि से संबंधित हैं। यहां रहने वाले विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग सामाजिक रूप से अन्योन्याश्रित हैं कि क्यों धर्मों की विविधता में मजबूत बंधन एकता का अस्तित्व है।

लोग विभिन्न परिवारों में जन्म लेते हैं, जातियां, उपजातियां और धार्मिक समुदाय एक समूह में शांति और संयम से रहते हैं। यहां के लोगों के सामाजिक बंधन लंबे समय तक चलने वाले हैं। सभी को अपनी पदानुक्रम और एक-दूसरे के प्रति सम्मान, सम्मान और अधिकारों की भावना के बारे में अच्छी भावना है।

भारत में लोग अपनी संस्कृति के प्रति अत्यधिक समर्पित हैं और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने के लिए अच्छे शिष्टाचार जानते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों की अपनी संस्कृति और परंपरा है। उनका अपना त्योहार और मेला है और वे अपने अपने अनुष्ठानों के अनुसार मनाते हैं।

लोग विभिन्न प्रकार की खाद्य संस्कृति का पालन करते हैं जैसे पीटा चावल, बोंडा, ब्रेड ओले, केले के चिप्स, पोहा, आलू पापड़, फूला हुआ चावल, उपमा, डोसा, इडली, चीनी, इत्यादि। अन्य धर्मों के लोगों में सेवइयां, बिरयानी, जैसे कुछ अलग भोजन होते हैं जैसे तंदूरी, मैथी, आदि।

भारतीय संस्कृति पर अनुच्छेद, paragraph on indian culture in hindi (250 शब्द)

indian culture

भारत संस्कृतियों का एक समृद्ध देश है जहाँ लोग अपनी अपनी संस्कृति में रहते हैं। हम अपनी भारतीय संस्कृति का बहुत सम्मान करते हैं। संस्कृति सब कुछ है, अन्य विचारों, रीति-रिवाजों के साथ व्यवहार करने का तरीका, कला, हस्तशिल्प, धर्म, भोजन की आदतें, मेले, त्योहार, संगीत और नृत्य संस्कृति के अंग हैं।

भारत उच्च जनसंख्या वाला एक बड़ा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृति के लोग अद्वितीय संस्कृति के साथ रहते हैं। देश के कुछ प्रमुख धर्म हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, शेखवाद और पारसी धर्म हैं। भारत एक ऐसा देश है जहाँ देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। यहां के लोग आमतौर पर वेशभूषा, सामाजिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों और खाद्य-आदतों में किस्मों का उपयोग करते हैं।

लोग अपने-अपने धर्मों के अनुसार विभिन्न रिवाजों और परंपराओं को मानते हैं और उनका पालन करते हैं। हम अपने त्योहार अपने-अपने अनुष्ठानों के अनुसार मनाते हैं, उपवास रखते हैं, गंगे के पवित्र जल में स्नान करते हैं, पूजा करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं, अनुष्ठान के गीत गाते हैं, नाचते हैं, स्वादिष्ट रात का भोजन करते हैं, रंगीन कपड़े पहनते हैं और बहुत सारी गतिविधियाँ करते हैं।

हम गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती जैसे विभिन्न सामाजिक आयोजनों को मिलाकर कुछ राष्ट्रीय त्योहार भी मनाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न धर्मों के लोग अपने त्योहारों को बड़े उत्साह और उत्साह के साथ मनाते हैं और एक-दूसरे को मनाए बिना।

गौतम बुद्ध (बुद्ध पूर्णिमा), भगवान महावीर जन्मदिन (महावीर जयंती), गुरु नानक जयंती (गुरुपर्व), इत्यादि जैसे कुछ कार्यक्रम कई धर्मों के लोगों द्वारा संयुक्त रूप से मनाया जाता है। भारत अपने विभिन्न सांस्कृतिक नृत्यों जैसे शास्त्रीय (भारत नाट्यम, कथक, कथकली, कुचिपुड़ी) और क्षेत्रों के अनुसार लोकगीतों के लिए प्रसिद्ध देश है।

पंजाबियों ने भांगड़ा का आनंद लिया, गुगराती ने गरबा करने का आनंद लिया, राजस्थानियों ने घूमर का आनंद लिया, असमिया ने बिहू का आनंद लिया, जबकि महाराष्ट्रियन ने लावोनी का आनंद लिया।

भारतीय संस्कृति पर लेख, article on indian culture in hindi (300 शब्द)

भारत समृद्ध संस्कृति और विरासत का देश है जहां लोगों में मानवता, सहिष्णुता, एकता, धर्मनिरपेक्षता, मजबूत सामाजिक बंधन और अन्य अच्छे गुण हैं। भारतीय हमेशा अपने सौम्य और सौम्य व्यवहार के लिए प्रसिद्ध होते हैं।

भारतीय लोग हमेशा अपने सिद्धांतों और आदर्शों में बदलाव के बिना उनकी देखभाल और शांत स्वभाव के लिए प्रशंसा करते हैं। भारत महान किंवदंतियों का देश है जहां महान लोगों ने जन्म लिया और बहुत सारे सामाजिक कार्य किए। वे अभी भी हमारे लिए प्रेरक व्यक्तित्व हैं।

भारत एक ऐसी भूमि है जहाँ महात्मा गांधी ने जन्म लिया था और अहिंसा की एक महान संस्कृति दी थी। उन्होंने हमेशा हमें बताया कि अगर आप वास्तव में किसी चीज में बदलाव लाना चाहते हैं तो उनसे विनम्रता से बात करें। उन्होंने हमें बताया कि इस धरती पर हर लोग प्यार, सम्मान, देखभाल और सम्मान के भूखे हैं; यदि आप उन सभी को देते हैं, तो निश्चित रूप से वे आपका अनुसरण करेंगे।

गांधी जी हमेशा अहिंसा में विश्वास करते थे और वास्तव में वे ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने में एक दिन सफल हुए। उन्होंने भारतीयों से कहा कि एकता और सौम्यता की अपनी शक्ति दिखाएं और फिर परिवर्तन देखें। भारत अलग-अलग पुरुषों और महिलाओं, जातियों और धर्मों का देश नहीं है, लेकिन यह एकता का देश है जहां सभी जातियों और पंथों के लोग एक साथ रहते हैं।

भारत में लोग आधुनिक हैं और आधुनिक युग के अनुसार सभी परिवर्तनों का पालन करते हैं लेकिन वे अभी भी अपने पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संपर्क में हैं। भारत एक आध्यात्मिक देश है जहाँ लोग आध्यात्मिकता में विश्वास करते हैं। यहां के लोग योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में विश्वास करते हैं। भारत की सामाजिक प्रणाली महान है जहां लोग अभी भी दादा-दादी, चाचा, चाची, चाचा, ताऊ, चचेरे भाई, बहन, आदि के साथ बड़े संयुक्त परिवार में छोड़ते हैं, इसलिए, यहां के लोग जन्म से अपनी संस्कृति और परंपरा के बारे में सीखते हैं।

भारतीय संस्कृति पर निबंध, essay on indian culture in hindi (400 शब्द)

indian culture

भारत में संस्कृति सब कुछ है जैसे विरासत में मिले विचार, लोगों के रहन-सहन का तरीका, विश्वास, संस्कार, मूल्य, आदतें, देखभाल, सौम्यता, ज्ञान, आदि। भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है जहाँ लोग अभी भी मानवता की अपनी पुरानी संस्कृति का पालन करते हैं।

संस्कृति वह तरीका है जिससे हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, चीजों के प्रति कितनी नरम प्रतिक्रिया देते हैं, मूल्यों, नैतिकता, सिद्धांतों और विश्वासों के प्रति हमारी समझ होती है। पुरानी पीढ़ियों के लोग अपनी अगली पीढ़ियों के लिए अपनी संस्कृतियों और मान्यताओं को पारित करते हैं, इसलिए, यहां हर बच्चा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, क्योंकि वह पहले से ही माता-पिता और दादा-दादी से संस्कृति के बारे में जानता था।

हम यहां नृत्य, फैशन, कलात्मकता, संगीत, व्यवहार, सामाजिक मानदंड, भोजन, वास्तुकला, ड्रेसिंग सेंस आदि सभी चीजों में संस्कृति को देख सकते हैं। भारत विभिन्न मान्यताओं और व्यवहारों वाला एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसने यहां विभिन्न संस्कृतियों को जन्म दिया।

यहाँ के विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति लगभग पाँच हज़ार वर्ष से बहुत पुरानी है। यह माना जाता है कि हिंदू धर्म की उत्पत्ति वेदों से हुई थी। सभी पवित्र हिंदू शास्त्रों को पवित्र संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यह भी माना जाता है कि जैन धर्म की प्राचीन उत्पत्ति है और उनका अस्तित्व सिंधु घाटी में था।

बौद्ध धर्म एक और धर्म है जो देश में भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के बाद उत्पन्न हुआ था। ईसाई धर्म बाद में लगभग दो शताब्दियों तक लंबे समय तक शासन करने वाले फ्रांसीसी और ब्रिटिश लोगों द्वारा यहां लाया गया था। इस तरह विभिन्न धर्मों की उत्पत्ति प्राचीन समय में हुई थी या किसी भी तरह से इस देश में लाई गई थी। हालाँकि, प्रत्येक धर्म के लोग अपने अनुष्ठानों और मान्यताओं को प्रभावित किए बिना शांति से यहाँ रहते हैं।

युगों की विविधता आई और चली गई लेकिन हमारी वास्तविक संस्कृति के प्रभाव को बदलने के लिए कोई भी इतना शक्तिशाली नहीं था। युवा पीढ़ी की संस्कृति अभी भी गर्भनाल के माध्यम से पुरानी पीढ़ियों से जुड़ी हुई है। हमारी जातीय संस्कृति हमेशा हमें अच्छा व्यवहार करने, बड़ों का सम्मान करने, असहाय लोगों की देखभाल करने और हमेशा जरूरतमंद और गरीब लोगों की मदद करने की सीख देती है।

यह हमारी धार्मिक संस्कृति है कि हम उपवास रखें, पूजा करें, गंगाजल चढ़ाएं, सूर्य नमस्कार करें, परिवार में बड़े लोगों के चरण स्पर्श करें, दैनिक रूप से योग और ध्यान करें, भूखे और विकलांग लोगों को भोजन और पानी दें। हमारे राष्ट्र की महान संस्कृति है कि हमें हमेशा अपने मेहमानों का स्वागत एक भगवान की तरह करना चाहिए, बहुत खुशी के साथ, यही कारण है कि भारत “अतीथि देवो भव” जैसे एक आम कहावत के लिए प्रसिद्ध है। हमारी महान संस्कृति की मूल जड़ें मानवता और आध्यात्मिक अभ्यास हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Indian Culture Essay in Hindi- भारतीय संस्कृति निबंध

In this article, we are providing Indian Culture Essay in Hindi. भारतीय संस्कृति निबंध ( Essay on Indian culture in Hindi language in 400 words), Bhartiya Sanskriti Nibandh.

Indian Culture Essay in Hindi- भारतीय संस्कृति निबंध

विद्वानों के अनुसार संस्कृति वह होती है जिस में स्वभाव, चरित्र, विचार और कर्म की वे इच्छाएं है जो सभ्य लोगो के जीवन का अभिन्न अंग होती है। इसका अनुसरण एवं पालन परिवार, समाज, वर्ग तथा राष्ट्र को करना होता है। यही से वे विशिस्ट बनते हैं, संस्कृति में परंपराएँ, मानवीय मूल्य, राजनीति दर्शन, धर्म, समाज, सौंदर्य बोध इत्यादि का समावेश होता है। भारत में अनेक जातियाँ, धर्म, वर्ग, बोलियाँ, रहन-सहन के तौर-तरीके, वेशभूषा पाई जाती हैं। फिर भी भारत में सभी लोगों को अपने ढंग से रहने की स्वतंत्रता मिली हुई है। भारत सदा से पूरी वसुधा को एक कुटुंब के समान मानता है।

यहाँ लोग अपने-अपने धर्मानसार ईश्वर की वंदना करते हैं। प्रत्येक जाति विशेष के त्योहार लगभग पूरे भारत में मनाए जाते हैं। सभी लोग एक दूसरे के सुख में सुख तथा दुख में दुख का अनुभव करते हैं। यही यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता है। भारतीय संस्कृति कर्म में विश्वास रखती है। यहाँ की वर्णाश्रम व्यवस्था इसी बात को प्रमाणित करती है। व्यक्तियों को उनकी उम्र के अनुसार ही चार आश्रमों में बाँटा गया था जिससे वे अपने कार्य समयानुसार सुचारु रूप से कर सके। यहाँ प्रत्येक व्यक्ति को विचारों की स्वतंत्रता भी है जिससे व्यक्ति अपने विचार अन्य लोगों के समक्ष बिना किसी भय से व्यक्त कर सकता है।

भारत सर्वग्राही गुण के कारण अनेकता में भी एकता बनाए हुए है। यहाँ सभी लोगों के गुणों का आदर किया जाता है और उन्हें ग्रहण करने पर बल दिया जाता है। मानवमात्र का कल्याण करना ही भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। वर्तमान में भारतीय संस्कृति पश्चिमी संस्कृति के आकर्षण में अपने मार्ग से भटकती हुई प्रतीत हो रही है। पश्चिम का भौतिकतावाद हमारी मानवतावादी परंपराओं पर हावी हो रहा है। हम खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा तथा आचरण में भी उनका अनुसरण करने लगे हैं। संवेदनाएँ मर रही हैं। हमने स्वयं को सीमित रखना आरंभ कर दिया है। हमें अपने गौरवशाली अतीत को ध्यान में रखकर वर्तमान चुनौतियों का सामना करना होगा। पश्चिम का अंधानुसरण छोड़ना होगा क्योंकि इससे हमारी भौतिक उन्नति तो हो रही है परंतु हमारे मानवीय मूल्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

हमारी मानवता एवं परोपकारी गुणों के कारण ही हम विश्व में विशेष स्थान रखते हैं। पश्चिमी सभ्यता के लोग भी अपनी चकाचौंध जिंदगी को छोड़कर हमारी संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। अत: हमें अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखना चाहिए, तभी हम अनेक प्रांतों से संबंधित होते हुए भी भारतीय हैं और विश्व में यही हमारी पहचान है।

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Indian Culture and Tradition Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति निबंध

Indian Culture and Tradition Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति निबंध: भारत में एक समृद्ध संस्कृति है और यह हमारी पहचान बन गई है। धर्म, कला, बौद्धिक उपलब्धियों या प्रदर्शनकारी कला में हो, इसने हमें एक रंगीन, समृद्ध और विविध राष्ट्र बना दिया है। भारतीय संस्कृति और परंपरा निबंध भारत में पीछा जीवंत संस्कृति और परंपराओं को एक दिशानिर्देश है।

भारत कई आक्रमणों का घर था और इस तरह यह केवल वर्तमान विविधता में जुड़ गया। आज, भारत एक शक्तिशाली और बहु-सुसंस्कृत समाज के रूप में खड़ा है क्योंकि इसने कई संस्कृतियों को अवशोषित किया है और आगे बढ़ा है। यहां के लोगों ने विभिन्न धर्मों , परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन किया है।

Indian Culture and Tradition Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति निबंध

हालांकि लोग आज आधुनिक हो रहे हैं, नैतिक मूल्यों पर पकड़ रखते हैं और रीति-रिवाजों के अनुसार त्योहार मनाते हैं। इसलिए, हम अभी भी रामायण और महाभारत से महाकाव्य सीख रहे हैं और सीख रहे हैं। इसके अलावा, लोग अभी भी गुरुद्वारों, मंदिरों, चर्चों, और मस्जिदों में घूमते हैं।

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भारत में संस्कृति लोगों के रहन-सहन, संस्कारों, मूल्यों, मान्यताओं, आदतों, देखभाल, ज्ञान आदि से सब कुछ है। इसके अलावा, भारत को सबसे पुरानी सभ्यता माना जाता है जहां लोग अभी भी देखभाल और मानवता की अपनी पुरानी आदतों का पालन करते हैं।

इसके अतिरिक्त, संस्कृति एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, हम कितनी आसानी से विभिन्न चीजों पर प्रतिक्रिया करते हैं, नैतिकता, मूल्यों और विश्वासों के बारे में हमारी समझ।

पुरानी पीढ़ी के लोग अपनी मान्यताओं और संस्कृतियों को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाते हैं। इस प्रकार, हर बच्चा जो दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, वह पहले से ही दादा-दादी और माता-पिता से उनकी संस्कृति के बारे में जान चुका होता है।

इसके अलावा, यहां हम फैशन , संगीत , नृत्य , सामाजिक मानदंड, खाद्य पदार्थ आदि जैसे हर चीज में संस्कृति देख सकते हैं । इस प्रकार, भारत व्यवहार और विश्वास रखने के लिए एक बड़ा पिघलने वाला बर्तन है जिसने विभिन्न संस्कृतियों को जन्म दिया।

भारतीय संस्कृति और धर्म

ऐसे कई धर्म हैं जिन्होंने अपनी उत्पत्ति सदियों पुरानी पद्धतियों में पाई है जो पाँच हज़ार साल पुराने हैं। इसके अलावा, यह माना जाता है क्योंकि हिंदू धर्म की उत्पत्ति वेदों से हुई थी।

इस प्रकार, पवित्र माने जाने वाले सभी हिंदू शास्त्रों को संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि सिंधु घाटी में जैन धर्म की प्राचीन उत्पत्ति और अस्तित्व है। बौद्ध धर्म दूसरा धर्म है जो गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के माध्यम से देश में उत्पन्न हुआ था।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

कई अलग-अलग युग हैं जो आए हैं और चले गए हैं लेकिन वास्तविक संस्कृति के प्रभाव को बदलने के लिए कोई भी युग बहुत शक्तिशाली नहीं था। तो, युवा पीढ़ियों की संस्कृति अभी भी पुरानी पीढ़ियों से जुड़ी हुई है। साथ ही, हमारी जातीय संस्कृति हमें हमेशा बड़ों का सम्मान करना, अच्छा व्यवहार करना, असहाय लोगों की देखभाल करना और जरूरतमंद और गरीब लोगों की मदद करना सिखाती है।

इसके अतिरिक्त, हमारे देश में एक महान संस्कृति है कि हमें हमेशा देवताओं की तरह अतिथि का स्वागत करना चाहिए। यही कारण है कि हमारे पास ‘अति देवो भव’ जैसी प्रसिद्ध कहावत है। तो, हमारी संस्कृति में मूल जड़ें आध्यात्मिक अभ्यास और मानवता हैं।

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Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध

October 16, 2017 by essaykiduniya

Here you will get Paragraph, Short Essay on Indian Culture in Hindi Language. Indian Culture Essay in Hindi Language for students of all Classes in 150, 300, 500 and 1500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में भारतीय संस्कृति पर निबंध मिलेगा।

Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध (150 Words) : भारत में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है| यद्यपि इसे सांस्कृतिक आक्रमणों की एक श्रृंखला के अधीन किया गया है, लेकिन बाहरी प्रभावों का सर्वश्रेष्ठ अवशोषित करने के बाद भी अपनी मौलिकता और पारंपरिक चरित्र को बनाए रखा है। भारत विश्व के सबसे पुराने सभ्यताओं में से एक है- सिंधु घाटी सभ्यता। सभी धर्मों की सहनशीलता हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है। बहुत से धर्मों के सह-अस्तित्व एक दूसरे से अलग दिखते हैं जो हमारी संस्कृति के संवर्धन में योगदान करते हैं।

भारतीय चित्रकारी और मूर्तियां विभिन्न सभ्यताओं पर अपनी छाप छोड़ी हैं हमारे पूर्वजों ने न केवल दर्शन में बल्कि विज्ञान में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया भारतीय साहित्यिक विरासत विश्व में सबसे पुराना है। भारतीय संगीत और नृत्य ने सांस्कृतिक परिदृश्य पर अपनी छाप छोड़ी है। इसमें कई भारतीय भाषाओं में लिखी गई विभिन्न कलाओं और विज्ञानों पर कविता, नाटक और कामों का एक बड़ा निकाय शामिल है।

Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध

Indian Culture Essay in Hindi Language

Indian Culture Essay in Hindi Language – भारतीय संस्कृति पर निबंध ( 300 words )

भारत देश अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत की सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता है जो कि लगभग 5000 साल पुरानी है। भारत में विभिन्न धर्म और विभिन्न संस्कृति के लोग एक साथ मिल जुलकर रहते हैं। विभिन्न, पर्व, कला, साहित्य, नृत्य, संगीत मिलकर भारतीय संस्कृति का निर्माण करते हैं। भारत में सभी त्योहार मिल जुलकर मनाए जाते हैं। हमारे संस्कार, बड़ो का सम्मान, छोटो से प्यार, हमारा रहन सहन, दुसरों के साथ आचरण हमारी संस्कृति को दर्शाते हैं। भारत की संस्कृति बच्चों में बचपन से ही देखने को मिलती है।

आज के आधुनिक युग में लोग आधुनिकरण को अपनाते जा रहे हैं लेकिन वह अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूलते हैं। बहुत से युगों में भी भारतीय संस्कृति ऐसे ही बरकरार रही है। आज भी लोग पुरी परंपरा के साथ सभी धर्मों के त्योहारों को एक साथ मिल जुलकर मनाते हैं। हमारी संस्कृति हमें अतिथि का सत्कार करना सिखाती है और आज भी यह हमारे समाज में विराजमान है। जब भी किसी के घर अतिथि आता है तो इन्हें पूर्ण सम्मान दिया जाता है। हमारी संस्कृति हमें साथ मिल जुलकर रहना सिखाती है। हमारी संस्कृति आज भी बरकरार है। आज भी लोग संयुक्त परिवारों में रहते हैं और सभी त्योहार पूरा परिवार और मोहल्ला एक साथ मनाते हैं। हमारे देश एक धार्मिक संस्कृति वाला देश है जहाँ पर लोग पूजा पाठ, गंगा स्नान वर्त आदि में विश्वास रखते हैं। यहाँ के लोगों की संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान करना लिखा है।

हम सब भारतीय संस्कृति का बहुत सम्मान करते हैं और भारतीय संस्कृति की मिसाल पूरी दुनिया देती है। आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह भारतीय संस्कृति को बरकरार रखे । भारतीय संस्कृति समृद्ध देश है और हमें इसे समृद्ध बनाए रखना होगा।

Indian Culture Essay in Hindi Language – भारतीय संस्कृति पर निबंध (500 Words)

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और बहुत समृद्ध संस्कृतियों में से एक है, जो लगभग 5000 वर्षों तक की है !!!

भारत की संस्कृति बहुत समृद्ध और विविध है और इसलिए यह अपने तरीके से बहुत विशिष्ट है।

भारत एक ऐसा देश है जिसमें विभिन्न भाषाओं, धर्मों, विश्वासों, खाद्य स्वाद आदि शामिल हैं, जो कि दुनिया के किसी भी दूसरे देश की तुलना में इसकी एक पूरी तरह से भिन्न और खड़ी संस्कृति है। हालांकि, भारत ने आधुनिकीकरण स्वीकार किया है, हमारे विश्वास और मूल्य अभी भी अपरिवर्तित रहते हैं।

भारत की संस्कृति विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक संयोजन है। लगभग 29 राज्यों और सात संघ शासित प्रदेश हैं जो विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, आदतों और धर्मों में योगदान करते हैं जो भारतीय संस्कृति को सबसे अलग और लायक बनाते हैं। विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की ताकत है।

इनके अलावा, भारत में कुछ प्राचीन सभ्यताओं का घर है, जिसमें हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिख और बौद्ध धर्म शामिल हैं, जिसने भारत की संस्कृति को भी योगदान दिया और समृद्ध किया। विभिन्न कारकों ने भारत की संस्कृति के गठन को प्रभावित किया है। यह समझना वास्तव में बहुत ही दिलचस्प है कि भारत में किस तरह की जटिल संस्कृतियां, आश्चर्यजनक विरोधाभास और अद्भुत सुंदरता है, जो कि भारत की महान संस्कृति के गठन के लिए सभी को एक साथ लाती है।

भारतीय संस्कृति भारतीयों को कई महान मूल्यों को मानती है, खासकर संबंधों और आतिथ्य में मूल्य। भारत में, यह आमतौर पर कहा जाता है और यह ज्ञात होता है कि मेहमानों को महान आतिथ्य के साथ व्यवहार किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति को उस विशेष स्थान के सर्वश्रेष्ठ भोजन के बिना घर छोड़ दिया जाता है। ‘आदर’ एक और बड़ा सबक है कि भारतीय संस्कृति की किताबें एक को सिखाती हैं। अठठी देवा भव अतिथि को दिव्य माना जाता है।

भारतीय संस्कृति को ‘मातृ संस्कृति’ के रूप में भी जाना जाता है संगीत, जीवित, विज्ञान की कला, सभी क्षेत्रों का सदियों पहले एक गहरी ज्ञान और जड़ है। भारत एक ऐसा देश है जो युवाओं को संस्कृति के महत्व और मूल्य को सिखाता है, जिससे कि वे इन संस्कृतियों के साथ बढ़ते हैं और उनके मूल्यों में गहराई से घटी होती है और चाहे वे कहीं भी हों, वे हमेशा परंपरा, संस्कृति और मूल्य कि वे में खरीदा गया है।

आज, भारत की संस्कृति ने दुनिया भर में भौगोलिक सीमाओं और लोगों को पार कर लिया है, भारत की महान संस्कृति पर गौर करें जो कि सदियों से भारत की है और बनाए रखा है। भारतीय संस्कृति विश्व संस्कृति को एक गेट का रास्ता है।

Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध (1500 Words)

भारत को प्रकृति के सभी उपहार मिल चुके हैं प्रकृति ने पर्याप्त भोजन मुहैया कराया और मनुष्य को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करने की ज़रूरत नहीं थी। भारत को पश्चिमी संस्कृति के दुष्प्रभावों का शिकार नहीं करना चाहिए मन को खिलने के लिए सोचने के लिए, कला और विज्ञान के विकास के लिए, प्राथमिक स्थिति एक सुरक्षित और सुरक्षित समाज है। एक समृद्ध संस्कृति उन्मादी समुदाय के लोगों में असंभव है ‘जहां लोग जीवन के लिए संघर्ष करते हैं|

इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, हम समझें कि संस्कृति क्या है संस्कृति एक सामाजिक प्रणाली से जुड़े प्रतीकों, विचारों और सामग्री के भंडार है। भारत में, अति प्राचीन काल से महान सभ्यताओं और संस्कृतियों का विकास हुआ है। भारत की विविधता जबरदस्त है| यह कई भाषाओं का देश है| यह कई जातीय समूहों का घर है लेकिन कुछ सामान्य लिंक हैं|

जो विविधता के बीच धागे और प्रभाव एकता के रूप में कार्य करते हैं। भारत में कई महान परंपराएं हैं सांस्कृतिक विरासत उन चीजों के लिए होती है जो पहले की पीढ़ियों से वर्तमान पीढ़ी तक पारित हो चुकी हैं। विशेष महत्व का साहित्य, संगीत और कला अपने सभी रूपों और रंगों में है भारत में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है यह विभिन्न संस्कृतियों का एक स्वस्थ मिश्रण है| सिंधु घाटी सभ्यता सबसे पुराने (लगभग 6000 वर्ष की उम्र) और दुनिया के सबसे विकसित सभ्यताओं में से एक है।

लोगों को काफी उन्नत किया गया था और सार्वजनिक स्नान, स्वच्छ और साफ घरों, चौड़ी सड़कों और अन्य सुविधाओं के साथ अच्छे कस्बे का उपयोग किया गया था। उनके पास एक स्क्रिप्ट भी थी, जो द्रुतशी द्रविड़ भाषाओं की तरह दिखती थी। वेद ही मानव मस्तिष्क के सबसे पुराने दस्तावेज हैं जो दुनिया के पास है। वेद हमें प्रचुर मात्रा में जानकारी देते हैं चार वेद हैं: रिग, यजूर, सम और अथर्व उनमें, हमें ताजगी, सादगी और आकर्षण और दुनिया के रहस्यों को समझने की एक कोशिश मिलती है। प्राचीन भारतीय महाकाव्यों, अर्थात् रामायण और महाभारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का शाश्वत- सबक है।

भगवद् गीता एक दार्शनिक सिद्धांतों से भरा किताब है। भगवान बुद्ध (563-483 बीसी) ने उपदेश किया कि अगर कोई अपने जुनूनों पर नियंत्रण रखता है तो वह सही सुख प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू धर्म में दस अवतारों के अतिरिक्त, देवताओं और देवी की बड़ी संख्या है? भगवान विष्णु की यह उसके अनुयायियों को वे किसी भी रूप में भगवान की पूजा करने की अनुमति देता है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (1469-1539) ने सच्चे विश्वास, सादगी और जीवन की शुद्धता और धार्मिक सहिष्णुता पर सर्वोच्च बल दिया। हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम प्रमुख धर्मों में से एक है भारत में पीछा किया परंपरागत रूप से, सभी धर्मों की सहिष्णुता हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है।

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और राज्य सभी धर्मों को समान रूप से मानता है। भारत में हिंदू, इस्लाम, ईसाई धर्म और सिख धर्म के चार प्रमुख धर्म एक-दूसरे के रास्ते में आने के बिना भारत में मौजूद हैं; बल्कि एक दूसरे का पूरक। जबकि हिंदू धर्म का मुख्य जोर सत्य और अहिंसा के संरक्षण पर है, इस्लाम ईमानदारी पर ज़ोर देता है मुसलमानों को उच्च ईमानदारी के लोग माना जाता है जो कभी भी किसी भी दुर्भावनापूर्ण स्रोत से अनुचित धन स्वीकार नहीं करते हैं; वास्तव में, अपने स्वयं के पैसे के साथ लगाव एक पाप है ईसाईयत ‘खूनी’ को भी क्षमा का उपदेश देती है जबकि सिख धर्म प्रेम की शुद्धता पर पूरी दुनिया को शामिल करने और बिरादरी और भाईचारे के संदेश को फैलाने पर जोर देता है। भारतीय चित्रकारी और मूर्तिकला ने विभिन्न सभ्यताओं पर गहरा असर डाला। होशंगाबाद, मिर्जापुर और भीमबेटका में रॉक गुफा आदिम पुरुषों के चित्रों के साक्षी हैं।

अजिंठा गुफाओं की पेंटिंग काम का एक दुर्लभ टुकड़ा है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान कई चित्रकार उभरे अमृता शेरगिल, जमीनी रॉय और रबींद्रनाथ टैगोर मॉडेम पेंटिंग के अग्रदूत थे। अशोक स्तंभ, सांची स्तूप, कोनार्क, खजुराहो और महाबलीपुरम में स्थित मंदिर भारतीय मूर्तिकला के अनोखे काम हैं। जामा मस्जिद, लाल किला , ताजमहल और हुमायूं का मकबरा भारतीय और मुगल वास्तुकला का मिश्रण दिखाते हैं। इन सभी चमत्कार भारतीय इतिहास के मुगल काल के दौरान बनाए गए थे।

प्राचीन भारत में ज्योतिष और खगोलशास्त्र काफी लोकप्रिय थे। आर्यभट्ट ने दो हज़ार साल पहले सौर ग्रहण के समय की गणना की थी। ‘ज़ीरो’ की अवधारणा का आविष्कार भारत में किया गया था। भारतीय मूल के भारतीय वैज्ञानिक, जैसे सी॰ वी॰ रामन , सुब्रमण्यम चंद्रशेखर, हरगोबिंद खोराणा और वेंकटरमन रामकृष्णन ने विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार जीता है। संगीत मानव विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति के सबसे पुराना रूपों में से एक है| भारतीय संगीत रागा और तालक की अवधारणा पर आधारित है। शास्त्रीय संगीत के दो प्रमुख विद्यालय- कर्नाटिक और हिंदुस्तानी हैं|

भारतीय संगीतकार भीमसेन जोशी, एम.एस. सुभलक्ष्रनी, किशोरी आमोनकर, पं। जसराज, उस्ताद अमजद अली खान, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, उस्ताद जाकिर हुसैन, पं। रवि शंकर और अन्य ने भारत और विदेशों में हमारे संगीत को लोकप्रिय बना दिया है। भारत में नृत्य में 2,000 से अधिक वर्षों की एक अप्रभावी परंपरा है। इसका विषय पौराणिक कथा, किंवदंतियों और शास्त्रीय साहित्य से प्राप्त होता है। भारत में दो मुख्य प्रकार के नृत्य हैं ये लोक नृत्य और शास्त्रीय नृत्य हैं।

भारतीय शैली का नृत्य रास, भव और अभिन्न पर आधारित है। वे सिर्फ पैरों और हथियारों के आंदोलन नहीं हैं, लेकिन पूरे शरीर की। मंदिरों में ज्यादातर शास्त्रीय नृत्यों की कल्पना की गई और उनका पालन-पोषण किया गया। उन्होंने वहां अपना पूर्ण कद प्राप्त किया शास्त्रीय नृत्य रूप प्राचीन नृत्य अनुशासन पर आधारित होते हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से अधिकांश प्रसिद्ध भारतीय मंदिरों की दीवारों और खंभे पर चित्रित हैं। पांच प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूप हैं, अर्थात् भरतनाट्यम, कथकली, मणिपुरी, कथक और ओडिसी। अन्य प्रमुख नृत्य कुचीपुड़ी और मोहिनीअट्टम हैं।

कुछ प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक संजक्त पाणिगढ़ी, सोनल मान सिंह, बिरजू महाराज, गोपी कृष्ण, गुरु बिपिन सिन्हा, जवेरी बहनों, केलूचरण महापात्रा आदि हैं। भारत में एक समृद्ध साहित्यिक विरासत है जिसमें क्षेत्रीय साहित्य शामिल हैं। क्षेत्रीय साहित्य, वास्तव में, अक्सर राष्ट्रीय पहचान और एक राष्ट्रीय संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान दिया है। भारत हमेशा भाषावैज्ञानिक रूप से विविध समुदाय रहा है प्राचीन काल में भी, कोई भी सामान्य भाषा नहीं थी जो सभी भारतीयों द्वारा बोली जाती थी।

संस्कृत भाषा अभिजात वर्ग की भाषा थी, जबकि आम तौर पर प्राकृत और अर्ध माधधि की व्याख्या आम जनता ने की थी। मुगल शासन के दौरान, फारसी ने अदालत की भाषा के रूप में संस्कृत का स्थान ले लिया जबकि उर्दू और हिंदुस्तानी उत्तर भारत में आम जनता की भाषाएं थीं। हालांकि, दक्षिण में द्रविड़ भाषाएं बढ़ती रहीं कालिदास के अभिज्ञानम शकुन्तलाम और मेघदूत, विशाखदत्त की मृच्छक्तकाम, और जयदेव की गीत गोविंदम को उनके साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए बहुत ही उच्च दर्जा दिया गया है।

14 वीं शताब्दी से लेकर 17 वीं शताब्दी तक की अवधि में भक्ति कविता या भक्ति कविता का प्रभुत्व था। कबीर, सूरदास और तुलसीदास इस युग के प्रसिद्ध कवि थे। भर्तेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी की आधुनिक काल की शुरुआत की थी मैथिली शरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रा नंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी मुन्शी प्रेमचंद और महादेवी वर्मा जैसे कवियों ने आधुनिक हिंदी साहित्य में अमीर योगदान दिया है। भारत ने अंग्रेजी में कई साहित्यिक चमत्कार भी बनाये हैं ये तोरू दीट, निसिम एजेकेली, सरोजिनी नायडू, माइकल मधुसूदन दत्त थे, कुछ ही नाम हैं। रवींद्रनाथ टैगोर ने कविताओं के अपने संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिए नोबेल पुरस्कार जीता यह सच है कि भारत का एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और भारतीयों ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है।

हालांकि, यह भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि हमने अपनी संस्कृति के कुछ नकारात्मक पहलुओं को भी विरासत में मिला है। श्रम विभाजन के आधार पर समाज के विभाजन ने जाति व्यवस्था को जन्म दिया। जाति व्यवस्था ने लोगों के बीच एक खाड़ी बनायी, जिससे समाज में विवाद और संघर्ष हो। भारतीय समाज में बाल विवाह, सती, अस्पृश्यता, दहेज , मातृ दुःख और अन्य कई सामाजिक बुराइयों का जन्म हुआ। हमारे देश के कई हिस्सों में विधवाओं को जीवन दुख की निंदा की जाती है। राजा राममोहन राय , दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस देव, स्वामी विवेकानंद , रबींद्रनाथ टैगोर , महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के दार्शनिक विचारों ने भारतीय संस्कृति से नकारात्मक तत्वों को खत्म करने के लिए बहुत योगदान दिया है।

आजादी के बाद से, भारतीय राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक हैं। संस्कृति गतिशील है, अन्य संस्कृतियों के क्रॉस क्रिएट्स हमेशा किसी देश की संस्कृति को प्रभावित करते हैं। वर्तमान विश्व में यह इतना अधिक है, जहां सीमाएं अस्तित्व में हैं। आइए हम अपनी खिड़कियों और दरवाजों को अन्य संस्कृतियों और उनके स्वस्थ प्रभावों के लिए खोलें, लेकिन हमें लगातार खड़े रहना चाहिए और इसके हमले के खिलाफ अपने पैरों को दूर नहीं करना चाहिए।

हम आशा करेंगे कि आपको यह निबंध ( Indian Culture Essay in Hindi – भारतीय संस्कृति पर निबंध ) पसंद आएगा।

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Indian culture essay in hindi भारतीय संस्कृति पर निबंध.

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hindiinhindi Essay on Indian Culture in Hindi

 Essay on Indian Culture In Hindi 300 Words

भारत की संस्कृति बहुत सारी चीजों से मिल जुलकर बनी है जैसे की विरासत के विचार, लोगों की जीवन शैली, मान्यताएँ, रीति-रिवाज़, मूल्य, आदतें अदि। भारत की संस्कृति, भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिंधु घाटी की सभ्यता के दौरान आगे बढ़ी और चलते-चलते वैदिक युग में विकसित हुई। भारत विश्व के उन प्राचीन देशो में से एक है जिसमे बौद्ध धर्म और स्वर्ण युग की शुरुआत हुई, जिसमे खुद की एक अलग प्राचीन विश्व विरासत शामिल है।

संस्कृति दूसरों से व्यवहार करने का, प्रतिक्रिया, मूल्यों को समझना, मान्यताओं को मानने का एक तरीका है। दुनिआ भर के अलग अलग देशो की अपनी भिन-भिन संस्कृति है, और सभी को अपनी संस्कृति पर नाज़ है। भारत की संस्कृति में पड़ोसी देशों के रीति-रिवाज, परंपरा और विचारों का अभी बहुत समावेश है। भारत हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे अन्य कई धर्मों का जनक है। दिन भर के सभी कार्यो में अपने देश के संस्कृति के झलक मिल जाती है जैसे कि नृत्य, संगीत, कला, व्यवहार, सामाजिक नियम, भोजन, हस्तशिल्प, वेशभूषा आदि।

विश्व कि प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक होने के कारन भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में बहुत महत्व रखती है। भारत कि संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता और तीसरी जगद्गुरु होना है।

पुराणी पीढ़ी के लोग नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति और मान्यताओं को सौंपते है, जो खुद बूढ़े होने पर आने वाली पीढ़ी को सौंप देते है। इसी तरह ये संस्कृति आगे बढ़ती जाती है और विशाल रूप धारण कर लेती है। इसी संस्कृति की वजह से ही सभी बच्चे अच्छे वे व्यवहार करते ही क्योकि ये संस्कृति उन्हें उनके दादा-दादी और नाना-नानी से मिली। ये हमारे भारत देश कि ही संस्कृति है जहा घर ए मेहमान कि सेवा की जाती है और मेहमान को भगवन का दर्जा दिया जाता है। इसी वजह से भारत में “अतिथि देवो भव:” का कथन बेहद प्रसिद्ध है।

Essay on Indian Culture In Hindi 1000 Words

संस्कृति-सामाजिक संस्कारों का दूसरा नाम है जिसे कोई समाज विरासत के रूप में प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में संस्कृति एक विशिष्ट जीवन शैली है, एक ऐसी सामाजिक विरासत है जिसके पीछे एक लम्बी परम्परा होती है।

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम तथा महत्त्वपूर्ण संस्कृतियों में से एक है, किंतु यह कब और कैसे विकसित हुई, यह कहना कठिन है। प्राचीन ग्रंथों के आधार पर इसकी प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। वेद संसार के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। भारतीय संस्कृति के मूलरूप का परिचय हमें वेदों से मिलता है। वेदों की रचना ईसा से कई हजार वर्ष पूर्व हुई थी। सिंधु घाटी की सभ्यता का विवरण भी भारतीय संस्कृति की प्राचीनता पर प्रकाश डालता है। इसका इतना लंबा और अखंड इतिहास इसे महत्त्वपूर्ण बनाता है। मिस्र, यूनान और रोम आदि देशों की संस्कृतियां आज केवल इतिहास बन कर सामने हैं, जबकि भारतीय संस्कृति एक लम्बी ऐतिहासिक परम्परा के साथ आज भी निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। महाकवि इकबाल के शब्दों में -
यूनान, मिस्र, रोमां सब मिट गए जहाँ से। 
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।।

आखिर यह बात क्या है ? भारत में समय-समय पर ईरानी, यूनानी, शक, कुषाण, हूण, अरब, तुर्क, मंगोल आदि जातियाँ आईं लेकिन भारतीय संस्कृति ने अपने विकास की प्रक्रिया में इन सभी को आत्मसात कर लिया और उनके अच्छे गुणों को ग्रहण करके उन्हें अपने रंग-रूप में ऐसा ढाला कि वे आज भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। भारत ने वे सभी विचार, आचार-व्यवहार स्वीकार कर लिए जो उसकी दृष्टि में समाज के लिए उपयोगी थे। अच्छे विचारों को ग्रहण करने में भारतीय संस्कृति ने कभी परहेज नहीं किया। विविध संस्कृतियों को पचाकर उन्हें एक सामाजिक स्वरूप दे देना ही भारतीय संस्कृति के कालजयी होने का कारण है।’ अनेकता में एकता’ ही भारतीय संस्कृति की विशिष्टता रही है। कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारत को ‘महामानवता का सागर’ कहा है। यह सचमुच महासागर है। यह – जाति, धर्म, भाषा-साहित्य, कला-कौशल आदि की अनेक सरिताओं द्वारा समृद्ध महामानवता का महासागर है। संसार के सभी प्रमुख धर्म भारत में प्रचलित हैं। सनातन धर्म (हिंदू), जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई, इस्लाम, सिख सभी धर्मों को मानने वाले लोग यहां रहते हैं। भाषा की दृष्टि से यहां लगभग 150 भाषाएं बोली जाती हैं। यहाँ ‘ढाई कोस पर बोली बदले’ वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है। संसार के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद के रूप में साहित्य की जो प्रथम धारा यहीं फूटी थी, वही समय के साथ संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिंदी, गुजराती, बंगला, तथा तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ आदि के माध्यमों से विकसित हुई और फ़ारसी तथा अंग्रेजी साहित्य ने भी उसे ग्रहण किया।

नृत्य और संगीत के क्षेत्र में भी यही समन्वय देखने को मिलता है। भारत नाट्यम, ओडिसी, कुच्चिपुड़ि, कथकली, मणिपुरी, कत्थक नृत्य शैली में मुगल दरबार की संस्कृति का बड़ा सुंदर रूप देखने को मिलता है। भारतीय संगीत में भी हमें विविधता में एकता के दर्शन होते हैं। सामगान से उत्पन्न भारतीय संगीत के विकास के पीछे भी समन्वय की एक लम्बी परम्परा है। यह लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत दोनों को अपने में समेटे हुए है। हिन्दुस्तानी तथा कर्नाटक शास्त्रीय संगीत दोनों में ही अनेक लोकधुनों ने राग-रागिनियों के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली है। ईरानी संगीत का प्रभाव आज भी अनेक राग-रागिनियों और वाद्य यंत्रों पर स्पष्ट दिखाई देता है। हिन्दुस्तानी संगीत की समद्धि में तो अनेक मुस्लिम संगीतकारों का योगदान रहा है।

साहित्य और संगीत के समान भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला में भी विविधता में एकता दिखाई देती है। इससे भारत में आई विभिन्न जातियों की कलाशैलियों के पूरे इतिहास की झलक देखने को मिलती है। इसमें एक ओर तो शक, कुषाण, गांधार, ईरानी, यूनानी शैलियों से प्रभावित धाराएँ आ जुड़ी हैं तो दूसरी ओर इस्लामी और ईसाई सभ्यता से प्रभावित धाराएँ, किंतु ये सब धाराएँ मिलकर भारतीय कला को एक विशिष्ट रूप प्रदान करती हैं।

भारत पर्वो एवं उत्सवों का देश है। हमारे पर्व एवं त्योहार अनेकता में हमारी सांस्कृतिक एकता को दर्शाते हैं। दीपावली, दशहरा, बैशाखी, पोंगल, ओणम, मकर संक्रांति, गुरुपर्व, बिहू, ईद-उल-फ़ितर, ईद-उल-जुहा, क्रिसमस, नवरोज आदि में भारतीय संस्कृति की इसी एकात्मकता के दर्शन होते हैं। इन सभी पर्यों एवं त्योहारों ने हमारे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया हुआ है। ये सभी भारतीय संस्कृति की एकता जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं और हमें ये बार-बार अनुभव कराते हैं कि हमारी परम्परा और हमारी संस्कृति मूलत: एक है।
देश के विभिन्न भागों में बसे लोग भाषा, धर्म, वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज़ आदि की दृष्टि से भले ही ऊपरी तौर पर एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हैं, किंतु इन विभिन्नताओं के बावजूद भारत एक सांस्कृतिक इकाई है।

वस्तुत: अनेकरूपता ही किसी राष्ट्र की जीवंतता, संपन्नता तथा समृद्धि का द्योतक है। भारतीय संस्कृति की समृद्धि तथा गरिमा इसी अनेकता का परिणाम है। इस अनेकता ने ही धर्म, जाति, वर्ग, काल की सीमाओं से ऊपर उठकर भारतीय संस्कृति को एकात्मकता प्रदान की है और महामानवता के एक सागर के रूप में प्रतिष्ठित किया है।

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भारत पर निबंध (India Essay in Hindi)

भारत

पूरे विश्व भर में भारत एक प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक रुप से, हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक जनसंख्या वाला देश है साथ ही प्राकृतिक रुप से सभी दिशाओं से सुरक्षित है। पूरे विश्व भर में अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिये ये एक प्रसिद्ध देश है। इसके पास हिमालय नाम का एक पर्वत है जो विश्व में सबसे ऊँचा है। ये तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है जैसे दक्षिण में भारतीय महासागर, पूरब में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिक सागर से। भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है परंतु यहां लगभग 22 भाषाओं को राष्ट्रीय रुप से मान्यता दी गयी है।

भारत पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on India in Hindi, Bharat par Nibandh Hindi mein)

इंडिया पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारत देश शिव, पार्वती, कृष्ण, हनुमान, बुद्ध, महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद और कबीर आदि जैसे महापुरुषों की धरती है। भारत एक समृद्ध देश है जहाँ साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में महान लोगों ने जन्म लिया जैसे रविन्द्रनाथ टैगोर, सारा चन्द्रा, प्रेमचन्द, सी.वी.रमन, जगदीश चन्द्र बोस, ए.पी.जे अब्दुल कलाम, कबीर दास आदि।

भारत : विविधता में एकता

भारत“विविधता में एकता”काप्रतिकहैक्योंकि भारत मेंविभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एकता के साथ रहते हैं। भारत में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग आपस में भाईचारे से रहते है। भारत में 22 प्रकार की आधिकारिक भाषाएँ बोली जाती है। यहाँ हर धर्म, पंथ और समुदाय की अपनी अलग भाषा, पहनावा और रीती रिवाज है। इतनी विभिन्नता में भी भारतीयता की डोर ने सभी को आपस में बांध रखा है।

भारत : एक महान और पुरातन राष्ट्र

भारत एक पुरातन देश है, जहाँ की सभ्यता प्राचीन काल में ही शीर्ष पर थी। यह प्राचीन समय से ही ज्ञान और विज्ञानं का केंद्र रहा है। भारत ने हमेशा ही वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया जिसका अर्थ है यह सम्पूर्ण संसार ही मेरा घर है।

भारत : विश्व गुरु

भारत शिक्षा, शास्त्र और शस्त्र में अग्रणी देश रहा है। भारत में अलबरूनी , मेगस्थनीज आदि जैसे अनेक विदेशी विद्वान शिक्षा प्राप्त करने आते थे।भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय रहे , जिनमे देश विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे। भारत ने आर्यभट्ट , वराहमिहिर, रामानुज , चरक , सुश्रुत आदि जैसेविद्वान हुए , जिन्होंने पुरे संसार में भारत का परचम लहराया।

भारत को  वेद, पुराण, संस्कृति, भाषा, विज्ञानं, धर्म  आदि से धनवान बनाने में महापुरुषों का अतुलनीय योगदान रहा है। भारत देवभूमि है, जो ऋषियों की भूमि रही है। हम सभी को भारत देश पर गर्व है।

इसे यूट्यूब पर देखें : इंडिया पर निबंध

निबंध 2 (200 शब्द)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिये जाना जाता है। ये अपने ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ के नागरिक बेहद विनम्र और प्रकृति से घुले-मिले होते हैं। ब्रिटिश शासन के तहत 1947 से पहले ये एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण की वजह से 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। जब भारत को आजादी मिली तो पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारतीय झंडे को फहराया और कहा कि “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिये जागेगा”।

भारत मेरी मातृभूमि है और मैं इसे बहुत प्यार करता हूँ। भारत के लोग स्वभाव से बहुत ही ईमानदार और भरोसेमंद होते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोग बिना किसी परेशानी के एक साथ रहते हैं। मेरे देश की मातृ-भाषा हिन्दी है हांलाकि बिना किसी बंधन के अलग-अलग धर्मों के लोगों के द्वारा यहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत एक प्राकृतिक सुंदरता का देश है जहाँ समय-समय पर महान लोग पैदा हुए हैं और महान कार्य किये। भारतीयों का स्वाभाव दिल को छू लेने वाला होता है और दूसरे देशों से आये मेहमानों का वो दिल से स्वागत करते हैं।

भारत में जीवन के भारतीय दर्शन का अनुसरण किया जाता है जो सनातन धर्म कहलाता है और यहाँ विविधता में एकता को बनाए रखने के लिये मुख्य कारण बनता है। भारत एक गणतांत्रिक देश है जहाँ देश की जनता को देश के बारे में फैसले लेने का अधिकार है। यहाँ देखने के लिये प्राचीन समय के बहुत सारे अति सुंदर प्राकृतिक दृश्य, स्थल, स्मारक, ऐतिहासिक धरोहर आदि है जो विश्व के हर कोने के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भारत अपने आध्यात्मिक कार्यों, योगा, मार्शल आर्ट आदि के लिये बहुत प्रसिद्ध है। भारत में दूसरे देशों से भक्तों और तीर्थयात्रियों की एक बड़ी भीड़ यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों की सुंदरता को देखने आती हैं।

निबंध 3 (350 शब्द)

भारत मेरी मातृ-भूमि है जहाँ मैंने जन्म लिया है। मैं भारत से प्यार करता हूँ और इस पर मुझे गर्व है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या में चीन के बाद दूसरे स्थान पर काबिज़ है। इसका समृद्ध और शानदार इतिहास रहा है। इसे विश्व की पुरानी सभ्यता के देश के रुप में देखा जाता है। ये सीखने की धरती है जहाँ विश्व के हर कोने से विद्यार्थी यहाँ के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिये आते हैं। कई धर्मों के लोगों के अपने विभिन्न अनोखे और विविध संस्कृति और परंपरा के लिये ये देश प्रसिद्ध है।

प्रकृति में आकर्षित होने की वजह से विदेशों में रहने वाले लोग भी यहाँ की संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। कई आक्रमणकारी यहाँ आये और यहाँ की शोभा और बहुमूल्य चीजों को चुरा कर ले गये। कुछ ने इसको अपना गुलाम बना लिया जबकि देश के बहुत से महान नेताओं की संघर्ष और बलिदान की वजह से 1947 में हमारी मातृ-भूमि अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुयी।

जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुयी उसी दिन से हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। पंडित नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। प्राकृतिक संसाधनों से भरा देश होने के बावजूद भी यहाँ के रहवासी गरीब हैं। रविन्द्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चन्द्र बोस, सर सी.वी.रमन, श्री एच.एन भाभा आदि जैसे उत्कृष्ट लोगों की वजह से तकनीक, विज्ञान, और साहित्य के क्षेत्र में ये लगातार बढ़ रहा है।

ये एक शांतिप्रिय देश है जहाँ बिना किसी हस्तक्षेप के अपने त्योहारों को मनाने के साथ ही विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। यहाँ पर कई शानदार ऐतिहासिक इमारतें, विरासत, स्मारक और खूबसूरत दृश्य हैं जो हर वर्ष अलग देशों के लोगों के मन को अपनी ओर खिंचता है। भारत में ताजमहल एक महान स्मारक और प्यार का प्रतीक है तथा कश्मीर धरती के स्वर्ग के रुप में है। ये प्रसिद्ध मंदिरों, मस्ज़िदों, चर्चों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, कृषि योग्य मैदान, सबसे उँचा पर्वत आदि का देश है।

निबंध 4 (400 शब्द)

भारत मेरा देश है और मुझे भारतीय होने पर गर्व है। ये विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा और विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। इसे भारत, हिन्दुस्तान और आर्यव्रत के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्रायद्वीप है जो पूरब में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरेबियन सागर और दक्षिण में भारतीय महासागर जैसे तीन महासगरों से घिरा हुआ है। भारत का राष्ट्रीय पशु चीता, राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, और राष्ट्रीय फल आम है। भारतीय झंडे में तीन रंग है, केसरिया का मतलब शुद्धता (सबसे ऊपर), सफेद अर्थात् शांति (बीच का जिसमें अशोक चक्र है) और हरा रंग का अर्थ उर्वरता से है (सबसे नीचे)। अशोक चक्र में बराबर भागों में 24 तीलियाँ हैं। भारत का राष्ट्र गान “जन गण मन”, राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” और राष्ट्रीय खेल हॉकी है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं और विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। इसी वजह से भारत में “विविधता में एकता” का ये आम कथन प्रसिद्ध है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकीय की भूमि भी कहा जाता है। प्राचीन समय से ही यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन और यहूदी एक साथ रहते हैं। ये देश अपने कृषि और खेती के लिये प्रसिद्ध है जो प्राचीन समय से ही इसका आधार रही है। ये अपने पैदा किये हुए अनाज और फल इस्तेमाल करता है। ये एक प्रसिद्ध पर्यटन का स्वर्ग है क्योंकि पूरे विश्व के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये स्मारकों, मकबरो, चर्चों, ऐतिहासिक इमारतों, मंदिर, संग्रहालयों, रमणीय दृश्य, वन्य जीव अभ्यारण्य, वास्तुशिल्प की जगह आदि इसके राजस्व का जरिया हैं।

ये वो जगह है जहाँ ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, स्वर्ण मंदिर, कुतुब मीनार, लाल किला, ऊटी, नीलगिरी, कश्मीर, खजुराहों, अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ आदि आश्चर्य मौजूद हैं। ये एक महान नदियों, पहाड़ों, घाटियों, झील और महासागरों का देश है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है। ये एक ऐसा देश है जहाँ 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश है। ये मुख्य रुप से कृषि प्रधान देश है जो गन्ना, कपास, जूट, चावल, गेंहूँ, दाल आदि फसलों के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है। ये एक ऐसा देश है जहाँ महान नेता (शिवाजी, गाँधीजी, नेहरु, डॉ अंबेडकर आदि), महान वैज्ञानिकों (डॉ जगदीश चन्द्र बोस, डॉ होमी भाभा, डॉ सी.वी.रमन, डॉ नारालिकर आदि) और महान समाज सुधारकों (टी.एन.सेशन, पदुरंगाशास्त्री अलवले आदि) ने जन्म लिया। ये एक ऐसा देश है जहाँ शांति और एकता के साथ विविधता मौजूद है।

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1. प्रस्तावना ।

2. संस्कृति का अर्थ ।

3. सभ्यता और संस्कृति ।

4. भारतीय संस्कृति और उसकी विशिष्टताएं ।

5. उपसंहार ।

यूनान मिश्र रोमां मिट गये जहां से । कुछ बात है कि मिटती नहीं हस्ती हमारी ।।

1. प्रस्तावना:

ADVERTISEMENTS:

किसी देश या समाज के परिष्कार की सुदीर्घ परम्परा होती है । उस परम्परा में प्रचलित उन्नत एवं उदात्त विचारों की भूखला ही किसी देश या समाज की संस्कृति कहलाती है, जो उस देश या समाज के जीवन को गति प्रदान करती है ।  संस्कृति में किसी देश, कालविशेष के आदर्श व उसकी जीवन पद्धति सम्मिलित होती है.। परम्परा से प्राप्त सभी विचार, शिल्प, वस्तु किसी देश की संस्कृति कहलाती है ।

2. संस्कृति का अर्थ:

संस्कृति शब्द संस्कार ने बना है । शाब्दिक अर्थ में संस्कृति का अर्थ है: सुधारने वाली या परिष्कार करने वाली । यजुर्वेद में संस्कृति को सृष्टि माना गया है । जो विश्व में वरण करने योग्य है, वही संस्कृति है ।

डॉ॰ नगेन्द्र ने लिखा है कि संस्कृति मानव जीवन की वह अवस्था है, जहां उसके प्राकृत राग द्वेषों का परिमार्जन हो जाता है । इस तरह जीवन को परिकृत एवं सम्पन्न करने के लिए मूल्यों, स्थापनाओं और मान्यताओं का समूह संस्कृति है ।

किसी भी देश की संस्कृति अपने आप में समग्र होती है । इससे उसका अत: एवं बाल स्वरूप स्पष्ट होता है । संस्कृति परिवर्तनशील है । यही कारण है कि एक काल के सांस्कृतिक रूपों की तुलना दूसरे काल से तथा दूसरे काल के सांस्कृतिक रूपों की अभिव्यक्तियों की तुलना नहीं करनी चाहिए, न ही एक दूसरे को निकृष्ट एवं श्रेष्ठ बताना चाहिए ।

एक मानव को सामाजिक प्राणी बनाने में जिन तत्त्वों का योगदान होता है, वही संस्कृति है । निष्कर्ष रूप में मानव कल्याण में सहायक सम्पूर्ण ज्ञानात्मक, क्रियात्मक, विचारात्मक गुण संस्कृति कहलाते हैं । संस्कृति में आदर्शवादिता एवं संक्रमणशीलता होती है ।

3. सभ्यता और संस्कृति:

सभ्यता को शरीर एवं संस्कृति को आत्मा कहा गया है; क्योंकि सभ्यता का अभिप्राय मानव के भौतिक विकास से है जिसके अन्तर्गत किसी परिकृत एवं सभ्य समाज की वे स्थूल वस्तुएं आती हैं, जो बाहर से दिखाई देती हैं, जिसके संचय द्वारा वह औरों से अधिक उन्नत एवं उच्च माना जाता है ।

उदाहरणार्थ, रेल, मोटर, सड़क, वायुयान, सुन्दर वेशभूषा, मोबाइल । संस्कृति के अन्तर्गत वे आन्तरिक गुण होते हैं, जो समाज के मूल्य व आदर्श होते हैं, जैसे-सज्जनता, सहृदयता, सहानुभूति, विनम्रता और सुशीलता । सभ्यता और संस्कृति का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है; क्योंकि जो भौतिक वस्तु मनुष्य बनाता है, वह पहले तो विचारों में जन्म लेती है ।

जब कलाकार चित्र बनाता है, तो वह उसकी संस्कृति होती है । सभ्यता और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं । संखातिविहीन सभ्यता की कल्पना नहीं की जा सकती है । जो सभ्य होगा, वह सुसंस्कृत होगा ही । सभ्यता और संस्कृति का कार्यक्षेत्र मानव समाज है ।

भारतीय संस्कृति गंगा की तरह बहती हुई धारा है, जो क्लवेद से प्रारम्भ होकर समय की भूमि का चक्कर लगाती हुई हम तक पहुंची है । जिस तरह गंगा के उद्‌गम स्त्रोत से लेकर समुद्र में प्रवेश होने वाली अनेक नदियां एवं धाराएं मिलकर उसमें समाहित हैं, उसी तरह हमारी संस्कृति भी है ।

हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है । अनेक प्रहारों को सहते हुए भी इसने अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखा है । हमारे देश में शक, हूण, यवन, मंगोल, मुगल, अंग्रेज कितनी ही जातियां एवं प्रजातियां आयीं, किन्तु सभी भारतीय संस्कृति में एकाकार हो गयीं ।

डॉ॰ गुलाबराय के विचारों में: ”भारतीय संस्कृति में एक संश्लिष्ट एकता है । इसमें सभी संस्कृतियों का रूप मिलकर गंगा में मिले हुए, नदी-नालों के जी की तरह (गांगेय) पवित्र रूप को प्राप्त करता है । भारतीय संस्कृति की अखण्ड धारा में ऐसी सरिताएं हैं, जिनका अस्तित्व कहीं नहीं दिखाई देता । इतना सम्मिश्रण होते हुए भी वह अपने मौलिक एवं अपरिवर्तित रूप में विद्यमान है ।”

4. भारतीय संस्कृति की विशिष्टताएं:

भारतीय संस्कृति कई विशिष्टताओं से युक्त है । जिन विशिष्टताओं के कारण वह जीवित है, उनमें प्रमुख हैं:

1. आध्यात्मिकता:

आध्यात्म भारतीय संस्कृति का प्राण है । आध्यात्मिकता ने भारतीय संस्कृति के किसी भी अंग को अछूता नहीं छोड़ा है । पुनर्जन्म एवं कर्मफल के सिद्धान्त में जीवन की निरन्तरता में भारतीयों का विश्वास दृढ़ किया है और अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के चार पुराषार्थो को महत्च दिया गया है ।

2. सहिष्णुता की भावना:

भारतीय संस्कृति की महत्पपूर्ण विशेषता है: उसकी सहिष्णुता की भावना । भारतीयों ने अनेक आक्रमणकारियों के अत्याचारों को सहन किया है । भारतीयों को सहिष्णुता की शिक्षा राम, बुद्ध. महावीर, कबीर, नानक, चैतन्य महात्मा गांधी आदि महापुरुषों ने दी है ।

3. कर्मवाद:

भारतीय संस्कृति में सर्वत्र करणीय कर्म करने की प्रेरणा दी गयी है । यहां तो परलोक को ही कर्मलोक कहा गया है । गीता में कर्मण्येवाधिकाररते मां फलेषु कदाचन पर बल दिया गया है । अथर्ववेद में कहा गया है-कर्मण्यता मेरे दायें हाथ में है, तो विजय निश्चित ही मेरे बायें हाथ में होगी ।

4. विश्वबसुत्च की भावना:

भारतीय संस्कृति सारे विश्व को एक कुटुम्ब मानते हुए समस्त प्राणियों के प्रति कल्याण, सुख एवं आरोग्य की कामना करती है । विश्व में किसी प्राणी को दुखी देखना उचित नहीं समझा गया है । सर्वे भद्राणी सुखिन: संतु सर्वे निरामया: । सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुःखमायुयात ।

5. समन्वयवादिता:

भारतीय संस्कृति की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता है समन्वयवादिता । यहां के रुषि, मनीषी, महर्षियों व समाज सुधारकों ने सदैव समन्वयवादिता पर बल दिया है । भारतीय संस्कृति की यह समन्वयवादिता बेजोड़ है । अनेकता में एकता होते हुए भी यहां अद्‌भुत समन्वय है । भोग में त्याग का समन्वय यहां की विशेषता है ।

6. जाति एवं वर्णाश्रम व्यवस्था:

भारतीय संस्कृति में वर्णाश्रम एवं जाति-व्यवस्था श्रम विभाजन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण थी । यह व्यवस्था गुण व कर्म पर आधारित थी, जन्म पर नहीं । 100 वर्ष के कल्पित जीवन को ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास के अनुसार बांटा

गया । यह व्यवस्था समाज में सुख-शान्ति व सन्तोष की अभिवृद्धि में सहायक थी ।

7. संस्कार:

भारतीय संस्कृति में संस्कारों को विशेष महत्त्व दिया गया है । ये संस्कार समाज में शुद्धि की धार्मिक क्रियाओं से सम्बन्धित थे । इन अनुष्ठानों का महत्च व्यक्तियों के मूल्यों, प्रतिमानों एवं आदर्शों को अनुशासित व दीक्षित रखना होता है ।

8. गुरू की महत्ता:

भारतीय संस्कृति में गुरा को महत्त्व देते हुए उसे सिद्धिदाता, कल्याणकर्ता एवं मार्गदर्शक माना गया है । गुरा का अर्थ है: अन्धकार का नाश करने वाला ।

9. शिक्षा को महत्त्व:

भारतीय संस्कृति में शिक्षा को पवित्रतम प्रक्रिया माना गया है, जो बालकों का चारित्रिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक विकास करती है ।

10. राष्ट्रीयता की भावना:

भारतीय संस्कृति में राष्ट्रीयता की भावना को विशेष महत्त्व दिया गया है । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी कहकर इसकी वन्दना की गयी है ।

11. आशावादिता:

भारतीय संस्कृति आशावादी है । वह निराशा का प्रतिवाद करती है ।

12. स्थायित्व:

यह भारतीय संस्कृति की महत्त्वपूर्ण विशेषता है । यूनान, मिश्र, रोम, बेबीलोनिया की संस्कृति अपनी चरम सीमा पर पहुंचकर नष्ट हो गयी है । भारतीय संस्कृति अनेक झंझावातों को सहकर आज भी जीवित है ।

13. अतिथिदेवोभव:

भारतीय संस्कृति में अतिथि को देव माना गया है । यदि शत्रु भी अतिथि बनकर आये, तो उसका सत्कार करना चाहिए ।

5. उपसंहार:

संस्कृति का निस्सन्देह मानव-जीवन में विशेष महत्त्व है । संस्कृति हमारा मस्तिष्क है, हमारी आत्मा है । संस्कृति में ही मनुष्य के संस्कार हस्तान्तरित होते हैं । संस्कृति वस्तुत: मानव द्वारा निर्मित आदर्शो और मूल्यों की व्यवस्था है, जो मानव की जीवनशैली में अभिव्यक्ति होती है । सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं ।

भारतीय संस्कृति आज भी अपनी विशेषताओं के कारण विश्वविख्यात है । अपने आदर्शो पर कायम है । समन्वयवादिता इसका गुण है । चाहे धर्म हो या कला या भाषा, भारतीय संस्कृति ने सभी देशी-विदेशी संस्कृतियों को अपने में समाहित कर लिया । जिस तरह समुद्र अपने में विभिन्न नदियों के जल को एकाकार कर लेता है, भारतीय संस्कृति इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है ।

Hindi Essay # 2 भारतीय धर्मों का स्वरूप और उसकी विशेषताएं | The Nature and Characteristics of Indian Religions

2. धर्म क्या है?

3. भारतीय धर्मों का स्वरूप ।

4. उपसंहार ।

भारत एक धर्म प्रधान देश है । यहां की संस्कृति धर्म प्राण रही है । मानव जाति की समस्त मूलभूत अनुभूतियों का सुन्दर स्वरूप है धर्म । धर्म मानव जीवन का अपरिहार्य तत्त्व है । धर्म शब्द में असीम व्यापकत्व है ।

किसी वस्तु का वस्तुतत्त्व ही उसका धर्म है । जैसे-अग्नि का धर्म है जलाना । राजा का धर्म है प्रजा की सेवा करना । धर्म वह तत्त्व है, जो मनुष्य को पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाता है ।

भारतीयों ने सदा ही अपने प्रारम्भिक जीवन से धर्म की खोज में अपरिमित आनन्द का अनुभव किया है । इसे मानव जीवन का सार माना गया है । भारतीय समाज में जो प्रमुख धर्म प्रचलित हैं, उनमें प्रमुख हैं: हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी एवं यहूदी धर्म ।

2. धर्म क्या है?:

धर्म शब्द धृ धातु से बना है, जिसका अर्थ है-धारण करना । किसी भी वस्तु का मूल तत्त्व है-उस वस्तु को धारण करना । इसीलिए वही उसका धर्म है । मानव अपने जीवन में गुण और क्षमताओं के अनुरूप आचरण करता है । वही उसका धर्म है । इस प्रकार आत्मा से आत्मा को देखना, आत्मा को आत्मा से जानना ।

आत्मा का आत्मा में स्थित होना ही धर्म है । ज्ञान, दर्शन, आनन्द, शक्ति का योग धर्म है । धर्म का अर्थ है: अज्ञात सत्ता की प्राप्ति । मानव का कल्याण, उचित-अनुचित का विवेक ही धर्म है ।

धर्म के जो प्रमुख लक्षण हैं , उनमें प्रमुख हैं:

1. वेद निर्धारित शास्त्र प्रेरित कर्म ही धर्म है ।

2. कल्याणकारी होना धर्म का प्रधान लक्षण है ।

3. धर्म की उत्पत्ति सत्य से होती है ।

4. दया और दान से इसमें वृद्धि होती है ।

5. क्षमा में वह निवास करता है ।

6. क्रोध से वह नष्ट होता है ।

7. धर्म विश्व का आधार है ।

8. जो धर्म दूसरों को कष्ट दे, वह धर्म नहीं है ।

9. पराये धर्म का त्याग ही कल्याणकारी है ।

10. धर्म ऐसा मित्र है, जो मरने के बाद मनुष्य के साथ जाता है ।

11. धर्म सुख-शान्ति का एकमात्र उपाय है ।

12. धर्म भारतीय धर्मो का स्वरूप है ।

3. भारतीय धर्मोका स्वरूप:

धर्म प्रधान भारतीय समाज की विभिन्नता ही उसकी प्रमुख विशेषता रही है । विश्व के प्रमुख सभी धर्म भारत में विद्यमान हैं । एम॰ए॰ श्रीनिवास के अनुसार: ”भारतीय जनगणना में दस विभिन्न धार्मिक समूह बताये गये हैं: हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, यहूदी तथा अन्य जनजातियों के धर्म व गैर जनजातियों के अन्य धर्म ।

भारत की जनसंख्या में हिन्दू 82.64 प्रतिशत, तो मुसलमान 12 प्रतिशत, ईसाई 3 प्रतिशत, सिख 2 प्रतिशत, बौद्ध 0.81 प्रतिशत, जैन 0.50 प्रतिशत, पारसी 001 प्रतिशत हैं । शेष धर्मो के अनुयायियों का प्रतिशत कम है । यहां हम सर्वप्रथम हिन्दू धर्म की विशेषताओं को देखते हैं, तो ज्ञात होता है कि

(क) हिन्दू धर्म:

वास्तव में बहुत जटिल धर्म है । यह भारत का सबसे प्राचीन धर्म है । हिन्दू धर्म में किसी अन्य धर्म की भांति किसी धार्मिक एक गन्धों की तरह न एक पैगम्बर है न एक ईसा है ।

कुछ निश्चित धार्मिक विधियों एवं पूजन विधियों पर आधारित धार्मिक समुदाय का धर्म नहीं है । एक तरफ हिन्दू धर्म प्रकृति की प्रत्येक वस्तु की मौलिकता को प्रकट करता है, तो दूसरी ओर वह समाज और व्यक्ति तथा समूह की आचरण सभ्यता को प्रकट करता है ।

यह विस्मयकारी विविधताओं पर आधारित है । कहीं शाकाहारी हिन्दू है, तो कहीं मांसाहारी हिन्दू है । एक पत्नीव्रत आदर्श संहिता है, तो कहीं बहुपत्नी व्रत है । हिन्दू धर्म में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं, जिनका अपना अलग इतिहास है ।

उसके सरकार एवं विधि-विधान है । सबकी निजी, आर्थिक एवं सामाजिक विशेषताएं हैं । उनमें सर्वप्रथम है: वैष्णव धर्म, जिसमें शंकराचार्य रामानुज, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य. चैतन्य, कबीर, राधास्वामी प्रचलित मत सम्प्रदाय हैं ।

दूसरा शैव धर्म है । इसमें 63 शैव सन्त हैं, शाक्त मत भी हैं । ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्यसमाज, रामकृष्ण मिशन, अरविन्द योग, आचार्य रजनीश, आनन्द मूर्ति जैसे मत प्रचलित हैं । हिन्दू धर्म सहिष्णु धर्म है ।

(ख) इस्लाम धर्म:

यह भारत में अरब भूमि से आया । हजरत मोहम्मद ने 571-632 में अरब में इस्लाम धर्म का प्रतिपादन किया । ऐसी मान्यता है कि ईश्वरीय पुस्तक कुरान के मूल पाठ को सातवें स्वर्ग से अल्लाह के हुक्म से जब्रील ने उसे मोहम्मद साहब को सुनाया और उन्होंने उसे वर्तमान रूप में प्रचलित किया ।

भारत में इस्लाम का पदार्पण अरब सागर के मार्ग मुस्लिम व्यापारियों के माध्यम से आया । प्रारम्भ में लोगों के विरोध के बाद मोहम्मद साहब इसे मक्के से मदीने की ओर ले गये ।

जहां 24 सितम्बर 622 से हिजरी संवत् प्रारम्भ हुआ । भारत में 1526 में मुगल वंश के शासकों ने इसका प्रचार किया । इरलाम मूर्तिपूजा को नहीं मानता । अल्लाह के सिवा इनका कोई भगवान् नहीं, मोहम्मद साहब इसके पैगम्बर हैं ।

दिन में पांच बार मक्के की तरफ मुंह करके नमाज पढ़ना, शुक्रवार को सार्वजनिक नमाज में भाग लेना, अपनी आमदनी का ढाई प्रतिशत दान करना, जीवन में एक बार हज करना, इसके प्रमुख नियम हैं ।

अब इस धर्म का भारतीयकरण हो चुका है । इस धर्म में अधिकांश लोग परम्परावादी धार्मिक सिद्धान्तों का अनुकरण करते हैं ।

(ग) ईसाई धर्म:

भारतीय समाज का तीसरा प्रमुख धर्म है ईसाई । इस धर्म के प्रवर्तक ईश्वर पुत्र ईसा मसीह थे । ईसा धनिकों के अत्याचार और अहंकार के विरोधी थे । प्रेम, सदाचार और दुखियों की सेवा ही इस धर्म का मुख्य सन्देश है ।

मानव-समता में उनका अदूट विश्वास है । अपने शत्रुओं को क्षमा कर बिना किसी भेदभाव के सबकी सेवा ये ईसा मसीह के मूलमन्त्र थे । उनके विचार से गरीब, सताये हुए, अनपढ़ लोग सौभाग्यशाली हैं; क्योंकि स्वर्ग का राज्य उनके लिए सुरक्षित है ।

अमीर और अत्याचारी अभागे हैं; क्योंकि पापों के कारण उन्हें नरक के दुःख भोगने पड़ेंगे । उनके सन्देश उस वक्त के यहूदी पुरोहितों को सहन नहीं हुए । अत: रोमन प्रशासक ने उन्हें कूस पर कीलों से जड़कर मारने का दण्ड दिया ।

कहा जाता है कि यीशु के 12 धर्माचारियों में से एक सेंट थामस भारत आये थे । उन्होंने इस धर्म का प्रचार किया । ईसाई धर्म विभिन्न मतों का एक संगठित धर्म

चर्च संगठन में धर्माधिकारियों के स्पष्ट पर सोपान है: ईसाई पादरियों और ननों ने वास्तव में समाज सेवा के बहुत कार्य किये । ईसाई धर्म कैथलिक तथा प्रोस्टैण्ट-दो सम्प्रदायों में विभक्त है । भारतीय सांस्कृतिक व राजनीतिक धारा के साथ जुड़कर इस समुदाय ने काफी योग दिया ।

(ध) सिक्स धर्म:

सिक्स धर्म भी भारतीय भूमि की उपज है । इस धर्म के संस्थापक गुरा नानक देव ही {1469-1539} हिन्दू खत्री परिवार में जन्मे थे । उन्होंने ओंकार परमेश्वर की सीख

दी । वे जाति-पाति के घोर विरोधी थे ।

आडम्बरपूर्ण कर्मकाण्डों में उनका विश्वास् नहीं था । अनिश्चयों और निराशा से भरे हुए समय में उनकी सीधी-सच्ची वाणी जनभाषा थी, जिसमें शाश्वत मूल्यों का उद्‌घोष था ।

गुरुनानक के बाद 9 अन्य गुरुओं ने उनकी इस परम्परा को आगे बढ़ाया । वे गुरु हैं: अंगद, अमरदास, रामदास, अर्जुन, हरगोविन्द, हरराय, हरकिशन, गुरा तेगबहादुर एवं गुरा गोविन्द सिंह ।

इस धर्म ने पर्दाप्रथा, सतीप्रथा का विरोध किया । इनके धार्मिक कार्यो से तत्कालीन मुगल बादशाह रुष्ट हो गये । 605 में उन्हें यातनाएं देकर शहीद कर दिया । गुरा अर्जुन देव का ऐसा बलिदान सिक्स इतिहास में एक नया मोड़ था ।

गुरा हरगोविन्द ने सिक्सों को सैनिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सशस्त्र होने की सलाह

दी । उन्होंने कई सफल युद्ध किये । औरंगजेब ने नवें गुरु तेगबहादुर को 1675 में दिल्ली में शहीद कर दिया ।

उनके पुत्र एवं दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने अधर्म के विरुद्ध सिक्स समुदाय को तैयार किया । 1699 में खालसा पंथ का उदय हुआ । पंचपियारों को खालसा में दीक्षित किया गया ।

तभी से पांच ककार धारण करने की प्रथा चली । प्रत्येक सिक्स के लिए केश, कंघा, कटार, कड़ा और कच्छा धारण करना अनिवार्य माना गया । गुरा गोविन्द सिंह ने धर्म के रक्षार्थ अपने चार पुत्रों का बलिदान दिया और किसी व्यक्ति को गुरा बनाने की परम्परा समाप्त की ।

उन्होंने गुरु ग्रन्ध साहब को गुरु मानते हुए शीश नवाने का आदेश दिया । वे अन्याय, अत्याचार व अनीति के विरोधी थे । सिक्स धर्म की प्रमुख शिक्षाएं हैं-निराकर ईश्वर की उपासना, उसी का नाम-जाप, सदाचारी जीवन, मानव सेवा ।

यह धर्म आत्मा की अमरता तथा पुनर्जन्म में विश्वास करता है । सामूहिक प्रार्थना एवं सामूहिक भोज (लंगर) इसकी विशेषता है । इस धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय हैं: नानक पंथी, निरंकारी, निरंजनी, सेवा-पंथी ।

(ड.) बौद्ध धर्म:

बौद्ध धर्म पूर्वी एशिया व द॰ एशिया तक फैला । इसके प्रणेता गौतम बुद्ध शाक्य वंश के महाराजा शुद्धोधन के पुत्र थे । उनका कार्य ईसा से छह शताब्दी पूर्व है । उनका नाम सिद्धार्थ भी था ।

बचपन से ही उनका हृदय मानव दुःखों, जैसे-बुढ़ापा, बीमारी तथा मृत्यु के प्रति करुणा से भरा था । मानव मात्र को इन दुःखों से छुटकारा दिलाने के लिए वे अपनी पत्नी यशोधरा और पुत्र राहुल तथा राजसी वैभव को छोड़कर चल दिये । छह वर्षो के कठोर तप से उनका हृदय सत्य के प्रकाश से भर गया ।

महात्मा बुद्ध ब्राह्मणवाद के कर्मकाण्डों और पशुबलि के घोर विरोधी थे । वे मध्यममार्गीय थे । दुःखों का मूल उन्होंने तृष्णा या इच्छा को बताया । इच्छा का अन्त करना दुःखों से मुक्त होना है ।

उन्होंने सम्यक विचार, सम्यक वाणी और सम्यक आचरण को मुक्ति का द्वार

बताया । प्राणी मात्र पर दया, प्रेम, सेवा और क्षमा को मानव का सच्चा धर्म

धर्म प्रचार के लिए उन्होंने भिक्षुओं को संगठित किया, जिसे अशोक जैसे महान सम्राट ने स्वीकारा । नगरवधू आम्रपाली भी इसमें सम्मिलित हुई । सत्य, अहिंसा, प्राणी मात्र पर दया का सन्देश देते हुए 80 वर्ष की आयु में 488 ई॰ पूर्व उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया ।

निर्वाण के बाद बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों-महायान और हीनयान-में बंट गया । आज इस धर्म के अनुयायी लंका, वियतनाम, चीन, बर्मा, जापान, तिबत, कोरिया, मंगोलिया, कंपूचिया में हैं ।

आठवीं शताब्दी में आते-आते ही इस धर्म का लोप हो गया । इसके कई कारण हैं । आज भी यह धर्म अपने सिद्धान्तों और आदर्शो के कारण कायम है ।

(च) जैन धर्म:

इस धर्म के संस्थापक वर्द्धमान महावीरजी वैशाली के क्षत्रिय राजवंश में पैदा हुए थे । वे गौतम बुद्ध के समकालीन और अवस्था में उनसे कुछ बड़े थे । उन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में गृहत्याग किया और वर्ष के कठोर तप के बाद सत्य का प्रकाश प्राप्त किया । तभी से वे जिन कहलाये ।

जैन धर्म के में तीर्थकर हो चुके हैं । महावीर 24वें तीर्थकर थे । इस धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभदेव हैं । इस धर्म के अनुसार कैवल्य मोल प्राप्त करने के विविध मार्ग हैं, जिसे तीन रत्न कहा जाता है ।

सम्यक विचार, सम्यक ज्ञान, सम्यक आचरण इस धर्म का सार है । “अपना कर्तव्य करो, जहां तक हो सके, मानवीय ढग से करो” । दिगम्बर और श्वेताम्बर दो सम्प्रदायों में बंटे हुए इस धर्म में दिगम्बर साधु दिशा को वस्त्र मानकर वस्त्र नहीं पहनते ।

श्वेताम्बर श्वेत वस्त्र धारण करते हैं । जीवों के रूप में और देवताओं के रूप में आत्मा जन्म-मरण के चक्र में फंसी हुई है । इससे छुटकारा पाना ही मोक्ष है ।

(छ) पारसी धर्म:

पारसी धर्म भी भारतभूमि पर बाहर से आया है । पारसियों का आगमन भारत में वीं सदी में हुआ था । ये ईरान के मूल निवासी हैं । जब ईरान पर मुसलमानों का कब्जा हो गया, तो अनेक पारसी भारत आ गये । इस धर्म के संस्थापक जरस्थूस्त्र हैं ।

यह धर्म वैदिक धर्म की भांति अति प्राचीन है । कुछ विद्वानों के अनुसार जरज्यूस्त्र ईसा से 5000 वर्ष पूर्व हुए थे । ऋग्वेद और इनकी धार्मिक पुस्तक अवेस्ता में अनेक बातों में समानता है ।

इस धर्म के अनुसार अहुर्मज्दा ही एकमात्र ईश्वर है । वही विश्व के सूष्टा हैं । जीवन नेकी तथा बदी, पुण्यात्मा तथा पापात्मा दो विरोधी शक्तियों के संघर्ष में विकसित होता है । अन्त में विजय पुण्यात्मा तत्त्व की होती है ।

अहुर्मज्दा पवित्र अग्नि का प्रतीक है, जो शुद्धता और उज्जलता का प्रतीक है । इसीलिए पारसी अग्नि की पूजा करते हैं और मन्दिर के रूप में अग्निगृह इआतश-बहराम का निर्माण करते हैं ।

इस धर्म के त्रिविध मार्ग-अच्छे विचार, अच्छे वचन, अच्छे कर्म-हैं । पारसी धर्म संन्यासी जीवन को नहीं मानता । भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन तथा औद्योगिक विकास में इस धर्म का बड़ा हाथ रहा है ।

(ज) यहूदी धर्म:

यहूदी धर्म एक प्राचीन धर्म है । इनका विश्वास है कि इनके पैगम्बर मूसा थे, जो प्रथम धर्मवेत्ता माने जाते हैं । इनके प्रथम महापुरुष अब्राहम ने ईसा से 1000 पहले यहूदी कबीले के स्थान पर अपना मूल स्थान उर छोड़ दिया ।

उनके शक्तिशाली सम्राटों द्वारा गुलाम बनाये जाने पर हजरत मूसा ने ईश्वरीय आदेश के अनुसार उन्हें दासता से मुक्त कराया और दूध, शहद से भरपूर धरती पर

हजतर मूसा को ही जवोहा अथवा यवोहा सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहा जाता है । उन्हें दस आदेश प्राप्त हुए थे । यहूदियों का धार्मिक ग्रन्ध हिन्दू बाइबिल अथवा तौरत

29 पुस्तकों के इस संग्रह को पुराना अहमदनामा भी कहते हैं । यहूदी धर्म में नैतिक जीवन को विशेष महत्त्व दिया गया है । सत्याचरण वाला व्यक्ति ही स्वर्गारोहण का अधिकारी होता है । यहूदी धर्म संन्यास और आत्मपीड़ा के विरुद्ध है । जेरूसलम यहूदियों का पवित्र नगर है ।

4. उपसंहार:

इस प्रकार भारतभूमि पर विश्व के लगभग सभी धर्मो के समुदाय बसते हैं । समय के साथ-साथ उनका भारतीयकरण भी हुआ । सभी धर्मो में समान धार्मिक नियम, आपसी प्रेम, सदभाव, भाईचारे, सुविचार, सत्कर्म पर बल दिया गया है ।

धर्मनिरपेक्षता हमारी पहचान है । वर्तमान में कुछ संकीर्णतावादी विचारधारा के लोग सम्प्रदायवाद को बढ़ावा दे रहे हैं । हमें इनसे बचना है; क्योंकि सच्चा धर्म मानवता का है, जो हमें पतन से रोकता है ।

Hindi Essay # 3 भारत की महान दार्शनिक परम्पराएं | India’s Great Philosophical Traditions

2. दर्शन क्या है.

3. दर्शन के विभिन्न स्वरूप ।

भारत एक विशाल देश है । इस धर्मप्रधान देश के समाज में दार्शनिकता का भाव विभिन्न रूपों में दिखाई पड़ता है । भारत में जितने धर्म प्रचलित हैं, उनका आधार आस्तिकता एवं, नास्तिकता है ।

भारतीय-धर्मों में दर्शन का प्रभाव अपने विशिष्ट स्वरूप में भी दिखाई पड़ता है । भारतीय दर्शन से उपजी संस्कृति अपना अद्वितीय स्थान रखती है ।

दर्शन शब्द की उत्पत्ति दृश धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है-देखा जाये, अर्थात् जिसके द्वारा संसार वस्तुजगत् का ज्ञान प्राप्त कर सके तथा जिसके द्वारा उस परम तत्त्व को देखा जाये, वही दर्शन है ।

एक प्रकार से दर्शन मानव मन की जिज्ञासा और आश्चर्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिसके द्वारा क्यों, कब, कहां, कैसे ? इन प्रश्नों के तथ्यात्मक एवं बौद्धिक उत्तर जानना तथा उसके अन्तिम यथार्थ को जानने का प्रयास की दर्शन है ।

दर्शन आदर्शों से शासित होकर व्यक्ति जीवन, जगत् आदि के स्वरूप का अध्ययन करता है । बौद्धिकता से अनुशासित होने के कारण दर्शन और विज्ञान में तात्विक भेद नहीं है ।

वैज्ञानिकों के निष्कर्ष सर्वत्र समान होते हैं, जबकि जगत् के निरपेक्ष अपार्थिव स्वरूप में विवेचन में हम विमिन, दार्शनिक परिणामों में पहुंचते हैं । दर्शन मनुष्य की क्रियाओं की व्याख्या एवं श्लोकन करता है ।

डॉ॰ शम्यूनाथ पाण्डेय के अनुसार: ”धैर्य और सहिष्णुता गधे में ही है, किन्तु गधे में उक्त गुण स्वभाव एवं प्रकृति का अंग है । जबकि यति में यह गुण उसके जीवन दर्शन के कारण है । दर्शन एवं संस्कृति का घनिष्ठ सम्बन्ध है । दर्शन के बिना संस्कृति अंधी है । दर्शन मानव स्वभाव का निर्माता है ।”

3. दर्शन का स्वरूप:

भारतीय जीवन दर्शन का स्वरूप हमें जिन दार्शनिक परम्पराओं में मिलता है, उनमें प्रमुख हैं:

(क) वेद दर्शन:

भारतीय दर्शन का मूल आधार वेद है, जो आस्तिकतावादी दर्शन के अन्तर्गत सर्वमान्य एवं शाश्वत आधार है । वे मानव को प्रकृति का अंग मानते हैं । इसी आधार पर प्रकृति के विषय में हमारा जीवन दर्शन निर्धारित होता है ।

यदि ऐसा नहीं होता, तो हम न तो प्रकृति के रहस्यों को जान पाते और न ही पुनर्जन्म का विचार होता, न ही कर्म महत्त्वपूर्ण होता ।

(ख) उपनिषद दर्शन:

उपनिषदों में सत्य को परमब्रह्म कहा गया है । उसी की अभिव्यक्ति संसार है । वह अजन्मा और अमर है । उसका अस्तित्व शरीर से पृथक् है, जो कि नश्वर है । ज्ञान के प्रकाश में ही उसे समझा जा सकता है ।

(ग) स्मृति एवं गीता दर्शन:

स्मृतियों को हिन्दू समाज के सामाजिक विधि-विधानों का ग्रन्थ कहा जाता है । इसमें कर्म, पुनर्जन्म, पुरुषार्थ एवं संस्कारों का वर्णन है, जिनके द्वारा मानव जीवन पूर्णता को प्राप्त करता है । वर्णाश्रम व्यवस्था इसी दर्शन का अंग है ।

गीता दार्शनिक स्तर पर हिन्दुओं की चरम उपलब्धि है । परमात्मा रूपी कृष्ण तथा अर्जुन रूपी आत्मा को निष्काम कर्म के द्वारा मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं । गीता में स्पष्ट कहा गया है कि अनासक्त भाव या निष्काम भाव से कर्म करना ही मानव कल्याण है, जीवन की सार्थकता है ।

(घ) षडदर्शन:

भारतीय जीवन दर्शन में षडदर्शन का प्रमुख स्थान है । दर्शन 6 हैं: न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्वमीमांसा, उत्तर मीमांसा ।

{अ} न्याय दर्शन:

इसकी रचना 300 ईसा पूर्व गौतम ऋषि ने अपने न्याय सूत्र में की थी । उनके अनुसार-समस्त अध्ययन का आधार तर्क है । इसमें पुनर्जन्म की अवधारणा को मान्य किया गया है । ब्रह्म एव ईश्वर में विश्वास तथा मोक्ष के लिए ज्ञान आवश्यक माना गया है ।

{ब} वैशेषिक दर्शन:

इसकी रचना 300 ईसा पूर्व कणाद ऋषि ने की थी । उनके अनुसार जगत् की उत्पत्ति परमाणुओं की अन्त-क्रिया से होती है, जो कि शाश्वत एव अविनाशी है । परमाणु स्वयं उत्पन्न है । सारी संस्कृति और सारी प्रकृति परमाणु की विभिन्न अभिक्रियाओं से बनी है ।

यह जगत् परमाणुओं के संयोग से उत्पन्न है, विकसित है और प्रलय से नष्ट होता है । बाद में यही प्रक्रिया चलती रहती है । परमाणु न तो उत्पन्न किये जाते हैं, न ही नष्ट किये जाते हैं । इसीलिए वैशेषिक क्रियाओं के द्वारा जगत् की प्रक्रियाओं को समझने के लिए किसी अलौकिक जीवों के अस्तित्व या विश्वास की आवश्यकता नहीं है ।

{स} मीमांसा दर्शन:

400 ईसा पूर्व जेमिनी ने मीमांसा दर्शन प्रतिपादित किया । यह एक व्यावहारिक दर्शन है । वेदों को प्रमाण मानते हुए उसके केन्द्र में कर्मकाण्ड, उपासना और अनुष्ठानों के स्वरूप और नियम हैं । यह पूर्व मीमांसा दर्शन है । इसमें देवताओं की उपासना के साथ-साथ परमसत्य का हल ढूँढने की चेष्टा नही है ।

उत्तर मीमांसा की रचना बादरायण ऋषि ने की थी । चार अध्यायों में विभक्त इस दर्शन के 555 सूत्र हैं । यह दर्शन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष पर बल देता है । इसके चार अध्यायों में ब्रह्मा, प्रकृति, विश्व के साथ अन्य जीवा के सम्बन्ध, ब्रह्म विद्या से लाभ मृत्योपरान्त आत्मा का भविष्य बताया गया है ।

{द} वेदान्त दर्शन:

500 ईसा पूर्व पाणिनी ने इसका प्रतिपादन किया । इस प्रत्ययवादी दर्शन में समस्त सृष्टि को एक ही ब्रह्म की अभिव्यक्ति माना गया है । दृश्य जगत् उस ब्रह्म की प्रतिछाया मात्र है । इसके पांच समुदाय हैं, जिनके प्रर्वतक हैं: शंकर, रामानुज, मध्य, वल्लभ तथा निबार्क । शंकर का कार्ताकाल वीं-9वीऐ शताब्दी का है । उन्होंने अद्वैतवाद की स्थापना की ।

उनके अनुसार पर ब्रह्म से उत्पन्न संसार एक भ्रम है, मिथ्या है, अयथार्थ है, माया है, ब्रह्म ज्ञान मुक्ति का मार्ग है । नवीं सदी में रामानुज के दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद, वल्लभ के दर्शन को शुद्धाद्वैतवाद, माध्याचार्य के दर्शन को द्वैतदर्शन, निबार्क के दर्शन को द्वैताद्वैत दर्शन कहा गया । वेदान्त और मीमांसा दर्शन एक दूसरे के पर्याय हैं ।

(इ) जैन दर्शन:

ईश्वर की अपेक्षा न रखने वाले दर्शनों में जैन दर्शन आत्म तत्त्व को मानता है । जैन धर्म दुःखों की निवृति को परम सुख की प्राप्ति मानता है । जैन धर्म तीन रत्नों-सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान व सम्यक चरित्र के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति पर बल देता है ।

इसकी प्राप्ति के लिए पांच व्रतों का पालन-अहिंसा, असत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह-प्रमुख है । जैन धर्म कर्म के सिद्धान्त पर विश्वास करता है । गृहस्थ जीवन को महत्त्व देते हुए भी वह संन्यास को श्रेयस्कर समझता है ।

(ई) बौद्ध दर्शन:

बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्यों का प्रतिपादन है-प्रथम, संसार दुःखमय है । द्वितीय दुःखों का कारण है । तृतीय, वह कारण है तृष्णा, काम-तृष्णा, भव-तृष्णा । चतुर्थ, यदि दुःखों का कारण है, तो उसका निरोध भी किया जा सकता है ।

बौद्ध दर्शन अति दुःखवाद, अति कठोरवाद, अति सुखवाद से अलग मध्यम मार्ग की स्थापना करता है । इस अष्टांगिक मध्यम मार्ग में सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प. सम्यक वचन, सम्यक कर्म, सम्यक आजीव, सम्यक प्रयत्न, सम्यक समाधि, सम्यक, स्मृति आते हैं । बौद्ध धर्म में स्त्रियों का प्रवेश सम्मिलित था ।

(ड.) चार्वाक या भौतिकतावादी दर्शन:

यह चार्वाक शब्द चव धातु से बना है, जिसका अर्थ है चबाना अर्थात् यह उन व्यक्तियों का दर्शन है, जो खाने-पीने, मौज उड़ाने में विश्वास रखते हैं । यह भौतिकतावादी दर्शन है, जो इन्द्रिय सुख या इन्द्रिय ज्ञान को सत्य मानता है ।

इसके अनुसार दृश्य जगत ही सत्य है । जीवन में भोग ही एकमात्र पुरुषार्थ है, अर्थात जब तक जीना है, सुखपूर्वक जीना है । ऋण लेकर भी घी पीना है । चिता में जला देने के बाद भी जीवन का पुनरागमन कैसे हो सकता है ? न कोई स्वर्ग है न कोई नरक है । ना कोई मोक्ष है । वेद मिथ्या है ।

भारत की दार्शनिक परम्पराओं में रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, दयानन्द, राजा राममोहन राय, टैगोर, अरविन्द योगी, साई बाबा, आचार्य रजनीश आदि के दर्शन प्रमुख हैं । इस तरह स्पष्ट है कि भारतीय दर्शन विश्व का विशिष्ट दर्शन है, जो जीव जगत्, ब्रह्म, संसार की व्याख्या तर्कपूर्ण ढग से प्रस्तुत करता है । मनुष्य अपनी समस्याओं का समाधान इसमें पा सकता है ।

Hindi Essay # 4 भरतीय कलाएं विकास एवं उनका स्वरूप |   Indian Art Development and their Nature

2. भारतीय कलाओं की विरासत एवं विकास ।

वास्तुकला ।

नाट्‌यकला ।

साहित्यकला ।

3. उपसंहार ।

कला मानव जीवन की अभिव्यक्ति है । यह मानव अभिवृतियों की रागात्मक वृत्ति है । भर्तृहरि ने नीति दशक में लिखा है:

साहित्य , संगीतकला, विहीन: साक्षाल्पशु: पुच्छविशाहीन: । तृणन्न खादान्नपि जीवमानस्तद् भागधेयं परमशूनाम: ।।

अर्थात ”जो मनुष्य साहित्य, संगीत व कला से विहीन हैं, वे पूंछ और सींग से विहीन पशु ही हैं । परन्तु वे घास न खाकर जीवित रहते हैं । यह उन पशुओं का परम सौभाग्य है ।”  कला किसी भी संस्कृति एवं विचारधारा ड्रा प्रतीक है, उसकी पहचान है । भारतीय संस्कृति में कला की समृद्ध विरासत रही है । वह सत्यम, शिवम, सुन्दरम के आदर्श पर आधारित है । भारतीय कला की अत्यन्त विपुल एवं व्यापक विरासत रही है, जो विश्व में बेजोड़ है ।

2. भारतीय कलाओं की विरासत एवं बिकास:

भारतीय कलाओं की विरासत संस्कृत की तरह प्राचीन है तथा विविधताओं से भरी  है । उनमें गतिशीलता है, लयबद्धता है । वह अनुपम है । भारतीय कलाओं के स्वरूप में वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, संगीतकला, नृत्यकला एवं साहित्यकला प्रमुख वास्तुकला-किसी भी महान् संस्कृति की पहली कला स्थापत्य कला, अर्थात वास्तुकला है ।

वास्तुकला चाहे कोई झोपड़ी हो या राजप्रासाद, वह तो रभूल यथार्थ से सम्बन्धित है । भारत में वास्तुकला का इतिहास 700-800 ईसा पूर्व तक से सम्बन्धित है । मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक नगरीय विकसित सभ्यता थी ।

उसकी वास्तुकला सुस्पष्ट एवं उच्चस्तरीय थी । बड़े नगरों के दो मुख्य भाग में दुर्ग थे, जिसमें नगराधिकारी रहते थे । शहर के निवासियों के लिए जो भवन थे, उनमें पक्की ईटों का इस्तेमाल होता था । इसके साथ ही लकड़ी के भवनों का प्रचलन भी पाया जाता था ।

मौर्यकाल {324-187} में लकड़ी की इमारतों के स्थान पर पत्थर की इमारतों की शुराआत होती है । व्यवस्थित वास्तुकला का इतिहास मौर्यकाल का है । इसमें चट्टानों को काटकर कन्दराओं का निर्माण होता था । बौद्धकालीन वास्तुकला में २लूप प्रमुख थे । रतूपों में वैशाली, सांची, सारनाथ, नालन्दा आदर्श नमूने थे ।

इसमें बहुत की सुन्दर तराशे हुए चार द्वार व सुन्दर मन्दिर सांची के थे, जिसका मंच अर्द्धवृत्ताकर संरचना का है । जंगला का प्रयोग प्रकाश और वायु के लिए था । द्रविड शैली के मन्दिर आयताकार होते थे, जिनके शिखर पिरामिड के रूप में होते थे ।

यह क्रमश: बीच की ओर छोटा होता जाता है । शीर्ष भाग में एक गुम्बदाकार स्तूपिका होती थी, जिसमें बने गवाक्ष व गलियारे अदूभुत थे । कांचीपुरम एवं महाबलीपुरम के मन्दिर प्रसिद्ध थे । तंजौर का वृहदीश्वर मन्दिर द्रविड शिल्पकला की सर्वोत्तम कृति थे ।

बेसर शैली भारतीय वास्तुकला का सुन्दर मापदण्ड है । यह नागर और द्रविड शैली का मिश्रण है । दक्षिणापथ में मन्दिर इसी शैली में बने हैं । देवगढ़ का दशावतार मन्दिर, उदयगिरि का विष्णु मन्दिर इस शैली के प्रसिद्ध मन्दिर हैं ।

इस्लामी वास्तुकला:

अरबी, ईरानी शैली मिश्रित यह वास्तुकला 1191 से 1707 तक चरमोत्कर्ष पर थी । इसमें मस्जिद, मकबरों, मदरसों, मीनारों का निर्माण हुआ । फतेहपुर सीकरी का भवन, बुलन्द दरवाजा, सलीम चिश्ती की दरगाह, आगरे का लालकिला, आगरे का ताजमहल अद्‌भुत नमूने हैं ।

17वीं शताब्दी की इस वास्तुकला में यूरोपीय शैल । के गिरजाघर मिलते हैं । सिक्स वास्तुकला-सिक्स गुरुद्वारे इसका अद्‌भुत नमूना हैं । 1588-1601 में बना हरमन्दर साहब का प्रसिद्ध अमृतसर रचर्ण मन्दिर है ।  यह 150 वर्गफुट के पवित्र सरोवर की बीच बना तिमंजिला भवन है । प्रथम मंजिल में गुरुग्रंथ साहब हैं । द्वितीय मंजिल में शीशमहल है । तृतीय मंजिल में गुम्बद की छतरियां हैं । इसमें समकालीन वास्तुकला सम्मिलित है ।

भारतीय मूर्तिकला:

भारतीय मूर्तिकला पत्थर, धातु और लकड़ी की है, जिस पर मुद्रा एवं भाव मूर्तियों को सजीव बनाते हैं । इसमें कुछ प्ररत्तर मूर्तियां हैं । ये मूर्तियां गांधार शैली की हैं । इसमें अधिकांश मूर्तियां विष्णु, शिव, गणेश, सूर्य, शक्ति, जैन एवं बौद्ध धर्म से सम्बन्धित हैं ।

मानवीय सौन्दर्य बोध की चरम अभिव्यक्ति चित्रकला में भी मिलती है । भारतीय संस्कृति में चित्रकला की इस समृद्ध परम्परा में महर्षि वात्सायन के प्रसिद्ध कामसूत्र में 64 कलाओं का वर्णन मिलता है । चित्रकला में रेखाओं और रंगों के प्रयोग द्वारा वस्त्र, लकड़ी, दीवार व कागज पर चित्र बनाये जाते थे ।

प्रागैतिहासिक काल में कई गुहा चित्र भी मिलते हैं, जिनमें भीमबेटका के मानव व पशु-पक्षी के लाल रंगों के चित्र हैं । द्वितीय चरण में गुप्तकाल के अजंता, एलोरा और बाघ गुफाओं के भित्तिचित्र मिलते हैं । यह विश्वकला की अनुपम चित्रशाला है ।

यहा प्राकृतिक सौन्दर्य पर आधारित वृक्ष, पुष्प, नदी एव झरनों के चित्र हैं । वहीं अप्सराओं, गन्धवों एव यक्षों के चित्र हैं । बुद्ध और उनके विभिन्न रूपों के जातक कथाओं के चित्र भी मिलते हैं जिसमें नीले, सफेद, हरे, लाल, भूरे रंगों का काल्पनिक रग संयोजन अदभुत सौन्दर्य को प्रकट करते हैं ।

इन चित्रों में करुणा, प्रेम, लज्जा, भय, मैत्री, हर्ष, उल्लास, घृणा, चिन्ता आदि सूक्ष्म भावनाओं का चित्रण है । गुप्तोत्तर काल की चित्रकला में लघु चित्रकला शैली का विकास हुआ । यह पूर्वी और पश्चिमी सम्प्रदायों से मिश्रित राष्ट्रीय शैली थी । इस शैली के चित्रों में अनन्त विविधता है ।

बंगाल, बिहार, नेपाल गे 11 वीं एवं 21वीं शताब्दी में विकसित हुए इन चित्रों में वस्त्र एवं अलंकारों से प्रादेशिकता का प्रभाव झलकता है । मुगलकालीन चित्रकला में परशियन तथा भारतीय दोनों प्रभाव परिलक्षित होते है । अकबर, जहांगीर तथा शाहजहाँ ने चित्रों के प्रति गहरा लगाव प्रस्तुत करते हुए पशु-पक्षियों आदि के चित्र बनवाये ।

इन चित्रों में भावहीन चेहरे और निश्चल पशु-पक्षियों के चेहरे देखने को मिलते हैं । राजस्थानी चित्रकला मुगल एवं पश्चिमी परम्परा से मिश्रित एक स्वतन्त्र कला है । हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ी आकृति, पृष्ठभूमि रेखा और रंग की दृष्टि से काफी विविधताएं हैं । इसमें कृष्ण लीलाओं तथा राग-रागनियों का मिश्रण है ।

कागड़ा शैली के बाद विकसित मराठा शैली की भी अपनी विशिष्ट पहचान है । चित्रकला में पटना एवं मधुबनी शैली भी उल्लेखनीय है । आधुनिक युग में यूरोपीय प्रभाव के कारण नयी शैली विकसित हुई । रवीन्द्रनाथ टैगोर, नन्दलाल बोस, जामिनी राय, अमृता शेरगिल, जतिन दास, मकबल फिदा हुसैन आदि के नाम उल्लेखनीय हैं ।

भारतीय संगीतकला का जन्म वेदों से हुआ है । नाद, अर्थात् संगीत को ब्रह्म कहा गया है । इसीलिए उसकी तरंगें हृदय को छूती हैं । भारतीय संगीत सामवेद से जन्मा है । लोकगीतों तथा शास्त्रीय संगीत में विकसित एवं परिष्कृत भारतीय संगीत का आधार राग है ।

राग, रबर, माधुर्य की एक ऐसी योजना को कहते हैं, जिसमें स्वरों को परम्परागत नियमों में बांधा गया है । सात सुरों से प्रारम्भ हुए संगीत में उषाकाल, प्रभात, दोपहर, सच्चा, रात्रि और अर्द्धरात्रि के अनुसार रागों का विभाजन है ।

भारतीय संगीत में ताल का विधान अत्यन्त जटिल एवं विस्तृत है । इसमें विलम्बित, भव्य एवं दुत ताल प्रसिद्ध हैं । वर्गीकरण की दृष्टि से शास्त्रीय संगीत एवं सुगम संगीत दो पद्धतियां हैं । शास्त्रीय संगीत की मुख्य दो पद्धतियां हैं: हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटकी संगीत । हिन्दुस्तानी संगीत में ध्रुपद, ठुमरी, ख्याल, टप्पा प्रसिद्ध हैं । इससे सम्बन्धित घराना में ग्वालियर, आगरा, जयपुर, किराना घराना है ।

ग्वालियर घराने के प्रसिद्ध संगीतज्ञ बालकृष्ण दुआ, रहमत खां हैं । आगरा घराने से रस्थन खां, फैयाज खां, जयपुर खां, किराना घराना से अछल करीम खां, अकुल वालिद खां हैं । कर्नाटक संगीत शैली में तिल्लाना, थेवारम, पादम, जावली प्रमुख हैं । कर्नाटक संगीत कुण्डली पर आधारित है ।

इसमें लहर की भांति उच्चावचन नियमित हैं । इसके अतिरिक्त विभिन्न गायन शैलियों में धमार, तराना, गजल, दादरा, होरी भजन गीत, लोकगीत इत्यादि हैं । संगीत की प्रमुख राग-रागनियों में भैरवी, भूपाली, बागश्री, भैरव, देस, बिलावल, यमन, दीपक, विहाग, हिण्डोली, मेघ आदि हैं ।

इसमें प्रयुक्त होने वाले वाद्य हैं: सारंगी, वायलिन, मृदंगम, नादस्वरम, गिटार, सरोद, संतूर, सितार, शहनाई, बांसुरी, तबला, वीणा, पखावज, हारमोनियम, जलतरंग आदि । प्रमुख वादकों में बाल मुरलीधरन, अमजद अली खां, शिवकुमार शर्मा, पण्डित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, जाकिर हुसैन, अल्लारखा खा, हरिप्रसाद चौरसिया, रघुनाथ सेठ हैं ।

प्रमुख गायकों में चण्डीदास, बैजू बावरा, तानसेन, विष्णु दिगम्बर पलुरकर, विष्णुप्रसाद भातखण्डे, एम॰एम॰ सुबुलक्ष्मी हैं । इस प्रकार भारतीय संगीत वेदों से प्रारम्भ होकर बौद्धकाल मौर्य तथा शुंग काल में काफी विकसित हुआ ।  किन्तु कुषाणकाल में कनिष्क तथा समुद्रगुप्त के शासनकाल में अत्यधिक विकसित हुआ ।

अश्वघोष नामक महान संगीतज्ञ इसी काल में हुए । मध्यकाल में संगीत का स्वरूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है । इसमें गजल, ख्याल, ठुमरी, कब्बाली आदि है । आधुनिक युग में भारतीय संगीत में कुछ पश्चिमी प्रभाव भी दिखता है । आधुनिक चलचित्रों के विकास ने इसे अधिक लोकप्रिय बना दिया है ।

शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, लोकसंगीत के साथ-साथ पार्श्वगायन में नूरजहां, सुरैया, खुर्शीद, सहगल, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर, मुकेश, मन्नाडे, आशा भोंसले विश्व प्रसिद्ध हैं । वहीं गजल के क्षेत्र में जगजीत सिंह, चित्रा सिंह, पंकज उधास, राजेन्द्र मेहता, नीना मेहता प्रसिद्ध हैं । भजन में पुरुषोत्तम दास जलोटा, अनूप जलोटा व शर्मा बसु प्रसिद्ध हैं ।

नृत्यकला भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण अंग है । हरिवंश पुराण में उर्वशी, हेमा, रम्भा, तिलोत्तमा आदि देव नर्तकियों के नाम आते हैं । भारतीय नृत्यकला अति प्राचीन है । इसका समय ईसा की प्रथम शताब्दी के आसपास ही निर्धारित हो गया था ।

भारतीय नृत्यों में धर्म अभिव्यक्ति का प्रमुख आधार रहा है । इसमें सामाजिक जन-जीवन से जुड़े नृत्यों की परम्परा भी रही है । शास्त्रीय नृत्य में ताण्डव, भरतनाट्‌यम, कथक, कथकलि सम्मिलित हैं । भरतमुनि के नाट्‌यशास्त्र में संगीत, नृत्य एवं कविता का अद्‌भुत समन्वय मिलता है ।

इसका उद्देश्य मनुष्य में पवित्रता, सदाचार, मानव मूल्यों का संचार करना है । ये नृत्य कठिन साधना पर आधारित रहे हैं । इसके अतिरिक्त लोकनृत्यों में बिहू, नागा नृत्य, दोहाई, महारास, बसन्त रास, कुंज रास, उखल रास, सुआ ढाल, पंडवानी, डण्डा, करमा, कमा, लावणी, तमाशा, झाऊ, जात्रा, नौटंकी, यक्षगान, डांडिया, भांगड़ा, गिद्धा प्रमुख हैं ।

वैदिककाल में मेले में युवक-युवतियां नृत्य करते थे । नगरवधुएं अपने आमोद-प्रमोद के लिए नृत्य किया करती थीं । देवदासी के साथ-साथ सार्वजनिक नृत्यशालाएं प्रचलित थीं । मौर्य तथा कनिष्क के समय में नृत्यों का पुनर्जागरण हुआ ।

गुप्तकाल नृत्यकला का स्वर्ण युग था । मुगलकालीन नृत्यकला दरबारों तक सीमित शी । आधुनिक युग में पश्चिम के प्रभाव में डिस्को, कैबरे, ब्रेक डांस, बैले आदि का प्रभाव भारतीय नृत्यों में आ गया है । साथ ही फिल्मीकरण के कारण अश्लीलता और कामुकता आ गयी है । अर्द्धनग्न शैली में भोंडापन नृत्यों में दिखाई देता है ।

नृत्य की शास्त्रीय परम्परा को उदयशंकर, गोपीकृष्ण,बिरजू महाराज, उमा शर्मा, सितारा देवी, सोनल मानसिंह, वैजयन्ती माला जैसे नृत्य प्रेमी जीवित रखने का प्रयास करते रहे हैं । वहीं भारत सरकार एवं राज्य सरकारें भी इस प्रयास में शामिल हैं ।

नाट्‌यकला को ललित कला भी माना जाता है, जिसमें मनोरंजन तथा अभिनय व रस की सृष्टि की जाती है । भरत के नाट्‌यशास्त्र में 11 प्रकार के नष्टको का वर्णन है । पाणिनी और पतंजलि की व्याकरण सम्बन्धी रचनाओं में नाट्‌य सम्बन्धी सूत्र हैं ।

भरत के नाट्‌यशास्त्र में नाटक से सम्बन्धित विविध पक्षों, रंग, वस्तु, अभिनय, संगीत आदि का विशद निरूपण है । इसी प्रकार अश्वघोष, कालिदास, शुद्रक प्रसिद्ध नाटककार थे । कालिदास के नाटकों-अभिज्ञान शाकुंतलम, विक्रमोर्वशीय तथा शूद्रक का मृच्छकटिकम, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस-प्रसिद्ध है ।

विशुद्ध नाटकों की परम्परा के साथ-साथ लोकनाट्‌य, नटों की कला, रामलीला, कृष्णलीला, कठपुतली, नौटंकी, स्वांग भारतीय जनजीवन को मनोरंजन के साथ-साथ संस्कृति का ज्ञान भी कराते हैं । 19वीं शताब्दी में नुक्कड़ नाटक, झफ्टा, {जनवादी नाट्‌य} प्रचलित हैं । आज नाट्‌यकला में अनेक नवाचारों का प्रयोग किया जा रहा है ।

भारतीय साहित्यकला:

भारतीय साहित्यकला की इतनी समृद्ध, गौरवशाली, विपुल तथा सशक्त विरासत है, जिस पर सभी को गर्व होगा । धार्मिक साहित्य में वेद, रामायण, महाभारत, पुराण, उपनिषद आते हैं । वैदिक साहित्य में शक्तिशाली देवताओं और दानवों के बीच संघर्ष का वर्णन है ।

वैदिककाल में 6 वेदांग हैं, इनमें शिक्षा, व्याकरण, कल्प, छन्द, ज्योतिष, निरुक्त हैं । प्राचीन भारतीय साहित्य में रामायण एवं महाभारत प्रसिद्ध पुस्तकें हैं । रामायण में जहां राम का आदर्श चरित्र है, वहीं महाभारत में कौरव और पाण्डव के बीच युद्ध की कथा है ।

जैनियों और बौद्धों के धार्मिक य-थ व्यक्तियों और घटनाओं पर आधारित हैं । जातक कथाएं पालि भाषा में हैं । जैन गन्धों की भाषा प्राकृत है । कौटिल्य का अर्थशास्त्र भारतीय राजतन्त्र एवं अर्थव्यवस्था के समन्वय का उदाहरण है ।

गुप्तकालीन साहित्य संगम साहित्य, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन की जानकारी देता है । भारतीय विद्वानों में आर्यभट को गणितीय क्षेत्र में, कोसाइन साईन, पाई तथा शून्य निर्माण क्रिया की परिकल्पन पद्धति के लिए जाना जाता है ।

ब्रह्मगुप्त ने गुरात्चाकर्षण, वराहमिहिर ने खगोल, भूगोल, नागार्जुन ने रसायनशास्त्र के क्षेत्र में, इस्पात बनाने, पक्के रंग तैयार करने, चरक और सुभूत की संहिताओं में कपाल छेदन, हाथ-पैर काटे जाने तथा मोतियाबिन्द जैसी जटिल शल्यक्रिया का वर्णन है ।

जयदेव, अलवार और नयनार सन्त कबीर, नानक, गुरा गोविन्द सिंह, कल्हण, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, तुकाराम, नामदेव, ज्ञानेश्वर, बिहारी, घनानन्द, सेनापति, रसखान, प्रसिद्ध साहित्यकार रहे । आधुनिक युग में कविता, निबन्ध, नाटक, उपन्यास, एकाकी के साथ-साथ नयी विधाएं, रेखाचित्र, सस्मरण, आत्मकथा, जीवनी आदि प्रसिद्ध हुईं ।

प्रेमचन्द ने 300 कहानियां, 2 उपन्यास लिखकर कहानी व नाटक सम्राट का गौरव प्राप्त किया, वहीं प्रसाद ने ध्रुवरचामिनी, चन्द्रगुप्त, रकन्दगुप्त, अजातशत्रु आदि नाटक लिखकर नाटकसम्राट की उपाधि प्राप्त की । इस प्रकार साहित्य अपनी समृद्ध विरासत के साथ अपनी सृजन यात्रा में गतिशील है ।

इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतीय संस्कृति कलाओं के माध्यम से भी व्यक्त होती है । केला का निर्माण, रूप, प्रक्रिया एवं उसके सौन्दर्य बोध में कला का आनन्द प्राप्त होता है । कला संस्कृति का अंग है । कलाओं के प्रोत्साहन से मानव दुष्प्रवृत्तियों का शमन होता है ।

Hindi Essay # 5 लोकसंस्कृति की समृद्ध विरासत | The Rich Heritage of Popular Culture

2. लोक साहित्य के विविध प्रकार ।

लोकगाथा । लोकगीत ।

लोककथा । लोकनाट्‌य ।

अन्य विधाएं ।

3. लोक संस्कृति ।

लोक साहित्य, अर्थात् लोक का साहित्य । लोक साहित्य लोक का साहित्य होता है और लोक का आशय रूढ़िगत तथा अर्द्धशिक्षित, अशिक्षित जनता से है । ऐसे साहित्य में तर्क के स्थान पर सहज विश्वास की प्रवृत्ति मिलती है ।

लोक साहित्य के पीछे लोक का मानस, विचार, पद्धति तथा आदिम अनुभूति होती है, जो अपने मूल रूप के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है । लोक साहित्य की भाषा जीवित होती है, जिसमें शास्त्रीय नियम व व्याकरण नहीं देखे जाते । इसकी सहज, रोचक शैली में जीवन की विविध अनुभूतियां मौखिक परम्परा में प्राप्त होती हैं ।

2. लोक साहित्य के विविध प्रकार:

लोक साहित्य के विविध प्रकारों में प्रमुख हैं:

(अ) लोकगाथा:

लोकगाथा लोककथात्मक गेय काव्य है, जो किसी विशेष कवि द्वारा लिखी जाती है, जिसमें गीतात्मकता और कथात्मकता होती है । यह पीढी दर पीढी हस्तान्तरित होती है । लोकगाथा का जन्म लोककण्ठ से होता है, जिसमें विचारों की सहजता, सरलता और विशेष पहचान होती है । इसमें मुहावरे, कहावतों और सरल छन्द का प्रयोग होता है । यह छोटी और बडी भी होती है ।

(ब) लोकगीत:

लोकगीत लोक में प्रचलित गीत होते हैं, जिनमें लोक मानस की लयात्मक अभिव्यक्ति होती है । लोकगीतों में सहजता और मधुरता होती है । इनमें छन्द, अलंकार आदि का चमत्कार नहीं होता है, इनमें मिट्टी की गन्ध होती है ।

(स) लोककथा:

लोककथा प्राचीनकाल से चली आ रही है । लोककथाओं में ऐसी कथाएं होती हैं, जो धार्मिक तथा व्रतानुष्ठानों से जुड़ी होती हैं । जैसे- महाभारत की कथा, रामायण की कथा ।

लोककथा वस्तुत: धर्मगाथाएं और पुराण कथाओं के रूप मे होती हैं । इनमें नैतिक जीवन मूल्यों की शिक्षा होती है । हमारे यहा स्त्रियां विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा, प्रार्थना के विषय में विभिन्न प्रकार की लोककथाएं कहती हैं ।

लोककथाओं का दूसरा रूप लोक कहानी के रूप में सामने आता है । लोक कहानी मौखिक रूप से प्रचलित रहती है और तीसरी तथा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह लोक में प्रचलित होती है । उसमें कोई-न-कोई लोक विश्वास अवश्य ही रहता है । इसमें लोक संस्कृति की झलक भी मिलती है । अंग्रेजी मे ऐसे ‘फाक टेल’ प्रचलित हैं ।

(द) लोकनाट्‌य:

लोक साहित्य में लोकनाट्‌य का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एव गौरवशाली स्थान होता है । लोकनाट्‌य में विभिन्न पात्र पद्यात्मक शैली में अपने संवाद प्रस्तुत करके समूचे वातावरण को अत्यन्त ही मनोरंजक बना देते हैं ।

लोकनाट्‌य अत्यधिक लोकप्रिय एवं प्रभावोत्पादक सिद्ध होते है । इनमें गीत, नृत्य, संगीत की त्रिवेणी प्रवाहित होती है । गांवों में जनता नाट्‌य देखकर जितना अनुभव करती है, उतना अन्य किसी अन्य विद्याओं में नहीं करती है । लोकनाट्‌य को हम तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं । इनमें: (1) नृत्य प्रधान लोकनाट्‌य में (अ) विदेशिया, कीर्तनियां, कुरंवजि, गबरी, रास, नकाब और अंकिया, रास प्रमुख हैं ।

(2) संगीत प्रधान लोक प्रधान लोकनाट्‌य में स्वांग, अर्थात् नकल की प्रधानता रहती है । इसमें नकल, गम्मत, स्वांग, करियाल बहुरूपिया, भवाई, नट-नटिन प्रमुख है ।

(इ) अन्य विधाएं:

लोक साहित्य में लोकगाथा, लोकगीत, लोकनाट्‌य, लोककथा के अतिरिक्त भी अनेक विधाएं होती हैं । जैसे-मुहावरे, लोकोक्तियां, खेलगीत, लोरियां, पालने के गीत आदि । लोकोक्तियों में ग्रामीण जनता, पहेली, सूक्तियों का प्रयोग भी करती है । इन सभी में लोकजीवन का सार एवं मौखिक परम्परा सम्मिलित रहती है ।

3. लोक संस्कृति:

लोक संस्कृति का आशय लोकजीवन की संस्कृति से होता है । लोक संस्कृति अर्द्धशिक्षित, ग्राम्य जनसमूहों की उस संस्कृति का बोध कराती है, जो सीधे-सादे हैं । लोकजीवन में लोक का रहन-सहन, रीति-रिवाज, तीज, त्योहार, पर्व, खानपान, वेशभूषा, भाषा, धर्म, दर्शन, ज्ञान- विज्ञान, कला आदि विचार सम्मिलित होते हैं ।

लोक संस्कृति में वस्त्र सज्जा और मृगार प्रसाधनों का भी काफी उल्लेख मिलता है । घर में प्रयुक्त होने वाली दरी, बिछौन, रेशमी कलात्मक सामग्री के अलावा विशिष्ट परिधानों- चुनरी, धोती का उल्लेख मिलता है । लोक आभूषणों की सूची में महावर, केश विन्यास गुदाना, बिछिया, मुंदरी का भी वर्णन होता है ।

डोली, पालकी स्त्रियोचित वाहनों का प्रयोग होता है । लोक संस्कृति में पारिवारिक सम्बन्ध और समस्याएं, पारिवारिक जीवन की दिनचर्या, पारिवारिक जीवन के संस्कार, पारिवारिक सम्बन्ध निर्वाह, शिष्ट व्यवहार एवं आधार जो सौतिया डाह से लेकर देवर, ननद, भाभी के सम्बन्ध जैसे पारिवारिक संस्कारों का चित्रण मिलता है ।

लोक संस्कृति के सामाजिक पक्ष में त्योहार, रीति-रिवाजों, लोकप्रथाओं एवं मान्यताओं तथा सामाजिक मनोविनोद के साधनों, आश्रम व्यवस्था आदि का वर्णन मिलता है । चौसर, शतरंज, चिरई, उड़ान, कबूतर के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों का भी चित्रण मिलता है ।

लोक संस्कृति में लोक विश्वासों और मान्यताओं का बहुत अधिक महत्त्व होता है । जादू-टोना, टोटका, शगुन-अपशगुन होते हैं । इसमें कुछ धार्मिक विश्वास व मान्यता, तो कुछ लोक विश्वास की अद्‌भुत कथाएं होती हैं ।

लोकमंगल एवं लोककल्याण भारतीय संस्कृति का मूल स्वर है । लोकगीतों, लोककथा, लोकगाथा, लोकनाट्‌यों, लोक संस्कृति में भारतीय जनजीवन धड़कता है । लोक साहित्य एवं लोक संस्कृति की मौखिक एवं संपन्न विरासत हमारी भारतीयता की पहचान है । इसमें निहित लोकादर्श में मानवीय तत्त्व प्रमुख हैं । लोकजीवन में बसी लोक साहित्य एवं संस्कृति में मिट्टी की गन्ध है, लोकचेतना है ।

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भारत की विरासत पर निबंध | Essay On Indian Heritage In Hindi

आज के लेख में Essay On Indian Heritage In Hindi का भारत की विरासत पर निबंध साझा कर रहे हैं, बच्चों के लिए सरल भाषा में भारत की कला संस्कृति इतिहास पर आधारित essay on indian heritage and culture Speech बता रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए यहाँ भारत की विरासत छोटा बड़ा निबंध लिख रहे हैं.

भारत की विरासत पर निबंध Essay On Indian Heritage In Hindi

भारत की विरासत पर निबंध | Essay On Indian Heritage In Hindi

किसी भी देश की अपनी सभ्यता संस्कृति होती हैं. जो सम्बन्धित देश एवं राज्य को विरासत में मिलती हैं. संस्कृति एवं सभ्यता ही वह चीज होती हैं जो दूसरे देश से अलग करती हैं. भाषा रहन सहन, जीवन दर्शन, साहित्य ललित कला परम्परा आदि उसे एक देश को दूसरे अन्य देश से अलग करती हैं.

भारत को आध्यात्मिक जीवन दर्शन, साहित्य, ललित कला, संस्कृति, भाषा आदि भारत को सदियों पुरानी विरासत में मिले हैं. भारत की विरासत की दुनियां भर अपनी अलग पैठ हैं जिसकों देखने व समझने के लिए हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानी यहाँ आते हैं.

हमारे देश में भारतीय दर्शन, आध्यात्म, धार्मिक सहिष्णुता, विविधता में एकता और ऐतिहासिक धरोहरों कुछ ऐसी अनूठी विरासत हैं जिन पर प्रत्येक भारतीय को अभिमान होता हैं.

भारत की सभ्यता का प्रमाणित इतिहास पांच हजार से अधिक वर्षों का हैं. इतने लम्बे कालखंड में सैकड़ों विदेशी आक्रमणकारी जातियों ने यहाँ आक्रमण किये और यही के होकर रह गये. भारत की सनातन परम्परा को छोड़कर अन्य कोई विचारधारा अपने अस्तित्व में नहीं हैं अगर हैं भी तो वे न के बराबर हैं.

प्राचीन भारतीय हिन्दू समाज सहिष्णु था जिसका प्रभाव आज के सम्पूर्ण भारतीय समाज पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं. भारत में आज हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी सभी मतों को मानने वाले लोग रहते हैं. भारत का संविधान भी राज्य को धर्म से अलग रखते हुए, धर्मनिरपेक्षता के विचार को अपनाएं हुए हैं.

भारत में 12 महीने तक त्योहारों मनाए जाए हैं जिसके चलते इसे त्योहारों का देश भी कहते हैं. 15 अगस्त, 26 जनवरी, गांधी जयंती ये भारत के तीन राष्ट्रीय त्यौहार माने गये हैं.

इनके अलावा बड़े त्योहारों में होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस, लोहिड़ी, राखी आदि को सभी धर्मों के अनुयायी मिलकर भाईचारे का संदेश देते हुए मनाते हैं.

इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थल भारत की विरासत का हिस्सा हैं. जिनमें नालंदा, राजगीर, बोधगया और वैशाली गौतम बुद्ध से जुड़े स्थल हैं.

वही अन्य स्थलों में कुरुक्षेत्र, मथुरा, वाराणसी, प्रयाग, हरिद्वार, सारनाथ, अयोध्या, खजुराहों, साँची, अजन्ता एलोरा, पुरी आदि भारत के पुरा ऐतिहासिक स्थल हमारी विरासत की धरोहर हैं.

भारत के धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों पर भ्रमण के लिए लाखों की संख्या में विदेशी यात्री भारत आते हैं. मुगलकालीन स्थापत्य एवं ललित कला की दुनियां में अपनी एक अलग पहचान हैं.

जिनमें आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, कुतुबमीनार आदि शामिल हैं. महाराष्ट्र की अंजता एवं एलोरा की गुफाओं, बिहार के नालंदा तथा उड़ीसा के पुरी जैसे महत्वपूर्ण स्थलों पर सरकार की कई योजनाएं कार्य कर रही हैं.

भारत की आध्यात्मिक नगरी काशी का पुनरोद्धार भारत की विरासत को बचाने की दिशा में एक मील का पत्थर हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत की विश्व में अलग ही स्थान हैं.

शास्त्रीय के अतिरिक्त अन्य गीत शैलियाँ निम्न हैं. ध्रुपद, धमार, ख्याल, तराना, ठुमरी, गजल, टप्पा, होरी, भजन, गीत, लोकगीत आदि भारत की संगीत की प्राचीन शैलियाँ हैं.

  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारतीय रिजर्व बैंक पर निबंध
  • भारतीय मुद्रा रुपया का इतिहास

उम्मीद करता हूँ दोस्तों भारत की विरासत पर निबंध Essay On Indian Heritage In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. भारतीय विरासत पर दिया गया निबंध आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

One comment

how to write an essay at BPSC exam. its how much complicate to write an essay in the examination of BPSC .

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

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  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
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  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Indian Culture and Tradition Essay for Students and Children

500+ words essay on indian culture and tradition.

India has a rich culture and that has become our identity. Be it in religion, art, intellectual achievements, or performing arts, it has made us a colorful, rich, and diverse nation. The Indian culture and tradition essay is a guideline to the vibrant cultures and traditions followed in India. 

Indian Culture And Tradition Essay

India was home to many invasions and thus it only added to the present variety. Today, India stands as a powerful and multi-cultured society as it has absorbed many cultures and moved on. People here have followed various religion , traditions, and customs.

Although people are turning modern today, hold on to the moral values and celebrates the festivals according to customs. So, we are still living and learning epic lessons from Ramayana and Mahabharata. Also, people still throng Gurudwaras, temples, churches, and mosques. 

The culture in India is everything from people’s living, rituals, values, beliefs, habits, care, knowledge, etc. Also, India is considered as the oldest civilization where people still follows their old habits of care and humanity.

Additionally, culture is a way through which we behave with others, how softly we react to different things, our understanding of ethics, values, and beliefs.

People from the old generation pass their beliefs and cultures to the upcoming generation. Thus, every child that behaves well with others has already learned about their culture from grandparents and parents.

Also, here we can see culture in everything like fashion , music , dance , social norms, foods, etc. Thus, India is one big melting pot for having behaviors and beliefs which gave birth to different cultures. 

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Indian Culture and Religion

There are many religions that have found their origin in age-old methods that are five thousand years old. Also, it is considered because Hinduism was originated from Vedas.

Thus, all the Hindu scriptures that are considered holy have been scripted in the Sanskrit language. Also, it is believed that Jainism has ancient origin and existence in the Indus valley. Buddhism is the other religion that was originated in the country through the teachings of Gautam Buddha. 

There are many different eras that have come and gone but no era was very powerful to change the influence of the real culture. So, the culture of younger generations is still connected to the older generations. Also, our ethnic culture always teaches us to respect elders, behave well, care for helpless people, and help needy and poor people.

Additionally, there is a great culture in our country that we should always welcome guest like gods. That is why we have a famous saying like ‘Atithi Devo Bhava’. So, the basic roots in our culture are spiritual practices and humanity. 

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India National Language: Understanding the Importance of Hindi

India, with its diverse cultural heritage, is a land of many languages but Hindi is the de facto India National Language. The country recognizes 22 official languages, out of which Hindi is the most widely spoken and understood language. In this article, we will explore the history, importance, and controversies surrounding Hindi as India’s national language.

Table of Contents

India National Language: Origins

Hindi is a language with roots dating back to ancient India. The earliest known form of Hindi was Prakrit, a language spoken in the 3rd century BCE. Prakrit eventually evolved into Apabhramsha, which further gave rise to several modern languages, including Hindi. Hindi, as we know it today, is a standardized version of the Khari Boli dialect, spoken in and around Delhi.

Hindi as India National Language

Hindi became the official language of India in 1965, replacing English. This move was made to promote Hindi as a unifying language that would bridge the linguistic divide in the country. However, this decision was met with resistance from some states where Hindi was not widely spoken. To address this concern, the Indian government recognized all 22 official languages, including Hindi, as equal in status.

Today, Hindi is the most widely spoken language in India, with over 40% of the population speaking it as their first language. Hindi is also the language used in the Indian parliament and judiciary, making it an important language for governance.

The Importance of Hindi

Hindi is not just a language but a means of cultural expression. It is the language of Bollywood, India’s thriving film industry, which has made Hindi films popular around the world. Hindi has also contributed to the enrichment of the Indian culture through its literature, poetry, and music.

Hindi is also a language of education and employment. Many schools and universities across India use Hindi as a medium of instruction. Knowledge of Hindi is often a requirement for employment in the Indian government and public sector.

Controversies Surrounding Hindi

Despite its widespread use, Hindi has been a subject of controversy in India. Some states have expressed concern that the promotion of Hindi as a national language would lead to the marginalization of other languages. This has led to protests and demands for greater recognition of regional languages.

Another controversy surrounding Hindi is its association with Hindu nationalism. The use of Hindi as a symbol of national identity has been criticized by some as a means of promoting the Hindu religion and culture, thereby marginalizing other religious and cultural groups in India.

Hindi is an important language in India, both for its cultural significance and its practical uses. It is the de facto national language and an important language for governance, education, and employment. However, its promotion as a national language has been met with resistance, with some states demanding greater recognition of regional languages. Despite the controversies, Hindi remains an integral part of the Indian identity and will continue to play a vital role in the country’s future.

  • Is Hindi the only official language of India?

No, India recognizes 22 official languages, of which Hindi is one.

  • How many people speak Hindi in India?

Over 40% of the population speaks Hindi as their first language.

  • What is the controversy surrounding Hindi as a national language?

Some states have expressed concern that the promotion of Hindi as a national language would lead to the marginalization of other languages. Additionally, its association with Hindu nationalism has been criticized by some as a means of promoting the Hindu religion and culture.

  • Is knowledge of Hindi required for employment in the Indian government?

Yes, in many cases, knowledge of Hindi is a requirement for employment in the Indian government and public.

  • Can I learn Hindi as a second language?

Yes, Hindi is widely taught as a second language in schools and universities across India. There are also many resources available for learning Hindi online.

  • Are there any other languages that are widely spoken in India besides Hindi?

Yes, India is a diverse country with many languages spoken. Besides Hindi, other widely spoken languages in India include Bengali, Telugu, Marathi, Tamil, and Urdu.

  • “Hindi Diwas 2021: What is the history behind celebrating Hindi Diwas?” India Today, 14 September 2021, https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/hindi-diwas-2021-what-is-the-history-behind-celebrating-hindi-diwas-1852341-2021-09-14.
  • “Languages of India.” Wikipedia, Wikimedia Foundation, 4 April 2023, https://en.wikipedia.org/wiki/Languages_of_India.
  • “Hindi Language.” Encyclopædia Britannica, Encyclopædia Britannica, Inc., 18 January 2022, https://www.britannica.com/topic/Hindi-language.

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Indian Culture Essay

India is renowned throughout the world for its tradition and culture. It is a country with many different cultures and traditions. The world's ancient civilisations can be found in this country. Good manners, etiquette, civilised dialogue, customs, beliefs, values, etc., are essential elements of Indian culture . India is a special country because of the ability of its citizens from many cultures and traditions to live together in harmony. Here are a few sample essays on ‘Indian culture’.

Indian Culture Essay

100 Words Essay on Indian Culture

India's culture is the oldest in the world and dates back over 5,000 years. The first and greatest cultures in the world are regarded as being those of India. The phrase "Unity in Diversity" refers to India as a diverse nation where people of many religions coexist while maintaining their distinct customs. People of different religions have different languages, culinary customs, ceremonies, etc and yet they all live in harmony.

Hindi is India's official language. However, there are 400 other languages regularly spoken in India's many states and territories, in addition to the country's nearly 22 recognised languages. History has established India as the country where religions like Buddhism and Hinduism first emerged.

200 Words Essay on Indian Culture

India is a land of diverse cultures, religions, languages, and traditions. The rich cultural heritage of India is a result of its long history and the various invasions and settlements that have occurred in the country. Indian culture is a melting pot of various customs and traditions, which have been passed down from generation to generation.

Religion | Religion plays a significant role in Indian culture. The major religions practiced in India are Hinduism, Islam, Buddhism, Sikhism, and Jainism. Each religion has its own set of beliefs, customs, and practices. Hinduism, the oldest religion in India, is the dominant religion and has a vast array of gods and goddesses. Islam, Buddhism, Sikhism, and Jainism are also widely practiced and have a significant number of followers in the country.

Food | Indian cuisine is known for its diverse range of flavors and spices. Each region in India has its own unique style of cooking and distinct dishes. Indian cuisine is known for its use of spices, herbs, and a variety of cooking techniques. Some of the most famous Indian dishes include biryani, curry, tandoori chicken, and dal makhani. Indian cuisine is also famous for its street food, which is a popular and affordable way to experience the diverse range of flavors that Indian food has to offer.

500 Words Essay on Indian Culture

Indian culture is known for its rich art and architecture. The ancient Indus Valley Civilization, which existed around 2500 BCE, had a sophisticated system of town planning and impressive architectural structures. Indian art is diverse and includes painting, sculpture, and architecture. The most famous form of Indian art is the cave paintings of Ajanta and Ellora, which date back to the 2nd century BCE. Indian architecture is also famous for its temples, palaces, and forts, which are a reflection of the rich cultural heritage of the country.

Music and dance are an integral part of Indian culture . Indian music is diverse and ranges from classical to folk to modern. The classical music of India is known for its use of ragas, which are a set of musical notes that are used to create a melody. The traditional Indian dance forms include Kathak, Bharatanatyam, and Kathakali. These dance forms are known for their elaborate costumes, expressive gestures, and intricate footwork.

My Experience

I had always been fascinated by the rich culture and history of India. So, when I finally got the opportunity to visit the country, I was beyond excited. I had heard so much about the diverse customs and traditions of India, and I couldn't wait to experience them firsthand. The moment I stepped off the plane and hit the streets, I was greeted by the overwhelming smell of spices and the hustle and bustle of the streets. I knew right away that I was in for an unforgettable journey.

My first stop was the ancient city of Varanasi, also known as Banaras. As I walked through the streets, I was struck by the vibrant colors and the sound of temple bells and chants. I visited the famous Kashi Vishwanath Temple and was amazed by the intricate architecture and the devotion of the devotees.

From Varanasi, I traveled to Jaipur, also known as the Pink City . Here, I visited the famous Amber Fort, which was built in the 16th century. The fort was a perfect example of the rich architecture of India and the level of craftsmanship that existed in ancient India.

As I continued my journey, I also had the opportunity to experience the food of India. From the spicy curries of the south to the tandoori dishes of the north, I was blown away by the range of flavors and the use of spices.

I also had the chance to experience the music and dance of India. I attended a Kathak dance performance and was mesmerized by the intricate footwork and the expressiveness of the dancers. I also had the opportunity to attend a classical music concert and was struck by the beauty of the ragas and the skill of the musicians.

My journey through India was truly an unforgettable experience. I had the chance to experience the diverse customs and traditions of India and was struck by the richness of the culture. From the ancient temples to the vibrant street markets, India is a treasure trove of history and culture. I knew that this would not be my last trip to India, as there is so much more to explore and experience.

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  • Indian Culture and Tradition Essay

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Essay on Indian Culture and Tradition

As students grow older, it is important for them to improve their understanding and hold over the language. This can be done only through consistent reading and writing. Writing an essay is a task that involves cooperation and coordination of both the mind and body. Students must be able to think as well reproduce their thoughts effectively without any confusion. This is important when it comes to writing answers and other important documents as ones go to higher classes. The art of writing effectively and efficiently can be improved by students through writing essays. To help students in this domain, Vedantu provides students with numerous essays. Students can go through the same and learn the correct manner of writing the essay. 

Indian Culture and Tradition

India enjoys a wide variety of cultural and traditional presence amongst the 28 states. Indian origin religions Hinduism, Jainism and Buddhism are all based on dharma and karma. Even, India is a blessed holy place which is also a native place for most of the religions. Recently, Muslim and Christianity also practised working amongst the whole India population. The pledge also added the line, ‘India is my country, and I am proud of its rich and varied heritage.’  

Indians are great with cooking; their spices are special for medicinal purposes, so visitors are difficult to adjust to with such heavy spices. The cricketers touring Indian pitches are out due to such food. Frequently, it's been observed that the sportsperson arrived in India either with cooking skills or with a cook. Spices such as cumin, turmeric and cardamom have been used for a long period, to make the dishes more delicious and nutritional. Wheat, rice and pulses help to complete the meal. The majority of the population is a vegetarian one due to their religious aspects.

Talking about the language, India is blessed with a wide range of languages used. Each state has its own language. A major part of the state is unable to speak other languages than the native one. Gujrathi, Malayalam, Marathi, Tamil, Punjabi, Telugu and many more are the representative languages of the respective state. It's easy to recognize the person with the language he spoke. There are 15 regional languages but almost all of them Hindi is the national language of the country. Sanskrit is considered an ancient and respected language. And most of the legendary holy texts are found in Sanskrit only. Along with these, most of the people are aware of plenty of foreign languages. 

Indian clothing is adorable to most of the foreigners. Woman wearing a sari is the pride of a nation. These create a pleasant effect and she looks so beautiful that a majority of foreign country’s female want to be like her. The origin of the sari is from the temple dancers in ancient times. Sari allows them to maintain modesty and freedom of movement. On the other hand, men traditionally wear a dhoti and kurta. Actually, Dhoti is a type of cloth without any further attached work done on it. The great Mahatma Gandhi was very fond of it and in their dignity, most of the people used to wear the same. 

Apart from all the above facts, Indians are legends with arts and studious material. Shah-rukh Khan, Sachin Tendulkar, Dhirubhai Ambani, Amitabh Bachchan Rajnikant, Sundar Pichai are many more faces of India who are shining and representing India on a global scale. There are 20-30 grand festivals celebrated every year in which every festival pops up with history and respect to the respective religion. Even in terms of business, India is not behind. Agriculture is the best occupation of 70% of people in India. It’s our duty to protect the wonderful culture that we have. 

Indian culture is one of the oldest and most unique cultures known across the globe. It has various kinds of traditional values, religion, dance, festivals, music, and cloth, which varies from each state or town even. Indian art, cuisine, religion, Literature, Education, Heritage, Clothes etc has a huge impact on the whole world where everyone admires and follows it. It is known as the land of cultural diversity.  India thrives on a variety of languages, religions, and cultures due to the diverse race of people living in the country. It can be referred to as one of the world’s most culturally enriched countries. When one thinks of India, they picture colors, smiling faces of children running in the streets, bangle vendors, street food, music, religious festivals etc. 

Religion 

India is a land where different religious beliefs are followed. It is the land of many religions such as Hinduism, Islam, Christianity, Sikhism, Jainism and Buddhism.  Four Indian religions namely Hinduism, Sikhism, Jainism, and Buddhism were born in India while others are not of Indian origin but have people following those faiths. The people of India keep a solid belief in religion as they believe that following a faith adds meaning and purpose to their lives as it is the way of life. The religions here are not only confined to beliefs but also include ethics, rituals, ceremonies, life philosophies and many more.

Families 

Family plays a vital role in every Indian household. Indians are known to live together as a joint family with their grandparents, uncles and aunts, and the next generation of offspring as well. The house gets passed down from family to family throughout the generations. But with the new modern age, nuclear families are starting to become more common as children go out of town into cities for work or studies and get settled there, also everyone now prefers to have their own private life without any interference. But still, the concept of family get together and family gatherings are not lost as everyone does come together frequently. 

Indian Festivals

India is well known for its traditional festivals all over the world. As it is a secular country with diversity in religions, every month some festival celebration happens. These festivals can be religious, seasonal or are of national importance. Every festival is celebrated uniquely in different ways according to their ritual as each of them has its unique importance. National festivals such as Gandhi Jayanti, Independence Day and Republic Day are celebrated by the people of India across the entire nation. Religious festivals include Diwali, Dussehra, Eid-ul-Fitr, Eid-ul-Zuha, Christmas, Ganesh Chaturthi, etc. All the seasonal festivals such as Baisakhi, Onam, Pongal, Bihu etc are celebrated to mark the season of harvest during two harvesting seasons, Rabi and Kharif. 

Festivals bring love, bond, cross-cultural exchange and moments of happiness among people.

Indian cuisine is known for a variety of spicy dishes, curry, rice items, sweets etc. Each cuisine includes a wide range of dishes and cooking techniques as it varies from region to region. Each region of India cooks different types of dishes using different ingredients, also food varies from every festival and culture as well. Hindus eat mostly vegetarian food items such as pulao, vegetables, daal, rajma etc whereas people from Islamic cultural backgrounds eat meat, kebabs, haleem etc. In the southernmost part of India, you will find people use a lot of coconut oil for cooking purposes, they eat a lot of rice items such as Dosa, Idli, Appam etc with Coconut chutney, sambhar.

Indian Clothing is considered to be the epitome of modesty and every style is very different in each region and state. But the two pieces of clothing that represent Indian culture are dhoti for men and saree for women. Women adorn themselves with a lot of bangles and Payal that goes around their ankles. Even clothing styles varied from different religions to regions to cultures. Muslim women preferred to wear salwar kameez whereas Christian women preferred gowns. Men mostly stuck to dhoti, lungi, shalwar and kurta.In modern days, people have changed their sense of style, men and women now wear more modern western clothes. Indian clothes are still valued but are now in more trendy and fashionable styles. 

There is no single language that is spoken all over India; however , Hindi is one common language most Indians know and can speak or understand. Every region has a different language or dialect. As per the official language act, Hindi and English are the official languages in India. Other regions or state wise languages include- Gujarati, Marathi, Bangla, Malayalam, Tamil, Telugu, Kannada, Kashmiri, Punjabi etc. 

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FAQs on Indian Culture and Tradition Essay

1. What are the Popular Spices in India?

Popular spices in India include - Haldi(Turmeric), Chakri Phool(Star Anise), Til (Sesame seeds/ Gingili seeds), Saunf(Fennel Seeds), Kesar(Saffron), Laal Mirch(Red chilli), Khas(Poppy seeds), Jayphal(Nutmeg), Kalonji(Nigella Seeds), Rai/Sarson(Mustard Seeds), Pudina(Mint), Javitri(Mace), Patthar ke Phool​(Kalpasi), Kala Namak/ Sanchal/ Sanchar powder(Black salt/ Himalayan rock salt/ Pink salt), Sonth(Dry ginger powder), Methi dana(Fenugreek seeds), Suva Bhaji/ Sua Saag(Dill)

Kadi Patta(Curry Leaves), Sukha dhania(Coriander seeds), Laung(Cloves), Dalchini(Cinnamon), Sabza(Chia seeds), Chironji(Charoli), Ajwain(Carom seeds, thymol or celery seeds), Elaichi(Cardamom), Kali Mirch(Black Pepper (or White Pepper), Tej Patta(Bay Leaf), Hing(Asafoetida), Anardana(Pomegranate seeds), Amchoor(Dry mango powder)

2. What is the Language Diversity Available in India?

The Indian constitution has 22 officially recognized languages. Apart from it, there are around 60 languages that are recognized as smother tongue with more than one million speakers. India also has around 28 minor languages spoken by over one hundred thousand and one million people. Apart from these, there are numerous dialects spoken by a various sect of people based on their region of origin. 

3. Who are Some of the Most Famous Indian Celebrities Popular Across the Globe? 

India has people excelling in all aspects of art and activities. Few prominent celebrities to garner global fame include - Sudha Murthy, Amitabh Bacchan, Virat Kohli, Saina Nehwal, Sania Mirza, Priyanka Chopra, MS Dhoni, Sachin Tendulkar, Mohanlal, A R Rehman, Mukesh Ambani, Ratan Tata, Narayana Murthy, Kiran Majumdar Shah, Narendra Modi, Amith Shah. all these people have received great accolades in their respective area of expertise globally and getting recognition to India on a global level. 

4. How to Improve Writing and Reading Skills for Producing Good Essays?

Writing an essay becomes a tedious task when the mind and hand do not coordinate. It is important for you to be able to harness your mental ability to think clearly and reproduce the same on paper for a good essay. Always remember the first few thoughts that you get as soon as you see an essay topic is your best and purest thoughts. Ensure to note them down. Later you can develop your essay around these points. Make sure your essay has an introduction, body and the final conclusion. This will make the reader understand the topic clearly along with your ability to convey the any information without any hesitation or mistake. 

5. How many religions are there in India? 

As of now, there are a total of 9 major religions in India with Hinduism being the majority. The remaining religion includes- Islam, Christianity, Buddhism, Sikhism, Jainism, Zoroastrianism, Judaism and the Baha'i Faith. 

6. Which is the oldest language in India? 

Indian classical oldest language is Sanskrit, it belongs to the Indo- Aryan branch of Indo- European languages. 

7. What are the few famous folk dances of India? 

Folk dances are the representation of a particular culture from where they are known to originate. Eight famous classical dances are- Bharatnatyam from Tamil Nadu, Kathakali from Kerala, Kathak from North, West and Central India, Mohiniyattam from Kerala, Kuchipudi from Andhra Pradesh, Odissi from Odisha, Manipuri from Manipur, Sattriya from Assam. 

8. How many languages are spoken in India? 

Other than Hindi and English there are 22 languages recognised by the constitution of India. However, more than 400 languages and dialects in India are still not known as they change after every town. Over the years, about 190 languages have become endangered due to very few surviving speakers. 

9. Describe the Indian Culture. 

Indian culture is very diverse and the people of India are very warm and welcoming. They have a strong sense of family and firmly believe in unity in diversity. In India, there's a saying saying 'Atithi Devo Bhava'  means 'the guest is equivalent to god'. So if one visits India, they will never feel unwanted.

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  20. Indian Culture and Tradition Essay for Students

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  21. India National Language: Understanding the Importance of Hindi

    Hindi is not just a language but a means of cultural expression. It is the language of Bollywood, India's thriving film industry, which has made Hindi films popular around the world. Hindi has also contributed to the enrichment of the Indian culture through its literature, poetry, and music. Hindi is also a language of education and employment.

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