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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

  • by Rohit Soni
  • 14 min read

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

महिला सशक्तिकरण क्या है.

महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?

महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।

जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment

नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।

महिला सशक्तिकरण के उपाय

महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • सुकन्या समृध्दि योजना
  • बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
  • वन स्टॉप सेंटर
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना
  • फ्री सिलाई मशीन योजना

एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)

[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

महिलाओं का अतीत

वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी,  अर्द्धांगिनी,  लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”   यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।

भारत में महिलाओं का सम्मान

भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।

वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार

महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।

शासन तथा समाज का दायित्व

महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।

शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  • सुकन्या समृद्धि योजना

नारी जागरण की आवश्यकता

यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।

वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।

  • रिश्तों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में जानें

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

  • महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  • हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
  • महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
  • बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
  • बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
  • 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
  • वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
  • महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
  • महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।

यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।

FAQ Mahila Sashaktikaran Essay

Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.

Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?

Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?

Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।

इसी प्रकार के और भी उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में पढ़ने के लिए Hindi Read Duniya को सबस्क्राइब जरूर करें। निबंध को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!

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Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”

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Bahut achcha nibandh lika hai🙏

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धन्यवाद भाई 💖

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi (1000 W)

महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi (1000 W)

आज हमने इस आर्टिकल में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) लिखा है। जिसमें हमने प्रस्तावना, इसका अर्थ, दिवस की तारीख, महत्व, बढ़वा देने के उपाय, तथा इस पर 10 लाइन लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (महिला सशक्तिकरण पर निबंध) Essay on Women Empowerment in Hindi

“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता”

अर्थात- जहां नारी को पूजा जाता है वहां देवता निवास करते हैं। हमारे भारतीय समाज में नारी को पहले से ही देव तुल्य माना गया है। वह कभी एक बेटी के रूप में , कभी पत्नी के रूप में, तो कभी मां के रूप में इस विश्व का सृजन करते आई है।

इस तथ्य को कदापि नकारा नहीं जा सकता की किसी समाज को जागृत करने के लिए किसी महिला का जागृत होना बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि जब महिला अपना कदम बढ़ाती है तो एक परिवार आगे बढ़ता है, एक गांव आगे बढ़ता है तथा राष्ट्र विकास की ओर उन्नतशील होता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा क्या है? What Is the Meaning and Definition of Women Empowerment in Hindi?

अपने निजी स्वतंत्रता और चयन का फैसला लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देने तथा समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला जागृत होंगी तभी हमारा समाज, हमारे राष्ट्र और हमारे देश का विकास होगा। महिलाओं के लिए जागृत होना बहुत ही जरूरी है ताकि वह पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके तथा समाज में सर उठा कर चल सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ है महिलाओं को उनका सही अधिकार दिलाना है।

महिला सशक्तिकरण दिवस कब मनाया जाता है? When Is Women Empowerment Day Celebrated in Hindi?

भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा उच्च स्थान मिला है ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता का वास होता है। देश समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरूरी है इसलिए 8 मार्च को प्रतिवर्ष पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है।

भारत में महिला सशक्तिकरण का महत्व क्या है? What Is the Importance of Women Empowerment in India?

भारत में महिलाओं का सशक्त बनना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि हमारा भारत पुरुष प्रभुत्व वाला देश है जहां पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा माना जाता है जो कि सही बात नहीं हैं। आज भी भारत में महिलाओं को पुरुष की तरह काम करने नहीं दिया जाता है उन्हें घर की देखभाल करने को तथा घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है।

भारत में महिला सशक्तिकरण एक बहुत ही बड़ा विषय है। हमारे देश में महिलाएं सशक्त बनेंगी और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे तभी हमारे देश का विकास होगा और वह दिन भी दूर नहीं होगा जिस दिन हमारा भारत विकासशील देशों के लिस्ट में गिना जाएगा।

महिला सशक्तिकरण को बढ़वा कैसे दें? How to Promote Women Empowerment in Hindi?

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन बुरे सोचों को खत्म करना होगा जो महिला सशक्तिकरण के लिए रुकावट हैं। जैसे दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, अशिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, असमानता, बाल मजदूरी, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति इत्यादि।

देश की आजादी के बाद भारत को बहुत से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पुरुष और महिलाओं के बीच एक बड़ा अंतर पैदा हुआ है। महिला को उनके सामाजिक और मौलिक अधिकार जन्म से ही मिलना चाहिए। महिला सशक्तिकरण तब माना जा सकता है जब महिला को यह निम्नलिखित अधिकार दिए जाएं-

  • वह अपने जीवन शैली के अनुसार स्वतंत्र जीवन जी सकती है चाहे वह घर हो या बाहर।
  • किसी भी प्रकार से शिक्षा प्रदान करते समय उन में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
  • सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला को बराबरी में लाना बहुत ही जल्दी है।
  • वह घर पर या बाहर काम के स्थान, सड़क आदि पर सुरक्षित आ जा सके।
  • उसे एक आदमी की तरह समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए।
  • महिलाओं के प्रति लोगों के मन में सम्मान की भावना होनी चाहिए।
  • वह अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र महसूस करती हो।

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पास किए गए कौन से अधिनियम हैं? What Are the Act Passed by the Parliament to Empower Women?

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पास किए गए कुछ अधिनियम निम्नलिखित हैं-

  • अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम 1956
  • दहेज रोग अधिनियम 1961
  • लिंग परीक्षण तकनीकी एक्ट 1994
  • बाल विवाह रोकथाम एक्टर 2006

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कहा था कि-

जब तक हमारे देश की महिलाएं पुरुषों के साथ एक साथ मिलकर काम नहीं करेंगे तब तक हमारे देश का पूरी तरह से विकास नहीं होगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का कुछ फायदा मिल रहा है। महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी तथा परिवार, देश और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती हैं। वह हर क्षेत्र में भाग लेती है, और अपना रुचि प्रदर्शित करती है। 

अंततः कहीं वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल रहा है। आज महिलाओं ने कई दिग्गज काम कर के साबित कर दिया है कि वे केवल पुरुषों के बराबर ही नहीं पुरुषों से भी आगे हैं। जो घर संभालने के साथ-साथ बाहरी दुनिया में भी अपना नाम रोशन कर रहे हैं।

कल्पना चावल, इंद्रा नुई, मेरी कॉम, प्रियंका चोपड़ा, मिताली राज जैसी महिलाओं ने सफलताओं को छु कर न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व की महिलाओं को सशक्त बनने के लिए उत्साहित किया है। 

महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन 10 Lines on Women Empowerment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन पढ़ें-

  • महिलाओं को उनका पूर्ण अधिकार देना महिला सशक्तिकरण कहलाता है। 
  • महिलायें एक बेटी, कभी पत्नी, तो कभी मां के रूप में अपना कर्तव्य निभाती आई है। 
  • जब तक हम महिलाओं को पुरुष के समान दर्जा नहीं देंगे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा नहीं मिलेगा। 
  • महिला जागृत होंगी तभी हमारा समाज हमारे राष्ट्र और हमारे देश का विकास होगा।
  • देश की प्रगति के लिए महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिल कर काम करना होगा।
  • आज सानिया नहवाल, प्रियंका चोपड़ा, मेरी कॉम, जैसी महिलायें आज विश्व की सभी महिलाओं के लिए एक मोटवैशन हैं।
  • भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा उच्च स्थान मिला है ऐसा कहा जाता है कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता का वास होता है।
  • देश समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरूरी है इसीलिए 8 मार्च को पूरे विश्व में प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
  • भारत में महिलाओं का सशक्त होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि हमारा भारत पुरुष प्रभुत्व वाला देश बन चुका है।
  •  भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज से बुरी चीजें जैसे दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, निरक्षरता, कन्या भ्रूण हत्या, असमानता, बाल मजदूरी, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति इत्यादि।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पढ़ा और जाना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना क्यों इतना आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण को बढ़वा देने के लिए हमें महिलाओं को हमेशा आगे रखना चाहिए तथा उनको सभी अधिकार मिलने चाहिए। हमारे देश की महिलाएं सशक्त होंगी तभी हमारे देश का विकास होगा। 

इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत ही जरूरी है। महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) आपको अच्छा लगा हो तो हमारे साथ और भी जानकारी पाने के लिए इसी तरह से जुड़े रहिए।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा गया है। इसमें आप महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा, आवश्यकता, बाधायें, सरकार की भूमिका, जरूरी अधिनियम, राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका, लाभ तथा इसको बढ़ावा देने के उपायों के विषय में आप पढ़ सकते हैं।

Table of Content

इस लेख में महिला सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों को आसान भाषा में बताया गया है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and Definitions of Women Empowerment in Hindi

इस धरती पर एकमात्र इंसान ऐसा प्राणी है जिसने अपनी बुद्धि और चलाकी का इस्तेमाल करके पृथ्वी से दूसरे ग्रहों तक का सफर तय किया है। हमने विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियां प्राप्त की है।

अगर पहले के समय की बात की जाए तो जो सुख सुविधाएं हमने आज विकसित की हैं, वह पहले नहीं थी। साधारण सी बात है कि वैज्ञानिक युग के साथ ही हमारी मानसिकता में भी बदलाव आया होगा।

लेकिन हमारे समाज में नवीनता के साथ लोगों का पिछड़ापन भी साफ दिखाई पड़ता है। समाज के कुछ ऐसे तबके के लोग होते हैं, जो किसी लिंग, विशेष धर्म, जाति अथवा मजहब के लोगों को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं।

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लिंग भेद ज्यादातर महिलाओं के प्रति किया जाता है। हमारा भारतीय समाज पितृसत्तात्मक विचारधारा से पीड़ित है। ऐसे में महिलाओं पर सामाजिक, आर्थिक और न जाने कितने प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं।

महिला सशक्तिकरण एक ऐसी मुहिम है, जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है। उन्हें इस काबिल बनाना है, कि वह खुद ही समाज के दूषित विचारधारा वाले लोगों को मुंह तोड़ जवाब दे पाए।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ आज के समय में ही महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं। बल्कि प्राचीन समय में भी  सती प्रथा, दूध पीती प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या और न जाने कितने सारे पाप किए जाते थे।

महिला सशक्तिकरण का गठन समाज में महिलाओं को एक अलग नाम प्रदान करना है। अब धीरे-धीरे महिलाएं भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं।

आज के समय में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कहीं भी पीछे नहीं रहती। एक गृहणी से लेकर देश के बड़े-बड़े राजनीतिक पदों का कार्यभार वे बेहद आसानी से उठा लेती हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता Need for Women Empowerment in India in Hindi

जब तक हमारा समाज आधुनिकता से वंचित था, तब से महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है। केवल विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति कर लेने से विकास नहीं होता, बल्कि मानसिकता में भी बदलाव करना पड़ता है।

ऐसे में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता बहुत बढ़ जाती है। किसी भी समाज को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए लोगों की मानसिकता भी ऊंची होनी चाहिए। रूढ़िवादी प्रथाओं और पितृसत्तात्मक विचारधारा से जूझते लोग समाज में अपना योगदान तभी दे पाएंगे जब उनमें समानता की भावना विकसित हो सकेगी।

आए दिन हम खबरें सुनते हैं, कि दहेज के कारण किसी नववधू को ससुराल वालों ने प्रताड़ित किया और हत्या कर दिया। यही नहीं यदि कोई बेटी समाज से बाहर निकल कर अपना नाम कमाना चाहती हो, तो उसे हर पल रोका जाता है।

यदि किसी भी देश को वास्तव में उन्नति के पथ पर अग्रसर होना है, तो सर्वप्रथम वहां के नागरिकों की मनोस्थिति में बदलाव लाना होगा। महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत है।

समाज का दोगलापन तब सामने आता है, जब एक तरफ वे स्त्री के रूप में देवियों की पूजा अर्चना करते हैं, वहीं दूसरी तरफ महिलाओं को डरा धमका कर उनका शोषण करते हैं।

महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत सभी महिलाएं जिनका समाज ने जीना हराम कर के रखा है वे अपने अधिकारों को पहचान कर लोगों के सामने अपनी आवाज बुलंद कर सकती हैं।

हमारे देश में कुछ पढ़े-लिखे और शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग अब महिलाओं को समर्थन प्रदान कर रहे हैं। वही आज भी पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं पर अत्याचार होना जारी है।

अब लोगों की अवधारणाएं महिलाओं के प्रति सकारात्मक रूप से बदल रही है। महिला सशक्तिकरण का गठन समाज को एक चरित्रवान और विकसित पथ पर दिशा निर्देश करने का पहल करना है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएँ Barriers in the Way of Women Empowerment in India in Hindi

महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाले बाधाओं में सबसे बड़ा योगदान लोगों की निरक्षरता है। सर्वप्रथम माता-पिता ही किसी बच्ची के जन्म लेने पर शोक मनाना शुरू कर देते हैं, तो भला आगे चलकर समाज कैसे खुशी मना सकता है।

इन लोगों को बच्ची के जन्म लेने पर उसके पढ़ाई लिखाई और पालन पोषण करने की चिंता से पहले विवाह और दहेज की चिंता होने लगती है।

हमारे देश में हर दिन लगभग सैकड़ों ऐसी खबरें सुनाई पड़ती हैं जिनमें महिलाओं पर दहेज का दबाव बनाकर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। यदि कोई महिला देर रात तक अपने काम से घर लौटती है, तो उसे लोग चरित्रहीन और मनमर्जी कहते है।

सबसे पहले अपराधियों के खिलाफ जो तथाकथित नियम कानून बनाए गए हैं, उन्हें लागू करना चाहिए। हम सभी दहेज की निंदा करते हैं, लेकिन वास्तव में खुलेआम दहेज़ का लेनदेन भी करते हैं।

ऐसे कड़े नियम बनाने चाहिए जिसके अंतर्गत यदि ऐसी कोई भी निंदनीय वारदात हो तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।

महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए देश की सरकारें तो बहुत बयान बाजी और वादा करते हैं लेकिन वक्त आने पर यही राजनेता और मंत्री मुंह मोड़ लेते हैं। महिलाओं को खुद यह बात समझनी होगी कि उनके हक की लड़ाई उन्हें स्वयं लड़नी होगी।

समाज और परिवार के दबाव में आकर खुद को प्रताड़ित होने देना किसी समस्या का हल नहीं होता है। कई बार तो समाज क्या कहेगा इस डर से महिलाएं ही खुद जुर्म को सहती रहती हैं और हर बार समाज के पैर तले कुचल दी जाती हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका Role of Government for Women Empowerment in India in Hindi

हमारे भारत देश में महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करने के लिए कई नियम कानून बनाए जाते हैं। अब सरकार ने महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों को नष्ट करने में काफी भूमिका निभाई है। नियम कानून तो बहुत सारे बनाए गए हैं, बशर्ते उन्हें अच्छे से लागू किया जाना चाहिए।

यदि किसी महिला पर जबरन दहेज का दबाव डाला जाता है, तो वह किसी भी सरकारी अधीरक्षकों के सम्मुख शिकायत दर्ज करवा सकती है। यदि किसी भी कार्य स्थल पर महिलाओं के साथ यदि कोई उत्पीड़न होता है, तो इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पर बहुत जल्दी जांच पड़ताल शुरू कर दी जाएगी।

इसके अलावा बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत कई सरकारी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है जहां बिना किसी मूल्य के उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाती है। ऐसा होने से माता पिता पर भी शिक्षा के खर्च का दबाव नहीं पड़ता और वे अपनी बेटियों को भी आसानी से शिक्षित कर सकते हैं।

संसद द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए पास किए कुछ अधिनियम Some Acts Passed by Parliament for Women Empowerment in Hindi

लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम , 1994 या पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए संसद में लाया गया एक महत्वपूर्ण अधिनियम था।

यदि कोई भी माता-पिता कन्या भ्रूण हत्या की वारदात को अंजाम देते हैं, तो वे एक हत्या के बराबर का जुर्म करते हैं। जीने के अधिकार का हनन करने के कारण ऐसे लोगों को सालों की सजा और काफी मोटी रकम का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

कई बार देखा जाता है कि पुरखों के संपत्तियों पर केवल पुरुषों का ही अधिकार होता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम एक ऐसा अधिनियम था, जिसके मुताबिक माता-पिता के पुश्तैनी संपत्तियों को बेटों और बेटियों में बराबर का हिस्सा बांटा जाता है। ऐसे में यह संपत्ति का अधिकार महिला सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हुआ है।

दहेज उन्मूलन अधिनियम 1961 के मुताबिक यदि वधू पक्ष पर वर पक्ष के परिवार वाले किसी भी तरह का दहेज मांग करते हैं तो शिकायत दर्ज करवाने पर उन्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ सकती है। इस अधिनियम से नवविवाहित स्त्रियों को अपना जीवन सुखमय यापन करने में सहायता मिली है।

एक समान कार्य करने पर महिलाओं और पुरुषों को समान वेतन दिया जाएगा। एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976 महिला सशक्तिकरण के लिए लाया गया एक ऐसा ही अधिनियम है, जो महिलाओं को उनके परिश्रम की न्याय पूर्वक कीमत भुगतान करता है।

इसके अलावा यदि कोई महिला गर्भवती है, तो उसे मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987 के तहत कुछ दिन का अवकाश दिया जाएगा, जिससे कि वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकें।

महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कार्यस्थल पर सुरक्षा विधेयक के तहत किसी भी कार्यकारिणी महिलाओं को यदि कोई भी उनके कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार का उत्पीड़न दबाव डालता है, तो उसे पुलिस की हिरासत में ले लिया जाएगा और हजारों का जुर्माना भरना होगा। यह विधेयक लाने के बाद कुछ दूषित मानसिकता वाले लोगों में डर का माहौल उत्पन्न हुआ है।

महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका Role of women in nation building in Hindi

एक सभ्य शिक्षित समाज का निर्माण का श्रेय एक शिक्षित स्त्री को जाता है। यदि कोई महिला पढ़ी लिखी है, तो वह अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देने में ध्यान केंद्रित करेगी।

हम जानते हैं, कि एक विकसित देश का निर्माण कार्य आज के बच्चों के हाथों में है। यह तो केवल गृहणी का कार्य था, लेकिन इसके अलावा महिलाएं पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर उन्हें चुनौती दे रही हैं।

 न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी जाकर भारत की बेटियों ने अपने मातृभूमि का नाम रोशन किया है। यह तो वास्तविकता है कि केवल पुरुषों के विकास हो जाने से देश विकसित नहीं होता।

देश का नाम रोशन करने के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही अपना योगदान देने के लिए सामने आना होगा। असमानता का भाव एक नीच चरित्र की निशानी है।

सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पारिवारिक क्षेत्रों में भी महिलाओं ने राष्ट्र निर्माण के लिए अहम भूमिका अदा की है। वर्तमान समय में महिलाएं समाज सेवा के कार्यों में भी पीछे नहीं हटती हैं। अपनी कर्मठता और कर्तव्य परायणता से उन्होंने यह साबित किया है, कि वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है।

जब भारत अंग्रेजों की गिरफ्त में था, तब रानी लक्ष्मीबाई ने अकेले ही अंग्रेजों की नाक में दम कर के रखा था। यहां तक की राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर पर भी पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

एक महिला के कारण ही हिंदुस्तान को शिवाजी जैसे महान योद्धाओं की प्राप्ति हुई थी। माता जीजाबाई जिन्होंने छत्रपति शिवाजी को बचपन से ही देश भक्ति की शिक्षा देकर एक कुशल योद्धा बनाया था।

महिला सशक्तिकरण के लाभ Benefits of Women Empowerment in Hindi

लैंगिक पक्षपात असमानता हमारे समाज में एक व्यापक स्तर पर फैल चुकी है। महिलाओं को केवल रसोई घर तक और घर के चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया है।

लेकिन महिला सशक्तिकरण के कारण अब उन्हें परिवारिक बंधन से छुटकारा पाकर अपने और अपने देश के बारे में विचार करने और सफलता प्राप्त करने का अवसर दिया जा रहा है।

अगर महिलाएं खुद अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगी तो वे अपनी पहचान को समाज में विकसित कर पाएंगी। महिला सशक्तिकरण देश में जगह-जगह हो रहे अन्याय पूर्ण गतिविधियों के खिलाफ एक लक्ष्य है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना और उन्हें मजबूत करना है।

महिलाओं को उनका आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास से परिचित करवाने के लिए यह एक अहम पहल है। एक  सीमित दायरे से निकलकर वे अपने स्वामित्व का जीवन जी सकती हैं। समाज में एक नाम प्राप्त करने के लिए वे समर्थ हो गई हैं।

महिला सशक्तिकरण देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को कम करने में बेहद सहायक है। यदि देश के किसी भी कोने में महिला प्रताड़ना की खबरें सुनाई पड़ती है तो महिला सशक्तिकरण में जुड़ी अन्य महिलाएं अपना सहयोग देने के लिए हर वक्त तैयार रहती हैं।

आज के समय में हमारा समाज बहुत हद तक बदल चुका है। अपने हक की लड़ाई लड़ने पर समाज में बैठे रूढ़िवादी लोगों की विचारधारा में भी परिवर्तन आया है।

अब महिलाएं हर क्षेत्र में हिस्सा ले रही हैं, वह भी बिना किसी झिझक के। जो पुरुष महिलाओं की आजादी पर सवाल उठाते थे, महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के वजह से उनकी मानसिकता में भी कुछ हद तक बदलाव आया है।

महिला सशक्तिकरण के उपाय Women Empowerment Measures in Hindi

पुराने ख्यालों वाले लोगों द्वारा महिलाओं पर कसे गए जंजीरों को अब महिलाओं ने तोड़ना आरंभ कर दिया है।

आज हमारे देश में महिला प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारी, वकील, डॉक्टर इत्यादि विभिन्न पदों पर कार्य कर रही हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कुछ प्रतिशत महिलाओं के जागृत हो जाने से सभी महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागृत होंगी।

आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां महिलाओं पर अत्याचार होते हैं। ऐसी महिलाओं का जीवन किसी नर्क से कम नहीं होता है। इसके उपायों में हमें महिला सशक्तिकरण की शक्ति बढ़ानी होगी। केवल संगठन बना लेने से कार्य नहीं होता है, बल्कि उसे सख्ती से चलाना भी पड़ता है।

आज तक जितने भी प्रथाएं और रीतियां बनाई गई हैं, वह सिर्फ महिलाओं के लिए ही हैं। सरकार को चाहिए कि वे देश में एक समान नागरिक संहिता प्रस्तुत करें। ताकि विभिन्न धर्मों में व्यक्तिगत कानूनों के द्वारा किसी भी प्रकार से महिलाओं का शोषण न किया जाए।

अगर महिला सशक्तिकरण को हमें और मजबूत करना है, तो विभिन्न स्तरों पर बौद्धिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए जिनमें महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागृत किया जाना चाहिए। इसकी शुरुआत विद्यालय से करना उचित होगा जहां बच्चे अपना जीवन शुरुआत से प्रारंभ करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिंदी में महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

9 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay on Women Empowerment in Hindi”

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध

essay on girl power in hindi

By विकास सिंह

women empowerment in hindi

“महिला सशक्तिकरण” (Women Empowerment) शब्द का अर्थ समान और न्यायपूर्ण समाज के मद्देनजर शिक्षा, रोजगार, निर्णय लेने और बेहतर स्वास्थ्य के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना है। महिला सशक्तीकरण महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र, शिक्षित और प्रगतिशील बनाने के लिए एक अच्छी सामाजिक स्थिति का आनंद लेने की प्रक्रिया है।

दशकों से महिलाएं सामाजिक और पेशेवर रूप से पुरुषों के समकक्ष मान्यता प्राप्त होने के लिए संघर्ष कर रही हैं। एक महिला के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में कई घटनाएं होती हैं, जहां उसकी क्षमताओं को पुरुष के मुकाबले कमतर आंका जाता है; सभी व्यक्तित्व पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उसकी वृद्धि में बाधा उत्पन्न होती है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (100 शब्द)

निर्णय लेने, शिक्षा, और पेशे बनाने में महिलाओं की क्षमता काफी हद तक युगों से दबी हुई है, उन्हें पुरुषों से हीन मानते हुए ऐसा किया गया था। अविकसित और विकासशील राष्ट्रों में स्थिति सबसे खराब है जहां एक परिवार में महिलाओं को वित्तीय निर्णय लेने या अपनी शिक्षा के बारे में मामलों पर निर्णय लेने की अनुमति नहीं है।

ऐसे मामलों की स्थिति के साथ, यह सतत विकास और लैंगिक समानता के लक्ष्यों के बारे में सपने देखने के लिए एक गिरावट होगी। महिलाओं की सामाजिक, व्यक्तिगत और व्यावसायिक स्थिति को उठाने के लिए उन्हें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उठाने की तत्काल आवश्यकता है। ये विशेष उपाय एक प्रक्रिया का गठन करते हैं, जिसे “महिला सशक्तिकरण” के रूप में जाना जाता है। महिलाओं को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना, उनके बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना, न्याय प्रदान करना और व्यावसायिक समानता सुनिश्चित करना, महिला सशक्तीकरण के कुछ तरीके हैं।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (150 शब्द)

भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, पुरुष की तरह ही सभी क्षेत्रों में समाज में महिलाओं को समानता प्रदान करना एक कानूनी बिंदु है। महिला और बाल विकास विभाग भारत में महिलाओं और बच्चों के समुचित विकास के लिए इस क्षेत्र में अच्छा काम करता है।

महिलाओं को प्राचीन समय से भारत में एक शीर्ष स्थान दिया जाता है, हालांकि उन्हें सभी क्षेत्रों में भाग लेने के लिए सशक्तिकरण नहीं दिया गया था। उन्हें अपने विकास और विकास के लिए हर पल मजबूत, जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। महिलाओं को सशक्त बनाना विकास विभाग का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि बच्चे के साथ सशक्त मां किसी भी राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाती है।

महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई तैयार करने वाली रणनीतियाँ और पहल प्रक्रियाएँ हैं। पूरे देश की आबादी में महिलाओं की आधी आबादी है और महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (200 शब्द)

भारत प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, सभ्यता, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाने वाला एक बहुत प्रसिद्ध देश है। दूसरी ओर, यह पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी लोकप्रिय है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि दूसरी ओर परिवार और समाज में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है।

वे केवल घर के कामों तक ही सीमित थी या घर और परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी समझती थी। उन्हें उनके अधिकारों और खुद के विकास से पूरी तरह से अनजान रखा गया था। भारत के लोग इस देश को “भारत-माता” कहते थे, लेकिन इसका सही अर्थ कभी नहीं समझा। भारत-माता का अर्थ है हर भारतीय की माँ जिसे हमें हमेशा बचाना और संभालना है।

महिलाएं देश की आधी शक्ति का गठन करती हैं इसलिए इस देश को पूरी तरह से शक्तिशाली देश बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। यह महिलाओं को उनके उचित विकास और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकारों को समझने के लिए सशक्त बना रहा है।

महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं, उनका मतलब है राष्ट्र का भविष्य। इसलिए वे बच्चों के समुचित विकास और विकास के माध्यम से राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को बनाने में बेहतर भागीदारी कर सकते हैं। महिलाओं को पुरुष असभ्यता का शिकार होने के बजाय सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (250 शब्द)

महिला सशक्तीकरण के नारे के साथ यह सवाल उठता है कि “महिलाएं वास्तव में मजबूत होती हैं” और “दीर्घकालिक संघर्ष समाप्त हो गया है”। सरकार द्वारा राष्ट्र के विकास में महिलाओं के वास्तविक अधिकारों और मूल्य के बारे में जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं और चलाए जा रहे हैं जैसे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, मातृ दिवस इत्यादि। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है।

भारत में लिंग असमानता का एक उच्च स्तर है जहां महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और बाहरी लोगों द्वारा बीमार किया जाता है। भारत में निरक्षर आबादी का प्रतिशत ज्यादातर महिलाओं द्वारा कवर किया गया है। महिला सशक्तीकरण का वास्तविक अर्थ उन्हें अच्छी तरह से शिक्षित करना और उन्हें स्वतंत्र छोड़ना है ताकि वे किसी भी क्षेत्र में अपने निर्णय लेने में सक्षम हो सकें।

भारत में महिलाओं को हमेशा ऑनर किलिंग के अधीन किया जाता है और उन्होंने उचित शिक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने मूल अधिकार कभी नहीं दिए। वे पीड़ित हैं जो पुरुष प्रधान देश में हिंसा और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए महिलाओं के सशक्तीकरण मिशन (NMEW) के अनुसार, इस कदम ने 2011 की जनगणना में कुछ सुधार किए हैं।

महिला सेक्स और महिला साक्षरता दोनों का अनुपात बढ़ा है। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के अनुसार, भारत में उचित स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और आर्थिक भागीदारी के माध्यम से समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कुछ अग्रिम कदम उठाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तीकरण को नवजात अवस्था में होने के बजाय सही दिशा में पूरी गति लेने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (300 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहा गया सबसे प्रसिद्ध कहावत है “लोगों को जगाने के लिए, यह महिलाओं को जागृत करना चाहिए। एक बार जब वह आगे बढती है तो, परिवार चलता है, गांव चलता है, राष्ट्र चलता है ”। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, पहले समाज में महिलाओं के अधिकारों और मूल्यों की हत्या करने वाले सभी राक्षसों को मारने की जरूरत है जैसे कि दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन उत्पीड़न, असमानता, कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, अवैध तस्करी और अन्य मुद्दे।

राष्ट्र में लैंगिक भेदभाव सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक अंतर लाता है जो देश को पीछे धकेलता है। ऐसे शैतानों को मारने का सबसे प्रभावी उपाय भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करके महिलाओं को सशक्त बनाना है।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे देश में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलता है। महिला सशक्तीकरण के उच्च स्तरीय लक्ष्य को पाने के लिए बचपन से ही प्रत्येक परिवार में इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसे महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत होना चाहिए।

चूंकि बचपन से घर पर बेहतर शिक्षा शुरू की जा सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिए स्वस्थ परिवार की जरूरत होती है ताकि राष्ट्र का समग्र विकास हो सके। अभी भी कई पिछड़े क्षेत्रों में, माता-पिता की गरीबी, असुरक्षा और अशिक्षा के कारण शीघ्र विवाह और प्रसव की प्रवृत्ति है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा, सामाजिक अलगाव, लैंगिक भेदभाव और दुर्व्यवहार को रोकने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।

108 वां संवैधानिक संशोधन विधेयक (जिसे महिला आरक्षण विधेयक भी कहा जाता है) को लोकसभा में केवल महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए पारित किया गया था ताकि उन्हें हर क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल किया जा सके। अन्य क्षेत्रों में भी महिलाओं की सीटें बिना किसी सीमा और प्रतिस्पर्धा के उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आरक्षित की गई हैं।

महिलाओं के वास्तविक मूल्यों और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध सभी सुविधाओं के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न जन अभियान चलाने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए उन्हें महिला बच्चे के अस्तित्व और उचित शिक्षा के लिए बढ़ावा देने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (400 शब्द)

लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएं पुरुष प्रधान देश में वापस आ रही हैं। महिला सशक्तिकरण को इस देश में दोनों लिंगों के मूल्य को बराबर करने के लिए एक उच्च गति लेने की आवश्यकता है। हर तरह से महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानताएं बहुत सारी समस्याएं पैदा करती हैं जो राष्ट्र की सफलता के रास्ते में एक बड़ी बाधा बन जाती हैं। समाज में पुरुषों को समान मूल्य मिलना महिलाओं का जन्म अधिकार है। वास्तव में सशक्तीकरण लाने के लिए, प्रत्येक महिला को अपने स्वयं के अंत से अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।

उन्हें केवल घर के कामों और पारिवारिक जिम्मेदारियों में शामिल होने के बजाय सकारात्मक कदम उठाने और हर गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता है। उन्हें अपने आसपास और देश में होने वाली सभी घटनाओं के बारे में पता होना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण में समाज और देश में कई चीजों को बदलने की शक्ति है। वे समाज में कुछ समस्याओं से निपटने के लिए पुरुषों की तुलना में बहुत बेहतर हैं। वे अपने परिवार और देश के लिए अतिपिछड़ों के नुकसान को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। वे उचित परिवार नियोजन के माध्यम से परिवार और देश की आर्थिक स्थितियों को संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं। परिवार या समाज में पुरुषों की तुलना में महिलाएं किसी भी आवेगी हिंसा को संभालने में सक्षम हैं।

महिला सशक्तीकरण के माध्यम से, पुरुष प्रधान देश को अमीर अर्थव्यवस्था के समान वर्चस्व वाले देश में बदलना संभव हो सकता है। महिलाओं को सशक्त बनाना बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के परिवार के प्रत्येक सदस्य को आसानी से विकसित करने में मदद कर सकता है। एक महिला को परिवार में हर चीज के लिए जिम्मेदार माना जाता है ताकि वह अपने अंत से सभी समस्याओं को बेहतर ढंग से हल कर सके। महिलाओं का सशक्तीकरण स्वचालित रूप से सभी का सशक्तिकरण लाएगा।

महिला सशक्तीकरण इंसान, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण से जुड़ी किसी भी बड़ी या छोटी समस्या का बेहतर इलाज है। पिछले कुछ वर्षों में, महिला सशक्तिकरण के फायदे हमारे सामने आ रहे हैं। महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, कैरियर, नौकरी और परिवार, समाज और देश के प्रति जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक हो रही हैं। वे हर क्षेत्र में भाग ले रहे हैं और प्रत्येक क्षेत्र में अपनी बड़ी रुचि दिखा रहे हैं। अंत में, लंबे समय के कठिन संघर्ष के बाद उन्हें सही रास्ते पर आगे बढ़ने के अपने अधिकार मिल रहे हैं।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना:.

महिला सशक्तिकरण को बहुत ही सरल शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि यह महिलाओं को शक्तिशाली बना रहा है ताकि वे अपने जीवन और परिवार और समाज में अच्छी तरह से होने के बारे में अपने निर्णय ले सकें। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

हमें भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है जहाँ हर क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व है और महिलाओं को केवल परिवार की देखभाल के लिए जिम्मेदार माना जाता है और अन्य कई प्रतिबंधों सहित घर में रहते हैं। भारत में लगभग 50% आबादी केवल महिला द्वारा कवर की जाती है इसलिए देश का पूर्ण विकास आधी आबादी का मतलब महिलाओं पर निर्भर करता है, जो कि सशक्त नहीं हैं और अभी भी कई सामाजिक वर्जनाओं द्वारा प्रतिबंधित हैं।

ऐसी स्थिति में, हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारा देश भविष्य में अपनी आधी आबादी के सशक्तीकरण के बिना विकसित होगा अर्थात महिलाओं के बिना। यदि हम अपने देश को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले पुरुषों, सरकार, कानूनों और महिलाओं के प्रयासों से भी महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत आवश्यक है।

प्राचीन समय से भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव और पुरुष वर्चस्व के कारण महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता उत्पन्न हुई। महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया जा रहा है। उन्हें भारत और अन्य देशों में परिवार और समाज में पुरुष सदस्यों द्वारा कई प्रकार की हिंसा और भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए लक्षित किया गया है।

प्राचीन समय से समाज में महिलाओं के लिए गलत और पुरानी प्रथाओं ने अच्छी तरह से विकसित रीति-रिवाजों और परंपराओं का रूप ले लिया है। भारत में कई महिला देवी की पूजा करने की परंपरा है, जिसमें समाज में महिलाओं को मां, बहन, बेटी, पत्नी और अन्य महिला रिश्तेदारों या दोस्तों को सम्मान दिया जाता है।

लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल महिलाओं का सम्मान या सम्मान करने से देश में विकास की जरूरत पूरी हो सकती है। उसे जीवन के हर पड़ाव में देश की बाकी आधी आबादी के सशक्तिकरण की जरूरत है।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जो एकता और विविधता का प्रतीक है ’जैसी सामान्य कहावत साबित करता है, जहां भारतीय समाज में कई धार्मिक मान्यताओं के लोग हैं। महिलाओं को हर धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को कवर करने वाले एक बड़े पर्दे के रूप में काम कर रही है और उम्र से एक आदर्श के रूप में महिलाओं के खिलाफ कई बीमार प्रथाओं (शारीरिक और मानसिक सहित) की निरंतरता में मदद करती है।

प्राचीन भारतीय समाज में सती प्रथा, नागर वधू प्रणाली, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, क्षमा प्रार्थना, पत्नी को जलाने, कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न, बाल विवाह, बाल श्रम, देवदाशी प्रथा का रिवाज था। इस प्रकार की सभी कुप्रथाएं समाज की पुरुष श्रेष्ठता जटिल और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण हैं।

सामाजिक-राजनीतिक अधिकार (काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खुद तय करने का अधिकार, आदि) महिलाओं के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंधित थे। महिलाओं के खिलाफ कुछ कुकृत्य को खुले दिमाग और महान भारतीय लोगों द्वारा समाप्त किया गया है जो महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए आवाज उठाते हैं।

राजा राम मोहन राय के निरंतर प्रयासों के माध्यम से, अंग्रेजों को सती प्रथा की कुप्रथा को खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में, भारत के अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोबा भावे, स्वामी विवेकानंद, आदि) ने भी अपनी आवाज उठाई थी और भारतीय समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की थी। भारत में, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ईश्वर चंद्र विद्यासागर के निरंतर प्रयासों से देश में विधवाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।

हाल के वर्षों में, भारत सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न संवैधानिक और कानूनी अधिकारों को लागू किया गया है। हालांकि, इतने बड़े मुद्दे को हल करने के लिए, महिलाओं सहित सभी के निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

आधुनिक समाज की महिला अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो रही है जिसके परिणामस्वरूप इस दिशा में काम करने वाले कई स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों आदि की संख्या बढ़ रही है। अपराधों के साथ-साथ होने के बाद भी सभी आयामों में अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को खुले दिमाग से और सामाजिक बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ाया जा रहा है।

संसद द्वारा पारित कुछ अधिनियम समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976, दहेज प्रतिषेध अधिनियम -1961, अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम -1956, गर्भावस्था अधिनियम-1971 की चिकित्सा समाप्ति, मातृत्व लाभ अधिनियम -1961, सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम-1987, बाल विवाह निषेध अधिनियम -2016, पूर्व-गर्भाधान और पूर्व-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम-1994, कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, संरक्षण और अधिनियम) -2016, आदि। कानूनी अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए।

भारत में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने के लिए, सरकार ने एक और अधिनियम जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक, 2015 (विशेषकर निर्भया कांड के बाद जब एक आरोपी किशोर को रिहा किया गया था) पारित किया है। यह अधिनियम जघन्य अपराधों के मामलों में 18 से 16 वर्ष की आयु को कम करने के लिए 2000 के पहले किशोर अपराध कानून (किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000) का प्रतिस्थापन किया है।

निष्कर्ष:

भारतीय समाज में महिला सशक्तीकरण को वास्तव में लाने के लिए, समाज की पितृसत्तात्मक और पुरुष प्रधान प्रणाली वाली महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं के मुख्य कारण को समझना और समाप्त करना होगा। इसे खुले मन से और संवैधानिक और अन्य कानूनी प्रावधानों के साथ महिलाओं के खिलाफ स्थापित पुराने दिमाग को बदलने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध (1600 शब्द)

महिला सशक्तिकरण मुख्यतः अविकसित और विकासशील राष्ट्रों में चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने हाल ही में महसूस किया है कि जिस विकास की वे आकांक्षा करते हैं वह तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक हम उनकी महिलाओं को सशक्त बनाकर लैंगिक समानता हासिल नहीं करते।

महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण से आर्थिक निर्णय, आय, संपत्ति और अन्य समकक्षों को नियंत्रित करने के उनके अधिकार को संदर्भित करता है; उनकी आर्थिक और साथ ही सामाजिक स्थिति में सुधार।

क्या है महिला सशक्तिकरण?

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में बढ़ावा देना, उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक विकास के समान अवसर प्रदान करना और उन्हें सामाजिककरण की अनुमति देना; स्वतंत्रता और अधिकार जो पहले अस्वीकार किए गए थे। यह ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओं को यह जानने का अधिकार देती है कि वे भी समाज के पुरुषों के रूप में अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त कर सकती हैं और उन्हें ऐसा करने में मदद कर सकती हैं।

भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

भारतीय महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से मध्यकाल तक घट गई है। हालांकि आधुनिक युग में भारतीय महिलाओं ने महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक पद संभाले हैं; अभी भी, इसके विपरीत अधिकांश ग्रामीण महिलाएँ हैं जो अपने घरों तक ही सीमित हैं और यहां तक ​​कि बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा तक पहुंच नहीं है।

भारत में महिला साक्षरता दर एक महत्वपूर्ण अनुपात से पुरुष साक्षरता दर से पीछे है। भारत में पुरुषों के लिए साक्षरता दर 81.3% है और महिलाओं की संख्या 60.6% है। कई भारतीय लड़कियों की स्कूल तक पहुँच नहीं है और यदि वे ऐसा करती हैं, तो भी वे शुरुआती वर्षों के दौरान बाहर हो जाती हैं। केवल 29% भारतीय युवा महिलाओं ने दस या अधिक शिक्षा प्राप्त की है।

महिलाओं के बीच कम शिक्षा दर ने उन्हें मुख्य कार्यबल से दूर रखा है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सामाजिक और आर्थिक गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों की महिलाएँ अपने गाँव के समकक्षों की तुलना में अच्छी तरह से नियोजित हैं; भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग में लगभग 30% कर्मचारी महिलाओं का गठन करते हैं। इसके विपरीत, लगभग 90% ग्रामीण महिलाएं दैनिक मजदूरी मजदूरों के रूप में कार्यरत हैं, मुख्य रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में।

एक अन्य कारक जो भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता को लाता है, वह है असमानता। भारत में महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में उनके पुरुष समकक्षों के समकक्ष भुगतान नहीं किया जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, समान अनुभव और योग्यता वाले भारत में महिलाओं को समान साख वाले पुरुष काउंटर भागों की तुलना में 20% कम भुगतान किया जाता है।

चूँकि वह नए साल 2019 में प्रवेश करने से कुछ ही दिन दूर है, भारत आशा और आकांक्षाओं से भरा है जैसा पहले कभी नहीं था और वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के अपने टैग को वापस जीतने वाली है। हम निश्चित रूप से इसे जल्द ही हासिल कर लेंगे, लेकिन इसे बनाए रख सकते हैं, अगर हम लैंगिक असमानता की बाधाओं को दूर करते हैं; हमारे पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से रोजगार, विकास और मजदूरी के समान अवसर प्रदान करना।

भारत में महिला सशक्तिकरण में बाधाएं:

भारतीय समाज विभिन्न रीति-रिवाजों, रिवाजों, मान्यताओं और परंपराओं के साथ एक जटिल समाज है। कभी-कभी ये सदियों पुरानी मान्यताएं और रीति-रिवाज भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाधाएं हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण की महत्वपूर्ण बाधाओं के बारे में नीचे कुछ समझाया गया है-

1) समाज 

भारत में कई समाज अपने रूढ़िवादी विश्वास और सदियों पुरानी परंपराओं को देखते हुए महिलाओं को घर से बाहर निकलने से रोकते हैं। ऐसे समाजों में महिलाओं को शिक्षा के लिए या रोजगार के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं है और उन्हें एक अलग और निर्वासित जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसी परिस्थितियों में रहने वाली महिलाएं पुरुषों से हीन होने की आदी हो जाती हैं और अपनी वर्तमान सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बदलने में असमर्थ होती हैं।

2) कार्यस्थल यौन उत्पीड़न

भारत में महिला सशक्तीकरण के लिए कार्यस्थल यौन उत्पीड़न सबसे महत्वपूर्ण बाधा है। निजी क्षेत्र जैसे आतिथ्य उद्योग, सॉफ्टवेयर उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं। यह समाज में गहरे निहित पुरुष वर्चस्व की अभिव्यक्ति है। पिछले कुछ दशकों में भारत में महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में लगभग 170% की वृद्धि हुई है।

3) लिंग भेदभाव

भारत में अधिकांश महिलाएँ अभी भी कार्य स्थल पर और साथ ही समाज में लैंगिक भेदभाव का सामना करती हैं। कई समाज महिलाओं को रोजगार या शिक्षा के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्हें काम के लिए या परिवार के लिए स्वतंत्र निर्णय लेने की अनुमति नहीं है, और पुरुषों से नीच व्यवहार किया जाता है। महिलाओं का ऐसा भेदभाव उनके सामाजिक आर्थिक पतन और “महिला सशक्तीकरण” के विपरीत है।

4) वेतन में असमानता 

भारत में महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। असंगठित क्षेत्रों में स्थिति सबसे खराब है जहाँ महिलाओं को दैनिक मजदूरी मजदूरों के रूप में नियुक्त किया जाता है। समान घंटों तक काम करने वाली और समान काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है, जिसका अर्थ है पुरुषों और महिलाओं के बीच असमान शक्तियां। यहां तक ​​कि जो महिलाएं संगठित क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें उनके समकक्ष योग्यता और अनुभव वाले पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है।

5) निरक्षरता

महिला निरक्षरता और उनकी उच्च गिरावट दर भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रमुख बाधाओं में से एक है। शहरी भारत में लड़कियां शिक्षा के मामले में लड़कों से बराबरी पर हैं, लेकिन वे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी पिछड़ गई हैं। महिलाओं की प्रभावी साक्षरता दर 64.6% है, जबकि पुरुषों की संख्या 80.9% है। स्कूल जाने वाली भारतीय लड़कियों में से 10 वीं कक्षा में उत्तीर्ण हुए बिना शुरुआती वर्षों में पढ़ाई छोड़ देती हैं।

6) बाल विवाह

हालाँकि, भारत ने पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा उठाए गए कई कानूनों और पहलों के माध्यम से बाल विवाह को सफलतापूर्वक कम किया है; अभी भी यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड) द्वारा 2018 की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगभग 1.5 मिलियन लड़कियों की शादी 18 साल की होने से पहले हो जाती है। शुरुआती शादी उन लड़कियों की विकास संभावनाओं को कम कर देती है जो जल्द ही वयस्कता की ओर बढ़ रही हैं।

7) महिलाओं के खिलाफ अपराध

भारतीय महिलाओं को घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों जैसे – दहेज, सम्मान हत्या, तस्करी आदि के अधीन किया गया है। यह अजीब बात है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की तुलना में आपराधिक हमले का अधिक शिकार होती हैं। यहां तक ​​कि बड़े शहरों में कामकाजी महिलाएं अपने शील और जीवन के डर से, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने में देर करती हैं। महिला सशक्तिकरण को सही मायने में तभी हासिल किया जा सकता है जब हम अपनी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें, उन्हें मुफ्त में और बिना किसी डर के घूमने की स्वतंत्रता प्रदान करें जैसा कि समाज में पुरुष करते हैं।

8) महिला शिशु रोग

भारत में महिला सशक्तीकरण या सेक्स चयनात्मक गर्भपात भी महिला सशक्तिकरण की प्रमुख बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूण हत्या का मतलब है कि भ्रूण के लिंग की पहचान करना और जब वह एक महिला होने का खुलासा करती है, तो उसे गर्भपात कराती है; अक्सर मां की सहमति के बिना। कन्या भ्रूण हत्या ने हरियाणा और जम्मू और कश्मीर राज्यों में एक उच्च पुरुष महिला लिंग अनुपात को जन्म दिया है। महिला सशक्तीकरण पर हमारे दावों की तब तक पुष्टि नहीं होगी जब तक कि हम कन्या भ्रूण हत्या या सेक्स चयनात्मक गर्भपात को नहीं मिटा देते।

भारत में महिला सशक्तिकरण में सरकार की भूमिका:

भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं। इनमें से कई कार्यक्रम लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुलभ कराने के लिए हैं। इन कार्यक्रमों को विशेष रूप से भारतीय महिलाओं की जरूरतों और स्थितियों को ध्यान में रखते हुए शामिल किया गया है, ताकि उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इनमें से कुछ कार्यक्रम हैं – मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना), सर्वशिक्षा अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर कम करना) आदि।

महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं के सशक्तीकरण के उद्देश्य से कई नई योजनाएँ लागू की हैं। उन महत्वपूर्ण योजनाओं में से कुछ नीचे दी गई हैं-

1) बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना

यह योजना कन्या भ्रूण हत्या और बालिका शिक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करती है। इसका उद्देश्य एक लड़की के प्रति लोगों की मानसिकता को बदलना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और कानूनों और कृत्यों के सख्त प्रवर्तन द्वारा भी है।

2) महिला हेल्पलाइन योजना

इस योजना का उद्देश्य उन महिलाओं के लिए 24 घंटे की आपातकालीन सहायता हेल्प लाइन प्रदान करना है, जो किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध के अधीन हैं। यह योजना संकट में महिलाओं के लिए देश भर में एक सार्वभौमिक आपातकालीन नंबर -181 प्रदान करती है। यह संख्या देश में महिलाओं से संबंधित योजनाओं की जानकारी भी प्रदान करती है।

3) उज्जवला योजना

तस्करी और वाणिज्यिक यौन शोषण और उनके पुनर्वास और कल्याण से प्रभावित महिलाओं के बचाव के उद्देश्य से एक योजना।

4) महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम का समर्थन (STEP)

एसटीईपी योजना का उद्देश्य महिलाओं को कौशल प्रदान करना है, जिससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ स्वरोजगार भी मिल सके। कृषि, बागवानी, हथकरघा, सिलाई और मत्स्य पालन आदि विभिन्न क्षेत्र इस योजना के अंतर्गत आते हैं।

5) महिला शक्ति केंद्र

योजना सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। सामुदायिक स्वयंसेवक जैसे छात्र, पेशेवर आदि ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में पढ़ाएंगे।

6) पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण

2009 में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण लागू किया। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार लाना है। बिहार, झारखंड, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में ग्राम पंचायतों के प्रमुख के रूप में महिलाओं के बहुमत हैं।

चूंकि भारत निकट भविष्य में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने को प्रगतिशील है, इसलिए इसे ‘महिला सशक्तिकरण’ पर भी ध्यान देना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि महिला सशक्तीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो लैंगिक समानता और संतुलित अर्थव्यवस्था लाने की उम्मीद करती है।

भारतीय महिलाएँ राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सिविल सेवक, डॉक्टर, वकील आदि हैं, लेकिन फिर भी उनमें से अधिकांश को सहायता की आवश्यकता है। भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास का रास्ता उसकी महिला लोक के सामाजिक-आर्थिक विकास से होकर जाता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Women Empowerment Essay In Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay In Hindi

महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on women empowerment in hindi), स्त्री शिक्षा और महिला–उत्थान – female education and female upliftment.

  • प्रस्तावना,
  • समाज में स्त्रियों का स्थान,
  • महिलाओं की प्रगति,
  • स्त्री सशक्तीकरण जरूरी,
  • स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– मानव समाज के दो पक्ष हैं–स्त्री और पुरुष। प्राचीनकाल से ही पुरुषों को स्त्री से अधिक अधिकार प्राप्त रहे हैं। स्त्री को पुरुष के नियंत्रण में रहकर ही काम करना पड़ा है।

‘नारी स्वतंत्रता के योग्य नहीं है’, कहकर स्मतिकार मन ने स्त्री को बन्धन में रखने का मार्ग खोल दिया है, किन्तु वर्तमान शताब्दी प्राचीन रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का समय है। स्त्री भी पुराने बन्धनों से मुक्त होकर आगे बढ़ रही है।

Women Empowerment Essay

समाज में स्त्रियों का स्थान– समाज में स्त्रियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। उनको पुरुष के समान स्थान तथा महत्त्व आज भी प्राप्त नहीं है। उसे बचपन से वृद्धावस्था तक परम्परागत घर–गृहस्थी के काम करने पड़ते हैं।

अब बालिकाओं को स्कूलों में पढ़ने जाने का अवसर मिलने लगा है, परन्तु काफी महिलाएँ शिक्षा से अब भी वंचित हैं। शिक्षा के अभाव में स्त्रियाँ आगे नहीं बढ़ पाती और समाज में अपना अधिकार तथा स्थान प्राप्त नहीं कर पाती।

Women Empowerment Essay In Hindi

महिलाओं की प्रगति– स्वतंत्रता प्राप्त होने के पश्चात भारत निरन्तर प्रगति कर रहा है। महिलाएँ किसी देश की आधी शक्ति होती हैं। जब तक महिलाओं की प्रगति न हो तब तक देश की प्रगति अधूरी होती है।

भारत की प्रगति और विकास भी नारियों के पिछड़ी होने से अपूर्ण है। उद्योग–व्यापार, विभिन्न सेवाओं, सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों में महिलाओं की उपस्थिति का प्रतिशत बहुत कम है।

चुनाव के समय राजनैतिक दल उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाते। लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने का बिल पेश ही नहीं हो पाता। पुरुष नेता उन्हें वहाँ देखना ही नहीं चाहते।

स्त्री सशक्तीकरण जरूरी– आज के समाज में स्त्री को देवी, पूज्य, मातृशक्ति आदि कहकर भरमाया जाता है। वैसे उसे कदम–कदम पर अपनी कमजोरी और उसके कारण सामने आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

घर तथा बाहर सभी उसकी कमजोरी का लाभ उठाते हैं। वर्ष 2002 से 2012 के बीच महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में 69 प्रतिशत वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के निम्नलिखित आँकड़े इसका खुलासा करते हैं

  • महिलाओं के विरुद्ध अपराध – 2002 – 2012 – वृद्धि का प्रतिशत
  • बलात्कार – 16373 – 24923 – 52.2
  • अपहरण – 14506 – 38262 – 163.8 —
  • पति या निकट सम्बन्धियों द्वारा अपराध – 49237 – 106527
  • कुल अपराध – 109784 – 186033 – 69

अपराधों के उक्त आँकड़ों को देखने पर और समाज में महिलाओं की दुर्दशा को देखते हुए स्त्री सशक्तीकरण आज की अनिवार्य आवश्यकता बन गयी है।

स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व– नारियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यकता है- शिक्षित बनने की। शिक्षा ही महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर सकती है। शिक्षित होने पर ही उनमें किसी क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर सकने की क्षमता विकसित हो सकती है।

घर के बाहर जाकर काम करने के लिए ही नहीं घर में परिवार के दायित्वों का निर्वाह करने के लिए भी शिक्षित होना बहुत सहायक होता है शिक्षित महिला अपने बच्चों का मार्गदर्शन अच्छी तरह करके उनका तथा देश का भविष्य सँभाल सकती हैं।

यद्यपि महिलाएँ प्रशासन, शिक्षण, चिकित्सा विज्ञान, राजनीति आदि क्षेत्रों में आगे आई हैं और अच्छा काम किया है। वे पुलिस और सेना में भी काम कर रही हैं किन्तु उनकी संख्या अभी बहुत कम है। शिक्षा के अवसरों के विस्तार से विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति नि:संदेह बढ़ेगी।

उपसंहार– शिक्षा से ही महिलाएँ शक्ति अर्जित करेंगी। शिक्षित और सशक्त महिलाएँ देश और समाज को भी शक्तिशाली बनाएँगी। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।

इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं में उनके लिए स्थान आरक्षित होना तथा उनको आर्थिक सहयोग और सहायता दिया जाना भी परमावश्यक है।

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Women empowerment essay in hindi महिला सशक्तिकरण पर निबंध.

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hindiinhindi Women Empowerment Essay in Hindi

Women Empowerment Essay in Hindi 150 Words

महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपनी स्वतन्त्रता और स्वयं का निर्णय लेने के लिए कहा जाता है। परिवार और समाज की सीमाओं के पीछे रहकर फैसले, अधिकार, विचार, मन आदि के सभी पहलुओं से स्त्री को अधिकार देने के लिए उन्हें स्वतन्त्र बनाना है। समाज के सभी क्षेत्रों में पुरूष और स्त्री दोनो को समान उपाय में एक साथ लाया जाना चाहिए। देश के उज्जवल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण है। महिला को एक स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण की जरूरत है ताकि वे प्रत्येक क्षेत्र में अपना निर्णय ले सके, भले ही यह देश, परिवार या समाज के लिए हो।

देश को विकसित करने और विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक आवश्यक हथियार के रूप में महिला सशक्तिकरण के रूप में है। कई योजनाओं को भारत सरकार द्वारा परिभाषित किया गया है ताकि महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाया जा सके। यह पूरे देश की आबादी में महिला की भागीदारी का एक हिस्सा है और महिला और बच्चो के समस्त विकास को सभी क्षेत्रों में स्वतन्त्रता की आवश्यकता है।

Women Empowerment Essay in Hindi 300 Words

आज हर गांव और शहर में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा खूब हो रही है, लेकिन इसके वास्तविक मायने कितने लोग समझ पाते हैं यह कहना कठिन है। पंडित जवाहर लाल नेहरु जी का यह वाक्य तो सभी को याद ही होगा “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। जब भी नारी ठान ले और अपना कदम उठा ले तो परिवार, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत के लोगो ने अपने देश को भारत माँ का दर्जा दिया है, लेकिन माँ के असली अर्थ को कोई नहीं समझता, ये हम सभी भारतीयों की माँ है और हमें इसकी रक्षा और ध्यान रखना चाहिये।

आज उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जो महिलाओं के अधिकारों और मूल्यों को मारते है, जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय। आज लगभग हर समाचार पत्र और समाचार चैनल पर रेप, दहेज़ के लिए हत्या, भ्रूण हत्या की घटनाओं से भरे पड़े मिलते हैं। महिलाओं से होने वाली हिंसा और शोषण की घटनाओं बढ़ोतरी ही देखी जा रही है। इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है।

भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। परन्तु आज के युग में भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है।

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। पहले के मुकाबले आज के भारतीय समाज में महिलाओं की अवस्था में काफी सुधार हो रहा है।

Women Empowerment Essay in Hindi 350 Words

महिला सशक्तिकरण, भौतिक या आध्यात्मिक, शारीरिक या मानसिक स्तर पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर सशक्त बनाने की प्रक्रिया है। महिला सशक्तिकरण के अन्दर महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सरोकार व्यक्त किया जाता है। आज महिलाओं का एक बहत बड़ा वर्ग सजग, शिक्षित व जागरूक है।

यद्यपि महिलायें आज के समाज में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। चाहे हम रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू या मीरा कुमारी को देखे या कल्पना चावला, बछेन्द्री पाल को या फिरे साइना नेह्रवाल, पी टी उषा या दीपा कामकार को पहली नेवी महिला कैप्टन या महिला पायलट हो, समाज और देश का कोई ऐसा कोना नहीं होगा, जहाँ महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो।

फ़िर भी हमारे समाज में दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा, असमानता, भूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेल हिंसा, वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी, कम उम्र में विवाह तथा बच्चे पैदा करना का चलन आज भी विद्यमान है,जो नारी और समाज के उत्थान में बाँधा बनकर खड़े है ।

समाज में हो रहे इन तमाम दूरव्यवहारो, लैंगिक भेदभाव तथा समाजिक अलगाव से लड़ने के लिये संविधान में अनुच्छेद 15(1) लिंग भेदभाव पर प्रतिबंध 15(2)- महिलाओं एवं बच्चों के लिये अलग नियम, २४३ डी व २४३ टी के तेहत स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33% आरक्षण की व्यवस्था सहित घरेलु हिंसा सरक्षा अधिनियम २००५ की व्यवस्था है। सरकार महिला आरक्षण बिलें लाने की बात कर रही है। सरकार बढ़चढ़ कर महिला दिवस तथा माँतृ दिवस का । आयोजन भी कर रही है। बेटी पढाओ-बेटी बचाओ । अभियान,महिलाओ के नाम पर कर में छूट सहित सरकार ने कई सरे । सराहनीय कदम उठाये है।

इन कानूनों का और कड़ाई से पालन के साथ -साथ लैंगिक समानता को हर एक परिवार में बचपन से ही प्रचारित प्रसारित करना होगा। महिला आरक्षण बिल जल्द संसद में पास कराने की जरूरत है। इसके अलावा सरकार और लोगों को मिलकर पीछई ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ़ से मिलने वाले अधिकारों से अवगत करना होगा। तभी जाकर महिलाओं का सशक्तिकरण हो पायेगा।

Women Empowerment Essay in Hindi 450 Words

महिला सशक्तिकरण को समझने से पहले सशक्तिकरण को समझना बहुत जरूरी है। सशक्तिकरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से होता है जिससे उसमें यह योग्यता आ जाती है जिसमें वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसलों को खुद ले सके। महिला सशक्तिकरण संसार भर में महिलाओं को सशक्त बनाने की एक मुहीम है जिससे की महिलाएं खुद अपने फैसले ले सकें और हमारे इस समाज और अपने परिवार के बहुत से निजी दायरों को तोड़कर अपने जीवन में आगे बढ़ सके।

भारत एक पुरुषप्रधान समाज है जहाँ पर पुरुष का प्रत्येक क्षेत्र में दखल होता है और महिलाएँ केवल घर-परिवार की जिम्मेदारी उठाती है साथ ही उन पर कई पाबंदियाँ भी होती हैं। भारत की लगभग 50% आबादी महिलाओं की है जो आज तक सशक्त नहीं है और बहुत से सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है। भविष्य में इस आधी आबादी को मजबूत किये बिना हमारे देश के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिए माँ, बहन , पुत्री , पत्नी के रूप में महिला देवियों को पूजने की परम्परा है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि सिर्फ महिलाओं के पूजने से देश के विकास की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। आज के समय में आवश्यकता है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का प्रत्येक क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाये क्योंकि यही देश के विकास का आधार बनेगी।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता :

पौराणिक काल में भी महिलाओं के साथ अन्याय जैसे सती प्रथा, दहेज प्रथा, यौन उत्पीड़न, पर्दा प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों से कम उम में काम करवाना, बाल विवाह होते थे। हांलाकि आज इनमें से ज्यादातर चीजें कम हो चुकी है परंतु आज भी कुछ ऐसी बाधाएं हैं जिनके कारण महिलाएं सशक्त नहीं हो पा रही है जिन्हें हमे दूर करना होगा।

महिला सशक्तिकरण के प्रयास :

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गये है। आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरुक है जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे है।

कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है – एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956, मेडिकल टर्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013.

भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।

Women Empowerment Essay in Hindi 500 Words

Women Empowerment Essay in Hindi 500 words

अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिये महिलाओं को अधिकार देना तथा समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को हमेशा से उच्च स्थान मिला हुआ है। ऐसा कहा जाता है जहाँ नारी का सम्मान होता है वहाँ देवताओ का वास होता है। देश, समाज और परिवार के उज्जवल भविष्य के लिये महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है इसलिए 8 मार्च को पुरे विश्व में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है।

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी बुरी सोच को ख़त्म करना जरुरी है, जैसे दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, अशिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या, असमानता, बाल मजदूरी, यौन शोषण, वैश्यावृति, इत्यादि। देश की आजादी के बाद, भारत को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच एक बड़ा अंतर पैदा हुआ।

महिला को उनके मौलिक और सामाजिक अधिकार जन्म से ही मिलने चाहिए। महिला सशक्तिकरण तब माना जा सकता है जब महिला को ये निम्नलिखित अधिकार दिए जाए : 1. वह अपनी जीवन शैली के अनुसार स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकती है चाहे वह घर हो या बाहर। 2. किसी भी प्रकार की शिक्षा प्रदान करते समय उनसे भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। 3. समाज के सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को बराबरी में लाना बेहद जरूरी है। 4. वह घर पर या बाहर काम के स्थान, सड़क, आदि पर सुरक्षित आ जा सके। 5. उसे एक आदमी की तरह समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए। 6. महिलाओं के प्रति लोगो के मन में सम्मान की भावना होनी चाहिए। 7. वह अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र महसूस करती हों।

महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है : 1. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 2. दहेज रोक अधिनियम 1961 3. लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994 4. बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006 5. मेडिकल टर्मेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987 6. एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976 7. कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013

हमारे देश के राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी जी ने कहा है की जब तक हमारे देश की सभी महिला और पुरुष साथ मिलकर काम नहीं करेगे तब तक हमारे देश का पूरी तरह से विकाश नहीं होगा। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है।

अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है। आज महिलाओं ने साबित कर दिया हैं की वो केवल पुरुषों के बराबर ही नहीं पुरुषों से आगे भी है। जो घर सँभालने के साथ साथ बाहरी दुनिया में भी अपना नाम रौशन कर रही है।

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हिंदी साहित्य में महिलाओं का योगदान

आधुनिक परिवेश में महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। वे आज हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। साहित्य-सृजन के क्षेत्र में भी वे पुरूष समाज से किसी तरह पीछे नहीं हैं। जहाँ तक साहित्य-रचना का सवाल है, अत्यंत प्राचीन समय में अर्थात् जब रचना की यह प्रक्रिया शुरू हुई, तब भी पीछे नहीं रहीं, यह बात बड़े हीं गर्व के साथ कही तथा स्वीकार की जाती है। संसार में अभी तक प्राप्त साहित्य में ऋग्वेद की रचना को प्राचीनतम माना गया है। उसकी अनेक रचनाओं की सृजन करने वाली वैदिक काल की नारियाँ ही थीं, यह एक सर्वविदित तथ्य है। इस संदर्भ में मैत्रेयी, गार्गी जैसी ऋषि-पत्नियों के नाम विशेष सम्मान के साथ लिए जाते हैं।

महिलाओं ने वैदिक काल से लेकर हिन्दी-साहित्य के भक्तिकाल तक साहित्य-सृजन का कार्य अवश्य किया होगा, पर उनके नाम एवं रचनाएँ आज बिल्कुल उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए उनकी चर्चा कर पाना भी संभव नहीं। भक्तिकाल में आकर प्रवीण राय, कृष्ण दीवानी मीरा, बीबी ताज आदि कुछ महिलाओं के नाम जरूर मिलने लगते हैं, जिन्होंने हिन्दी काव्य-रचना जगत में अपनी सृजन प्रतिभा का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इनके अलावा कृष्ण-भक्ति काव्य रचने वाली महिलाओं में रत्न कुँवर, कुँवर बाई, साईं, सुंदर कुँवरि, रसिक बिहारी आदि के नाम भी बड़े आदर-सम्मान के साथ लिये जाते हैं। मीरा को छोड़कर अन्य सभी के इधर-उधर बिखरे कुछ पद्य ही प्राप्त होते हैं, लेकिन उन्हीं से इनकी सृजन-प्रतिभा का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

लोगों का यह भी मानना है कि एक ब्राह्मण युवक को काव्य प्रतिभा के प्रभाव से आलम नामक प्रसिद्ध कवि बनाने वाली महिला शेख रंगरेजिन भी एक बहुत अच्छी कवयित्री थी। उसकी रची कोई स्वतंत्र-रचना तो प्राप्त नहीं हुई पर आलम की रचनाओं के निखार और स्वरूप-निर्माण में उसका बड़ा योगदान रहा। कुण्डलिया छन्द की रचनाओं के निखार और स्वरूप-निर्माण में उसका बड़ा योगदान रहा। इसी तरह कुण्डलिया छन्द का सर्वाधिक प्रशस्त प्रयोग करने वाले कवि गिरिधर (कविराय) की पत्नी भी अच्छी कवयित्री थी। कई आलोचक यह स्वीकार करते हैं कि गिरिधर कविराय के नाम से मशहूर जिन कुण्डलियों में ‘साई’ शब्द आया है, वे उनकी इसी नाम की पत्नी द्वारा रची गई थीं। कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने यह तथ्य भी स्पष्ट किया है कि रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि के रूप में प्रसिद्ध कवि बिहारी की पत्नी भी दोहे और कवित्त-सवैये बड़े अच्छे लिख लिया करती थी। कुछ अनुसंधानकर्ताओं ने परिशिष्ट के रूप में उसकी कुछ रचनाएँ प्रकाशित भी की हैं।

आधुनिक काल के दूसरे चरण से हिन्दी लेखिकाओं-कवयित्रियों की लगातार बढ़ती पंक्ति के दर्शन होने लगते हैं। उनमें प्रमुख हैं – महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, सुमित्राकुमारी सिन्हा, तारा पांडेय, विद्यावती कोकिल आदि। इनमें से महादेवी वर्मा छायावादी-रहस्यवादी कविता का एक संपुष्ट आधार स्तंभ रही है जो, रेखाचित्र, शब्दचित्र और अनेक सामयिक निबंध रचकर एक प्रमुख गद्य-लेखिका और शैलीकार के रूप में भी प्रख्यात हुई। सुभद्राकुमारी चौहान राष्ट्रवादी और वात्सल्य रस-प्रधान अन्य सभी ने छायावादी काव्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है। ऐसा सभी प्रमुख इतिहासकार मुक्त भाव से मानते हैं।

हिन्दी गद्य-साहित्य के विकास में, विशेषकर कथा-साहित्य के विकास में कहा जा सकता है कि आधुनिक भारतीय महिलाएँ विशिष्ट योगदान दे रही हैं। आशारानी व्होरा और सुदेश शरण बहुत अर्से से पत्र-पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के माध्यम से पाठकों के समक्ष आ रही हैं। ममता कालिया के बहुत से उपन्यास प्रकाशित होकर मान-यश अर्जित कर चुके हैं। उषा प्रियवंदा ने उपन्यास और कहानी, दोनों क्षेत्रों में सम्मान प्राप्त किया है। मन्नू भंडारी उपन्यास लेखिका और अच्छी कहानीकार तो हैं ही, उनके ‘महाभोज’ जैसे उपन्यास का नाटकीकरण होकर कई बार सफल अभिनय भी हो चुका है। इसी तरह मृदुला गर्ग, कृष्णा अग्निहोत्री के रचे उपन्यास भी बड़े चाव से पढ़े जाते हैं। कृष्णा सांबती, सुधा अरोडा, शिवानी, शांति मेहरोत्रा, सुनीता जैन, मालती जोशी, मृणाल पांडेय, इंदु बाली, ऋता शुक्ल आदि ने नई कहानी के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान किया एवं कर रही हैं। इनके अतिरिक्त कई अन्य महिलाएँ भी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि युग-साहित्य के अनुरूप अधिकांशत: प्रत्येक युग की नारी ने अपने भावावेग के कोमल-कांत संस्पर्श से युगीन साहित्य का सृजन कर अथवा फिर इस सब की प्रेरणा बनकर उसे आगे बढ़ाने का विशिष्ट कार्य किया है। आज तो वह जीवन के अन्य क्षेत्रों के समान साहित्य-सृजन के क्षेत्र में भी विशेष सक्रिय दिखाई दे रही है। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी तरह-तरह के जोखिम उठाकर वह निरंतर सक्रिय हैं।

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Essay on Women Empowerment in Hindi – महिला सशक्तिकरण पर निबंध

January 27, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में नारी शक्ति पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph, Short and Long Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi / Short Essay on Women Empowerment in Hindi Language for students of all Classes in 120, 300 and 600 words.

Essay on Women Empowerment in Hindi

Short Essay on Women Empowerment in Hindi Language – महिला सशक्ति करण पर निबंध ( 120 words )

महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने व्यक्तिगत आश्रित के लिए अपने निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाता है। महिलाओं को सशक्त बनाना सभी सामाजिक और पारिवारिक सीमाओं को छोड़कर उन्हें मन, विचार, अधिकार, निर्णय आदि से सभी पहलुओं में स्वतंत्र बनाना है। यह सभी क्षेत्रों में नर और मादा दोनों के लिए समाज में समानता लाने के लिए है। परिवार, समाज और देश के उज्ज्वल भविष्य को बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को ताजा और अधिक सक्षम वातावरण की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने क्षेत्र, परिवार, समाज या देश के लिए हर क्षेत्र में अपने स्वयं के सही निर्णय ले सकें। देश को पूरी तरह से विकसित देश बनाने के लिए, विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महिला सशक्तिकरण एक आवश्यक उपकरण है।

Mahila Sashaktikaran Par Nibandh – Essay on Women Empowerment in Hindi ( 300 words )

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को कौशल बनाकर उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताना और उनको उनके अधिकार दिलाना। आज के युग में नारी की हालत बहुत ही दयनीय है। भारत एक पुरूष प्रदान देश है जहाँ पर सिर्फ पुरूष ही राज करते है और महिलाओं के अधिकारों का शोषण करते हैं। महिलाएँ भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होने के कारण पुरूषों के अधीन है।

महिला सशक्तिकरण ने महिलाओं को उनकी शक्ति का अहसास दिलाया है जिससे कि वह अपने अधिकार पाने में सक्षम हुई है। इसके कारण सभी महिलाओं ने एक झुट होकर अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी है। वैसे भी हक माँगने से नहीं मिलता छीनना पड़ता है। महिलाओं ने पुरूषों से अपना हक छीन लिया है। वह अब अपने हक के लिए आवाज उठाने लगी है। महिला सशक्तिकरण ने महिलाओं के जीवन को नवीनता प्रदान करी है और इन्हें मजबूती भी देती है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपनी जिंदगी से जुड़े सभी निर्णय लेने की आजादी देती है। कहने को तो भारत आजाद है लेकिन अभी भी महिला के जीवन से जुड़े सभी निर्णय पुरूष ही लेते है।

महिला सशक्तिकरण के बाद से नारी ने अपने लिए स्वयं फैसले लेने शुरु किया है। उसे अपनी मर्जी से वर चुनने का हक मिला है। महिलाओं ने पिता की जायदाद में भी हिस्सा पा लिया है। थोड़े समय पहले महिलाओं की माँग पर उन्हे यह अधिकार मिला है कि वह अपनी इच्छा से ही माँ बनेगी अन्यथा नबीम बनेगी। महिलाएँ अब जागरूक हो रही है। वैसे भी देश को जागरूक करने के लिए आवश्यकता है कि नारी को जागृत किया जाए। अगर नारी जागरूक होगी तो समाज भी जागेगा और तभी देश जागेगा। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को आजादी दे रहा है और यह महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक है। हर नारी को अपने फैसले लेने का पूरा हक है और उसे अपने अधिकारों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करना चाहिए।

Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi – Essay on Women Empowerment in Hindi ( 600 words )

मनुष्य समान प्राणी के रूप में पैदा होते हैं| वे एक दूसरे के साथ शांति से जीने के लिए हैं| समाज में, महिलाओं को कमजोर मानना शुरू किया गया और उनको उतना सम्मान नहीं दिया गया क्योंकि वे योग्य थे। उन्हें खुद से निर्णय लेने की इजाजत नहीं थी और उन्हें उन प्रतिबंधों का पालन करना पड़ा महिला सशक्तिकरण, एक ऐसी वैश्विक पहल को दर्शाती है जो पुरुषों के समान एक मानक के लिए महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास करता है।

महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित सामाजिक मुद्दे, आमतौर पर उन क्षेत्रों में मौजूद होते हैं, जहां लोग अधिकतर कमजोर होते हैं ऐसे लोगों का मानना है कि एक महिला का घर परिवार में है, उसके परिवार और/या पति द्वारा मातहत है। वे अपने कल्याण के बारे में बहुत चिंतित नहीं हैं| इस तरह के लोगों को शिक्षित करने के लिए दुनिया भर में सरकारें ड्राइव और जागरूकता कार्यक्रम स्थापित कर रही हैं। इससे उन्हें लिंग भूमिकाओं के बारे में अपने विचारों को बदलने में सक्षम बनाता है। लिंग भूमिकाएं समाज द्वारा स्थापित कठोर संरचनाएं हैं, जो निर्धारित करती है कि किसी विशिष्ट लिंग के लोगों के लिए क्या उपयुक्त है।

लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव महिलाओं को काम करने, चुनाव में और उनके परिवार का समर्थन करने की अनुमति देगा – ये सभी को एक व्यक्ति का विशेषाधिकार माना जाता था। एक विकसित देश एक है जिसमें नागरिक समर्थन प्राप्त करते हैं, उनके लिंग या जातीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना। महिलाओं को पुरुषों के रूप में समान मजदूरी देकर उन्हें अधिकार मिल सकता है, उन्हें नौकरी पाने की पहल करने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें प्रतिवाद नहीं किया जा सकता है। उन्हें याद दिलाया जाना चाहिए कि, व्यक्तियों के रूप में, उनके पास अपनी शर्तों पर जीवन जीने का अधिकार है। संक्षेप में, उन सभी को पुरुषों की तरह समान अवसर प्रदान करना है।

Amazon.in Widgets मानवाधिकार या व्यक्तिगत अधिकार:

एक महिला को बिना किसी प्रतिबंध के अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अधिकार है। स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति को स्पष्ट करने और व्यक्त करने के लिए आत्मविश्वास प्रदान करके व्यक्तिगत सशक्तिकरण प्राप्त किया जा सकता है। महिलाओं को अपने अधिकारों और सामाजिक स्थितियों के बारे में पता होना चाहिए कि वे संवैधानिक रूप से हकदार हैं।

महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण:

महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे महत्वपूर्ण पहलू लैंगिक समानता का प्रचार है। लिंग समानता का अर्थ है कि समाज में महिलाओं और पुरुषों को जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अवसर, परिणाम, अधिकार और दायित्वों का आनंद मिलता है।

महिलाओं के शैक्षिक सशक्तिकरण:

इसका अर्थ है कि विकास प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने के लिए महिलाओं को ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास प्राप्त करने में सक्षम बनाना। शैक्षिक अवसरों के लिए लड़की की बेटी को प्राथमिकता देना शुरू करना है।

आर्थिक और व्यावसायिक स्वतंत्रता:

इसका अर्थ है कि उनके पुरुष समकक्षों पर महिलाओं के वित्तीय निर्भरता को कम करने से उन्हें मानव संसाधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया जाए। पारिवारिक और साथ ही समग्र समाज के लिए भौतिक जीवन की बेहतर गुणवत्ता, टिकाऊ आजीविका जैसे कुटीर उद्योगों, महिलाओं के स्वामित्व और प्रबंधित छोटे उद्यमी प्रयासों के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।

हमारे प्रयासों को भारतीय महिलाओं के प्रत्येक अनुभाग के विकास के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, उनके लाभ को उनके उचित हिस्सेदारी देकर समाज में महिलाओं के किसी विशेष वर्ग के लाभ को सीमित नहीं करना चाहिए। उनकी शुद्धता, विनम्रता और गरिमा की रक्षा करना और समाज में उनकी प्रतिष्ठित स्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक है। सामाजिक कलंक को हटाने के बिना, स्थायी प्रगति और विकास हासिल नहीं किया जा सका। इसके लिए, मीडिया सहित सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को आगे आना चाहिए और समाज में जागरुकता पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

यह कार्य हासिल करना बहुत मुश्किल नहीं है| यदि बहुत से महिलाओं में परिवर्तन होता है, तो निश्चित रूप से इसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए, महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस (  Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi-   Essay on Women Empowerment in Hindi – महिला सशक्तिकरण पर निबंध ) निबंध को पसंद करेंगे।

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Women empowerment Essay in Hindi – महिला सशक्तिकरण पर निबंध

Essay on women empowerment in Hindi: यहाँ महिला सशक्तिकरण पर विशेष रूप से छात्रों के लिए लिखा गया एक विस्तृत निबंध है । महिला सशक्तीकरण पर ये बिंदु महिला सशक्तिकरण पर आपके भाषण में शामिल हो सकते हैं।

ये महिला सशक्तिकरण पर लेख के लिए भी फायदेमंद हैं। छात्र महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय के विषय पर बहस तैयार करने के लिए विवरण का उपयोग कर सकते हैं।

Essay on women empowerment in Hindi (200 words)

भारत प्राचीन काल से अपनी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, सभ्यता, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाने वाला एक बहुत प्रसिद्ध देश है। दूसरी ओर, यह पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी लोकप्रिय है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि दूसरी ओर परिवार और समाज में उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। वे केवल घर के कामों तक ही सीमित थे या घर और परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी समझते थे। उन्हें उनके अधिकारों और खुद के विकास से पूरी तरह से अनजान रखा गया था। भारत के लोग इस देश को “भारत-माता” कहते थे, लेकिन इसका सही अर्थ कभी नहीं समझा। भारत-माता का अर्थ है हर भारतीय की माँ जिसे हमें हमेशा बचाना और संभालना है।

महिलाएं देश की आधी शक्ति का गठन करती हैं इसलिए इस देश को पूरी तरह से शक्तिशाली देश बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। यह महिलाओं को उनके उचित विकास और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकारों को समझने के लिए सशक्त बना रहा है। महिलाएं बच्चे को जन्म देती हैं, उनका मतलब है राष्ट्र का भविष्य। इसलिए वे बच्चों के समुचित विकास और विकास के माध्यम से राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को बनाने में बेहतर भागीदारी कर सकते हैं। महिलाओं को पुरुष असभ्यता का शिकार होने के बजाय सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

500+ Words Essay on Women Empowerment in Hindi छात्रों और बच्चों के लिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली बनाना है। महिलाओं को पुरुषों के हाथों वर्षों से बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। पहले की शताब्दियों में, उन्हें लगभग अस्तित्वहीन माना जाता था। मानो सभी अधिकार पुरुषों के लिए भी मतदान के रूप में मूल रूप से कुछ के थे। जैसे-जैसे समय विकसित हुआ, महिलाओं को अपनी शक्ति का एहसास हुआ। वहां पर महिला सशक्तिकरण के लिए क्रांति की शुरुआत हुई।

महिला सशक्तीकरण

चूंकि महिलाओं को उनके लिए निर्णय लेने की अनुमति नहीं थी , महिला सशक्तीकरण ताजा हवा की सांस की तरह आया। इसने उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उन्हें एक आदमी पर निर्भर रहने के बजाय समाज में अपनी जगह कैसे बनानी चाहिए। यह इस तथ्य को मान्यता देता है कि चीजें केवल अपने लिंग के कारण किसी के पक्ष में काम नहीं कर सकती हैं। हालाँकि, हमारे पास अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है जब हम उन कारणों के बारे में बात करते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

लगभग हर देश में, चाहे कितनी भी प्रगतिशील महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार क्यों न हो। दूसरे शब्दों में, दुनिया भर की महिलाएँ आज जिस मुकाम पर हैं, वहाँ पहुँचने के लिए विद्रोही हैं। जबकि पश्चिमी देश अभी भी प्रगति कर रहे हैं, भारत जैसे तीसरे विश्व के देश अभी भी महिला सशक्तिकरण में पीछे नहीं हैं।

भारत में महिला सशक्तीकरण की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। भारत उन देशों में से है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं हैं। इसके कई कारण हैं। सबसे पहले, भारत में महिलाओं को ऑनर ​​किलिंग का खतरा है। उनके परिवार को लगता है कि अगर उनकी विरासत की प्रतिष्ठा के लिए शर्म की बात है, तो वे अपने जीवन को लेने का अधिकार रखते हैं।

इसके अलावा, शिक्षा और स्वतंत्रता परिदृश्य बहुत प्रतिगामी है। महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति नहीं है, उनका विवाह जल्दी हो जाता है। पुरुष अभी भी कुछ क्षेत्रों में महिलाओं पर हावी हो रहे हैं जैसे कि यह महिला का कर्तव्य है कि वह उसके लिए अंतहीन काम करे। वे उन्हें बाहर नहीं जाने देते या उन्हें किसी भी तरह की आजादी नहीं है।

इसके अलावा, भारत में घरेलू हिंसा एक बड़ी समस्या है। पुरुष अपनी पत्नी को मारते हैं और उन्हें गाली देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि महिलाएं उनकी संपत्ति हैं। अधिक इसलिए, क्योंकि महिलाएं बोलने से डरती हैं। इसी तरह, जो महिलाएं वास्तव में काम करती हैं, उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन मिलता है। यह सर्वथा अनुचित और कामुक है कि किसी को उसी लिंग के कारण कम भुगतान करना है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि महिला सशक्तीकरण समय की जरूरत कैसे है। हमें इन महिलाओं को खुद के लिए बोलने और उन्हें कभी भी अन्याय का शिकार नहीं होना चाहिए ।

महिलाओं को कैसे सशक्त करें?

महिलाओं को सशक्त बनाने के विभिन्न तरीके हैं। इसे करने के लिए व्यक्तियों और सरकार दोनों को साथ आना चाहिए। लड़कियों के लिए शिक्षा अनिवार्य की जानी चाहिए ताकि महिलाएं अपने लिए जीवन बनाने के लिए अनपढ़ बन सकें।

लिंग के बावजूद महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर दिए जाने चाहिए। इसके अलावा, उन्हें समान वेतन भी दिया जाना चाहिए। हम बाल विवाह को समाप्त करके महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित किया जाना चाहिए, जहां उन्हें वित्तीय संकट का सामना करने के मामले में खुद के लिए कौशल करने के लिए सिखाया जा सकता है ।

सबसे महत्वपूर्ण बात, तलाक और दुर्व्यवहार की शर्म को खिड़की से बाहर फेंक दिया जाना चाहिए। कई महिलाएं समाज के डर के कारण अपमानजनक रिश्तों में रहती हैं। माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि ताबूत की बजाए घर में तलाक देना ठीक है।

Essay on women empowerment in Hindi (1000 words)

इंसानों को जानवरों से क्या अलग बनाता है? कोई कह सकता है कि होशियार मस्तिष्क, तर्कसंगत और तार्किक सोच, भाषा कौशल, सांस्कृतिक मानदंड, आग से लेकर फाइटर जेट और इतने पर शुरू होने वाली महान खोजें। और, आज हम शिकारी से लेकर डिजिटल खानाबदोशों तक का लंबा सफर तय कर चुके हैं। हम नहीं हैं?

पोषणकर्ता की भूमिका

किसी को आश्चर्य हो सकता है कि बेहतर प्रजाति के बारे में लघु परिचायक क्या है: मानव को लिंग अंतर और महिला सशक्तिकरण के साथ क्या करना है। मनुष्यों और अधिकांश जानवरों के बीच एक बुनियादी भिन्नता लंबे बचपन की है, और फिर संतानों से सांसारिक अपेक्षाएं आती हैं। एक बाघ शावक अच्छी तरह से खाने और एक अच्छा बाघ बनने के लिए माना जाता है। बहुत पेरेंटिंग नहीं है। हमारे साथ ऐसा नहीं है। एक मानव बच्चे की देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है। बच्चे का शारीरिक और मानसिक कल्याण हमारे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। एक को नैतिक सिद्धांतों की आवश्यकता होती है और प्रतिस्पर्धी दुनिया का सामना करने के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। ऐतिहासिक रूप से, पोषण और देखभाल की भूमिका महिलाओं के लिए चली गई, और पुरुषों ने (आर्थिक) जीविका की जिम्मेदारी ली। उन्होंने शिकार, खेती और व्यापार किया। लेकिन धीरे – धीरे, समाज ने महिलाओं को कमजोर और कमजोर मानना ​​शुरू कर दिया, और पुरुषों ने मजबूत और कट्टर के रूप में। महिलाओं के पास वित्तीय मामलों में कोई बात नहीं थी और वे अपने अस्तित्व के लिए पूरी तरह से पुरुषों पर निर्भर थीं। इससे लैंगिक अंतर और महिलाओं के मूल अधिकारों का दमन हुआ।

द्वितीयक नागरिक और औद्योगीकरण

यह 20 वीं शताब्दी की सुबह थी जब दुनिया भर की महिलाओं ने अपने अधिकारों और समानता के लिए विरोध करना शुरू किया। इसलिए, बहुत पहले नहीं, महिलाओं को द्वितीयक नागरिक माना जाता था। उन्हें गुलाम बनाया गया, आपत्ति जताई गई, और उन्हें हर चीज के लिए लड़ना पड़ा: अफीम पर उनका अधिकार, संपत्ति का, वोट देने का, आदि।

1850 के दशक की औद्योगिक क्रांति ने सामाजिक व्यवस्था में कई बदलाव लाए। इस अवधि से पहले, महिलाओं को होमबाउंड किया गया था और सिलाई जैसी पारंपरिक नौकरियां लीं। लेकिन कृषि में प्रगति ने छोटे किसान परिवारों को शहरी केंद्रों में ला दिया। रहने की लागत बढ़ गई, और परिवार की सहायता के लिए एक भी आय पर्याप्त नहीं थी। लिहाजा, महिलाओं को भी कमाना पड़ता था। कपड़ा उद्योग के आधुनिकीकरण ने भी कार्यबल में महिलाओं के प्रवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लेकिन, जब महिलाएं उद्योगों में काम करती थीं, तब भी वेतन असमानताएं और भेदभाव थे। 1910 के आसपास, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और रूस में महिलाओं और समाजवादी समूहों ने समान वेतन, सार्वभौमिक मताधिकार, भेदभाव-विरोधी कानूनों और महिलाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए महिला अधिकार आंदोलन शुरू किया।

महिला सशक्तिकरण- इतिहास और विकास

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव के रूप में, समाज में महिलाओं ने जो भूमिका निभाई वह बदलने लगी। समाजवादी उत्कंठाओं के साथ, महिलाओं ने अपने आत्म-मूल्य का एहसास करना शुरू किया और जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अवसर चाहती थीं। संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना शुरू किया। विकसित और पश्चिमी दुनिया में जहां नारीवादी आंदोलन शुरू हुए, महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। लेकिन लिंग पूर्वाग्रह अभी भी मौजूद है, और कई महिलाएं इसे कॉर्पोरेट सीढ़ी के शीर्ष पायदान पर नहीं बना रही हैं। वे नीति-निर्धारण समितियों में भी मौजूद हैं। उन्नत तकनीकी क्षेत्रों और वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों में लिंग अनुपात अभी भी कम है।

लेकिन अफ्रीका, एशिया और अरब दुनिया के अविकसित देशों में महिलाओं की दुर्दशा में बहुत सुधार नहीं हुआ है। यहाँ की अधिकांश महिलाएँ अभी भी अधीनस्थ स्थितियों में रहती हैं। उनके पास शिक्षा और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच नहीं है। उन्हें कम आय वाली नौकरियां मिलती हैं और हिंसा और भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है।

चूंकि महिलाएं कुल विश्व आबादी का 49.56% हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि दुनिया भर में महिलाओं की सभी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों में समान हिस्सेदारी हो। स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा देने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है; निर्णय लेने की शक्ति और समान अवसर प्रदान करना।

भारत में महिला सशक्तिकरण

भारत में, ग्रामीण और शहरी विभाजन महिलाओं के जीवन में वृद्धि में भी अंतर लाते हैं। हमारे देश में, शिक्षित और शहरी आबादी ने एक बालिका को शिक्षित करने और महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता के लाभों का एहसास किया है। इन समूहों की अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं और बेहतर और स्थिर जीवन जी रही हैं। हालांकि, कार्यस्थल पर या घरों की बंद दीवारों में भेदभाव, हिंसा और उत्पीड़न मौजूद है। लेकिन, ग्रामीण और गरीब घरों में स्थिति विकट है। कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसे मुद्दे प्रचलित हैं। समाज अभी भी पितृसत्ता के लिए प्रतिबद्ध है। कानूनों के बावजूद, लड़कियों को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाता है और उन्हें बोझ के रूप में माना जाता है। यहां तक ​​कि अच्छे परिवारों में भी, पुरुष बच्चों को अक्सर प्राथमिकता दी जाती है और उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बेहतर पहुंच होती है। लड़कियों को अक्सर शिक्षित और प्रबुद्ध नहीं किया जाता है जो मानवता कर रही है। उन्हें न तो स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता है और न ही वित्तीय जागरूकता।

एक और प्रमुख कारक जो विकास को रोकता है वह कानूनों और नीतियों के कार्यान्वयन में चूक है। हालांकि हमारे पास महिलाओं के भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ हिंसा, हमारी महिलाओं, पृष्ठभूमि के बावजूद, लगातार भय में जीने के लिए कानून हैं। यहां सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। नीति-व्यवहार की खाई और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति को प्रभावित करते हैं।

महिला सशक्तीकरण के लाभ

आधी आबादी की उपेक्षा होने पर किसी भी प्रकार का विकास नहीं किया जा सकता है। तो, मानवता की प्रगति के सभी दावे शून्य हो जाते हैं। हम पृथ्वी पर सुपर प्रजाति के रूप में अपनी वास्तविक क्षमता का दोहन नहीं कर रहे हैं।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में पहला कदम एक बालिका को शिक्षित करना है। कहा जाता है कि जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो आप पूरे समाज को शिक्षित करते हैं। अच्छी शिक्षा के साथ, लड़कियों को उच्च वेतन वाली नौकरियां मिल सकती हैं और इसके परिणामस्वरूप वेतन अंतराल कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता में वृद्धि गर्भावस्था और कुपोषण को रोकती है। जब महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता होती है, तो वे राजनीति जैसे अस्पष्ट क्षेत्रों में शामिल हो सकती हैं। महिलाओं के मामलों में, उनकी समस्याओं को बेहतर ढंग से स्पष्ट कर सकते हैं और नीतिगत परिवर्तनों को लागू करना आसान हो जाता है। महिलाओं में जागरूकता बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख विकास संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। यह यौन उत्पीड़न जैसी समस्याओं को हल कर सकता है क्योंकि वे अपने बेटों में बेहतर मूल्यों को विकसित करेंगे।

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अब हमें बेहतर चाइल्डकैअर नीतियों, स्वास्थ्य सुधारों और महिलाओं के लिए एक लचीले कार्य वातावरण की आवश्यकता है। एक और प्रमुख चिंता महिलाओं की सुरक्षा है। यद्यपि यौन हमलों के खिलाफ #metoo अभियान को गति मिली है, हमें किसी भी रूप में हिंसा और दुर्व्यवहार के खिलाफ अधिक कड़े कानूनों की आवश्यकता है। एक ऐसा समाज जहां महिलाएं लंबे समय में सुरक्षित और आत्मविश्वास महसूस करती हैं। उम्र के बाद से, यह ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने परिवार की भलाई, शांति और प्रगति के लिए कदम उठाया है और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ पूरे समुदाय पर लागू किया जा सकता है।

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नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi 

Essay & speech on nari shakti (woman empowerment in india)  in hindi –  नारी शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण पर भाषण और निबंध.

Woman Power in Hindi

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि “एक राष्ट्र हमेशा ही अपने यहाँ की महिलाओं से सशक्त बनता है , वह माँ , बहन और पत्नी की भूमिकाओं में अपने नागरिकों का पालन पोषण करती है और तब जाकर यह सशक्त नागरिक , एक सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन दर्शाता है कि देवीयता प्राप्त नारी कभी माँ के रूप में तो कभी बेटी के रूप में ईश्वर का दिया एक अमूल्य धन है जो बिना परिश्रम लिए अत्यंत आत्मीयता से सभी परिवार जनों की सेवा करती है और जिसने जमीन से आसमान तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। बावजूद इसके समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे है जो महिलाओं को अबला नारी कहते है और मानसिक व शारीरिक रूप से उसका दोहन करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते है। 

प्रसिद्द लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा है कि – “वास्तव में स्त्रियाँ जन्म से अबला नहीं होती, उन्हें अबला बनाया जाता है।” पेशे से एक डॉक्टर तसलीमा नसरीन ने उदाहरण के रूप में इस तथ्य की ब्याख्या की है – “जन्म के समय एक ‘स्त्री शिशु’ की जीवनी शक्ति का एक ‘पुरुष शिशु’ की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है, लेकिन समाज अपनी परम्पराओं और रीति – रिवाजों एवं जीवन मूल्यों  के द्वारा महिला को “सबला” से “अबला” बनाता है।”

इसका मतलब है की व्यक्तित्व को निखारने के लिए प्रकृति लिंग का भेदभाव नहीं करती है। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हमें महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लिए महिलाओं को एहसास दिलाना होगा कि उनमें अपार शक्ति है, उनको अपनी आंतरिक शक्ति को जगाना होगा। क्योंकि जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख के सहारे उड़ना संभव नहीं है, वैसे ही किसी राष्ट्र की प्रगति केवल शिक्षित पुरुषों के सहारे नहीं हो सकता है।

राष्ट्र की प्रगति व सामाजिक स्वतंत्रता में शिक्षित महिलाओं की भूमिका उनती ही अहम् है जितना की पुरुषों की और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब नारी ने आगे बढ़कर अपनी बात सही तरीके से रखी है, समाज और राष्ट्र ने उसे पूरा सम्मान दिया है और आज की नारी भी अपने भीतर की शक्ति को सही दिशा निर्देश दे रही है यही कारण है कि वर्तमान में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती है। 

आज समाज में लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से भी लोगों की सोच में बहुत भारी बदलाव आया है। अधिकारिक तौर पर भी अब नारी को पुरुष से कमतर नहीं आका जाता। यही कारण है कि महिलाएं पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी हैं और आत्मबल, आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाती है। 

वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है। आज की नारी पढ लिखकर स्वतंत्र है अपने अधिकारों के प्रति सजग भी है | आज की नारी स्वयं अपना निर्णय लेती है। आज की नारी ‘शक्ति’ का सघन पुंज है।  यह शक्ति जिस रूप में प्रकट होती है,  वह उसी रूप में परिलक्षित होती है। 

आज की नारी जब अपने अबोध एवं नवजात बालक को स्तनपान कराती है तो वह वात्सल्य एवं ममता का साकार रूप होती है। जब वह अपने केंद्र पर खड़ी होकर हुंकार भरती है तो वह दुर्गा एवं कालीरुपा बन जाती है, फिर उसकी दृढ़ता एवं साहस के सामने कोई नहीं टिकता है। जब नारी अपनी सुकोमल सम्वेदनाओं के संग विचरती है तो सृष्टि में सौंदर्य की एक नई आभा, एक दिव्य प्रकाश बिखर जाता है। 

वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह  आश्चयर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है। समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है। 

आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएँ हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है। हालांकि यहां तक का सफर तय करने के लिए महिलाओं को काफी मुश्किलों एवं संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए अभी मिलों लम्बा सफर तय करना है, जो कंटकपूर्ण एवं दुर्गम है लेकिन अब महिलाएं हर क्षेत्र में आने लगी है। 

आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो चुकी है। वह अपनी शक्तियों को पहचानने लगी है जिससे आधुनिक नारी का वर्चस्व बढ़ा है। व्यापार और व्यवसाय जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में जिस प्रकार उसने कदम रखा है और जिस सूझ – बूझ एवं कुशलता का परिचय दिया है, वह अद्भुत है। बाजार में नारियों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। तकनीकी एवं इंजीनियरिंग जैसे पेचीदा विषयों में उसका दखल देखते ही बनता है। 

किसी ज़माने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का जरिया समझा जाता था। उन्हें घर की चारदीवारी में रहना पड़ता था और ऐसे में नारी की उपलब्धियों को इतिहास के पन्नों में ढूढ़ना पड़ता है। 

जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समेट दिया गया था, वह अपनी इस चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है। इक्कीसवीं सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएँ लेकर आई है। नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है। 

शक्ति स्वरूप नारी की सफलता के आँकड़ो का वर्णन करें तो शायद उसे समेट पाना संभव नहीं होगा, परंतु विश्लेषण करने पर पता चलता है कि नारी की प्रकृति बड़ी अनोखी और बेजोड़ होती है। उसमे अनगिनत तत्व एक साथ समाए होते हैं। हरेक तत्व की अपनी खास विशेषता होती है। 

नारी करुणा भी है तो निष्ठुरता भी है, वात्सल्य भी है तो भोग की चरम कामना भी है, त्याग भी है तो मोह का प्रचंड चक्रवात भी उमड़ता – घुमड़ता है। इसमें प्रेम भी समाहित है और घृणा भी शामिल है। इसी में भक्ति के साथ बहिरंग का आकर्षण भी है। इसी में सौंदर्य के साथ विभत्सता भी है। इसमें पवित्रता और कुटिलता दोनों सम्मिलित हैं | ये दोनों विपरीत तत्व बड़ी  तीव्रता एवं बहुलता में नारी में उपस्थित हैं। 

नारी शक्ति की पहचान “मीरा” ने भक्तितत्त्व को बढ़ाया था। उनने पाँच हजार वर्ष पूर्व के कृष्ण को, राधा के समान उपलब्ध कर लिया। गार्गी, घोषा, अपाला ने ज्ञानतत्व को विकसित किया था और वे इतनी पारदर्शी ज्ञानी बन गई कि उन्हें ऋषिकाओं के नाम से संबोधित करते हैं। 

  • नारी जीवन पर तीन प्रेरक कविता
  • महिला सशक्तिकरण पर बेहतरीन नारे एवं सुविचार
  • नारी अस्मिता पर प्रेरक कविता
  • नारी शिक्षा पर कविता
  • भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध

माता देवकी ने कठोर तप किया था और इसी कारण उनके दिव्य गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। 

कालितत्व भी नारी में ही समाहित है। इसे बढ़ाने वाली थी क्षत्रा क्षत्राणीयाँ, जिनके कोमल करों में तलवारे खनकती थीं।  घोड़ों की पीठ पर वे बिजली के समान कौंधती थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसी वीरता का परिचय दिया था। Malala Yousafzai जिन्हें उत्कृष्ट कार्यों के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल प्राइज मिला। 

वर्तमान समय में नारियों की दक्षता, कुशलता, और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी बढ़ती प्रतिभा में  उनके अंदर निहित विशिष्ट तत्वों के विकसित होने के कारण ही उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। 

आज के दौर में स्त्री परिवार को चुनौती देती हुयी महत्वाकांक्षा के सपने संजोती हुई अपने विकास को अवरुद्ध करने वाली सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ती आर्थिक रूप से स्वतंत्रा प्राप्त करती तथा स्त्रियों की पारंपरिक भूमिका से भिन्न खड़ी अपनी अलग जमीन तलाशती स्त्री के रूप में हमारे सामने आती है। जो अपने व्यक्तित्व से अथाह प्रेम करती है और उसे कही कुंठित नहीं होने देती। आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के प्रयास के साथ वह अपनी अस्तिमा के प्रति पूरी तरह सजग है। 

इसी कारण स्वामी विवेकानंद ने कहा था –

“नारी का उत्थान स्वयं नारी ही करेगी। कोई और उसे उठा नहीं सकता। वह स्वयं उठेगी। बस, उठने में उसे सहयोग की आवश्यकता है और जब वह उठ खड़ीं होगी तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। वह उठेगी और समस्त विश्व को अपनी जादुई कुशलता से चमत्त्कृत करेगी।”

अगर आज की सभी नारी स्वयं को पहचानने, अपनी आंतरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगा दे तो विकास की गति कई गुना बढ़ सकती है। शक्ति तो शक्ति है, वह जहाँ पर लगेगी, अपना परिचय देगी। ठीक इसी प्रकार नारी शक्ति है, उसे और अधिक पददलित, शोषित और बेड़ियों में नहीं बाँधा जा सकेगा। उसे स्वयं में पवित्रता और साहस, शौर्य को फिर बढ़ाना होगा, जिससे कि उसे भोग्या के रूप में न देखा जा सके। यदि वह अपने स्वरुप को पहचान सकेगी तो वह आज के अश्लील मार्केट में बिकने से बच सकेगी। 

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3 thoughts on “ नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi  ”

Kya speech di me to 1st price Paula thanks you are giving speech

Bahut hi accha likha hai apne thanks

Bahut hi Acha ..padhak bahut hi Acha laga baki post ki tarah aapki yah post bhi achi hai …

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay in Hindi

In this article, we are providing Women Empowerment Essay in Hindi. महिला सशक्तिकरण पर निबंध, नारी सशक्तिकरण – Paragraph, Article on Women Empowerment Nari/Mahila Sashaktikaran Essay in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

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Essay on Women Empowerment in 300 words

भारत एक विभिन्न धर्मो वाला महान देश माना गया है, जहा सभी को समान अधिकार प्राप्त है । पुरुष और महिला दोनों सामाजिक, आर्थिक, एवं कानूनी रूप से समान माने गए है । महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत महिलाओं को हर तरह से शक्तिशाली बनाने की मुहीम एवं प्रयास को महिला सशक्तिकरण का नाम दिया गया है ।

पुरुषो को हमारे समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त है, किन्तु आज के आधुनिक युग में महिलाओं ने भी हर जगह अपने विजय परचम को लहराया है, और अपनी योग्यता साबित की है! महिलाये किसी भी क्षेत्र में पुरुषो से कम नहीं है, स्वयं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिला दिवस (8 मार्च) के उपलक्ष्य में यह सन्देश दिया कि, “ यदि हम देश की तरक्की चाहते है, तो सर्वप्रथम देश की महिलाओं को सशक्त बनाना होगा” तभी देश का विकास एवं उन्नति सम्भव है ।

महिला सशक्तिकरण क्यों अनिवार्य है?

महिलाओ को हमारे समाज में सदा से ही हीन दृष्टि से देखा गया है, जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा: “शुद्र, पशु, नारी और गंवार, ये सब ताडन के अधिकार”, नारी को पशु के समान कहने का किसी को कैसे अधिकार मिल सकता है, जबकि भारत का सविधान उसे स्वयं सर्वमान्य अधिकार एवं स्वतंत्रता प्रदान करता है ।

पूरे देश में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना पर्याप्त नहीं, इसके लिए देश के सभी नागरिको को अपनी कुंठित सोच को बदलना होगा, और उसकी शुरुआत सबसे पहले अपने घर से करनी होगी, इसलिए नारी को सम्मान दे, क्योकि उन में से एक आपकी माता है, बहन है या पत्नी है, और इसलिए कहा गया है:- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता”

Women Empowerment Essay in Hindi (400 words)

भूमिका- महिला सशक्तिकरण का मतलब महिलाओं को उनकी शक्ति, उनकी ताकत और उनकी योग्यता के विषय में बताना है जिससे की वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय ले सके। 8 मार्च को अंतराष्टरीय महिला दीवस मनाया जाता है। हर व्यक्ति को खुद से जुड़े हुए फैसले लेने की आजादी होती है। महिला सशक्तिकरण महिलाओं को ऐसी शक्ति देता है जिससे वो समाज में सही स्थान बना सके।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता- हमारे भारत देश में जहाँ महिलाओं को एक तरफ देवी की तरह पूजा जाता वही दुसरी तरफ उनके साथ होने वाले अत्याचारों की संख्या कम नही है। कहने को तो महिला और पुरुष बराबर है लेकिन मध्यकाल से लेकर अब तक महिला के जीवन से जुड़े सभी फैसले पुरूष ही करते आए हैं। भारत एक पितृपरधान देश है जहाँ पर सभी निर्णय पुरूषों द्वारा लिए जाते हैं। महिलाओं को उनकी योग्यता के बल पर समान हक दिलाने और पुरुषों को महिलाओं से जुड़ी जानकारी देने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हुई।

महिला सशक्तिकरण के लाभ- इसके कारण महिलाओं की जिंदगी में बहुत से बदलाव हुए। उन्होंने हर कार्य में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू किया है। अब वो अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद कर रही हैं। अब वो अपने हक के लिए लड़ने लगी हैं और धीरे धीरे आत्मनिर्भर बनती जा रही हैं। पुरुष भी अब महिलाओं को समझने लगे है , उनके हक भी उन्हें दे रहें हैं जिनसे वो नाजाने कितने सालों से वंचित थी। मर्द अब औरत के फैसले की इज्जत करने लगे है। हक मांगने से नही मिलता छीनना पड़ता है और औरतों ने अपने हक अपनी काबिलियत से और एक जुट होकर मर्दों से हासिल कर लिए हैं।

” हक के लिए करली जंग की तैयारी। हम नारी शक्ति है सब पर भारी।”

महिलाओं के हक उठाए गए कदम- महिलाओं को हक दिलाने और लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म करने के लिए सरकार द्वारा बहुत से कानुन बनाए गए है-

1. समानता का मौलिक अधिकार जिससे की कोई भी लिंग के आधार पर आपसे भेदभाव नहीं कर सकता । 2. नौकरी के समान अवसर दिए गए है। 3. घरेलू हिंसा रोकने के लिए भी कानून बनाया गया है। 4. हाल ही में सरकार द्वारा कानून जारी किया गया है कि महिला की मर्जी है कि वो अभी बच्चा चाहती है या नहीं 5.सरकार द्वारा बाल विवाह पर भी रोक लगाई गई है और 18 साल के बाद महिला अपनी पसंद से शादी कर सकती है।

निष्कर्ष- महिला सशक्तिकरण महिलाओं को मजबूती दी है ताकि वो अपने हक के लिए लड़ सके। हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। पुरुषों को भी महिलाओं का शोषण करने की बजाय उनके हक उन्हें देने चाहिए।

Mahila Sashaktikaran Nibandh in 500 words

आज भारत देश में “ महिला सशक्तिकरण ” बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन चुका है । महिला सशक्तिकरण” का अर्थ यह होता है कि महिलाएं अपना फैसला खुद ले सके, महिलाएं स्वतंत्र होकर जीवन जी सकें । भारतीय संस्कृति में महिलाओ को हमेशा से उच्च स्थान मिला हे । और ऐसा कहा जाता है कि जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां पर साक्षात् देवी देवताओं का वास होता है ।

देश, समाज और परिवार के उच्च भविष्य के लिए “महिला सशक्तिकरण” बेहद जरूरी है, इसलिए 8 मार्च पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women’s Day) मनाया जाता है । दुनिया में सबसे ज्यादा स्वतंत्र देश भारत ही है इसलिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समाज में एक समान अधिकार प्राप्त होना चाहिए ।

महिला सशक्तिकरण क्यों जरूरी है ?

महिला सशक्तिकरण को बहुत आसान भाषा में परिभाषित किया जाए तो, महिला एकजुट होकर अपने जीवन से जुड़े या फिर परिवार से जुड़े सभी निर्णय को ले सके । महिला सशक्तिकरण का सिर्फ यही लक्ष्य होता है कि महिलाओं को शक्ति प्रदान की जाए, ताकि वह समाज में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फैसले ले सके तथा गर्व से अपना सिर उठाकर चल सके । महिला सशक्तिकरण के अंदर महिलाओं को उनका अधिकार दिया जाए ।

आज हम सभी जानते हैं हमारा देश पुरुष प्रभुत्व वाला देश है , जहां पर पुरुषों को महिलाओं की तुलना में सबसे ज्यादा माना जाता है जो कि यह सही बात नहीं है । आज भी भारत देश में कई जगह पर महिलाओं को पुरुषों की तरह काम करने नहीं दिया जाता और उन्हें परिवार की देखभाल और घर से ना निकलने की हिदायत दी जाती है ।

महिला सशक्तिकरण को क्यों इतना महत्व दिया जाता है ?

आज के आधुनिक युग में 40% से 50% महिलाएं ऐसी है, जो शिक्षित होने के बाद भी घर पर बैठी है । यानी कि देश का आधा ज्ञान घर पर बैठे-बैठे बेकार हो रहा है । हालांकि घर पर बच्चों की देखभाल या फिर परिवार की देखभाल करना जीवन का एक हिस्सा होता है परंतु इसका मतलब यह तो नहीं होता है की, जीवन वहीं तक सीमित रहे । महिलाओं को भी पुरुषों की तरह घर से बाहर निकल ना चाहिए और काम करना चाहिए क्योंकि इससे उनका ज्ञान और बढ़ता है । महिलाएं भी देश के लिए बहुत कुछ अच्छा कर सकती है ।

हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जी ने भी कहां है कि “देश को आगे बढ़ाने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत जरूरी होगा ” यदि महिलाएं आगे बढ़ने लगी, तो समझ लीजिए कि देश का विकास 4 गुना बढ़ जाएगा । महिलाओं को सशक्त बनाना एक बहुत ही महत्व का कार्य है ।

महिलाओं को क्यों नहीं दिया जा रहा है उनका हक ?

भारत देश मैं बहुत सारे ऐसे गांव हैं, जहां पर सिर्फ पुरुषों को ही शिक्षा दी जाती है । महिलाओं को शिक्षा नहीं दी जाती है, क्योंकि वहां पर महिला-पुरुष का एक भेदभाव रखते हैं । वहां के सभी लोग यही सोचते हैं कि महिलाएं पढ़ कर क्या करेंगी । लेकिन उन सभी लोगों को यह नहीं पता होता है कि महिला क्या कुछ कर सकती हैं । आपने देखा होगा कि आज सभी नौकरियों में सबसे ज्यादा प्रभुत्व महिला का ही होता है, क्योंकि अब बदल रहा है हमारा भारत देश ।

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2 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay in Hindi”

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Women Empowerment Speech in Hindi: महिला सशक्तिकरण पर ऐसे दें स्पीच

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  • मार्च 1, 2024

Women Empowerment Speech in Hindi

किसी भी समाज को सभ्य समाज का दर्जा तब तक नहीं प्राप्त होता, जब तक उस समाज की नारी का सशक्तिकरण न हो, जब तक उस समाज में नारी को समान अधिकार न हो। हर युग में भारत में ऐसे संतों का अवतरण हुआ, जिन्होंने प्रखरता के साथ नारी सशक्तिकरण की बात कही। इन्हीं में से एक कबीर दास भी थे, जिन्होंने कहा था कि “गये रोये हंसि खेलि के, हरत सबौं के प्राण कहै कबीर या घात को, समझै संत सुजान।” इसका अर्थ यह है कि “गाकर, रोकर, हंसकर या खेल कर नारी सब के प्राण हर लेती हैं।” Women Empowerment Speech in Hindi के माध्यम से आप समाज को जागरूक कर सकते हैं। महिला सशक्तिकरण पर भाषण महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करते हैं और उन्हें सशक्त होने की प्रेरणा से भर देते हैं। Women Empowerment Speech in Hindi की तैयारी करने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।

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Women Empowerment in Hindi के माध्यम से आप Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, जो कि निम्नलिखित हैं;

  • Mahila Sashaktikaran in Hindi में प्रेरक कविताएं , प्रेरक पुस्तकें से ली गई कोई कहानी तथा प्रेरक उद्धरण भी उपयोग में ले सकते हैं।
  • Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए मर्यादित भाषा का प्रयोग करें।
  • Mahila Sashaktikaran in Hindi के लिए उचित शब्दों का चयन करें।
  • Mahila Sashaktikaran in Hindi पर भाषण देने के लिए अधिकाधिक तर्कों का प्रयोग करें।
  • Women Empowerment in Hindi देने के लिए आपके भाषण का एक अच्छा उद्देश्य होना चाहिए।

आज का युग ऐसा युग है, जिसमें महिलाओं को संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं। आज महिलाएं इस विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना योगदान देती है परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है तथा उनके अधिकारों का हनन किया जाता है। आज हर साल किसी भी परीक्षा में महिलाएं समान रूप से शामिल होती हैं तथा कई बार पुरुषों से अधिक अंक भी लाती हैं, परंतु कहीं न कहीं यह भी सच है कि पैतृक सत्ता समाज होने के कारण पुरुषों को ही मान सम्मान दिया जाता है। ऐसे में अक्सर बेटियों में निराशा का भाव पैदा हो जाता है। आज कई महिलाएं जैसे किरण बेदी, सुष्मिता सेन, पद्मावती बंदोपाध्याय, सुचेता कृपलानी आदि सशक्त हैं। इन्हीं के जैसे समाज की हर नारी को सशक्त करने का दायित्व किसी भी सभ्य समाज का बनता है।

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Women Empowerment Speech in Hindi मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है, ताकि वह स्वयं निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। चूंकि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं हमेशा से उत्पीड़ित रही हैं, इसलिए महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य उन्हें पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में मदद करना है। यह देश के साथ-साथ एक परिवार की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता का गवाह बनेगी और समाज के हर तबके की महिला को अपनी मर्जी से खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन चलाने में मदद करेगी। 

महिला सशक्तिकरण केवल यह सुनिश्चित करने से अधिक शामिल है कि महिलाओं को उनके मूल अधिकार मिले। अपने सशक्त रूप में, महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पहलू शामिल हैं। इसके माध्यम से, वास्तविक प्रयास यह सुनिश्चित करने में निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएं।

सही समर्थन दिए जाने पर, महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं में देखा है, प्रधानमंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ। इसके अलावा, महिलाओं को परिवार की रीढ़ भी माना जाता है। घरेलू कामों से लेकर बच्चों के पोषण तक, वे कई जिम्मेदारियाँ संभालती हैं। यही कारण है कि वे मल्टीटास्किंग में महान हैं और अक्सर कई कामकाजी महिलाएं पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच कुशलता से बाजी मारती हैं। जहां शहरों में कामकाजी महिलाएं हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों ने उन्हें घर के कामों में रोक दिया है। हम एक ऐसे राष्ट्र के रूप में समृद्ध होने की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं, जहां हर लड़की को शिक्षा या अपनी पसंद बनाने की सुविधा न मिले? भारत एक ऐसा देश है जहाँ हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, जबकि हम लैंगिक समानता के बारे में सोचने से परेशान नहीं हैं। 

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विश्व स्तर पर अपनी संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा हुआ देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। वे हमेशा दमन और घरेलूता तक ही सीमित रहे और बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोका। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। भारत जैसे देश के लिए, इसके विकास और विकास में महिला सशक्तिकरण की बड़ी भूमिका होगी।

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जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार के भविष्य और विकास के साथ-साथ पूरे समाज को विकसित करने के लिए अधिक क्षमताएं हैं। इस प्रकार, हर महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए।

लछमा कहानी में महादेवी वर्मा ने लिखा-

“एक पुरुष के प्रति अन्याय की कल्पना से ही सारा पुरुष-समाज उस स्त्री से प्रतिशोध लेने को उतारू हो जाता है और एक स्त्री के साथ क्रूरतम अन्याय का प्रमाण पाकर भी सब स्त्रियां उसके आकारण दंड को अधिक भारी बनाए बिना नहीं रहती। इस तरह पग-पग पर पुरुष से सहायता की याचना न करने वाली स्त्री की स्थिति कुछ विचित्र सी है। वह जितनी ही पहुंच के बाहर होती है, पुरुष उतना ही झुंझलाता है और प्राय: यह झुनझुलाहट मिथ्या अभियोगों के रूप में परिवर्तित हो जाती है। “

women empowerment speech in hindi

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महिलाओं को मोटिवेट करने के लिए यह कविता-

क्यों होती है निराश, तू तो सहनशीलता का प्याला है तो क्या हुआ तू मलाला नहीं  तूने घर तो संभाला है। तू निकले गलियों से वो देखे बुरी नज़रों से उसका कुछ नहीं कर सकते ये ही हमेशा कहा जाए बस तू याद रख बस तू याद रख  तेरा दुपट्टा ना सरकने पाए। ये कैसी विडंबना है समान होने के बावजूद हमें पीछे चलना है। लड़के घूमे कम कपड़ों में  तो वो सुंदर लगते है लड़कियां पहने छोटे कपड़े संस्कार नहीं है यहीं फब्तियां कसते है। सशक्तिकरण अब हमें करना होगा  आगे हमें बढ़ना होगा  कंक्रीट से भरे रास्तों में भी नंगे पांव चलना होगा अब हमें बढ़ना होगा बहुत लोग हैं रोकने वाले झांसी की रानी अब बनना होगा महिलाओं जाग जाओ सशक्तिकरण अब हमें करना होगा।

—रिटन बाय-रश्मि पटेल

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हमारी सभी माताओं, बहनों और बेटियों के लिए हमें अखंडता का वातावरण तैयार करना चाहिए। हमें जीवन के हर चरण में अपने फैसले लेने के लिए उन्हें सक्षम बनाने के लिए उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देना चाहिए और इसी तरह हम महिला सशक्तिकरण लाने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं।

Women Empowerment Speech in Hindi भारत की भारत में प्रसिद्ध महिला उद्यमी की लिस्ट नीचे दी गई है-

  • फाल्गुनी नायर, नायका की संस्थापक
  • वंदना लूथरा, वीएलसीसी की संस्थापक
  • पेप्सि को. की पूर्व चेयरमैन और सीईओ इंदिरा नूयी
  • किरण मजूमदार शॉ , एमडी और बायोकॉन की अध्यक्ष
  • श्रद्धा शर्मा, योरस्टोरी की संस्थापक
  • शहनाज हुसैन, हर्बल ब्यूटी केयर की अग्रणी
  • अदिति गुप्ता, मेंस्ट्रुपीडिया की सह-संस्थापक
  • थ्रिलोफिलिया की सह-संस्थापक चित्रा गुरनानी डागा
  • खुशबू जैन, इम्पैक्टगुरु की सह-संस्थापक
  • रितु कुमार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर
  • विनीता सिंह , शुगर कॉस्मेटिक कंपनी की CEO और फाउंडर

महिला सशक्तिकरण पर भाषण मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है ताकि वे अपने निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। चूंकि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं हमेशा से ही उत्पीड़ित रही हैं, इसलिए महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में उनकी मदद करना है। यह एक परिवार के साथ-साथ देश के समृद्ध विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। महिलाओं को सशक्त बनाने से, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता का गवाह बनेगी और समाज के हर तबके की महिलाओं को अपने दम पर खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन चलाने में मदद करेगी। 

अपनी संस्कृति और विरासत के लिए विश्व स्तर पर प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से पितृसत्तात्मक रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित किया जाता रहा है। उन्हें हमेशा से दबा दिया गया है और घरेलूता तक सीमित कर दिया गया है और बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोक दिया गया है। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से बेखबर रखा गया है। भारत जैसे देश के लिए महिला सशक्तिकरण इसकी वृद्धि और विकास में एक बड़ी भूमिका होगी।

जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार के साथ-साथ पूरे समाज के भविष्य और विकास को आकार देने की अधिक क्षमता होती है। इस प्रकार, प्रत्येक महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए।

महिला सशक्तिकरण पर भाषण में केवल यह सुनिश्चित करने से कहीं अधिक शामिल है कि महिलाओं को उनके मूल अधिकार प्राप्त हों। अपने वास्तविक रूप में, महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पहलू शामिल हैं। इसके माध्यम से वास्तविक प्रयास यह सुनिश्चित करने में निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएं।

सही समर्थन मिलने पर महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं को संभालते देखा है, चाहे वह एक प्रधान मंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ हो। साथ ही महिलाओं को परिवार की रीढ़ की हड्डी भी माना जाता है। घरेलू कामों से लेकर बच्चों के पालन-पोषण तक, वे कई जिम्मेदारियों को संभालते हैं। यही कारण है कि वे मल्टीटास्किंग में महान हैं और अक्सर कई कामकाजी महिलाएं पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच कुशलता से काम करती हैं। जबकि शहरी शहरों में कामकाजी महिलाएं हैं, ग्रामीण क्षेत्रों ने अभी भी उन्हें घर के कामों तक ही सीमित रखा है। हम एक ऐसे राष्ट्र के रूप में समृद्ध होने की आकांक्षा कैसे कर सकते हैं जहां हर लड़की को शिक्षा तक पहुंच नहीं है या अपनी पसंद खुद नहीं बना रही है? भारत एक ऐसा देश है जहां हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं जबकि हम लैंगिक समानता के बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाते। 

इसलिए, हमारी सभी माताओं, बहनों और बेटियों के लिए हमें अखंडता का वातावरण बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए। हमें जीवन के हर चरण में अपने निर्णय लेने के लिए उन्हें सक्षम बनाने के लिए उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना चाहिए और इस तरह हम महिला सशक्तिकरण लाने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं।

महिलाओं को जन्म के बाद से ही समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपने अधिकारों, समाज की रूढ़ियों और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ना। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है शिक्षा के माध्यम से, पेशेवर स्तर पर महिलाओं को प्रोत्साहित करना, उनकी राय को स्वीकार करना, और उन्हें वह अधिकार प्रदान करना जो वे चाहें। महिलाओं को किसी ऐसे व्यक्ति के साये के पीछे नहीं रहना चाहिए जो खुद को अभिव्यक्त न कर सके। महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को दूसरों से आगे निकलने और समाज में समान अधिकार प्राप्त करने का मौका देना है। महिला सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी साक्षरता है। एक शिक्षित महिला आत्मविश्वासी, मुखर और निर्णय लेने में सक्षम होती है। खासकर भारत जैसे देश में, अगर महिलाओं को पढ़ने का मौका मिले तो वे इंदिरा गांधी की तरह प्रधानमंत्री, किरण बेदी की तरह आईएएस, या इंदिरा नूयी जैसी मशहूर सीईओ बन सकती हैं। 

Women Empowerment Speech in Hindi की आवश्यकता लंबे समय से मौजूद है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ही यह लोकप्रिय हो गई है। महिला सशक्तिकरण केवल समान अधिकारों की लड़ाई नहीं है। महिला सशक्तिकरण एक समाज से महिलाओं का उत्थान है जो उन्हें लगातार नीचे की ओर खींच रहा है। भारत जैसे देश में जहां देवी-देवताओं की पूजा की जाती है वहीं एक महिला को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, उसे शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है और घरेलू हिंसा का अगला मामला बन जाता है। भारतीय समाज तभी विकसित हो पाएगा जब वे महिलाओं पर लगातार दबाव डालना बंद कर देंगे और उन्हें अपने विचार दूसरों के साथ साझा करने देंगे। भारत में एक महिला घर के कामों और परिवार के सदस्यों की देखभाल करने तक ही सीमित है। भारत में महिला सशक्तिकरण एक समय की आवश्यकता है क्योंकि महिलाओं में उनके अधिकारों को समझने के लिए उनके बीच जागरूकता महत्वपूर्ण है।

अगर वे अपने मूल अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी तभी महिलाएं इसके लिए लड़ सकेंगी। Women Empowerment Speech in Hindi की दिशा में पहला कदम उनकी राय का समर्थन करने से शुरू होता है। उनका उपहास न करें या उनकी राय को दफन न करें। उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं और उनके आत्म-सम्मान का निर्माण करें। उन्हें अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं। मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं। मदद के लिए संसाधन प्रदान करें और उनके गुरु बनें। महिलाओं में अपने जीवन को आकार देने की नहीं बल्कि दुनिया को आकार देने की क्षमता है। महिला सशक्तिकरण के साथ शुरू करने के लिए समान अवसर और अपने निर्णय लेने का अधिकार मूल बातें हैं।

महिलाओं को दूसरों की प्राथमिकताओं के आधार पर खुद को ढालना सिखाया जाता है और पुरुषों को नेतृत्व करना सिखाया जाता है क्योंकि दिन के अंत में, महिलाओं को घर के कामों का प्रबंधन करना पड़ता है जबकि पुरुष नायक होते हैं जो अपने परिवार को बचाते हैं और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। यह भारत में सदियों से चली आ रही रूढ़िवादिता है और इसका एक कारण महिलाओं को समाज में बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित करना है। एक महिला को अपने घरेलू मामलों में भी अपनी राय रखने के अधिकार से वंचित किया जाता है, राजनीतिक या वित्तीय दृष्टिकोण बहुत पीछे हैं। महिलाएं जन्मजात नेता होती हैं और अगर उन्हें मौका दिया जाए तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं। हम एक पुरुष प्रधान समाज में रहते हैं जहां एक पुरुष को वह करने का पूरा अधिकार है जो वह चाहता है हालांकि महिलाओं के दिमाग में यह विचार पवित्र है।

सदियों से, महिलाओं को पुरुषों के सामने खाने या अन्य पुरुषों के सामने बैठने की अनुमति नहीं थी। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण विश्व स्तर पर एक प्रमुख चिंता का विषय है। लैंगिक समानता दोनों लिंगों को शिक्षा के समान और समान संसाधन प्रदान करने से शुरू होती है। बालिकाओं की शिक्षा भी प्राथमिकता होनी चाहिए न कि केवल एक विकल्प। एक शिक्षित महिला अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए बेहतर जीवन का निर्माण करने में सक्षम होगी। समाज में महिलाओं के विकास के लिए लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक महिला को शिक्षा प्राप्त करने, पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त करने और जागरूकता फैलाने का अवसर मिले। हालांकि, लिंग गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी कि संसाधनों तक पहुंच दोनों लिंगों को समान रूप से प्रदान की जाए और समान भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यहां तक कि पेशेवर स्तर पर भी महिलाओं को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है क्योंकि एक पुरुष उम्मीदवार को महिला उम्मीदवार से पहले पदोन्नत किया जाता है। मानसिकता बदलनी चाहिए और योग्य उम्मीदवारों को ही पदोन्नत किया जाना चाहिए। लैंगिक गुणवत्ता सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और सभी के लिए बुनियादी मानवाधिकार सुनिश्चित करता है।

शिक्षा Women Empowerment Speech in Hindi का सबसे बड़ा साधन है और एक ऐसा कारक भी है जो देश के समग्र विकास में मदद करता है। शिक्षा महिलाओं के जीवन में बदलाव ला सकती है। जैसा कि भारत के पहले प्रधान मंत्री ने एक बार उद्धृत किया था “यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं, लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है सशक्त भारत माता।” एक शिक्षित महिला अपने आसपास की अन्य महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देगी, उनका मार्गदर्शन करेगी और अपने बच्चों के लिए एक बेहतर मार्गदर्शक भी होगी। शिक्षा महिलाओं को आत्मविश्वास, सम्मान, वित्तीय सहायता प्रदान करने की क्षमता हासिल करने में मदद करती है। शिक्षा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद करेगी क्योंकि एक शिक्षित महिला स्वास्थ्य देखभाल, कानूनों और अपने अधिकारों से अवगत है। एक महिला को शिक्षित करने से उसे लाभ होगा और समाज के विकास में भी। उचित शिक्षा के साथ, महिलाएं सामाजिक, आर्थिक रूप से अधिक हासिल कर सकती हैं और अपने करियर का निर्माण कर सकती हैं।

भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी महिलाओं को उनके शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। शिक्षा बाल विवाह को भी कम करेगी जो अभी भी भारत के कुछ हिस्सों में प्रचलित है और अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। सरकार ने महिलाओं की शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए वर्षों से कई योजनाएं शुरू की हैं जैसे कि सर्व शिक्षा अभियान, ऑपरेशन ब्लैक-बोर्ड, बेटी पढाओ बेटी बचाओ, और बहुत कुछ। शिक्षा महिलाओं को अच्छे और बुरे की पहचान करने, उनके दृष्टिकोण, सोचने के तरीके और चीजों को संभालने के तरीके को बदलने में मदद करती है। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है। अन्य देशों की तुलना में भारतीय महिलाओं की साक्षरता दर सबसे कम है। शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है और किसी को भी शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षा जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती है, घरेलू हिंसा या यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने का आत्मविश्वास। बदलाव का हिस्सा बनें और शिक्षा की मदद से एक महिला को सशक्त बनाएं।

Women Empowerment Speech in Hindi और शायरी नीचे दी गई है-

  • “किसी को भी मत कहने दो कि तुम कमज़ोर हो क्योंकि तुम एक औरत हो”
  • “वो संस्कारी थी जब तक चुपचाप सब सहती रही, बदतमीज़ हो गई, जब से वो बोल पड़ी”
  • “अच्छी लड़की का मतलब ये नहीं कि वो शरारती नहीं हो सकती”
  • “वह जन्म देती है, वह मौत से बचाती है, वह आगे बढ़ाती है, वह औरत कहलाती है।”
  • “हर एक व्यक्ति के अच्छाई और तरक्की के पीछे एक औरत का हाथ होता है।”
  • “किसी भी लड़की के लिए वो शब्द न कहें जो आप अपनी बहन या बेटी के लिए सुन नहीं सकते”
  • “स्त्री कभी हारती नहीं है उसे हराया जाता है, समाज क्या कहेगा यह कहकर बचपन से डराया जाता है”
  • “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”
  • “धन्य हो तुम मां सीता, तुमने नारी का मन जीता।”
  • “औरत कोई खिलौना नहीं होती, घर वाले तो प्यार से गुड़ियां कहते हैं।”

Women Empowerment Speech in Hindi में स्लोगन नीचे दिए गए हैं-

women-empowerment speech in hindi

  • “हैं इनमें ताकत सारी फिर क्यों कहे अबला बेचारी।”
  • “नर नारी का भेद मिटाएंगे, समरसता का विश्व बसाएगे, इस नए सफर में समाज नारी के संग ही बढ़ पाएगा।”
  • “नारी को दे शिक्षा का सवेरा, तभी होगा उनका सारे जीवन में उजियारा।”
  • “नारी के जीवन को न समझो बेकार असल में समाज का यही है आधार।”
  • “नारी शक्ति से ही बनेगा मज़बूत समाज।”
  • “जब होगा स्त्री का हर घर सम्मान, तभी बनेगा हमारा भारत महान।”
  • “एक दूसरे का सहयोग बनाएं, नारियां समाज में आगे आ पाए।”
  • “नारी पूछे तुम्हें भगवान, क्यों है मौके की तलाश मुझे।”
  • “न थी कभी अबला नारी, सदियों तक रहेगा उनका यह संघर्ष जारी।”
  • “बेटियों को दो इतनी पहचान, बड़ी होकर बने देश की शान।”

महिलाओं के पूर्ण विकास हेतु सकारात्मक आर्थिक तथा सामाजिक नातियों के जरिए एक माहौल का निर्माण करना, ताकि वे अपनी क्षमताओं को समझ सकें।

राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आठ मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

महिला समाख्या कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1989 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के लक्ष्यों के अनुसार महिलाओं की शिक्षा में सुधार व उन्हें सशक्त करने हेतु की गई थी।

देश में महिलाओं का सशक्तिकरण होना आज की महती आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण यानी महिलाओं की आध्यात्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना। भारत में महिलाएं शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा क्षेत्रों, विज्ञान व प्रौद्योगिकी आदि के क्षेत्र में भागीदारी करती हैं।

हमें उम्मीद है कि आपको Women Empowerment Speech in Hindi या महिला सशक्तिकरण पर भाषण का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu की वेबसाइट के साथ बनें रहें।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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  • निबंध ( Hindi Essay)

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Essay on Girls Power in India in Hindi

प्राचीन समय से ही भारत में नारियों को किसी भी प्रकार का कोई अधिकार नहीं दिया गया है जबकि जरूरत पड़ने पर वही नारी अपना और लोगों का बचाव करती आई है। यदि पुराणों और ग्रंथों में देखा जाए तो हर बार नारी ने हीं बड़े-बड़े राक्षसों को हराकर दुनिया की रक्षा की है। आज के समय में भी अगर देखा जाए तो नारी कुछ कम नहीं है पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने वाली नाइयों की शक्ति को आंकना किसी के भी बस की बात नहीं है। पर अगर आप कुछ जगह देखा जाए तो नारियों को उनकी शक्तियों से दूर रहकर की उन्हें घर गृहस्ती के कामों में व्यस्त कर दिया जाता है जबकि उनकी जरूरत कहीं और होती है। कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो औरतों को बस काम करने की मशीन समझते हैं उन्हें किसी प्रकार की कोई भी छूट नहीं देते जबकि उनके पूरे घर भी हस्ती को चलाने के बाद भी औरत अपने लिए समय है।

जब आज के समय में नारी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है तो उन पर किसी प्रकार का रोक लगाना उचित नहीं है। नारी शक्ति कैसे सकती है जिसके ऊपर ही सब कुछ निर्भर करता है यदि वह चाहे तो किसी भी जगह को स्वर्ग बना सकती है और किसी भी जगह को नर्क। यदि नारी अपने पर आ जाए तो कोई हक नहीं समझती की सही क्या है और गलत क्या। समाज ऐसे ही नारी शक्ति के बारे में बात करने वाले हैं।

नारी शक्ति क्या है?:-

देश विदेश में औरतों द्वारा किया गया हर संभव कार्य नारी शक्ति है। नारी शक्ति का मतलब है धैर्य ,सम्मान, संतोष, और जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य को निभाती है यही नारी शक्ति है परंतु यदि उनके खिलाफ कोई दूर बर्ताव या फिर उनकी भावना रखता है तो यह अपने इन गुणों को अपना हथियार भी बना सकती है। नारी शक्ति से बहुत सारे कार्य संपन्न कराए जा सकते हैं जैसे कि यदि किसी को किसी चीज का निवारण नहीं मिल रहा तो वह यदि नारी से उस चीज को पूछे तो उसका उत्तर वह आसानी से दे सकती है। वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रमाणित किया गया है कि पुरुषों से ज्यादा बुद्धिमता और तुम्हें पाया जाता है। जहां पुरुष छोटी-छोटी बात पर हताश और निराश हो जाते हैं वही औरत उस चीज को शांति और ठंडे दिमाग से सोच कर उसका निवारण निकाल लेती है। यही नारी शक्ति है।नारी शक्ति का यदि कोई एक उदाहरण हो तो बताया जाए लेकिन नारी शक्ति के जैसे लाखों-करोड़ों उदाहरण है जिसे पढ़ते-पढ़ते इंसान की पूरी जीवन बीत जाएगी।

यदि प्राचीन काल की बात की जाए तो तीनों ही पुराने युगो में नारी शक्ति के ऐसे कई सारे उदाहरण देखे गए हैं जो हम आज पढ़ते हैं। सतयुग में सीता माता द्वारा नारी शक्ति का एक सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया गया है जिसमें वे अपने सच्चाई और पवित्र होने की सारी परीक्षाएं निसंकोच दे देती है और सत्य को स्थापित करती हैं। वही द्वापरयुग में भारत सम्राट की पत्नी द्रोपदी ने अपने स्वाभिमान के लिए और अपने प्रतिज्ञा के लिए हर संभव प्रयास किया यहां तक अपने सारे पुत्रों को खो कर के भी उसने अपने संकल्प को पूरा किया। वही देखा जाए तो त्रेता युग में भी माता दुर्गा द्वारा नारी शक्ति का सबसे बड़ा और शक्तिशाली उदाहरण देखने को मिलेगा।

कलयुग में नारी शक्ति:-

नारी शक्ति वैसे तो हर युग में देखा गया है परंतु यदि कलयुग की बात की जाए तो आज के समय की नारी पुरुषों का मुकाबला बतौर कर रही है। आज के समय में अगर देखा जाए तो नारी वह हर चीज कर रही है जो एक पुरुष करता है।घर को संभालने से लेकर के देश को संभाल लेता का साहस करने वाली नारी अपने बुद्धि और शक्ति के साथ नारी शक्ति को स्थापित कर रही है।जहां पहले नारियों को सिर्फ घर गृहस्ती संभालने के लिए लाया लगा था वही आज देश संभालने के लिए भी नारी की जरूरत पड़ रही है। एक कलेक्टर से लेकर के प्रधानमंत्री तक के पद को नारी बखूबी संभाल सकती है और अच्छे से चला कर के देश के भविष्य के लिए अपने योगदान को दे सकती हैं। कलयुग में जैसे जैसे आधुनिकता बढ़ गई वैसे वैसे ही लोग अपनी सोच और समाज की सोच को बदलने की कोशिश करने लग गए।जहां किसी ने बात मानी तो किसी ने उस बात का मजाक उड़ा दिया लेकिन इतना ही ऐसी है जो अपने इरादों पर खड़ी हो पाई। नारी शक्ति से भला क्या नहीं किया जा सकता है। हर काम को ही करने के लिए किसी भी इंसान को नारी की जरूरत पड़ती है चाहे फिर वह एक छोटा सा छोटा काम ही क्यों ना हो।

घर में खाना बनाने से लेकर बच्चों को बड़ा करने तक और दफ्तर जाने से लेकर के अपने पद को सही तरीके से संभालने तक नारी अपनी पूरी शक्ति लगा देती है। वहीं पर यदि पुरुष यह सब काम करने लग जाए तो वह इतना सारा तनाव महसूस करते हैं कि दूसरे किसी कार्य को करने में सक्षम ही नहीं रह पाते। वहीं नारी घर के काम से लेकर दफ्तर तक के सारे काम आसानी से संभाल लेती है।

नारी शक्ति को बढ़ावा कैसे दें?:-

आज के समय में नारी शक्ति इतनी जागृत है कि किसी भी कार्य को अकेले करने में सक्षम है। वही देश में नारी शक्ति को अगर बढ़ावा देना है तो हमें उनको प्रोत्साहित करना चाहिए और उनके सही करत की सलाह देना चाहिए। यदि कोई नारी किसी भी फैसले को कर रही है तो हमें उसका सहयोग करना चाहिए और एक बार उसकी बात मान कर उस चीज को भी कर कर देखना चाहिए जो वह सोच रही है।सरकार द्वारा आजकल तो वैसे बचपन से ही लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है जबकि गरीब लड़कियों को तो सरकार वह सारी सुविधाएं दे रही है जो उन्हें कहीं और से नहीं मिल सकती। नारी शक्ति वैसे तो कभी कम नहीं होती लेकिन कहीं कहीं पर जाकर वह रुक जाती है जिस कारण अपने हक में आवाज उठाना भूल जाती है यह सब ही नारी शक्ति की भूल है। नारी शक्ति का मतलब है अपने हक के लिए लड़ना और लोगों को अपने बारे में सही बात समझाना।

जब जब देश को किसी मदद की जरूरत पड़ती है सबसे पहले जो हाथ खड़ा होता है वह किसी औरत का होता है कभी भी अगर किसी परेशानी का सामना करना होता है तो उसमें औरत कदम से कदम मिलाकर चलती है। किसी भी दुख को बांटने में वह सक्षम रहती हैं और हर दुविधा का संभव हल निकालने में पुरुषों की मदद करती है। परंतु आज का समाज नारी के ऊपर उठने नहीं दे रहा है बस वह उनकी बुराइयां करते रहता है और घर की चारदीवारी में बंद करना चाहता है। लेकिन ऐसा करके वह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है यह नहीं जानता। यदि देश में एक भी नारी ना रही तो ना दे चल सकेगा और ना ही घर।तो जिन लोगों को भी इन सब चीजों के बारे में पता नहीं है वह अपनी जागरूकता को बढ़ाएं और नारी का सहयोग करें। इसीलिए नारी शक्ति को बढ़ावा देना और उनके सभी फैसलों में अपनी राय देना नारी शक्ति को बढ़ावा देने जैसा ही है।

1. नारी शक्ति क्या है?

उत्तर:- श्रद्धा विश्वास सामर्थ्य और सद्भावना से लोगों की सेवा करना नारी शक्ति के नाती है परंतु यदि वह उनके विपरीत हो तो अपनी सुरक्षा करना भी नारी शक्ति का ही रूप है।

2. नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए देश क्या कर रहा है?

उत्तर:- नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए देश छोटी-छोटी बच्चियों को बचपन से ही पढ़ना और ऐसी सुविधा प्राप्त कर आ रहा है जो उनके परिवार वाले नहीं दे सकते।

3. नारी शक्ति का उदाहरण किस किस युग में देखने को मिला है?

उत्तर:- सतयुग द्वापर युग और त्रेता युग तीनों युगों में ही नारी शक्ति का सबसे सटीक उदाहरण लिखा गया है।

4. समाज से नारी को क्या हानि हो रही है?

उत्तर:- समाज नारी को आगे बढ़ने नहीं दे पा रहा है वह उसके हर कदम को रोकने की कोशिश कर रहा है कभी उससे गलत इल्जाम लगाकर तो कहीं उसका मजाक उड़ा कर।

5. यदि नारी देश में ना हो तो क्या होगा?

उत्तर:- यदि देश में नारी ना हो तो नारी शक्ति की कमी से देश और घर को चलाना मुश्किल हो जाएगा।

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लड़कियों की शिक्षा पर निबंध (Girl Education Essay in Hindi)

शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा है चाहे वह लड़का हो या लड़की हो। महिला के अधिकारों की रक्षा में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मदद करती है। शिक्षा महिलाओं को जीवन के मार्ग को चुनने का अधिकार देने का पहला कदम है जिस पर वह आगे बढ़ती है। एक शिक्षित महिला में कौशल, सूचना, प्रतिभा और आत्मविश्वास होता है जो उसे एक बेहतर मां, कर्मचारी और देश का निवासी बनाती है। महिलाएं हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा हैं। पुरुष और महिलाएं सिक्के के दो पहलूओं की तरह हैं और उन्हें देश के विकास में योगदान करने के समान अवसर की आवश्यकता होती है।

लड़कियों की शिक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Girl Education in Hindi, Ladkiyon ki Shiksha par Nibandh Hindi mein)

लड़कियों की शिक्षा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

अब महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं लेकिन फिर भी कुछ ऐसे लोग हैं जो लड़कियों की शिक्षा का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि लड़की का काम घर तक सीमित है और उन्हें लगता है कि लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करना पैसा व्यर्थ करना है। यह विचार गलत है क्योंकि लड़कियों की शिक्षा समाज में बदलाव ला सकती है।

लड़कियों की शिक्षा का महत्व

एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।

लड़कियों की शिक्षा के उपाय

आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना कठिन है। अगर एक लड़की शिक्षित है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है।शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है।

किसी भी राष्ट्र का सुधार लड़कियों की शिक्षा पर निर्भर करता है। इसलिए लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Girl Education in Hindi

निबंध – 2 (400 शब्द)

देश के उचित सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है। पुरुष और महिलाएं दोनों समाज में दो समान पहियों की तरह समानांतर चलते हैं। इसलिए दोनों देश के विकास और प्रगति के महत्वपूर्ण घटक हैं। इस प्रकार जब भी शिक्षा की बात आती है तो दोनों को बराबर अवसर की आवश्यकता होती है।

भारत में लड़कियों की शिक्षा के लाभ

देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा के कई फायदे हैं। कुछ का उल्लेख निम्नानुसार है:

  • शिक्षित महिला अपने भविष्य को सही आकार देने में अधिक सक्षम हैं।
  • शिक्षित महिलाएं काम करने और आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण गरीबी को कम करने में सक्षम हैं।
  • शिक्षित महिलाओं की वजह से बाल मृत्यु दर का कम जोखिम होता है।
  • शिक्षित महिलाएं दूसरी महिलाओं की अपेक्षा 50% अधिक अपने बच्चों की रक्षा करने में सक्षम हैं।
  • शिक्षित महिलाओं को एचआईवी / एड्स के संपर्क में आने की संभावना कम होती है।
  • शिक्षित महिलाओं को घरेलू या यौन हिंसा के शिकार होने की संभावना कम होती है।
  • शिक्षित महिलाओं ने भ्रष्टाचार को कम किया है और उन स्थितियों को बदल दिया है जो आतंकवाद को जन्म देती हैं।
  • शिक्षित महिलाएं परिवार की आय में योगदान करने के लिए बेहतर संचालन कर रही हैं।
  • शिक्षित महिलाएं स्वस्थ होती है और उनमें भरपूर आत्म सम्मान और आत्मविश्वास होता है।
  • शिक्षित महिलाएं अपने समुदाय को योगदान देने और समृद्ध करने में मदद करती है।
  • महिलाएं जो शिक्षित होती हैं वे दूसरों में शिक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता रखती हैं।

शिक्षित महिला बिना किसी संदेह के अपने परिवार को अधिक कुशलता से संभाल सकती हैं। वह बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है।

एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।

भारत अब महिलाओं की शिक्षा के आधार पर एक प्रमुख देश है। भारतीय इतिहास प्रतिभाशाली महिलाओं से भरा हुआ है। इसमें महिला दार्शनिकों जैसे गार्गी, विसबाबरा और मैत्रेय आदि शामिल हैं। अन्य प्रसिद्ध महिलाओं में मिराबाई, दुर्गाबाटी, अहल्याबिया और लक्ष्मीबाई शामिल हैं। आज के समय में भारत की सभी महान और ऐतिहासिक महिलाएं प्रेरणा का स्त्रोत हैं। हम समाज और देश के लिए उनके योगदान को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते।

निबंध – 3 (500 शब्द)

लड़कियों की शिक्षा समय की आवश्यकता है। हम देश की महिलाओं को शिक्षित किए बिना एक विकसित राष्ट्र नहीं बना सकते। देश के सभी क्षेत्रों की प्रगति में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए महिलाओं को शिक्षित होना चाहिए। वे एक खुशहाल परिवार की नीवं हैं।

एक आदमी को शिक्षित करके हम केवल एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं लेकिन अगर हम एक महिला को शिक्षित करते हैं तो हम पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। यह लड़कियों की शिक्षा का महत्व दर्शाता है। यह सच है कि एक महिला अपने बच्चों की पहली शिक्षक है और उन्हें मां की गोद में अपना पहला सबक मिलता है। इसलिए अगर एक मां अच्छी तरह से शिक्षित होती है तो वह अपने बच्चों के भविष्य को सही आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

शिक्षित महिलाएं बनाम अशिक्षित महिलाएं

अगर हम इसे देखे तो हम पाएंगे कि एक जानकार महिला न केवल अपने परिवार की सेवा करती है बल्कि अपने देश की सेवा भी करती है। वह एक शिक्षक, एक नर्स, एक डॉक्टर, एक प्रशासक, एक सैनिक, एक पुलिस कर्मचारी, एक रिपोर्टर, एक एथलीट आदि के रूप में अपने देश की सेवा कर सकती है।

यह सही तथ्य है कि लड़कियां कम समय में लड़कों की तुलना में अधिक उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं।

एक शिक्षित पत्नी नौकरी करके या नौकरियों के बारे में अपने विचार साझा करके पति के जीवन के भार को कम कर सकती है। एक शिक्षित गृहिणी अपने बच्चों को शिक्षित कर सकती है और अपने बच्चों को उनके अधिकार और नैतिक मूल्यों के बारे में सिखा सकती है। वह अच्छे और बुरी चीज़ों के बीच अंतर पहचानने के लिए उनका मार्गदर्शन भी कर सकती है।

लड़कियां समाज में अपने अधिकारों और सम्मानों को हासिल कर रही हैं और हमारा समाज इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। लड़कियों के पास प्रत्येक क्षेत्र में अपने देश का नेतृत्व करने की क्षमता है।

एक बार नेपोलियन ने कहा था – “राष्ट्र की प्रगति प्रशिक्षित और शिक्षित माताओं के बिना असंभव है और अगर मेरे देश की महिलाओं को शिक्षित नहीं किया जाता है तो लगभग आधे लोग अनपढ़ रहेंगे।” इस प्रकार हमें एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें कोई भी महिला अनपढ़ न हो।

लड़की के कर्तव्य और शिक्षा का योगदान

तीन भूमिकाएं प्रमुख हैं जो अपने जीवन के दौरान महिलाएं निभाती हैं – बेटी, पत्नी और माँ। इन महत्वपूर्ण कर्तव्यों को निभाने के अलावा उन्हें खुद को राष्ट्र के अच्छे नागरिक के रूप में स्थापित करना होता है। इसलिए लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं।

महिलाओं को पुरुषों की तरह शिक्षा में बराबर मौका दिया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी विकास के अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। पूरे देश में लड़कियों की शिक्षा के स्तर का महत्व और प्रगति के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, उचित जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक हैं। एक जानकार महिला अपने पूरे परिवार को और पूरे देश को शिक्षित कर सकती है।

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निबंध – 4 (600 शब्द)

जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। मध्ययुगीन भारत में लड़कियों की शिक्षा चिंता का विषय थी हालांकि अब इसे काफी हद तक हल किया जा चुका है। कुछ उत्साहजनक परिवर्तन करने के लिए पुरुषों की तरह भारत में महिलाओं की शिक्षा को बहुत प्राथमिकता दी गई है। इससे पहले महिलाओं को अपने घरों के द्वार से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। वे केवल घरेलू कार्यों तक ही सीमित थी।

लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा

लड़कियों की शिक्षा का उत्थान मुख्य रूप से भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान राजा राम मोहन राय और ईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा किया गया था। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के प्रति ध्यान दिया। इसके अलावा ज्योतिबा फुले और बाबा साहिब अंबेडकर जैसे अनुसूचित जाति समुदाय के कुछ नेताओं ने भारत की महिलाओं को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई तरह की पहल की थी। यह उनके प्रयासों के कारण था कि स्वतंत्रता के बाद सरकार ने महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न उपायों को भी अपनाया। नतीजतन 1947 के बाद से महिला साक्षरता दर बढ़ती गई।

इस तथ्य के बावजूद कि आज कई लड़कियों को शिक्षा मिल रही है और आजकल महिलाओं को साक्षर किया जा रहा है फिर भी पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर के बीच अंतर है। अगर हम महिलाओं की साक्षरता दर को करीब से देखे तो स्थिति निराशाजनक लगती है। सर्वेक्षण के अनुसार केवल 60% लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त होती है और उच्च माध्यमिक शिक्षा के मामले में यह 6% तक कम हो जाती है।

लड़कियों की शिक्षा की कम दर के लिए जिम्मेदार तथ्य

ऐसे कई कारक हैं जो समाज में महिलाओं की कम शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं

  • माता-पिता की नकारात्मक सोच
  • विद्यालय में कम सुविधाएँ
  • धार्मिक कारक

गरीबी – यद्यपि शिक्षा स्वतंत्र है फिर भी बच्चों को स्कूल भेजने की लागत बहुत अधिक होती है। इसमें स्कूल पोशाक, स्टेशनरी, किताबें और वाहन की लागत शामिल है जो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार के लिए बहुत अधिक है। वे एक दिन के भोजन का खर्च भी नहीं उठा सकते हैं तो शैक्षिक व्यय तो बहुत दूर की बात हैं। यही कारण है कि माता-पिता अपनी बेटी को घर पर रखना पसंद करते हैं।

दूरी – भारत के कई हिस्सों में प्राथमिक विद्यालय गांवों से बहुत दूर स्थित है। विद्यालय तक पहुंचने के लिए 4-5 घंटे का सफ़र करना पड़ता है। सुरक्षा और अन्य सुरक्षा कारकों को ध्यान में रखते हुए माता-पिता लड़की को स्कूल जाने के लिए मना कर देते हैं।

असुरक्षा – स्कूल में लड़कियों को कभी-कभी हिंसा के विभिन्न रूपों का सामना करना पड़ता है। स्कूली शिक्षक, छात्रों और स्कूल प्रशासन में शामिल अन्य लोगों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए लड़कियों के माता-पिता सोचते हैं कि लडकियाँ उस जगह सुरक्षित नहीं हो सकती हैं इसलिए उन्हें स्कूल जाने से मना कर दिया जाता है।

नकारात्मक व्यवहार – लोग आम तौर पर सोचते हैं कि एक लड़की को खाना बनाना, घर को साफ़ सुथरा रखना और घरेलू कार्यों को सीखना चाहिए क्योंकि यह लड़की के जीवन का प्रथम कर्तव्य है। घर के काम में उनका योगदान उनकी शिक्षा से अधिक मूल्यवान है।

बाल विवाह – भारतीय समाज में बाल विवाह के मामले अभी भी मौजूद हैं। एक लड़की को कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है और अक्सर बहुत कम उम्र में स्कूल से निकाला लिया जाता है। प्रारंभिक विवाह के कारण वे कम उम्र में गर्भवती हो जाती हैं और इस तरह वे अपना सारा समय बच्चों को दे देती हैं और अध्ययन के लिए उनके पास कोई समय नहीं बचता।

बाल मजदूरी – यह भी लड़कियों का अध्ययन करने से रोकने का एक प्रमुख कारण है। काम और कम उम्र में पैसा कमाने के लिए अध्ययन से रोकने का यह मुख्य कारक है। गरीबी के कारण माता-पिता लड़कियों को छोटी उम्र में काम करने का दबाव डालते हैं और इस कारण लड़कियों को पढ़ाई से रोक दिया जाता है।

धार्मिक कारक – भारत एक विशाल देश है और इसमें विभिन्न धर्म शामिल हैं। कुछ धार्मिक गुरुओं ने भी लड़की को शिक्षित करने से मना कर दिया है। उनके अनुसार यह उनके धर्म के खिलाफ है।

माता-पिता को लड़कियों को शिक्षा के गुणों और लाभों के बारे में शिक्षित करने की बहुत जरूरत है। यह न केवल सरकार का कर्तव्य है बल्कि हमारे चारों ओर के लोगों की भी जिम्मेदारी है। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारे प्रधान मंत्री ने गांवों में ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ अभियान के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा के लिए एक बहुत अच्छी पहल की है। उनके अनुसार यदि हम अपने देश को विकसित करना चाहते हैं तो हमें सभी लड़कियों को शिक्षित करना होगा।

Essay on Girl Education in Hindi

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में | Essay on Women Empowerment in Hindi

यह महिला सशक्तिकरण पर हिंदी में निबंध (Essay on Women Empowerment in Hindi) प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित है इस पोस्ट को आप अच्छे से पढ़े और अपनी लेखन क्षमता को मजबूत बनाएं। महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में ( Essay on Women Empowerment in Hindi) का उपयोग आप कहीं भी निबंध लिखने में कर सकते हैं या लेखक के विचार को अपने विचार से मिलाकर अपने निबंध को और अच्छा बना सकते हैं।

बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी होते हैं जब उन्हें Women Empowerment Essay in Hindi, Essay on Women Empowerment in Hindi, महिला सशक्तिकरण पर निबंध, नारी सशक्तिकरण पर निबंध, महिला सशक्तिकरण, नारी सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में, नारी शक्ति पर निबंध आदि पर निबंध लिखने को कहा जाता है तो वे थम से जाते हैं ऐसे विद्यार्थियों के लिए यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है इसे वह जरूर पढ़ें।

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प्रस्तावना :-

प्राचीन युग से हमारे समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूजनीय एवं देवी तुल्य माना गया है। हमारी धराणा यह रही है कि जहां पर समस्त नारी जति को प्रतिष्ठा व सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है वहीं पर देवता निवास करते हैं।

कोई भी परिवार,समाज तथा राष्ट्र तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव निरादर व हीनभाव का त्याग नहीं कर सकता करता हैं।

“स्त्री पुरुष की गुलाम नहीं गुलाम नहीं की गुलाम नहीं गुलाम नहीं – सहधर्मिणी अर्धांगिनी और मित्र है” महात्मा गांधी
“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।” मैथिली शरण गुप्त

नारी का स्थान :-

जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक में नारी का स्थान सम्मानजनक नारी का स्थान सम्मानजनक होता है, वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है। परिवार और समाज के निर्माण में नारी का स्थान सदैव ही महत्वपूर्ण रहा है।

जब समाज सशक्त और विकसित होता है तब राष्ट्र मजबूत होता है। इस प्रकार एक सशक्त राष्ट्र निर्माण में नारी केंद्रीय भूमिका निभाती है। माता के रूप में नारी एक बालक की प्रथम गुरु होती है। जॉर्ज हर्बर्ट ने कहा था कि “एक अच्छी माता 100 शिक्षकों के बराबर होती हैं इसलिए उनका सम्मान हर हालत में होना चाहिए।”

प्राचीन काल मे नारी की स्थिति :-

भारतीय समाज में वैदिक काल से ही नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना ही जाता है। किंतु कालांतर में नारी की स्थिति का ह्रास हुआ मध्यकाल आते-आते यह स्थिति अपनी चरम सीमा चरम सीमा पर पहुंच गई।

क्योंकि अंग्रेज का मकसद भारत पर शासन करना था ना कि भारत की रिति-रिवाजों, मानताओं और समाज सुधार करना था। इसलिए ब्रिटिश शासन काल में भारतीय नारियों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। अपवाद के रूप में कुछ छोटी-मोटी पहले जरूर हुई पर इसका कोई विशेष असर नारी के स्थित पर नहीं पड़ा।

प्राचीन काल में नारी को विशिष्ट सम्मान एवं पूजनीय दृष्टि से देखा जाता था। सीता, सती, सावित्री, अनुसूया, गायत्री आदि अनगिनत भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्ध किया है।

मध्यकाल में नारी की स्थिति :-

कालांतर में देश पर हुई अनेकों आक्रमण के पश्चात भी भारतीय नारियों की दशा में भी परिवर्तन आने लगा। नारी के स्वयं की विशिष्टता एवं समाज में स्थान हीन होता चला गया। अंग्रेजी शासन काल के आते-आते भारतीय नारियों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई।

उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिन- प्रतिदिन उसे उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता। आजादी के बाद ऐसा सोचा गया था कि भारतीय नारी एक नई हवा में सांस लेंगी और शोषण तथा उत्पीड़न से मुक्त होंगी किन्तु ऐसा।

आजादी के बाद कानूनी स्तर पर नारी की स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास तो खूब हुए किंतु सामाजिक स्तर पर जो सुधार आना चाहिए वह परिलक्षित नहीं हुआ, जिसका मुख्य कारण रहा हमारे पुरुष प्रधान मानसिकता जिसमें हमने कहीं पर लाभ पर लाभ लाभ नहीं कर पाया और नारी के प्रति हमारा रवैया दोयम दर्जे का रहा। यही कारण है कि वैदिक काल में जो नारी शीर्ष पर रही आज उनके सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है।

अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चांदबीबी जैसी कई भारतीय नारियां अपवाद थी। जिन्होंने सभी परंपराओं से ऊपर उठकर इतिहास के पन्नों में अपना एक विशेष स्थान बनाया। स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय नारियों  ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आजादी के बाद भारत में नारी की स्थिति :-

भारतीय नारी के साथ विरोधाभास की स्थित सदैव रही है। पहले भी थी, आज भी है। हमारे प्रार्थना धर्म ग्रंथों में “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” सूत्र वाक्य द्वारा यह स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है कि जहां नारी को पूजनीय होती हैं, वहां देवता निवास करते हैं। देश में जहां एक तरफ लक्ष्मी, सीता, दुर्गा, पार्वती के रूप में नारी को देव तुल्य माना जाता माना जाता है। वहीं उन्हें अबला बता कर परंपरा एवं रूढ़ियों की बेड़ियों में भी जकड़ा जाता है।

यदि आजादी के बाद कुछ कार्यक्रम  को छोड़ दिया जाए तो आज भी विभिन्न आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों में लैंगिक विषमता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है से देखा जा सकता है। यही कारण है कि महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाला “विधेयक महिला आरक्षण” विधेयक लागू नहीं हो पाया है। इसके तहत लोकसभा एवं विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण चक्रानुक्रम पद्धति द्वारा देने का प्रावधान किया गया है। जब तक राजनीति में नारी की भागीदारी नहीं बढ़ेगी तब तक नारी सशक्तीकरण सही रूप से से नहीं हो पाएगा।

भारत में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in India) :-

ऐसा नहीं है कि भारत में नारी सशक्तिकरण करने के लिए प्रयास नहीं किया गया है। हमारे देश में नारी सशक्तिकरण को बल देकर  महिलाओं को और आगे बढ़ाने का प्रयास हर समय जारी रहता है।

वर्तमान समय में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 15(3), 16(2), 23, 39(क), 39(घ), 39(5) एवं 42 के महिला अधिकारों को विविध रूप से संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन द्वारा स्थानीय निकायों में उनके लिए आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है।

अन्य पहलों के साथ अनैतिक व्यापार अधिनियम 1959, प्रसूति पर सुविधा अधिनियम 1961, समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976, सती निषेध अधिनियम 1987, दहेज निरोधक कानून 1961,  घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, यौन उत्पीड़न कानून 2012 और आपराधिक कानून संसोधन अधिनियम 2013 का प्रावधान किया गया है।

इसके अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण को बल देने के लिए कई योजनाएं चालू की गई जैसे अबला, जननी सुरक्षा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, लाडली, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ और तेजस्विनी जैसी कई योजनाओं का सफल संचालन किया जा रहा है। राज्य सरकारों के द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।

नारी सशक्तिकरण में होने वाली बाधाएं :-

यह सही है कि सरकार द्वारा अपने स्तर पर नारी सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए गए हैं परंतु यह प्रयास तभी सफल हो सकते हैं जब तक धरातल पर पुरुष प्रधान मानसिकता का संपूर्ण रूप से विनाश ना हो जाए। आज भी घटता लिंगानुपात भ्रूण हत्या, दहेज उत्पीड़न, बधुआ मजदूरी, नारी तस्करी जैसी कुरीतियां हमारे देश में अभी तक बनी हुई है यह नारी सशक्तीकरण के लिए एक बहुत ही विकट समस्या बनकर खड़ी हुई है।

नारी का उत्थान :-

वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के लिए जन जन तक यह संदेश जाना जरूरी है कि महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन चुका है। आज महिलाओं को राजनैतिक, सामाजिक ,शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षेत्र में उनके परिवार समुदाय समाज एवं राष्ट्र की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करने की आवश्यकता है।

नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा :-

नारी को सशक्त बनाए बगैर हम मानवता को सशक्त नहीं बना सकते। संवेदना, करुणा, वात्सल्य, ममता, प्रेम, विनम्रता, सहनशीलता आदि नारी के वह गुण है, जिससे वह मानवता को निखार और मानवता को निखार और और संवारकर उसे मजबूत रूप से सशक्त बना सकती हैं। इसके लिए अति आवश्यक यह है कि महिलाओं का सम्मान हो है कि महिलाओं का सम्मान हो और हर क्षेत्र के समान भागीदारी हो।

महिलाओं को हर संभव प्रयास किया जाए कि वे साक्षर बने और हर क्षेत्र में उनके नेतृत्व भावनाओं को प्रोत्साहन देते हुए महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जाए। महिलाओं पर हो रही हिंसा का  अन्त हो और उन्हें शांति, सुरक्षा और विकास की हर एक पहलुओं में शामिल किया जाए।  हर राष्ट्र को यह चाहिए कि महिलाओं को आर्थिक विकास एवं सामाजिक विकास योजना में महिलाओं को शामिल किया जाए। हर राष्ट्र “जेंडर बजटिंग” प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसकी पहल भारत में हो चुकी है।

इन सबके साथ-साथ यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि सभी कार्यक्रम एवं योजनाएं तभी अपना रंग दिखा पाएंगे जब नारी खुद के अधिकार के संदर्भ में जागरूक हों तभी यह स्वयं को सशक्त सकेंगी।

स्पष्ट है कि भारत में शताब्दियों की पराधीनता के कारण महिलाएं अभी भी समाज में वह स्थान नहीं प्राप्त कर पाई है जो उन्हें मिलना चाहिए और जहां दहेज की वजह से कितनी बहू-बेटियों को जान से हाथ धोना पड़ता है तथा बलात्कार आदि की घटनाएं भी होती रहती हैं। वही हमारी सभ्यता और संस्कृतिक परंपराओं और शिक्षा के प्रसार तथा नित्य प्रति बढ़ रही जागरूकता के कारण भारत की नारी आज दुनिया की महिलाओं से आगे है और पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधा से कंधा मिलाकर देश और समाज के विकास में अपनी भूमिका निभा रही है।

महिला शशक्तिकरण पर यह निबंध कितने शब्दों का हैं ?

यह निबंध लगभग 1400 शब्दों का हैं। जिसे आप आवश्यकता अनुसार लघु या दीर्घ कर सकते है।

महिलाओं की स्थिति भारत में क्या है

वर्तमान समय मे महिलाओं की स्थिति की भारत में प्राचीन काल से सुधर चुकी हैं परन्तु अब भी कुछ निकृष्ट विचारधारा के कारण महिलाओं को आगे आने में बाधाएं आ रही हैं।

क्या महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक की समाप्ति के लिए एक आवश्यक निर्णय हैं?

हाँ, महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक की समाप्ति के लिए एक आवश्यक निर्णय हैं इससे महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन नही होगा।

क्या आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है?

आधुनिक युग में भी महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है क्योंकि अभी भी कुछ विचारधारा से पनप नहीं है जो कि महिलाओं को आगे आने में बाधाएं पहुँचाती है।

आशा करता कि हमारे द्वारा लिखा गया है यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) अच्छा लगा होगा इसे पढ़कर आप अपनी लेखन क्षमता को और अधिक बढ़ा सकते हैं इसका उपयोग आप किसी भी परीक्षा में भी कर सकते हैं। महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) लिखा गया यह निबंध आधुनिक विचारधारा एवं पौराणिक विचारधारा को लेकर संकलित किया गया है भारत में महिलाओं की स्थिति किस प्रकार की है यह भी बताया गया है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) से विचार लेकर विद्यार्थी भारत में नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment in India) पर भी निबंध लिख सकता है उसे और अधिक बेहतर बना सकता है।

2 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध | Essay on Women Empowerment in Hindi”

काफी अच्छा निबंध है मुझे परीक्षा में सफलता दिलाने में सहायक होगा। धन्यवाद

धन्यवाद मित्र

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लड़कियों की शिक्षा पर निबंध | Essay On Girl Education In Hindi

नमस्कार साथियों Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध आज हम पढ़ेगे. वर्तमान समय में बालिका शिक्षा और इसके महत्व पर छोटा और बड़ा हिंदी निबंध यहाँ दिया गया हैं.

हम उम्मीद करते है गर्ल एजुकेशन का यह एस्से आपकों पसंद आएगा.

Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध

Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध

Read Here One Or more Short And long Essay On Girl Education In India.

Short Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध

बेटी घर का चिराग है, वे भी एक इंसान हैं. जननी हैं जो हमारे अस्तित्व का प्रमाण हैं. काश गर्भस्थ शिशु बोल सकता हैं. यदि वह बोलता तो शरीर को चीरते औजारों को रोक सकता हैं. और कहता माँ मुझे भी जीने दो, इस दुनिया में जन्म लेने दो.

मगर यह भी हो सकता हैं उस समय भी बेटे की चाह रखने वाले ये कसाई सोच के निर्दयी माता-पिता नही सुनते, जो दोनों की इच्छा से इस तरह के कृत्य को अंजाम दे जाते हैं.  ये सवाल हमेशा उन लोगों पर उठता रहेगा जो कन्या हत्या के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं.

बेटी किसी के परिवार के आंगन का नन्हा सा फूल होता हैं, बेटी के जन्म से ही उनकी जंग की शुरुआत हो जाती हैं. बचपन से ही उन्हें बेड़ियों में जकड़ दिया जाता हैं. हर स्थति में उन्हें यह याद दिलाया जाता हैं, कि वो एक लड़की हैं और उन्हें एक लड़की की तरह लज्जा का आवरण ओढ़े रहना चाहिए.

इसी कारण आज हमारा देश कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज मृत्यु के रूप में समाज में आज भी वो दंश झेल रही हैं. परोक्ष रूप से आज भी हम ऐसे लोगों और चिकित्सकों को देखते हैं, जो सार्वजनिक रूप से बेटी का गुणगान करते हैं.

बेटी भारत का भविष्य हैं. जैसे वाक्यांश अकसर सुनने को मिलते हैं. मगर जब हम अपनी हकीकत की मुआयना करे तो यकीनी तौर पर आज भी हम उन लोगों के साथ खड़े नजर आते हैं. बेटी किसी न किसी रूप में कन्या भ्रूण हत्या के भागी हैं.

हमे नित्य महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज के लिए प्रताड़ना और भेदभाव जैसी खबरे सुनने देखने को मिलती हैं. इस तरह के वातावरण को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा कई कानूनों को भी पारित किया गया. मगर जन समर्थन के अभाव में अपेक्षित परिणाम नजर नही आ रहे हैं.

बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ की दिशा में माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया. बेटी बचाओं बेटी बचाओं एक सकारात्मक कदम हैं.

आजादी के बाद से हमारा देश विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा हैं. मगर 70 सालों बाद भी स्त्री को समाज में वह स्थान नही मिल पाया हैं. जिसकी वह असली हकदार हैं. यही वजह हैं कि भले ही कठोर नियम और कानून कायदे बना दिए गये हो मगर उनका कठोरता से पालन नही किया जाता हैं.

भारत में भ्रूण का लिंग परीक्षण पूर्णतया निषेध और गैर क़ानूनी होने के उपरांत भी खुले आम इसकी धज्जियां उड़ाई जाती हैं. आज भी लोगों की यह गलत सोच हैं कि बेटा हमारे अधिक काम का होगा. बेहतर यही हैं बेटा जन्मे या बेटी इन्हें भगवान् की कृपा समझकर हमे स्वीकार कर लेना चाहिए.

यदि हम अपनी सन्तान में बेटा बेटी का अंतर न करते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा और बेहतर मार्ग दर्शन दे तो वह बेटी भी कभी भी बेटे की कमी का अहसास नही होने देगी.

भले ही बहुत से लोग उच्च  शिक्षा हासिल कर सभ्य समाज के अंग बन गये हैं, मगर उनकी सोच और मानसिकता अभी भी वही हैं जो मध्ययुग में लोगों की हुआ करती थी. लड़के-लड़की में भेद कर हम भी उन लोगों का अप्रत्यक्ष समर्थन करते है जो बेटी के विरोधी हैं.

लड़कियों / बालिका की शिक्षा पर निबंध 2

आज के युग में शिक्षा व्यक्ति के लिए अनिवार्य बन चुकी हैं. जीने के लिए जिस तरह जल, भोजन व प्राणवायु की नितांत आवश्यकता होती है,  ठीक  उसी  प्रकार मानव  से अच्छा व्यक्ति बनने के लिए शिक्षा को जरुरी मान लिया गया हैं.

जन्म के समय बालक पशु प्रवृति की तरह होता हैं, वह शिक्षा ही है जो उसकी बुद्धि तथा चेतना का विकास कर उसे जीवन के तौर तरीके तथा आस-पास की चीजों के बारे में ज्ञान देती हैं.

अन्यथा इन समस्त के अभाव में मनुष्य और पशु में कोई फर्क नहीं रह जाता हैं. ज्ञान साधना के बिना   व्यक्ति यह निश्चय नहीं कर पाता  कि उनके  लिए सही क्या है और  गलत क्या है  यही शिक्षा सिखाती हैं.

बालिका शिक्षा की आवश्यकता (essay on girl education in hindi language)

शिक्षा व्यक्ति को सजगता की तरफ ले जाती हैं, शिक्षा का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हमें अपने अधिकारों तथा कर्तव्यो के साथ ही प्रकृति में विद्यमान सभी तत्वों की मूलभूत जानकारी सही उपयोग के बारे में बताती हैं.

एक अच्छी कहावत है कि यदि एक लड़का शिक्षित होता है तो केवल वह एक ही होता है जबकि एक लड़की शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता हैं.

हमारा समाज तेजी से बदल रहा हैं. समय के चक्र ने हमें ज्ञान करा दिया हैं कि यदि राष्ट्र के विकास की यात्रा को तेजी से बढ़ाना है तो लड़के व लड़कियों के भेद को समाप्त कर उन्हें शिक्षा के अवसर मुहैया कराने होंगे.

क्योंकि  किसी बड़े वर्ग की  उपेक्षा  कर कोई भी राष्ट्र उन्नति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता हैं. महिलाओं की विकास में हिस्सेदारी के लिए हमें उन्हें शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाने होंगे.

भले ही संविधान द्वारा महिलाओं को समान राजनितिक, आर्थिक व धार्मिक अधिकार दिए हो मगर जब तक उनमें शिक्षा का अभाव रहेगा वे अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ पाएगी.

परिवार में बालिका को सम्पति का अधिकार तो दिया मगर जब तक वह अपने भाइयों माता पिता को बाध्य नहीं कर सकती, यह अधिकार उसके लिए निरुपयोगी होगा.

लड़की शिक्षा का महत्व (essay on importance of girl education in hindi)

आज हम जिस समाज में रह रहे है हम जानते है कि शिक्षा के अभाव में बालिकाओं के अधिकारों का शोषण कितनी आसानी से कर लिया जाता हैं. भारत का कानून प्रत्येक महिला को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार तो देता हैं. साथ ही उसके चाहने पर तलाक लेने का प्रावधान भी हैं.

मगर क्या हम यह नहीं जानते कि कितने महिलाएं इस अधिकार का उपयोग कर पाती हैं. ऐसा न करने के लिए उस पर तरह तरह के दवाब बनाए जाते हैं.

परम्परागत मूल्यों के चलते वह इस प्रकार के निर्णय करने का साहस नहीं कर पाती हैं. शादी के बाद बालिकाओं को अपनी जागीर समझकर मनचाहे बर्ताव और उनके साथ उत्पीड़न की घटनाएं नित्य हमें पढने को मिल ही जाती हैं.

शिक्षा के आगमन से बालिकाओं में साहस की जागृति होती हैं उसे अपने अधिकारों तथा विवेक का ज्ञान होने लगता हैं जिसका उपयोग वह अपने प्रति हो रहे शोषण के प्रतिरोध में कर सकती हैं.

शिक्षा न केवल उन्हें जागरूक बनाती हैं बल्कि एक उदार तथा व्यापक दृष्टिकोण का भी जन्म देती हैं जिससे वह अपनी रूचि, मूल्य तथा भूमिका को स्वयं तय करने लगेगी.

लड़कियों की शिक्षा पर अनुच्छेद व लेख (article & paragraph on girl education in hindi)

बेटा बेटी में समानता को बेटियों को शिक्षित करके ही पाया जा सकता हैं. सभी को निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का नियम तो बना है मगर स्वयं लड़कियों को स्कूल जाने अथवा उनके अभिभावकों को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

आज समय की मांग है कि हम लड़कियों की शिक्षा के बारें में अपने विचारों को बदले तथा उन्हें स्कूल भेजे.

लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने, लड़कियों में निरक्षरता को दूर करने तथा प्राथमिक शिक्षा तक उनकी पहुच बनाने तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आ रही परेशानियों को समाप्त करने का प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में भी किया गया हैं.

भारत में लड़कियों की शिक्षा के इतिहास को देखे तो मालूम पड़ता हैं कि मध्यकाल को छोड़ दिया जाए तो हमारी बेटियों ने हर युग में शिक्षा संस्कार को पाया हैं. ऋग्वेद काल में भी बेटियों को शिक्षा देने की पूर्ण व्यवस्था थी, कोमश, लोपामुद्रा, घोषा और इन्द्रानी उन महिलाओं के नाम है जिन्हें ब्रह्मवादिनी कहा गया.

पतंजली के शाक्तिकी से ज्ञात होता है उस दौर में नारियों को सैनिक शिक्षा देने की व्यवस्था भी थी. मगर मध्यकाल में मुगल काल में स्त्री शिक्षा की परम्परा पूर्ण रूप से चरमरा गई.

खासकर हिन्दू समाज की लड़कियों को पर्दा, बाल विवाह तथा सती प्रथा जैसी रीतियों में बांधकर घर की चारदीवारी तक ही सिमित कर दी.

19 वीं सदी के जनजागरण और सामाजिक धार्मिक आंदोलनों ने एक बार फिर से भारत में लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था को पुनः स्थापित किया.

चाहे वो 1882 का हंटर कमिशन हो या 1916 में लेडी होर्डिंग कॉलेज की स्थापना अथवा ज्योतिबा और सावित्री बाई द्वारा बालिकाओं को शिक्षा देने की पहल भारत में लड़कियों की शिक्षा के लिए ये प्रयास मील के पत्थर साबित हुए.

पुरुष प्रधान समाज ने हमेशा की लड़कियों की शिक्षा की राह में रोड़ा बने हैं ऐसा करके वे स्वयं के साथ बहुत बड़ा धोखा करते हैं क्योंकि परिवार की उन्नति, बच्चों का लालन पोषण और उनके संस्कार गृहिणी पर ही निर्भर करते हैं.

यदि माँ शिक्षित हैं तो वह अपने बच्चे को न सिर्फ अच्छे संस्कार देगी बल्कि उन्हें शिक्षित करने, बुरी प्रवृतियों से बचाने में सबसे बड़ा योगदान दे सकती हैं.

पुरुषों की विकृत मानसिकता में लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में कई तरह की भ्रांतियां घर कर चुकी हैं. बेटी को पराया धन मानना, पढने लिखने के बाद अनर्थ अनाचार या उपद्रव की आशंका तथा एक शिक्षित नारी संचालन, सन्तान पालन, भोजन व्यवस्था व पुरुषों की देख रेख ढंग से नहीं कर सकती इस तरह के रुढ़िवादी विचारों को बदलने की आवश्यकता हैं.

लड़कियाँ पढ़ लिख जाने से अनाचार का शिकार होने की बजाय वह जुल्मों के प्रति और अधिक प्रखर लड़ सकती हैं. वह न केवल घर संचालन और बच्चों की परवरिश ढंग से कर सकती हैं बल्कि वे पति के साथ मिलकर आर्थिक कार्यों में भी भाग ले सकती हैं.

आज हमारे देश की बेटियां बड़े बड़े पदों पर हैं तथा उतनी ही सफलता से उन कम्पनियों तथा विभागों को चला रही हैं जितने कि पुरुष नहीं कर सकते हैं.

  • शिक्षा के महत्व पर कविता बच्चों के लिए
  • महिला शिक्षा पर निबंध
  • नारी सशक्तिकरण पर निबंध
  • नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन
  • नारी पर अत्याचार पर निबंध

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Activist Wawa Gatheru on Championing Black Women as Climate Leaders This Earth Day—And Beyond

By Wawa Gatheru

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Earlier this year, we saw one of the greatest environmental wins of the decade—and Black women were its unsung heroes. President Biden paused all new expansions of dangerous gas export hubs in the U.S., which experts have called carbon bombs . There’s been fanfare and criticism around the decision, but few have acknowledged how Black women made it possible through community organizing and generational grit. The job won’t be done until there is a permanent halt on new expansions of dirty gas. But to get there, we have to turn toward the women who are leading on climate progress around the country.

As a Black girl who grew up in the climate movement, I’ve always been perplexed by the paradox of representation in this space. While people of color are disproportionately impacted by the climate crisis, we are routinely sidelined and boxed as ‘victims’ rather than the leaders we are. This is particularly true for Black women.

Women are particularly at risk to climate impacts because enforced gender inequality makes us more susceptible to escalating environmental harms. Black girls, women, and gender-expansive people in particular, bear an even heavier burden because of the historic and continuing impacts of colonialism, racism, and inequality. And that’s why I believe these circumstances uniquely position Black women as indispensable leaders in the climate movement.

A few years ago, I came across a term that encompassed what I have always known to be true. Coined by Dr. Melanie Harris, eco-womanism is a theological approach to environmental justice that focuses on the viewpoints of Black women across the diaspora. An eco-womanist approach to climate solutions is happening in the underbelly of climate injustice in the US, the Gulf South.

I have been honored to learn from and be inspired by the Black women leading on climate in the Gulf South: leaders like Sharon Lavigne of Rise St. James , Dr. Beverly Wright of the Deep South Center for Environmental Justice , Roishetta Ozane of The Vessel Project of Louisiana , and Dr. Joy and Jo Banner of The Descendants Project . I’ve heard firsthand how they launched educational campaigns, organized marches, rallies, and petitions, commissioned research, joined lawsuits, and challenged everyone from local lawmakers to the EPA—all to protect their communities. Step by step, they have fought polluters in an 85-mile stretch from New Orleans to Baton Rouge that’s home to more than 200 fossil fuel and petrochemical operations, earning the name ‘Cancer Alley.’

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The fight in Cancer Alley is for life, community, and legacy. Where there are now toxins poisoning Black families, there were once plantations enslaving their ancestors. It’s not a coincidence that two history-defining tragedies struck the same area of Louisiana—it is the same system of oppression and racial capitalism in different forms. And it’s no coincidence that the resistance to it calls on a legacy passed down for generations: solidarity, creativity, and bold leadership.

The fight is local and personal, but it’s also global and systemic. And failing to recognize Black women as climate leaders isn’t just a moral dilemma. It is a poor strategic decision for all of us to win on climate.

The same industries that poison Louisiana are also fueling the climate crisis. Last year was the hottest in history , and in 2024, we’ve already seen extreme weather events making this planet increasingly difficult to inhabit. Black and Brown communities might be ground zero for climate change, but our response to this destruction impacts everyone.

The women behind the president’s pause have proven that winning on climate is not impossible. Another world is possible and we can collectively build a better world for all. The organization I founded— Black Girl Environmentalist —puts that lesson into practice around the country. As one of the largest Black youth-led climate organizations, we are ushering the next generation of Black women and gender-expansive individuals into environmental work—cultivating their talent and creativity to protect our communities, and win the fight of our lives against the climate crisis.

As a Gen-Zer, I know how tempting it can be to feel immobilized by eco-anxiety or even climate doom. But we can’t.

We can’t afford to, nor do we have the privilege to. Every fraction of a degree matters. Instead, we must look to and join the leaders who, against all odds, continue to fight and win on climate issues across the country. The pause on dangerous gas expansions showed there is power in our collective voice. Black women have lit the way, showing that the power comes from fighting for—and with—our communities. The work isn’t done, but we’ve come too far to turn back.

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    नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi July 3, 2018 October 30, 2023 Babita Singh Comments(3) Essay & Speech on Nari Shakti (woman empowerment in India) in Hindi - नारी शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण पर भाषण और ...

  17. महिला सशक्तिकरण पर निबंध

    Women Empowerment Essay in Hindi (400 words) भूमिका- महिला सशक्तिकरण का मतलब महिलाओं को उनकी शक्ति, उनकी ताकत और उनकी योग्यता के विषय में बताना है जिससे की वो ...

  18. Women Empowerment Speech in Hindi: महिला ...

    Source: Prime talks by Weva. ये भी पढ़ें : रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी Women Empowerment Speech in Hindi 200 शब्दों में. Women Empowerment Speech in Hindi मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को ...

  19. Essay on Girls Power in India in Hindi

    Essay on Girls Power in India in Hindi, Long and short essay and paragraph of girls power in hindi language for all students. निबंध ( Hindi Essay) अनुच्छेद

  20. लड़कियों की शिक्षा पर निबंध (Girl Education Essay in Hindi)

    लड़कियों की शिक्षा पर निबंध (Girl Education Essay in Hindi) By मीनू पाण्डेय / July 19, 2023. शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा है चाहे वह लड़का हो या लड़की हो ...

  21. महिला सशक्तिकरण पर निबंध

    आशा करता कि हमारे द्वारा लिखा गया है यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध हिंदी में (Essay on Women Empowerment in Hindi) अच्छा लगा होगा इसे पढ़कर आप अपनी लेखन क्षमता को और अधिक बढ़ा ...

  22. लड़कियों की शिक्षा पर निबंध

    Short Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध. बेटी घर का चिराग है, वे भी एक इंसान हैं. जननी हैं जो हमारे अस्तित्व का प्रमाण हैं. काश ...

  23. Essay On Girl Power In Hindi

    To get a writer for me, you just must scroll through these 4 stages: Jalan Zamrud Raya Ruko Permata Puri 1 Blok L1 No. 10, Kecamatan Cimanggis, Kota Depok, Jawa Barat 16452. Follow me. 567. Essay On Girl Power In Hindi -.

  24. Activist Wawa Gatheru on Championing Black Women as Climate ...

    "Black women have lit the way, showing that the power comes from fighting for—and with—our communities," writes Gatheru, the founder of Black Girl Environmentalist.