500+ Lord Krishna quotes in hindi (2023) |कृष्ण के महान उपदेश

श्री कृष्णा के अनमोल वचन.

आज के हमारे इस लेख में हम आप लोगों के लिए krishna quotes in hindi के कुछ अनमोल विचार और उपदेशों का संग्रह लेकर आए हैं, जैसा कि हम सब जानते हैं भगवान श्री कृष्ण को प्रेम के देवता के रूप में जाना जाता है और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री कृष्ण की सेवा करता है भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से उसे संसार के हर सुख प्राप्त होते हैं, श्री कृष्ण कभी भी अपने सच्चे भक्तों का साथ नहीं छोड़ते और उनका आशीर्वाद हमेशा उनके साथ बना रहता है।

पूरे संसार के कल्याण के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कुछ अनमोल वचनों का संग्रह इस समाज को दिया है जिसे हम लोग भगवत गीता के नाम से भी जानते हैं आज के हमारे इस लेख krishna quotes in hindi में हमने भगवत गीता से कुछ महत्वपूर्ण और सुंदर उपदेशों का चयन किया है जो आप लोगों को काफी पसंद आएगा और अगर आप इन उपदेशों का पालन अपने जीवन में करते हैं तो यकीन मानिए आपके जीवन में सफलता और खुशहाली का आगमन हमेशा बना रहेगा।

Krishna quotes in hindi - श्री कृष्णा के महान उपदेश

आज के हमारे इसलिए को शुरू करने से पहले मेरा आप सब से निवेदन है कि अगर आप लोगों ने हमारा पिछले लेख भगवत गीता के अनमोल उपदेशों को ना पढ़ा हो तो उसे भी जरूर पढ़ें और मुझे पूरा विश्वास है हमारा पिछले लेख आप लोगों काफी पसंद आएगा

Lord Krishna Quotes In Hindi | कृष्णजी के महान उपदेश

सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सबका पालनहार है, तू सजा दे या माफी दे प्रभु krishna quotes in hindi

“सबसे बड़ा तेरा दरबार है, तू ही सबका पालनहार है, तू सजा दे या माफी दे प्रभु, तू ही हमारे जीवन की सरकार है”

speech on krishna in hindi

“जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के सीन हो जाने पर भाग्य भी नष्ट हो जाता है”

समय कभी एक जैसा नहीं होता, उन्हें भी रोना पड़ता है, जो बेवजह दूसरों को रुलाते हैं - inspirational krishna quotes in hindi

“समय कभी एक जैसा नहीं होता, उन्हें भी रोना पड़ता है, जो बेवजह दूसरों को रुलाते हैं”

speech on krishna in hindi

“मन से ज्यादा उपजाऊ जगह कोई नहीं है, क्योंकि वहां जो भी कुछ बोला जाएगा, बढ़ता जरूर है चाहे फिर वह “विचार” हो, “नफरत” हो या फिर “प्यार” हो”

जिन्होंने आप को कष्ट दिया है, कष्ट तो उन्हें भी मिलेगा, और यदि आप भाग्यशाली हुए, तो ईश्वर आपको यह देखने का अवसर भी देगा

“जिन्होंने आप को कष्ट दिया है, कष्ट तो उन्हें भी मिलेगा, और यदि आप भाग्यशाली हुए, तो ईश्वर आपको यह देखने का अवसर भी देगा”

speech on krishna in hindi

“चमत्कार उन्हीं के साथ होते हैं, जिनके मन में विश्वास होता है”

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“मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है, क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं”

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“जिस परिस्थिति को बदल पाना संभव ना हो, उसको लेकर अपनी मनोज स्थिति को बदल लीजिए, कुछ हद तक समाधान अवश्य मिलेगा”

अगर तुम्हारे ख्वाब बड़े हैं, तो तुम्हारा संघर्ष कैसे छोटा हो सकता है, krishna quotes in hindi

“अगर तुम्हारे ख्वाब बड़े हैं, तो तुम्हारा संघर्ष कैसे छोटा हो सकता है”

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“जहां अपनों के सामने सच्चाई, साबित करनी पड़े, वहां बुरे बन जाना ही ठीक है”

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“अपमान का बदला झगड़े या लड़ाई से नहीं लिया जाता, बल्कि शांति से कामयाब हो कर लिया जाता है” – Inspirational Krishna quotes in hindi

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“आशा और विश्वास कभी गलत नहीं होते, यह हम पर निर्भर करता है कि, हमने आशा किससे की और विश्वास किस पर किया”

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“कभी-कभी आप बिना कुछ गलत किए भी बुरे बन जाते हैं, क्योंकि जैसा लोग चाहते हैं आप वैसा बन नहीं पाते”

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“श्री कृष्ण कहते हैं कि, जो लोग किसी सच्चे व्यक्ति का दिल तोड़ कर, किसी तीसरे के पास खुशी ढूंढने के लिए जाते हैं, वह अक्सर धोखा खाते हैं”

speech on krishna in hindi

“आपके हर कर्म का फल, आपको किसी ना किसी रूप में, अवश्य प्राप्त होता है”

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“सोच अच्छी रखो लोग अपने आप अच्छे लगेंगे, नियत अच्छी रखो तो काम अपने आप ठीक होने लगेंगे”

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“जब कोई हाथ और साथ दोनों ही छोड़ देता है, तब कुदरत कोई ना कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देता है, उसी का नाम “कान्हा” है”

Krishna quotes in hindi

krishna quotes in hindi, प्रेम एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी परास्त नहीं होने देता

“प्रेम एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी परास्त नहीं होने देता, और घृणा एक ऐसा अनुभव है, जो मनुष्य को कभी जितने नहीं देता ।”

प्यार या प्रेम एक ऐसा एहसास है जो किसी भी इंसान को कभी भी असफल नहीं होने देता और अहंकार या घृणा वह एहसास है जो किसी भी इंसान को कभी भी सफल नहीं होने देता।

krishna quotes in hindi with images, जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो बस इस पल में है , केवल इस पल में

“जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में, जीवन तो बस इस पल में है , केवल इस पल में।”

जो मनुष्य अपने जीवन को अपने अतीत या अपने भूतकाल के भरोसे जीते हैं, उन्हें श्री कृष्ण मार्गदर्शन देते हुए कहते हैं – कि मनुष्य का जीवन ना तो उनके भूतकाल में है और ना ही भविष्यकाल में है, मनुष्य के जीवन का असली सुख उसके वर्तमानकाल में ही है इसलिए हर मनुष्य को अपने वर्तमान के जीवन का पूरा आनंद लेना चाहिए और निस्वार्थ भाव से सत्य कर्म करते रहना चाहिए।

lord krishna quotes in hindi and english, राधा ने श्री कृष्ण से पूछा प्यार का असली मतलब क्या होता है? श्री कृष्णा ने हँस कर कहा

“राधा ने श्री कृष्ण से पूछा, प्यार का असली मतलब क्या होता है? श्री कृष्णा ने हँस कर कहा, जहाँ ‘मतलब’ होता है, वहाँ प्यार ही कहा होता है॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस प्रेम के रिश्ते में स्वार्थ, अहंकार या मतलब होता है वह रिश्ता प्रेम का रिश्ता कभी नहीं कहला सकता, क्योंकि प्रेम के रिश्ता निस्वार्थ होता है यानी प्रेम के रिश्ते में कोई स्वार्थ नहीं होता।

krishna quotes in hindi with images, राधा कृष्ण का मिलना तो बस एक बहाना था, दुनिया को प्यार का सही मतलब समझाना था

“राधा कृष्ण का मिलना तो बस एक बहाना था, दुनिया को प्यार का सही मतलब समझाना था॥”

श्री कृष्ण और राधा दोनों ने ही इस पृथ्वी पर कुछ विशेष कार्य को पूर्ण करने के लिए अवतार लिया था, उन दोनों का मिलना और मिलकर बिछड़ना एक प्रक्रिया मात्र थी जो पहले से निश्चित थी और इसी प्रक्रिया के माध्यम से उन्होंने प्रेम के वास्तविक रूप को इस संसार को समझाया।

Inspirational krishna quotes in hindi

inspirational krishna quotes in hindi, जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं क्योंकि हमारी आशाएं बड़ी होती है

“जीवन में आधे दुख इस कारण जन्म लेते हैं, क्योंकि हमारी ‘आशाएं’ बड़ी होती है, इन आशाओं का ‘त्याग’ करके देखो, जीवन में ‘सुख’ ही ‘सुख’ है॥”

मनुष्य के जीवन के दुखों का मुख्य कारण उसके खुद की आशाएं और इच्छाएं होती है, मनुष्य की इच्छाएं काफी प्रबल होती हैं और जब मनुष्य की इच्छा के अनुरूप कार्य नहीं होता तो उसका मन दुखी होता है । अगर मनुष्य अपनी इच्छाओं का त्याग करें तो उसके जीवन में सुख के अलावा और कुछ नहीं होगा।

प्रेम और आस्था दोनों पर किसी का जोर नहीं ये मन जहां लग जाए वही ईश्वर नजर आता है, meera krishna quotes in hindi

“प्रेम और आस्था दोनों पर किसी का जोर नहीं, ये ‘मन’ जहां लग जाए वही ‘ईश्वर’ नजर आता है॥”

हमारी मन की आस्था और हमारा प्रेम एक ऐसी शक्ति है जिस पर हमारा खुद का नियंत्रण होता है और हमारी आस्था और प्रेम जिस चीज में भी लग जाए उसी चीज में हमें श्री कृष्ण के दर्शन हो जाते हैं, क्योंकि श्री कृष्ण का वास संसार के कण-कण में है।

god krishna quotes in hindi, अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव तीनों ही चले जाते हैं

“अहंकार करने पर इंसान की प्रतिष्ठा, वंश, वैभव, तीनों ही समाप्त हो जाते हैं॥”

जिस मनुष्य के मन में अहंकार का वास होता है उस मनुष्य के जीवन से उसकी प्रतिष्ठा, उसका वंश और उसका वैभव तीनों समाप्त होते चले जाते हैं।

sri krishna quotes in hindi, अहंकार मत कर किसी को कुछ भी देकर, क्या पता – तू दे रहा है

“अहंकार मत कर किसी को कुछ भी देकर, क्या पता – तू दे रहा है, या पिछले जन्म का ‘कर्जा’ चुका रहा है॥”

जीवन में कभी भी दान देते समय मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि हो सकता है जिसे वो दान दे रहा है उसे दान देकर वो अपने पिछले जन्म का कर्ज चुका रहा है।

Radha krishna quotes in hindi

बुरे कर्म करने नहीं पड़ते हो जाते है, और अच्‍छे कर्म होते नहीं करने पड़ते हैं, radha krishna quotes in hindi

“बुरे ‘कर्म’ करने नहीं पड़ते हो जाते है, और अच्‍छे ‘कर्म’ होते नहीं करने पड़ते हैं॥”

मनुष्य को बुरे कर्म करने की आवश्यकता नहीं होती, बुरे कर्म खुद ही हो जाते हैं, पर अच्छे कर्म खुद से नहीं होते मनुष्य को अच्छे कर्म स्वयं अपनी इच्छा से करने पड़ते हैं तभी उसका जीवन सफल हो पाता है।

shri krishna quotes in hindi, जब आप प्रभु के साथ जुड़ जाओगे तो आपकी परीक्षा आरंभ हो जाएगी

“जब आप ‘प्रभु’ के साथ जुड़ जाओगे, तो आपकी परीक्षा आरंभ हो जाएगी, कुछ लोग इसे ‘दुख’ समझते हैं, तो कुछ लोग प्रभु की ‘कृपा’॥”

सदियों से ईश्वर अपने भक्तों के परीक्षा लेता आया है और इस परीक्षा के दौरान ईश्वर अपने भक्तों को अनेक प्रकार के कष्टों से सामना करवाता है, सामान्य मनुष्य इन कष्ट और दुखों को भगवान की पीड़ा समझ कर भगवान से मुंह मोड़ लेता है तो दूसरी तरफ सच्चे भक्त प्रभु का आशीर्वाद समझकर इन कष्टों का सामना करते हैं।

mahabharat krishna quotes in hindi, जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, परिवार के साथ रहो

“जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, ‘परिवार’ के साथ रहो, सुख हो तो बड़ जाता है, और दुःख हो तो बट जाता है॥”

मनुष्य के जीवन की परिस्थिति चाहे जैसी भी हो उसे हर परिस्थिति में अपने परिवार के साथ रहना चाहिए, अगर उसके जीवन में सुख हो तो परिवार के साथ सुख और भी बढ़ जाएगा और उसके जीवन में अगर दुख हो तो उसके परिवार के सहारे से वो दुख कम हो जाएगा।

स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं, jai shree krishna quotes in hindi

“स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं, और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस रिश्ते की शुरुआत स्वार्थ से हो वह रिश्ता कभी सफल नहीं हो पाता और जिस रिश्ते की शुरुआत प्रेम से हो उस रिश्ते को दुनिया की कोई भी ताकत नहीं तोड़ सकती।

Lord krishna quotes in hindi

lord krishna quotes in hindi, फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है

“फल की अभिलाषा छोड़कर, कर्म करने वाला पुरुष ही, अपने जीवन को सफल बनाता है॥”

जिस मनुष्य का अटूट विश्वास अपने कर्मों पर होता है और जो मनुष्य अपने कर्मों पर सदा अडिग रहता है वही मनुष्य जीवन में सफल हो पाता है और जो मनुष्य सिर्फ फल की चिंता करता है और कर्म नहीं करता उसे जीवन में सिर्फ असफलता ही प्राप्त होती है।

hare krishna quotes in hindi, अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और

“अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और, भगवान से पहले ‘माता पिता’ को पहचान ले तो, जिंदगी में कभी कोई कठिनाई नही आएगी॥”

अगर मनुष्य शिक्षा प्राप्त करने से पहले अच्छे संस्कार प्राप्त करें, व्यापार करने से पहले अच्छा व्यवहार सीखे और ईश्वर को पहचानने से पहले अपने माता-पिता को पहचान ले, तो उस मनुष्य के जीवन में कभी भी कोई कठिनाइयां नहीं आती है।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा तथा ‘भावना’ से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है, lord krishna quotes in hindi images

“वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है, ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा तथा, ‘भावना’ से मुक्त हो जाता है, उसे शांति प्राप्त होती है॥”

जिस मनुष्य के मन से ‘मैं’ या ‘मेरा’ या ‘अहंकार’ का भाव समाप्त हो जाता है और जिसके मन में सांसारिक मोह माया की लालसा समाप्त हो जाती है वही मनुष्य अंत में परम परमात्मा की शरण को प्राप्त करता है।

हर कीमती चीज को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं, माँ और पिता का आशीर्वाद भी, कृष्णा कोट्स इन हिंदी

“हर कीमती चीज को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं, माँ और पिता का आशीर्वाद भी, इनमें से एक हैं॥”

श्री कृष्ण कहते हैं – जैसे हर कीमती वस्तु को उठाने के लिए मनुष्य को झुकना पड़ता है ठीक उसी प्रकार माता-पिता के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए भी मनुष्य को झुकना ही पड़ता है, क्योंकि माता-पिता का आशीर्वाद इस संसार मैं सबसे ज्यादा कीमती होता है।

Shri krishna quotes in hindi

shri krishna quotes in hindi, खाली हाथ आए खाली हाथ वापस चले जाओगे आज तुम्हारा है कल किसी और का था

“खाली हाथ आए, खाली हाथ वापस चले जाओगे, आज तुम्हारा है कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा, तुम जिसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो, बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण है॥”

मनुष्य की मन की इच्छा और सांसारिक सुख की मोह माया ही उसके दुखों का असली कारण होती है, मनुष्य इस बात को नहीं समझता कि वह इस संसार में खाली हाथ आया था और उसे इस संसार से खाली हाथ ही जाना है, इसीलिए जिस वस्तु को वह हमेशा अपना समझ कर खुश होता है वही उसके दुखों का असली कारण होता है, क्योंकि जो आज उसका है वह कल किसी और का हो जाएगा।

mahabharat star plus krishna quotes in hindi, प्यार और तकदीर कभी साथ नहीं चलते क्योंकि जो तकदीर में होते है उनसे कभी प्यार नहीं होता

“प्यार और तकदीर कभी साथ नहीं चलते, क्योंकि जो ‘तकदीर’ में होते है, उनसे कभी ‘प्यार’ नहीं होता, और जिससे हमे प्यार हो जाता है, वह तकदीर में नहीं होता॥”

प्रेम और किस्मत कभी साथ नहीं चल सकते क्योंकि हमारे किस्मत में जो होता है उससे हमें प्रेम नहीं होता और हम जिससे प्रेम करते हैं वो हमारी किस्मत में नहीं होता, यही प्रभु की माया है।

lord krishna quotes hindi text, क्रोध की अवस्था में भ्रम जन्म लेता है भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देती है

“क्रोध की अवस्था में भ्रम जन्म लेता है, भ्रम बुद्धि को नष्ट कर देती है, बुद्धि के नष्ट होते ही, व्यक्ति का पतन हो जाता है॥”

मनुष्य का क्रोध ही इस संसार में उसका सबसे बड़ा शत्रु होता ,है क्योंकि जब भी मनुष्य क्रोध की अवस्था में होता है तब उसके मन में भ्रम का जन्म होता है और हमारा भ्रम हमारी बुद्धि का नाश कर देता है और हमारे बुद्धि का नाश होते ही हमारा भी नाश होना निश्चित होता है।

मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मो पर चलता है, कृष्णा कोट्स इन हिंदी इमेजेज,

“मनुष्य का जीवन केवल उसके कर्मो पर चलता है, जैसा कर्म होता है, वैसा उसका जीवन होता है॥”

हमारा जीवन केवल हमारे कर्मों के बल पर ही चलता है, जैसे हमारे कर्म होंगे, हमारा जीवन भी वैसा ही बनता जाता है।

Jai shree krishna quotes in hindi

New krishna quotes in hindi, तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं

“तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं॥”

श्री कृष्ण कहते हैं कि जो मनुष्य शोक के योग्य नहीं होता उसके बारे में शोक करके हमें कुछ प्राप्त नहीं होगा, श्रेष्ठ और बुद्धिमान मनुष्य वही होता है जो जीवित और मृत व्यक्तियों के लिए शोक नहीं करता।

krishna status in hindi, जिसके मन के अंदर शांति होती है उस मनुष्य से ज्यादा धनवान

जिसके मन के अंदर शांति होती है, उस मनुष्य से ज्यादा धनवान और सुखी व्यक्ति इस संसार में कोई नहीं होता।

good morning krishna quotes in hindi, जब आपके जीवन के चारों ओर हताशा और निराशा हो

जब आपके जीवन के चारों ओर हताशा और निराशा हो, जब दुखों ने आपको हर जगह से घेर रखा हो, तब आप सच्चे मन से कृष्ण जी के नाम का दीपक जलाना और अपना सब हाल श्री कृष्ण को सुना देना, श्री कृष्ण स्वयं आपके सब दुख हरने आएंगे।

lord krishna quotes in hindi on love, महान व्यक्ति वो नहीं होता जो धनवान हो बल्कि महान व्यक्ति वह होता है जो

महान व्यक्ति वो नहीं होता जो धनवान हो बल्कि महान व्यक्ति वह होता है जो जीवन में कभी किसी का अपमान नहीं करता और ना ही खुद का अपमान कभी सेहता है।

“यदि आप किसी के साथ ‘मित्रता’ नहीं कर सकते हैं, तो उसके साथ ‘शत्रुता’ भी नहीं करना चाहिए॥”

अगर आप किसी के साथ मित्रता करके जीवन भर उसका साथ नहीं दे सकते तो आपको कोई हक नहीं कि आप उसके साथ शत्रुता करके उसे पीड़ा दे।

krishna quotes on truth in in hindi, जो लोग सच्चे मन से श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उन पर अटूट विश्वास करते हैं

जो लोग सच्चे मन से श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उन पर अटूट विश्वास करते हैं, उन्हें कभी भी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि अपने सच्चे भक्तों के साथ मुरलीवाला हमेशा साथ रहता है।

“जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता हैं”

जिस मनुष्य का मन उसके नियंत्रण में नहीं होता ऐसे मनुष्य का मन

उसके शत्रु के समान काम करता है और हमेशा उसके दुखों का कारण बनता है।

Best krishna quotes hindi

radha krishna thoughts in hindi, चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं

चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं

“श्री कृष्ण जी कहते हैं, जिस व्यक्ति को आपकी क़द्र नही, उसके साथ खड़े रहने से अच्छा हैं, आप अकेले रहे॥”

श्री कृष्ण कहते हैं जो मनुष्य आप की कदर नहीं करता और ना ही आपका सम्मान करता है, ऐसे मनुष्य के साथ रहने से अच्छा है कि आप संसार में अकेले रहें।

krishna quotes in hindi for life, बिना श्री कृष्ण के इस संसार में सब कुछ व्यर्थ है

बिना श्री कृष्ण के इस संसार में सब कुछ व्यर्थ है हमारा, हम शब्द हैं श्री कृष्ण के और वे स्वयं हमारे शब्दों के अर्थ हैं।

“जिस व्यक्ति के पास ‘संतुष्टि’ नहीं है, उसे कितना भी मिल जाए वह ‘असंतुष्ट’ ही रहेगा॥”

जो मनुष्य अपने जीवन में धन दौलत, ऐश्वर्य और प्रसिद्धि को हासिल करता है परंतु संतुष्टि को हासिल नहीं कर पाता ऐसा मनुष्य जीवन भर दुखी रहता है और जो मनुष्य थोड़े से संसाधन में भी संतुष्ट हो जाता है वो मनुष्य जीवन भर सुखी रहता है।

जो मनुष्य अपने जीवन में गीता का सच्चे मन से अध्ययन करता है वो मनुष्य संसार के मोह माया

जो मनुष्य अपने जीवन में गीता का सच्चे मन से अध्ययन करता है, वो मनुष्य संसार के मोह माया और हर बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक आनंद का आशीर्वाद पाता है।

“अंत काल में जो मनुष्य मेरा स्मरण करते हुए, देह त्याग करता है वह मेरी शरण में आता है, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अंत काल में मेरा चिंतन करें॥”

जो भी मनुष्य अपने जीवन के अंतिम समय में मेरा संस्मरण करते हुए अपने देह का त्याग करेगा वो मनुष्य मेरी शरण में आता है और जीवन के मोह माया से मुक्ति प्राप्त करके मोक्ष की प्राप्ति करता है।

radha krishna quotes in hindi, मनुष्य अपने सच्चे हृदय से जो दान दे सकता है वह अपने हाथों से नहीं दे सकता

“मनुष्य अपने सच्चे हृदय से जो दान दे सकता है वह अपने हाथों से नहीं दे सकता और मौन रहकर हम जो कह सकते हैं वह हम अपने शब्दों से नहीं कह सकते।”

Shri krishna quotes hindi

shri krishna quotes hindi

“इस संसार में मनुष्य किसी भी रूप में बड़ा नहीं होता, बल्कि मनुष्य के पीछे जो ताकत खड़ी होती है वो ज्यादा बड़ी होती है॥”
“जिंदगी में सदैव अवसरों का आनंद लेना चाहिए, लेकिन किसी के भरोसे को तोड़कर नहीं॥”

इस संसार में भरोसा और विश्वास ही ऐसी चीज है जिन्हें प्राप्त करने में मनुष्य को वर्षों का समय लगता है और फिर भी कई मनुष्य को यह प्राप्त नहीं हो पाता, इसलिए श्री कृष्ण कहते हैं कि जीवन में किसी का भी भरोसा तोड़ कर किसी अवसर को प्राप्त करके उसका सुख नहीं भोगना चाहिए।

hindi krishna quotes for peace, अगर आप जीवन में असफल होते हैं तो आपको दोबारा प्रयास करने में कभी नहीं घबराना

“अगर आप जीवन में असफल होते हैं तो आपको दोबारा प्रयास करने में कभी नहीं घबराना चाहिए, क्योंकि जब आप दोबारा प्रयास करते हैं तो आप की शुरुआत सुनने से नहीं बल्कि आपके अनुभव से होती है॥”
“जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा, तुम भूत का पश्चाताप न करो, भविष्य की चिंता न करो, वर्तमान में जियो॥”

हमारे साथ जो भी हुआ अच्छा हुआ, हमारे साथ जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और हमारे साथ जो भी होगा वह अच्छा ही होगा यही सोचकर हमें अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए, अगर हम अपने भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता में अपने जीवन व्यतीत करेंगे तो हम अपना वर्तमान भी नष्ट कर देंगे।

श्री कृष्ण कभी भी हमारा हाल नहीं पूछते पर वो हमारी सब खबर रखते हैं

“श्री कृष्ण कभी भी हमारा हाल नहीं पूछते, पर वो हमारी सब खबर रखते हैं, श्री कृष्ण अपने सच्चे भक्तों पे हर घड़ी नजर रखते हैं॥”
“‘दुष्ट’ लोग अगर समझाने मात्र से समझ जाते, तो यकीन मानो ‘महाभारत’ कभी ना होता॥”

अगर दुष्ट और बुरे व्यक्तियों को समझाने मात्र से कार्य सिद्ध हो जाते तो यकीन मानिए महाभारत कभी नहीं होता।

Hindi quotes of Shri Krishna

अगर कोई मनुष्य हमारे साथ बुरा कर रहा है तो उसे करने दो यह उसका कर्म है

“अगर कोई मनुष्य हमारे साथ बुरा कर रहा है, तो उसे करने दो यह उसका कर्म है, और समय उसके कर्म का फल उसे जरूर देगा, लेकिन हमें कभी भी किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यही हमारा धर्म है॥”
“जो दूसरों की तकलीफों को समझते हैं, जिनमें दया है, दिल से अच्छे हैं, उन्हें दोबारा जन्म लेना नहीं पड़ता।।”

जो इंसान दूसरे इंसान के तकलीफ, मजबूरियां और दुखों को समझता है और जो इंसान मन का सच्चा होता है उस इंसान को दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता और वो मोक्ष को प्राप्त होता है।

इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई ताकत नहीं जो इंसान की इच्छाओं की पूर्ति कर सके

“इस पूरे ब्रह्मांड में ऐसी कोई ताकत नहीं जो इंसान की इच्छाओं की पूर्ति कर सके, क्योंकि इंसान की इच्छाएं एक समुद्र के समान होती है जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता।”
“वह दिन मत दिखाना कान्हा, कि हमें खुद पर गुरुर हो जाए, रखना अपने दिल में इस तरह, कि जीवन सुफल हो जाए॥”

हे श्री कृष्ण हमें वह दिन कभी मत दिखाना जिस दिन हमें खुद पर घमंड हो जाए, आप हमेशा हमें अपने मन में शरण देना ताकि हमारा जीवन सफल हो जाए ।

इंसान का मुश्किल वक्त उसके लिए एक दर्पण की तरह होता है

“इंसान का मुश्किल वक्त उसके लिए एक दर्पण की तरह होता है, जो हमारी क्षमताओं का दर्शन हमें करवाता है॥”

ईश्वर ने हमारे भाग्य में जो लिखा है उसे हम से कोई नहीं छीन सकता

“ईश्वर ने हमारे भाग्य में जो लिखा है उसे हम से कोई नहीं छीन सकता, लेकिन अगर हमें अपने ईश्वर पर सच्चा भरोसा है, तो हमें वो भी मिल सकता है जो हमारे भाग्य में नहीं लिखा होता॥”

मनुष्य मनुष्य को अपने जीवन में किए गए कर्मों के परिणाम से होने वाले फलों की प्राप्ति की चिंता

मनुष्य को अपने जीवन में किए गए कर्मों के परिणाम से होने वाले फलों की प्राप्ति की चिंता को लेकर ग्रसित नहीं होना चाहिए, उसे तो बस सच्चे मन से सत्य कर्म करते रहना चाहिए, समय रहने पर ईश्वर उसे उसके कर्मों का फल जरूर देंगे।

मैं आशा करता हूं कि हमारा आज का यह लेख krishna quotes in hindi आप लोगों को काफी पसंद आया होगा और इस लेख से आप लोगों को काफी प्रेरणा भी मिली होगी हमारे हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले सबसे अहम देवताओं में से एक है भगवान श्री कृष्ण, उन्होंने उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में ऐसे कई अनमोल उपदेश दिए हैं जो मानव जीवन के लिए काफी कल्याणकारी है, मेरा आप सब से निवेदन है कि आज के हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद इन उपदेशों का पालन अपने जीवन में भी नियमित रूप से करें और भगवान श्री कृष्ण की सच्ची श्रद्धा भाव से सेवा करें

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speech on krishna in hindi

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भगवान कृष्ण पर निबंध- Essay on Lord Krishna in Hindi

In this article, we are providing information about Lord Krishna in Hindi- Essay on Lord Krishna in Hindi Language. भगवान कृष्ण पर निबंध- Bhagwan Krishna par Nibandh for Kids/students.

भगवान कृष्ण पर निबंध- Essay on Lord Krishna in Hindi

भगवान श्रीकृष्ण स्वभाव से बहुत ही चंचल है और सभी देवों में सबसे सुंदर माने जाते हैं। इनका रंग मेघश्यामल है और इनमें से हमेशा एक मनमोहक गंध आती है। श्रीकृष्ण जी के 108 नाम है जैसे माधव, कान्हा और हमेशा पीले वस्त्र पहनने के कारण इन्हें पीतांबर के नाम से भी जाना जाता है। इनके सिर पर एक मुकुट विराजता है जिसमें मोर का पंख लगा होता है। इन्होंने माता देवकी से मनुष्य के रूप में धरती पर जन्म लिया था। इनकी बांसुरी की धुन सुन कर सभी मुग्ध हो जाते हैं। इनकी 108 रानियाँ है और राधा रानी इनकी प्रेमिका है। श्री कृष्ण जी के चक्र का नाम सुदर्शन है और गरूड़ उनका वाहन है।

भगवान श्रीकृष्ण जी रासलीला और मक्खन चुराने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। श्रीकृष्ण जी जब परमधीम को गए तब उनका एक भी बाल सफेद नहीं था और उन्होंने अपने अंतिम वर्षों को छोड़कर द्वारका में कभी भी 6 महीने से अधिक समय नहीं बिताया था। श्री कृष्ण जी का शंख गुलाबी रंग का था जिसका नाम पंचजन्य था। श्रीकृष्ण बहुत ही नटखट स्वभाव के थे। वह हमेशा गोपियों को परेशान करते रहते थे। श्री कृष्ण ने अपने जीवन में तीन सबसे भयंक युद्ध का संचालन किया था जिसमें से महाभारत के युद्ध में वह अर्जुन के सारथी बने थे। उन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश दिया था जिसमें पूरे जीवन का सार है। श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा थे जिनके साथ उन्होंने दोस्ती को पूरे दिल से निभाया था। श्रीकृष्ण ने 125 वर्ष की उमर में मनुष्य देह को त्यागा था जब एक शिकारी ने उनकी हत्या कर दी थी। श्रीकृष्ण का नटखट स्वभाव सबको बहुत अच्छा लगता है और लोग इनकी पूजा अर्चना करते हैं। श्रीकृष्ण ने जिस दिन मानव रूप में जन्म लिया था उस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता था। श्रीकृष्ण सभी को प्रिय है।

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भगवान श्री कृष्ण से सीखे जीवन बदलने वाले सबक

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Lord Krishna Teachings in Hindi

जिस किसी ने भी प्राचीन भारतीय महाकाव्य महाभारत पढ़ा है, वह भगवान कृष्ण के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के बारे में जानता है। वह विष्णु के आठवें अवतार हैं और हिंदू धर्म में सबसे व्यापक रूप से प्रशंसित देवताओं में से एक हैं। 

कृष्ण, एक हिंदू भगवान से अधिक, एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु हैं जो इस ब्रह्मांड ने कभी देखे हैं। उन्होंने मानव जाति के आध्यात्मिक और क्रमिक भाग्य में सुधार किया। उन्होंने दुनिया को भक्ति और धर्म के साथ-साथ अंतिम वास्तविकता के बारे में शिक्षित किया। 

कृष्ण अतीत में, आज आधुनिक दुनिया में हर दृष्टि से लोगों के लिए आदर्श रहे हैं और निश्चित रूप से आने वाले युगों में भी रहेंगे।

भारत में सबसे लोकप्रिय पुस्तक - भगवद-गीता जिसे अक्सर केवल गीता के रूप में संदर्भित किया जाता है, संस्कृत में एक 700 श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है। यह हिंदू महाकाव्य महाभारत का एक हिस्सा है, जहां कुरुक्षेत्र की लड़ाई में पांडवों और कौरवों के बीच धर्मी युद्ध के दौरान, भगवान कृष्ण अपनी बुद्धि से अर्जुन को प्रबुद्ध करते हैं। यह कई सबक सिखाता है जिसे आसानी से हमारे दैनिक जीवन में लागू किया जा सकता है।

स्वयं भगवान से सीखे जीवन बदलने वाले सबक :-

कृष्ण पाठ # 1: कर्म का महत्व (कर्तव्य)

कुरुक्षेत्र की लड़ाई में, अर्जुन की अंतरात्मा अपने ही रिश्तेदारों, पूर्वजों और गुरुओं को मारने के विचारों से त्रस्त थी। उन्होंने लड़ने से इनकार कर दिया, और फिर कृष्ण ने भगवद गीता नामक दार्शनिक महाकाव्य दिया। 

उन्होंने कहा, "मैं इस ब्रह्मांड का एकमात्र निर्माता हूं। मैं चाहूं तो 'सुदर्शन चक्र' से क्षण भर में शत्रुओं का संहार कर सकता हूं। लेकिन मैं आने वाली पीढ़ी को कर्म (स्वयं का कर्तव्य निभाना) का महत्व सिखाना चाहता हूं। 

उन्होंने आगे कहा, "अपना कर्तव्य करो और उसके परिणाम से अलग हो जाओ, परिणाम से प्रेरित मत हो, वहां पहुंचने की यात्रा का आनंद लो।" अंत में, उसने अर्जुन को दुश्मनों से लड़ने और नष्ट करने के लिए मना लिया।

यदि आप कर्म नहीं करेंगे या अपना कर्तव्य नहीं निभाएंगे, तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा या परिणाम नहीं मिलेगा। यह भगवान कृष्ण की शिक्षाओं से सबसे अच्छी शिक्षाओं में से एक है। 

आपको परिणाम या अंतिम परिणाम की आशा किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। जबकि मैं यह कह रहा हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि आशा रखना या आशावादी होना गलत है, लेकिन कर्मों के बिना, आपका मार्ग भयानक होगा। चाल अंतिम परिणाम पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने और वहां पहुंचने की प्रक्रिया का आनंद लेने की नहीं है।

कृष्ण पाठ # 2: हर चीज़ के पीछे एक कारण जरूर होता है। 

भगवद-गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि सब कुछ एक कारण या अच्छे कारण से होता है। जीवन में जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए होता है और उसके पीछे हमेशा कोई कारण  जरूर  होता है। 

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हम सभी एक निर्माता, ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर सर्वोच्च शक्ति है और यह दुनिया उसके द्वारा शासित है। और चूंकि, हम सब भगवान के बच्चे हैं, हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता। इसलिए, जो कुछ हुआ है या जिन चीजों पर हमारा नियंत्रण नहीं है, हमें चीजों को जाने देना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए।

कृष्ण पाठ #3: वर्तमान में सचेतना से रहना(माइंडफुलनेस)

कृष्ण हमें वर्तमान क्षण में जीना सिखाते हैं। वह भविष्य के प्रति सचेत था, लेकिन उसने बिना किसी चिंता के वर्तमान क्षण में जीना चुना। भले ही वह जानता था कि आने वाले भविष्य में क्या होगा, फिर भी वह वर्तमान क्षण में बना रहा। 

माइंडफुलनेस वर्तमान में रहने और वर्तमान क्षण के बारे में जागरूक होने के बारे में है। वर्तमान में जीना और वर्तमान क्षण पर अधिक ध्यान देना आपके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बाधा उत्पन्न होना अधिक संभव है, लेकिन सचेत रहना और वर्तमान क्षण में जीना चीजों को बहुत आसान बना सकता है। हमें यह सीखने की जरूरत है कि कैसे वर्तमान पर ध्यान केंद्रित किया जाए, न कि भविष्य या अतीत पर।

कृष्ण शिक्षण #4: अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें

भगवान कृष्ण ने भगवद-गीता के अध्याय 2, श्लोक 63 में क्रोध का वर्णन इस प्रकार किया है:

क्रोधाद्‍भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः । स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥2.63॥ krōdhādbhavati saṅmōhaḥ saṅmōhātsmṛtivibhramaḥ. smṛtibhraṅśād buddhināśō buddhināśātpraṇaśyati৷৷2.63৷৷

अर्थ : क्रोध से निर्णय के ऊपर बादल छा जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्मृति भ्रमित हो जाती है। जब स्मृति व्याकुल हो जाती है तो बुद्धि नष्ट हो जाती है। और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो व्यक्ति नष्ट हो जाता है। (कृष्णा उद्धरण)

अतः क्रोध व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की असफलताओं का मूल कारण है। यह नरक के तीन मुख्य द्वारों में से एक है, अन्य दो लालच और वासना हैं। मन को शांत रखते हुए क्रोध को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

कष्ण उपदेश #5: बलिदान

कृष्ण ने भीम से क्रुक्षेत्र की लड़ाई में घटोत्कच (भीम के पुत्र) को बुलाने के लिए कहा। यह कौरव सेना का सफाया करने के लिए नहीं था, बल्कि कर्ण को इंद्रस्त्र (एक घातक दैवीय हथियार) का उपयोग करने के लिए मजबूर करने के लिए था, जिससे कोई भी जीवित नहीं बच सकता। 

उसने यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया कि युद्ध जीतने की कुंजी अर्जुन जीवित रहे। अत: उसने एक प्रतापी योद्धा की बलि देकर पांडवों की विजय सुनिश्चित की।

इसको हम अपने जीवन में कैसे उतार सकते है। 

वैसे ही जीवन में हमें सफलता प्राप्त करने के लिए कई चीजों का त्याग करना पड़ता है। त्याग के बिना कोई महत्वपूर्ण प्रगति या उपलब्धि नहीं हो सकती। यदि आप अपने आराम क्षेत्र, गर्व, अहंकार, समय, धन या सुरक्षा का त्याग करने को तैयार नहीं हैं, तो आप कभी भी अपने उच्चतम स्तर की सफलता प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

कृष्ण पाठ #6: नम्रता या विनय

भले ही कृष्ण शानदार द्वारका के राजा और सारी सृष्टि के देवता थे, फिर भी वे विनम्र थे और हमेशा अपने बड़ों के प्रति जबरदस्त सम्मान दिखाते थे - चाहे वे उनके माता-पिता हों या शिक्षक। वह उन्हें सुख देने के लिए सदैव तत्पर रहता था। इस वजह से वे जहां भी जाते थे लोग उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, कृष्ण ने नीच सारथी की भूमिका निभाई। श्री कृष्ण सादगी के प्रतिरूप थे और सारथी के रूप में उनकी भूमिका उसी का प्रमाण है।

विनम्र या विनम्र होना व्यक्तित्व की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। कृष्ण की तरह आपको भी जीवन में विनम्र होना चाहिए। यह आपको ईमानदार लोगों के साथ वास्तविक संबंध विकसित करने में मदद करता है। लोगों को अपने जीवन में खुश रहने के लिए और अधिक कारण देने के लिए पर्याप्त विनम्र रहें।

कृष्ण पाठ #7: कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता  ।

भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र की लड़ाई को अकेले ही जीत सकते थे। लेकिन उन्होंने अर्जुन का मार्गदर्शन करना चुना और उनके लिए अपना रथ चला दिया। वह कहते हैं कि नौकरी एक नौकरी है; कोई बड़ा या छोटा काम नहीं है। कोई भी श्रम बिना सम्मान के नहीं होता। 

आपको अपनी नौकरी से प्यार करना चाहिए और अपनी नौकरी में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो। आपकी नौकरी आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा भरती है, और वास्तव में संतुष्ट होने का एकमात्र तरीका सभी प्रकार की नौकरियों का सम्मान करना और उन्हें स्वीकार करना है।

कृष्णा कोट्स  

यहाँ ऊपर दिए गए पाठों के अलावा कुछ सबसे व्यावहारिक भगवान कृष्ण कोट्स हैं जो आपको कठिन समय में आवश्यक प्रेरणा देंगे ।

" आत्म-विनाश और नरक के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लोभ। " ~ भगवान कृष्ण

“मनुष्य अपने विश्वासों से निर्मित होता है। जैसा वह मानता है। तो वह बन जाता है।" ~ भगवान कृष्ण

"कोई भी जो अच्छा काम करता है उसका कभी भी भयानक अंत नहीं होगा।" ~ भगवान कृष्ण

"अपने स्वयं के कर्तव्यों को अपूर्ण रूप से निष्पादित करना दूसरे की जिम्मेदारियों को सीखने से कहीं बेहतर है।" ~ भगवान कृष्ण

"जो कुछ करना है करो, लेकिन अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति से करो।" ~ भगवान कृष्ण

"तुम मुझ पर विजय पाने का एकमात्र तरीका प्रेम के माध्यम से है, और वहाँ मुझे खुशी से जीत लिया गया है।" ~ भगवान कृष्ण

"परिवर्तन दुनिया का नियम है। पल भर में तुम करोड़ों के मालिक बन जाते हो। दूसरे में तुम दरिद्र हो जाते हो।" ~भगवान कृष्ण

"खुशी की कुंजी इच्छाओं की कमी है।" ~ भगवान कृष्ण

"इंद्रियों का सुख पहले तो अमृत जैसा लगता है, लेकिन अंत में विष के समान खट्टा होता है।" ~ भगवान कृष्ण

"खुशी मन की एक अवस्था है, जिसका बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है।" ~ भगवान कृष्ण

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कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)

पुराणों के अनुसार सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग इन चार युगों में समयकाल विभाजित है। द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में जन्म लिया। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है अतः हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर छोटे-बडें निबंध (Short and Long Essay on Krishna Janmashtami in Hindi, Krishna Janmashtami par Nibandh Hindi mein)

जन्माष्टमी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं।

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है

श्री कृष्ण को सनातन धर्म से संबंधित लोग अपने ईष्ट के रूप में पूजते है। इस वजह से उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं को याद करते हुए उनके जन्म दिवस के अवसर को उत्सव के रूप में मनाते हैं।

विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम

यह पूरे भारत में मानाया जाता है। इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है। बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है।

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत

यह भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है। इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर पूजा के लिए घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं। पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा सामग्री का महत्व

पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसीदल, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान का भोग लगाया जाता है। खीरा और चना का इस पूजा में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास स्थान) धाम जाता है।

श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है। इसके अतिरिक्त सनातन धर्म के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार हैं, इसलिए दुनिया भर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध – 2 (400 शब्द)

श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी

भारत विभिन्न राज्यों से बना एक रंगीन (रंगो से भरा) देश है। इसमें सभी राज्य के रीति रिवाज, परंपरा एक दूसरे से असमानता रखते हैं। इसलिए भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है।

महाराष्ट्र की दही हांडी

दही हांडी की प्रथा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से संबंध रखता है। दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध मांग लिया जाता था। इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया। इस घटना के उपलक्ष्य में दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर युवकों द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है।

मथुरा और वृदावन की अलग छटा

वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर (जहां सनातन धर्म बसा हुआ है) में मनाया जाता है, पर मथुरा और वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। देश-विदेश से लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं।

दिल्ली में एस्कॉन मंदिर की धूम

देश भर के कृष्ण मंदिरों में दिल्ली का एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है। इस दिवस की तैयारी मंदिर में हफ्तों पहले से शुरू कर दी जाती है, उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है। जिसे देखने और भगवान कृष्ण के दर्शन हेतु विशाल भीड़ एकत्र होती है। इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं।

देश के अन्य मंदिर के नज़ारे

देश के सभी मंदिरों को फूलों तथा अन्य सजावट की सामग्री के सहायता से कुछ दिन पहले से सजाना प्रारम्भ कर दिया जाता है। मंदिरों में कृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न घटनाओं को झांकी का रूप दिया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही राज्य पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जाते हैं जिससे की उत्सव में कोई समस्या उत्पन्न न हो सके।

श्री कृष्ण हिंदुओं के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं इस कारणवश भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई रासलीला करता है। इस आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है।

Krishna Janmashtami par Nibandh – 3 (500 शब्द)

वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं।

Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी दो दिन क्यों मनाया जाता हैं ?

ऐसा माना जाता है नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं, तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर बाज़ार की चहल-पहल

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हफ्तों पहले से बाज़ार की रौनक देखते बनती है, जिधर देखो रंग बिरंगे कृष्ण की संदुर मन को मोह लेने वाली मूर्तियां, फूल माला, पूजा सामग्री, मिठाई तथा सजावट के विविध समान से मार्केट सज़े मिलते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व बहुत व्यापक है, भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली कथन है “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूँगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। जन्माष्टमी के पर्व से गीता के इस कथन का बोध मनुष्य को होता है। इसके अतिरिक्त इस पर्व के माध्यम से निरंतर काल तक सनातन धर्म की आने वाली पीढ़ी अपने आराध्य के गुणों को जान सकेंगी और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगी। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है।

युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व सनातन धर्म के आत्मा के रूप में देखे जाते हैं। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए।

कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीला

  • श्री कृष्ण के बाल्यावस्था के कारनामों को ही देखते हुए इस बात को अनुमान लगाया जा सकता है, वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए। एक के बाद एक राक्षसों (पूतना, बघासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है।
  • अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना जीवन के विभिन्न पहलुओं के हर भूमिका को उन्होनें आनंद के साथ जीया है।
  • श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व वियोग लीला का बहुत संदुर चित्रण प्राप्त होता है।
  • कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश बने, द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया।

कृष्ण परम ज्ञानी, युग पुरूष, अत्यधिक शक्तिशाली, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ थे पर उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका हर कार्य धरती के उत्थान के लिए था।

कारावास में कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है तथा यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है।

श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है। उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए।

Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

उत्तर – वे विष्णु के 8वें अवतार थें।

उत्तर – वे वासुदेव व देवकी के आठवीं संतान थे।

उत्तर – कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

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श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार

Shree Krishna Quotes in Hindi

भगवान् श्रीकृष्ण की कहानियाँ और उनके अनमोल विचार हम सदीयों से अपने पूर्वजो से सुनते आये है। श्रीकृष्ण का हर एक सुविचार अनमोल है, उनके कहे विचारों को अगर हम अपनी जिंदगी में उतारेंगे तो हमारे जीवन में कभी भी दुःख और अशांति नहीं आयेंगी। हम हमेशा ख़ुशी से जीवन जी सकेंगे।

भगवान् श्रीकृष्ण के विचार चाहे वह श्रीमद् भागवत गीता के अनमोल विचार हो या फिर किसी कहानी में सुने हो, आज के ज़माने के लिए भी उतनेही अनुरूप और योग्य है। इन विचारों को सुनना और उनपे अमल करना हमारे लिए और समाज के लिए बहुत ही फायदेमंद है।

किसी व्यक्ति ने कहा हुआ कोई quote हो या फिर कोई motivational quotes हो, उनका सही उपयोग करने के बाद ही हमे उनका असली मतलब समाज में आता है। ज्ञानी पंडित आजके इस पोस्ट में आपके लिए भगवान् श्रीकृष्ण के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार लेके आया है।

भगवान् श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार – Shree Krishna Quotes in Hindi

Shri Krishna Quotes in Hindi

“नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध, और लालच।”

“आत्मा पुराने शरीर को ठीक उसी तरह छोड़ देती है, जैसे कि मनुष्य अपने पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।”

Krishna Gif Images

“मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।”

“परिवर्तन इस संसार का नियम है, कल जो किसी और का था, आज वो तुम्हारा हैं एवं कल वो किसी और का होगा।”

Krishna Quotes in Hindi

Krishna Quotes in Hindi

“जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता हैं।”

“आत्मा न तो जन्म लेती है, न कभी मरती है और ना ही  इसे कभी जलाया जा सकता है, ना ही पानी से गीला किया जा सकता है, आत्मा अमर और अविनाशी है।”

Lord Krishna Quotes in Hindi

धरती पर महापापी कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलवाने के लिए जन्में भगवान श्री कृष्ण ने न सिर्फ इस संसार को आपस में प्रेम करना सिखाया बल्कि कई ऐसे प्रेरणादायक और अनमोल सीख भी दी, जिनको अगर हम सभी अपने जीवन में उतार लें तो निश्चय ही एक सफल और श्रेष्ठ जिंदगी जी सकते हैं।

इसके साथ ही श्री कृष्ण ने हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमदभगवतगीता के माध्यम से मनुष्य के जन्म-मरण के चक्र की खूबसूरत व्याख्या की है और मनुष्य को इस संसार रुपी मोह से निकालकर मोक्ष प्राप्ति का सूत्र बताया है।

वहीं हम आपको अपने इस आर्टिकल में भगवान श्री कृष्ण के कुछ उत्तम विचारों को उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे पढ़कर न सिर्फ आप लोगों के मन में अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी बल्कि एक-दूसरे के प्रति आदर-सम्मान का भाव पैदा होगा, आपसी रिश्ते मजबूत होगें।

इसके साथ ही जीवन जीने की सही कला के बारे में ज्ञात हो सकेगा।

वहीं आप श्री कृष्णा के इन सर्वश्रेष्ठ विचारों को व्हाटसऐप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर भी शेयर कर सकते हैं, और अपने दोस्तों, परिजनों एवं करीबियों से श्री कृष्ण के इन विचारों पर अमल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि वे एक श्रेष्ठ जीवन का निर्वहन कर सकें।

“केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता हैं।”

“अत्याधिक क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि नष्ट होती है और जब बुद्धि नष्ट होती है, तब तर्क ही नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पूरी तरह पतन हो जाता है।”

Quotes on Shri Krishna in Hindi

Quotes on Shri Krishna in Hindi

“अगर आप अपना लक्ष्य पाने में नाकामयाब होते हो तो अपनी रणनीति बदलो, लक्ष्य नही।”

“सभी मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होते हैं, जैसा वे भरोसा करते हैं, वो वैसा ही बन जाता हैं।”

Jai Shree Krishna in Hindi Status

“निर्माण केवल मौजूदा चीजों का प्रक्षेपण हैं।”

“अप्राकृतिक कर्म बहुत ज्यादा तनाव पैदा करता है, उससे मत डरो जो कि वास्तविक नहीं है और ना कभी था और ना कभी होगा, जो वास्तविक है, वो हमेशा था, और उसे कभी नष्ट भी नहीं किया जा सकता है।”

Bhagavad Gita Quotes in Hindi

भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभगवतगीता के माध्यम से कहा है कि मनुष्य को अगर अपने जीवन में सफलता हासिल करनी है तो, फल की इच्छा किए बिना ही कर्म करना चाहिए।

इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने विचारों के माध्यम से यह भी कहा है कि जो व्यक्ति भूतकाल को लेकर पश्चाप करता रहता है, उस व्यक्ति का वर्तमान तो खराब हो ही जाता है, इसके साथ ही वह अपने भविष्य के लिए भी कुछ नहीं कर पाता है।

इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण के कई ऐसे सर्वश्रेष्ठ सुवविचार हैं, जिन्हें अगर सही मायने में व्यक्ति अपने जीवन में उतार लें तो वह अपने जीवन के तमाम दुख और परेशानी से छुटकारा पाकर सुखमय जीवन जी सकता है।

Shree Krishna Quotes

“अपने अनिवार्य कर्तव्यों को पूरा करो क्यूंकि कार्य करना संपूर्ण निश्कार्यता से बेहतर है।”

“तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य ही नहीं होते, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना तो जीवित और ना ही कभी मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।”

Krishna Status in Hindi

Krishna Status in Hindi

“इंसान अपने विचारोंसे बनता है। जैसा वह सोचता है वैसा ही वह बनता है।”

“कर्म का फल व्यक्ति को ठीक उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कि कोई बछड़ा हजारों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।”

श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ अनमोल वचन

“मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वो विश्वास करता हैं, वैसा वो बन जाता हैं।”

“मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर सके सभी कार्य कर रही है।”

shree krishna

“मन अशांत हैं और उसे नियंत्रित करना कठीण हैं, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।”

“जो भी मनुष्य अपने जीवन के अध्यात्मिक ज्ञान के चरणो के लिए दृढ़ संकल्पो मे स्थिर हैं, वह समान्य रूप से कठोर संकटो को भी आसानी से सहन कर सकते हैं, और निश्चित तौर पर ऐसे व्यक्ति खुशियां और मुक्ति पाने के पात्र होते हैं।”

“अपना-पराया, छोटा-बड़ा, मेरा-तेरा ये सब अपने मन से मिटा दो, और फिर सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो।”

Shree Krishna Status in Hindi

धरती पर पाप का अंत करने के लिए भगवान विष्णु के 8वें अवतार में जन्में श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के द्धारा पूरे जगत को ज्ञान दिया।

भगवान श्री कृष्ण ने अपने सर्वश्रेष्ठ सुविचारों के माध्यम से मनुष्य को बताया कि, अपने अशांत मन को व्यक्ति अभ्यास के माध्यम से किस तरह अपने वश में कर सकता है, क्योंकि जो व्यक्ति अपने मन को काबू में नहीं करते हैं, उनके लिए वह दुश्मन की तरह काम करता है।

इसके अलावा श्री कृष्ण ने उन व्यक्तियों को भी अपने विचारों के माध्यम से सीख दी है, जो कि संसार में मौजूद हर चीज को संदेह की नजर से देखते हैं, उनके लिए श्री कृष्ण ने अपने विचारों में कहा है कि हमेशा संदेह और शक करने वाले व्यक्ति के लिए खुशी ना तो इस लोक मे हैं और ना ही कहीं और हैं, इसलिए मनुष्य को अपने संदेह की प्रवृत्ति छोड़ देना चाहिए।

इसके अलावा भी भगवान श्री कृष्ण के कई ऐसे सर्वश्रेष्ठ सुविचार हैं, जिन्हें अगर वास्तव में कोई व्यक्ति अपने जिंदगी में उतार ले, तो उसका जीवन सफल हो सकता है।

इसके साथ ही भगवान श्री कृष्णा के द्धारा बताए गए कई ऐसे उपदेश हैं जिन्हें अगर आप सोशल साइट्स पर शेयर करेंगे तो इससे आपके दोस्तों, मित्रों और करीबियों को भी अपने जीवन में सही मार्ग पर चलने की सीख मिलेगी।

Shree Krishna Status in Hindi

“अर्जुन, केवल भाग्यशाली योद्धा ही ऐसा युद्ध लड़ने का अवसर पाते हैं, जो स्वर्ग के द्वार के समान हैं।”

“भगवान या परमात्मा की शांति सिर्फ उनके साथ ही होती हैं, जिसके मन और आत्मा दोनों मे एकता हो, जो इच्छा और क्रोध से पूर्ण रुप से मुक्त हो एवं जो अपने अंदर की आत्मा को सही मायने मे जनता हो।”

“आनंद बस मन की एक स्थिति है जिसका बाहरी दुनिया से कोई नाता नहीं है।”

shree krishna photo with quotes

“जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता हैं, मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।”

“सुख का राज अपेक्षाए कम रखने में है।”

shree krishna speech

“सदैव संदेह करनेवाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में हैं ना ही कही और।”

“कोई भी उपहार/भेंट तभी अच्छी और पवित्र लगती हैं जब वह पूरी तरह दिल से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाए और जब उपहार देने वाला व्यक्ति उस उपहार के बदले में कुछ पाने का इच्छा बिल्कुल भी न करता हो।”

अगले पेज पर और भी…

31 thoughts on “श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार”

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Ye sab vichar mere andar bhare pade hain

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jai shree shyam………

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जय श्री कृष्ण | श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबन्ध.

Last Updated: September 11, 2023 By Gopal Mishra 29 Comments

जय श्री कृष्ण Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi

जय श्री कृष्ण

 श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

 shree krishna janmashtami essay in hindi.

यशोदा नंदन, देवकी पुत्र भारतीय समाज में कृष्ण के नाम से सदियों से पूजे जा रहे हैं। तार्किकता के धरातल पर कृष्ण एक ऐसा एकांकी नायक हैं, जिसमें जीवन के सभी पक्ष विद्यमान है। कृष्ण वो किताब हैं जिससे हमें ऐसी कई शिक्षाएं मिलती हैं जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हैं।

rummy gold

कृष्ण के जन्म से पहले ही उनकी मृत्यु का षड्‍यंत्र रचा जाना और कारावास जैसे नकारात्मक परिवेश में जन्म होना किसी त्रासदी से कम नही था । परन्तु विपरीत वातावरण के बावजूद नंदलाला , वासुदेव के पुत्र ने जीवन की सभी विधाओं को बहुत ही उत्साह से जिवंत किया है। श्री कृष्ण की संर्पूण जीवन कथा कई रूपों में दिखाई पङती है।

नटवरनागर श्री कृष्ण उस संर्पूणता के परिचायक हैं जिसमें मनुष्य, देवता, योगीराज तथा संत आदि सभी के गुणं समाहित है। समस्त शक्तियों के अधिपति युवा कृष्ण महाभारत में कर्म पर ही विश्वास करते हैं। कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। गोकुल का ग्वाला, बिरज का कान्हा धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों के मायाजाल से दूर मोह-माया के बंधनों से अलग है।

कंस हो या कौरव पांडव, दोनो ही निकट के रिश्ते फिर भी कृष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रस्तुत किया कि धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों की बजाय कर्तव्य को महत्व देना आवश्यक है। ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि कर्म प्रधान गीता के उपदेशों को यदि हम व्यवहार में अपना लें तो हम सब की चेतना भी कृष्ण सम विकसित हो सकती है।

holy rummy

कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है, जिसमें सृजन का संगीत है, आनंद है, अमृत है और रास है। तो दूसरी ओर शंख है, जिसमें युद्ध की वेदना है, गरल है तथा निरसता है। ये विरोधाभास ये समझाते हैं कि सुख है तो दुःख भी है।

यशोदा नंदन की कथा किसी द्वापर की कथा नही है, किसी ईश्वर का आख्यान नही है और ना ही किसी अवतार की लीला। वो तो यमुना के मैदान में बसने वाली भावात्मक रुह की पहचान है। यशोदा का नटखट लाल है तो कहीं द्रोपदी का रक्षक, गोपियों का मनमोहन तो कहीं सुदामा का मित्र। हर रिश्ते में रंगे कृष्ण का जीवन नवरस में समाया हुआ है।

माखन चोर, नंदकिशोर के जन्म दिवस पर मटकी फोङ प्रतियोगिता का आयोजन, खेल-खेल में समझा जाता है कि किस तरह स्वयं को संतुलित रखते हुए लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है; क्योंकि संतुलित और एकाग्रता का अभ्यास ही सुखमय जीवन का आधार है। सृजन के अधिपति, चक्रधारी मधुसूदन का जन्मदिवस उत्सव के रूप में मनाकर हम सभी में उत्साह का संचार होता है और जीवन के प्रति सृजन का नजरिया जीवन को खुशनुमा बना देता है।

“श्रीकृष्ण जिनका नाम है,

गोकुल जिनका धाम है!

ऐसे श्री भगवान को

बारम्बार प्रणाम है।”

 जन्माष्टमी की बधाई के साथ कलम को विराम देते हैं।

जय श्री कृष्णा

Anita Sharma Voice For Blind

अनिता जी दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं। उनके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें –  नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनिता शर्मा और  उनसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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We are grateful to  Anita Ji  for sharing this   Shree Krishna Janmashtami Essay in Hindi.

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speech on krishna in hindi

September 4, 2018 at 1:58 am

Aap ne yeh chotey se nibandh maye sri krishna ko jis tarah se sanjoya haye woh mujhe GAGAR MAY SAGAR jayese lagta haye. Aap ka bhut bhut dhanyawad.

speech on krishna in hindi

September 2, 2018 at 6:33 pm

Achikhabar website ak bahut achhi website hai padai me muje nibandh me bahut kam me aayi hai

Thanks achikhabar Prashant,

speech on krishna in hindi

August 15, 2017 at 9:16 am

जय श्री कृष्ण…

श्री कृष्ण के कदम आपके घर आए, आप खुशियों के दीप जलाएं, परेशानी आपसे आंख चुराए, कृष्ण जन्मोत्सव की आपको शुभकामनायें Happy Janmashatmi, Best Wishes from :- acchitips.com

speech on krishna in hindi

August 12, 2017 at 8:06 pm

कृष्ण नाम जितना छोटा है उनका व्यक्तित्व उतना ही विशाल | आपने सही कहा माखन चोर और योगेश्वर वो दोनों ही विरोधाभासों में संतुलन बना लेते हैं , फिर क्यों मन श्री कृष्ण की भक्ति के रंग में रंग जाए | जन्माष्टमी के सुअवसर पर आपके इस भक्ति रस से परिपूर्ण लेख के लिए धन्यवाद |

speech on krishna in hindi

August 26, 2016 at 8:51 am

B’happy makhanchor

speech on krishna in hindi

August 26, 2016 at 1:32 am

Happy birthday kanhiya

speech on krishna in hindi

September 2, 2018 at 9:56 pm

Bohot hi badhiya nibandh tha bhai. Shri krishna ji ke chamtkarik leela ko jankar bohot accha lagta hai.

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speech on krishna in hindi

भगवान श्री कृष्ण का संदेश Shri Krishna Story in Hindi

Shri krishna inspirational story in hindi.

श्री कृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके जीवन की हर एक घटना एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है, चाहे बचपन की रास लीला हो या गीता का ज्ञान या फिर महाभारत का युद्ध, भगवान श्री कृष्ण के जीवन का हर एक पल मानव जाति के लिए एक शिक्षा है।

यूँ तो महाभारत की पूरी कथा हम सभी जानते हैं और किताबों में काफी पढ़ भी चुके हैं, इसके आलावा टीवी पर भी अक्सर आप लोग महाभारत देख चुके होंगे। महाभारत के युद्ध की एक घटना है जो मुझे बहुत ज्यादा प्रेरित करती है और मुझे उम्मीद है आप लोग भी इसे काफी एन्जॉय करेंगे और हाँ, कहानी को केवल पढ़ के मत छोड़ देना क्यूंकि इससे मिलने वाला सन्देश आपका जीवन बदल सकता है।

श्री कृष्णा और भीष्म पितामह वार्तालाप –

श्री कृष्ण ने अपनी पूरी सेना दुर्योधन को सौंप दी थी और स्वयं पाण्डवों की तरफ से युद्ध का आगाज कर रहे थे। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से वादा किया था कि वह युद्ध में हथियार नहीं उठाएँगे और निहत्थे ही पाण्डवों को विजयी बनायेंगे।

युद्ध के नौवें दिन कौरवों के सेनापति भीष्म पितामह में चारों तरफ कहर बरपा रखा था। वो अकेले ही पूरी पांडव सेना पर भारी पड़ रहे थे। भीष्म पितामह अपने वचन और प्रतिज्ञा पर अडिग रहने के लिए जाने जाते थे। उनका मानना था कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने की है उसे प्राण देकर भी निभाना है। एक तरफ श्री कृष्ण अपने निहत्थे रहने के वचन से बंधे थे लेकिन वहीं भीष्म पितामह पांडव सेना पर आग उगल रहे थे ऐसा लग रहा था मानो कुछ क्षण में ही भीष्म पांडवों को हरा देंगे।

lord shri krishna mahabharat yuddha

श्री कृष्ण शांति पूर्वक सब कुछ देख रहे थे वो जानते थे कि अर्जुन भीष्म का मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन उन्होंने अर्जुन से वादा किया था कि वह पांडवों को ही विजयी बनाएंगे। वहीँ महाबलशाली भीष्म पांडवों का तहस नहस करने में लगे थे, यही सोचकर श्री कृष्ण ने भीष्म पितामह को रोकने के लिए रथ का पहिया उठा लिया। लेकिन भीष्म जानते थे कि श्री कृष्ण भगवान हैं इसीलिए उन्होने मुस्कुराते हुए अपने धनुष बाण एक ओर रख दिए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए।

भीष्म पितामह – भगवन आपने तो युद्ध में कोई शस्त्र ना उठाने का वादा किया था, और आप तो भगवान हैं आप अपना वादा कैसे तोड़ सकते हैं।

श्री कृष्ण – हे भीष्म, आप तो खुद ज्ञानी हैं। आप कभी अपना वचन या प्रतिज्ञा नहीं तोड़ते इसीलिए आपका नाम भीष्म पड़ा। लेकिन शायद आप नहीं जानते कि धर्म और सत्य की रक्षा करना, आपकी प्रतिज्ञा से ज्यादा बढ़कर है। आप अपनी प्रतिज्ञा और वचन पर अटल हैं लेकिन अपनी प्रतिज्ञा निभाने के चक्कर में अधर्म का साथ दे रहे हैं। याद रहे, जब जब दुनियाँ में धर्म का नाश होगा तब तब मैं इस धरती पर अधर्म का नाश करने अवतरित होता रहूँगा। तुम एक इंसान होकर अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ पाये और अधर्म का साथ दे रहे हो लेकिन मैं भगवान होकर भी धर्म की रक्षा के लिए अपनी प्रतिज्ञा तोड़ रहा हूँ। अगर मेरी किसी प्रतिज्ञा या वचन की वजह से धर्म और सत्य पर कोई आंच आती है तो मेरे लिए वो प्रतिज्ञा कोई मायने नहीं रखती है और मैं धर्म के लिए ऐसी हजारों प्रतिज्ञा तोड़ने के लिए तैयार हूँ। अगर आपके सामने धर्म का नाश हो रहा हो और आप कुछ नहीं कर रहे तो भी आप पाप के भागी हैं|

श्री कृष्ण का ये सन्देश दिल पर बहुत गहरी छाप छोड़ता है। दोस्तों सत्य की रक्षा हमारे हर स्वार्थ, हर वचन और हर मज़बूरी से बढ़ कर है यही इस कहानी की शिक्षा है। – जय श्री कृष्णा

इन लेखों को भी पढ़ें – श्री कृष्ण के मनमोहक चित्र श्रीमद भगवत गीता के श्लोक अर्थ सहित गीता के उपदेश

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श्रीकृष्ण के प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक और मंत्र अर्थ सहित

श्री कृष्ण को उनके भक्त कई नामों से पुकारते हैं, जिनमें नंदलाल कन्हैया, माखनचोर, गोपाल आदि प्रमुख है। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण का कलयुग में महात्म्य और बढ़ने वाला है।

उनके मुख से निकली गीता के सभी श्लोक हमें जीवन दर्शन का अनुभव कराते है। गीता को दुनिया में सबसे अधिक आध्यात्मिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है।

shree krishna sanskrit shlok with hindi meaning

यहां पर हम श्री कृष्ण श्लोक अर्थ सहित (krishna shlok) और krishna shlok शेयर करने जा रहे हैं। इन कृष्ण संस्कृत श्लोक (Krishna Sanskrit Shlok) को पढ़ने के बाद आप श्री कृष्ण को और अधिक समझ सकेंगे।

श्री कृष्ण मंत्र (Krishna Mantra in Sanskrit)

भगवान श्रीकृष्ण को हिन्दू मान्यताओं के अनुसार विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण के भक्त भारत ही नहीं पूरे विश्व में फैले हुए है।

भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं की, जिनसे आज हर कोई परिचित है, उन्होंने कई ऐसे कार्य किये, जिनसे भक्तों के लिए सन्देश का काम करते हैं।

भगवान कृष्ण मंत्र संस्कृत का सही उच्चारण करने से जीवन के कई कष्ट दूर होते हैं, जीवन खुशियों से भर जाता है। यहां पर हम श्री कृष्ण मंत्र इन संस्कृत (krishna mantra in sanskrit) के बारे में जानेंगे।

इन मंत्रों से जीवन में ऐश्वर्य, धन-सम्पति और ज्ञान की प्राप्ति होती है। चलिए श्री कृष्ण मंत्र अर्थ सहित जानते हैं:

ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: इस मंत्र का जप करने से हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। अर्थात यह सिद्धि का महामंत्र है।

गोकुल नाथाय नमः इस मंत्र में कुल 8 अक्षर है, जो भी इस मंत्र का सही उच्चारण करता है, उसका जीवन आनंदमय हो जाता है और उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती है।

ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा यह एक असाधारण मंत्र है, जो भगवान श्री कृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है। ऐसा माना जाता है कि इस महामंत्र का पांच लाख जाप करने से ही यह सिद्ध हो पाता है जबकि अन्य मंत्र 108 बार जाप करने से सिद्ध हो जाते हैं।

कृं कृष्णाय नमः श्री कृष्ण के मूल मंत्रों में से यह एक मूल मंत्र है। इस मंत्र का सही और दैनिक उच्चारण करने से जीवन में अटके हुए धन की प्राप्ति होती है।

ओम क्लीम कृष्णाय नमः यह मंत्र एक ऐसा मंत्र है, जिसे नियमों के अनुसार जपना होता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से जीवन के सभी वैभव प्राप्त होते हैं और जीवन सफलता से भर जाता है। यदि आपके जीवन में अधिक समस्याएँ है तो इसके जाप करने से वह दूर हो जाती है।

कृष्ण सदा सहायते श्लोक

ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात इस मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति बनी रहती है। जीवन के सभी दुःख दूर हो जाते हैं। हर समय ख़ुशी का माहौल बना रहता है।

ऊं गोवल्लभाय स्वाहा। यह एक चमत्कारी मंत्र है। इसके जपने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हर कार्य में सफलता मिलती है और वाणी में मधुरता आती है।

ऊं क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम: इस मंत्र का जप करने से सभी आर्थिक संकट कट जाते हैं और जीवन सुखी हो जाता है।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा श्री कृष्ण के भक्त इस मंत्र का उच्चारण जरुर करते हैं। इसका उच्चारण करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है और जीवन सुखमय हो जाता है।

हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे यह मंत्र भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रसिद्ध मंत्र है, जो 16 शब्दों का वैष्णव मंत्र है। यह एक दिव्य मंत्र है, जिसका कोई भी जाप करता है तो वह कृष्ण भक्ति में लीन हो जाता है।

श्री कृष्ण श्लोक अर्थ सहित (Krishna Shlok in Sanskrit)

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। भावार्थ: मैं वासुदेवानंदन जगद्गुरु श्री कृष्ण चंद्र को नमन करता हूं, जिन्होंने कंस और चानूर को मार डाला, देवकी का आशीर्वाद।

राधा कृष्ण मंत्र इन संस्कृत

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्रीराधारानी वृंदावन की स्वामिनी हैं और श्री कृष्ण वृन्दावन के स्वामी, मेरे जीवन का-शोक श्रीराधा-कृष्ण के सहायक में हो।

krishna shlok

shri krishna shlok

अतः सत्यं यतो धर्मो मतो हीरार्जवं यतः। ततो भवति गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः।। भावार्थ: जहां सत्य, धर्म, लज्जा और सरलता का वास है वहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं और जहां श्रीकृष्ण निवास करते हैं, वहां विजय का वास होता है।

पृथिवीं चान्तरिक्षं च दिवं च पुरुषोत्तमः। विचेष्टयति भूतात्मा क्रीडन्निव जनार्दनः।। भावार्थ: वे सर्वंतरीमी पुरुषोत्तम जनार्दन हैं, मानो वे खेल के माध्यम से पृथ्वी, आकाश और स्वर्गीय दुनिया को प्रेरित कर रहे हैं।

krishna sloka in sanskrit

कालचक्रं जगच्चक्रं युगचक्रं च केशवः। आत्मयोगेन भगवान् परिवर्तयतेऽनिशम्।। भावार्थ: यह श्रीकेशव ही है जो अपनी चिचचक्‍ति से हरणिश कालचक्र, जगचक्र और युग-चक्र को घुमाता रहता है।

कालस्य च हि मृत्योश्च जङ्गमस्थावरस्य च। ईष्टे हि भगवानेकः सत्यमेतद् ब्रवीमि ते।। भावार्थ: मैं सत्य कहता हूँ – वही काल, मृत्यु और समस्त चल-अचल जगत का स्वामी है और अपनी माया से संसार को वश में रखता है।

krishna shlok

यह भी पढ़े: श्रीकृष्ण की सम्पूर्ण लीला (जन्म से मृत्यु तक)

sanskrit shlok on krishna

तेन वंचयते लोकान् मायायोगेन केशवः। ये तमेव प्रपद्यन्ते न ते मुह्यन्ति मानवाः।। भावार्थ: जो केवल उसकी शरण लेते हैं, वे प्रेम में नहीं पड़ते।

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीविजयो भूतिधुंवा नीतिर्मतिर्मम।। भावार्थ: जहां योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं और जहां गांदिवंधरी अर्जुन हैं, वहीं श्री, विजय, विभूति और निचल नीति है – यह मेरा मत है।

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत।। भावार्थ: कहा गया है कि आत्मा को कोई हथियार नहीं काट सकता, आग नहीं जल सकती, पानी सोख नहीं सकता, हवा उसे सुखा नहीं सकती। श्री कृष्ण ने अरुण से कहा कि शरीर बदलता रहता है, कभी नहीं मरता। किसी को नहीं मरना चाहिए।

krishna shlok in sanskrit

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। भावार्थ: इस श्लोक में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है। इसलिए कर्म के फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। इस श्लोक में कर्म का महत्व समझाया गया है। हमें केवल कर्म पर ध्यान देना चाहिए। यानी अपना काम पूरी ईमानदारी से करें और गलत कामों से बचें। (श्लोक 47, द्वितीय अध्याय)

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। भावार्थ: श्री कृष्ण कहते हैं कि जब भी ब्रह्मांड में धर्म की हानि होती है, अर्थात अधर्म बढ़ता है, तब मैं धर्म की स्थापना के लिए अवतार लेता हूं। जो अधर्म करते हैं, भगवान उनका नाश करते हैं, इसलिए धर्म के अनुसार आचरण करना चाहिए।

krishna shlok

हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो… हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्। तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:।। भावार्थ: भावार्थ: हे अर्जुन तुम युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो जाओगे तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और युद्ध विजय कर लोगे तो धरती का सुख प्राप्त होगा।। इसलिए उठो हे अर्जुन उठो और निश्चय रूप से युद्ध करो। (श्लोक 37, द्वितीय अध्याय)

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कृष्ण प्रेम श्लोक संस्कृत

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।। भावार्थ: क्रोध करने से व्यक्ति की बुद्धि मर जाती है अर्थात मूढ़ हो जाती है। इस कारण उसकी स्मृति भ्रमित होती है। इससे पूर्ण बुद्धि समाप्त हो जाती है। बुद्धि नष्ट होने से व्यक्ति खुद का ही नाश कर देता है। (श्लोक 63, द्वितीय अध्याय)

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।। भावार्थ: उनके होठ मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, मुस्कान मधुर है, हृदय मधुर है, चाल मधुर है, उनकी सभी वस्तुएं मधुर है, यह मधुरता के सम्राट है।

कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्री राधारी श्रीकृष्ण में हैं और श्रीकृष्ण श्री राधारा में रमन हैं, मेरे जीवन का दर्शन श्री राधा-कृष्ण के रूप में है।

कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: भगवान श्रीकृष्ण की पूरी संपत्ति श्री राधारानी है और श्री राधारानी की पूरी संपत्ति श्रीकृष्ण हैं, इसलिए मेरे जीवन का हर पल श्री राधा-कृष्ण की शरण में बिताना चाहिए।

कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: भगवान श्रीकृष्ण का जीवन श्री राधारानी के हृदय में और श्री राधारानी का जीवन भगवान श्रीकृष्ण के हृदय में निवास करता है, इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्री राधा-कृष्ण की शरण में व्यतीत करना चाहिए।

krishna shlok in hindi

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:।। भावार्थ: हे अर्जुन! तुम हर आश्रय को त्याग कर अर्थात सभी धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आ जाओ। मैं (श्री कृष्ण) तुम्हे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो। (श्लोक 66, अठारहवां अध्याय)

कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्री राधारानी श्रीकृष्ण के नाम से प्रसन्न होती हैं और श्री राधारानी के नाम से जुड़ी होती हैं, मानो मेरा जीवन श्री राधा-कृष्ण के रूप में शोकग्रस्त हो गया।

कृष्ण श्लोक संस्कृत

कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्री राधारानी भगवान श्रीकृष्ण के शरीर में और भगवान श्रीकृष्ण श्री राधारानी के शरीर में निवास करते हैं, इसलिए मेरे जीवन का हर क्षण श्री राधा-कृष्ण की शरण में व्यतीत होना चाहिए।

कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्री राधारानी के मन में भगवान श्रीकृष्ण निवास करते हैं और श्री राधारानी भगवान श्रीकृष्ण के मन में निवास करते हैं, इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्री राधा-कृष्ण की शरण में व्यतीत करना चाहिए।

यह भी पढ़े: भगवत गीता के उपदेश

कृष्णा श्लोक

नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।। भावार्थ: श्री राधारानी नीलावर्ण का वस्त्र वर्ण और श्री कृष्णवर्ण का वस्त्र निगम श्रीराधा-कृष्ण वस्त्र, श्रीराधा-कृष्ण के वस्त्र क्षेत्र के क्षेत्र में हैं।

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।। भावार्थ: मैं देवकी के आनंदवर्धन, वासुदेवानंदन जगद्गुरु श्री कृष्ण चंद्र की पूजा करता हूं, जिन्होंने कंस और चानूर का वध किया था।

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति।। भावार्थ: अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले व्यक्ति, श्रद्धा रखने वाले व्यक्ति, साधन पारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त करते हैं। फिर जब ज्ञान की प्राप्ती हो जाती है तो जल्दी ही परम शांति को प्राप्त हो जाते हैं। (श्लोक 39, चतुर्थ अध्याय)

krishna shloka in sanskrit

महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं, सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम। कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं।। भावार्थ: जिसके पास राजसी जाल है, जिसने शुद्ध वनमाला धारण की है, कौन मलका का अपहरण करता है, जिसके पास सुन्दर ढाल है, कौन गोपाल है, जो बाल-हत्यारा है, जिसका मुख चन्द्रमा जैसा है, वह कौन है? सर्वथा कालातीत काल है, जो अपनी सुन्दर गति से हंस भी है। वह विजेता है, मूर दानव का शत्रु है, हे उस परमानंद गोविंद की सदा पूजा करो।

कृष्ण गोविंद हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे। अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।। भावार्थ: हे कृष्ण, हे गोविंदा, हे राम, हे नारायण, हे रामनाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे वैभव, हे अच्युत, हे अनंत, हे माधव, हे अधोक्षजा (उत्कृष्ट), हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदी के रक्षक, दया करो मुझे पर।

श्री कृष्ण वंदना श्लोक

वन्दे नव घनश्यामं पीत कौशेयवससम। सानंदम सुंदरम शुद्धं श्रीकृष्णं प्रकृते परम।।

श्री कृष्ण स्तुति इन संस्कृत

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे।। भावार्थ: जो पुरुष सीधे साधे होते उन के लिए कल्याण के लिए और जो पापी होते हैं, उनके विनाश के लिए, धर्म की स्थापना के लिए, मैं (भगवान श्री कृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं। (श्लोक 8, चतुर्थ अध्याय)

कस्तुरी तिलकम ललाट पटले, वक्षस्थले कौस्तुभम। नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम।। सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि। गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी।। मूकं करोति वाचालं, पंगुं लंघयते गिरिम्‌। यत्कृपा तमहं, वन्दे परमानन्द माधवम्‌।।

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Rahul Singh Tanwar

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रामकृष्ण परमहंस के चमत्कार

16 अगस्त रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि के दिन के रूप में मनाया जाता है। रामकृष्ण परमहंस के चमत्कार की बारे में बात करें, तो उनका पूरा जीवन ही माँ काली की भक्ति का चमत्कार था। पर फिर वे भक्ति से आगे निकल गए थे। काली भक्ति से परे जाकर वे परमात्मा में लीन कैसे हुए थे? जानें सद्गुरु से।

रामकृष्ण परमहंस के चमत्कार

16 अगस्त रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस कथा में सद्‌गुरु हमें रामकृष्ण परमहंस की एक महान योगी तोतापुरी से मुलाकात और उनके आत्म-ज्ञान पाने की कथा के बारे में बता रहे हैं।

रामकृष्ण परमहंस ने अपना ज्यादातर जीवन एक परम भक्त की तरह बिताया। वह काली के भक्त थे। उनके लिए काली कोई देवी नहीं थीं, वह एक जीवित हकीकत थी। काली उनके सामने नाचती थीं, उनके हाथों से खाती थीं, उनके बुलाने पर आती थीं और उन्हें आनंदविभोर छोड़ जाती थीं। यह वास्तव में होता था, यह घटना वाकई होती थी। उन्हें कोई मतिभ्रम नहीं था, वह वाकई काली को खाना खिलाते थे।

एक दिन, रामकृष्ण हुगली नदी के तट पर बैठे थे, जब एक महान और दुर्लभ योगी तोतापुरी उसी रास्ते से निकले। तोतापुरी जैसे योगी हमारे देश में बहुत कम हुए हैं। तोतापुरी ने देखा कि रामकृष्ण में इतनी तीव्रता और संभावना है कि परम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मगर समस्या यह थी कि वह सिर्फ अपनी भक्ति में डूबे हुए थे।

तोतापुरी रामकृष्ण के पास आए और उन्हें समझाने की कोशिश की, ‘आप क्यों सिर्फ अपनी भक्ति में ही इतने लीन हैं? आपके अंदर इतनी क्षमता है कि चरम को छू सकते हैं।’ रामकृष्ण बोले, ‘मैं सिर्फ काली को चाहता हूं, बस।’ वह एक बच्चे की तरह थे जो सिर्फ अपनी मां को चाहता था। इससे बहस करना संभव नहीं था। यह बिल्कुल भिन्न अवस्था होती है। रामकृष्ण काली को समर्पित थे और उनकी दिलचस्पी सिर्फ काली में थी। जब वह उनके भीतर प्रबल होतीं, तो वह आनंदविभोर हो जाते और नाचना-गाना शुरू कर देते। जब वह थोड़े मंद होते और काली से उनका संपर्क टूट जाता, तो वह किसी शिशु की तरह रोना शुरू कर देते। वह ऐसे ही थे। इसलिए तोतापुरी जिस परमज्ञान की बात कर रहे थे, उन सब में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। तोतापुरी ने कई तरीके से उन्हें समझाने की कोशिश की मगर रामकृष्ण समझने के लिए तैयार नहीं थे। साथ ही, वह तोतापुरी के सामने बैठना भी चाहते थे क्योंकि तोतापुरी की मौजूदगी ही कुछ ऐसी थी।

तोतापुरी ने देखा कि रामकृष्ण इसी तरह अपनी भक्ति में लगे हुए हैं। फिर वह बोले, ‘यह बहुत आसान है। फिलहाल आप अपनी भावनाओं को शक्तिशाली बना रहे हैं, अपने शरीर को समर्थ बना रहे हैं, अपने भीतर के रसायन को शक्तिशाली बना रहे हैं। लेकिन आप अपनी जागरूकता को शक्ति नहीं दे रहे। आपके पास जरूरी ऊर्जा है मगर आपको सिर्फ अपनी जागरूकता को सक्षम बनाना है।’

रामकृष्ण मान गए और बोले, ‘ठीक है, मैं अपनी जागरूकता को और शक्तिशाली बनाउंगा और अपनी पूरी जागरूकता में बैठूंगा।’

मगर जिस पल उन्हें काली के दर्शन होते, वह फिर से प्रेम और परमानंद की बेकाबू अवस्था में पहुंच जाते। वह चाहे कितनी भी बार बैठते, काली को देखते ही उड़ने लगते।

फिर तोतापुरी बोले, ‘अगली बार जब भी काली दिखें, आपको एक तलवार लेकर उनके टुकड़े करने हैं।’ रामकृष्ण ने पूछा, ‘मुझे तलवार कहां से मिलेगी?’ तोतापुरी ने जवाब दिया, ‘वहीं से, जहां से आप काली को लाते हैं।

रामकृष्ण बैठे। मगर जैसे ही काली आईं, वह परमानंद में डूब गए और तलवार, जागरूकता के बारे में सब कुछ भूल गए।

फिर तोतापुरी ने उनसे कहा, ‘इस बार जैसे ही काली आएंगी...’ उन्होंने शीशे का एक टुकड़ा उठाते हुए कहा, ‘शीशे के इस टुकड़े से मैं आपको वहां पर काटूंगा, जहां पर आप फंसे हुए हैं। जब मैं उस जगह को काटूंगा, तब आप तलवार तैयार करके काली को काट दीजिएगा।’

रामकृष्ण फिर से बैठे और ठीक जिस समय रामकृष्ण परमानंद में डूबने ही वाले थे, जब उन्हें काली के दर्शन हुए, उसी समय तोतापुरी ने शीशे के उस टुकड़े से रामकृष्ण के माथे पर एक गहरा चीरा लगा दिया।

उसी समय, रामकृष्ण ने अपनी कल्पना में तलवार बनाई और काली के टुकड़े कर दिए, इस तरह वह मां और मां से मिलने वाले परमानंद से मुक्त हो गए। अब वह वास्तव में एक परमहंस और पूर्ण ज्ञानी बन गए। उस समय तक वह एक प्रेमी थे, भक्त थे, उस देवी मां के बालक थे, जिन्हें उन्होंने खुद उत्पन्न किया था।

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जन्माष्टमी पर भाषण 2023-24 Krishna Janmashtami Speech in Hindi, English & Gujarati for students

Krishna Janmashtami Speech in Hindi

Krishna Janmashtami 2023: भारत में कृष्णा जन्माष्टमी पर्व का बहुत महत्व है| यह हिन्दू धर्म का त्यौहार है| यह पर्व भगवान् कृष्ण के जन्मोत्सव पर मनाया जाता है| उन्होंने धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था वे मानव जीवन को बचाने के लिए और मानव के दुखों को दूर कर सकते हैं। इस पर्व पर बहुत से हिन्दू धर्म के अनुयाई व्रत रखते है ताकि वे भगवान् कृष्ण को प्रसन्न कर सके| इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे – कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री कृष्णा जयंती आदि।

आज के इस पोस्ट में हम आपको श्री कृष्ण पर निबंध, जन्माष्टमी इन हिंदी, जन्माष्टमी का त्योहार, जन्माष्टमी स्पीच, जन्माष्टमी का महत्व, जन्माष्टमी निबंध मराठी, आदि की जानकारी आदि की जानकारी इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये भाषण खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है

Janmashtami Speech in Hindi

सभी जातियां अपने महापुरुषों का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से मनाती आई हैं । हिन्दुओं के महापुरुष भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म दिवस भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है । कृष्ण के भक्त उनका जन्म दिवस सहस्त्रों वर्षों से मनाते आ रहे हैं । वर्तमान समय में इनकी महिमा और बढ़ी है । भारतीय ही नहीं, विदेशी भी कृष्णभक्त हैं और विदेशों में कृष्णदेवालय स्थापित किए जा रहे हैं । दिन-प्रतिदिन उनके भक्तों की संख्या बढ़ रही है । आज से लगभग पाँच सहस्त्र वर्ष पूर्व कृष्ण का जन्म हुआ था । मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था । उसकी प्राणों से प्रिय एक बहन देवकी थी । देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ । अपनी बहन का रथ हांककर वह स्वयं अपनी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था । तभी अकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा । इतना सुनते ही उसने रथ को वापिस मोड़ लिया तथा देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया । एक-एक करके उसने देवकी की सात सन्तानों की हत्या कर डाली । धरती को कंस जैसे पापी के पापों के भार से मुक्त करने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की गहन अन्धेरी रात में हुआ । कारागार के द्वार स्वत: खुल गए । वसुदेव ने मौके का फायदा उठाया और उसे अपने मित्र नन्द के यहाँ छोड़ आए । कंस को किसी तरह उसके जीवित होने का संदेश मिल गया । उसने श्रीकृष्ण को मारने के अनेक असफल प्रयास किए और स्वयं काल का ग्रास बन गया । बाद में श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता को मुक्त कराया । जन्माष्टमी के दिन प्रात: काल लोग अपने घरों को साफ करके मन्दिरों में धूप और दीये जलाते हैं । इस दिन लोग उपवास भी रखते हैं । मन्दिरों में सुबह से ही कीर्तन, पूजा पाठ, यज्ञ, वेदपाठ, कृष्ण लीला आदि प्रारम्भ होते हैं । जो अर्द्धरात्रि तक चलते हैं । ठीक 12 बजे चन्द्रमा के दर्शन साथ ही मन्दिर शंख और घड़ियाल की ध्वनि से गूंज उठता हैं, आरती के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है । लोग उस प्रसाद को खाकर अपना व्रत तोड़तें है और अपने घर आकर भोजन इत्यादि करते हैं । जन्माष्टमी पर मन्दिर चार-पांच दिन पहले से ही सजने प्रारम्भ हो जाते हैं । इस दिन मन्दिरों की शोभा अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है । बिजली से जलने वाले रंगीन बल्बों से मन्दिरों को सजाया जाता है । जगह-जगह पर झाकियां निकलती हैं जो गली, मोहल्लों और दुकानों से होती हुई मंदिरों तक पहुँचती हैं । मन्दिरों में देवकी-वसुदेव-कारागार कृष्ण हिण्डोला विशेष आकर्षण के केन्द्र होते हैं । सभी भक्तगण हिण्डोले में रखी कृष्ण प्रतिमा को झुलाकर जाते हैं । श्रीकृष्ण के जन्म-स्थल मथुरा और वृन्दावन में मन्दिरों की शोभा अद्वितीय होती है । भक्तगणों का सुबह से तांता लगा रहता है । जो अर्धरात्रि तक थामे नहीं थमता । इस दिन समाज सेवक भी मन्दिरों में आकर कार्य में हाथ बंटाते हैं । इस दिन मन्दिरों में इतनी भीड़ हो जाती हैं कि लोगों को पंक्तियों में खड़े होकर भगवान के दर्शन करने पड़ते हैं । सुरक्षा की दृष्टि से मन्दिर के बाहर पुलिस के कुछ जवान तैनात रहते हैं । श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व में उनके गुण थे, जिसके कारण वह हिन्दुओं के महानायक बने-उन्होंने गरीब मित्र सुदामा से मित्रता निभाई, दुराचारी शिशुपाल का वध किया, पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आने वाले अतिथियों के पैर धोए और जूठी पत्तलें उठाईं, महाभारत के युद्ध में अपने स्वजनों को देखकर विमुख अर्जुन को आत्मा की अमरता का संदेश दिया, जो हिन्दुओं का धार्मिक ग्रंथ ‘श्रीमद्‌भगवतगीता’ बना । यही ग्रंथ आज दार्शनिक परम्परा की आधारशिला है । उन्हीं श्रीकृष्ण की प्रशंसा में ‘भगवत् पुराण’ अनेक नाटक और लोकगीत लिखे गए जो आज भी मन्दिरों में गाये जाते हैं । श्रीकृष्ण का चरित्र हमें लौकिक और आध्यात्मिक शिक्षा देता है । गीता में उन्होंने स्वयं कहा है कि व्यक्ति को मात्र कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए । ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ निष्काम कर्म व्यक्ति को कर्मठ बनाता है । फल प्राप्ति की भावना से उठकर वह देवत्व को प्राप्त कर देवमय ही हो जाता है ।

Speech on Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी 2023: कृष्णा जन्मणाष्टमी एक धार्मिक पर्व है जो की हर साल आता है| इस वर्ष यह पर्व 7 सितम्बर को सोमवार के दिन है| इस दिन पूरे भारत के हिन्दू धर्म के अनुयाई कृष्ण की मूर्ती पर अन्य प्रकार के मिष्ठान का भोग लगाते है| आइये अब हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण, जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में , krishna janmashtami speech, janmashtami speech for students in hindi, shri krishna janmashtami speech in hindi, जन्माष्टमी पर स्पीच, जन्माष्टमी पर कविता , janmashtami speech in school, Janmashtami Nibandh in Gujarati , speech on janmashtami in school, कृष्ण जन्माष्टमी फोटो , short speech on janmashtami in english, Janmashtami Quotes in Hindi , स्पीच व जन्माष्टमी, Krishna Janmashtami Whatsapp Status , स्पीच ओं जन्माष्टमी इन स्कूल, स्पीच ों जन्माष्टमी, जन्माष्टमी स्पीच इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स, आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, गुजराती, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection जिसे आप अपने अध्यापक, मैडम, mam, सर, बॉस, माता, पिता, आई, बाबा, sir, madam, teachers, boss, principal, parents, master, relative, friends & family whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|साथ ही आप Anchoring Script for Janmashtami Celebration in Hindi भी देख सकते हैं| आप सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

कृष्णा जन्माष्टमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा हर साल मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान कृष्ण की जयंती या जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के भगवान हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर एक मानव के रूप में जन्म लिया था ताकि वह मानव जीवन की रक्षा कर सकें और अपने भक्तों के दुख दूर कर सके। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। भगवान कृष्ण को गोविंद, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल और लगभग 108 नामों से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को प्राचीन समय से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उनकी विभिन्न भूमिकाओं और शिक्षाओं (जैसे भगवद गीता) के लिए पूजा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी (8 वें दिन) को कृष्ण पक्ष में श्रावण महीने के अंधेरी आधी रात में हुआ था। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के लिए इस धरती पर जन्म लिया और शिक्षक, संरक्षक, दार्शनिक, भगवान, प्रेमी, के रूप विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। हिंदू लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार के कृष्ण के रुपों की पूजा करते हैं। उनके हाथों एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का पंख रहता है। कृष्ण अपनी रासलीलाओं और अन्य गतिविधियों के लिए अपने मानव जन्म के दौरान बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के साथ-साथ कई एनी देशों में भी हर साल अगस्त या सितंबर के माह में बड़े उत्साह, तैयारी और खुशी के साथ जन्माष्टमी मनाते हैं। पूर्ण भक्ति, आनन्द और समर्पण के साथ लोग जन्माष्टमी (जिसे सटम आथम, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती आदि कहते हैं) का जश्न मनाते हैं। यह भद्रप्रद माह में आठवें दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और भगवान कृष्ण के भक्ति में भव्य उत्सव के लिए दहीहंडी, रास लीला और अन्य समाहरोह का आयोजन करते हैं। इस वर्ष भी सभी वर्षों की तरह पूरे भारत के साथ-साथ ही विदेशों में भी कृष्णा जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की जन्मगांठ) को लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाएंगे। जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता है, हर दंपति चाहता है कि सारे जीवन के लिए उनका एक अनूठा बच्चा हो, हालांकि, सभी जोड़े इस आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं, किसी को जल्दी हो जाता है और किसी को प्राकृतिक कारणों के कारण बाद में होता है। मातृत्व के विशेष उपहार के लिए सभी विवाहित महिलाएं कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखती है। यह माना जाता है जो इस दिन पूर्ण विश्वास के साथ व्रत पूजा करते हैं, वास्तव में एक शिशु का आशीर्वाद उन्हें जल्द ही प्राप्त होता हैं। कुछ अविवाहित महिलायें भी भविष्य में एक अच्छा वर और बच्चा पाने के लिए इस दिन उपवास रखतीं हैं। पति और पत्नी दोनों द्वारा उपवास और पूर्ण भक्ति के साथ पूजा अधिक प्रभावकारी होता है। लोग सूर्योदय से पहले सुबह उठते हैं, एक अनुष्ठान स्नान करते हैं, नए और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर तैयार होते हैं और ईष्ट देव के सामने पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। वे पूजा करने के लिए भगवान कृष्ण के मंदिर में जाते हैं और प्रसाद, धूप, बत्ती घी दीया, अक्षत, कुछ तुलसी के पत्ते, फूल, भोग और चंदन चढ़ाते हैं। वे भक्ति गीतों और संतान गोपाल मंत्र गाते हैं। अंत में, वे भगवान कृष्ण की मूर्ति की आरती कपूर या घी दीया से करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। लोग अंधेरी आधी रात से भगवान के जन्म समय तक पूरे दिन के लिए उपवास रखते हैं। कुछ लोग जन्म और पूजा के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं लेकिन कुछ लोग सूर्योदय के बाद सुबह में अपना उपवास तोड़ते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के बाद भक्ति और पारंपरिक गीत और प्रार्थनाएं गाते हैं। राजा कंस के अन्याय से लोगों को रोकने के लिए भगवान कृष्ण ने द्वापार युग में जन्म लिया था। ऐसा माना जाता है कि अगर हम पूरी भक्ति, समर्पण, और विश्वास से प्रार्थना करते हैं तो वो हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनते हैं। वह हमारे सभी पापों और दुखों को भी मिटा देते हैंऔर हमेशा मानवता की रक्षा करते हैं।

Speech on Krishna Janmashtami

Speech on Janmashtami in Hindi

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – जन्माष्टमी का पावन पर्व योगीराज श्रीकृष्ण के जन्म देसी महीने की भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है । श्रीकृष्ण मथुरा राज्य के सामंत वासुदेव- देवकी की आठवीं संतान थे । एक आकाशवाणी सुनकर कि वासुदेव- देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाला बालक ही अत्याचारी और नृशंस राजकुमार कंस की मृत्यु का कारण बनेगा, भयभीत कंस ने उन्हें काल- कोठरी में बंद कर दिया । वहां जन्म लेने वाली देवकी की सात संतानों को तो कंस ने मार दिया, लेकिन आठवीं संतान को अपने शुभचिंतकों की सहायता से वासुदेव ने अपने परम मित्र नंद के पास पहुंचा दिया । वहीं नंद, यशोदा की गोद में पला-बढ़ा एवं बाद में मथुरा पहुंच कर कंस का वध करके अपने माता-पिता एवं नाना उग्रसेन को कारागार से मुक्त करवाया । जन्माष्टमी का पवित्र त्योहार इन्हीं की पवित्र स्मृति में,इनके किए प्रतिष्ठित कार्यों आदि के प्रति श्रद्धांजलि समर्पित करने के लिए पूरे भारतवर्ष में हिंदू समाज में मनाया जाता है । त्योहार मनाने की विधि – सनातन धर्म को मानने वाले लोग इस दिन श्रद्धा एवं प्रेम से व्रत रखते हैं । घर में साफ-सफाई करके धूप-दीप से सजाते हैं । गांव में लोग कुछ दिन पहले से ही पकवान बनाने प्रारंभ कर देते हैं । मंदिरों को खूब सजाया जाता है । मंदिरों में सारा दिन भजन कीर्तन होता रहता है । भिन्न-भिन्न प्रकार की झांकियां दिखाई जाती हैं । अर्धरात्रि पर चंद्रमा के दर्शन करके सनातनी लोग अपना व्रत समाप्त करते हैं । दूध, फलाहार एवं मिष्ठान लेते हैं । जन-जीवन में महत्ता – अत्याचारी कंस से प्रजा की रक्षा करने वाले श्रीकृष्ण तपस्वी, मनस्वी, योगी, दार्शनिक, महाराजा, सेनापति एवं कूटनीतिज्ञ थे । उन्होंने पापियों का नाश करके धर्म की स्थापना की थी । इस महापुरुष के जन्मदिन का गौरव जन्माष्टमी को प्राप्त है । भारत में इस त्योहार का अत्यधिक महत्त्व है । झांकियों का प्रदर्शन – गांवों तथा नगरों में अनेक स्थानों पर झूलों एवं झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है जिन्हें देखने मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं । कई स्थानों पर बाजारों में भी झांकियां निकाली जाती हैं । स्कूलों में भी जन्माष्टमी का महत्त्व बच्चों को बताने के लिए कार्यक्रम किया जाता है । मंदिरों में गीता का अखंड पाठ किया जाता है । देवालयों की शोभा विशेषकर मथुरा एवं वृदांवन में देखने योग्य होती है । सांस्कृतिक दृष्टि से श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से गीता का प्रवचन दिया था, उसका पाठ किया करते हैं । इस प्रकार जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत मे समय पाकर ऐसे-ऐसे महापुरुषो, कर्मयोगियों एव नीतिवानों ने जन्म लिया कि अपनी अनवरत कर्मठता, चारित्रिक दृढता, रंजक और रक्षक कार्यो के बल पर उन्होंने अवतार का-सा महत्त्व प्राप्त कर लिया । दूसरे कुछ लोगों का तो प्रकाट्‌य (अवतार) ही अन्याय-अत्याचार का नाश कर अन्यायियों-अत्याचारियो से जीवन-समाज के सत् तत्त्वों और सज्जनों की रक्षा करना था । भगवान श्रीकृष्ण एक इसी तरह के अवतार माने गए हैं । उन्हें भगवान् विष्णु के चौबीस अवतारों मे से एक सोलह-कला-सम्पूर्ण अवतार स्वीकार किया गया है ‘जन्माष्टमी’ नामक हिन्दू पर्व का सम्बन्ध इन्हीं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म अर्थात् अवतार के साथ है । उन्ही के प्रकट होने के दिन को हर वर्ष बडी धूमधाम से, उत्सव-उत्साह के साथ मनाया जाता है । जन्माष्टमी का सम्बन्ध समग्र हिन्दू समाज के साथ है । हिन्दू समाज मे, क्योकि तैंतीस करोड देवी देवताओ और चौबीस अवतारी को मान्यता प्राप्त है, अत: वे वेष्णवजन इस त्योहार को अत्यन्त हार्दिकता एवं धूमधाम से मनाया करते हैं कि जो अपने-आप को कृष्णभक्ति शाखा या कृष्णोपासना से सम्बद्ध मानते हैं । श्रीकृष्ण मथुरा के राज्य के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख सामन्त वसुदेव-देवकी के आठवे बेटे थे । एक आकाशवाणी सुनकर कि वसुदेव-देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाला बालक ही अत्याचारी और नृशंस राजकुमार कस की मृत्यु का कारण बनेगा, भयभीत कस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को जेल की काल कोठरी में बन्द कर दिया था । वहाँ जन्म लेने वाली सात सन्तानों का तो कंस ने वध कर डाला; पर शुभचिन्तक सामन्ती की सहायता से वसुदेव ने अपनी आठवीं सन्तान को ब्रजभूमि में स्थित नदग्राम में अपने परम मित्र नंद के पास पहुँचा दिया । वहीं नंद-यशोदा की गोद में पल-पुसकर श्रीकृष्ण बडे हुए और बाद मे मथुरा पहुँच कर कंस का वध करके अपने माता-पिता और नाना उग्रसेन की कारागार से मुक्ति का कारण भी बने । बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के सूत्रधार बन कर अपने सखा अर्जुन को ‘अमिद्‌भगवदगीता’ के कर्मयोग का ज्ञानोपदेश दिया, यह एक अलग कहानी है । इन भगवान श्रीकृह्या का जन्म देशी महीनें भाद्रपद के कृष्ण क्स की अष्टमी तिथि की आधी रात के समय हुआ था ।

Janmashtami Speech in English

Janmashtami is a Hindu festival celebrating the birth of Krishna. Janmashtami is celebrated as the birthday of Lord Sri Krishna. Krishna Janmashtami is also known as Sri Krishna Jayanti, Krishnashtami, Gokulashtami and sometimes simply as Janmashtami. Hindus observed this festival to celebrate the birthday of their beloved God Sri Krishna. The birth of Lord Krishna marks the end of inhumanity and cruelty over mankind. Krishna is a symbol of righteousness. Sri Krishna was born at mid-night of this day. Krishna Janmashtami is observed on the Ashtamitithi, the eighth day of the dark half or Krishna Paksha of the month of Shraavana. He is considered as an avatar of the God Vishnu. The day is celebrated with great zeal and devotion. The Lord Krishna devotees observe fast for the entire day and night, worshipping him. Temples of Sri Krishna are beautifully decorated. Thousands of Hindu men and women wear new clothes and gather in these temples to celebrate the birthday of their beloved God. The priest chants mantras and worship Lord Sri Krishna. Some temples also conduct readings of the Hindu religious scripture Bhagavad Gita. Religious plays or Raslilas are performed to recreate events from the life of Lord Krishna. Janmashtami is one such festival that is celebrated equally in North and South India. Different parts of the country celebrate the festival differently. Janmaashtami or Gokulashtami, popularly known in Mumbai and Pune as DahiHandi, is celebrated as an event which involves making a human pyramid and breaking an earthen pot (handi) filled with buttermilk (dahi), which is tied at a convenient height. The town of Dwarka in Gujarat which is Krishna’s own land witnesses hordes of visitors gathering here for celebrations.Places in Uttar Pradesh that are associated with Krishna’s childhood, such as Mathura, Gokul and Vrindavan, attract visitors from all over India, who go there to participate in the festival celebrations. Krishnashtami brings much joy and feeling of unity.The festival is celebrated with zeal and rejoicings all over the country and in various other parts of the world wherever there exist Hindu societies.

Janmashtami Par Bhashan

कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे देवकी-वासुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वासुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वासुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार कर के गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए, सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं. कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया। यही कारण है कि लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति करते हैं. मथुरा और वृन्दावन जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहां की जन्माष्टमी पुरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है| कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था. यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते है और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्री कृष्ण की आरती उतारते हैं. तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण करके खुशी प्रकट करते हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते है, इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्यौहार मनाया जाता है. वही बच्चो के लिए भी जन्माष्टमी किसी बड़े उत्सव से कम नहीं होता| श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं, वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं. उसमें देवकी और वासुदेव को बिठा देते हैं कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं, इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं| इन्हें देखने के लिए आस-पास के बहुत लोग आते हैं| वहाँ एक तरह का मेला-सा लग जाता है. जहाँ स्थान अधिक होता है वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं, बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरह भी खरीदते हैं| विशेषकर जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंजोला सजाना होता है. कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी का मंदिर मुख्य है. वही भारत के कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं| छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है. दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं| उपसंहार :- मै अंत में यह ज़रूर बोलना चाहूँगा कि जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान बहुत पहले से ही चला आ रहा है, आपको अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए| कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार ही आप व्रत करें. पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए.

Janmashtami Speech in Gujarati

જન્માષ્ટમી કૃષ્ણના જન્મની ઉજવણીનો એક હિન્દુ તહેવાર છે. જન્માષ્ટમીને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જન્મદિવસ તરીકે ઉજવવામાં આવે છે. કૃષ્ણ જન્માષ્ટમીને શ્રી કૃષ્ણ જયંતી, ક્રિષ્નાશ્ટીમી, ગોકૌલાશત્મી અને કેટલીક વખત માત્ર જન્માષ્ટમી તરીકે ઓળખવામાં આવે છે. હિંદુઓએ તેમના પ્રિય ભગવાન શ્રી કૃષ્ણના જન્મદિવસની ઉજવણી માટે આ તહેવારનું નિરીક્ષણ કર્યું. ભગવાન કૃષ્ણનું જન્મ માનવજાત પર અમાનુષી અને ક્રૂરતાનો અંત છે. કૃષ્ણ સદ્ગુણોનું પ્રતીક છે. શ્રીકૃષ્ણ આ દિવસે મધ્યરાત્રિમાં થયો હતો. કૃષ્ણ જન્માષ્ટમી અષ્ટમિતિધિ, ​​શ્રાવાના મહિનાના આઠમા દિવસ અથવા કૃષ્ણ પક્ષના આઠમી દિવસે જોવા મળે છે. તેમને ભગવાન વિષ્ણુના અવતાર માનવામાં આવે છે. આ દિવસે મહાન ઉત્સાહ અને ભક્તિ સાથે ઉજવવામાં આવે છે. ભગવાન કૃષ્ણ ભક્તો આખો દહાડો ઉપવાસ કરે છે, તેમની પૂજા કરે છે. શ્રી કૃષ્ણના મંદિરો સુંદર શણગારવામાં આવે છે. હજારો હિન્દુ પુરુષો અને સ્ત્રીઓ નવાં વસ્ત્રો પહેરે છે અને તેમના પ્યારું ભગવાનનો જન્મદિવસ ઉજવવા માટે આ મંદિરોમાં ભેગા થાય છે. પાદરી મંત્રના મંત્રી અને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણની ઉપાસના કરે છે. કેટલાક મંદિરો હિન્દુ ધાર્મિક ગ્રંથ ભગવદ ગીતાના વાંચન પણ કરે છે. ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જીવનમાંથી ઘટનાઓને ફરીથી બનાવવા માટે ધાર્મિક નાટકો અથવા રાસ્લિલાસ કરવામાં આવે છે. જન્માષ્ટમી એક એવો તહેવાર છે જે ઉત્તર અને દક્ષિણ ભારતમાં સમાન રીતે ઉજવવામાં આવે છે. દેશના જુદા જુદા ભાગો તહેવારને અલગ રીતે ઉજવણી કરે છે. મુંબઈ અને પૂણેમાં લોકપ્રિય રીતે જાણીતા જનમાષ્ટમી અથવા ગોકુલશત્મી, એક ઘટના તરીકે ઉજવવામાં આવે છે જેમાં એક માનવ પિરામિડ બનાવવામાં આવે છે અને છાશ (દહીં) સાથે ભરેલી માટીના વાસણ (હાથી) ભંગ કરે છે, જે અનુકૂળ ઊંચાઈથી બંધાયેલ છે. ગુજરાતમાં દ્વારકાના નગર જે કૃષ્ણની પોતાની ભૂમિ સાધના માટે ઉજવણી કરનારા મુલાકાતીઓનો ચુકાદો ધરાવે છે. ઉત્તર પ્રદેશમાં આવેલા સ્થળો જેમ કે મથુરા, ગોકુલ અને વૃંદાવન જેવા કૃષ્ણના બાળપણ સાથે સંકળાયેલા છે, જે સમગ્ર ભારતમાં મુલાકાતીઓને આકર્ષે છે. તહેવાર ઉજવણીમાં ભાગ લેવો. કૃષ્ણશ્ત્મતી એકતાના ખુબ આનંદ અને લાગણી લાવે છે. આ તહેવાર દેશભરમાં અને વિશ્વના અન્ય ભાગોમાં જ્યાં હિન્દુ સમાજ અસ્તિત્વમાં હોય ત્યાં ઉત્સાહ અને આનંદ સાથે ઉજવણી કરવામાં આવે છે.

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कृष्ण भगवान के प्रेरणादायक विचार | Krishna bhagwan quotes in hindi

नमस्कार, इस लेख में कृष्ण भगवान के अनमोल विचार दिए है. इन्हें पढने बाद के आपके जीवन से निराशा दूर भाग जाएगी. तथा आपको सफलता की राह पर चलने के लिए हौसला मिलेगा. आप सभी जानते है की कृष्ण भगवान के विचारों से पूरा संसार प्रेरित होता है. उनके नाम मात्र से मन में प्रसंता उत्पन होती है. इसलिए अगर आपने इन अनमोल विचारों को आत्मसात कर लिया. तो सफलता जीवनभर आपका साथ नहीं छोड़ेगी. तो चलिए पढ़ते है. krishna bhagwan quotes in hindi

यह भी पढे – श्री कृष्ण सहस्त्रनाम

krishna bhagwan quotes in hindi

  • भगवान श्री कृष्ण कहते है; मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है. जैसा वो विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है.

अर्थ: आपका खुद के बारे में जैसा विश्वास होता है. आप सच में वैसे ही बन जाते है. अगर आप खुदको यह विश्वास दिलाते रहे की “ मैं हार चुका हूँ ” तो हाँ आप का विश्वास सही है. आप मैदान से चले जाओगे. लेकिन अगर आप खुद से कहो गे के की नहीं मैं अभी हारा नहीं मानूंगा. तो आप एक बार और कोशिश करोगे. इस तरह एक दिन सफलता खुद आपको खोजते हुए आयेगी.

2.  श्री कृष्ण कहते है; “मन अशांत हैं और उसे नियंत्रित करना कठीण हैं, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं.

अर्थ : मनुष्य का मन चंचल होता है. हर बार भावनाओं में बहकर विविध विचारों के पीछे भटक जाता है. जिसमे अच्छे ,बुरे, और बेमतलब हर तरह के विचारों का समावेश होता है.

इसी वहज से मूल लक्ष्य से मनुष्य का ध्यान विचलित हो जाता है. पर अगर हम प्रयास करें. तो मन को लगातार आज्ञा देकर एकाग्र किया जा सकता है.

3. श्री कृष्ण कहते है; हर व्यक्ति का विश्वास उसकी प्रकृति के अनुसार होता है.

अर्थ: हर इंसान का विश्वास उसके स्वभाव के अनुरूप ही मजबूत या कमजोर होता है. क्योंकि जीवन की हर परिस्थिति में हम कैसी प्रतिक्रिया देते है. यह हमारा स्वभाव निश्चित करता है.

भगवान कृष्ण ये भी कहते है की हर मनुष्य का स्वभाव उसके गुण से आता है और गुण प्रकृति से आता है.इसलिए हमे किसी के स्वभाव को लेकर कभी परेशान नहीं रहना चाहिए.

4. कृष्ण भगवान कहते है: प्रबुद्ध व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता.

अर्थ : एक बुद्धिमान व्यक्ति किसी से मदत मिलने की उमीद में समय व्यर्थ नहीं करता. वह भगवान कृष्ण पर भरोसा रखकर अपना रास्ता खुद खोजता है.

5. कृष्ण कहते है : जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.

अर्थ : अगर किसी के मन में कोई बुरा खयाल बार-बार आ रहा है. और वह उस खयाल को रोकने या उसकी जगह दूसरा खयाल लाने की कोशिश न करें. तो वह खयाल उसे बुरी तरह से विचलित कर सकता है.

उदाहरण:  बोर्ड परीक्षा में जाते वक़्त. विद्यार्थियों को. यह विचार सताता है की.कही एग्जाम हॉल में जाकर “मै सब कुछ भूल न जाऊ और बहुत बार यह सच भी होता है. इसलिए बुरे खयाल आते है. उन्हें श्री कृष्ण भगवान का नाम लेकर उन्हें बदल देना चहिए.

6. कृष्ण भगवान कहते है: उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था और ना कभी होगा. जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता.

अर्थ: इंसान उस बुरी घटना की कल्पना करके चिंता करता रहता है. जो कभी घटि ही नहीं. इसलिये उस डर को आपकी कल्पना से इसी वक़्त हटा दो. जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. और भगवान श्री कृष्ण को याद कर के अपने जीवन के नित्य कर्म में लीन हो जाओ.

7. श्री कृष्ण भगवान कहते है: निर्माण केवल पहले से मौजूद चीजों का प्रक्षेपण है.

अर्थ: इसका अर्थ यह होता है की इस ब्रम्हांड में जीव सृष्टि के लिए. सभी जीवन आवश्यक चीजे मौजूद है. हमे सर्फ उन चीजो को खोजना है. इसलिए विज्ञान और वैज्ञानिक कहते है.

हमने “खोज या आविष्कार” किया क्योंकि इसका निर्माण सृष्टि के निर्माता श्री कृष्ण ने पहले से कर के रखा है.

8. श्री कृष्ण भगवान कहते है : व्यक्ति जो चाहे बन सकता है. यदी वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.

अर्थ :आप जो चाहे वो बन सकते है. पर इसके लिए आपको उस लक्ष्य पर लगातार ध्यान लगाना होगा. यानिकी बाकि सारे खयाल मन से हटाकर  सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा. भगवान श्री कृष्ण के बताये हुए. इसी महान विचार की बदौलत इस दुनिया में सफल हस्तियों की रचना हुए है.

9. श्री कृष्ण कहते है : मैं उन्हें ज्ञान देता हूँ जो सदा मुझसे जुड़े रहते हैं और जो मुझसे प्रेम करते हैं.

अर्थ: इसका अर्थ बिलकुल सरल है.  महाभारत में पांडव भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करते थे और सिर्फ उनका साथ चाहते थे. और उन्हें वो मिला भी. कृष्ण भगवान महाभारत का युद्ध जितने तक उनके साथ उनके मार्गदर्शक बनकर रहे है.

10. श्री कृष्ण भगवान कहते है: भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी.

अर्थ: आप जिस भी कार्य को पुरे विश्वास और लगन के साथ मन लगाकर करते है. उसमे भगवान श्री कृष्ण का निवास होता है. वो कभी विफल नहीं होता. और इस संसार के कण कण में ईश्वर बसते है. वही शुरुआत है वही मध्य है और वही अंत है.

11. देवकी नंदन कहते है: सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और.

अर्थ :  कुछ लोगो की ये आदत होती है. वे हेमशा किसी इंसान या किसी कार्य के प्रति संदेहजनक रहते है. उदाहरण: एक पति का अपनी पत्नी पर हेमशा संदेह करना की किसी दुसरे पराये पुरुष के साथ उसके कोई सम्बन्ध तो नहीं. ऐसा संदेह रखने वाला पुरुष मनसे हमेशा विचलित रहता है. यही बात महिलाओं पर भी सामान लागु होती है.

12. श्री कृष्ण भगवान कहते है: क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.

अर्थ : जब इंसान क्रोधित हो जाता है. तो उसकी बुद्धि पर उसका नियंत्रण नहीं रहता. अछे बुरे की पहचान करना, भविष्य में परिणाम क्या होगा. इन सब बातो का उसे ध्यान नहीं रहता. वो बस अपने क्रोध की अग्नि शांत करना चाहता है. और उसी समय मनुष्य अपने जीवन में गलती कर बैठता है.

13. श्री कृष्ण कहते है: मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है.

अर्थ: आपके मन में उत्पन होने वाली हर सकरात्मक भावना और उससे जन्म लेने वाले विचार और जीवन अंत तक चलने वाली सांसे. इन सभी में कृष्ण बसते है. वह हर समय हमारे साथ है. हम खुद उसी ईश्वर का एक अंश है. हां हम सब श्री कृष्ण का अंश है.

14. कृष्ण भगवान कहते है: अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कर्म करना निष्क्रियता से बेहतर है.

अर्थ: इंसान ने हमेशा उसके अनिवार्य कार्य को सबसे पहले पूरा करना चाहिए. मतलब हम जिस परिवार का हिस्सा होते है. उसके प्रति हमारे कुछ कर्तव्य होते है. परिवार की कुछ जरूरते होती है. हमे सबसे पहले उनका ध्यान रखना चाहिए. हमारे परिवार की सेवा करते हुए. भी हम भगवान कृष्ण कि सेवा करते है.

15. श्री कृष्ण कहते है: नर्क के तीन द्वार हैं: वासना, क्रोध और लालच.

अर्थ: मनुष्य अपने जीवन की खुशी और दुःख के लिए खुद जिम्मेदार होता है. वासना क्रोध और लालच इन्ही से इस दुनिया में पाप की निर्मिती होती है. इसलिए अपने मन को सदा नियंत्रण में रखो.

16. श्री कृष्ण भगवान कहते है: जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है. जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना. इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो.

अर्थ: जन्म और मृत्यु एक शाश्वत सत्य है. जिनसे धरती पर मानव अवतार लेकर आने वाले भगवान भी नहीं चुकाते. इसलिए किसी भी “नश्वर” के लिए हद से ज्यादा दुखी मत रहना.

17. श्री कृष्ण भगवान कहते है: जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में जीवन तो बस इस पल में है, केवल इस पल में.

अर्थ: मनुष्य ने न तो भविष्य की चिंता करनी चाहिए और न तो अतीत को याद करके खुद को कोसना चाहिए. बस इस पल को जीना और  यादगार बनाना चाहिए. यही मनुष्य जीवन है.

18. श्री कृष्ण कहते है:  बुराई तो तुम्हें हजारों की भीड़ में भी तुम्हे ढूंढ लेती है. ठीक उसी प्रकार जैसे गायों की झुंड में बछडा अपनी मां को ढूंढ लेता है.

अर्थ : बुरे कर्म करने वाले इंसान को अपने कर्मो की सजा इसी जन्म में भुगतनी पड़ती है. कोइ भी अपने किये पापा कर्मो से मुंह नहीं मोड़ सकता .

नमस्कार दोस्तों krishna bhagwan quotes in hindi पोस्ट पढने के लिये धन्यवाद. इसी पोस्ट के नीचे कृष्ण भगवान के महत्वपूर्ण लेख दिये गये है. उसे भी जरूर पढे.

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sandeep auther

नमस्कार दोस्तों मै हूँ संदीप पाटिल. मै इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ. मैने बाणिज्य विभाग से उपाधि ली है. मुझे नई नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाना बहुत पसंद है. हमारे इस ब्लॉग पर शेयर बाजार, मनोरंजक, शैक्षिक,अध्यात्मिक ,और जानकारीपूर्ण लेख प्रकशित किये जाते है. अगर आप चाहते हो की आपका भी कोई लेख इस ब्लॉग पर प्रकशित हो. तो आप उसे मुझे [email protected] इस  email id पर भेज सकते है.

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भगवान श्री कृष्ण की कहानियां Amazing Lord Krishna Stories in Hindi

भगवान श्री कृष्ण की कहानियां Amazing Lord Krishna Stories in Hindi

आज के इस लेख में आप भगवान श्री कृष्ण की कहानियां (Lord Krishna Stories in Hindi for Kids) पढ़ सकते हैं। इसमें हमने कुछ बाल-कृष्ण की कहानियां भी लिखा है जो बच्चों को ज़रूर पसंद आएँगी।

पौराणिक काल से ही भगवान श्री कृष्ण की कहानियां या कृष्ण लीला बच्चों और बड़ों को बहुत पसंद आती है। भगवान श्री कृष्ण जी कई कहानियां हैं हम सभी के लिए ज्ञान का भंडार हैं।

कृष्ण जी की मजेदार कहानियों से बच्चे बहुत खुश होते हैं और सकारात्मक चीजें सीखते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म की कथा से लेकर वृंदावन में उनके शरारतों की कहानियां बहुत ही अद्भुत है।

हम भगवान कृष्ण को कई रूप में देखते हैं जैसे बाल कृष्ण, माखन चोर कृष्ण, राधा कृष्ण और कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का सार समझाते हुए भगवान श्री कृष्णा। आज इस लेख में हमने सरल भाषा में भगवान श्री कृष्ण की कुछ कहानियों को प्रस्तुत किया है जिसे बच्चे और बड़े सब पढ़ कर समझ सके और आनंद के साथ-साथ ज्ञान भी प्राप्त कर सकें।

यह सभी कहानियां भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित सत्य कहानियां हैं। हो सकता है इनमें से कुछ कहानियां आपने अपने माता-पिता या दादा-दादी से बचपन में सुना हो।

Table of Content

1. श्री कृष्ण और सांप कालिया की कहानी Shri Krishna and Kalia Snake Story in Hindi

यमुना नदी  से जुड़ा हुआ एक मीठे पानी का सुंदर झील था। कहीं से एक बहुत ही जहरीला सांप वहां आकर रहने लगा जिसका नाम था कालिया। कालिया का जहर यमुना नदी के पानी में बहुत तेजी से घुल रहा था।

एक बार एक गाय चराने वाले व्यक्ति ने जब उस झील का पानी पिया तो उसकी मृत्यु हो गई। जब भगवान श्रीकृष्ण को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी शक्ति से उस व्यक्ति को जीवित कर दिया।

उसके बाद श्री कृष्ण उस झील के पानी में कूद गए। कृष्ण पानी के बहुत अंदर गए और उस सांप को जोर-जोर से पुकारने लगे। जब बहुत देर तक कृष्ण पानी से नहीं निकले तो गांव के लोग इकट्ठा होकर नदी किनारे उनका इंतजार करने लगे। बहुत सारे लोग डरने भी लगे। कुछ देर बाद पानी के अंदर से कालिया सांप कृष्ण के सामने आया और आते ही उसने कृष्ण पर आक्रमण कर दिया।

कुछ ही देर में कृष्ण ने कालिया को जकड़ लिया और उसके सर पर चढ़ गए। कालिया हजार सिर वाला सांप था। कृष्ण उसके सर पर तेजी से नाचने लगे और तेजी से नाचने के कारण कालिया सर्प के मुंह से खून निकलने लगा। यह देखकर कालिया की पत्नी पानी से ऊपर आई और उसने कालिया के जीवन की भीख मांगी।

कृष्ण ने उन्हें  यमुना नदी किस झील को छोड़ने के लिए कहा और रामानका द्वीप चले जाने को कहा। साथ ही कृष्ण ने कालिया को आश्वासन दिया कि अब उन पर गरुड़ कभी भी आक्रमण नहीं करेगा क्योंकि कालिया के सिर पर कृष्ण के पैरों के निशान पढ़ चुके हैं।

यह सुनकर कालिया बहुत ही खुश हुआ और वह यमुना नदी के उस सुंदर झील को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ चले गया। इस प्रकार कृष्ण में कालिया सांप से गांव की रक्षा की।

2. श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी Lord Krishna and Govardhan mountain Story in Hindi

एक बार की बात है देवराज इंद्र ब्रज के लोगों से बहुत क्रोधित हुए क्योंकि लोग भगवान कृष्ण की बातों को सुनकर गोवर्धन पर्वत की पूजा कर रहे थे और इंद्र देव की पूजा नहीं कर रहे थे। क्रोधित होकर इंद्र ने उन्हें दंडित करने के लिए घनघोर वर्षा करने के लिए बादलों को भेजा जिसके कारण पूरे वृंदावन में बाढ़ की संभावना उत्पन्न हो जाए।

आदेश देते हैं वृंदावन के ऊपर काले मेघों ने अत्यधिक वर्षा करना शुरू कर दिया। अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के कारण ज्यादातर लोगों के घर पानी में बह गए।

वृंदावन के लोग डर गए और सभी भगवान कृष्ण की शरण में पहुंचे। भगवान कृष्ण को इस परिस्थिति के बारे में सब कुछ ज्ञात हो चुका था। उसी समय कृष्ण ने पूरे गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की छोटी उंगली पर एक छतरी की भांति उठा दिया।

वृंदावन के सभी लोग और गाय एक-एक करके गोवर्धन पर्वत के नीचे आने लगे और इस प्रकार कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जान बचाई। कृष्ण के इस आलोकित चमत्कार को देखकर सभी वृंदावन के लोग आश्चर्यचकित रह गए। भगवान कृष्ण की शक्ति को देख कर बादल वापस लौट गए और व्रज वासी ख़ुशी से रहने लगे।

3. भगवान कृष्ण और अरिष्टासुर कथा Lord Krishna and Arishthasura Story in Hindi

एक बार वृंदावन में एक बड़ा बैल घुस गया और उसने अचानक से गांव के लोगों पर आक्रमण करना शुरू कर दिया। उस बैल ने कई लोगों के घर को तोड़ दिया जिसके कारण कई लोगों को चोट भी लगी।

जब कृष्ण को इस बात का पता चला तो वह तुरंत उस बैल के पास पहुंचे। श्रीकृष्ण ने देखते ही पता लगा लिया कि वह बैल एक असुर है। उस असुर का नाम था अरिष्ठासुर। कृष्ण को देखते ही वह कृष्ण की ओर तेजी से आक्रमण करने के लिए दौड़ा।

भगवान कृष्ण ने अपनी शक्ति से उसे परास्त कर दिया। परास्त करते ही वह बैल भगवान कृष्ण के समक्ष नतमस्तक होकर बैठ गया। उसके बाद उसने कृष्ण को बताया कि वह भगवान बृहस्पति का शिष्य है और अपने गुरु के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण उसे असुर बैल बनने का श्राप मिला था। इस प्रकार कृष्ण में ब्रज के लोगों को अरिष्ठासुर से बचाया।

4. माखन चोर भगवान कृष्ण कहानी The Story of Makhan Thief Lord Krishna in Hindi

आप लोग तो जानते ही होंगे कि भगवान कृष्ण को माखन खाना बहुत पसंद था। कृष्ण के माखन चोरी करने के कारण उनकी मां के साथ-साथ वृंदावन के सभी लोग कृष्ण के माखन चोरी के कारण तंग आ जाते थे।  भगवान कृष्ण की माता यशोदा माखन की मटकी को छत के ऊपरी भाग में लटका कर रखती थी जिससे की कृष्ण वहां तक ना पहुंच पाए और माखन को चोरी करके ना खा पाए।

एक बार कुछ जरूरी काम से यशोदा मां घर छोड़कर गई। उस समय कृष्ण अपने सभी मित्रों को वहां लेकर आए। उनकी मदद से वह माखन की मटकी तक पहुंचे और माखन के मटकी को तोड़कर सारा माखन खा गए। उसी समय वहां यशोदा मां पहुंच गए। कृष्ण के सभी साथि भाग गए परंतु कृष्ण वहीं रह गए। उसके बाद कृष्ण को यशोदा मां से अच्छी डांट पड़ी।

5. भगवान कृष्ण और फल बेचने वाली महिला की कहानी Lord Krishna and Fruit lady Story in Hindi

एक बार एक महिला फल बेच रही थी। जब वह श्री कृष्ण के घर के सामने से गुजर रही थी तब श्रीकृष्ण को कुछ फल खाने का मन किया। जब कृष्ण ने उस फल बेचने वाली महिला से कुछ फल मांगे तो उसने कृष्ण से उन फल के बदले कुछ मांगा।

फल के बदले अनाज देने के लिए कृष्ण घर के अंदर दौड़ते हुए गए और मुट्ठी भर अनाज लेकर वापस फल वाली के पास आये। परंतु आते आते उनके हाथ से सारा अनाज गिर जाता था।

कृष्ण बार-बार घर के अंदर जाते और कुछ अनाज अपने हाथ में लेकर आने की कोशिश करते हैं परंतु सारा अनाज नीचे गिर जाता। यह देखकर वह फल वाली बहुत प्रसन्न हुई और उसने कृष्ण को सारे फल दे दिए।

कृष्ण अंदर-अंदर उस फल वाली से बहुत प्रसन्न हुए। जब वह फल वाली अपना खाली टोकरा लेकर वहां से चली गई और अपने घर पहुंची तो उसने देखा कि उसकी टोकरी सोने और जवाहरात से भरी हुई है।

6. कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं? Why God Krishna called Govind

एक दिन भगवान कृष्ण के पास एक कामधेनु नामक गाय स्वर्ग से पहुंची। उस गाय ने कृष्ण को बताया कि वह देव लोक से उनका अभिषेक करने आई है क्योंकि कृष्ण पृथ्वी पर गायों की रक्षा कर रहे हैं।

उस गाय ने कृष्ण को पवित्र जल से नहलाया और उनका दिल से शुक्रिया अदा किया। उसी समय भगवान इंद्र अपने हाथी ऐरावत पर विराजमान होकर वहां प्रस्तुत हुए और उन्होंने श्रीकृष्ण को आशीर्वाद दिया और कहा कि आपके इन पुण्य कार्यों के लिए पूरे विश्व के लोग आपको गोविंद के नाम से जानेंग।

7. कृष्ण और पूतना असुर की कहानी Story of Krishna and Putna Asura

कृष्ण के मामा कंस का वध भगवान कृष्ण के हाथों ही लिखा था। यह जानने के बाद बार-बार कंस अलग-अलग असुरों को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा करता था। एक बार कंस ने एक पूतना नाम की रक्षाशनी को भेजा। पूतना वृंदावन पहुंची और उसने एक सुंदर महिला का भेस बदल कर कृष्ण को हर घर में ढूंढना शुरू किया।

उस समय कृष्ण बहुत छोटे थे। जब वह कृष्ण के घर पहुंची तो उसने कृष्ण को पहचान लिया और अपना विषैला दूध पिलाने के लिए गोदी में उठाया। जब वह कृष्ण को अपना जहरीला दूध पिलाने लगी तो उसको लगा कि कृष्ण दूध पीते ही मर जाएंगे परंतु कृष्ण तब तक दूध पीते रहे जब तक उस राक्षस महिला की मृत्यु नहीं हो गयी। उसकी मृत्यु होते ही वह अपने असली क्रूर रूप में आ गई।

आशा करते हैं आपको भगवान श्री कृष्ण की कहानियां (Amazing Lord Krishna Stories in Hindi) अच्छी लगी होगी।

17 thoughts on “भगवान श्री कृष्ण की कहानियां Amazing Lord Krishna Stories in Hindi”

Jai shree krishna

Jai Shri Krishna

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जय श्रीकृष्ण जय श्रीकृष्ण जय श्रीकृष्ण जय श्रीकृष्ण जय श्रीकृष्ण

Jai shri Krishna

JAI SHREE KRISHNA

जय श्रीकृष्ण jai sri krishna !

Jai shree radhe krishna jai shree krishna very nice story

जय श्री कृष्णा, धन्य है मेरे प्रभु,,कृष्ण जी वा अर्जुन जी के कुछ संबाद भी एक कथा के रूप में लिख देने चाहिए जो भगवत गीता का निचोड़ है

जय श्री कृष्णा

Radhey Radhey

Jai shree radhey

Radhe Radhe

Jay Shree Krishna…

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