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जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi)

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को दर्शाती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रिड कर सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसँख्या पर छोटे तथा लंबे निबंध (Short and Long Essay on Population in Hindi, Jansankhya par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द): जनसंख्या वृद्धि के कारण.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आबादी का घनत्व भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

धरती पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जहाँ कुछ देश ऐसे हैं जो आबादी विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं वही कई देश कम आबादी वाले भी हैं। ऐसा सिर्फ मानव आबादी के मामले में नहीं है। यही बात जानवरों और अन्य जीवों के मामलों में भी देखी जाती है। कुछ जगहों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे जबकि कुछ जगहों पर आपको शायद ही कोई जानवर देखने को मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में आबादी के घनत्व की गणना उस क्षेत्र की कुल संख्या को लोगों द्वारा विभाजित करके की जाती है। कई कारणों से जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। कुछ कारक जो किसी क्षेत्र में आबादी की घनत्व को प्रभावित करते हैं वे इस प्रकार हैं:

अत्यंत गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी के हैं। दूसरी ओर जिन स्थानों पर लोग मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयले जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में आबादी घनी होती है जहाँ इन बुनियादी संसाधनों की कमी होती है वे क्षेत्र कम आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में एक स्थिर सरकार और एक स्वस्थ राजनीतिक वातावरण है वे क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं। ये देश दूसरे इलाकों से आबादी को आकर्षित करते हैं जिससे उस क्षेत्र की आबादी में बढ़ोतरी होती है। दूसरी ओर गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश के कई लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता को देखकर उस जगह को छोड़कर चले जाते हैं।

विकसित देशों जैसे यू.एस.ए. बहुत सारे आप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बहुत बेहतर पैकेज और एक अच्छा मानक जीवन प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में आकर बसते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में आबादी का घनत्व बढ़ रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ जगहों में जनसंख्या का घनत्व कम हो फिर भी पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भारत में बढ़ती जनसंख्या व जनसंख्या नियंत्रण

जनसंख्या का मतलब एक विशेष स्थान पर रहने वाले कुल जीवों की संख्या है। दुनिया के कई हिस्सों में मुख्य रूप से गरीब देशों में मानव आबादी का विकास चिंता का विषय बन गया है। दूसरी ओर ऐसे भी स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक बड़ी समस्या

भारत को बढ़ती आबादी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की करीब 17% आबादी भारत में रहती है जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग हर विकासशील देश की तरह भारत में जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण हैं। भारत में आबादी के विकास के मुख्य कारणों में से एक निरक्षरता है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चों को जन्म देते हैं। इसके लिए दो कारण हैं।

सबसे पहले उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसे कमाने में मदद करते हैं। दूसरा उनमें से ज्यादातर जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। प्रारंभिक विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या अधिक होती है। आबादी में वृद्धि की वजह से मृत्यु दर कम हो सकती है। विभिन्न बीमारियों के लिए इलाज़ और उपचार विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर में कमी आई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • न्यूनतम विवाहयोग्य आयु

सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। हालांकि इस पर कोई कड़ी जांच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करना चाहिए और इसके लिए जांच भी कड़ी करनी चाहिए।

  • मुफ्त शिक्षा

भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना।

  • दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना

भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि सरकार ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है ?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  • वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं।

  • बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  • जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Essay on Population in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है व इसके उपाय क्या हैं

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। यह न केवल मनुष्यों को संदर्भित करती है बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करती है जिनमें पैदा करने और गुणा करने की क्षमता होती है। पृथ्वी के कई हिस्सों में जनसंख्या बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकार विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे को रोकने की कोशिश कर रही है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना होगा।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है ?

आबादी की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती आबादी के कारण बेरोजगारी की समस्या उच्चतम स्तर पर है। नौकरियों की तलाश में कई लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण है जो एक और समस्या है। यह लोगों के बीच असंतोष पैदा करती है और अपराध को जन्म देती है। जो लोग अपनी वांछित नौकरियां प्राप्त नहीं कर पाते वे अक्सर पैसे कमाने के लिए अवांछित तरीके अपनाते हैं।

यह भी समझना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग बढ़ रही है। वनों को काटा जा रहा है और उनकी जगह विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यां करे? यह बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं क्योंकि अधिक संख्या में लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। यह पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पर्यावरण का क्षरण ही नहीं बल्कि जीवन की लागत भी बढ़ जाती है। इस प्रकार आबादी को नियंत्रित करना आज के समय की आवश्यकता बन गया है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। इससे लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित होगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित कदम

मानव आबादी को नियंत्रित करने के लिए यहां कुछ संभावित कदम दिए गए हैं:

गरीब और अशिक्षित वर्गों के लोग अधिकतर परिवार नियोजन योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक के बाद एक बच्चे पैदा करने की मशीन के रूप में देखते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • परिवार नियोजन

परिवार के नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना सरकार के लिए आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

  • मौद्रिक लाभ

सरकार को करों से छूट या उन परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए जिनके पास एक बच्चा है। चूंकि आज लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं इसलिए आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम होगा। कुछ देशों की सरकारें पहले ही ऐसी नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

  • जुर्माना या दंड

जैसे सरकार उन लोगों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है जो समुचित परिवार नियोजन करते हैं उसी तरह उन पर पैसों के रूप में जुर्माना भी लगा सकती है जो ऐसा नहीं करती है। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

  • सख्त मॉनिटरिंग

सरकार को केवल उपर्युक्त बिंदुओं को लागू नहीं करना चाहिए बल्कि इनकी एकदम सही जांच भी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग उनका पालन करें।

लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियम और नीतियां बनानी चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए दोनों सार्वजनिक और सरकार को एक साथ काम करने की आवश्यकता है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Population (जनसँख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- वेटिकन सिटी

उत्तर- उत्तर प्रदेश की

उत्तर- शिक्षा एवं परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता।

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण निबंध Essay on Population Control In Hindi विगत कई वर्षों से भारत में जनसंख्या नियंत्रण Population Control एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा हैं.

देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद का हमारा विषय जनसंख्या नियंत्रण एक्ट हैं इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व, इतिहास आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण एक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है यह क्यों आवश्यक है.

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा सकते हैं.

जिनसे जनसंख्या नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में  जनसंख्या नीति भारत में जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है.

जनसंख्या मानव संसाधन है क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है.

वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य के द्वारा ही किया जा सकता है. किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है.

क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है. जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे.

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों तथा प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की.

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है, कि वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें.इसके अलावा 2002 में सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं वर्तमान में दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई.

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है. विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत है, तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है.

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है. भारत में प्रत्येक दिन 70000 बच्चे जन्म लेते हैं.

अर्थात प्रत्येक मिनट में 51 बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी 2020 को भारत में 67385 बच्चे पैदा हुए. दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया. भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है,

तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो 2024 तक 140 करोड़ को पार कर जाएगी.  यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा.

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है. हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं.

इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है. बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम कोलाहल युक्त वातावरण बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ई परिणाम है.

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है, कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आयु तक प्रजनन की क्षमता अधिक होती है.

दूसरा सुझाव दिया जाता है, कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए. जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी.

समाज की रूढ़ीवादी परंपराओं से ऊपर उठने में भी शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है. अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता है तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है.

इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है.

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है की जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है. इनका तर्क हैं कि भारत में ऐसे प्रयास पहले भी किए गए जो और सफल रहे. यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है.

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है. साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है.

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है. तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है.

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है. तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं. इजराइल में 1500 इस्सा पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी.

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है. अबुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है.

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरु हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई दशकीय जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 में होती है.

भारत में सर्वप्रथम 1872 में लॉर्ड मेयो के निर्देशन में पहली जनगणना हुई परंतु क्रमबद्ध प्रथम जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी.

2011 में संपन्न हुई जनगणना भारत की 15वीं जनगणना थी. 16वी जनगणना का कार्य वर्तमान में जारी है. यह स्वतंत्र भारत की आठवीं जनगणना होगी. 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी.

जो 1951 तक बढ़कर 36.10 करोड़ तक पहुंच गई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनसंख्या वृद्धि में अचानक उछाल आया, तथा 1981 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 84.86 करोड़ हो गई जो 2001 में 102 करोड तथा वर्तमान में 135 करोड़ तक पहुंच गई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका इंडोनेशिया ब्राजील पाकिस्तान बांग्लादेश व जापान की संयुक्त जनसंख्या लगभग भारत के बराबर है. भारत की पहली जनसंख्या नीति 1976 में घोषित की गई.

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसार परिवार नियोजन अपनाकर कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत 2010 तक लाना शिशु मृत्यु दर को 30 से कम करना तथा मातृ मृत्यु दर को 100 से कम करने का लक्ष्य रखा गया.

इसके साथ ही इस नीति में प्रावधान किया गया, कि सभी जन्म मृत्यु तथा विवाह संबंधी पंजीकरण एवं टीकाकरण को बढ़ावा देना तथा परिवार नियोजन एवं परिवार कल्याण से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर बल देने की बात कही गई.

संपूर्ण प्रजनन दर का अर्थ किसी भी महिला की संपूर्ण प्रजनन काल सामान्य 15 से उम्र 49 वर्ष की आयु तक के दौरान पैदा हुए. बच्चों की संख्या को व्यक्त करती है भारतीयों की प्रजनन दर 1975 में जहां 4.7% थी जो वर्तमान में कम हो रही है.

2015 से 20 के बीच यह घटकर 2.3% तक पहुंची है. तथा 2040 के बाद इसका 1.7% रहने का अनुमान है. प्रजनन डर कम होना जनसंख्या नियंत्रण को दर्शाता है. 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.6% तक आती है, तो जनसंख्या की असामान्य बढ़ोतरी नियंत्रण मे होगी.

सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करें तथा इस परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है. जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके. पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएं तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए लेकिन सफल नहीं रहे.

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई. हालांकि भारत के 21 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रजनन दर 2.1% है. वही उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की में प्रजनन दर उच्च स्तर पर बनी हुई है. उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है, तो आगामी सुनवाई में सरकार अपना क्या पक्ष रखती है. तथा उसके बाद कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे.

  • विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध
  • रोजगार पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi का यह निबंध आपकों पसंद आया होगा. यदि आपकों इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

Essay on Population Control in Hindi : दोस्तों पिछले कई वर्षों से भारत में जनसंख्या का मुद्दा एक अहम मुद्दा बन गया है, यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा है।

देश का एक बड़ा हिस्सा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून की मांग कर रहा है, आज का हमारा यह आर्टिकल जनसंख्या नियंत्रण पर है, बढ़ती जनसंख्या को रोकना एक बहुत ही बड़ा मुद्दा बन गया है, और अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हमें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है आज के इस निबंध में मैं आपको जनसंख्या से जुड़ी तमाम जानकारियां दूंगा तो आप हमारे साथ आखिर तक बने रहें।

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विषय–सूची

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध (Essay on Population Control in Hindi)

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध: दोस्तों पिछले कई दिनों से जनसंख्या नियंत्रण एक्ट का मुद्दा छीड़ा हुआ है आज इस निबंध के जरिए मैं आपको बताऊंगा कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है, और यह हमारे और संपूर्ण देश भर के लिए क्यों आवश्यक है।

दोस्तों हमारे देश भारत को कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था और इसमें दूध की नदियां बहा करती थी लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के कारण ऐसा कुछ भी नहीं पता है, कुछ गरीब घर के बच्चों को तो दूध के रंग का भी नहीं पता है, बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारे देश में बहुत ही चीजों की कमी होती जा रही है, कुछ गरीब लोगों को तो दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती और ना ही पहनने के लिए कपड़े प्राप्त होते हैं, आखिर यह सब क्यों हो रहा है? इन सब का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है, आपको यह जानकर बड़ी ही हैरानी होगी की भारत में पूरे विश्व की जनसंख्या का छठा भाग निवास करता है। क्योंकि इस तरीके की जनसंख्या को देखते हुए यह एक बहुत ही दुखदाई बात है।

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

1951 में भारत की जनंसख्या 36.1 करोड़ थी जोकि 1981 में बढ़कर 68.40 करोड़ हो गई। इस तरह देखा जाए तो केवल तीन दशकों में भारत की जनसंख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई। बाद में 1991 में हुई जनगणना के हिसाब से यह आंकड़ा बढ़कर 84.39 हो गया।

2001 में हुई जनगणना में यह जनसंख्या बढ़ कर 1,02,70,15,247 हो गई 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ तक पहुंच गई है। हमारा यह मानना भी ठीक होगा कि किसी देश या राज्य के लिए जनसंख्या की बढ़ोतरी एक अहम हिस्सा निभाती है, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ती जनसंख्या आज हमारे पूरे देश की एक गंभीर समस्या बन गई है।

जनसंख्या का मतलब यह होता है, कि किसी एक स्थान पर रहने वाले कुल जिलों की संख्या है, भारत में कुछ जगह ऐसी है, कि जहां पर बहुत अधिक पापुलेशन होने की वजह से वहां के लोग ब्यास की वजह से मर रहे हैं और अनेकों बीमारियों का सामना भी कर रहे हैं, हां के लोगों का विकास भी एक चिंता का विषय बन चुका है, और इन परेशानियों से भारत पूर्ण तरीके से जूझ रहा है और इसी के साथ ही हमारे पड़ोसी देश चीन की भी पॉपुलेशन बहुत अधिक है।

लेकिन भारत देश ने पॉपुलेशन के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है यह कोई उपलब्धि हासिल करने की बात नहीं है, यह एक सोच का विषय है, बढ़ती जनसंख्या से हमारे देश भारत में भुखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि बहुत अधिक मात्रा में अधिक तेजी से बढ़ेंंगे और बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

कब मनाया जाता है, विश्व जनसंख्या दिवस?

11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई थी। सन 1987 में डॉक्टर Dr. KC Zachariah के सुझाव पर इस दिवस को मनाने की की बात कही गई। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को सचेत करना है। लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करें और उन्हें यह भी बताएं कि बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है और आने वाली हमारी पीढ़ी को क्या नुकसान हो सकता है।

  • 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका पूरा इतिहास व महत्त्व

भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण

अधिक जनसंख्या के भारत में बहुत से कारण है जैसे बाल विवाह, बहु विवाह, दरिद्रता, मनोरंजन का एक साधन होना, लोगों का शिक्षित होना, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार द्वारा चलाई गई निरोध सुविधा का गांव में कम प्रचार होना। पुत्र पाने की लालसा आदि अनिवार्यता कारण।

अशिक्षित लोग-

अपने बहुत से गांव और कस्बे ऐसे हैं जहां पर लोग अनपढ़ है, उन लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में कुछ नहीं पता वहां के लोग बिल्कुल ऐसी क्षित है तो वहां के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में जागरूक करना और इससे भविष्य में होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराना क्योंकि भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या एक बहुत बड़े खतरे का रूप ले सकती है।

जन्म दर भी लगातार बढ़ रही जनसंख्या का एक मुख्य कारण है, लोग बहुत अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं जनसंख्या के साथ-साथ मानव जन्म दर भी बढ़ रहा है और इसी वजह से आबादी भी ज्यादा बढ़ रही है।

मृत्यु दर में कमी-

आज का समय पहले जैसा नहीं है पहले के समय में अनेक प्रकार की महामारी या हुआ करती थी और उन महा मारियो की दवाई उचित रूप से ना मिलने पर लोगों की बहुत अधिक मौत होती थी लेकिन आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में बहुत सी सुविधाएं सरकार की तरफ से चलाई जा रही है जिसकी वजह से लोगों का मृत्यु दर भी बहुत कम हो गया है।

कम आयु में विवाह-

भारत में ऐसे बहुत से गांव है जहां के लोग बहुत ही रूढ़िवादी है, वह अपने बच्चों का बाल विभाग कर देते हैं, जिस से कम आयु में बच्चे पैदा होते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के नुकसान।

  • वैसे तो बढ़ती जनसंख्या का असर हम सभी लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन यह असर सबसे ज्यादा नवजात बच्चों पर पड़ रहा है और उनके खानपान पर पड़ रहा है, क्योंकि एक परिवार में अधिक बच्चे होने से उनका पोषण सही तरीके से नहीं हो पाता इसी कारण व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, और उन्हें कई अन्य गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है।
  • देश में बेरोजगारी लाने में भी बढ़ती जनसंख्या का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि अधिक पॉपुलेशन होने की वजह से लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता और इसी वजह से वह अपने परिवार का पोषण भी नहीं कर पाते और स्कूल से लेकर नौकरी तक युवाओं को हर फील्ड में कंपटीशन का बहुत ज्यादा सामना करना पड़ता है क्योंकि अधिक जनसंख्या की वजह से पूरे देश में कंपटीशन भी बहुत हो गया है।
  • हमारा देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन अब इस देश को गरीबी की कगार पर लाने का एक अहम हिस्सा जनसंख्या बन चुकी है, क्योंकि ज्यादा सन जनसंख्या होने की वजह से मजदूरों को अपने रोज के काम में अधिक मेहनत करनी पड़ती है ऐसी आबादी अधिकांश देश के गरीबी रेखा से नीचे होती है।
  • बढ़ती जनसंख्या की वजह से हमारे देश को अपराध का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि जहां पर जनसंख्या अधिक होगी वहां पर लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा तो वहां के लोग चोरी, लूटमार जैसे धंधे करने शुरू कर देंगे।
  • संसाधनों का भी बढ़ती जनसंख्या की वजह से सही तरह से बटवारा नहीं हो पा रहा है जिसे देश के कई हिस्सों में लोगों को बिना पानी, शुद्ध खाना, और पोषण के बिना रहना पड़ता है।

बढ़ती जनसंख्या को रोकने के उपाय।

  • बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लोगों को फैमिली प्लानिंग के बारे में बताना चाहिए और उनसे फैमिली प्लानिंग का पालन भी करवाना चाहिए और इसके लिए सरकार को कड़े कानून भी बनाने चाहिए।
  • सरकार के साथ-साथ बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज को भी एक अहम भूमिका निभानी चाहिए कहने का मतलब यह है, कि लोगों की रूढ़िवादी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
  • कई लोग बेटी के बजाए बेटे पर अधिक जोर देते हैं तो ऐसे लोगों का भी समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए या फिर उन्हें अच्छे से समझाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या को लेकर सरकार को छात्रों में युवाओं को शिक्षा देने में सेक्स एजुकेशन को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):-

तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा आज का यह निबंध आज के इस निबंध में मैंने आपको बढ़ती जनसंख्या के बारे में बताया और इससे हमारे आने वाले जीवन में क्या हानियां हो सकती है, यह भी मैंने आपको बताया तो आप भी 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस है , इसके में बारे में बताएं और बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए प्रेरित अवश्य करें।

अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे लाइक शेयर कमेंट अवश्य करें और साथ ही साथ इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर अवश्य शेयर करें अगर आपको हमारा यह लेख आर्टिकल- जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध में कोई कमी नजर आए तो हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करेंगे।

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जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

population control essay 250 words in hindi

Essay On Population in Hindi – जनसंख्या एक बहुत ही दिलचस्प विषय है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी देश की जनसंख्या इस बात का बहुत मजबूत संकेतक है कि वह देश भविष्य में कैसे कार्य करेगा और एक राष्ट्र के रूप में उसकी क्षमताएं क्या हैं। दुनिया के नेता इसी कारण से अपने देश की जनसंख्या पर बहुत ध्यान देते हैं। जनसंख्या और उनके पास मौजूद कौशल शायद किसी भी देश के लिए सबसे आवश्यक संपत्तियों में से कुछ हैं। निम्नलिखित लेख जनसंख्या के विषय पर एक निबंध है और इसे इस तरह से संरचित किया गया है कि सभी उम्र के छात्र उन मुख्य बिंदुओं को सीख और समझ सकें जिनका उन्हें इस तरह का निबंध लिखते समय उल्लेख करने की आवश्यकता है। 

जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 शब्द

  • 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।
  • 2) जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे ग्रह को बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं।
  • 3) जनसंख्या में वृद्धि से लोगों के लिए संसाधनों की संख्या सीमित हो जाती है।
  • 4) चीन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
  • 5) भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
  • 6) जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी।
  • 7) जनसंख्या की अधिकता को अतिजनसंख्या कहा जाता है।
  • 8) जनसंख्या वृद्धि पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक चिंता का विषय है।
  • 9) किसी भी राष्ट्र के सतत विकास के लिए जनसंख्या सीमा में होनी चाहिए।
  • 10) देशों में अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है।

जनसंख्या पर 200 शब्द निबंध (200 Words Essay On Population in Hindi)

हाल के दशकों में वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2020 में 7.9 बिलियन तक पहुंच गई और 2050 तक लगभग 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह जनसंख्या वृद्धि दर देश और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में उच्च वृद्धि दर का अनुभव होता है। विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होती है।

संसाधनों पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, भोजन, पानी और ऊर्जा की मांग बढ़ती है। इससे भोजन और पानी की कमी के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जंगलों और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई और भूमि क्षरण जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अपशिष्ट और प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है। इससे वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ-साथ महासागरों और नदियों जैसी प्राकृतिक प्रणालियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता पर भी दबाव डालती है, जिससे प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों का नुकसान होता है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे आवास, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। इससे आवास और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रणालियों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या रोज़गार और नौकरी बाज़ारों पर भी दबाव डाल सकती है।

जनसंख्या पर 300 शब्द निबंध (300 Words Essay On Population in Hindi)

किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए जनसंख्या आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से काफी भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जबकि कुछ देश ऐसे हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य देश बहुत कम आबादी वाले हैं। यह केवल मानव आबादी का मामला नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखेंगे जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई जानवर मिलेंगे।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना कुल लोगों की संख्या को उस क्षेत्र से विभाजित करके की जाती है जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अलग-अलग स्थानों में भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

अत्यधिक गर्म या ठंडी जलवायु वाले स्थान कम आबादी वाले होते हैं। दूसरी ओर, जो मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयला आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में इन बुनियादी संसाधनों की कमी है, वे विरल आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण होता है, वहां घनी आबादी होती है। ये देश क्षेत्र को आबाद करके अन्य देशों के अप्रवासियों को वहां आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देशों में बहुत से लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता पर कहीं और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रथम विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग ऐसे देशों में प्रवास करते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर 500 शब्द निबंध (500 Words Essay On Population in Hindi)

जनसंख्या से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले प्राणियों की कुल संख्या से है। जनसंख्या हमें प्राणियों की संख्या का अनुमान लगाने और उसके अनुसार कार्य करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी शहर की विशेष जनसंख्या को जानते हैं, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उसे कितने संसाधनों की आवश्यकता है। इसी तरह, हम जानवरों के लिए भी ऐसा कर सकते हैं। यदि हम मानव आबादी पर नजर डालें तो पाते हैं कि यह किस प्रकार चिंता का कारण बनती जा रही है। विशेषकर तीसरी दुनिया के देश जनसंख्या विस्फोट से सबसे अधिक पीड़ित हैं। चूँकि वहाँ संसाधन सीमित हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या इसे और बदतर बना देती है। वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्रों में कम जनसंख्या की समस्या भी है.

भारत जनसंख्या संकट

बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत एक बड़े जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है। अगर अनुमान लगाया जाए तो हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है।

इसके अलावा, भारत भी कम साक्षरता दर वाले देशों में से एक है। यह कारक भारत में जनसंख्या विस्फोट में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि अशिक्षित और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन्हें जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा, एक परिवार में अधिक लोग अधिक मदद करने वाले हाथों के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कमाई के बेहतर मौके हैं।

इसके अलावा, हम यह भी देखते हैं कि ये वर्ग किस प्रकार शीघ्र विवाह का अभ्यास करते हैं। यह इसे अधिक जनसंख्या के प्रमुख कारणों में से एक बनाता है। लोग पैसों के लिए या अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त होने के लिए अपनी जवान बेटियों की शादी अपने से कहीं अधिक उम्र के पुरुषों से कर देते हैं। युवा लड़की कम उम्र से ही बच्चों को जन्म देती है और लंबे समय तक ऐसा करती रहती है।

चूँकि भारत संसाधनों की कमी का सामना कर रहा है, जनसंख्या संकट समस्या को और बढ़ा देता है। इससे प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन हो जाता है। इससे गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो जाता है।

जनसंख्या विस्फोट का प्रभाव

मानव जनसंख्या विस्फोट न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करता है। हमने विभिन्न कारकों के कारण पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है। चूँकि अधिक जनसंख्या को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को छीन लेती है। इसी प्रकार, मानवीय गतिविधियों के कारण उनका निवास स्थान नष्ट हो रहा है।

इसके बाद, जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक मनुष्य ऑटोमोबाइल खरीद रहे हैं, हमारी हवा प्रदूषित हो रही है। इसके अलावा, बढ़ती ज़रूरत के लिए औद्योगीकरण की तेज़ दर की आवश्यकता है। ये उद्योग हमारे जल और भूमि को प्रदूषित करते हैं, हमारे जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं और उसका ह्रास करते हैं।

इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी जलवायु में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और यह हो रहा है। यह हमारे जीवन पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल रहा है और अब इस पर नजर रखी जानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग जो मुख्यतः मनुष्यों की गतिविधियों के कारण होती है, जलवायु परिवर्तन के कारकों में से एक है।

मनुष्य अभी भी जलवायु का सामना करने और उसके अनुसार अनुकूलन करने में सक्षम हैं, लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते। इसी कारण वन्य जीव भी विलुप्त होते जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य सदैव अपने भले के बारे में सोचता है और स्वार्थी हो जाता है। वह इस बात को नज़रअंदाज कर देता है कि वह आसपास के वातावरण पर क्या प्रभाव डाल रहा है। यदि जनसंख्या दर इसी गति से बढ़ती रही तो हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि के हानिकारक परिणाम सामने आते हैं। अत: हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अवश्य करने चाहिए।

जनसंख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है.

उत्तर. जुलाई 2021 तक विश्व की जनसंख्या 7.88 बिलियन होने का अनुमान है।

Q.2 चीन की जनसंख्या कितनी है?

उत्तर. जुलाई 2021 तक चीन की जनसंख्या लगभग 141.24 करोड़ है।

Q.3 जनसंख्या अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

Q.4 जनसंख्या वृद्धि को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवासन और संसाधनों तक पहुंच शामिल है।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

इस लेख में हमने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) लिखा है। जिसमें जनसंख्या वृद्धि का अर्थ, प्रकार, कारण. दुष्परिणाम. कानून और नियंत्रण के उपाय को आकर्षक रूप से शामिल किया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi)

किसी भी परिवार को एक आदर्श परिवार तब कहा जा सकता है जब वह सभी प्रकार से संतुलित हो। परिवार में संतुलन अर्थात संख्या संतुलन, आर्थिक संतुलन और व्यवहारिक संतुलन होता है।

लेकिन जब संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है तो परिवार आर्थिक, सामाजिक तथा व्यावहारिक रूप से कमजोर हो जाता है। ठीक इसी प्रकार किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या उसके अविकसित रहने का कारण बनती है।

जनसंख्या वृद्धि यह एक प्राकृतिक परिस्थिति है। लेकिन इसका संतुलन मनुष्य के विवेक के ऊपर निर्भर होता है। अर्थात मनुष्य चाहे तो अपने परिवार को संतुलित रख राष्ट्र को संतुलित रख सकता है।

आबादी की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश चीन है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर मौजूद है। लेकिन जिस गति से भारत में जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

संख्या में ज्यादा होने के कारण इंसानों को रहने तथा गुजर-बसर करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जिस देश में जनसंख्या असंतुलन होती है वहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई तथा बेरोजगारी अधिक मात्रा में देखने को मिलती है।

इस विषय की गहराई के बारे में हर भारतवासी को सोचना होगा। साथ ही ऐसे कड़े कानून की व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसके माध्यम से लापरवाह और असंतुलित लोगों पर शिकंजा कसा जा सके।

जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा Definition of population growth in Hindi

एक निश्चित आंकड़े के बाद बढ़ी हुई आबादी को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थिति, विकास के अवसर तथा धन के आधार पर तय किए गए जनसंख्या मानक से अधिक संख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या का नाम दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में किसी भी व्यक्ति, समूह को शामिल नहीं किया जाता है। जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे जनसंख्या बढ़ा रहे हैं।

कुछ विशेष नियमों के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा में बदलाव हो सकता है। क्योंकि पिछली परिभाषा के अनुसार जाहिल और पिछड़ी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर पाना नामुमकिन होता था।

वर्तमान समय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर कानून नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों पर लगाम कस पाना बेहद मुश्किल कार्यों में से एक है।

जनसंख्या घनत्व वृद्धि के प्रकार Types of Population Density Growth in Hindi

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र।

जहां जनसंख्या का घनत्व चार सौ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है ऐसे जगह को ज्यादा घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र कहते हैं। ऐसे क्षेत्र तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल राज्य में आते हैं। 

जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 100 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के बीच होता है उन्हें मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, उड़ीसा, जैसे राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।

जिन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति या उससे कम प्रति वर्ग किलोमीटर होता है ऐसे क्षेत्रों को निम्न जनसंख्या घनत्व वाला स्थान कहते हैं। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अंडमान निकोबार दीप समूह।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण Reason of Population increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश में आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण देश का आर्थिक विकास दर बाधित होता है।

जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है। क्योंकि ज्ञान के अभाव में ही लोग अपनी तथा देश के भले बुरे के बारे में दूरदर्शिता नहीं रख पाते।

अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि को रोकने का विकल्प नहीं खोज पाते। जिसके कारण उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन असंतुलित हो जाता है।

कम पढ़े लिखे होने के कारण कम आयु में विवाह करने का प्रचलन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप परिवार संयोजन जैसे गंभीर विषयों पर सोचने लायक बुद्धि का विकास ही नहीं हो पाता। जिसके कारण जनसंख्या असंतुलन जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

कम आयु अथवा कम समझ में विवाह हो जाने के कारण परिवार नियोजन के प्रति उदासीन भाव रखते हैं तथा विकल्पों को व्यर्थ की बात समझने लगते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों में सबसे मुख्य कारण चिकित्सा का अभाव भी होता है। जिसके माध्यम से लोगों को उनकी शारीरिक संरचना के प्रति आगाह किया जाता है। चिकित्सा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि होना आज एक आम बात रह गई है।

इसके अलावा गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है। इसके कारण कुछ धर्म विशेष के लोग इन मुद्दों की गंभीरता को बिल्कुल भी नहीं समझते हैं तथा अंधविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि को उनके ईश्वर की मर्जी मानते हैं।

आज अगर बढ़ती हुई आबादी को संतुलित करने के रास्ते न निकाले गए तो इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही नकारात्मक देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम Bad Effects of Population Increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण किसी भी देश में तकलीफों का बढ़ना आम बात है। जिसमें उस देश के सभी नागरिकों की हानि होती है साथ में देश आर्थिक रूप से कमजोर होता है।

जब किसी देश में लोगों की संख्या बेलगाम बढ़ने लगती है तो वहां के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। जो वहां के लोगों की प्रति ही खर्च हो जाता है और व्यवसाय के लिए नाम मात्र ही बचता है। 

उदाहरण के तौर पर चीन में अधिक जनसंख्या होने के कारण वह अपने देश में उगाए हुए चावल स्वयं ही उपयोग में लेता है।

मामूली सी बात है, कि जिस घर में खाने वाले अधिक तथा कमाने वाले कम होंगे वहां के लोगों का जीवन स्तर बहुत ही मामूली रह जाएगा। वर्तमान भारत के कई गांवों में आज निम्न स्तर के जीवन जीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

कहते हैं कि पैसा पैसे को खींचता है और गरीबी को। गरीबी का कुचक्र एक ऐसा चक्र है जिसमें लोग आजीवन फंसे रह जाते हैं तथा अपने हित व समाज के हित की बात सोच ही नहीं पाते। 

जब लोगों के जीवन का स्तर निम्न होगा जाहिर सी बात है कि देश का स्तर भी गिरेगा। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र भुगतता है।

जनसंख्या वृद्धि के सबसे बड़े दुष्परिणाम के रूप में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की हानि के रूप में सामने आता है। जहां लोगों की वृद्धि होती है वहां उन्हें रहने के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण जंगलों तथा प्राकृतिक स्थानों का नाश किया जाता है।

इसके अन्य बहुत सारे दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं जैसे कि- बेरोजगार स्त्री पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी होना, प्रदूषण का बढ़ना , श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तथा आपराधिक प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होना इत्यादि।

जनसंख्या नियंत्रण कानून Population Regulation Bill in Hindi

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जबरदस्ती आपातकालीन लागू कर दिया था तब उन्होंने 60 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई थी। जिसके बाद लगभग दो हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।

विगत सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत से कानून बनाने के प्रयास किए। लेकिन वे सभी फाइलों में धूल खाती रह गई। 

सन 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी सरकार में गठित वेंकटचलैया आयोग ने कानून बनाने की सिफारिश की थी। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।

इसके बाद सभी सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर अपने स्वार्थ साधना ही पूरी की। वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठाया था।

2015 से 2018 तक विभिन्न लोगों ने अपने अपने रिसर्च और रिपोर्ट को उजागर किया था जिसमें गैर कानूनी तरीके से भारत में रह रहे लोगों का उल्लेख खुलकर किया गया था।

समय-समय पर अनेक राजनेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के विषय को उठाया। लेकिन जनसंख्या नियंत्रण यह परिवार का व्यक्तिगत मामला होता है इसलिए वर्तमान सरकार ने जागरूकता पर अधिक जोर दिया है।

लेकिन जो मुद्दे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी होते हैं उन मुद्दों के लिए जबरजस्ती कानून बनाने की आवश्यकता हो तो ही बनाने चाहिए। क्योंकि एक बार परिस्थिति हाथ से निकल जाती है तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। 

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता को फैलाना चाहिए। इसके लिए गांव देहातों में विभिन्न सभाओं व परिवार नियोजन संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए।

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। जिसके लिए लोगों को शिक्षित तथा अनुशासित करने का ताना-बाना बुनना चाहिए।

गैरकानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों को बलपूर्वक देश के प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करना चाहिए तथा गैर कानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना ही एकमात्र उपाय है। जिसके माध्यम से लोगों में संतुलन बनाए रखने की जागरूकता में वृद्धि होगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर 10 लाइन Best 10 lines on Population growth in Hindi

  • किसी भी देश के आर्थिक संपत्ति के मुकाबले अतिरिक्त जनसंख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या कहते हैं।
  • जनसंख्या की दृष्टि से चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है।
  • एक रिसर्च के अनुसार 2048 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की जनसंख्या वर्ष 2064 में लगभग 9.7 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया है।
  • समय के साथ किसी देश की बढ़ती आबादी को वृद्धि वक्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के मुख्य सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है।
  • तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न होता है।
  • भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता बेहद ही अधिक है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi : आज हम जनसंख्या वृद्धि पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, & 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए सभी देशों द्वारा मिलकर 11 जुलाई को world population day मनाया जाता है। जिसमें जनसंख्या की वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए चर्चा की जाती है।

बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश के लिए बहुत विनाशकारी है इसीलिए स्कूलों में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए निबंध लिखने को दिए जाते हैं जैसे बच्चों में और उनके अभिभावकों में इसके प्रति जागरूकता लाई जा सके।

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प्रस्तावना –

जनसंख्या वृद्धि दर विकासशील देशों की एक अहम समस्या है इस समस्या से हमारा भारत देश भी जूझ रहा है।सबसे अधिक जनसंख्या हमारे पड़ोसी देश चीन में है उसके बाद दूसरा स्थान हमारे देश भारत का ही आता है।

लेकिन कुछ ही सालों में हम जनसंख्या के मामले में चीन को प्रचार ते हुए पहले पायदान पर होंगे। यह कोई उपलब्धि नहीं होगी क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में बेरोजगारी, भूखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण –

जनसंख्या वृद्धि के बहुत से कारण है जैसे अशिक्षित लोग, बाल विवाह, पुत्र मोह, रूढ़िवादी सोच, मृत्यु दर में कमी, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि इत्यादि के प्रमुख कारण है जिसके कारण निरंतर जनसंख्या वृद्धि हो रही है।

और एक अन्य कारण यह भी है कि लोग परिवार नियोजन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते है उन्हें निरोध, गर्भनिरोधक औषधियां और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं होती है।

और कुछ लोग सोचते हैं कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही उनके परिवार को सहारा मिलेगा क्योंकि जितने लोग होंगे उतनी ही कमाई होगी लेकिन होता इसका हमेशा उल्टा ही है। अधिक संतान होने के कारण ज्यादातर लोग नरकीय जीवन यापन करते हैं।

जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव –

जनसंख्या वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है जो कि हमारे भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमें मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छ जल, वायु, भोजन, चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती है।

आजकल अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी पड़ी रहती है लेकिन उन्हें देखने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते है क्योंकि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ गई है कि उनकी प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे है इसके कारण देश के आर्थिक विकास की दर भी धीमी पड़ गई है।

अगर इसी तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती रही तो इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में संसाधन उपलब्ध है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है

इसलिए आगे जाकर लोगों को स्वच्छ जल, हवा, भोजन नहीं मिल पाएगा और लोगों में हिंसा फैल जाएगी इसका परिणाम यह होगा कि पृथ्वी पर से जीवन विलुप्त भी हो सकता है।

जनसंख्या वृद्धि का समाधान –

जनसंख्या वृद्धि का एक ही समाधान है लोगों को शिक्षित किया जाए और उन्हें जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के बारे में बताना चाहिए।

हमारी सरकार को जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानूनों की व्यवस्था करनी चाहिए और परिवार नियोजन के बारे में प्रचार प्रसार करके लोगों को बताना चाहिए।

उपसंहार –

जनसंख्या वृद्धि एक धीमे जहर के समान है जोकि धीरे-धीरे हमारे रहने के स्थान पृथ्वी को नष्ट कर रही है। हमे स्वयं आगे बढ़कर जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाएंगे और पूरी पृथ्वी जंग का मैदान बन जाएगी।

यह हमारी मानव सभ्यता और अन्य वन्यजीवों के लिए आवश्यक है। इसलिए आज ही अपने आसपास के क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में जानकारी दें।

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रूपरेखा –

जनसंख्या वृद्धि एक सीमित भू-भाग पर अधिक लोगों की संख्या को दर्शाती है। जनसंख्या के मामले में चीन के बाद हमारे भारत देश का ही नाम आता है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या 24।39 करोड़ है। यह लगभग 18% की दर से बढ़ रही है जो कि बहुत अधिक है।

ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में ही देखी जा रही है और विकासशील देशों के लिए यह स्थिति भयावह है क्योंकि इतनी जनसंख्या के लिए स्वच्छ वातावरण, जल, भोजन, रोजगार इत्यादि उपलब्ध कराना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत अधिक जरूरी है

(1) अशिक्षा – शिक्षा की कमी के कारण लोग बच्चे पैदा करते रहते हैं लेकिन उनकी परवरिश और भविष्य के बारे में नहीं सोचते है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(2) बाल विवाह – कम उम्र में ही बच्चों का विवाह हो जाने के कारण बच्चों का जन्म भी जल्दी होता है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

(3) सामाजिक दबाव – कई बार विवाह होने के पश्चात शिक्षित लोग बच्चे का जल्द ही जन्म नहीं करना चाहते लेकिन सामाजिक आलोचनाओं के कारण उन्हें जल्दी बच्चे को जन्म देना पड़ता है जो की जनसंख्या बढ़ती का कारण बनता है।

(4) मृत्यु दर में कमी – हमारी विज्ञान और चिकित्सा पद्धति ने इतनी उन्नति कर ली है कि अब बड़ी बड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है इसलिए लोग अधिक समय तक जीवित रहते है जो की जनसंख्या वृद्धि में अपनी भागीदारी निभाते रहते है।

(5) रूढ़िवादी सोच – अक्सर गांव के ज्यादातर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच के कारण बच्चों को जन्म देते है वे सोचते हैं कि अगर बच्चे नहीं हुए तो उनका परिवार आगे कैसे बढ़ेगा। इसलिए वे अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।

(6) बढ़ती जन्म दरें – पुरानी समय में चिकित्सा पद्धति के अधिक विकसित नहीं होने के कारण अक्सर जन्म के समय बच्चों की मृत्यु हो जाती थी लेकिन अब यह बहुत ही कम हो पाता है जिसके कारण जन्म दर बढ़ जाती है और जनसंख्या वृद्धि होती है।

(7) पुत्र मोह – अपने परिवार का कुल आगे बढ़ाने के लिए लोगों की ज्यादा इच्छा लड़के के जन्म की ही रहती है लेकिन अगर लड़की का जन्म हो जाता है,

तो वह दोबारा दूसरे बच्चे को जन्म देते हैं इसी तरह से ज्यादातर मामलों में लड़कियों का जन्म होता रहता है और लोग पुत्र मोह में बच्चों को जन्म देते रहते हैं जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(8) जीवन प्रत्याशा में वृद्धि – जैसे-जैसे मानव के जीवन में सुविधाओं का विस्तार हुआ है और अच्छी शिक्षा, अच्छा भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छता की आदत और अच्छे पोष्टिक भोजन के कारण आज प्रत्येक वर्ग अच्छे से अपना जीवन निर्वाह कर रहा है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति अच्छे से पोषित रहता है इसी कारण जनसंख्या बढ़ती है।

(9) वृद्धि हुई आप्रवासन – आप्रवासन निवृत्ति ज्यादातर जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण होती है यह समस्या अक्सर विकसित देशों में अधिक आती है क्योंकि वहां की जीवन शैली बहुत ही सरल होता है।

साथ ही वहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है और जीवन निर्वाह करने के लिए अच्छा वेतन भी मिलता है इसलिए विकासशील देशों के लोग वहां पर जाना अधिक पसंद करते है जो की जनसंख्या वृद्धि का एक कारण बनता है।

जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभाव –

(1) गरीबी – निरंतर जनसंख्या वृद्धि के कारण एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाता है क्योंकि उसकी संतान अधिक होती हैं जिसके कारण उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है।

(2) कुपोषण – एक व्यक्ति के अधिक संतान होने के कारण वे उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पाता है जिसके कारण हमे गरीब तबके के लोगों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।

(3) प्रदूषित पर्यावरण – अगर किसी देश में अधिक जनसंख्या होगी तो वहां प्रत्येक वस्तु का अत्यधिक इस्तेमाल होगा जिसके कारण पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड, दूषित जल, और रहने के लिए स्थान की आवश्यकता के कारण जंगलों की कटाई होती है जिससे जंगल भी खत्म होते हैं साथ ही वहां के प्राणी भी खत्म हो जाते हैं और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

(4) मूलभूत सुविधाओं की कमी – किसी भी देश के नागरिक को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मूलभूत सुविधाएं मिली जरूरी है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, जल इत्यादि लेकिन यह सभी सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और जनसंख्या अधिक होगी तो इन सुविधाओं का मिलना मुश्किल होगा।

(5) बेरोजगारी – जिस तेजी से जनसंख्या वृद्धि हो रही है उस तेजी से उद्योग धंधों में वृद्धि नहीं हो रही है जिस कारण वर्तमान में ज्यादातर लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

(6) देश का आर्थिक विकास रुकना – जिस देश की जनसंख्या अधिक होगी उस देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाएगा क्योंकि सरकार जब भी विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनाती है तो जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाती है।

लेकिन 5 वर्ष में जनसंख्या इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उस योजना का प्रभाव देखने को नहीं मिलता है और देश में प्रत्येक वस्तु की खपत भी अधिक होती है जिसके कारण निर्यात में कमी आती है और आर्थिक विकास धीमा होता है।

(7) पोष्टिक आहार की कमी – बढ़ती हुई जनसंख्या की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा खेतों में अब यूरिया जैसी खादों का उपयोग किया जाता है क्योंकि दिन प्रतिदिन जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन उनकी भोजन की व्यवस्था करने के लिए उपजाऊ जमीन सीमित मात्रा में उपलब्ध है।

इसलिए अधिक फसल उत्पन्न करने के लिए कीटनाशक और यूरिया खादों का उपयोग किया जाता है जिसके कारण वह कीटनाशक भोजन के साथ मिलकर हमारे शरीर को खराब करते है इसलिए हमें पोष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

(8) जीवन स्तर में कमी – जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में भी कमी आती है गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और अमीर हो जाता है क्योंकि अक्सर गरीब लोग अधिक संतान जन्म देने में विश्वास करते है।

वे सोचते है कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही हाथ होंगे जिससे अधिक कमाई होगी लेकिन वे यह सोचना भूल जाते है कि हर संतान के साथ एक पेट भी होता है जिसे भरने के लिए उतने ही भोजन की आवश्यकता होती है। इसी सोच के कारण जनसंख्या बढ़ती होती रहती है और लोगों को अपनी मूलभूत सुविधाओं में कटौती करके जीवन यापन करना पड़ता है।

(9) महंगाई बढ़ना – अगर किसी वस्तु की कमी होगी तो उसका मूल्य बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होती है वैसे-वैसे महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि खपत बढ़ती है लेकिन उतनी मात्रा में वस्तु उत्पादन नहीं होती है इसीलिए आपने देखा होगा कि वर्तमान में महंगाई बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय –

(1) शिक्षा – अगर हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो सबसे पहले हमें शिक्षा का प्रचार प्रसार करना होगा क्योंकि शिक्षा से ही लोगों की आंखों पर पड़ा अंधकार का पर्दा उठेगा और उन्हें ज्ञात होगा कि अधिक संतान के कारण उनके भविष्य के साथ-साथ उनकी संतान का भविष्य भी खराब हो जाता है इसलिए प्रत्येक गांव तक शिक्षा का पहुंचना बहुत आवश्यक है।

(2) जुर्माना या दंड – सरकार को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए एक नियमित संख्या से ज्यादा संतान पैदा करने पर जुर्माना लगा देना चाहिए या फिर मुफ्त में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए जिससे लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार का सहयोग करें।

(3) दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना – आज के पश्चिमी सभ्यताओं के प्रभाव में युवक-युवतियां बिना शादी के संतान पैदा कर लेते हैं लेकिन फिर समाज के डर से वे उन्हें कचरे में फेंक देते है और कुछ लोग अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को छोड़ देते हैं जो कि अनाथ हो जाते है।

लोगों को इन अनाथ बच्चों को अपना लेना चाहिए जिससे अनाथ बच्चों को उनके माता पिता मिल जाएंगे और जिनको संतान चाहिए उनको संतान मिल जाएगी इससे जनसंख्या वृद्धि भी रोकी जा सकेगी।

(4) परिवार नियोजन – हमारी सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर परिवार नियोजन करने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन उनका इतना अधिक असर नहीं पढ़ पाता है क्योंकि लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी नहीं होती है।

(5) न्यूनतम विवाह योग्य आयु – हमारे देश में बाल विवाह है एक सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती तेजी से हो रही है अगर विवाह के लिए न्यूनतम आयु घोषित कर दी जाए तो जनसंख्या वृद्धि रोकी जा सकती है।

हमारे देश में विवाह के लिए न्यूनतम आयु लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है अगर इसका सख्ती से पालन किया जाए तो जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि एक चिंता का विषय है क्योंकि यह जितनी तेजी से बढ़ रही है उसके लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना नामुमकिन सा हो रहा है। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को नहीं समझेगा तब तक जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाना मुश्किल है।

आज प्रत्येक नागरिक को समझने की जरूरत है कि अगर वह जनसंख्या पर नियंत्रण करते हैं तो उन्हें स्वच्छ पर्यावरण वायु, जल, स्वास्थ्य, भोजन मिलेगा जोकि उनके परिवार, देश के लिए और सबसे अधिक हमारी पृथ्वी का वातावरण भी संतुलित रहेगा।

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5 thoughts on “जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi”

Chhote se chota nibhand bhejo

Ravindra jalon hum jald hi chota nibandh bhi likhnge

Yes I agree t hu e comment policy

Jansankya varadhi pr nibandh 400words me likhkar yha dalr

riya ji hum jald hi 400 word ka nibandh bhi likhenge.

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population control essay 250 words in hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) जनसंख्या वृद्धि एक विकट समस्या पर निबंध (2) जनसंख्या वृद्धि की समस्या और निदान पर निबंध (3) बढ़ती जनसंख्या एवं घटते साधन पर निबंध (4) जनसंख्या वृद्धि के कारण एवं निवारण पर निबंध (5) परिवार नियोजन की अनिवार्यता पर निबंध (6) निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या समस्या एवं समाधान पर निबंध (7) जनसंख्या समस्या पर निबंध (8) जनसंख्या की समस्या पर निबंध (9) जनसंख्या का नियंत्रण क्यों जरूरी है पर निबंध

पहले जान लेते है जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | essay on population problem in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1)  प्रस्तावना (2) भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण (3) जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियां (4) जनसंख्या नियंत्रण से लाभ (5) हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण विषयक प्रगति (6) जनसंख्या नियंत्रण के उपाय (7) उपसंहार

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रेलवे के टिकटघर की खिड़की हो अथवा बस स्टैण्ड का टिकटपर, राणन की दुकान है अथवा नाई की दुकान, विद्यालय में प्रवेश हेतु बच्चों के आवेदन पत्र हो अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार की पंक्ति, सर्वत्र ‘एक बुलाया सत्तर आए की कहावत चरितार्थ होती है।

इने सबका एकमात्र कारण हैं जनसंख्या की अतिशय वृद्धि होना, जनसंख्या का विस्फोटन।

हमारे देश में संसार की आबादी का छठवाँ भाग निवास करता है।

जनसंख्या दिनों दिन बढ़ रही है, यह हमारे लिए अति कष्टदायिनी स्थिति है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या विस्फोट के अनेक कारण हैं जिनमें से यहाँ कुछ का उल्लेख किया जा रहा है।

इनमें प्रमुख कारण है-बाल विवाह, बह विवाह, मनोरंजन के साधनां का अभाव, दरिद्रता, गर्म जलवायु, अशिक्षा, संतति निरोध के विषय में जागरूकता का अभाव, परिवार नियाजन के नवीनतम साधनों से अनभिज्ञता तथा पुत्र-प्राप्ति की बलवती इच्छाएँ आदि।

हमारी अशिक्षा और अंधविश्वास जनसंख्या वृद्धि में प्रति वर्ष एक आस्ट्रेलिया जोड़ देते हैं ।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियाँ

जहाँ जनसंख्या बढ़ेगी वहाँ यह निश्चित है कि महँगाई बढेगी तथा अनेक दरिद्रता विषयक व्याधियाँ पैदा हो जायेंगी। भूमि सीमित है।

यदि जनसंख्या अधिक बढ़ गयी तो खाद्यान्न संकट पेदा होगा, लोग भूखों मरने लगेंगे।

कृषि भूमि की कमी, मारपीट, छीना डाफ्टी चोरी- डुकैतियाँ बढ़ेंगी। जीवन-स्तर में बुरी तरह से गिरावट आयेगी ।

अधिक जनसंख्या के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, रोटी, कपड़ा और मकान की सही व्यवस्थाएँ नहीं हो सकेंगी।

हमारे देश के लिए तो जनसंख्या वृद्धि अभिशाप बन चुकी है।

इसीलिए तो भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनसंख्या विस्फोट विषयक हानियों को दृष्टिगत रखते हुए कहा था-

“जनसंख्या के तीव्र गति से बढ़ते रहने पर योजनाबद्ध विकास करना बहुत कुछ ऐसी भूमि पर मकान खड़ा करने के समान है, जिसे बाढ़ का पानी बराबर बहाए ले जा रहा है।”

जनसंख्या नियन्त्रण से लाभ

इस जनसंख्या वृद्धि से जो हानियाँ हैं, वे ही जनसंख्या के नियन्त्रित करने पर लाभों में परिवर्तित हो जायेंगी।

सभी मनुष्य सुखी एवं व्यवस्थित रहेंगे, पारिवारिक व्यय नियन्त्रित होगा, सीमित पारिवारिक आय के साधनों से सीमित परिवार की प्रगति होगी छोटा परिवार सुखी परिवार होता है।

शिक्षा, यातायात, भोजन, वस्त्र एवं मकान सभी को सुलभ होंगे। अस्पतालो की समुचित व्यवस्था हो सकेगी।

जनसंख्या नियन्त्रित होने पर सुख, शान्ति, समृद्धि एवं शालीनता का विकास होगा

मानवता के सकारात्मक गुण-ब्रह्मचर्य, दया, क्षमत करुणा, सेवा, मैत्री तथा वृद्ध जन सम्मान आदि स्वतः विकसित होंगे।

भाई-चारा, सद्भाव बढ़ेगा, आतंकवाद एवं अलगाववाद से भी मुक्ति मिल जायेगी।

नियन्त्रित जनसंख्या होगी तो आरक्षण की भी आवश्यकता नहीं होगी।

सभी को नौकरियाँ सर्वसुलभ होंगी, कोई भूखा नही मरेगा। देश का जीवन स्तर उन्नत होगा।

महँगाई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती।

माता-पिता का सभी सम्मान करेगे। कम बच्चे होने पर परिवार का मुखिया उन पर बिशेष ध्यान देगा समाज शान्त रहेगा। चोरी-डकैतियों से मूक्ति मिल जायेगी।

इसलिए इस प्रकार के बेष्ठ सर्वसम्मत एवं कारगर उपाय किये जाएँ जिनसे जनसंख्या की अनियन्त्रित वृद्धि रुक सके।

जनसंख्या वृद्धि तो होगी ही अतः गणितीय आधार पर हो, रेखागणितीय आधार पर नहीं। उसका विस्फोट नहीं होना चाहिए, इसे रोकने के उपाय किये जाएँ।

हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक प्रगति

हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण विषयक क्रिया-कलाप सरकार द्वारा किये गये। यह कार्य प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत रखा गया।

प्रथम पंचवर्षीय योजना में यह कार्यक्रम नगर एवं उपनगरों तक ही सीमित रह गया। केन्द्र सरकार ने 146 तथा राज्य सरकारों ने 205 परिवार नियोजन केन्द्र स्थापित किये।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना मे इस कार्य को ग्रामों तक बढ़ाया गया।

तृतीय पंचवर्षीय योजना में सरकार ने ग्रामीणों को परिवार नियोजन की आवश्यकता एवं उसके महत्त्व का ज्ञान कराया साथ ही ग्रामों में ग्रामीणों से इसे अपनाने के लिए कहा गया। पुराने केन्द्रों पर ही सुविधाएँ प्रदान की गयीं ।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में परिवार नियोजन को राष्ट्रीय स्तर का महत्त्व प्रदान किया गया तथा परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनाने वाले दम्पत्ति को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित भी किया गया।

जनसंख्या विस्फोट नियन्त्रण हेतु सरकार ने गर्भपात अधिनियम बनाया, अनचाहे गर्भ से मुक्ति प्राप्त करने हेतु वैधानिक, समर्थन दिया।

छठी, सातवीं एवं आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं में सरकार ने इस ओर विशेष ध्यान दिया लेकिन अशिक्षा एवं अन्धविश्वास सर्वत्र आड़े आये।

गाँव-गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने तथा सम्बन्धित नर-नारियो को पूर्ण सुविधाएँ प्रदान करने के आश्वासन दिये।

जगह-जगह शिविर लगाकर नवीनतम पद्धतियों के विषय में समझाकर जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण कार्यक्रम को गति दी गयी।

आज बर्तन, रुपये तथा भूमिरहित व्यक्ति को भूमि का पट्टा आदि देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने की चेष्टा हो रही है।

जनसंख्या नियन्त्रण के उपाय

जनसंख्या वृद्धि नियन्त्रण हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-

1. बाल विवाह पर रोक लगाई जाये तथा सभी जाति एवं वर्ग हेतु बहुपत्नी प्रथा पूर्णरूपेण समाप्त की जाय।

2. परिवार नियोजन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये।

3. विवाह की आयु का सम्यक् निर्धारण होना चाहिए। लड़की का विवाह 20-21 से ऊपर तथा लड़के का विवाह 25 वर्ष पूर्ण करने के बाद ही किया जाये।

4. सभी को शिक्षित बनाया जाये, शिक्षितो को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता प्रदान की

5. ‘बच्चे एक या दो ही अच्छे’ और उनके मध्य कम-से-कम पाँच वर्ष का अन्तराल होना चाहिए।

6. एक पुत्र अथवा पुत्री वाले माता-पिता को सम्मानित किया जाये तथा उसे निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाये और अन्य सुविधाएँ रक्षण पालन विषयक दी जायें।

7. अधिक संततियों वाले माता-पिताओं को हतीत्साहित करने के नियम बनाये जायें। उन्हें शासकीय सुविधाओं से वंचित रखा जाये।

8. जनता को परिवार नियोजन साधन अपनाने हेद्र प्रोत्साहित किया जाये।

हमारे देश में अशिक्षा एवं अन्धविश्वास ही जनसंख्या वृद्धि का मूल है। हमें कुरीतिरयाँ मिटानी होंगी तथा शिक्षा प्रसार करना होगा।

सरकार तो प्रयत्नशील दिखाई देती है लेकिन इस भावनाओं एव अन्धविश्वास से जुड़े मामले में उसे उतनी सफलता नहीं मिल रही है जितनी मिलनी चाहिए।

असल में हमें देशवासियों को जागृत करना होगा जिससे जनसंख्या विस्फोट का सामना कर उससे मुक्ति प्राप्त कर सकें।

हम देशवासियों का भी दायित्व है कि हम इस विषय में कभी लापरवाह न हो तथा लघु सीमित परिवार रखें।

“कभी न हों हम लापरवाह, रखें लघु परिवार सुंचाह। चमके सूरज एक अपार, बढ़े नहीं परिवार-कुमार ॥”

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1Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने जनसंख्या वृद्धि पर निबंध समस्या और समाधान (Essay on Population problem in Hindi) लिखा है। साथ ही हमने जनसंख्या की परिभाषा और भारत की बढती जनसंख्या के विषय में भी हमने इसमें जानकारी दी है। इसमें हमने जनसंख्या विस्फोट का कारण, प्रभाव और उपाय की पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

जनसंख्या की परिभाषा? Definition of Population in Hindi

किसी देश, शहर या किसी जिले या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या को जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या के ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने से देश और दुनिया के ऊपर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है। नीचे हमने जनसंख्या वृद्धि और विस्फोट के बारे मे विस्तार से जानकारी दी है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है? ‎What is Population Problem in Hindi?

किसी देश, शहर और क्षेत्र की जनसंख्या का बढ़ना जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जनसंख्या बृद्धि ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर की एक बड़ी समस्या है। आबादी बढ़ने की समस्या के अभिशाप को हटाने के प्रयास केवल आंशिक रूप से प्रभावी हैं।

इसके परिणामस्वरूप आबादी की दर में गिरावट आई है, लेकिन इष्टतम जनसंख्या वृद्धि और स्वस्थ राष्ट्र के बीच संतुलन हासिल करना काफी दूर है अज्ञानता, निरक्षरता, अस्वच्छ जीवन और उचित मनोरंजन की कमी भारत में आबादी की समस्या के कारण बनी हुई है।

दोनों पुरुषों और महिलाओं को अधिक जनसंख्या के खतरों का एहसास होना चाहिए। अगर हम एक यादृच्छिक सर्वेक्षण करते हैं, तो हमें पता चलता कि अभी भी पुरुष और महिलाएं यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके कम बच्चे होना चाहिए।

टेलीविजन में एक छोटे, प्रबंधनीय परिवार की योग्यता के बारे में विज्ञापन और झाँकियों के माध्यम से निर्देश देता है लेकिन फिर भी ऐसे परिवार हैं, जो इतनी मुश्किलों के बाद भी इस अंधविश्वास से पीड़ित हैं, वे सोचते है कि बच्चे गोद लेना एक अपवित्र कार्य है। फिर भी पेशेवर वंश की  परंपरा भी दृढ़ता से चली आ रही है।

हमारे भारतीय समाज के एक बड़े अनुभाग में एक लोहार, एक बढ़ई, एक मेसन या एक दर्जी तुरंत अपने बच्चों को अपने पिता के व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित करता है। सामान्यतः वे एक मनोवैज्ञानिक सोच रखते है कि ज़यादा बेटों के साथ वह बड़ा रोज़गार कर सकते है। जिस प्रकार एक मज़दूर अधिक पैदावार करता है तो इससे अधिक आय होती है

खुद लोगों को एक छोटे परिवार के गुणों का एहसास होना चाहिए। उनको निवारक जांच को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए – चेक जो जन्म दर को नियंत्रित करते हैं। विकास दर को प्रोत्साहित करने वाला एक और पहलू धर्म है।

किसी भी जनादेश या वैधानिक विधि के अनुसार जनसंख्या ब्रद्धि में रोक लगाना गलत नहीं है। भारत धर्म निरपेक्ष राज्य है, वह धार्मिक आधार पर किसी भी जांच या संयम का प्रयोग नहीं करता है।

जनसंख्या वृद्धि के लिए योगदान देने वाला एक बड़ा कारक शापित मतदान प्रणाली है यह संख्या पर आधारित है। दूसरी तरफ, विशेष रूप से उत्तरी भारत में मतदान पैटर्न, जाति पर आधारित है। स्वाभाविक रूप से, जाति जो कि अन्य जातियों को निर्विवाद वोटों में से निकालती है, शक्तियों के क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से अधिक लाभ उठाने का आनंद लेती है।

प्रारंभिक विवाह- शीघ्र विवाह न केवल उच्च जनसंख्या की ओर जाता है बल्कि हमारी युवा जनसंख्या की प्रगति को विफल भी बनाता है, वे युवाओं के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करते हैं। ज्यादातर युवा लड़कियां, इस उम्र में प्रसव के बोझ को सहन करने के लिए सक्षम नहीं होती हैं।

लोगों को एक उच्च स्तर के जीवन का महत्व दिमाग में रखना चाहिए। बेहतर रहने की स्थिति की आशंका स्वत: ही आबादी में भारी वृद्धि के लिए एक निवारक के रूप में काम करती है। यह जनसंख्या विस्फोट को प्रतिबंधित करता है।

मूलरूप से प्राकृतिक संपदा का अधिक न्यायसंगत वितरण ना हो पाना, धार्मिक कट्टरपंथियों पर प्रतिबंध लगाया जाये जो अनावश्यक जन्म से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे है शिक्षा की विधि द्वारा – ये अकेले आबादी समस्या पर एक प्रभावी नियंत्रण ला सकते हैं।

जनसंख्या विस्फोट क्या है? What is Population Explosion in Hindi?

जनसंख्या विस्फोट जनसंख्या के आकार में अचानक और तेज़ वृद्धि को दर्शाता है, विशेष कर मानव आबादी। यह मानवीय आबादी का अनियंत्रित विकास है जिसके परिणामस्वरूप:

  • बढती हुई जन्म दर
  • शिशु मृत्यु दर में कमी
  • बेहतर जीवन प्रत्याशा

सामान्य सीमा से अधिक आबादी में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। यह विकसित देशों की तुलना में कम विकसित और विकासशील देशों में अधिक प्रमुख है। जनसंख्या विस्फोट मुख्य रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जनसंख्या में वृद्धि के संदर्भ में आया है। हालांकि, भारत के प्रसंग में, यह आजादी के बाद जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

जनसंख्या वृद्धि का कारण Causes of Population Explosion in Hindi

जनसंख्या विस्फोट के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं-

1. बढ़ती जन्म दरें (Rising birth rates)

जन्म नियंत्रण पद्धति का उपयोग ना करने और इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता की कमी के कारण जन्म दर में लगातार वृद्धि हुई है। यह बढती हुई जनसंख्या का एक मुख्य कारण है।

2. शिशु मृत्यु दर में कमी (Infant mortality rate)

चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार, निवारक दवाओं (टीके) के व्यापक उपयोग ने शिशु मृत्यु दर में बहुत जी तेज़ी से कमी आई है। हलाकि यह एक सकारात्मक कदम है परन्तु पिछले कुछ दशकों के दौरान चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी सुधार होने के कारन जनसंख्या में वृद्धि हुई है।

3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि (Increase in life expectancy)

बेहतर रहने की स्थिति, बेहतर स्वच्छता और स्वच्छता की आदतों, बेहतर पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा आदि के कारण मानव आबादी की औसत जीवन प्रत्याशा में काफी सुधार हुआ है। अच्छी गुणवत्ता वाले भोजन की स्थिर आपूर्ति यह सुनिश्चित करती है कि जनसंख्या अच्छी तरह से पोषित होती है जनसंख्या बढ़ती है जब वे पर्याप्त रूप से पोषित होते हैं।

4. वृद्धि हुई आप्रवासन (Increased immigration)

आप्रवासन में वृद्धि अक्सर जनसंख्या विस्फोट में योगदान देती है। विशेष रूप से विकसित देशों में ऐसा तब होता है जब बड़ी संख्या में पहले से ही आबादी वाले स्थान पर स्थायी रूप से निवास करने के इरादे से दुसरे देशों से लोग आ जाते हैं और रहने लगते हैं। परन्तु अब इसके लिए भारत में CAA जैसे नए नियम आ चुके हैं।

5. आवश्यक से कम जगह (Less space than necessary)

कई देशों में जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है परन्तु उन देशों में उतने लोगों के रहने की जगह नहीं होती है। ऐसे में उस देश और क्षेत्र के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों को सामना करना पड़ सकते है। उदाहरण के लिए – खाना, पीने का पानी, बिजली आदि की कमी।

जनसंख्या बढ़ने के कारण Effect of Population Growth in Hindi

असामान्य जनसंख्या वृद्धि सामान्यतः भारत की गरीबी के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। इस कारण लोग बहुत दयनीय स्थिति में रहते है। लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भारत में प्रयास किए जा रहे हैं, अगर आबादी को नियंत्रित करने की अनुमति दी जाती है तो इससे कोई फलदायी परिणाम उठा सकता है।

स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय गतिविधियों को कृषि, व्यापार, वाणिज्य और उद्योगों के एकीकृत विकास के माध्यम से लोगों की बढ़ती संख्या को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने के कार्य को निर्देशित किया जाता है।

इस प्रयोजन के लिए अपनाई गई योजनाओं को तब तक अमल नहीं किया जा सकता जब तक कि आबादी की समस्या को संतोषजनक ढंग से सामना नहीं किया जाएगा। हालांकि, यह भी एक तथ्य है कि हम जनसंख्या पर कोई प्रभावी जांच नहीं कर सकते, जब तक कि सामान्य लोगों के लिए जीवन स्तर के स्तर में कोई बढ़ोतरी न हो।

अधिक जनसंख्या, अर्थव्यवस्था को कई मामलों में कमजोर बनाती है। प्राकृतिक संसाधनों पर आबादी का बढ़ता दबाव आर्थिक प्रगति को रोक देगा और शिक्षा, धन, आवास, आदि के रूप में सामाजिक सेवाओं के लिए दायरे को कम से कम करना, इसलिए एक प्रगतिशील राज्य के लिए अनिवार्य रूप से आवश्यक है कि  हमारी अर्थव्यवस्था की योजना बद्ध वृद्धि को आबादी पर कुछ प्रभावी जांच की आवश्यकता है।

जनसंख्या वृद्धि के समाधान Solutions for Population Control in Hindi

सरकार द्वारा शुरू की गई परिवार नियोजन योजनाओं के लाभों को कई मायनों में जोर दिया जाए। फिर भी, आबादी के नियोजित विकास के लिए जनता की राय पूरी तरह जुटाई जाने से पहले इसे लगातार प्रचार प्रसार कार्य की आवश्यकता रूप से किये जिये है।

पारिवारिक नियोजन के तरीकों में आम जनता को शिक्षित करने के लिए हमें एक चहुँमुखी शिक्षा देना होगी। यह एक अच्छा संकेत है कि हमारे लोगों का एक वर्ग, जो विशेष रूप से मध्यम वर्ग से संबंधित हैं, धीरे-धीरे जनसंख्या जागरूक हो रहे हैं और आबादी नियंत्रण के लिए तैयार किए गए तरीकों में सक्रिय रुचि ले रहे हैं।

उच्च स्तर के रहने के लिए एक निश्चित अग्रिम बनाने के लिए जन्म दर को उचित सीमाओं में रखा जाना चाहिए, जो भारत की प्राथमिक जरूरत है। अगर लोगों को उच्च स्तर के जीवन जीने का मौका मिलता है तो यह काम बहुत आसान होगा। और तब यह जन्म नियंत्रण के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम करेगा।

निष्कर्ष Conclusion

आशा करते हों आपको जनसंख्या वृद्धि पर निबंध (समस्या, समाधान) सहित Essay on Population problem in Hindi लेख अच्छा लगा होगा और पूर्ण जानकारी मिली होगी।

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

Friends, we are going to talk about Essay on Population in Hindi. जनसँख्या पर निबंध। What’s the population of India in Hindi? We will tell you everything about Population in Hindi. What is the solution of Jansankhya Vridhi? We added some slogan on Population in Hindi which will help you get good score in exam . Essay on Population in Hindi is one of the most frequently asked questions in school and colleges.

Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words

hindiinhindi Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

Essay on Population problem in India in Hindi

How to improve living conditions in slums in Hindi

Essay on Population in Hindi 500 Words

रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

Essay on Secularism in Hindi

Essay on Inflation in Hindi

Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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population control essay 250 words in hindi

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

Essay on Population Control Hindi : अपने स्वयं के बच्चे करने की वजाह बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है भारत में बढ़ती हुई आबादी गंभीर चिंता का विषय है हालांकि सरकार ने इसके नियंत्रण पर रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन यह नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं है इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है

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Table of Contents

जनसंख्या नियंत्रण पर 100 शब्दों का निबंध

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवो की कुल संख्या को दर्शाती है हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रीड कर सकते हैं कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ ही यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा रहे हैं

जिनमें जनसंख्या को नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में जनसंख्या नीति अपनाने जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है

क्योंकि संसाधनों पर दबाव बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृतिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर 250 शब्दों का निबंध

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वह इससे संबंधित अधिनियम पारित करें इसके अलावा 2002 में संविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार के निर्देश दिया है कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाए वर्तमान में दर्ज याचिका में संविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई है

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत का है तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है

कुल पीने योग्य पानी जल का 4 परसेंट भारत के पास है तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है तो आने वाले समय में भारत अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्य का विश्लेषण करना आवश्यक है भारत में प्रत्येक दिन 70,000 बच्चे जन्म लेते हैं

अर्थात प्रत्येक मिनट में एग्जाम बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी को भारत में 67375 बच्चे पैदा हुए दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु इनका आयात करते हैं

जनसंख्या नियंत्रण पर 300 शब्दों का निबंध

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आज तक पर प्रजनन की क्षमता अधिक होती है

दूसरा सुझाव दिया जाता है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जाए तथा महिलाएं शिक्षा पर जोर दिया जाए जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी

समाज की रूढ़िवादी परंपराओं से ऊपर उठने में 20 शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है इस उनका तर्क है कि भारत में ऐसे प्रयास पहले ही किए गए जो सफल रहे यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है जिसमें जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम चलाए आजादी के बाद 1951 में इसका आरंभ हुआ 1975 में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सरकार के प्रयास आलोचनाओं से घिरे रहे उस समय किए गए हम मानवी बर्ताव से ना केवल सरकार की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम वह सफल हुए साथ ही साथ आम जनता को भी विरोधी बना दिया

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा कुछ पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है तथा इसके प्रणाम रोमन साम्राज्य प्राप्त हुए हैं इजराइल में 1500 पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है अब्दुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरू हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई 10 की जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 से हुई है

जनसंख्‍या नियंत्रण पर 500 शब्दों का निबंध

प्रस्तावना:-.

जनसंख्या इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी देश जनसंख्या से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं ऐसी समस्याओं में निर्णय को लागू करने में कठिनाई,सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और रोजगार सुनिश्चित करना शामिल है जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनसंख्या का दबाव है जनसंख्या दबाव किसी देश में जनसंख्या द्वारा लगाया जाने वाला दबाव है इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था और समाज को जनसंख्या का आभार बहन करना होगा

बढ़ती जनसंख्या से होने वाली समस्याएं:-

जनसंख्या में वृद्धि एक राज्य के लिए सभी को न्यूनतम आवश्यकताएं प्रदान करना कठिन बना देती है हालांकि दुनिया भर के देशों में जनसंख्या दबाव की समस्या अलग है दुनिया के धनी देशों में जनसंख्या का दबाव उसके पास मौजूद धन के कारण प्रबंध की है विकासशील देशों में समय के साथ जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देश के लिए खुद को स्थापित करना मुश्किल बना देती है इसका कारण यह है कि बढ़ी हुई जनसंख्या में अधिकांश ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं जिनके पास कोई शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा नहीं है उनके हितों की देखभाल करने के लिए देश व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में विफल रहता है

बढ़ती हुई जनसंख्या के मुख्य कारण:-

देश की जनसंख्या दो कारकों,प्रवास और शिक्षा से प्रभावित है जहां तक प्रशासन का संबंध है लोग अक्सर विभिन्न कारणों से देश से दूसरे देश में प्रवास करते हैं छात्र अक्सर शिक्षा के लिए दूसरे देशों में चले जाते हैं युवा अक्सर अपने काम के माध्यम से उत्पन्न देशों की ओर पलायन करते हैं ऐसे व्यक्ति आम तौर पर अपने शेष जीवन के लिए ऐसे देश में बस जाते हैं उनके बस में का मुख्य कारण सामाजिक सुरक्षा और आय के अवसर है अन्य सुविधाएं भी हैं जो प्रथम विश्व के देशों के लोगों की उनकी अर्थव्यवस्था से मिलती है

जनसंख्या नियंत्रण के फायदे:-

  • मौजूद जनसंख्या को बेहतर जीवन मिलगा स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा भारत के लोगों की औसत जीवन आयु और बढ़ जाएगी
  • जनसंख्या नियंत्रण हो जाएगी तो सरकार जो पैसा भी गरीबों को मुफ्त राशन बांटने में खर्च करती हो उस पैसे को विकास में लगाया जा सकेगा
  • अपराधीकरण कम होगा यदि जनसंख्या को नियंत्रित किया जाता है क्योंकि ज्यादा जनसंख्या होने पर अपराध भी ज्यादा होते
  • कुपोषण से छुटकारा मिलेगा जनसंख्या नियंत्रण होने पर सरकार मौजूदा लोगों की सेहत पर अधिक ध्यान देगी और उन्हें कुपोषण मुक्त रख सकेगी
  • साक्षरता दर में बढ़ोतरी होगी क्योंकि ज्यादा बच्चे होने की वजह से सरकारी स्कूल में जगह नहीं मिलती गरीब लोग प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते जनसंख्या नियंत्रण होगी तो सभी को शिक्षा मिल सकेगी जिससे साक्षरता दर बढ़ेगी

जनसंख्या नियंत्रण के उपाय:-

  • समानता का प्रचार प्रसार
  • शिक्षित करना
  • स्वास्थ्य सुविधा

भारत और विश्व में जनसंख्या वृद्धि की स्थिति:-

  • हिंदू राष्ट्र के एक डाटा के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक देशों में जनसंख्या वृद्धि पर प्रतिस्थापन दर की तुलना में कमी आ रही है और शायद पहली बार दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दर सदी के अंत तक सुन होने का अनुमान है
  • इसके अलावा हाल ही में ब्लूंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक जनसंख्या में कम से कम 1 दशक की गिरावट देखी जा सकती है
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि महामारी ने संयुक्त राज्य अमेरिका से चीन तक पहले से ही धीमी वैश्विक जनरल को और धीमा कर दिया है
  • संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या अनुमानों के अनुसार वर्ष 2021 और 2021 के बीच भारत की जनसंख्या1.09 के गुणक से वृद्धि होगी
  • वर्ष 2060 के बाद से भारत की जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी तथा प्रजनन दर पर स्थापन सबसे नीचे गिर जाएगी

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम :-

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं,गर्मी में लू और सर्दियों में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों से बचने के लिए वस्त्र नहीं,खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास स्थल है

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश विकास के मामले में पिछड़ा जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी लोगों को आबदी अनियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा वही सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सके

जनसंख्या नियंत्रण क्या है?

कृतिम तरीकों का उपयोग करके जनसंख्या वृद्धि की दर को बदलने को जनसंख्या नियंत्रण कहते हैं कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ाने का लक्ष्य होता था किंतु अब जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करना लक्ष्य है

जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है?

बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती दिख रही है

इन्‍हें भी पढ़ें

  • मेरे जीवन का लक्ष्‍य पर निबंध
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तो आप सभी को “जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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population control essay 250 words in hindi

जनसंख्या पर निबंध – Population Essay in Hindi

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि आज हमारे देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, वहीं अगर इस समस्या पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो मनुष्य इस धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा और मनुष्य के जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं बचेंगे, जिससे वे भुखमरी का शिकार हो जाएंगे।

वहीं बढ़ रही जनसंख्या को लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से हमारी सरकार द्धारा समय-समय पर अभियान भी चलाए जाते हैं जिससे लोग परिवार नियोजन के लिए अपने आगे कदम बढ़ा सके।

इसके साथ ही स्कूल/कॉलेज समेत अन्य संस्थानों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में जनसंख्या के विषय पर निबंध ( Population Essay )लिखने के लिए भी कहा जाता है।

जिससे आज की युवा पीढ़ी जनसंख्या वृद्धि को लेकर जागरुक हो सके और जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जान सकें। वहीं आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में जनसंख्या पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Population Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के विकास में तो बाधा बनती ही है, इसके साथ ही कई और बड़ी मुश्किलें भी पैदा करती हैं। वहीं भारत में काफी गंभीर और बड़ी समस्या बन चुकी है।

जनसंख्या वृद्धि -भारत की एक विकराल समस्या

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज हमारा देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हैं।

भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी बढ़ रही है, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है।

यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी जमकर हनन हो रहा है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है।

प्राकृतिक संसाधनों का हनन तो हो ही रहा है साथ ही में मानव निर्मित संसाधन भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज हमें हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत की आबादी 1 अरब से भी ज्यादा 1, 210, 193, 422 हैं। आबादी के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

वहीं अगर ऐसा ही रहा है तो विशेषज्ञों के मुताबिक साल 2025 तक भारत, सबसे अधिक आबादी वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के प्रयास:

• भारत सरकार ने जनसंख्या पर काबू पाने के लिए लड़कों के लिए न्यूतनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय की है, लेकिन भारत के पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में इस नियम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है।

• भारत सरकार बच्चों को गोद लेने के लिए बढ़ावा दे रही है, लेकिन इससे भारतीयों की मानसिकता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, रुढ़िवादी सोच के चलते आज भी बच्चा गोद लेने से कतराते हैं।

• भारत सरकार द्धारा शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के यह नियम-कानून लागू नहीं हो रहे हैं।

हम सभी भारतीयों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होना चाहिए और इस पर नियंत्रण लगाने के लिए एकजुट होकर कदम उठाने चाहिए, नहीं तो आने वाले भविष्य में इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़ सकता है।

जनसंख्या पर निबंध – Population Par Nibandh

जनसंख्या, किसी भी एक जगह में रहने वाले जीवों की संख्या है। वहीं दुनिया के कई हिस्सों में कुछ कारणों की वजह से जनसंख्या ज्यादा है, तो कई हिस्सों में आबादी का घनत्व बेहद कम हैं। वहीं विश्व में भारत, चीन समेत कुछ ऐसे देश हैं जहां आबादी इतनी बढ़ गई है कि यह गंभीर चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने से खाने और रहने के स्त्रोतों की कमी पड़ने लगती है साथ ही जरूरत से ज्यादा आबादी किसी भी देश के विकास में बाधा पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणाम – Disadvantages of Population

बेरोजागारी:

देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या से बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, क्योंकि आबादी बढ़ने से अशिक्षित और अनपढ़ों की संख्या भी बढ़ रही है, जिससे बेरोजगारी की समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही है।

जाहिर सी बात है जब आबादी बढ़ती है तो, उसके हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

आबादी बढ़ने की वजह से महंगाई की दर लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है, क्योंकि उत्पादन सीमित है जबकि खपत ज्यादा है, इसलिए वितरण आबादी के मुताबिक नहीं हो पा रहा है और महंगाई सातवें आसमान को छू रही है।

प्रदूषण में वृद्धि:

बढ़ रही आबादी से उद्योंगों की संख्या भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। वहीं इनसे निकलने वाली विषैली गैसें पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।

जलवायु में बदलाव:

जाहिर है कि बढ़ती आबादी का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है, क्योंकि आजकल मनुष्य अपने ऐश और आराम के लिए प्रकृति का दोहन करने में नहीं चूक रहा है। जिसका सीधा असर जलवायु पर पड़ रहा है और इससे मौसम चक्र में भी परिवर्तन आ रहा है।

पर्यावरण पर प्रभाव:

लगातार बढ़ रही आबादी पर्यावरण पर बुरा असर डाल रही है, क्योंकि मनुष्य चंद लालच और सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का हनन करने से नहीं चूक रहा है और पेड़-पौधों को काट रहा है, जिसका बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वन्यजीवों की प्रजातियों में कमी:

सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि आज, मानव की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि वन्य जीवों की कई प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं, क्योंकि मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते वनों को नष्ट कर रहा है, जिसकी वजह से वन्य जीवन अपने निवास की गिरती गुणवत्ता और नुकसान की वजह से विलुप्त होते जा रहे हैं।

जीवन स्तर में कमी:

लगातार बढ़ रही आबादी से गरीबी, बेरोजगारी आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आई है।

बढ़ रही आबादी तमाम समस्याओं को जन्म दे रही है, अगर समय रहते इस समस्या को काबू नहीं किया गया तो आने वाले भविष्य में न जाने कितने लोग घुटन और भुखमरी की वजह से मर जाएंगे। इसलिए हम सभी को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध – Essay on Population

जाहिर है कि जनसंख्या किसी भी देश का मुख्य आधार होती है, जो वस्तुओं का उत्पादन करती है, वितरण करती है, साथ ही उपभोग भी करती है, इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है साथ ही कई बड़ी समस्याएं पैदा करती है।

जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण – Causes of Population Growth

शिक्षा का अभाव:

बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। क्योंकि शिक्षा से ही परिवार नियोजन के सही तरीके अपनाए जा सकते हैं, रुढिवादी विचारों से ऊपर उठा जा सकता है, कम उम्र में शादी और गरीबों जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।

बढ़ती जन्म दरें:

चिकित्सा प्रणाली में सुधार होने की वजह से जन्म दरों में बढ़ोतरी हुई है। वहीं अगर आकंड़ों पर गौर करें तो 2016 में भारत में एक निश्चित समय अवधि में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 थी, जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के बीच 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। जाहिर है कि हर पल लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

शिशु मृत्यु दर में कमी:

चिकित्सा विज्ञान ने इतनी अधिक तरक्की कर ली है कि शिशु मृत्यु दर में कमी आ गई है। वहीं यह भी जनसंख्या में बढ़ोतरी के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय – How to Control Population

परिवार नियोजन:

जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन के सही तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है।

शिक्षा का प्रसार करना:

जब लोग शिक्षित होंगे तब वे रुढिवादी विचारधाराओं से ऊपर उठ सकेंगे, परिवार नियोजन के महत्व को समझेंगे साथ ही अपने बच्चों की पढ़ाई आदि पर ध्यान देंगे और कम बच्चे पैदा करेंगे जिससे जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सकेगी।

रुढ़िवादी मानसिकता को बदलना:

जाहिर है समाज की दकियानूसी और रुढिवादी सोच जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रही है। आज भी कई परिवारों में महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। और बच्चों को भगवान की देन माना जाता है।

कम उम्र में शादी की अवधारणा को बदलना:

कम उम्र में भी लड़के-लड़की की शादी करना आबादी बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हालांकि हमारी भारत सरकार ने इसके लिए कानून भी बनाया है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में आज भी कम उम्र में ही लड़के-लड़की की शादी कर दी जाती है। जिस पर सख्त जांच होनी चाहिए।

बढ़ती आबादी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना:

लगातार बढ़ रही जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए टीवी, रेडियो, नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो,हमारा देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि हमारा देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके।

  • Essay in Hindi
  • Slogan on population

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जनसंख्या पर निबंध

population control essay 250 words in hindi

By विकास सिंह

essay on population in hindi

जनसंख्या किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को संदर्भित करती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में जनसंख्या का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को सामान्यतः एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के लिए संदर्भित किया जाता है। हालांकि, यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है, जो इंटरब्रिड हो सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (200 शब्द)

दुनिया की आबादी बहुत तेज गति से बढ़ रही है। पिछले पांच से छह दशकों में विशेष रूप से मानव आबादी में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। उसी के कई कारण हैं। इसका एक मुख्य कारण चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विकास है जिसने मृत्यु दर में कमी लाई है। एक और कारण विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में बढ़ती जन्म दर है। शिक्षा की कमी और परिवार नियोजन की कमी इन देशों में उच्च जन्म दर के शीर्ष कारणों में से हैं।

विडंबना यह है कि जब मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानवरों और पक्षियों की आबादी दिन पर दिन कम हो रही है। अपनी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास में, मानव जंगली जानवरों के लिए आश्रय के रूप में काम करने वाले जंगलों को काट रहा है। पशु और पक्षियों की कई प्रजातियां इसके कारण प्रभावित हुई हैं।

लगातार बढ़ते ट्रैफिक और विभिन्न उद्योगों की स्थापना के कारण बढ़ता प्रदूषण, जीवों की आबादी में कमी का एक और कारण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मौसम पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। समय आ गया है कि उच्च जनसंख्या वाले देशों की सरकारों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, अन्यथा हमारे ग्रह मानव जाति के अस्तित्व के लिए फिट नहीं होंगे।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अत्यधिक भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण:

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित की जाती है। हालांकि कुछ ऐसे देश हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य लोग बहुत कम आबादी वाले हैं। यह सिर्फ मानव आबादी के मामले में ही नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे, जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं:

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना उस क्षेत्र द्वारा कुल लोगों की संख्या को विभाजित करके की जाती है, जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग जगहों पर कई कारणों से भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक निम्नानुसार हैं:

जलवायु बेहद गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी वाले हैं। दूसरी ओर, मध्यम जलवायु का आनंद लेने वाले लोग घनी आबादी वाले होते हैं।

साधन तेल, लकड़ी, कोयला, आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि इन बुनियादी संसाधनों की कमी के कारण दुर्लभ आबादी है।

राजनीतिक वातावरण स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण का आनंद लेने वाले देश घनी आबादी वाले हैं। ये देश उस क्षेत्र को आबाद करके दूसरे देशों के प्रवासियों को आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश कई लोगों को किसी भी अच्छे अवसर की उपलब्धता के लिए कहीं और जाते हुए देखते हैं।

जीवन स्तर U.S.A जैसे पहले विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में रहते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ रहा है।

निष्कर्ष:

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन देश की कुल आबादी पिछले कुछ दशकों में बढ़ी है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (400 शब्द)

जनसंख्या का अर्थ किसी विशेष स्थान पर रहने वाले जीवों की कुल संख्या से है। मानव आबादी का बढ़ना दुनिया के कई हिस्सों में चिंता का कारण बन गया है, मुख्यतः गरीब देशों में। दूसरी ओर, ऐसे स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक प्रमुख समस्या:

भारत बढ़ती जनसंख्या की समस्या से जूझ रहा है। दुनिया की लगभग 17% आबादी भारत में रहती है और यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। जैसा कि लगभग हर विकासशील देश में होता है, भारत में जनसंख्या वृद्धि में योगदान देने वाले कई कारण हैं।

भारत में जनसंख्या के बढ़ने का एक मुख्य कारण अशिक्षा है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चे पैदा करते हुए देखे जाते हैं। इसके दो कारण हैं। सबसे पहले, उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसा कमाने के लिए अधिक संख्या का मतलब है।

दूसरे, उनमें से अधिकांश जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। जल्दी शादी से बच्चों की संख्या भी अधिक होती है। जनसंख्या में वृद्धि को कम मृत्यु दर के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। विभिन्न बीमारियों के उपचार और इलाज विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर कम हो गई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

न्यूनतम विवाह योग्य आयु सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष निर्धारित की है। हालाँकि, कोई भी कड़ी जाँच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ानी चाहिए और साथ ही इस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।

मुफ्त शिक्षा भारत सरकार ने भी अपने बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के माध्यम से देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। निरक्षरता का उन्मूलन जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है।

गोद लेने को बढ़ावा देना भारत सरकार भी बच्चों को गोद लेने को बढ़ावा दे रही है। कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों से अपने बच्चों को जन्म के समय छोड़ देते हैं। बच्चों को एक होने के बजाय गोद लेना भी जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर चिंता का विषय है। जबकि सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

जनसंख्या पर निबंध, essay on population in hindi (500 शब्द)

जनसंख्या आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को संदर्भित करती है। हालांकि, जनसंख्या शब्द का अर्थ केवल मानव आबादी ही नहीं है, बल्कि वन्यजीवों की आबादी और जानवरों और अन्य जीवित जीवों की समग्र आबादी भी है जो प्रजनन की क्षमता रखते हैं। विडंबना यह है कि जब मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानवरों की आबादी कम होती जा रही है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव जनसंख्या वृद्धि का नेतृत्व कैसे किया है?

कई कारक हैं जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट किया है। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जबकि पहले मनुष्य की जन्म दर और मृत्यु दर के बीच संतुलन था, चिकित्सा विज्ञान में उन्नति ने उसी में असंतुलन पैदा कर दिया।

कई बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाएं और उन्नत चिकित्सा उपकरण विकसित किए गए हैं। इनकी मदद से इंसानों के बीच मृत्यु दर में कमी लाई गई है और इसके कारण जनसंख्या विस्फोट हुआ है। इसके अलावा, तकनीकी विकास ने औद्योगिकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया है।

जबकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे, कई अब विभिन्न कारखानों में नौकरियों की ओर रुख कर चुके हैं। जिन क्षेत्रों में इन उद्योगों की स्थापना की गई है, वहां की आबादी दिन-प्रतिदिन घनी होती जा रही है।

वन्यजीव आबादी पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहां मानव आबादी विस्फोट की कगार पर है, वहीं वन्यजीवों की आबादी समय के साथ कम होती जा रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी उन कारकों के कारण बहुत कम हो गई है जिनके लिए अकेले मनुष्य को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ के बारे में नीचे विस्तार से चर्चा की गई है:

वनों की कटाई जंगलों में वन्यजीव जानवर निवास करते हैं। वनों की कटाई का मतलब है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी, मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों को बेरहमी से काट रहा है और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियां कम हो गई हैं और कई अन्य अपने निवास स्थान की गिरावट या हानि के कारण विलुप्त हो गए हैं।

बढ़ता प्रदूषण बढ़ता वायु, जल और भूमि प्रदूषण एक अन्य प्रमुख कारण है कि कई जानवर कम उम्र में मर रहे हैं। जानवरों की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना नहीं कर पा रही हैं। वे इसके कारण कुछ बीमारियों को जन्म देते हैं और घातक परिणामों का सामना करते हैं।

जलवायु में परिवर्तन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु में भारी बदलाव आया है। कई क्षेत्रों में पहले हल्की बारिश हुई थी, अब बाढ़ जैसे हालात हैं। इसी तरह, गर्मी के मौसम में हल्के से गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जबकि मानव ऐसी परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए सुसज्जित है, जानवर भी इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने कल्याण और आराम के बारे में सोचा है कि इसका पौधों, जानवरों और उसके आस-पास के समग्र वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है। अगर इंसान इस तरह से व्यवहार करता रहा तो धरती अब इंसानों के अस्तित्व के लिए फिट नहीं रहेगी। यह समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने के साथ-साथ हमारे ग्रह को बर्बाद करने वाली प्रथाओं को भी समझना चाहिए।

जनसंख्या पर निबंध, population essay in hindi (600 शब्द)

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। यह केवल मनुष्यों को ही नहीं, बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करता है, जो प्रजनन और गुणा करने की क्षमता रखते हैं। पृथ्वी के कई हिस्सों में आबादी बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारें विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है?

जनसंख्या की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही बेरोजगारी की समस्या हर समय अधिक है।

नौकरी पाने के इच्छुक बहुत से लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण बनती है जो एक और समस्या है। यह लोगों में असंतोष भी पैदा करता है और अपराध को जन्म देता है। जिन्हें अपनी मनचाही नौकरी नहीं मिलती वे अक्सर पैसा कमाने के लिए अनचाहे साधन अपनाते हैं।

यह भी समझा जाना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग अधिक बढ़ रही है। जंगलों को काटा जा रहा है और उनके स्थान पर विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यूं कर? यह सब बढ़ती जनसंख्या को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है।

इनका उपयोग करने वालों की अधिक संख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों का तीव्र गति से क्षय हो रहा है। इससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।

इससे न केवल पर्यावरण का क्षरण होता है, बल्कि रहने की लागत भी बढ़ती है। जनसंख्या को नियंत्रित करना इस प्रकार समय की आवश्यकता बन गई है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। यह लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर भी सुनिश्चित करेगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभव कदम

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ संभावित कदम यहां दिए गए हैं:

शिक्षा गरीब और अशिक्षित वर्ग के लोग ज्यादातर ऐसे हैं जो परिवार की योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक बच्चा पैदा करने वाली मशीन मानते हैं और एक के बाद एक बच्चे पैदा करते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा को आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

परिवार नियोजन सरकार को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

मौद्रिक लाभ सरकार को करों में छूट देनी चाहिए या एकल बच्चे वाले परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए। चूंकि आज लोग पैसे से संचालित होते हैं, इसलिए यह जनसंख्या को नियंत्रित करने की दिशा में एक प्रभावी कदम होगा। काफी कुछ देशों की सरकारें इस तरह की नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

जुर्माना या जुर्माना जिस तरह सरकार उचित परिवार नियोजन करने वालों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है, वैसे ही यह उन लोगों पर भी जुर्माना लगाना चाहिए जो नहीं करते हैं। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

सख्त निगरानी सरकार को पूर्वोक्त बिंदुओं को न केवल लागू करना चाहिए, बल्कि उसी पर एक स्टार्क जांच भी रखनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इनका पालन किया जाए।

लोगों को जनसंख्या को नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि उनके देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियमों और नीतियों को लागू करना चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए जनता और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भाई आपने बहुत ही अच्छी तरह से निबंध लिखा है इस निबंध को पढ़कर कोई भी आसानी से समझ सकता है आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi

population control essay 250 words in hindi

भारत में जनसंख्या वृद्धि और समस्या पर निबंध | Read These Two Essays on Population Growth and Problem of Population in India in Hindi.

#Essay 1: भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi!

भारत में जनसंख्या- वृद्धि का सामान्य क्रम यह है कि हर पीढ़ी में वह दुगुनी होती रहती है । इस क्रम में सन् १९३०-३२ में भारत की आबादी ६० करोड़ थी, आज यह १ अरब से अधिक हो गई है ।

आज का समाज भौतिक क्षेत्र में विकास कर रहा है । जीवन-क्रम द्रुतगति से बदलता जा रहा है । प्राकृतिक साधनों का भी अधिकाधिक उपयोग हो रहा है, फिर भी जनसंख्या का संतुलन और उस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है । अर्थशास्त्र के नियमानुसार, जीवन-स्तर के निम्न होने पर जनसंख्या बढ़ती है । भारत शायद इसी दरिद्रता का शिकार बना हुआ है ।

जनसंख्या की वृद्धि की समस्या अन्य अनेक समस्याओं को पैदा करती है । प्रतिवर्ष उत्पादित खाद्यान्न अपर्याप्त हो जाता है और जो है, वह महँगा हो जाता है । इसी हिसाब से अन्य उपयोगी वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं । सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, अत: बेकारी भी बढ़ती जाती है ।

वैज्ञानिक प्रगति के कारण पूँजीवादी अथवा साम्राज्यवादी आधिपत्य मानव-श्रम को दिन-प्रतिदिन उपेक्षित करता जा रहा है । ऐसी स्थिति में जनसंख्या की स्थिरता आज की अनिवार्य माँग बन गई है । इसके लिए पाश्चात्य देशों में परिवार-नियोजन के अनेक तरीके अपनाए जाते हैं:

संतति नियंत्रण के साधनों में नसबंदी और नलबंदी भी शामिल है । भारत में भी इन साधनों का प्रचार होने लगा है । विवाह की उम्र बढ़ाने की प्रेरणा दी जाती है । भारत में संतानात्पप्न को ईश्वर की देन माना जाता है ।

इसका किसी भी रूप में निरोध ईश्वर के कर्मों में दखल माना जाता है । लेकिन अब स्थिति बदल रही है । शिक्षा के विकास के साथ भारतीय दंपती इम अच्छी तरह समझ रहे हैं और परिवार-नियोजन को अपना रहे हैं । माता के आरोग्य तथा सौंदर्य की रक्षा के लिए भी परिवार-नियोजन पर जोर दिया जाता है ।

आज यद्यपि जनसंख्या-वृद्धि देश की उन्नति में बाधक बनी हुई है तथापि इसके दूसरे पहलू पर विचार किया जा सकता है । जनसंख्या अथवा मानव-शक्ति किसी भी राष्ट्र की निधि मानी जाती है । जन-बल से सरकार अपनी निर्माण-योजनाएँ पूरी कर सकती है ।

ADVERTISEMENTS:

परिश्रमशील प्रजा के श्रमदान से राष्ट्रीय व्यय कम किया जा सकता है । देश के दुश्मनों को आतंकित करने के लिए भी प्रभूत प्रजा का होना बुरा नहीं माना जाता है । चीन आज जनसंख्या के बल पर ही विश्व में जूट राष्ट्र बना हुआ है ।

भारतीय स्वभावत: चिंतनशील होते हैं । कष्ट, सहिष्णुता, परिश्रम तथा न्याय यहाँ के निवासियों की परंपरागत विशेषताएँ हैं । इसके अलावा ये आदर्शवादी और समन्वयवादी होते हैं । सरल तथा संयमित जीवन जीना उनको आता है । ऐसे देश में जनसंख्या की वृद्धि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उनकी विकट समस्या नहीं है जितनी कि अन्य देशों में ।

यहाँ की आबादी को स्वावलंबन की शिक्षा मिले तो जनसंख्या- वृद्धि भी की जा सकेगी । बढ़ती जनसंख्या को उपयोगी काम में लगाकर भारत भूमि को स्वर्ग बनाया जा सकता है । जनसंख्या को स्थायी रूप से नियंत्रित करना है, तो शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए ।

देखा गया है कि शिक्षितों की अपेक्षा अशिक्षितों की अधिक संतानें हैं । दो संतान से अधिक होने पर माता-पिता को सरकारी सेवा के अवसर से वंचिन कर देना चाहिए । सीमित परिवारवालों को सरकार द्वारा पुरस्कृत-प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।

#Essay 2: जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Population Growth

सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है । इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है- जनसंख्या किसी भी देश के लिए बरदान होती है, परन्तु जब अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब बही अभिशाप बन जाती है ।

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है । हमारे सामने अभी जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है । बढती हुई जनसंख्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी, जो अब वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121 करोड़ से भी अधिक हो गई है ।

विश्व की लगभग 15% जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू-भाग की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5% है । यह हमारे लिए बेहद चिन्ताजनक है ।

नोम चाम्सकी ने कहा है-

”आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियन्त्रित नहीं कर सकते,

मगर यह रोग द्वारा नियन्त्रित कर दी जाएगी ।”

महान् अर्थशास्त्री माल्थस ने भी कहा था कि जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति द्वारा महामारी आदि रूपों में उसका नियन्त्रण कर लिया जाता है । भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह, अत्यधिक निरक्षरता, धार्मिक दृष्टिकोण, निर्धनता, मनोरजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी तथा बन्ध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत सूचना या सूचना का अभाव आदि उल्लेखनीय है ।

गरीबों के द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है । गरीबी या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण भी है और प्रभाव भी ।  अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते माँ-बाप को बाध्य होकर उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है, ताकि बे घर के खर्च में मदद कर सके और फिर अशिक्षित एवं अज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के ही उत्तराधिकारी होंगे और अपने पिता की तरह ही आवश्यकता से अधिक सन्तानें चाहेंगे ।

धार्मिक दृष्टि से कहर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं । कई महिलाएँ यह तर्क देती हैं कि वे ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकती । भारतीय मुसलमानों में जन्म दर एवं उत्पादकता दर हिन्दुओं की अपेक्षा अधिक है ।

हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रूप द्वारा मुसलमानों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैं- यद्यपि अधिकतर पुरुष एवं स्त्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, किन्तु या तो वे धार्मिक आधार पर उनका प्रयोग नहीं कर रहे थे या उनको उस बारे में सटीक जानकारी नहीं थी । जनसंख्या वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है । यही कारण है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक प्रगति के बाद भी हमारी प्रतिव्यक्ति आय में सन्तोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता की दर को कम कर देता है ।  यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर कीं अपेक्षा अधिक कम करता है, जिसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि है ।

सरकार की जनसंख्या नीति का उद्देश्य न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियन्त्रित वृद्धि पर अंकुश लगाना होना चाहिए, बल्कि जनसंख्या के अनियन्त्रित प्रसार को रोकना, शहरी क्षेत्रों में व्यक्तियों के बढ़ते हुए केन्द्रीकरण को रोकना और व्यक्तियों के पंचमेल मिश्रण के लिए पर्याप्त आवास, स्थान आकर्षक पर्यावरण उपलब्ध कराना भी होना चाहिए ।

इन लक्ष्यों को ऐसी नीतियों के सृजन और क्रियान्वयन से संयुक्त रूप से जोड़ देना चाहिए, जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रित करना और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्यों में लगाने की योजना बनाना हो ।  इस प्रकार, जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु यदि उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए, तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है

यदि देश लगभग 15 करोड़ व्यक्तियों की प्रतिवर्ष की वृद्धि से बचना चाहता है, तो केवल एक ही मार्ग शेष है कि आवश्यक परिवार नियोजन एवं जनसंख्या हतोत्साहन की कड़वी घूँटी लोगों को पिलाई जाए ।  इसके लिए एक उपयुक्त जनसंख्या नीति की आवश्यकता है ।

परिवार नियोजन को उस दलदल से बचाना होगा, जिसमें बह फँसा हुआ है । इसके लिए कार्यक्रम को आन्तरिक रूप से और विकास की इकाई के रूप में देखा जाना चाहिए । परिवार नियोजन अभियान को फिर से खडा करने के लिए अनेक उपाय करने होंगे ।  थोड़ी हतोत्साहन (बाध्यता) के साथ प्रोत्साहन भी आवश्यक होगा ।

वैधानिक उपाय भी सहायक हो सकते है, लेकिन उत्तरदायी माता-पिता की भावना पैदा करने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक-से-अधिक हो सबसे अधिक बल इस बात पर दिया जाना चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में बन्ध्याकरण की अपेक्षा फासले की विधि को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे इसके अनुरूप जनाकिकीय प्रभाव प्राप्त किया जा सके हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ है ।

‘बच्चियाँ ही बच्चे पैदा करें’ इस सच्चाई को बदलना होगा । यह केवल फासले की विधि तथा लडकियों का अधिक उम्र में विवाह को प्रोत्साहन देने से ही सम्भव हो सकेगा । परिवार नियोजन स्त्रियों की सामान्य परिस्थिति को सुधारने में भी सहायक होगा ।

वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए बच्चे हो और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही व्यतीत करती है और घर की चहारदीवारी में ही बन्द रहती है । वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका अदा नहीं कर सकती, जब तक बह अपने परिवार के आधार को तर्कसमत न बना ले परिवार नियोजन न केवल परिवार कल्याण में सुधार करेगा, बल्कि सामाजिक समृद्धि तथा व्यक्तिगत सुख में भी योगदान करेगा ।

भारत जैसे विकासशील देश में बढती जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसके परिणामस्वरूप देश में अशिक्षा, गरीबी, बीमारी, भूख, बेरोजगारी, आवासहीनता जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न होगी और देश का विकास अवरुद्ध हो जाएगा । अतः जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस विकट समस्या से लड़ना होगा ।

समाजसेवी संस्थाओं की भी इस समस्या के समाधान हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए । आज अन्ध परम्पराओं पर प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है । बालविवाह एवं बहुबिवाह पर कानूनन प्रतिबन्ध तो लगाया जा चुका है, परन्तु आम नागरिकों द्वारा भी इन कुरीतियों को किसी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए ।

जनसंख्या वृद्धि रोकने हेतु शिक्षा का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है । महिलाओं के शिक्षित होने से विवाह की आयु बढ़ाई जा सकती है, प्रजनन आयु वाले दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । उन्हें छोटा परिवार सुखी परिवार की बात समझाई जा सकती है ।

केन्द्रीय एवं राज्य स्तरों पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना भी इस समस्या का उपयुक्त उपाय हो सकता, क्योंकि ऐसा करके न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य किया जा सकेगा, बल्कि अल्पकालीन व दीर्घकालीन योजनाओं का निर्धारण भी किया जा सकेगा । मीडिया को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की आवश्यकता है ।

इन सब बातों पर ध्यान देकर जनसंख्या विस्फोट पर निश्चय ही नियन्त्रण पाया जा सकता है । विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘स्टीफन हॉकिंग’ ने हम मानवों को सावधान करते हुए कहा है- ”हमारी जनसंख्या एवं हमारे द्वारा पृथ्वी के निश्चित संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण को स्वस्थ या बीमार करने वाली हमारी तकनीकी क्षमता के साथ घातीय रूप में बढ रहे है ।” आज प्रत्येक देशवासी को उनकी बातों से प्रेरणा लेकर देश को समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेना चाहिए ।

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जनसँख्या पर निबंध – Population Essay in Hindi

by StoriesRevealers | Jun 3, 2020 | Essay in Hindi | 0 comments

population essay in hindi

Population Essay in Hindi : जनसंख्या इन दिनों एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी देश जनसंख्या से संबंधित समस्याओं का सामना करते हैं। ऐसी समस्याओं में निर्णयों को लागू करने में कठिनाई, सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और रोजगार सुनिश्चित करना शामिल है। ये एक आसान विषय नहीं हैं। जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू जनसंख्या दबाव है। जनसंख्या दबाव एक देश में जनसंख्या द्वारा लगाया गया दबाव है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था और समाज को आबादी का बोझ उठाना होगा।

Population Essay in Hindi

population essay in hindi

जनसंख्या में वृद्धि राज्य के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को, सभी को प्रदान करना मुश्किल बना देती है। हालाँकि, जनसंख्या के दबाव की समस्या दुनिया भर के देशों में भिन्न है। दुनिया के अमीर देशों में, जनसंख्या का दबाव उस संपत्ति के कारण है जो उसके पास है।

विकासशील देशों में, समय के साथ जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि से देश के लिए खुद को विकसित करना मुश्किल हो जाता है। इसका कारण यह है कि अधिकांश बढ़ी हुई आबादी में ऐसे लोग शामिल हैं जो गरीब हैं और जिनके पास कोई शिक्षा या सामाजिक सुरक्षा नहीं है। उनके हितों का ध्यान रखने के लिए, देश व्यक्तिगत रूप से विकसित होने में विफल रहता है।

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देश की जनसंख्या दो कारकों -प्रवास और शिक्षा से प्रभावित होती है। जहां तक प्रवास का संबंध है, लोग अक्सर विभिन्न कारणों से एक देश से दूसरे देश में पलायन करते हैं। छात्र अक्सर शिक्षा के लिए दूसरे देशों में जाते हैं। युवा अक्सर अपने काम के माध्यम से उन्नत देशों में जाते हैं।

 ऐसे व्यक्ति आमतौर पर ऐसे देशों में अपना जीवन यापन करने के लिए बस जाते हैं। उनके बसने का मुख्य कारण सामाजिक सुरक्षा और आय के अवसर हैं। अन्य सुविधाएं भी हैं जो पहले विश्व के देशों के लोगों को उनकी अर्थव्यवस्था द्वारा प्राप्त होती हैं।

प्रवासित आबादी अक्सर ऐसी सुविधाओं को छोड़ने की इच्छा नहीं रखती है। इससे जनसंख्या घनत्व बढ़ जाता है। भारत जैसे देशों में, प्राथमिक शिक्षा की कमी के कारण जनसंख्या हर साल बढ़ती है। परमाणु परिवारों का विचार अभी तक गांवों में रहने वाले अधिकांश लोगों तक नहीं पहुंचा है। काफी जगहों पर, लोगों को अतिरिक्त बच्चे होने की समस्याओं के बारे में पता नहीं है। वे अक्सर सोचते हैं कि कई बच्चे होने से उनकी आर्थिक समस्याएं हल हो जाएंगी। 

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यह विचार उनके हिस्से पर इस तथ्य से उपजा है कि उनके बच्चे बड़े हो जाएंगे और उन्हें अपने जीवन के बाकी दिनो मे खाना खिलाएंगे। लेकिन अक्सर वे यह पहचानने में असफल होते हैं कि इससे पूरे देश पर बोझ पड़ता है। अधिकांशतः विकासशील राष्ट्र आम जनता को अधिक जनसंख्या और उसके परिणामों के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम करते हैं।

बढ़ती आबादी से निपटने का सबसे अच्छा तरीका जन्म नियंत्रण उपायों में संलग्न है। इस तरह के उपायों में बड़ी मात्रा में सामाजिक नियंत्रण के साथ-साथ अन्य चिकित्सा उपकरण शामिल हैं जो किसी देश की जन्म दर को नियंत्रित करते हैं। चिकित्सा प्रक्रियाएं अक्सर जनसंख्या को नियंत्रित कर सकती हैं, लेकिन इस तरह की प्रथाओं को अत्यधिक माना नहीं जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे आमतौर पर किसी व्यक्ति के चिकित्सा अधिकारों पर विचार नहीं करते हैं, और ऐसी प्रक्रियाओं के दौरान मरने की संभावना अधिक होती है।

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Jansankhya Essay in Hindi

Jansankhya Essay in Hindi: जनसंख्या पर निबंध

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Jansankhya Essay in Hindi

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Population Essay in Hindi 100 words 

किसी भी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या सभी के लिए समस्या उत्पन्न करती है। जनसंख्या का अर्थ होता है, किसी देश में रहने वाले लोगों की संख्या। विश्व में ऐसे कई देश है, जो जनसंख्या के मामले में जाने जाते हैं जैसे की चाइना और भारत। पहले चीन जनसंख्या में पहले स्थान पर था। लेकिन अब भारत जनसंख्या में पहले स्थान पर आ चुका है। जनसंख्या बढ़ने के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती है, जैसे कि बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों में कमी आदि। बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों का भी कर्तव्य है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन सख्ती से करना चाहिए।

गर्मी की छुट्टी पर निबंध प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध My School Essay महात्मा गांधी पर निबंध विज्ञान के चमत्कार हिंदी में निबंध

Jansankhya Niyantran Par Nibandh 150 words 

जनसंख्या सभी देशों के लिए महत्व रखती है। जिस देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो उसके लिए यह चिंता की बात होती। जनसंख्या बढ़ने के कारण देश में सुविधाओं की कमी होने लगती है। कम जनसंख्या होने पर सभी लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सारा फायदा मिलता है। इसके अलावा सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मिलता है। भारत आज आबादी में विश्व का पहला देश बन चुका है।

आबादी बढ़ने के कारण सभी सार्वजनिक स्थल जैसे कि अस्पताल, मंदिर ,रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन हवाई अड्डा पर हमेशा भीड़ जमा रहती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। इतनी जनसंख्या का होना देश के लिए चिंता की बात है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन करना चाहिए। सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कर पृथ्वी को बचाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए।

Jansankhya Visfot Par Nibandh 200 words

आज भारत जनसंख्या के मामले में सबसे आगे पहुंच चुका है। भारत में हर साल करीबन एक करोड़ की आबादी जनसंख्या में जुड़ जाती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को काफी तकलीफ हो रही है जैसे कि रहने के लिए आवास की कमी ,खाने के लिए भोजन की कमी, सरकारी सुविधाओं की कमी बेरोजगारी इत्यादि। यदि इस तरह आबादी बढ़ती रही तो एक समय बाद प्राकृतिक संसाधन भी खत्म हो जाएंगे जिसके बाद पृथ्वी पर जीवन जीना संभव नहीं होगा। भारत सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए बताया जा रहा है और लोगों से निवेदन किया जा रहा है कि वे 2 बच्चों से अधिक बच्चों को जन्म ना दें। दूसरी चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि जनसंख्या में ना केवल इंसान बल्कि जानवर भी शामिल होते हैं। लेकिन आज इंसानों की संख्या बढ़ती जा रही है और जानवरों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ने का प्रभाव प्रकृति पर भी दिखाई दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों की सीमा भी सीमित है इसलिए, प्रकृति पर संतुलन बनाए रखने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है।

Jansankhya Essay in Hindi

Increasing Population Essay in Hindi 300 words 

बढ़ती हुई आबादी की समस्या का सामना सभी देशों को करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सारी आबादी का 17% से 19% हिस्सा केवल भारत में है। इसी कारण से भारत आबादी वाले देशों में सबसे पहले नंबर पर है। यह आबादी ना केवल देश के विकास में रुकावट पैदा कर रही है बल्कि प्रकृति के विकास में भी रुकावट पैदा कर रही है। जनसंख्या बढ़ने के कारण इंसानों के अलावा जानवरों को भी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है क्योंकि जहां ज्यादा आबादी होती है वहां सामान्य से अधिक तापमान होता है।

जनसंख्या बढ़ने के नुकसान

जनसंख्या बढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान यह है,कि प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। पृथ्वी पर मौजूद जल भोजन एवं अन्य उपयोगी चीजें सीमित मात्रा में है। अगर हम इसी तरह अंधाधुन इनका इस्तेमाल करते रहे तो 1 दिन यह सब नष्ट हो जाएंगे। जनसंख्या बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। आज भारत में हर शहर में इतनी आबादी है कि विश्व के कुछ देशों में इतनी आबादी नहीं है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी, भुखमरी ,अपराध , अशिक्षा जैसी सभी चीजें उत्पन्न होती हैं।

भारत सरकार द्वारा लगातार लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया जा रहा है। सभी लोगों को अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऐसे कई सारे लोग होते हैं जो किसी कारण बस मां बाप नहीं बन पाते उन्हें बच्चों को गोद लेना चाहिए। इसके अलावा सरकार द्वारा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए निर्देशों का पालन भी करना चाहिए। अगर समय रहते हमने जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया तो 1 दिन ऐसा आएगा कि हमारे पास सांस लेने के लिए खुली हवा तक नहीं होगी। 

Population Explosion Essay in Hindi 500 words

भारत एक प्रगतिशील देश है। जिस तरह भारत देश सभी चीजों में आगे बढ़कर देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है,उसी तरह भारत आबादी में भी आगे बढ़ रहा है। पिछले सालों में भारत में आबादी का कुछ ऐसा विस्फोट हुआ है। जिससे कि भारत की आबादी काफी अधिक बढ़ गई है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इतनी आबादी देश के विकास और देश के लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। बढ़ती हुई आबादी के कारण मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत में जनसंख्या की स्थिति

बात अगर भारत की जनसंख्या की की जाए तो आज 2023 में भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। रिपोर्ट के अनुसार 2011 में हुई जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड़ थी,जो कि विश्व की कुल आबादी का 17% हिस्सा था। भारत की जनसंख्या में हर साल 15% से 17% की वृद्धि हो रही है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में 52% जनसंख्या पुरुषों की है और 48% जनसंख्या महिलाओं की गई। यह जनसंख्या का स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब भारत सरकार को भी अन्य देशों की तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव

बढ़ती हुई जनसंख्या का फायदा तो एक भी नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव कई सारे हैं। जनसंख्या के दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार है, प्राकृतिक संसाधनों की कमी , पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, समाज पर दुष्प्रभाव, सरकारी सुविधाओं पर दुष्प्रभाव, प्राकृतिक खदानों पर दुष्प्रभाव। जैसा कि हम सभी जानते हैं बढ़ती हुई आबादी के कारण हम लगातार वनों की कटाई करते जा रहे हैं जिससे कि वन में रहने वाले प्राणियों का जीवन भी खतरे में पड़ता जा रहा है। मानव अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है लेकिन इसी तरह अगर आबादी बढ़ती रही तो 1 दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

जनसंख्या को बढ़ने से कैसे रोके (Jansankhya Niyantran ke Upay)

जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा। आज भी समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी मानसिकता काफी पुरानी है लोग वंश बढ़ाने के लिए लड़के की चाह में लगातार बच्चे पैदा करते जा रहे हैं। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ आगे बढ़ना होगा। इसके अलावा यौन शिक्षा भी लोगों को देना चाहिए। भारत में सरकार को शादी की उम्र बढ़ा देनी चाहिए। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन के बारे में बताया जाना चाहिए।

सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान देना चाहिए। यदि आज हम समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं देंगे तो अभी समय हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पृथ्वी पर मौजूद सरदार और प्राण देने वाले तत्व सीमित मात्रा में है और बढ़ती आबादी के कारण या तो यह प्रदूषित हो रहे हैं या फिर नष्ट होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब से अधिक हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास रहने के लिए ना तो घर होगा और ना खाने के लिए भोजन।

Population Control Essay in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Jansankhya Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Population Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Jansankhya Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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Essay on Population Control

Students are often asked to write an essay on Population Control in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Population Control

Understanding population control.

Population control refers to the measures taken by governments or other groups to manage the size of a human population. This is often done to prevent overpopulation, which can strain resources and harm the environment.

The Need for Population Control

Overpopulation can lead to scarcity of resources like food, water, and shelter. It can also increase pollution and contribute to global warming. Therefore, controlling population growth is crucial for sustainable living.

Methods of Population Control

Methods include education about family planning, providing access to contraception, and implementing policies that limit family size. These measures can help achieve a balanced population.

250 Words Essay on Population Control

Introduction.

Population control refers to the practice of intentionally managing the number of inhabitants in a region to mitigate social and environmental issues. Rapid population growth can strain resources, intensify poverty, and exacerbate environmental degradation.

The Necessity of Population Control

The world’s population stands at approximately 7.8 billion, a figure that has seen a steep rise over the last century. This population explosion places immense pressure on natural resources, leading to deforestation, climate change, and biodiversity loss. Furthermore, it exacerbates social issues such as overcrowding, unemployment, and inadequate public services. Hence, population control is crucial to ensuring sustainable development.

Population control can be achieved through various strategies. Family planning and education, particularly for women, are effective methods. They empower individuals with knowledge about reproductive health and birth control, enabling them to make informed choices. Government policies can also play a significant role, such as providing incentives for smaller families or implementing laws to limit family size.

Challenges and Ethical Considerations

While population control is necessary, it raises ethical questions. It’s imperative that any measures respect individual rights and freedoms. Forced sterilizations or coercive population control policies infringe upon human rights and should be avoided.

In conclusion, population control is a complex yet necessary endeavor. It requires a careful balance of education, policy implementation, and respect for individual rights. By managing population growth, we can work towards a sustainable future where resources are used efficiently, and the environment is preserved.

500 Words Essay on Population Control

Population control refers to the strategies employed by governments and organizations to manage the size of human populations. This is often necessary to prevent overpopulation, which can strain resources and lead to socio-economic problems. However, population control is a complex issue with ethical, political, and environmental implications.

Overpopulation is a significant global concern. It puts immense pressure on natural resources, exacerbating environmental degradation and climate change. With the current rate of population growth, the demand for resources like food, water, and energy is rapidly outpacing supply. This imbalance can lead to resource depletion, environmental pollution, and an increase in diseases due to overcrowding.

Moreover, overpopulation can lead to socio-economic problems such as unemployment, poverty, and inadequate healthcare and education services. Therefore, population control is crucial to ensure sustainable development and improve the quality of life.

Population control strategies vary based on cultural, political, and economic contexts. One common method is family planning, which includes contraceptive use, sterilization, and abortion services. Governments often promote family planning through public awareness campaigns and by providing access to contraception.

Another approach is implementing policies that incentivize smaller families. These can include tax benefits, priority in public services, and educational scholarships for families with fewer children.

Challenges in Population Control

While the necessity of population control is clear, its implementation is fraught with challenges. First, there are ethical issues surrounding the right to procreate. Some argue that implementing population control infringes on this fundamental human right.

Second, there are gender issues. In some societies, women bear the brunt of population control measures, often facing coercion into sterilization or contraception use.

Third, there are socio-cultural barriers. In many cultures, large families are valued, and attempts to limit family size can be met with resistance.

Population control is a critical component in addressing global challenges such as resource scarcity, environmental degradation, and socio-economic inequality. However, its implementation must be thoughtful and sensitive to cultural, ethical, and gender issues. It’s essential to strike a balance between the necessity of population control and respecting individual rights and cultural values. As we move forward, we must continue to explore and develop strategies that promote sustainable population growth.

That’s it! I hope the essay helped you.

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