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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

speech on topic hindi bhasha ka mahatva

By विकास सिंह

importance of hindi language

विषय-सूचि

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।

हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।

हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।

हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।

इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या।  एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।

हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)

1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।

इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।

लिपि:

देवनागरी लिपि

महत्वपूर्ण लेखक:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।

हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी

हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।

हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।

वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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धन्यवाद !

Finally I got a nice speech

thank you vikas singh bhai

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

यहां पर हिंदी का महत्व पर निबंध (Hindi Bhasha ka Mahatva Par Nibandh) के बारे में बताने वाले है। हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसके बारे जितना लिखा जाए उतना काम ही है।

Hindi Bhasha ka Mahatva

इस भाषा से हम कई और भाषाओं का ज्ञान भी ले सकते हैं। यहां पर हमने हिन्दी भाषा का महत्व (hindi bhasha ka mahatva nibandh) के जरिये आपको बताने का प्रयास किया है। आप इसे अंत तक जरूर पढ़े।

वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध संग्रह तथा हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहां  क्लिक करें।

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Hindi Bhasha ka Mahatva Essay In Hindi)

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (250 शब्द).

विश्व की प्राचीन और सरल भाषाओं की सूची में हिंदी को अग्रिम स्थान मिला है। हिंदी भारत की मूल है। यह भाषा हमारी संस्कृति और संस्कारों की पहचान है। हिंदी भाषा हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान और गौरव प्रदान करवाती है।

विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा में हिन्दी का स्थान दूसरा आता है। भारत देश में यह भाषा सबसे ज्यादा बोली जाती है, इसलिए हिंदी भाषा को 14 सितम्बर 1949 के दिन अधिकारिक रूप से राजभाषा का दर्जा दिया गया।

भारत ही एक ऐसा देश है, जिसकी राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। जो यह साबित करता है कि  भारत देश में हिंदी का कितना महत्व है।

हिंदी भाषा का जन्म लगभग एक हजार वर्ष पहले हुआ था। ऐसा माना जाता है कि हिंदी का जन्म देवभाषा संस्कृत की कोख से हुआ है। संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, अवहट्ट, हिन्दी यह हिंदी भाषा का विकास क्रम है।

हिंदी एक भावात्मक भाषा है, जो लोगों के दिल को आसानी छू लेती है। हिंदी भाषा देश की एकता का सूत्र है। पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करने का श्रेय एक मात्र हिंदी भाषा को जाता है। भाषा की जननी और साहित्य की गरिमा हिंदी भाषा जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है।

आज भारत में पश्चिमी संस्कृति को अपनाया जा रहा है, जिसके चलते अंग्रेजी भाषा का सभी क्षेत्रों में चलन बढ़ गया है। वास्तविक जीवन में भले ही हम हिंदी का प्रयोग जरूर करते है लेकिन कॉर्पोरेट जगत में ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग होता है, जो हमारे लिए एक शर्मनाक बात है।

फिर भी दुनिया में हिंदी की बढ़ती पॉपुलरटी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी भविष्य की भाषा है। एक भारतीय होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हमें भी हिंदी के महत्व को बढ़ाना देना चाहिए।

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  • राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध
  • राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (1200 शब्द)

एक स्वतंत्र देश की खुद की एक भाषा होती है, जो उस देश का मान-सम्मान और गौरव होती है। भाषा और संस्कृति ही उस देश की असली पहचान होती है। भाषा ही एक ऐसा जरिया है, जिसकी मदद से हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

विश्व में कई सारी भाषाएँ बोली जाती है, जिसमें हिंदी भाषा का विशेष महत्व है। यह भाषा भारत में सबसे अधिक बोली जाती है और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में दूसरा स्थान है।

हिंदी सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती है। यह सभी लोगों को एक दूसरे को आपस में जोड़े रखने का काम भी करती है। हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषा है।

इसका अध्ययन विदेशों में भी होता है और विश्व के कोने-कोने से लोग भारत सिर्फ हिंदी सिखने के लिए आते है। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत भाषा का सरलतम रूप हिंदी भाषा ही है। हिंदी भाषा में संस्कृत के काफ़ी शब्दों का समावेश देखने को मिल जाएगा।

हिंदी भाषा का विकास

विश्व में कुल 3 हजार भाषाएं बोली जाती है, उनमें से हिंदी एक भाषा है। रूप या आकृति के आधार पर हिंदी वियोगात्मक भाषा है। भारत देश में 4 भाषा के परिवार मिलते है, जो भारोपीय, द्रविड़, ऑस्ट्रिक व चीनी तिब्बती है। भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषा परिवार भारोपीय परिवार है।

यह भाषा की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पाली, प्राकृतिक भाषा से होती हुई और अपभ्रंश तक पहुंचती है। फिर अपभ्रंश से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिंदी का रूप लेती है। सामान्यता हिंदी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।

हिंदी भाषा का विकास क्रम

संस्कृत⇾ पालि⇾ प्राकृत⇾ अपभ्रंश⇾ अवहट्ट⇾ प्राचीन/प्रारम्भिक हिन्दी

हिंदी भाषा का महत्व

यह एक ऐसी भाषा है, जो सभी धर्मों के लोगों को जोड़े रखने का काम करती है। यह सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती, यह एक देश की संस्कृती, वेशभूषा, रहन सहन, पहचान आदि है।

हमारे में से कई लोग ऐसी भी है, जो यह मानते है कि वह हिंदी नहीं सीखेंगे फिर भी उनका काम बन जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि भारत में हर व्यक्ति अन्य भाषाओं को मुख्य भाषा के रूप में प्रयोग में नहीं ला सकता है। लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसकी मदद से हर भारतीय आसानी से आपस में समझ सकते हैं।

हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी का दर्जा प्राप्त है। हिंदी बहुत ही सरल भाषा है, जिससे हर कोई सिखकर इसका प्रयोग कर सकता है। यह सिखने में बहुत ही आसान है। हिंदी को सिखने के लिए आपको अधिक खर्चे करने की भी जरूरत नहीं है।

हिंदी को मात्र कुछ किताबों की मदद से सिखा जा सकता है। हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के लोग अपने बचपन से करना शुरू कर देते है।

हिंदी- एक भावात्मक भाषा

भारत एक ग्रामीण देश है और इसकी अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण इलाकों से तालुक रखती है। भारत में सभी अंग्रेजी नहीं जानते। इसलिए भारत में आपको किसी से भी बात करनी हो या फिर संवाद करना हो तो आपको पहले हिंदी का ज्ञान होना ही चाहिए।

यह एक ऐसी भाषा है, जिसकी मदद से हम अपनी भावनाओं को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग है, जिनको हिंदी की जानकारी होते हुए भी अन्य भाषओं का प्रयोग करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि हिंदी बोलने से उनके चरित्र पर सवाल उठेंगे।

ये सोच रखने वाले हिंदी को अधिक महत्व नहीं देते लेकिन उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसे सिखने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च करके भारत आते है। हिंदी के महत्व को जानने के लिए यही मात्र काफी है।

इं‍टरनेट युग में हिन्दी

इंटरनेट एक ऐसी जगह है, जहां पर हम हर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत और विश्व में इन्टरनेट जिस रफ़्तार से विकसित हुआ है, वो सही में बहुत तारीफ के काबिल है।

हिंदी भाषा भी अब इंटरनेट पर तेजी से अपना कब्ज़ा जमा रही है। आज के समय में हिंदी भाषा हर समाचार पत्र से लेकर हिंदी ब्लॉग तक अपनी पहचान हासिल कर रही है।

गूगल और विकिपीडिया जैसी बड़ी वेबसाइट हिंदी को हर व्यक्ति तक पहुँचाने में अपनी हर संभव कोशिश कर रही है। इन्होंने हिंदी भाषा के महत्व (Hindi ka Mahatva) को समझते हुए इंटरनेट पर ट्रांसलेटर, सर्च, सोफ्टवेयर आदि को विकसित किया, जिससे लोगों के लिए हिंदी को जानना और भी आसान हो गया।

आज के समय में इंटरनेट पर हर महत्वपूर्ण चीज की जानकारी हिंदी में मिल रही है, जिससे हिंदी और भी लोकप्रिय होती जा रही है। हर कोने में हिंदी की पहचान कायम हो रही है।

हिंदी भाषा के क्षेत्र

ऐसा माना जाता था कि हिंदी उत्तर भारत में ज्यादा बोली जाती है लेकिन अब हिंदी भारत के हर कोने में फैलती गई है और धीरे-धीरे हिंदी भाषा पूरे भारत में लोकप्रिय होती गई। आज के समय में हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। इसकी हर जगह पर सराहना हो रही है।

आज के समय में हिंदी मुख्य रूप से भारत के सभी राज्यों में बोली जाती है, इन राज्यों में मुख्य रूप से बिहार, उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उतराखंड राजस्थान आदि आते है।

यह भाषा भारत के अलावा नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, अमेरिका, यमन, युगांडा, जर्मनी, न्यूजीलैंड, सिंगापुर आदि में भी बोलने वालों की संख्या लाखों में है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा और यूएई में भी हिंदी बोलने वाले और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की संख्या भी बहुत है।

हिंदी भाषा की विशेषताएं

  • इस भाषा को देवभाषा संस्कृत का सरलतम रूप कहा जा सकता है। इसकी लिपि देवनागरी लिपि है।
  • हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है, जिसमें हम दूसरी भाषा के शब्द भी आसानी से प्रयोग कर सकते है, जिससे हमें आसानी होती है।
  • इस भाषा के वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दूसरी भाषाओं की वर्णमालाओं की तुलना में बहुत अधिक व्यवस्थित है।
  • हिंदी भाषा के वर्ण हम जो भी बोलते हैं, उन्हें आसानी से लिख भी सकते हैं जबकि दूसरी भाषाओं में ऐसी नहीं होता है।
  • यह एक ऐसी भाषा है, जिसमें निर्जीव वस्तुओं के लिए लिंग का निर्धारण होता है।
  • हिंदी भाषा को पढ़ने के साथ ही इसे आसानी से लिखा भी जा सकता है।
  • हिंदी भाषा के शब्दकोश में मौजूद शब्द हर काम के लिए अलग अलग है और ये शब्द बढ़ ही रहे है।
  • इस भाषा में साइलेंट लेटर्स नहीं होते हैं, जिसके कारण ही इसका उच्चारण और लेखन में शुद्धता होती है।
  • सोशल मीडिया पर हिंदी का प्रयोग हमेशा बढ़ता ही जा रहा है, इसलिए सभी बड़ी बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट ने हिंदी को महत्व देना शुरू कर दिया है।

हिंदी भाषा के प्रति हमारा सभी का यह कर्तव्य है कि हमें हिंदी के विस्तार के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें इसका भरपूर सम्मान करना चाहिए।

यह भाषा सभी धर्मों को जोड़े रखने का काम करती है। सभी को यह समझाना चाहिए कि हिंदी का प्रयोग करना हीनता का प्रतीक नहीं बल्कि यह हमारा गौरव है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा शेयर किया गया यह हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Hindi ka Mahatva Essay in Hindi) पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें।

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बहुत बढ़िया राहुल सर

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भाषा का महत्व पर निबंध | Essay On The Importance Of Language In Hindi

नमस्कार फ्रेड्स आज हम  भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi  पढ़ेगे.

आज के निबंध में जानेगे कि भाषा क्या होती है हिंदी भाषा का महत्व जीवन में भाषा की उपयोगिता के बारे में विस्तार से सरल भाषा में जानेगे.

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा भावों की वाहिका और विचारों की माध्यम होती है. अतएवं किसी भी जाति अथवा राष्ट्र की भावोंत्क्रष और विचारों की समर्थता उसकी भाषा से स्पष्ट होती है.

जब से मनुष्य ने इस भूमंडल पर होश संभाला है, तभी से भाषा की आवश्यकता रही है. भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से, जाति को जाति से राष्ट्र को राष्ट्र से मिलाती है.

भाषा का महत्व पर निबंध Short Essay On The Importance Of Language

भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की सम्पन्नता और उसका विकास परमआवश्यक है.

भाषा का भावना से गहरा सम्बन्ध है. और भावना तथा विचार व्यक्तिगत के आधार है. यदि हमारे भावों तथा विचारों को पोषक रस किसी विदेश अथवा पराई भाषा से मिलता है. तो निश्चय ही हमारी व्यक्तिगत भी भारतीय अथवा स्वदेशी न रहकर अभारतीय अथवा विदेशी हो जाएगा.

प्रत्येक भाषा और प्रत्येक साहित्य अपने देश काल और धर्म से परिचित तथा विकसित होता है. उस पर अपने महापुरुषों और चिंतको का, उनकी अपनी परिस्थतियों के अनुसार प्रभाव पड़ता है.

कोई दूसरा देश काल और समाज भी उस सुंदर स्वास्थ्यकारी संस्कृति से प्रभावित हो, यह आवश्यक नही है.

अतएवं व्यक्ति के व्यक्तित्व का समुचित विकास और उसकी शक्तियों को समुचित गति अपने पठन पाठन में मिल सकती है.

इसका कारण यह भी है कि मात्रभाषा में जितनी सहज गति से संभव है और इसमे जितनी कम शक्ति समय की आवश्यकता पडती है उतनी किसी भी विदेशी और पराई भाषा से संभव नही है.

यह भी सच है कि हमारे देश के प्रतिभाशाली और होनहार लोग पशिचमी भाषा और साहित्य में अपनी क्षमता को देखकर स्वयं भी चकिंत रह जाते है. जिसकी यह मातृभाषा नही है.

यह भी मानना पड़ेगा कि इन परिश्रमी लोगों ने अपनी शक्ति समय और तन्मयता पराई भाषा के लिए खपाई, वह यदि मातृभाषा के लिए प्रयोग की गई होती तो एक अद्भुत चमत्कार ही हो गया होता.

माइकेल मधुसूदन दत्त का द्रष्टान्त आपके सामने है. प्रतिभा के स्वामी इस बांगला कवि ने अंग्रेजी में काव्य रचना करके कीर्ति और गौरव कमाने के लिए भारी परिश्रम और प्रयत्न किया. यह तथ्य उनको तब समझ में आया जब वे इंग्लैंड यात्रा पर गये.

बहुत अच्छा लिखकर भी वह द्वितीय श्रेणी के लेखक और कवित से अधिक कुछ नही हो सके. यदि चाहते तो अपनी भाषा के कृतित्व के बल पर वह सहज ही प्रथम श्रेणी के कवियों में प्रतिष्टित हो सकते थे.

यह सब पता चलने के बाद उन्होंने अपनी भाषा में लिखने का निर्णय किया. प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता है.

श्रीमती सरोजनी नायडू यदि अपनी मातृभाषा में काव्यरचना करती तो निश्चय ही श्रेष्ट कवयित्री होने का गौरव प्राप्त करती. मै देखती हु कि उच्च ज्ञान विज्ञान का माध्यम अंग्रेजी होने पर पिछले डेढ़ सौ वर्षो में अंग्रेजी में एक भी रवीन्द्रनाथ, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और उमाशंकर जोशी आदि पैदा नही हो सके. राष्ट्रभाषा राष्ट्र की उन्नति की धौतक होती है.

मानव जाति के विकास के सिदीर्घ इतिहास में सर्वाधिक महत्व संप्रेषण के माध्यम का रहा है और वह माध्यम है भाषा. मनुष्य समाज की इकाई होता है तथा मनुष्यों से ही समाज बनता है.

समाज की इकाई होने के कारण परस्पर विचार, भावना, संदेश, सूचना आदि को अभिव्यक्त करने के लिए मनुष्य भाषा का ही प्रयोग करता हैं.

वह भाषा चाहे संकेत भाषा हो अथवा व्यवस्थित, ध्वनियों शब्दों या वाक्यों में प्रयुक्त कोई मानक भाषा हो. भाषा के माध्यम से ही हम अपने भाव एवं विचार दूसरे व्यक्ति तक पहुचाते हैं तथा दूसरे व्यक्ति के भाव एवं विचार जान पाते हैं.

भाषा ही वह साधन हैं. जिससे हम अपने इतिहास संस्कृति, संचित विज्ञान तथा महान परम्पराओं को जान पाते हैं.

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay on importance of Hindi language

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, गुजराती, उर्दू, मराठी, तेलगू, मलयालम, पंजाबी, उड़िया, जर्मन, फ्रेंच, इतालवी, चीनी जैसी अनेक भाषाएँ हैं. भारत अनेक भाषा भाषी देश हैं.

तथा अनेक बोली और भाषाओं से मिलकर ही भारत राष्ट्र बना हैं. संस्कृत हमारी सभी भारतीय भाषाओं की सूत्र भाषा है तथा वर्तमान में हिंदी हमारी राजकीय भाषा हैं.

भाषा के दो प्रकार होते है, पहला मौखिक व दूसरा लिखित. मौखिक भाषा आपस में बातचीत के द्वारा, भाषणों तथा उद्बोधन के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं.

तथा लिखित भाषा लिपि के माध्यम से लिखकर प्रयोग में लाई जाती हैं. यदपि भाषा भौतिक जीवन के पदार्थों तथा मनुष्य के व्यवहार व चिंतन की अभिव्यक्ति के साधन के रूप में विकसित हुई हैं.

जो हमेशा एक सी नहीं रहती हैं अपितु उसमें दूसरी बोलियों, भाषाओं से सम्पर्क भाषाओं से शब्दों का आदान प्रदान होता रहता हैं.

जीवन के प्रति रागात्मक सम्बन्ध भाषा के माध्यम से ही उत्पन्न होता हैं. किसी सभ्य समाज का आधार उसकी विकसित भाषा को ही माना जाता हैं.

हिंदी खड़ी बोली ने अपने शब्द भंडार का विकास दूसरी जनपदीय बोलियों, संस्कृत तथा अन्य समकालीन विदेशी भाषाओं के शब्द भंडार के मिश्रण से किया हैं. किन्तु हिंदी के व्याकरण के विविध रूप अपने ही रहे हैं.

हिंदी में अरबी फ़ारसी अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं के शब्द भी प्रयोग के आधार पर तथा व्यवहार के आधार पर आकर समाहित हो गये हैं. भाषा स्थायी नहीं होती उसमें दूसरी भाषा के लोगों के सम्पर्क में आने से परिवर्तन होते रहते हैं.

भाषा में यह परिवर्तन धीरे धीरे होता हैं. और इन परिवर्तनों के कारण नई नई भाषाएँ बनती रहती हैं, इसी कारण संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के क्रम में ही आज की हिंदी तथा राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, सिन्धी, बंगला, उड़िया, असमिया, मराठी आदि अनेक भाषाओं का विकास हुआ हैं.

भाषा के भेद प्रकार (Type of language)

जब हम आपस में बातचीत करते है तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते है तथा पत्र, लेख, पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. विचारों का संग्रह भी हम लिखित भाषा में ही करते हैं.

  • मौखिक भाषा (Oral language)
  • लिखित भाषा (written language)

मूलतः सामान्य जन जीवन के बीच बातचीत में मौखिक भाषा का ही प्रयोग होता हैं, इसे प्रयत्नपूर्वक सीखने की आवश्यकता नहीं होती हैं.

बल्कि जन्म के बाद बालक द्वारा परिवार व समाज के सम्पर्क तथा परस्पर सम्प्रेष्ण व्यवहार के कारण स्वाभा विक रूप से ही मौखिक भाषा सीखी जाती हैं.

जबकि लिखित भाषा की वर्तनी और उसी के अनुरूप उच्चारण प्रयत्नपूर्वक सीखना पड़ता हैं. मौखिक भाषा की ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिह्नों के द्वारा भी भाषा का निर्माण होता हैं.

भाषा और बोली में अंतर

एक सीमित क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहा जाता हैं, जिसे उप भाषा भी कहते हैं. कहा गया है कि कोस कोस पर पानी बदले पांच कोस पर बानी.

हर पांच सात मील पर बोली में बदलाव आ जाता हैं. भाषा का सीमित, अविक सित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाती हैं.

जिसमें साहित्य की रचना नहीं होती तथा जिसका व्याकरण नहीं होता व शब्दकोश भी नहीं होता, जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती हैं, उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता हैं तथा उसमें साहित्य लिखा जाता हैं.

किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तो उसमें साहित्य लिखा जाने लगता हैं. तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण निश्चित होने लगता हैं.

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speech on topic hindi bhasha ka mahatva

हिंदी का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Hindi

by Meenu Saini | Jul 25, 2023 | Hindi | 0 comments

Essay on Importance of Hindi

Hindi Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay

हिंदी का महत्व (importance of hindi ) par nibandh hindi mein.

जहां अंग्रेजी अधिकांश देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है और इसे दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर हिंदी इस सूची में तीसरे स्थान पर है।

देश के कई राज्यों में हिंदी अभी भी कई लोगों के लिए मातृभाषा है और ज्ञान प्रदान करने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली अंग्रेजी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। यह भी कहा गया है कि संख्यात्मकता और साक्षरता में मजबूत आधार कौशल सुनिश्चित करने के लिए, पाठ्यक्रम उस भाषा में प्रदान किया जाना चाहिए जिसे बच्चा समझता है।

हिंदी के महत्व के निबंध में हम आज हिंदी का महत्व, हिंदी के विकास के प्रभाव और भारत की आजादी के बाद संविधान सभा में हिंदी को लेकर हुए बवाल, समाधान और प्रमुख अनुच्छेदों की बात करेंगे, जो हिंदी की जरूरत और महत्व का वर्णन करते हैं।

हिंदी और भारतीय संविधान

भारतीय संविधान के प्रमुख भाषा संबंधी अनुच्छेद, अन्य प्रमुख अनुच्छेद, हिंदी भाषा पर ही क्यों हो रही है बहस, हिंदी का महत्व.

जैसे अंग्रेजी दुनिया को एक सूत्र में बांधती है, वैसे ही हमारे देश में हिंदी एक पुल है जो लोगों को जोड़ती है। मतलब जब दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हिंदी भाषा के महत्व और शक्ति को समझ सकती हैं, तो हम भारतीय इसकी सुंदरता और प्रासंगिकता को क्यों नहीं समझ सकते?

हमें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि भारत में केवल 10% लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं। हालाँकि, 2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार, हिंदी कुल जनसंख्या के लगभग 44% की मातृभाषा है। इतने स्पष्ट आँकड़ों के बावजूद, भारत भर के स्कूल इंग्लिश मीडियम होने की होड़ में लगे हुए हैं।

नई शिक्षा नीति छात्रों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का भी समर्थन करती है। नीति के अंशों में उल्लेख किया गया है कि छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा/मातृभाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं। नीति में आगे कहा गया है कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होगी।

बी.एन. राव ने कहा कि “भारत के नए संविधान के निर्माण में सबसे कठिन समस्याओं में से एक, भाषाई प्रांतों की मांग और समान प्रकृति की अन्य मांगों को पूरा करना होगा”। इस मुद्दे ने संविधान सभा को उसके तीन साल के जीवनकाल तक परेशान और परेशान किया।

संविधान सभा ने ऐसा नहीं किया, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की क्योंकि भाषाई-सह-सांस्कृतिक आधार पर प्रांतों के पुनर्गठन के लिए मजबूत दबाव और मांग थी, जिससे संविधान की सामग्री प्रभावित हो रही थी।

जनवरी 1950 में संविधान के उद्घाटन के साथ, विधानसभा को इस मुद्दे से राहत मिली क्योंकि उन्होंने संविधान निर्माण के दौरान भाषाई प्रांतों के गठन को शामिल करने से इनकार कर दिया था।

भारत का संविधान राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मौन है। इस प्रकार, हिंदी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में से एक है, न कि हमारी राष्ट्रीय भाषा।

संविधान को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था और इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी और अंग्रेजी को पंद्रह साल की अवधि के लिए संघ की आधिकारिक भाषाओं के रूप में नामित किया गया था। नतीजतन, दक्षिणी राज्यों से इसका कड़ा विरोध हुआ, जहां द्रविड़ भाषा बोली जाती थी।

कानून में अंग्रेजी का उपयोग जारी रखने को प्राथमिकता दी गई, जो अधिक स्वीकार्य थी। हिन्दी के विपरीत इसका संबंध किसी विशेष समूह से नहीं था। इसके अलावा, राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर संविधान मौन है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत उल्लिखित किसी भी धार्मिक भाषा को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिसमें हिंदी सहित 22 क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं। बंगाली, गुजराती, मराठी, उड़िया या कन्नड़ की तरह, हिंदी भी देश के विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है।

अनुच्छेद 343 को पढ़ते समय भ्रम और झूठ की गुंजाइश पैदा होने लगती है और यह स्पष्ट कथन न होने के कारण भी कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है।

भ्रम को और बढ़ाते हुए, अनुच्छेद 351, जो हिंदी भाषा के विकास के लिए एक निर्देशात्मक आदेश है, कहता है कि सरकार को भारत की समग्र संस्कृति को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में काम करने के लिए हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देना होगा।

संविधान राज्यों को एक या अधिक भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ने उत्तर प्रदेश राजभाषा (अनुपूरक प्रावधान) अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में नामित किया है।

अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा): अनुच्छेद 120 के अनुसार, संसद में कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा। हालाँकि, यदि कोई सदस्य किसी भी आधिकारिक भाषा में पर्याप्त रूप से पारंगत नहीं है तो वह अपनी मातृभाषा में खुद को अभिव्यक्त कर सकता है।

अनुच्छेद 344 (राजभाषा आयोग एवं संसद समिति): अनुच्छेद 344 में एक समिति की स्थापना का प्रावधान है और समिति का कर्तव्य होगा कि वह आयोगों की सिफारिशों की जांच करे और हिंदी भाषा के प्रगतिशील उपयोग पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करे। इसलिए, संविधान के प्रावधान हिंदी भाषा के उपयोग की दिशा में प्रगति पर प्रकाश डालते हैं।

अनुच्छेद 345 (किसी राज्य की आधिकारिक भाषा या भाषाएँ): अनुच्छेद 345 किसी राज्य की विधायिका को संबंधित राज्य में किसी एक या अधिक भाषाओं को अपनाने या सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी का उपयोग करने का प्रावधान करता है, जब तक कि राज्य की विधायिका आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग करने का प्रावधान नहीं करती।

अनुच्छेद 346 (एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच संचार के लिए आधिकारिक भाषा): अनुच्छेद 346 संघ में एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच आधिकारिक प्रयोजन या संचार के लिए उपयोग की जाने वाली आधिकारिक भाषा प्रदान करता है। इसके अलावा, यदि दो या दो से अधिक राज्य इस बात पर सहमत हैं कि आधिकारिक उद्देश्यों या संचार के लिए हिंदी भाषा आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।

अनुच्छेद 347 (किसी राज्य की जनसंख्या के एक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान): अनुच्छेद 347 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में चाहता है, तो वह ऐसी भाषा को राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा बनाने का निर्देश दे सकते हैं।

अनुच्छेद 348 (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयुक्त भाषा): अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि जब तक संसद द्वारा अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही, आधिकारिक पाठ, संसद में पेश किए गए बिल, संसद द्वारा पारित अधिनियम या सभी आदेश, नियम और विनियम अंग्रेजी में होने चाहिए।

भारत एक विविधतापूर्ण देश है जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि, धर्म, समुदाय, समूह, खान-पान, संस्कृति आदि के लोग शामिल हैं।

एक लोकप्रिय नारा है जिसमें कहा गया है कि भारत में हर कुछ किलोमीटर पर पानी की तरह भाषा बदल जाती है।

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में हिंदी 44 प्रतिशत से भी कम भारतीयों की भाषा है और लगभग 25 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। इसलिए, भारत के लिए एक राष्ट्रीय भाषा का चुनाव कठिन है और अक्सर हिंसा और गरमागरम बहस देखी जाती है।

भारत जैसे बहुभाषी देश में सत्तासीन सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार घोषणा की है कि ‘हिंदी’ भारत की राष्ट्रीय भाषा है।

उदाहरण के लिए, 2017 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है। उसी वर्ष, सत्तासीन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की भाषा के रूप में हिंदी में संशोधन करने का प्रयास किया।

ताजा बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति, 2020 से सामने आई है। नीति में सरकार ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाना अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। हालाँकि, बाद में सरकार ने नीति को संशोधित किया और इसे गैर-अनिवार्य घोषित कर दिया।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है

14 सितंबर 1949 को हिंदी भारतीय संघ की पहली मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषा थी। इसके बाद 1950 में, भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया। हिंदी के अलावा अंग्रेजी को भी भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

हिंदी भाषा का निम्न महत्व है;

हिंदी उर्दू के शब्दों में समानता है

हिंदी का उर्दू, एक अन्य इंडो-आर्यन भाषा से गहरा संबंध है। इसलिए, यदि आप हिंदी भाषा सीख रहे हैं तो इसे उर्दू सीखने में भी आसानी से लागू किया जा सकता है।

दोनों भाषाओं की उत्पत्ति एक समान है और ये परस्पर सुगम हैं। हालाँकि, हिंदी का अपना व्याकरण और वाक्यविन्यास है, लेकिन हिंदी वर्णमाला सीखने से अंततः आपको उर्दू शब्दों का उच्चारण करने में मदद मिलेगी क्योंकि दोनों की शब्दावली समान है।

व्यवसाय में उपयोगी

भारत की आधिकारिक भाषा होने के अलावा, हिंदी का उपयोग भारत के बाहर रहने वाले लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में भी किया जाता है। यह इसे अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिए एक बहुत उपयोगी भाषा बनाता है। हिंदी बोलने वालों की इतनी बड़ी आबादी होने के कारण, यह भाषा दुनिया भर के स्कूलों में भी आमतौर पर पढ़ाई जाती है।

जो कोई भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना चाहता है उसे भारत में अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन और जापान के बाद (जीडीपी के हिसाब से) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अनुमान है कि 2025 तक भारत जापान से आगे निकल जाएगा। भारत की विकास और नवाचार की विशाल क्षमता ने हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में महत्व दिया है।

पर्यटन के अलावा, भारत विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय और अन्य सूचना प्रणाली/डिजिटल मीडिया जैसे हर पहलू में बढ़ रहा है।

हालाँकि देश के अंदर अभी भी कुछ सामाजिक समस्याएँ हैं। भारत की वृद्धि अजेय प्रतीत होती है और धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में परिचालन और बिक्री विस्तार पर नजर रखने वाली कंपनियां ज्यादातर ऐसे लोगों को भर्ती कर रही हैं जो भारतीय संस्कृति से परिचित हैं और जो स्पष्ट और धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं।

जो लोग धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं, उन्हें दक्षिण एशिया की कंपनियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में भी सक्रिय रूप से भर्ती किया जाता है। यदि आप हिंदी बोलने और लिखने में सक्षम होंगे तो यह वास्तव में आपके लिए फायदेमंद होगा।

चाहे आप भारत में प्रवास करने की योजना बनाएं या नहीं, अंत में, आप निश्चित रूप से हिंदी भाषा के महत्व को सीखने के अपने निर्णय को बहुत फायदेमंद पाएंगे।

भारतीय संस्कृति की समझ को व्यापक बनाता है

दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या 1 अरब से अधिक है। इसे “भारत की मातृभाषा” कहा गया है क्योंकि अंग्रेजी के व्यापक प्रसार से पहले यह बहुसंख्यक भारतीयों की पहली भाषा थी। हिंदी उत्तर प्रदेश राज्य की भी प्राथमिक भाषा है, जहां भारत की लगभग आधी आबादी रहती है। हिंदी बोलना सीखना आपको देश के लोगों और उनकी संस्कृति को बेहतर ढंग से जोड़ने और समझने में मदद कर सकता है।

हिंदी सीखने से अन्य भाषाएँ सीखने में मदद मिलती है

किसी भाषा को सीखने का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह आपको अन्य भाषाएँ सीखने में मदद करती है। यदि आप हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्पेनिश, फ्रेंच या जर्मन जैसी अन्य भाषाएँ अपनी मूल भाषा या उन भाषाओं से आसानी से सीखी जा सकती हैं जो आपने पहले सीखी हैं।

दूसरी भाषा सीखने से न केवल आपको अंग्रेजी में अधिक पारंगत होने में मदद मिलेगी। लेकिन अन्य विदेशी भाषाएँ सीखने पर भी आपको लाभ मिलता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप स्पैनिश सीखने से पहले हिंदी सीखते हैं, तो आपके लिए स्पैनिश में शब्द और वाक्यांश सीखना आसान हो जाएगा क्योंकि वे परिचित लगेंगे। इसी तरह, कुछ बुनियादी अरबी शब्द सीखने से फ़ारसी सीखना बहुत आसान हो सकता है और इसके विपरीत भी।

हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति एवं अस्मिता का एक अनिवार्य अंग है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, और यह भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सरकार, व्यवसाय, शिक्षा और मनोरंजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो भारत में काम करने की योजना बना रहे हैं।

हालाँकि, हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे क्षेत्रीय विविधता और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव। इन चुनौतियों के बावजूद, हिंदी भाषा के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है, और भाषा को बढ़ावा देने और इसके सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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हिंदी दिवस विशेष- हिंदी भाषा का महत्त्व, प्रसार और प्रासंगिकता.

  • 14 Sep, 2022 | संकर्षण शुक्ला

speech on topic hindi bhasha ka mahatva

मानव जाति अपने सृजन से ही स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरह-तरह के माध्यम खोजती रही है। आपसी संकेतों के सहारे एक-दूसरे को समझने की ये कोशिशें अभिव्यक्ति के सर्वोच्च शिखर पर तब पहुँच गई जब भाषा का विकास हुआ। भाषा लोगों को आपस मे जोड़ने का सबसे सरल और जरूरी माध्यम है। आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर, इस आलेख में हिंदी भाषा पर चर्चा की गई है।

14 सितंबर को ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल इसी दिन संविधान सभा ने वर्ष 1949 में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया था। आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संबंध में तमाम बहस-मुहाबिसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के पक्षधर नहीं थे। इनमें भी दक्षिण भारतीय राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल प्रमुख थे। उनका तर्क था कि हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है और यदि इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाएगा तो ये उनके साथ अन्याय सरीखा होगा। अहिंदी भाषी राज्यों के विरोध को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने मध्यमार्ग अपनाते हुए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया, इसके साथ ही अंग्रेजी को भी राज्यभाषा का दर्जा दिया गया। वर्ष 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव दिया तब से ये दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हिंदी भाषा की विकास यात्रा

एक भाषा के रूप में अगर हिंदी भाषा की विकास यात्रा की बात करें तो यह एक लंबी और सतत प्रक्रिया है। एक भाषा के विकास में उस समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जहाँ पर ये बोली जाती है। हिंदी भाषा के विकास में भी समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है; खासकर उत्तर भारतीय राज्यों की भूमिका। भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत रही है और इसी भाषा के विभिन्न काल खंडों में अलग-अलग स्वरूपों में हुए वियोजन से हिंदी का विकास हुआ है।

संस्कृत भाषा से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, अपभ्रंश से अवहट्ट, अवहट्ट से पुरानी हिंदी और पुरानी हिंदी से आधुनिक हिंदी का विकास हुआ है जिसे आज हम बोलते है। हालांकि इसे लेकर मतभेद है कि अपभ्रंश से हिंदी का विकास हुआ है या पुरानी हिंदी से। मगर वर्तमान भाषाविज्ञानी इसे अपभ्रंश से ही विकसित हुआ मानते है।

अगर हिंदी भाषा के विकास के कालखंड की बात करें तो यह तीन कालों में विकसित हुई- पहला कालखंड 1100 ईस्वी - 1350 ईस्वी का माना जाता है, इसे प्राचीन हिंदी का काल कहा जाता है। दूसरा कालखंड मध्य काल (1350 ईस्वी - 1850 ईस्वी) कहा जाता है। इस काल में हिंदी भाषा की बोलियों अवधी और ब्रज में विपुल साहित्य रचा गया। तीसरा कालखंड 1850 ईस्वी से अब तक माना जाता है और इसे आधुनिक काल की संज्ञा दी जाती है। इस काल में हिंदी भाषा का स्वरूप बेहद तेजी से बदला है।

दरअसल इस काल में हिंदी जन-जन की भाषा बन गई। ये वो दौर था जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी और इस दौरान हिंदी का संपर्क भाषा के रूप में प्रचलन खूब बढ़ा। ये हिंदी भाषा का ही असर था कि उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत से भी आने वाले आजादी के नायकों ने इसे राष्ट्रभाषा के रूप मे स्वीकार किये जाने की पुरजोर वकालत की। हालांकि हिंदी भाषा को आज तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।

क्यों नहीं है हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा?

यदि राष्ट्रभाषा और राजभाषा के अंतर की बात की जाए तो इनमें दो प्रमुख अंतर हैं। एक अंतर इन्हें बोलने वालों की संख्या से है और दूसरा अंतर इनके प्रयोग का है। राष्ट्रभाषा जहाँ जनसाधारण की भाषा होती है और लोग इससे भावात्मक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े होते हैं तो वही राजभाषा का सीमित प्रयोग होता है। राजभाषा का प्रयोग अक्सर सरकारी कार्यालयों और सरकारी कार्मिकों द्वारा किया जाता है। कुछ देश जैसे ब्रिटेन की इंग्लिश, जर्मनी की जर्मन और पाकिस्तान की उर्दू; की राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। मगर बहुभाषी देशों के साथ यह समस्या है। यहाँ राष्ट्रभाषा और राजभाषा अलग-अलग होती है।

राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी-

"भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।"

हालांकि आजादी के बाद इसे लेकर तमाम तरह के विवाद हुए और अंततः अंग्रेजी के साथ इसे राजभाषा के रूप में ही स्वीकार किया गया। शुरूआत में तो यह प्रावधान 15 वर्षों के लिए ही था और साथ ही संसद को भी ये शक्ति दी गई थी कि वो अंग्रेजी के प्रयोग को बढ़ा सकता है। वर्ष 1965 में हिंदी को एकमात्र राजभाषा बनाए जाने के समय के पूर्व ही अहिंदी भाषी राज्यों का विरोध इस कदर तीव्र हो गया कि अंततः तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अहिंदी भाषी राज्यों को ये आश्वासन देना पड़ा कि आपकी सहमति के बिना हिंदी को एकमात्र राजभाषा नहीं बनाया जाएगा।

इसीलिए वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया। वर्ष 1967 में इसे संशोधित किया गया। इसमें किये गए प्रावधानों से अहिंदी भाषी राज्यों की तो चिंता खत्म हो गई मगर हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रमुख तत्व मानने वाले लोगों की चिंताएं बढ़ गई। सरकार ने इन चिंताओं को संबोधित करते हुए त्रिभाषा फार्मूला दिया। इसके अंतर्गत पहली भाषा मातृभाषा होगी जिसमें प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी। दूसरी भाषा गैर हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी और हिंदी भाषियों के लिए आठवीं अनुसूची में शामिल कोई भी भाषा होगी। तीसरी भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा यानी अंग्रेजी होगी ताकि शिक्षित भारतीय विश्व से भी आसानी से जुड़ सकें।

हालांकि विभिन्न राज्यों की सहमति के अभाव में इसे लागू नहीं किया जा सका। इसी क्रम वर्ष 1976 में राजभाषा अधिनियम लाया गया और इसके अंतर्गत राजभाषा विभाग की स्थापना की गई। यह विभाग ही हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित विभिन्न समारोहों जैसे हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी सप्ताह का आयोजन करता है। इसी के तत्त्वाधान में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है।

अगर हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति की बात की जाए तो यह राजभाषा के रूप में संविधान के भाग 5, भाग 6, भाग 17 में समाविष्ट है। भाग 17 में राजभाषा शीर्षक के अंतर्गत 4 अध्याय है। इसमें संघ शासन, प्रादेशिक शासन, उच्चतम और उच्च न्यायालयों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष निर्देश दिए गए हैं।

भाग 5 के अनुच्छेद 120 में बताया गया है कि संसदीय कामकाज की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यदि किन्हीं सदस्यो को इन्हें बोलने में दिक्कतें हैं तो वो अध्यक्ष की अनुमति लेकर अपनी भाषा में बात कह सकते हैं। भाग 6 के अंतर्गत अनुच्छेद 210 में राज्य विधानमंडल के लिए भी ऐसे प्रावधान हैं।

अगर हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति की बात की जाए तो यह विश्व के 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा बोली जाती है। इसके अलावा 40 देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में पढाई जाती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी भाषा का है। इसके अलावा भारत और फिजी की यह राजभाषा है। ब्रिटिश भारत काल के दौरान बहुत से श्रमिको को भारत से बाहर ले जाया गया था। इनमें से अधिकांश देशों में हिंदी भाषा आज एक क्षेत्रीय भाषा है; ये देश है- मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिनाद, गुयाना आदि। मॉरीशस में तो विश्व हिंदी सचिवालय की भी स्थापना की गई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा अभी भी हिंदी को नहीं मिल सका है।

अगर हिंदी भाषा की एक भाषा के तौर पर सामयिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो इसके समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो इसे 'राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता' का न मिलना है। इसके अलावा एक उच्च शिक्षित अभिजात्य वर्ग ऐसा भी है जो हिंदी बोलने में शर्म और हिचकिचाहट महसूस करता है। हिंदी भारत की सार्वभौमिक संवाद भाषा भी नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 41 फीसदी आबादी की ही मातृभाषा हिंदी है। इसके अलावा लगभग 75 फीसदी भारतीयों की दूसरी भाषा हिंदी है जो इसे बोल और समझ सकते हैं।

हिंदी भाषा के सामने एक प्रमुख चुनौती यह है कि यह अब तक रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के दैनिक कामकाज से लेकर कार्य संचालन की भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी अपने निहित स्वार्थों के लिए हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का माध्यम ज्यादातर अंग्रेजी ही रहता है। हिंदी भाषा की हालत आज ऐसी है कि इसके संबंध में जागरूकता सृजन के लिए विभिन्न सेमिनारों, समारोहों और कार्यक्रमों का सहारा लेना पड़ता है।

हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हिंदी भाषा के भविष्य के संबंध में भी नई राहें दिखाई है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहाँ विषयवस्तु निर्माण की रफ्तार 19 फीसदी है तो हिंदी के लिए ये आंकड़ा 94 फीसदी है। इसलिए हिंदी को नई सूचना-प्रौद्योगिकी की जरूरतों के मुताबिक ढाला जाए तो ये इस भाषा के विकास में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर तो प्रयास किए ही जाने चाहिए, निजी स्तर पर भी लोगों को इसे खूब प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषियों को भी गैर हिंदी भाषियों को खुले दिल से स्वीकार करना होगा। उनकी भाषा-संस्कृति को समझना होगा तभी वो हिंदी को खुले मन से स्वीकार करने को तैयार होंगे।

संकर्षण शुक्ला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से हैं। इन्होने स्नातक की पढ़ाई अपने गृह जनपद से ही की है। इसके बाद बीबीएयू लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक किया है। आजकल वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के साथ ही विभिन्न वेबसाइटों के लिए ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं में किताब की समीक्षा लिखते हैं।

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

मातृभाषा हिंदी पर निबंध |essay on hindi bhasha ka mahatva.

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है| दुनिया में सर्व प्रथम संस्कृत भाषा का निर्माण हुआ उसके बहुत जल्द देवनागरी लिपि जो आज हिंदी के नाम से जानी जाती है उसका अस्तित्व आया| हिंदी संस्कृत भाषा का सरल अनुवाद है|

संस्कृत को सरल करने के लिए हिंदी का जन्म हुआ है| हिंदी के बाद भारत वर्ष में तमिल, तेलगु ,कन्नड़, गुजरती, उर्दू तथा कई अन्य भाषा अस्तित्व में आयी| सम्पूर्ण दुनिया पहले सिर्फ भारत थी आज सहस्त देशों में बट चुकी है| आज के आधुनिक संसार में ऐसा कोई देश नहीं जहाँ हिंदी न बोली जाती हो  क्योंकि  हर जगह का अस्तित्व भारत से हुआ है और हिंदी भारत की धरोहर है|

हिंदी शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुआ है| सिन्धु एक नदी का नाम है जो की भारत वर्ष की प्रमुख और प्राचीन नदियों में से एक है| बाहरी महाद्वीप के लोग इस नदी को उदाहरण के रूप में “जिस देश में  ये नदी है” वहां के लोगों को सिंधु न कह के हिन्दू पुकारने लगे क्यों की उनके तलाफुज़ में स शब्द निकलना बहुत कठिन होता था, जिस वजह से स की जगह ह लगा कर सिंधु को हिन्दू कहने लगे|

तब से भारत के लोगो को हिन्दू पुकारा जाने लगा, और आगे चल के पूरा देश हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा और उसी हिन्दू से हिंदी शब्द आया और हिंदी भाषा का नाम करण हुआ| हिन्दू शब्द किसी भी शास्त्र, वेद, पुराण, उपनिषद में कहीं नहीं है, यह नाम हमे ज़बरदस्ती सौंपा गया है| आज के हिन्दू वास्तव में सनातन तथा आर्य है और सभी नए धर्म के लोग भी पहले सनातन ही थे| .

हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा मिला है परंतु उसको आधिकारिक काम में कोई अहमियत नहीं | आधिकारिक काम काजो में अंग्रेजी को ही महत्व दिया जाता है| आज के समय हिंदी भाषा सिर्फ नाम मात्रा के लिए श्रेष्ठ है, इसका महत्व लोग भूलते जा रहे है| हम सभी हिंदी में ही वार्तालाप करते है ये एक बहुत ही अच्छी बात है|

हिंदी एक मात्रा ऐसी भाषा है जिसको समझना बाकी हर भाषा से सबसे सरल है| हिंदी हर एक भारतीय को अानी चाहिए क्योंकि इसने हमे जीवन के आदर्श सिखाये है|

हिंदी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है| हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है क्योंकि की भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय अधिकार नहीं दिया गया है| हिंदी भाषा से ही अन्य सभी भाषाओँ का विस्तार हुआ है | हिंदी की देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं  जो की बाएं से दाएं लिखी जाती है| भारत में हिंदी को सर्व प्रिय मन जाता है|

हिंदी भाषा आज के समय मज़ाक का  विषय बनते जा रहा है| आज के समय अंग्रेजी को ज़ादा महत्व दिया जा रहा है| आज के समय में किसी विद्यार्थी से हिंदी की वर्णमाला सुनाने को कहा जाए तोह ९० प्रतिशत लोग इसमें असफल रहेंगे, वहीं अंग्रेजी की वर्णमाला शायद ही किसी पढ़ने वाले विद्यार्थी से न बने|

आज के समय हिंदी विश्व की पांच सबसे प्रसिद्ध भाषाओ में से एक है | एक तरह से समझा जाए तो हिंदी हमारे दिल की भाषा है और आज अंग्रेजी पेट की भाषा है| आज देश में हिंदी और अंग्रेजी की लड़ाई में हिंदी हारती जा रही है| देश में हिंदी बोलने वालों को महत्व नहीं दिया जा रहा है | हिंदी ही एक मात्र भाषा है जिसमे इंसान अपनी अनुभूति, अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से ज़ाहिर कर सकता है अन्यथा ये किसी और भाषा में पूर्ण रूप से नहीं पाया जाता|

हिंदी का सबसे बड़ा महत्व ये है की इस भाषा में त्रुटि बिल्कुल  भी नहीं है| ये जैसे बोली जाती है वैसे ही सोची और समझी जाती है| भारत की हिंदी फिल्मे पूरी दुनिया में देखि और पसंद की जाती है और भारत का संगीत जो की हिंदी भाषा से निर्मित  सबसे ज़ादा गाया और बजाया जाता है| भारत की हिंदी फिल्मों का देश के लोगों पे ज़बरदस्त प्रभाव होता है और ये भारत के बहार भी अपनी छाप छोड़ती है| दुनिया में सबसे ज़ादा गाने हिंदी भाषा में बने है |

किसी भी देश की भाषा उसकी उनती का मार्ग होती है और भारत में हिंदी ने सबसे अहम् भूमिका निभाई है| हिंदी भाषा ही एक भाषा है जिसने पुरे देश को एकता के बंधन में बांध के रखा है| हमारे देश के संविधान में हिंदी को देश की संघ भाषा का दर्जा दिया गया है | आज पूरे विश्व में तकरीबन १३० देशो में हिंदी भाषा का अध्यन होता है|

आज के समय कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप नहीं करता| यह एक गंभीर विषय है जिसे समय रहते इसका समाधान ढूँढना बहुत आवश्यक है | भारत देश के विश्वप्रसिद्ध नेताओं ने हिंदी का महत्व बखूबी समझा और उसे बहुत सम्मान दिया है जैसे स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी इत्यादि|

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिंदी में इतना प्रभावशाली भाषण दिया था जिसको विश्व में सभी सुनने वाले लोग स्तब्ध रह गए थे | वर्तमान में भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हिंदी का महत्त्व दुनिया को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके भाषण हमेशा हिंदी में रहते है चाहे वो कोई भी राज्य या देश में जाए| हिंदी भाषा इतनी प्रभावशाली है की आज दूर देश से लोग हिंदी  पढ़ने भारत आते है|

पिछले कुछ वर्षो में हिंदी का सत्तर काफी बढ़ा है जिसमे श्री नरेंद्र मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है| पर फिर भी हिंदी का सत्तर उस स्थान पे नहीं है जहाँ उससे होना चाहिए था, इसके लिए हमे अपनी शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधर करने पड़ेंगे, वैसे भी हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एक दम निचले सत्तर पे है|

भारत में हिंदी के लेखकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है जिसमे कई प्रसिद्ध लेखक,कवी,गीतकार और साहित्यकार को आज भी उनके कार्य के लिए हमेशा याद किया जाता है जिसमे कालिदास, आर्यभट,कबीर, मुंशी प्रेम चाँद, हरिवंश राइ बच्चन, आनंद बक्शी, समीर अनजान, गुलज़ार, जावेद अख्तर, रविंद्र जैन , ये सब वो नाम है जिनकी तारीफ़ के लिए हिंदी के सभी शब्द कम पड़ जाए| हिंदी के गीतकार समीर को २०१५ में तकरीबन ३५२४ हिंदी गीत लिखने पे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया|

ये सभी बातें हिंदी की महानता को दर्शाती है| तारीख १४ सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में बहुत धूम-धाम से हर जगह मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन १९४९ में, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में गणराज्य भारत  की आधिकारिक भाषा के रूप में लिखी हिंदी को अपनाया था।

हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है| इसलिए हिंदी के महत्व को समझे और दुसरो को भी समझाएं |

अंततः इससे याद रखे , “हिंदी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है ” -विलियम |

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हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

Table of Contents

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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5 thoughts on “हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )”

हिंदी का महत्व सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसमें छुपे रास को ग्रहण कर सकने की क्षमता रखता है। आपका लेख वाकई काबिले तारीफ है। आशा है आपसे इसी प्रकार के लेखन की।

धन्यवाद शुभाष जी। हमें इस बात की ख़ुशी है कि ये लेख आपको अच्छा लगा।

आज के जमाने में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है की हिंदी विभाग की सहायता लेकर अपनी हिंदी मजबूत करें और अपने आप को बेहतर बनाएं।

बहुत अच्छा लेख तैयार किया है आपने, हिंदी का महत्व बहुत है अगर सामने वाला समझना चाहे तो

राष्ट्रपती रामनाथ कोविन्द जी ने कहा है.. “हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। हिंदी मौलिक सोच की भाषा है।”

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हिंदी भाषा पर निबंध और हिंदी का महत्व

Essay on hindi bhasha ka mahatva in hindi, हिंदी भाषा पर निबन्ध और हिंदी का महत्व.

किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है जिसे छाव में उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है,

क्यूकी जिस भाषा को लोग अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवन भर बोलते है लेकिन आधिकारिक रूप से दुसरे भाषा पर निर्भर रहना पड़े तो कही न कही उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गयी भाषा ही सबसे बड़ी बाधक बनती है क्यूकी आप कल्पना कर सकते है जिस भाषा अपने बचपन से बोलते है और उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पढ़े तो आपको आगे बढने में ज्यादा परेशानी नही होगी लेकिन यदि आप जो बोलते है उसे छोड़कर कोई दूसरी भाषा में आपको कार्य करना पड़े तो कही न कही यही दूसरी भाषा हमारे विकास में बाधक जरुर बनती है,

यानी हमे दुसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दुसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिंदी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए.

विश्व भाषा के रूप में हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबन्ध

Essay on hindi.

हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है लेकिन भारत में अंग्रेजो की गुलामी के बाद हमारे देश के भाषा पर भी अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य हुआ भारत देश तो आजाद हो गया लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी आधिपत्य आज तक कायम है अक्सर अपने देश के लोग के मुह से यह कहते हुए सुना जाता है की हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है ऐसा कहने का तात्पर्य यही होता है की उनकी अंगेजी भाषा हिंदी के मुकाबले काफी अच्छी है और यदि भूल से यह कह दे की हमारी अंग्रेजी कमजोर है तो उसे लोग कम पढ़ा लिखा मान लेते है क्या यह सही है किसी भाषा पर अगर हमारी अच्छी पकड न हो तो क्या इसे अनपढ़ मान लिया जाय शायद ऐसा होना हमारे देश की विडम्बना है,

Table of Contents :-

लेकिन आईये आज आप सभी को हिंदी भाषा के बारे में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य बतलाते है जिसे आप सभी जानकर जरुर गर्व महसूस करेगे.

हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण तथ्य | हिंदी का महत्व

  • Hindi Ka Mahatva

भले ही आज हमारी सारी पढाई लिखाई और सारे कार्य अंग्रेजी में होता है लेकिन भारत के लोग की मूलभाषा हिंदी है और आप भारत के किसी भी कोने में चले जाईये अगर आपको हिंदी आता है तो आपको रहने कार्य करने में कोई परेशानी नही होगी और हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एकता में जोड़ता है तो आईये जानते है हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य | Interesting Facts about Hindi और हमारे देश में हिंदी का महत्व | Hindi Ka Mahatva के बारे में जानते है.

1 – हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुई है सिन्धु नदी के क्षेत्र में आने कारण ईरानी लोग सिन्धु न कहकर हिन्दू कहने लगे जिसके कारण यहाँ के लोग हिन्द, हिन्दू और हिंदुस्तान कहलाने लगे

2 – हिंदी भारत की सवैंधानिक राजभाषा है जिसे 14 सितम्बर 1949 को अधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया

3 – भारत में अनेक भाषा और बोलिया बोली जाती है हमारे देश में इतनी भाषाए है की ये कहावत कही गयी है

“ कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी ”

अर्थात हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है लेकिन इन सभी भाषाओ में सबसे अधिक भाषा बोले जाने वाली हिंदी है.

4 – हिंदी विश्व की चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है हिंदी हमारे देश भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, फिजी, मारिसस, गयाना, सूरीनाम और नेपाल में सबसे अधिक हिंदी भाषा बोली जाती है.

5 – हिंदी भाषा भारत के अतिरिक्त जहा जहा प्रवासी भारतीय रहते है उनमे भी अधिक संख्या में हिंदी बोली जाती है जैसे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यमन, कनाडा, युंगाडा, सिंगापूर, न्यूजीलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन के अतिरिक्त बहुत से देशो में बोली जाती है.

6 – विश्व के सबसे उन्नत भाषाओ में हिंदी भाषा सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है अर्थात हम जो हिंदी में लिखते है वही बोलते भी है और वही उसका मतलब भी होता है जबकि अन्य भाषाओ में ऐसा नही है.

7 – हिंदी भाषा बोलने में ससे अधिक सरल और लचीली भाषा है हिंदी भाषा को बोलना और समझना बहुत ही आसन है.

8 – दुनिया की एकमात्र हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो की सबसे अधिक और तेजी से प्रसारित होने वाली भाषाओ में से एक है हिंदी भाषा के बोले जाने में लगभग 94% की दर से वृद्धि हो रही है जो की हिंदी बोलने वालो के लिए एक अच्छीखबर है.

9 – हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमे त्रुटी न के बराबर है अर्थात हिंदी भाषा जो लिखी जाती है वही बोली भी जाती है.

10 – हिंदी भाषा का शब्दकोश बहुत ही बड़ा है हिंदी भाषा में अपनी किसी भी एक भावना को व्यक्त करने के लिए अनेक शब्द है जो की अन्य भाषाओ की तुलना में अपने आप में अद्भुत है.

11 – हिंदी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है जो की हिंदी भाषा वैज्ञानिक तथ्यों पर खरी उतरती है.

12 – हिंदी भाषा के मूल शब्दों में लगभग ढाई लाख से अधिक शब्द है और हिंदी भाषा की यह भी विशेषता है की देशी और बोले जाने वाली बोलियों के शब्दों को अपने आप में आत्मसात कर लेती है.

13 – हिंदी भाषा अपने आप में इतनी महत्वपूर्ण है की हिंदी की सभी साहित्य सभी दृष्टियों से परिपूर्ण है.

14 – हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई बार आन्दोलन हो चुके है सबसे पहले दयानंद सरस्वती ने किया था जिसे बाद में महात्मा गांधीजी ने भी आन्दोलन चलाये.

15 – कंप्यूटर और मोबाइल के आ जाने के बाद पूरे विश्व में सुचना क्रांति आ गयी और लोग घर बैठे इन्टरनेट पर विश्व की कही भी जानकारी प्राप्त कर लेते है जिसके कारण कंप्यूटर क्रांति में भी हिंदी का तेजी से प्रचार और प्रसार हो रहा है.

16 – हिंदी भाषा का इतना अधिक मांग है की दुनिया के सबसे बड़े Search Engine Google ने भी वर्ष 2009 में हिंदी भाषा को अपना लिया और हिंदी की लोकप्रियता इतनी अधिक है की दुसरे भाषा के मुकाबले हिंदी 94% की वृद्धि दर से सबसे आगे बढने वाली भाषा है जिसे गूगल भी मानता है.

17 – हिंदी भाषा इन्टरनेट की दुनिया में इतनी तेजी से बढ़ा है की इन्टरनेट पर लाखो सजाल ( Website) चिट्ठे (Blogs), गपशप (Chats), विपत्र (Email), वेबखोज (Search Engine), मोबाइल सन्देश (SMS) , अनेक प्रकार के हिंदी मोबाइल एप्प मौजूद है.

18 – एक समय ऐसा सोचा जाता था की कंप्यूटर और इन्टरनेट केवल अंग्रेजी भाषाओ के लिए है लेकीन हिंदी भाषा की इतनी अधिक मांग है की अब हर जगह इन्टरनेट पर हिंदी भाषा के रूप में कुछ भी Search कर सकते है और कोई भी जानकरी हिंदी में भी प्राप्त कर सकते है.

19 – हिंदी भाषा का हिंदी सिनेमा पर भी खास प्रभाव है पूरे भारत में हिंदी सिनेमा लोगो के दिलो की धड़कन है और हिंदी गाने तो लोगो के दिल को सुकून देने वाली होती है.

20 – हिंदी भाषा इतनी अधिक प्रसिद्द है कोई भी Social Network Site बिना हिंदी को अपनाये आगे तरक्की नही पा सकता है इसका जीता जागता उदाहरण Facebook है और यहाँ तक की गूगल खुद ऑनलाइन हिंदी टाइपिंग के लिए Google Hindi Typing Tool सेवा प्रदान करता है.

हिंदी भाषा का महत्व

H indi bhasha ka mahatva in hindi.

हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वो आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है.

हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है और सौभाग्य में हमे भी भारतेंदु हरीशचन्द्र के वाराणसी में स्थित हरीशचन्द्र कॉलेज में इंटर की पढाई करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ . हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है.

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।

शब्दार्थ –

निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति सम्भव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है।  और मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण सम्भव नहीं है। हमे विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिये.

हिन्दी दिवस के 100 नारे स्लोगन Hindi Diwas Naare Slogan in Hindi

हिंदी भाषा का इतना अधिक महत्व है की बिना हिंदी को इन्टरनेट से जोड़े लोगो को इन्टरनेट से नही जोड़ सकते है और जब कोई भी काम अपने भाषा में हो तो यह लोगो को जल्दी समझ में आती है इसी कारण अब इन्टरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा के रूप में अपना लिया है जिससे हर भारतीय अब आसानी से इन्टरनेट से जुड़ सकता है.

सही अर्थो में कहा जाय तो अगर हम अपने मूलभाषा हिंदी का प्रचार प्रसार करे तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपनी हिंदी भाषा के माध्यम से एकता मे जोड़ा सकता है.

हिंदी के महत्व को देखते हुए प्रत्येक 14 सितम्बर को हिंदी दिवस | Hindi Diwas के रूप में मान्य जाता है हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाधा जा सकता है.

तो आईये हम सब लोगो को अधिक से अधिक हिंदी भाषा के महत्व को समझाए और पूरे विश्व में हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाये और खुद एक हिन्दीभाषी बने.

हिन्दी दिवस की शुभकामनाए Hindi Diwas Shubhkamnaye Wishes

तो आप सभी को Essay on Hindi Language | Hindi ka Mahatva Essay कैसा लगा प्लीज अपने विचारो को कमेंट बॉक्स में जरुर बताये.

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Aap hmesha acche lekh likhte hai

Bahut sunder laga . Bahut gyanbardhak raha.

I don’t know hindi… I thought I could find something easily from this web, but it was too difficult for me to find full stops from this, so I have a suggestion, please add full stops when you write a paragraph or an essay…. please.

Hindi ki nibhand ke liye angrezi sabd kyu ???

आयन इन्टरनेट अभी भी अंग्रेजी ही समझता है सो कुछ शब्द अग्रेजी के उपयोग करने पड़ते है

Hindi bhasha par nibandh likhne ke liye dhanyawad sir…

Bahut hi acha laga apka Ye nibandh. Thank you

It’s lovely, mere teacher ko bahout Pasand Aaya….

Aapka nibandh bahut hi accha hai

Yah nibandh bahut hi sundar ek ek cheej ko spasht kiya bahut sundar lekin isme vakya mein misprint hai, Thank You,

Dhanywad. Hmari Hindi bhasha amar rahe.

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हिंदी भाषा का महत्व – Importance of Hindi language in Hindi

आज आप हिंदी भाषा का महत्व (Importance of Hindi language in Hindi) के बारे में जानेंगे. हम सब तो हिंदी बोलते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा की हिंदी भाषा का विकास कहां से हुआ है. इसी तरह हिंदी भाषा के सर्वनाम, विशेषण और लिपि के बारे में शायद ही कोई जानता होगा. तो चलिए हमारे लेख हिंदी भाषा का महत्व के ओर बढ़ते हैं.

जिस प्रकार प्राचीन भाषाओं में संस्कृत विशिष्ट स्थान रखती है, उसी प्रकार आधुनिक भाषाओं में कई दृष्टियों से हिंदी अपना विशिष्ट स्थान रखती है. इसका विकास बिलकुल सुनिश्चित वैज्ञानिक प्रणाली से हुआ है, जैसे किसी सुर-शिल्पी ने हिन्दी की भाषिक मूर्ति का निर्माण बहुत ही सोच-समझकर किया हो.

हिंदी भाषा का विकाश

हिंदी का काया मुख्यतः संस्कृत से बनी है. यह संस्कृत की प्रतिलिपि नहीं, वरन् स्वयं विकसित है. इसका व्यक्तित्व अपना है, निराला है. इसने लगभग अस्सी प्रतिशत शब्द संस्कृत से ज्यों-के-त्यों लिये हैं तथा बहुतेरे शब्दों को काट-कपचकर, तराश-खरादकर अपने अनुकूल भी बना लिया है. हिंदी ने संस्कृत के ‘पत्र’ शब्द को ‘पत्ते’ के अर्थ में लिया, किन्तु इसने पत्ते का विकास इसीलिए कर लिया कि ‘पत्ते’ और ‘पत्र’ (चिठ्ठी) में संदेह की गुंजाइश न रह जाए.

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी संपूर्ण हिन्द की भाषा है, किसी स्थानविशेष की भाषा नहीं. यह बँगला, असमिया, ओड़िया, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल आदि की तरह स्थानविशेष का बोध नहीं कराती. हिंदी भाषा सारे देश की है, सारे देश के लिए बनी है, अतः उसकी प्रकृति भारतमाता की प्रकृति की तरह सरल है. इसीलिए हिंदी ने वक्र मार्ग का नहीं, वरन् ऋजु मार्ग का अवलम्बन किया है.

संस्कृत में क्रियाएँ दो प्रकार से चलती थीं – तिङंत और कृदंत. तिङंत का रास्ता बड़ा ही टेढ़ा था. इसके अनेक रूप हो जाते थे. एक ही धातु ‘कृ’ को लें :

अहम् अकरवम् – मैने किया.

वयम् अकृर्म – हमने किया.

त्वम् अकरोः – तूने किया.

यूयम् अकुरुत – तुमने (तुमलोगों ने) किया.

2 विभिन्न पुरुष-वचनों में संस्कृत तिङंत के विभिन्न रूप हैं, किन्तु हिंदी ने सर्वत्र ‘क्रिया’ का एक रूप लिया. संस्कृत के कृदंत रूप बड़े ही सरल हैं. उसी से हिंदी ने अपनी क्रियाओं का विकास किया.

बालकेन कृतम् – बालक ने किया.

बालकैः कृतम् – बालकों ने किया.

त्वया कृतम् – तूने किया.

युष्मभिः कृतम् – तुमलोगों ने किया.

मया कृतम् – मैने किया.

अस्माभिः कृतम् – हमने (हमलोगों ने) किया.

इसी एक कृदंत रूप ‘कृतम्’ से हिंदी ने अपने ‘किया’ रूप का विकास किया. रही ‘ने’ जोड़ने की बात. ‘बालकेन’ का ‘इन’ अलग करके वर्ण-विपर्यय के द्वारा ‘न+इ=ने’ रूप कर लिया गया.

संस्कृत में पुरुष-भेद से इस ‘ने’ चिह्न के न मालूम कितने रूप होते हैं, जबकि भूतकाल की कर्मवाच्य और भाववाच्य क्रियाओं के सभी करक के साथ इस एक ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग होता है. 

इतना ही नहीं, हिंदी में यदि ‘करना’, ‘बनाना’ तथा ‘होना’ – इन तीन धातुओं को जानते हैं, तो फिर संज्ञा के साथ जोड़कर अनंत धातुओं का निर्माण कर सकते हैं. जैसे – हिसाब बनाना, काम बनाना, भोजन बनाना, घर बनाना, मिठाई बनाना, हजामत बनाना, कपड़ा बनाना, मुंह बनाना, मुर्ख बनाना आदि; किन्तु अंग्रेजी मेंइसी के लिए to make sum, to fulfil work, to cook food, to build a house, to prepare sweet, to shave, to weave cloth, to pull face, to make a fool आदि आते हैं. इस तरह हम देखते हैं कि हिंदी-क्रिया का निर्माण भी बहुत सुगम है.    

हिंदी ने न केवल क्रिया की जटिलता दूर की, वरन् अपने सारे पदों (प्रातिपदिक, धातु, उपसर्ग, अव्यय आदि) के ग्रहण में भी सरल पद्धति अपनायी है. इसने स्वरांत शब्दों को छोड़कर व्यंजनांत शब्द स्वीकार किए हैं. जैसे – पंचाशत् का ‘पचास’, चत्वारिन्शत् का ‘चालीस’ आदि. इसने ‘ब्रजनवतरुनितमालमुकुटमणि’ जैसी प्रलम्ब जटिल सामासिक पद्धति छोड़कर अलग-अलग लिखने या संयोजक चिन्हों के द्वारा लिखने की पद्धति स्वीकार की. इसने सन्धि के भी शताधिक उलझे नियमों से हमारा पिण्ड छुड़ाया. 

हिंदी के सर्वनाम भी सरल और निराले हैं. संस्कृत में ‘अस्मद्-युष्मद्’ सर्वनाम ही सभी लिंगों में सामान रूप से व्यवहृत होते हैं, किन्तु अन्य सभी सर्वनाम अपना रूप परिवर्तित करते हैं.

कस्य अयं पुत्रः?

कस्या इयं पुत्री?

किंतु, हिंदी में लिंग का बखेड़ा ही नहीं है. वह पढ़ेगा या पढ़ेगी, में जाऊँगा या मैं जाऊँगी. सर्वनाम स्त्रीलिंग-पुंलिंग में बिलकुल अपरिवर्तनीय है.

इतना ही नहीं, पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन-बहुवचन के झमेले से प्रायः बचे हुए हैं. हम एकवचन के लिए भी ‘हम’, बहुवचन के लिए भी ‘हम’, एकवचन के लिए भी ‘तुम’, बहुवचन के लिए भी ‘तुम’, एकवचन के लिए ‘वे’, बहुवचन के लिए भी ‘वे’ का प्रयोग करते हैं; किन्तु अंग्रेजी, बंगला आदि भाषाओं में यह सुविधा नहीं है.       

हिंदी विशेषण की विषेशताओं के क्या कहने? हिंदी में विशेषण के साथ अलग विभक्ति लगाने का बखेड़ा भी नहीं है. विशेषण तो विशेष्य के रंग में सराबोर होता है, विशेष्य की विभक्तियाँ ही विशेषण की विभक्तियाँ बन जाती हैं. जैसे – चतुर छात्रों से पूछो : मुर्ख लड़कों को पीटो.

किन्तु संस्कृत में इसके लिए ‘मेधावी’ और मुर्ख में भी विभक्तियाँ लगानी पड़ेंगी. यथा – चतुरान् छात्रान् प्रच्छ्; मूर्खान बालकान ताडय. अनेक स्थलों पर हिंदी के विशेषण में लिंग-परिवर्तन का भी असर नहीं होता. जैसे – सुन्दर लड़का, सुन्दर लड़की, तेज लड़का, तेज लड़की, चतुर लड़का, चतुर लड़की. इसी तरह विशेषण की आधिकायावस्था (comparative) और अतिशयावस्था (superlative) में न तो संस्कृत की भांति ‘दूर, दवियस्, दविष्ठ’ रटना पड़ता है. बस, ‘से’ और ‘सबसे’ के द्वारा सारी समस्या हल हो जाती है.   

मोहन सोहन से अच्छा है. (अधिक्यावस्था)

मोहन सबसे अच्छा है. (अतिशयावस्था) 

कारकविभक्ति      

हिंदी में बहुत अधिक कारकविभक्तियों का भी झमेला नहीं है. बस ने, को, से, के लिए, का, में और पर – इन सात कारकविभक्तियों को जान लेने से सारा काम चल जाता है.

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हिंदी इस मानी में और भी सौभाग्यशालिनी है कि उसने संस्कृत की देवनगरी – देवों के नगर में प्रयुक्त होनेवाली – संस्कारित उच्चारणानुकूल लिपि अपनायी है. इसी लिपि में उसे संस्कृत का अक्षय भंडार भी मिला है तथा इसी लिपि में उसने मराठी और नेपाली जैसी सहवर्तिनी भाषाओं का सान्निध्य भी प्राप्त किया है. उर्दू की लिपि सीखिए, तो ‘जबर-जेर-पेश’ की ही हैरानी नहीं है, बल्कि नुक्ता के हेरफेर से ‘खुदा’ को ‘जुदा’ होने का भय बना रहता है.

देवनगरी-लिपि में जो कुछ लिखा जाता है, सभी उच्चरित होता है, किन्तु फ्रांसीसी भाषा पढ़ें तो इस अनुच्चरित के अनेक नियम कंठस्थ करने पड़ेंगे. जर्मन-भाषा के umlaut तथा रुसी-भाषा के accent चिन्हों के कारण उच्चारण संबंधी अनेक कठिनाइयाँ उपस्थित होती हैं.

बँगला में भी लिखते कुछ हैं और बोलते कुछ है. जैसे लिखते है ‘भव्य’, बोलते है ‘भोव्ब’. तमिल में तो वर्ग के द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ण ही गायब हैं. गाँधी के लिए ‘कांधी’ लिखना पड़ेगा, क्योंकि ‘ग’ के लिए पृथक ध्वनि-संकेत, यानी लिपि है ही नहीं. हिंदी में विदेशी भाषा की भांति article तथा preposition का भी झमेला नहीं है.  

सरलता और उत्कृष्टता की दृष्टि से ही नहीं, वरन् सार्थकता की दृष्टी से भी देवनगरी संसार में सर्वश्रेष्ठ लिपि है. इस लिपि का प्रत्येक वर्ण शब्द है, उसके एक ही नहीं, वरन् कई-कई अर्थ हैं.

व्याकरण का सरलीकरण

इस प्रकार जो हिंदी इतनी समृद्ध, प्रायः समग्र देश के संपर्क एवं रागात्मक ऐक्य की मोहक भाषा है, उसके व्याकरण को कुछ अहिन्दीभाषी विद्वान राजनीतिक कारणों एवं वैदिशिक प्रलोभनों से क्लिष्ट बतलाते हैं. वे चाहते हैं कि हिंदी का सरलीकरण किया जाए. किन्तु, स्वयं ही इतनी सरल है, उसका पुनः सरलीकरण कैसा? इसके व्याकरण  पोस्टकार्ड पर अँटने लायक नियमों में बाँध दिया जाए – ऐसा कहनेवाले सज्जन अपनी भाषाओं के व्याकरण की कतर-व्योंत क्यों नहीं करते हैं? वे संसार की अन्य भाषाओं-अंग्रेजी, जर्मन, फ्रांसीसी, रुसी आदि के व्याकरणों पर क्यों नहीं दृष्टिपात करते हैं?   

भाषा तो एक प्रवाह है और खासकर हिंदी-भाषा तो ऐसा प्रवाह है कि इसे हिमालय से कन्याकुमारी और द्वारका से कामरूप तक देखा जा सकता है. हिंदी-भाषा किसी बादशाह के शाही बाग के माली के द्वारा सजाया गया गुलदस्ता नहीं है, वरन् यह तो परमात्मा की इच्छा पर क्षण-क्षण विकास-विस्तार पानेवाली वनस्थली है. यदि कहीं-कहीं यह ज्यामितिक नियमों की अवहेलना कर दे, तो इसके लिए कैंची- कपचकर क्या इसके सौन्दर्य को विनष्ट करना वांछनीय है.

संसार में सबकुछ सीखने की आवश्यकता पड़ती है. हजामत बनाने की जानकारी के लिए भी शिक्षण और अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है. एक हिंदी-व्याकरण है, जिसके लिए शिक्षण और अभ्यास व्यर्थ माना जाता है. प्रायः सभी अपने को हिंदी का जन्मजात पंडित मान लेते हैं. यद्यपि हिंदी सरल-सुबोध है; फिर भी यह इतने विशाल जनसमुदाय की सामान्य बोल-चाल, साहित्य-संस्कृति, राजनीति, विज्ञान, इतिहास, शास्त्र आदि का भाषा है कि इसके व्याकरण-ज्ञान के लिए श्रम की आवश्यकता है. में यह नहीं कहता कि हिंदी व्याकरण सीखने के लिए इंद्र जैसे गुरु और बृहस्पति जैसे शिष्य को दिव्य हजार वर्ष लगाने की आवश्यकता है.

तो यह था हिंदी भाषा का महत्व (Importance of Hindi language in Hindi) के ऊपर लेख. अगर आप हिंदी भाषा के बारे में और कुछ जानते हैं, तो हमें जरूर बताएं.      

1 thought on “हिंदी भाषा का महत्व – Importance of Hindi language in Hindi”

vaah ji bahut accha

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आधुनिक भारत में हिंदी भाषा का महत्व हिन्दी भारत की राजभाषा है एवं हिन्दी भारत की मूल भाषा है, परंतु फिर भी हिन्दी अब तक भारत की गौण भाषा ही है।

बूढ़ी माँ को भी है आकांक्षा आधुनिकता की 

आधुनिक भारत में हिंदी भाषा का महत्व

अन्नू मिश्रा

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अच्छा लगा

जय हिंद! जय हिंदी।

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अच्छा लेख। लिखते रहिए।

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध - Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh

हमारी मातृभाषा हिंदी पर निबंध : In This article, We are providing हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध and Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh for Students an

हमारी मातृभाषा हिंदी पर निबंध : In This article, We are providing हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध and Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh for Students and teachers.

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध.

Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh : हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हिन्दुस्तान की धड़कन है। यह जनसंचार का सबसे सशक्त माध्यम है। बालीवुड से लेकर पत्रकारिता तक, विज्ञापन से लेकर राजनीति तक सबने हर दिन नए शब्द गढ़े, नई परंपराएं और नई शैली विकसित की। फिर भी हिंदी जीवंत है। भारत में करोड़ों लोगों की मातृभाषा हिंदी है। इसलिए भारतवासियों के लिए हिंदी भाषा का बड़ा महत्व है। 

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध - Hindi Bhasha Ka Mahatva Par Nibandh

हिंदी ऐसी समृद्ध भाषा है कि इसका महत्व कभी कम नहीं हो सकता। यह सच है कि लंबे अंतराल के बाद भाषा के स्तर पर परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु हिंदी में इस परिवर्तन को भी सहज स्वीकार करने की क्षमता है। हिंदी तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना सिखाती है। यह किसी भाषा की दुश्मन नहीं, बल्कि सखी भाषा है।

हिंदी सदियों से इस देश की संपर्क भाषा का काम करती रही है, और प्रशासन में भी इसका उपयोग होता रहा है, इसे विशेष स्थान मिला है देश की आजादी के बाद, जब यह औपचारिक रूप से आजाद भारत की राजभाषा अंगीकार की गई। भारतीय संविधान में हिंदी को कार्यालयी भाषा का दर्जा दिया गया है। 

हिंदी भाषा के विकास की जब भी बात आती है तो हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाने वाले महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की दो पंक्तियां याद आती हैंः-

'निज भाषा उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल। बिनु निज भाषा ज्ञान के, रहत मूढ़-के-मूढ़।।'

उपरोक्त दोहे से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपनी भाषा हिंदी से कितना लगाव था। यदि हम हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले सौ सालों में हिंदी का बहुत विकास हुआ है और दिन-प्रतिदिन इसमें और तेजी आ रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है।

संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे आर्य भाषा या देवभाषा भी कहा जाता है। हिंदी इसी आर्य भाषा संस्कृत की उत्तराधिकारिणी मानी जाती है, साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि हिंदी का जन्म संस्कृत की ही कोख से हुआ है।

ऐसा कहा जाता है कि हिंदी का जो विकास हुआ है वह अपभ्रंश से हुआ है और इस भाषा से कई आधुनिक भारतीय भाषाओं और उपभाषाओं का जन्म हुआ है, जिसमें शौरसेनी (पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी और गुजराती), पैशाची (लंहदा, पंजाबी), ब्राचड़  (सिन्धी), खस (पहाड़ी), महाराष्ट्री (मराठी), मागधी (बिहारी, बांग्ला, उड़िया और असमिया), और अर्ध मागधी (पूर्वी हिंदी) शामिल है।

हिंदी विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से एक है। इतना ही नहीं  हिंदी आज दुनिया की सबसे बड़ी आबादी द्वारा बोली और समझे जानी वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षणों के आधार पर दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत इसे समझता है, जबकि अन्य भाषा की बात करें तो चीनी भाषा मैंडरीन समझने वालों की संख्या 15.27 और वहीं अंग्रेजी समझने वालों की संख्या 13.85 प्रतिशत कही गई है।

हिंदी को हम भाषा की जननी, साहित्य की गरिमा, जन-जन की भाषा और राष्ट्रभाषा भी कहते हैं। ऐसे में यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि  हिंदी भविष्य की भाषा है। हां, एक बात जरूर है कि हम इस भाषा का प्रयोग वास्तविक जीवन में जरूर करते है लेकिन यह रोजगार और महत्वाकांक्षी की भाषा बनने में थोड़ी कारगर नहीं बन पाई।

अक्सर देखने में आता है पढ़ा-लिखा युवा वर्ग जो बड़ी-बड़ी कंपनी में नौकरियां कर रहा है उसे आज के समय में न तो हिंदी का कोई भविष्य न ही, हिंदी में अपना भविष्य दिखाई देता है।  वह भी सही हैं क्योंकि वह अपने आस-पास के दायरे में रहकर सोच रहा है जो दायरा हमनें उसको दिया है। उसे एक सफल भविष्य चाहिए जिसमे नौकरी, पैसा व नाम हो उसके लिए हिंदी का होना जरूरी नहीं लगता। लेकिन जब वही युवा एक क्षितिज पर खड़ा होकर देश के भीतर झांकता है तो उसे अपने ही लोगों के बीच एक खाई नजर आती है।

यह खाई इन पढ़े-लिखे युवाओं को ही अकेला खड़ा कर देती है क्योंकि देश में आज भी हिंदी भाषाई ज्यादा है। इन पढ़े-लिखे युवाओं में तकनीकी एकता भले ही हो लेकिन मानवीय एकता के लिए हमें अपनी मातृभाषा की ही जरूरत है।

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भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्व और निबंध !

September 13, 2017 By Prakash Singh 14 Comments

भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्व और निबंध !!! Hindi Language Diwas Essay Importance In Hindi

Hindi Language Diwas Essay Importance In Hindi

हमारा देश हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाता हैं. हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा हैं. 14 सितम्बर सन 1949 को भारतीय सविंधान सभा ने एक फैसला लिया कि हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा होगी.

इसी ऐतिहासिक फैसले को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये भारत की राष्ट्र भाषा प्रचार समिति ने 1953 से हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया जो कि भारत में हर राज्य और हर वर्ग तक हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिये इस दिन को चुना गया.

Hindi Diwas Essay Importance In Hindi

हिंदी है हम

हिंदी दिवस के पीछे का इतिहास

भारत के राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने सन 1918 को हिंदी साहित्य सम्मलेन में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने को कहा था गाँधी ने हिंदी के विकास और बुनियादी ढांचे को पुरे देश में प्रयोग में लाने को कहा था.

वर्ष 1949 में हिंदी की स्थिति

आजादी के बाद भारत में 14 सितम्बर को काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया भारतीय सविंधान ने भी अपने 17 के lesson की धारा 343 (1) में कुछ लेख मिलते हैं. जिसमे यह कहा गया हैं ”’ संघ की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग में होने वाले अंक का रूप अन्तराष्ट्रीय होगा ”’ . क्योंकि यह फैसला 14 सितम्बर को ही लिया गया था.

इस दिन हिंदी को पुरे देश में राष्ट्र भाषा के रूप में चुना गया. देश के राष्ट्र भाषा बनने पर गैर हिंदी राज्य के लोगो ने अपना गुस्सा भी दिखाया था और हिंदी भाषा में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा.

वर्ष 1991 में हिन्दी की स्थिति

भारत एक कृषि प्रधान देश है यह सबको मालूम होगा, भारत में कृषि का अंशदान 20% ही रह गया हैं और इसका असर भारत की राष्ट्र भाषा में पड़ने लगा हैं. भारत में अंग्रेजी के अलावा दुसरे भाषा की पढाई कई लोगो को मुश्किल लगती है.

आज भारत में कई ऐसे राज्य हैं जहाँ हिंदी ना के बराबर बोली जाती हैं. आज भी भारत के हर राज्य अपनी राज्य की भाषा को जायदा महत्व देते हैं जैसे- गुजरात में गुजराती, महाराष्ट्र में मराठी, पंजाब में भाषा पंजाबी, नागालैंड में फुल english, सिक्किम में अपनी भाषा बोलते है.

आज भी भारत में हिंदी राज्य बहुत ही कम हैं जहाँ हिंदी को बढ़ावा दिया जाता हैं जैसे – हिंदी राज्य मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि कुछ गिने चुने राज्य ही हिंदी भाषा राज्य हैं. देश के अन्य राज्यों में हिंदी ना के बराबर बोली जाती हैं जिसका मतलब है हिंदी भाषा खतरे हैं और हिंदी का मजाक उड़ाया जाता हैं.

भारत के आज की नव पीढ़ी थोड़ा अंग्रेजी और हिंदी या फिर कुछ लोकल भाषा के साथ मिलकर बोलते हैं. जिससे हिंदी की पहचान कम होती नजर आ रही हैं ये तो रहा समाज का हाल अब बात करे हमारे देश के नेताओं की तो वो देश की संसद और शपथ ग्रहण में भी हिंदी को ना के बराबर बोलते हैं या तो अंग्रेजी या फिर अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में बोलते हैं जो कि हिंदी का एक अपमान हैं.

हिंदी भाषा के लिए कार्यक्रम

भारत में हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में कार्यक्रम होते हैं. इस दिन स्कूल सरकारी प्रतिष्ठान और अन्य जगहों पर हिंदी दिवस के रूप में कार्यक्रम होते हैं. स्कूल और कॉलेजों में निबंध लेखन, वाद – विवाद और हिंदी विचार-विमर्श किया जाता हैं.

इस दिन पूरा देश हिंदी के रूप में रंगा होता हैं. सरकार इस दिन पुरस्कार का भी सम्मान रखती हैं, सरकार ऐसे व्यक्ति को यह पुरस्कार देती है जिसने जन-जन तक हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये अपना बहुमूल्य और कीमती समय देश की राष्ट्र भाषा के लिये लगा दी हो.

सरकार इस दिन 1 लाख रुपये का चैक और कुछ प्रतीक भी देती हैं लेकिन 14 सितम्बर को तो हिंदी – हिंदी होती है और अगले ही दिन हिंदी को भूल जाते हैं इसके लिये सरकार ने कई कार्यक्रम निकाले हैं जैसे- हिंदी सप्ताह राजभाषा जिसमे यह कहा गया हैं कि साल के एक हफ्ते हम हिंदी भाषा के ऊपर देंगे और हिंदी को मजबूत बनाने में अपना वचन का पालन करेंगे.

हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति

हिंदी भाषा पुरे विश्व में सबसे ज्यादा बोलने में चौथे नम्बर पर आती हैं लेकिन उसे अच्छी तरह से समझना, पढ़ना तथा लिखना यह बहुत कम संख्यां में लोग जानते है. आज के समय में हिंदी भाषा के ऊपर अंगेर्जी भाषा के शब्दों का ज्यादा असर पड़ा हैं. आज के समय में अंग्रेजी भाषा ने अपनी जड़े ज्यादा घेर ली हैं जिससे हिंदी भाषा के भविष्य में खो जाने की चिंतायें बढ़ गयी हैं.

जो लोग इस हिंदी भाषा में ज्ञान रखते हैं उन्हें हिंदी के प्रति अपने जिम्मेदारी का बोध करवाने के लिये इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं जिससे वे सभी अपने कर्तव्यों का सही पालन करके हिंदी भाषा के गिरते हुए स्तर को बचा सकें. लेकिन समाज और सरकार इसके प्रति उदासीन दिखती हैं हिन्दी भाषा को आज भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा भी नहीं बनाया जा सका हैं.

हालात ऐसे आ गए हैं कि हिंदी भाषा को हिंदी दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर आज भी ” हिंदी में बोलो “ करके शब्दों का प्रयोग करना पड़ रहा हैं. कुछ पत्रकारों ने मीडिया से कहा हैं कि कम से कम हिंदी दिवस के मौके पर तो हिंदी में बात-चीत करे जिससे हिंदी राष्ट्र भाषा को कुछ सम्मान मिल सकें.

हिंदी दिवस मनाने के प्रमुख उद्देश्य

अगर हिंदी का विकास करना हैं तो लोगो को दूसरी भाषाओं को छोड़ कर अपनी देश की जन्म भाषा को स्वीकार करना पढ़ेगा इस दिन सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय में अंग्रेजी के बदले हिंदी भाषा को उपयोग करने की सलाह दी जाती हैं. जो हर साल हिंदी में अच्छे कार्य और अच्छी तरह से इसका प्रयोग करता है तथा लोगो तक हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार करता हैं तो उसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता हैं.

आज भी हमारे समाज में कई लोग हिंदी के बदले विदेशी भाषाओं को ज्यादा तबज्जो देते हैं और इससे हिंदी भाषा खतरे के निशान के ऊपर जाता नजर आ रहा हैं. यहाँ तक की उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हिंदी भाषा की संस्था में भी हिंदी भाषा खतरे में हैं. इस 14 सितम्बर को सबसे मेरा निवेदन हैं कि अपनी सभी कार्यो और बोलचाल में हिंदी का ज्यादा प्रयोग करे और दूसरो को भी हिंदी का ज्ञान बताएं.

आज कल संचार का युग हैं इसमें सोशल मीडिया जैसे – Facebook , Whatsapp, Twitter और अन्य मीडिया में हिंदी के कई विकल्प रखे गए हैं और साथ ही हिंदी के भंडार भरे पड़े हैं. इसमें भी हिंदी भाषा के शब्दकोश के बारे में जानकारियाँ दी जाती हैं.

सभी को एकजुट होकर हिंदी के विकास को एक नये सिरे से शिखर तक ले जाना होगा हिंदी भाषा के खोते और गिरते हुए स्तर को जिन्दा रखने में ये एक आखिरी हथियार हैं जिससे देश की राष्ट्र भाषा को कुछ सम्मान मिल सकें.

हिंदी के लेखको और हिंदी के जानकारों का कहना है कि अब हिंदी दिवस एक सरकारी कार्य की तरह रह गया हैं साल में एक दिन के सरकार को हिंदी की याद आती हैं. एक दिन के दिवस से हिंदी भाषा का कोई विकास नहीं हो सकता हैं. हमारे समाज में कई ऐसे अंग्रेज लोग भी है जो हिंदी दिवस में मौके पर लोगो का स्वागत अंग्रेजी में बोलकर करते हैं जो हिंदी का एक अपमान हैं.

सरकार लोगो को यह दिखा रही हैं की हम हिंदी के प्रति कार्य कर रहे हैं लेकिन कई बार देखा गया हैं कि सरकारी अफसर भी हिंदी दिवस के मौके पर अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अपने कार्य करते हुए पकड़े गए हैं.

पढ़े : हिंदी दिवस पर 21 बेस्ट नारे !

दोस्तों ! हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा हैं जिसपर हमें गर्व होना चाहिए की हम हिंदी भाषी हैं. हमें देश की राष्ट्र भाषा का सम्मान करना चाहिए. हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते है उनके खान-पान, रहन-सहन और वेश-भूषा अलग-अलग हैं पर एक हिंदी ही हैं जो सभी धर्मों के लोगो को एकता में जोड़ती हैं. हिंदी भाषा हमारे देश की धरोहर हैं जिस तरह हम अपने तिरंगे को सम्मान देते हैं उसी प्रकार अपने देश की राष्ट्र भाषा को भी सम्मान देना चाहिए.

देश के लेखको ने हिंदी के ऊपर कई गीत और रचनाएँ लिखी है जिसमे एक हैं ””’ हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तान हमारा ””’ ये शब्द देश की शान में लिखे गए हैं और हमें गर्व महसूस कराते हैं. अपने अन्दर और दिलो दिमाग में यह सोच होनी चाहिए की ”’ पहले अपना देश आता हैं बाद में दूसरा देश आता हैं ”’ —- जय हिन्द जय भारत.

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November 30, 2021 at 7:09 pm

This is very help ti us thank so much

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January 31, 2020 at 7:52 am

Wah sir ji achi essay ,superr…

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September 13, 2019 at 11:49 am

nice easy of hindi improtance

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August 26, 2019 at 10:12 pm

Haa hindi alaga alag dharma kae logo ko ek ladies mae peronae ka jarya hae humae hindi bhasa par naan hae

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Gurukul99

हिंदी भाषा का महत्व – Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

Hindi bhasha ka mahatva.

हिंदी है हमारी मातृभाषा, जीवित रखे इसका स्वरूप, नहीं तो एक दिन हम पहचान नहीं पाएंगे अपने ही भारत का रूप। यह पंक्तियां पूर्ण रूप से सिद्ध करती है कि हिंदी को हम केवल इसलिए नहीं ठुकरा सकते हैं। क्योंकि उसमें विज्ञान और सम्पूर्ण तकनीक की जानकारी विद्यमान नहीं है। बल्कि हमारी मातृभाषा होने के कारण वह हमारी माता समान है। जोकि सदैव हमारे लिए आदरणीय है। हिंदी भाषा ने सम्पूर्ण विश्व में भारत को ख्याति अर्जित कराई है। और यह समस्त विश्व में बोली जाने वाली प्रसिद्ध भाषाओं में तीसरे स्थान पर आती है। जिसे भारत की मातृभाषा का दर्जा भी प्राप्त है। ऐसे में देश की मातृभाषा होने के कारण हिंदी के अस्तित्व को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। क्योंकि किसी ने सही कहा है कि…..

हिंदी से हिन्दुस्तान है, हिंदी से यह जहान है, हिंदी हमारी मातृभाषा है, विश्व में यही एक महान् भाषा है।

हिंदी का इतिहास

हिंदी का वर्तमान स्वरूप जो हमारे सामने मौजूद है, वह प्राचीन समय की संस्कृत भाषा समेत पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और अवहट्ट आदि भाषाओं के मध्य से निकलकर यहां तक पहुंचा है। हालांकि हिंदी के लिए वर्तमान सफर इतना आसान नहीं रहा। प्रारम्भ से ही हिंदी को अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। पहले उसे संस्कृत और उर्दू भाषा से अवतरित माना जाता था। तत्पश्चात् जैसे जैसे भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन हो गया। वैसे वैसे हिंदी पर भी अंग्रेजी भाषा ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। हालांकि हमारे देश के कई महान व्यक्तियों ने हिंदी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसके परिणामस्वरूप हिंदी आज भी अखबारों, पत्र पत्रिकाओं, लेखों, कविताएं, सरकारी लेनदेनों, साधारण बोलचाल समेत साहित्य की भाषा मानी जाती है। इतना ही नहीं, हिंदी भाषा के महत्व को स्वीकारते हुए वर्धा समिति के अनुरोध पर वर्ष 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को भारत देश के कोने कोने में प्रसारित करना है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी ना केवल भारत की राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक है। बल्कि यह एक सच्चे भारतीय की पहचान भी है। इसलिए प्रत्येक भारतीय को हिंदी भाषा के प्रति अपने सम्मान और प्रेम को सदैव प्रकट करते रहना चाहिए।

अंग्रेजी का दौर हिंदी के लिए बना काल

दुर्भाग्यवश आधुनिक विज्ञान के इस युग में हिंदी भाषा अंग्रेजी के अत्यधिक प्रचलन से पिछड़ती जा रही है। आज बच्चा जन्म लेने के कुछ सालों बाद जैसे ही पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है। तो अंग्रेजी शिक्षा पद्धति पर आधारित स्कूलों में उसे हिंदी वर्णमाला के स्थान पर अंग्रेजी वर्णमाला का अभ्यास कराया जाता है। और यदि बच्चा हिंदी विषय के अलावा अन्य किसी विषय की कक्षा में हिंदी के शब्द का गलती से प्रयोग भी कर लेता है। तो उस पर भारी जुर्माना लगा दिया जाता है। ऐसे में अपने ही देश में हिंदी की ऐसी दुर्दशा देखकर किसी के द्वारा कही हुई कुछ पंक्तियां याद आती है कि…..

हिंदी के माथे की बिंदी बन गई आज उसका कलंक, एक दो तीन तो नहीं पर याद है सब अंग्रेजी के अंक, आने वाली पीढ़ी जब हिंदी से नज़रें चुराएगी, बेतुकी बढ़ेगी और हिंदी कहकर उसकी हंसी उड़ाएगी, तो फिर हिंदी किसकी शरण में जाएगी?

आज यह प्रश्न हम सबके सामने खड़ा है कि आखिर हिंदी जिसकी शरण में जाएगी? क्योंकि अंग्रेजी पढ़कर हम बड़े आदमी जरूर बन सकते हैं। लेकिन देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को बांधे रखने के लिए हिंदी भाषा का ज्ञान आवश्यक है। दूसरा, अंग्रेजी आज भी एक ऐसी भाषा है। जो हमारे सगे संबंधियों में फर्क नहीं बता पाई है। फिर ऐसी भाषा से हम कैसे एक परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास की उम्मीद लगा सकते हैं। इसलिए एक दोहा भी प्रचलित है कि….

अंग्रेजी पढ़कर यद्यपि सब गुन होत प्रवीन, पै निज भाषा ज्ञान के रहत हीन के हीन।।

यानि अंग्रेजी का ज्ञान होने पर आप समस्त प्रकार के भौतिक गुणों से संपन्न हो जाते हैं। लेकिन अपनी मातृ भाषा का ज्ञान नहीं होने पर आप ज्ञान हीन ही रह जाते हैं।

हिंदी भाषा की आवश्यकता और महत्व

किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए उसकी मातृभाषा का होना आवश्यक है। ऐसे में तमाम भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी ही सम्पूर्ण देश को एकजुट करने में सक्षम है। इसलिए देश की आज़ादी के पश्चात् हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया था। क्योंकि सम्पूर्ण भारतवर्ष में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जोकि देश के हर क्षेत्र में अलग अलग प्रकार से बोली जाती है। इसमें सरलता, आत्मीयता, सर्वव्यापकता का गुण विद्यमान है। हिंदी भाषा का प्रयोग देश के अनेकों राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि में होता है। इसके अलावा विश्व के कई देश नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, यूनाईटेड स्टेट्स, फ़िजी, युगांडा, यूनाईटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सिंगापुर इत्यादि देशों में भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। साथ ही हिंदी भाषा विदेशियों को काफी आकर्षित करती है। जिसके चलते वह भारत आने से पहले या भारत आकर यहां हिंदी सीखने की इच्छा जाहिर करते हैं। तो वहीं कुछ लोग हिंदी को वर्तमान समय की भाषा ना बताते हुए किताबी भाषा कहते हैं। जबकि इसके उलट जब से ऑनलाइन बाज़ार बढ़ा है। तब से हिंदी भाषा के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं तलाश ली गई है। यही कारण है कि आज हिंदी भाषी व्यक्ति भी पैसा कमा सकता है। उदाहरणार्थ, ब्लॉगिंग, भाषा अनुवादक, भाषा प्रेषक और कंटेंट के क्षेत्र में अच्छे हिंदी जानकारों की मांग काफी बढ़ गई है।

हिंदी से जुड़े रोचक तथ्य

हिंदी विश्व में प्रचलित चाइनीज भाषा मंडारिन के बाद बोली जाने वाली तीसरी सबसे लोकप्रिय भाषा है। भारत में हिंदी, बंगला, तेलगु, मराठी और फिर तमिल सर्वाधिक प्रचलित भाषाएं हैं। भारत में कुल आबादी का 77% वर्ग हिंदी भाषा का प्रयोग करता है। हिंदी की लिपि देवनागरी है। जिसमें कुल 52 वर्ण होते हैं। जिनमें से 11 स्वर और 33 व्यंजन होते है। इंटरनेट पर हिंदी का पहला शब्द वेबपोर्टल था। जिसके बाद से हिंदी भी इंटरनेट की दुनिया में छा गई। हिंदी की सबसे पहली कविता अमीर खुसरो ने लिखी थी। और हिंदी की पहली फिल्म आलम आरा थी।  भारत समेत विश्व के कई प्रसिद्ध विश्व विद्यालयों में हिंदी एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में पढ़ाई और सिखाई जाती है। हिंदी भाषा का आधुनिक जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है। और इसका प्रथम उपन्यास लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरूकहलाता है। इसका प्रथम महाकाव्य पृथ्वीराजरासो है। जिसमें पृथ्वीराज के जीवन का वर्णन मिलता है। साथ ही हिंदी का पहला अखबार उदंत मार्तण्ड कहलाता है। जिसे जुगल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित किया गया था। हिंदी भाषा की प्रथम कहानी का श्रेय रानी केतकी की कहानी को दिया जाता है। और इसका प्रथम नाटक नहुष था। सर्वप्रथम हिंदी विश्व सम्मेलन का आयोजन 1975 में नागपुर में आयोजित हुआ था।

हिंदी ना केवल भारतीयों की एक भाषा है। अपितु समस्त देशवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखने का एक माध्यम है। जिसके सम्मान और विकास को लेकर हमें जीवनभर प्रयत्न करना चाहिए।

इसके साथ ही हमारा निबंध हिंदी भाषा का महत्व (Hindi Bhasha ka Mahatva) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए निबंध लेखन को पढ़ें।

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अंशिका जौहरी

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व

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  • Updated on  
  • जनवरी 9, 2024

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी विश्व स्तर पर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। यह दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसे भारत में बोलने वालों की बड़ी संख्या है। हिंदी भाषी आबादी का विशाल आकार इस भाषा को महत्वपूर्ण वैश्विक महत्व देता है। हिंदी की समृद्ध सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत है। यह भारत की विविध पुरातत्व, साहित्य और कलाओं की गहराई से जुड़ी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

हिंदी भाषा का इतिहास, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व, हिन्दी भाषा के ऐतिहासिक एवं वर्तमान महत्व का संक्षिप्त अवलोकन, वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा का विकास, हिंदी भाषा पर्यटन की दृष्टि से , हिंदी भाषा व्यापार की दृष्टि से, हिन्दी सीखने के लिए प्रमुख कारण.

हिंदी भाषा का एक समृद्ध इतिहास है जो प्राचीन इंडो-आर्यन जड़ों से लेकर भक्ति आंदोलन और मुगल काल के दौरान इसके मध्ययुगीन विकास तक विकसित हुआ है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में ब्रजभाषा के उद्भव और मानकीकरण के प्रयासों ने आधुनिक हिंदी की नींव रखी। स्वतंत्रता के बाद, हिंदी को भारतीय संविधान में एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई, जिसने प्रशासन और शिक्षा में इसकी प्रमुखता में योगदान दिया। देवनागरी लिपि में लिखी गई भाषा, संस्कृत, फ़ारसी, अरबी और अंग्रेजी की शब्दावली को शामिल करते हुए लगातार विकसित हो रही है और भारत के सांस्कृतिक, साहित्यिक और भाषाई परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हिंदी भाषा विभिन्न कारणों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व रखती है। 600 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, हिंदी विश्व स्तर पर सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। यह दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है। भारत सरकार की आधिकारिक भाषा और संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में, हिंदी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत की आर्थिक वृद्धि और सांस्कृतिक प्रभाव, जिसमें बॉलीवुड फिल्मों की वैश्विक लोकप्रियता भी शामिल है, हिंदी की बढ़ती मान्यता में योगदान करती है। इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रवासी और दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी भाषा पाठ्यक्रमों की उपस्थिति इसके अंतर्राष्ट्रीय महत्व को बढ़ाती है, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ को बढ़ावा देती है। हिंदी का प्रभाव भारत की सीमाओं से परे तक फैला हुआ है, जिससे यह वैश्विक प्रासंगिकता वाली भाषा बन गई है।

हिंदी भाषा का ऐतिहासिक महत्व प्राचीन इंडो-आर्यन भाषाओं में इसकी जड़ों से पता लगाया जा सकता है, जो मध्यकाल में विकसित हुई, भक्ति आंदोलन से प्रभावित हुई और मुगल काल के दौरान आकार ली गई।  ब्रज भाषा जैसे मानकीकृत रूपों के विकास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  स्वतंत्रता के बाद, हिंदी को भारतीय संविधान में एक आधिकारिक भाषा के रूप में प्रमुखता मिली, जिसने प्रशासन, शिक्षा और संस्कृति में इसके उपयोग में योगदान दिया।

वर्तमान में, हिंदी का महत्व 600 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ विश्व स्तर पर तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा की स्थिति में है। यह भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है, संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में भूमिका निभाती है और भारत के आर्थिक विकास और सांस्कृतिक प्रभाव का अभिन्न अंग है। बॉलीवुड फिल्मों की वैश्विक लोकप्रियता, भारतीय प्रवासियों की उपस्थिति और दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी भाषा पाठ्यक्रम इसकी अंतर्राष्ट्रीय प्रासंगिकता को और बढ़ाते हैं। हिंदी ऐतिहासिक गहराई और समकालीन वैश्विक महत्व दोनों के साथ एक भाषा के रूप में खड़ी है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा के विकास के कुछ मुख्य कारण निम्न हैं:

  • विश्व स्तर पर 600 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा हिंदी बोली जाती है, जिससे यह दुनिया में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है। हिंदी भाषी आबादी का विशाल आकार इसकी वैश्विक उपस्थिति में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  • भारत सरकार में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है और यह संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। आधिकारिक डोमेन में यह मान्यता इसके वैश्विक महत्व को बढ़ाती है, खासकर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और संचार में।
  • भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि और बढ़ता वैश्विक प्रभाव हिंदी के बढ़ते महत्व में योगदान देता है। जैसे-जैसे भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, व्यवसाय और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में संलग्न होता है, हिंदी भाषा दक्षता की मांग बढ़ती है।
  • बॉलीवुड भारत का जीवंत फिल्म उद्योग, जिसकी प्राथमिक भाषा हिंदी है। उसके कई वैश्विक दर्शक वर्ग हैं। बॉलीवुड फिल्मों, संगीत और सांस्कृतिक निर्यात का प्रभाव हिंदी भाषा को विश्व स्तर पर फैलाने और भारतीय संस्कृति में रुचि बढ़ाने में मदद करता है।
  • दुनिया भर में फैले प्रवासी भारतीय हिंदी से गहरा रिश्ता रखते हैं। यह प्रवासी विभिन्न देशों में हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने और इसके वैश्विक विकास में योगदान देने में एक प्रेरक शक्ति बन जाता है।
  • दुनिया भर के कई शैक्षणिक संस्थान हिंदी भाषा पाठ्यक्रम और भारतीय अध्ययन से संबंधित कार्यक्रम पेश करते हैं। यह शैक्षिक आउटरीच हिंदी भाषा और संस्कृति के वैश्विक प्रसार में मदद करता है।
  • डिजिटल युग ने इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल सामग्री के माध्यम से हिंदी की वैश्विक पहुंच को आसान बना दिया है।  हिंदी भाषा विविध वैश्विक दर्शकों के लिए सीखने में आसान है, जो वैश्विक मंच पर इसके विकास को बढ़ावा देती है।
  • एक पर्यटन स्थल के रूप में भारत की लोकप्रियता दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोगों को आकर्षित करती है। हिंदी पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों में संचार की भाषा बन गई है, जो इसकी वैश्विक प्रासंगिकता में योगदान दे रही है।
  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत और अन्य देशों के बीच सहयोग, भाषा और विचारों के आदान-प्रदान में योगदान देता है, जिससे हिंदी के वैश्विक विकास में वृद्धि होती है।

भारत प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल, महाबोधि मंदिर और प्रभावशाली ब्रिधादिश्वर मंदिर जैसे कई आश्चर्यजनक वास्तुशिल्प चमत्कारों से भरा है। मुंबई के ताज महल पैलेस के साथ ये स्थल दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। खूबसूरत पश्चिमी घाट के झरनों सहित भारत का विविध भूगोल इसके आकर्षण को बढ़ाता है। पर्यटन भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रोजगार प्रदान करता है और देश की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का प्रदर्शन करता है। इन पर्यटन स्थलों पर अधिकतर हिंदी भाषा प्रयोग में ली जाती है। भारत के पर्यटन में हिंदी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह आधिकारिक भाषाओं में से एक है और पूरे देश में व्यापक रूप से बोली जाती है। इसका महत्व पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच संचार को सुविधाजनक बनाने, यात्रा अनुभव को बढ़ाने में शामिल है। हिंदी समझने से पर्यटकों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत समझने में और बातचीत करने में मदद मिलती है। हिंदी समझने से वे जिन विविध समुदायों से मिलते हैं, उनके साथ अधिक सार्थक संबंध बना पाते हैं।

विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का लक्ष्य रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए, भारत में व्यापार का विस्तार करना महत्वपूर्ण है। भारत अब सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसके 2025 तक जापान से आगे निकलने की उम्मीद है। विकास और नवाचार के लिए देश की अपार क्षमता हिंदी के वैश्विक महत्व को उजागर करती है। पर्यटन के अलावा, भारत विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय और डिजिटल मीडिया में भी फल-फूल रहा है। दक्षिण एशिया में विस्तार करने वाली कंपनियाँ भारतीय संस्कृति से परिचित और हिंदी में पारंगत व्यक्तियों की तलाश करती हैं, जो हिंदी भाषी आबादी को एक महत्वपूर्ण वैश्विक बाजार के रूप में पहचानते हैं। दक्षिण एशिया या अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए हिंदी सीखना फायदेमंद है। चाहे आप भारतीय हों या नहीं, हिंदी सीखना एक बेहद फायदेमंद निर्णय साबित होता है।

हिंदी सीखना कई कारणों से फायदेमंद हो सकता है, जिससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों लाभ मिलते हैं। हिंदी सीखने के कुछ मुख्य कारण यहां दिए गए हैं:

  • हिंदी विश्व स्तर पर तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी सीखने से दुनिया की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से के साथ संचार हो सकता है और विविध संस्कृतियों के साथ जुड़ने की आपकी क्षमता बढ़ती है।
  • कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ भारतीय व्यवसायों में काम करती हैं या उनके साथ सहयोग करती हैं, जिससे पेशेवर दुनिया में हिंदी भाषा कौशल मूल्यवान हो जाता है।
  • हिंदी जानने से आपके करियर की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, खासकर यदि आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों, गैर सरकारी संगठनों या राजनयिक भूमिकाओं में काम करने की योजना बनाते हैं जहां भारतीय भागीदारों या दर्शकों के साथ जुड़ाव अक्सर होता है।
  • हिंदी सीखना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रवेश द्वार प्रदान करता है, जिसमें इसके साहित्य, संगीत, फिल्में और परंपराएं शामिल हैं।  इससे आप भारतीय कला और संस्कृति को समझ सकते हैं। 
  • यदि आप भारत यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो हिंदी जानने से आपकी यात्रा का अनुभव काफी बेहतर हो सकता है। यह स्थानीय लोगों के साथ संचार की सुविधा प्रदान करता है, जिससे आपकी बातचीत अधिक मनोरंजक हो जाती है।
  • कई विश्वविद्यालय हिंदी और भारतीय अध्ययन से संबंधित पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
  • यदि आपका परिवार या मित्र भारतीय प्रवासी में हैं, तो हिंदी सीखने से आपको उनके साथ अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ने और उनकी संस्कृति के बारे में आपकी समझ को गहरा करने में मदद मिल सकती है।
  • हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। इसे सीखना बहुभाषावाद और अंतरसांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने की वैश्विक पहल के हित में है।
  • हिंदी सीखने से आपकी भाषा दक्षता बढ़ती है और आपके भाषाई कौशल का विस्तार होता है। इस क्षेत्र में भाषाई विविधता को देखते हुए, यह भारतीय उपमहाद्वीप की अन्य भाषाओं का पता लगाने के अवसर खोलता है।
  • हिंदी भाषा सीखने में सरल तथा सहज है जिससे आप कम समय में इस भाषा को सीख सकते हैं। 

तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में अपनी स्थिति, भारत की महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति, संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इसकी आधिकारिक भाषा की स्थिति और व्यापार, कूटनीति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में इसकी भूमिका के कारण हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जाता है।

हिंदी में प्रवीणता वैश्विक व्यापार में फायदेमंद है, खासकर जब भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति है। यह भारतीय व्यवसायों के साथ संचार, बातचीत और सहयोग की सुविधा प्रदान करता है, जो सफल अंतर्राष्ट्रीय उद्यमों में योगदान देता है।

नहीं, हिन्दी का महत्व पर्यटन से भी आगे तक है। यह व्यवसाय, कूटनीति, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है। भारत की आर्थिक वृद्धि और सांस्कृतिक प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिंदी की बढ़ती प्रासंगिकता में योगदान करते हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Hindi Essay on “Matribhasha Ka Mahatva”, “मातृभाषा का महत्त्व” Complete Paragraph, Speech for Students.

मातृभाषा का महत्त्व, matribhasha ka mahatva.

संसार के सभी देशों में शिक्षित व्यक्ति की सबसे पहली पहचान यह होती है कि वह अपनी मातृभाषा में दक्षता से काम कर सकता है। केवल भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें शिक्षित व्यक्ति वह समझा जाता है जो अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या नहीं किन्तु अंग्रेजी में जिसकी दक्षता असंदिग्ध हो। संसार के अन्य देशों में ससंस्कत व्यक्ति वह समझा जाता है जिसके घर में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह हो और जिसे बराबर यह पता रहे कि उसकी भाषा के अच्छे लेखक और कवि कौन है तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं ? भारत में स्थिति दुसरी है। यहाँ घर में प्राय: साज-सज्जा के आधुनिक उपकरण तो होते हैं किन्तु अपनी भाषा की कोई पुस्तक नहीं होती है। यह दरवस्था भले ही किसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है किन्तु यह सुदशा नहीं है दुरवस्था ही है। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखका सहा हीन नहीं हैं बल्कि उनकी किस्मत चीन, जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यन्त सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही नहीं हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती। हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेजी में ही पढ़ लेता है। यहाँ तक उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेजी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और ठसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

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  • Teachers Day Short Speech In Hindi 5 September 1 Minute Shikshak Diwas Bhashan 10 Lines

Teacher's Day Speech 10 Lines: 'गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान...', शिक्षक दिवस पर 1 मिनट का बेस्ट भाषण

1 minute speech on teacher's day in hindi: शिक्षक दिवस पर सबसे अच्छा भाषण कौन सा है इस सवाल का जवाब इस लेख में है। अगर आपको टीचर्स डे पर छोटा भाषण देना है, तो ये 1 मिनट की टीचर्स डे बेस्ट स्पीच बिल्कुल आपके मतलब की हो सकती है। इसमें शिक्षक दिवस पर भाषणा कविता और शायरी के साथ दिया गया है।.

teachers day short speech in hindi 5 september 1 minute shikshak diwas bhashan 10 lines

सबसे पहले- शिक्षक दिवस पर दोहे

सबसे पहले- शिक्षक दिवस पर दोहे

गुरु समान दाता नहीं, याचक सीष समान। तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दिन्ही दान।। यानी... पूरी दुनिया में गिरु के समान कोई दानी नहीं है और शिष्य के समान कोई याचक नहीं है। संत कबीर का ये दोहा गुरु और शिष्य के अनमोल, अमृत समान रिश्ते की महिमा का बखान करने के लिए काफी है।

शिक्षक दिवस पर भाषण की शुरुआत

शिक्षक दिवस पर भाषण की शुरुआत

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सम्माननीय शिक्षकगण, और मेरे प्रिय साथियों, आज हम यहां उस बेहद खास उपलक्ष्य के लिए एकत्रित हुए हैं, जिसे हम शिक्षक दिवस के रूप में जानते हैं। दुनिया में वर्ल्ड टीचर्स डे 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, लेकिन भारत में नेशनल टीचर्स डे 5 सितंबर को। क्योंकि हम ये दिन देश के महान शिक्षाविद् और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर उनकी याद में मनाते हैं। उन्होंने कहा था कि 'अगर मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो यह मेरे लिए बड़े गर्व की बात होगी।'

टीचर के लिए कुछ लाइनें

टीचर के लिए कुछ लाइनें

शिक्षक हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। शिक्षक वह दीपक हैं जो अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। वे हमें न केवल किताबों का ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन की मूलभूत सीख भी सिखाते हैं। वे हमें आत्मनिर्भर, जिम्मेदार और नैतिक रूप से सशक्त बनाते हैं।

शिक्षकों का आभार व्यक्त करें

शिक्षकों का आभार व्यक्त करें

ये दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में शिक्षकों का योगदान कितना महत्वपूर्ण है। हमारे शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करना कितना महत्वपूर्ण है। उनकी मेहनत और समर्पण के बिना हम सफलता की ओर नहीं बढ़ सकते। मैं अपने सभी शिक्षकों का दिल से आभार व्यक्त करना चाहता/ चाहती हूं। आपकी शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए हम सदैव आपके ऋणी रहेंगे।

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