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नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध , नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध भारत में नशे की समस्या पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

युवाओं में नशाखोरी की समस्या और समाज पर इसके प्रभाव पर स्टूडेंट्स के लिए निबंध दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.

नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi

नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

पिछले कुछ वर्षो से भारत में नशे के लिए ड्रग्स (Drugs) और मादक दवाओं (Narcotic drugs) का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की लत के शिकार है.

जिनमे लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है. गैर आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है.

स्कूली छात्रों के मध्य किये गये एक सर्वे में पाया गया कि भारत में नौवी क्लाश तक पहुचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे है. जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है.

राजस्थान में भी नशे की गम्भीर समस्या है राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त (Doda Post) ,अफीम (Opium) व अफीम से बने नशीले पदार्थो का सेवन किया जाता है.

राजस्थान परम्परिक रूप से अफीम उत्पादक है. यहाँ कोटा बारां, झालावाड़, चितोड़गढ़ उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में अफीम की खेती की जाती है.

नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो (Narcotics central bureau) द्वारा इन क्षेत्रों में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किये जाते है. सरकार की अफीम कृषि निति के अनुसार जितनी भी अफीम की खेती का उत्पादन होता है उसे दवाइयों में उपयोग करने के लिए सरकारी एजेंसियों को सौपा जाता है.

परन्तु सरकारी स्तर पर चार चौकसी की व्यवस्था नही होने के चलते इस निति का पूर्ण क्रियान्वयन नही हो पाता है. तथा किसान अफीम का एक बहुत बड़ा हिस्सा चोरी छिपे ड्रग माफिया को दे दिया जाता है. क्युकि अफीम का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक होने के कारण इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है.

यह अफीम देश ही नही दुनिया के कई हिस्सों में स्मगल की जाती है. इस अफीम का एक हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में पहुच जाता है. जहाँ विवाह, मृत्यु व अन्य सामाजिक अवसरों पर अफीम का उपयोग करने की पुरानी परम्परा है.

वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है. पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में अफीम Opium  का काफी प्रचलन है.

पश्चिमी राजस्थान अफीम का अंतर्राष्ट्रीय हब बन चूका है. पाकिस्तान व अफगानिस्तान को यहाँ से अफीम की सप्लाई किये जाने का कारोबार भी बड़े स्तर पर फ़ैल चूका है.

नशे के दुष्प्रभाव (Side effects of intoxication/Drug Abuse In Hindi)

नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते है बल्कि इससे उसका पूरा परिवार तथा समाज प्रभावित होता है. ड्रग्स की लत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से अपंग बना देती है बल्कि उसकी मानसिक क्षमताओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.

परिवार के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स की लत जाने से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. तथा इसका असर समाज और देश पर भी पड़ता है.

नशे का गुलाम व्यक्ति तब तक जीता है, अपने आप पर, अपने परिवार तथा देश पर एक बोझ की तरह जीता है. नशे की लत लग जाने पर नशा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है.

ड्रग्स माफिया नशे के आदि व्यक्तियों को कैरियर के रूप में काम में लेते है. तथा उनके माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करवाते है वे खुद कभी भी कानून की पकड़ में नही आते है जबकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति केवल नशे की पूर्ति के लिए सभी अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होता है और इसका परिणाम स्वयं व उसका पूरा परिवार भुगतता है

नशे के उपयोग में लाई गई सूइया hiv का कारण बनती है जो अन्तः एड्स का रूप धारण कर लेती है. नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उतेजना में अपराध तक कर बैठता है. नशे के सेवन से अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है.

भारत में मादक ड्रग्स का उपयोग बढ़ने के कारण (Due to the increase in the use of narcotic drugs in India In Hindi)

एक आंकलन के अनुसार भारत की आधे से ज्यादा संपदा केवल 50 लोगों के हाथो में है. अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब के लिए अपने परिवार को चलाना ही एक चुनौती है.

गरीब लोगों के पास अपने परिवार को मूलभूत सुविधाएं दे पाना मुश्किल हो गया है. गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो समय का भोजन दे पाता है. अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना तो बहुत दूर की बात है.

ऐसी स्थति में गरीब व्यक्ति तनाव व अवसाद में रहता है जिसके चलते कई बार अपने आपकों तनाव से मुक्त करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है और धीरे धीरे इसका आदि हो जाता है.

भारत में अधिकाँश युवा ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बेरोजगार है. वे शारीरिक श्रम कर या छोटा मोटा व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित नही कर पाते है. क्युकि बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किसी छोटे व्यवसायी के लिए कोई जगह नही छोडी है.

ऐसी स्थति में युवावर्ग ड्रग्स माफिया का चंगुल में आ जाता है. तथा थोड़े से लाभ के लिए ड्रग्स कैरियर के रूप में काम करने को तैयार हो जाता है और अंतत नशे की लत का शिकार हो जाता है.

यधपि ड्रग्स की रोकथाम के लिए कठोर कानून एन डी पी एस अधिनियम बनाया गया है परन्तु इसकी पूरी तरह से पालना नही हो रही है. सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए अनेकों एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स, कंट्रोल ब्यूरो, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, कस्टम आयुक्तालय, केन्द्रीय आबकारी आयुक्तालय, राज्य आबकारी विभाग आदि बनाए गये है.

परन्तु इन एजेंसियों एवं विभागों के मध्य सामजस्य का अभाव है. व ड्रग्स व नशे पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में विफल रहे है.

वर्तमान में व्यवसायिक गतिविधिया बढ़ने के साथ साथ ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे ट्रक, बस, ट्रेन हवाई जहाज आदि बढ़ गये हीन सारे ट्रांसपोर्ट माध्यमो पर निगरानी नही हो पाती है. ड्रग्स माफिया इसका फायदा उठाते है और आसानी से ड्रग्स की स्मगलिंग करते है. इससे भी नशे में बढ़ोतरी हुई है.

नशे की समस्या का निवारण (Redressal problem Drug Abuse solution In Hindi)

ड्रग्स की समस्या के निवारण के लिए कठोर अफीम निति और इसका पूरा पालन सुनिनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है. अफीम की खेती चारदीवारी या पूरी तरह सरकार की निगरानी में की जानी चाहिए.

किसानों को अफीम का उचित मूल्य दिया जावें, जिससे वे आर्थिक लाभ के लिए अफीम को ड्रग्स माफिया को नही बेचे. किसानों को भी जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें नशे के दुष्प्रभाव को बताकर प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अफीम को सरकारी एजेंसियों को ही सौपे .

कुल मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है जहाँ एक ग्राम भी अफीम ड्रग्स तस्करों के हाथ नही पहुचे.

ड्रग्स की प्रभावी रोकथाम के लिए समाज में ख़ुफ़िया तन्त्र विकसित करने की आवश्यकता है. जो ड्रग्स की जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सम्बन्धित एजेंसी को दे.

सुचना देने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त पुरस्कार एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ऐसा करके उनका विश्वास जितने की आवश्यकता है.

ड्रग्स की रोकथाम में लगी हुई विभिन्न एजेंसियों के मध्य सामजस्य के लिए एक केन्द्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए जो सभी एजेंसियों के मध्य सामजस्य के साथ साथ इसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखे. इन एजेंसियों को सभी साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. और समय समय पर आवश्यक प्रक्षिक्षण दिया जाना चाहिए.

विभिन्न सरकारी एजेंसियों को उनके कार्यो के प्रति उतरदायी ठहराया जाना चाहिए एवं यदि उनके द्वारा कर्तव्य पालन में चुक की जाती है. तो उचित उदाहरणत्मक कार्यवाही की जानी चाहिय.

ड्रग्स की रोकथाम के लिए भी न्याय व्यवस्था को सुद्रढ़ किये जाने की आवश्यकता है. एन. डी. पी. एस. अधिनियम के प्रावधान अपने आप में पर्याप्त है. परन्तु इसकी पालना सुन्शिचित करवाने के लिए अनुसन्धान एजेंसियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

जिससे अनुसन्धान में रही तकनीक त्रुटी के आधार पर दोषी बचने में सफल नही हो पाए. अभियोजन को पूरी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखकर सजगता से पैरवी करनी चाहिए. और न्यायालय को छोटी छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अभियुक्तगण को बरी नही किया जाना चाहिए.

ऐसी न्याय व्यवस्था कायम की जानी चाहिए जिसका समाज में यह संदेश जावे कि ड्रग्स का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून के शिकंजे से नही बचेगा और उसे अवश्य ही सजा मिलेगी.

निति निर्माताओं को देश की अर्थ निति, कृषि निति और शिक्षा निति पर भी नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है.

अर्थ निति ऐसी होनी चाहिए जिससे गरीब अमीर का अंतर कम हो सके. कर चोरी पर पूरी तरह से रोकथाम लगे. काले धन का संचय नही हो और पब्लिक मनी का उपयोग राष्ट्रहित में किया जावे.

शिक्षा निति में आवश्यक बदलाव कर यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि उसका उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करना न होकर रोजगार हासिल करना हो.

ग्राम स्वराज्य की तर्ज पर युवाओं को व किसानों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जावे जिससे उनमे शहरों की पलायन की प्रवृति रुक सके.

ऐसा करने से गरीब किसान व युवावर्ग को नशे से दूर रखा जा सकता है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न स्थानों पर, कम से कम एक जिला स्तर पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना चाहिए.

जहाँ विशेज्ञयों द्वारा नशे की लत से शिकार व्यक्तियों को परामर्श उपलब्ध करवाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जावे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे.

इन केन्द्रों पर आधुनिक तकनीक व सुविधाए होनी चाहिए. गरीब लोगों के लिए वे सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए. इन सुविधाओं का पर्याप्त प्रसार प्रसार होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को नशे के बारे में जानकारी मिल सके.

नशा छोड़ देने वाले व्यक्ति लो निगरानी के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पुन; नशे की दलदल में नही फसे. ऐसे व्यक्तियों को पुनः समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए एवं उन्हें उत्पादक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए जिससे फिर से वे नशे का रुख नही करे.

आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को नये रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. उनके परिवारों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुरानी बातो को भुलाते हुए खुले दिल से नशा छोड़ने वाले व्यक्ति का स्वागत करे और उसे आत्मीय व्यवहार प्रदान करे.

केवल कानून से ड्रग्स की समस्या से निजात नही पाई जा सकती है. इसके लिए जनचेतना और पुरे समाज की सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है. समाज को ड्रग्स के दुष्प्रभावो के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

और ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जहाँ न केवल आम आदमी नशे से दूर रहे बल्कि नशीले पदार्थो की तस्करी की सप्लाई की कोई भी जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सरकारी एजेंसियों को दे जिससे नशे के कारोबारियों को तुरंत सजा मिल सके.

नशे की रोकथाम के उपाय (Drug prevention measures In Hindi)

विधिक सेवा संस्थाओ का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे ड्रग्स की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए. विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेज्ञयों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना निति बनानी चाहिए.

जिसके तहत आम जन को ड्रग्स की रोकथाम के लिए बने हुए कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जावे. विधिक सेवा संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता व पैरालीगल वोलेंटीयर्स सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते है. 

विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्कुल कोलेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते है. निबंध, पोस्टर, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक किया जावे.

विद्यार्थी विधिक सेवा व शान्ति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशा मुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुचाना चाहिए. विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों का दौरा कर नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श दिया जावें.

यदि विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने कर्तव्य की पालना नही की जाती है तो विधिक सेवा संस्थाए सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की जा सकती है.

नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पुरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है एकल प्रयासों इस पर पार पाना संभव नही है.

सभी सरकारी एजेंसियों व विधिक सेवा संस्थाओं को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए. तभी नशा मुक्ति भारत का सपना साकार हो सकेगा.

नशा मुक्ति De Addiction Meaning Drug Abuse In Hindi

एक व्यक्ति द्वारा ऐसी मादक दवाएं / नशीली दवाएं अथवा नशीली सामग्री का उपयोग करना जिससे शारीरिक/मानसिक/ मनोवैज्ञानिक क्षमताएं प्रभावित होती हो, नशाखोरी / दुर्व्यसन कहलाता हैं.

लोग प्रायः अपने आधुनिक जीवन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए गम या हर्ष का प्रदर्शन करने के लिए, अपनी समर्द्धता या स्फूर्ति अनुभव कराने के लिए नशा करते हैं.

सरकारी आकडे के अनुसार देश में 7.3 करोड़ लोग नशे का सेवन करते है तथा 70 प्रतिशत इसके अभ्यस्त हो चुके हैं. नशाखोरी के उदहारण- भांग, गांजा, चरस, शराब/ एल्कोहल, अफीम, हेरोइन, एलएसडी, मार्फीन, कोकीन आदि.

नशाखोरी के प्रकार

उद्दीपक दवाएं अपर्स/पेप पिल्स/स्पीड.

  • मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा अस्थायी स्फूर्ति आने से व्यक्ति में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता हैं. जैसे एमफोटेमाईन दवा, कोकेन (कोका के पौधे से प्राप्त क्षारतत्व- एल्केलायड) क्रैक (कोकीन क ही एक ओर रूप) अधिकतर खिलाड़ियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा उपयोग
  • कोकीन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक समस्याएं यथा- चिंता, तनाव, भय, अनिद्रा आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा शरीर का वजन कम हो जाता हैं.

अवसादक दवाएं / डाउनर्स

  • मस्तिष्क एवं मांसपेशियों की क्रियाशीलता को कम करती हैं जैसे शराब/ एल्कोहल, मैड्रेक्स, वेलियम, लिब्रियम आदि.
  • गोलियां अधिक उपयोग करने से आलस्य, चिड़चिड़ापन, मानसिक निष्क्रियता आदि हैं.
  • प्रायः अवसादक गोलियों में बार्बीटुरेट रसायन होते हैं. जो नीद की गोलियों में भी पाए जाते हैं.
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से या बिना चिकित्सकीय निरिक्षण के इनका उपयोग बंद करने पर खतरे की स्थिति पैदा होती हैं.

विभ्रांति कारक दवाएं/ चेतना प्रसार दवाईयां

  • मानसिक संवेदन को तीव्र करने वाली हमारी चेतना का ढंग/ सुनने/ देखने/ अनुभव का ढंग बदलने वाली दवाईयां
  • इन दवाओं के सेवन से समय, स्थान, पहचान का बोध धीरे धीरे समाप्त हो जाता हैं. व्यक्ति को इसकी कम मात्रा में लगता है जैसे वह अधिक उंचाई पर हैं.

स्वापक दवाएं / अफीमी दवाएं

  • पोस्त के पौधे से बनने वाली दवाइयां जैसे अफीम हेरोइन, मार्फीन, मीथेडीन, पैथीडीन आदि.
  • अफीम पोस्त पौधे से तैयार होती हैं. अफीम का वैज्ञानिक नाम Lachryma Papaveris या पैपेवर सेमेइफेरम हैं. अफीम में
  • 12 प्रतिशत मार्फीन होती हैं. मार्फीन से ही हेरोइन को तैयार किया जाता हैं.
  • हेरोइन महंगी होने के कारण उसके अपरिष्कृत रूप में ब्राउन शुगर एवं स्मैक प्रयुक्त होते हैं.
  • गाँवों में अफीम का उपयोग कब्ज पैदा करने हेतु, सर्दी जुकाम से निजात हेतु, युद्ध के समय मल मूत्र रोकने हेतु एवं यौन शक्ति बढ़ाने हेतु किया जाता था. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत व्यापक रूप से इसका उपयोग होता हैं.
  • राजस्थान में चित्तौड़गढ़ अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला हैं.

अन्य नशीले पदार्थ

  • भांग के पौधे से ही भांग गांजा चरस आदि प्राप्त होते हैं जिन्हें खाकर, पीकर, धुम्रपान के रूप में सेवन किया जा सकता हैं.
  • केनबिस सैटिवा के जंगली/ कृषिजात नर / नारी सभ प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग प्राप्त होती हैं.
  • कृषिजात नारी पौधों के फूलदार, फलदार शाखाओं को क्रमश सुखाकर व दबाकर गांजा तैयार करते हैं जो इन्ही पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है उससे चरस/ सल्फा प्राप्त करते हैं.
  • चरस गांजे के पेड़ से ही निकला एक प्रकार का गोंद हैं जो मोम की तरह हरें पीले रंग का द्रव्य हैं.

मादक द्रव्यों के दुष्परिणाम

  • मादक पदार्थों से व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं.
  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव- मानसिक अक्षमता, संवेगात्मक असंतुलन, अत्यधिक निद्रा
  • विभिन्न दुर्घटनाएं
  • अवैध व्यापार, तस्करी को बढ़ावा, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण, पारिवारिक पतन
  • आर्थिक संकट

नशाखोरी के तथ्य

  • विश्व में 1968 में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई. यह स्वतंत्र व अर्द्धन्यायिक संस्था है जिसका मुख्यालय वियना आस्ट्रिया हैं.
  • केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की स्थापना नवम्बर 1950
  • विश्व में मादक द्रव्यों के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय दिवस- २६ जून

  • नशा निषेध दिवस पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध
  • नशाखोरी का युवा समाज व देश पर प्रभाव

उम्मीद करता हूँ दोस्तों नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

यदि आपको नशाखोरी के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

Very nice sir thanku….

Very inspired essay for peoples To abuse drugs

धन्यवाद हर्ष जी

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नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

मादक द्रव्य और नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

आज के समय में  मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है।

ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है जिसमे व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है।

स्कूल, कॉलेजो में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छिपे बेचीं जा रही है जो युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रही है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं।

बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों/ ड्रग्स को चोरी छिपे बेचा जा रहा है।

पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में रेव पार्टिस में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। आमतौर पर पैसे वाले लोग इसका जादा शिकार होते है।

Table of Content

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

प्रमुख नशीले पदार्थ common drugs and narcotics.

कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ –

  • कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, भांग
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गयी- नींद की गोलियां, तनाव, चिंता, अवसाद कम करने  वाली गोलियां
  • कफ सीरप जैसे कोरेक्स का सेवन
  • तम्बाकू वाले पदार्थ जैसे- बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला
  • वाष्पशील विलायक जैसे- नेल पॉलिश रिमूवर (Nail Polish Remover), पेट्रोल,   पेंट (Paint)

मादक पदार्थ लेने के कारण   REASONS OF DRUG ABUSE

इसके पीछे निम्न कारण है-

  • आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
  • आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
  • अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
  • कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
  • कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।

मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव EFFECTS OF DRUG ABUSE

मादक पदार्थो के सेवन का निम्न दुष्परिणाम निकलता है-

  •  नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं।
  • इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
  • नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा , आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।
  • मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। दूसरे लोगो के पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।

मादक पदार्थो की लत से कैसे बचे? HOW TO OVERCOME DRUGS ADDICTION?

नशीले पदार्थो के सेवन के लिए निम्न उपाय अपनायें –

  • अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिये। मन में प्रबल इक्षा होना जरूरी है।
  • पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते है। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देख रेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
  • मनोवैज्ञानिक पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है।
  • ध्यान और योग के द्वारा भी मादक पदार्थो की लत को छोड़ा जा सकता है।
  • हर समय अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और हितैषियों के साथ रहे। जब आप उनके सामने हर समय रहेंगे तो आपको नशा करने का मौका ही नही मिलेगा।
  • नशे से ग्रस्त रोगियों को रोज डायरी लिखनी चाहिये। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जीवन की हर एक बात लिखनी चाहिये। नशा करने के बाद के दुषपरिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है की किस तरह उसकी जिन्दगी नशे से खराब हो रही है।

निष्कर्ष CONCLUSION

नशीले पदार्थो का सेवन कुछ मिनटों के लिए आनन्द देता है पर इसके दूरगामी दुष्परिणाम होते है। यह व्यक्ति को धीरे धीरे निगल जाता है और उसके जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसे लोग आये दिन लोगो से झगड़ा करने लगते है, ऑफिस या कार्यस्थल पर साथी कर्मचारियों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार शुरू कर देते है।

काम करते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो जाना, सस्पेंड होना, बार बार नौकरी बदलना, नौकरी छोड़ना, चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव दिखाने से व्यक्ति का सब कुछ खत्म हो जाता है। व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। अतः हमे नशीले पदार्थो का सेवन बिलकुल नही करना चाहिये। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त है उनको दृढ़ निश्चय करके इसे छोड़ देना चाहिये। याद रखे नशा एक जहर है।

14 thoughts on “नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi -Drug Addiction”

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ESSAY KI DUNIYA

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Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध

November 13, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में मादक पदार्थों की लत पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Drug Addiction in Hindi Language for students of all Classes in 200, 250 and 500 words.

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Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (100 Words)

हमारे युवाओं में नशीले पदार्थों की लत बहुत आम हो रही है शायद युवाओं को यह जीवन बहुत भारी लगता है। इससे बचने के बाद, वे ड्रग्स लेते हैं कभी-कभी माता-पिता स्वयं इसका कारण बन जाते हैं वे या तो बहुत सख्त हैं या उनके बच्चों में भाग लेने के लिए कोई समय नहीं है। युवाओं को उपेक्षित महसूस होता है शिक्षा की हमारी असाधारण व्यवस्था भी बड़ी वजहों में से एक है। जब युवाओं को 15-20 साल की शिक्षा के बाद कोई रोजगार पाने में असफल होते हैं, तो वे निराश हो जाते हैं और दवाओं में ले जाते हैं। नशीली दवाओं की लत एक बड़ी सामाजिक समस्या बन गई है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के लिए कोई शॉर्ट-कट इलाज नहीं है हम अक्सर शिकायत करते हैं कि हमारे युवा गलत हो रहे हैं लेकिन, हम अपनी समस्याओं को समझने के लिए शायद ही कुछ भी करते हैं हमारी युवाओं को ड्रग्स से दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका उनकी ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक तरीके से करना है। एक रोजगार आधारित शिक्षा प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (250 Words)

मादक पदार्थों की लत वर्तमान समय की गंभीर समस्याओं में से एक है। हेरोइन, हैशिश और भूरे रंग की शक्कर जैसे नशीले पदार्थों को आमतौर पर दवाएं कहा जाता है और युवा पुरुषों और महिलाओं या तो इन दवाओं को मौखिक रूप से लेते हैं या अपने धुएं में श्वास डालते हैं।

समाजशास्त्री का कहना है कि नशीली दवाओं की लत एक लत है जो पश्चिमी देशों के भारत और अन्य प्राच्य देशों में आ गई है। भारतीय पश्चिम की ओर अग्रसर हैं और नशा-नशेड़ी बन रहे हैं। आधुनिक समाज में कई परिवार-समस्याएं हैं प्यार और स्नेह शक्तियों की कमी युवाओं को ड्रग्स के आदी हो जाने के लिए कभी-कभी आदी मित्रों के दबाव में युवाओं को एक आदी बनने की आदत होती है।

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि ड्रग्स नशे की लत को दुनिया के तनावों और समस्याओं से बचने में मदद करते हैं। लेकिन वे नर्वस सिस्टम को काफी नुकसान पहुंचाते हैं और नशेड़ी के मानसिक मेक-अप को तोड़ते हैं। यह मौत का कारण बनता है यहां तक कि अगर नशे की लत ड्रग्स लेने से अचानक वह मर सकता है इसलिए वापसी धीरे-धीरे किया जाना चाहिए।

नशीली दवाओं के प्यार और दया से व्यवहार किया जाना चाहिए। बेईमान व्यापारियों और नशीली दवाओं के तस्करों को नियंत्रित करने के लिए समाज को मजबूत कदम उठाने चाहिए। दुनिया भर में नशीली दवाओं के नियंत्रण के नियम हैं, फिर भी नशे की लत धीरे-धीरे बढ़ रही है। विभिन्न देशों के युवाओं के बीच एक दवा विरोधी चेतना की क्या आवश्यकता है|

Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध (500 Words) 

नशीली दवाओं की लत हमारे समाज में एक नई घटना नहीं है। इतिहास यह है कि आदमी हमेशा कैनबिस, हशिश, मारिजुआना जैसी दवाओं के उपयोग को जानता है। कई राजा और कलाकारों सहित महान पुरुष दवाओं को एक आदत के रूप में लेने के लिए जानते हैं एक आम आदमी ने भी एक धार्मिक समारोह के एक हिस्से के रूप में या सामाजिक परंपरा के रूप में दवाओं को भी लिया है हालांकि, इस आदत ने हाल ही में जब तक सिंथेटिक दवाओं का विकास नहीं किया था और दैनिक जीवन में बढ़ती हुई कठिनाइयों के साथ उनके डेरिवेटिव के परिणामस्वरूप दवाओं और नशीली दवाओं की एक अनियंत्रित लहर हुई है। यह आदत समाज के केवल विशेष वर्गों तक ही सीमित नहीं है। आज, लगभग हर युग, पेशे और समाज के लोग ब्राउन शुगर, कोकेन, स्मैक इत्यादि जैसे विभिन्न नामों से समाज में जाने वाली इन दवाओं के प्रभाव में आते हैं।

एक समय था जब कुंठा, खारिज और भावनात्मक गड़बड़ी का मुख्य कारण था, जिसके कारण एक व्यक्ति ने ड्रग्स ले लिया। लेकिन अब हम जिज्ञासा, सहकर्मी समूह के दबाव, साहस की भावना और कारणों की लंबी सूची तक आसानी से पहुंच सकते हैं जिसके कारण आज की पीढ़ी दवाओं के आदी बन गई है। ड्रग लेने की इस घटना से सबसे दुर्भाग्यपूर्ण गिरावट यह है कि एक व्यक्ति आसानी से इसके लिए आदत हो जाता है। सभी की आवश्यकता सिर्फ एक पफ है एक बार जब कोई व्यक्ति व्यसनी हो जाता है, तो वह नियमित रूप से ड्रग्स की नियमित आपूर्ति प्राप्त करने के लिए किसी भी तरह के अपराध करता है। वह धोखा दे सकता है, चोरी कर सकता है, झूठ बोल सकता है और कभी-कभी हत्या भी कर सकता है, ताकि वह ड्रग्स खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा दे। अगर वह दवाओं की अगली खुराक प्राप्त करने में सक्षम न हो, तो आल नशे की गहन वापसी के लक्षण ग्रस्त हैं।

उसकी नाक पानी शुरू हो जाती है, वह पेट और शरीर के ऐंठन से मिलता है, उसके शरीर में दर्द होता है, उसकी आँखें ‘जलती हुई सनसनी होती है, वह सिर दर्द को विभाजित करता है और बेहद बीमार हो जाता है। इस लत का इलाज करने का एकमात्र तरीका योग्य चिकित्सा सहायता, एक मजबूत इच्छाशक्ति और एक बहुत ही सहायक परिवार है। नशे की लत की बीमारी हमारे समाज में तेजी से फैल रही है। इसलिए, समय की जरुरत है कि युवाओं के विकास की ठीक से निगरानी करें और उनकी आदतों पर सतर्क नजर रखें। इसके अलावा, एक परिवार को बच्चों को सभी प्यार और ध्यान, समर्थन, विश्वास और प्रोत्साहन देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को मानव शरीर पर दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में बता देना चाहिए। और यदि संभव हो तो उन्हें नशीली दवाओं की नस्लों को अस्पतालों को देखने के लिए ले जायें, ताकि वे किसी भी समय नशीली दवाओं के साथ प्रयोग करने की आवश्यकता महसूस न करें।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Drug Addiction in Hindi – मादक पदार्थों की लत पर निबंध )  को पसंद करेंगे।

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Essay on Drug Addiction in Hindi Language- मादक पदार्थों की लत निबंध

In this article, we are providing information about Drugs addiction in Hindi. Essay on Drug Addiction in Hindi Language- नशे की बढ़ती प्रवृत्ति,  मादक पदार्थों की लत निबंध Drug Abuse in India Essay.

आज़ादी के लगभग 30 वर्षों तक हमारे देश में नशाखोरी को समृद्धि का प्रतीक नहीं माना जाता था और पीने वाले लोग  चोरी-छिपे या बड़े लोगों की निगाह से बचकर नशे का सेवन करते थे। आज तो इसका प्रचलन स्टेटस सिंबल बन गया है। शादी-विवाहों में ही नहीं घर की छोटी-छोटी बैठकों, जन्म-दिवस जैसी खुशी की घड़ियों में यदि शराब न परोसी गई तो सारे आयोजन  का मजा ही किरकिरा माना जाता है। नशा चाहे शराब का हो अथवा भांग, गांजा या चरस का, उसके समर्थकों की कमी  नहीं रही। फिर भी बुरी लत तो बुरी होती है। वह हमारे मन मस्तिष्क, स्वास्थ्य तथा आर्थिक स्थिति को चौपट करके रख देती है। दीवानगी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि घर-बार बर्बाद हो जाते हैं।

गांधीजी वे शराबियों की दशा से भली-भाँति अवगत थे तथा इस देश की गरीबी भी उनसे छिपी नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने नशा उन्मूलन को कांग्रेस के कार्यक्रमों में शामिल किया था। आज राजनेताओं में भी शराब की लत बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती है। सत्ता पाने के लोभ में स्वयं नशे के विरोधी बनकर अंदर से शराब और मांस परोसकर सत्ता के नंबरदार बनना चाहते हैं। कानून के संरक्षकों की नाक के नीचे स्मैक, अफीम तथा कोकीन जैसे निषिद्ध मादक द्रव्य तथा युवकों को चौपट करनेवाली दवाइयों की बिक्री होती है। सरकार खुली शराब बेचने के लाइसेंस दे रही है। शराब की दुकानें बढ़ा रही है और खुद लाभ के लोभ में शराब की दुकानें खोल रही है। विदेशों में मदिरापान, पानी पीने के समान माना जाता है। भारत के यूवा पश्चिम की इस बुराई का अंधानुसरण करने लगा है। किंतु सरकारी ढील, बेरोजगारी और प्रशासनिक तंत्र का शिथिल और लापरवाह होना नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार है।

नशाखोरों को, चाहे वह कोई भी नशा करते हों उनको महिमामंडित करने के बजाय, उनका सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। नशे की गैर-कानूनी बिक्री रोकने तथा बेचनेवालों को पकड़वाने के लिए जन जागरण लाया जाए। जगह-जगह नशाखोरी के खिलाफ प्रदर्शन तथा नशे की दुकानों के आगे प्रदर्शन किए जाएँ, तभी नशाखोरी की प्रवत्ति कम की जा सकती है और यदि व्यापक प्रयास किए जाएँ तो नशाखोरी का उन्मूलन भी किया जा सकता है। उन्मूलन के लिए जनता को अपनी जिम्मेदारी स्वयं निभानी होगी। नशाखोरी की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामने आना होगा। इसी में देश व समाज का हित है।

#Drug Addiction Essay in Hindi

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  • निबंध ( Hindi Essay)

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Essay on Drug Abuse in India in Hindi

भारत आज के समय में आधुनिकता को अपनाने के साथ-साथ देश के हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। परंतु आज की युवा पीढ़ी कुछ गलत आदतों के कारण अपनी तरक्की में बाधा बनते जा रहे हैं। आज के समय में लोगों का तनाव इतना बढ़ते जा रहा है, कि वह नशीली पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर होते जा रहे हैं। आज के समय में मादक पदार्थों का सेवन युवा पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती का रूप लेते जा रहा है। नशीली पदार्थों जैसे -शराब, चरस ,गांजा, कोकीन, तंबाकू , गुटका, व्हिस्की, बियर, भांग ,ब्राउन शुगर, इत्यादि जैसे चीजों का सेवन करके लोग अपने अमूल्य जीवन को खराब करते जा रहे हैं। आज के इस तनाव भरे जीवन से छुटकारा पाने के लिए लोग इस प्रकार की नशीली पदार्थों की चपेट में आते जा रहे हैं ।जो कि हमारे आने वाले भविष्य के युवा पीढ़ियों लिए खतरा साबित हो सकता है।

नशीले पदार्थ उपयोग करने का कारण:-

आज के इस आधुनिक समय में लोगों का जीवन इतना व्यस्त और तनावपूर्ण हो गया है, कि वे अपने बारे में सोचने तक का समय नहीं निकाल पाते है। लोग अपनी तनाव भरी जीवन से छुटकारा पाने के लिए मादक पदार्थों का उपयोग करने पर मजबूर हो जाते हैं। युवा पीढ़ी और अधेड़ दोनों वर्गों के लोगों द्वारा मादक पदार्थों का सेवन किया जाता है ,मादक पदार्थ का सेवन करने से लोगों को आनंद की अनुभूति होती है ।और इसके कारण लोगों के शरीर में कुछ समय के लिए ताकत, मनोबल ,आत्मविश्वास, बढ़ जाता है।

आज के इस तनाव भरे और व्यस्त जीवन में  अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए माता-पिता दोनों ही नौकरी करते हैं ,जिसके कारण वे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते। वे ज्यादातर सुबह नौकरी पर जाते हैं और शाम को घर आते हैं ।इसी कारण वश बच्चे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर हो जाते हैं। ज्यादातर बच्चे गलत संगति में पढ़ कर अपनी आदतें बिगाड़ लेते हैं। क्योंकि बच्चों और युवा पीढ़ियों पर संगति का असर जरूर होता है। मादक पदार्थों जैसे चीज का सेवन करने में ज्यादातर अमीर बच्चे शामिल होते हैं ,क्योंकि इस प्रकार के बच्चों का अपने माता-पिता द्वारा अच्छे से ख्याल नहीं रखा जाता। और उन्हें अच्छा मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण वे गलत संगति का शिकार हो जाते हैं।

और कुछ लोग अपनी दुख ,दर्द ,समस्या और व्यस्त भरी जीवन से तंग आकर समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नशीली पदार्थों का सेवन करने पर मजबूर हो जाते हैं। और कुछ अमीर लोग अपनी बोरियत ,अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं। अमीर लोगों के लिए नशीली पदार्थ का सेवन करना एक प्रकार का शौक है ,वह अपने पैसे खर्च करने की वजह ढूंढते हैं। जिसके कारण वे  नशीली पदार्थ का सेवन करते हैं।

भारत में नशीली पदार्थों के सेवन करने का प्रभाव:-

भारत में आज के समय में नशीले पदार्थों का सेवन करना एक आम बात  हो गया  है, परंतु  यह आज के युवा पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। नशीली पदार्थों का सेवन करने से युवा पीढ़ियों की तबीयत में खराबी  होती  है । जिसके कारण उनका भविष्य पूरा अंधकारमय बन जाता है। मादक पदार्थों का सेवन करने से निम्न प्रकार के दुष्परिणाम निकलते हैं जैसे कि:-

1. अपने तनाव को दूर करने के लिए नशीली पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण इसकी लत लग जाती हैं। जिसके कारण जब वे नशीली पदार्थ का सेवन नहीं  कर पाता तो उनकी मानसिक संतुलन खराब होने लगती हैं। बदन दर्द ,भूख ना लगना, चिड़चिड़ापन, गुस्सा ,हाथ-पैर में दर्द ,शरीर कांपना, उल्टी ,भारीपन, इत्यादि जैसे समस्याओं का सामना  युवा पीढ़ियों को करना पड़ता है।

2. इन नशीली पदार्थों का लगातार सेवन करने से मनुष्य के शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं । मनुष्य के हृदय, गुरदों, मस्तिष्क ,इत्यादि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। और जिसके कारण हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है।

3. नशीली पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति अपनी सोचने समझने की शक्ति खो देता है, जिसके कारण वे दूसरे लोगों से बदतमीजी जैसे बुरे व्यवहार करने लगते हैं। महिलाओं के साथ छेड़खानी , आत्महत्या, लूटमार, हत्या, दुर्घटना ,बाल शोषण , घरेलू हिंसा, इत्यादि जैसे अपराध नशीली पदार्थों का सेवन करने के बाद होते हैं।

4. मादक पदार्थ का सेवन अधिकतर अमीर व्यक्ति करते हैं ,क्योंकि मादक पदार्थ जैसी चीजें बहुत महंगी आती हैं। परंतु आज के समय में मादक पदार्थ का सेवन एक आम व्यक्ति भी करता है , जिसके कारण मनुष्य अपने सारे पैसे खर्च कर देते हैं ,और वे चोरी करने पर मजबूर हो जाते हैं। कई बार मनुष्य मादक पदार्थ का सेवन करने के लिए अपनी जमीन, जायदाद, मकान ,गहने, घर का सामान, इत्यादि चीजों को बेच देते हैं। जिसके कारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बदतर हो जाती हैं।

नशीली पदार्थों के सेवन करने से कैसे बचें:-

आज के समय में भारत में नशीले पदार्थों का सेवन करना एक आम बात हो गया है। यह समस्या आज के समय में ज्यादातर युवा पीढ़ियों में देखी जा रही है। परंतु यह उनके भविष्य के लिए बहुत हानिकारक है इसीलिए नशीले पदार्थों के सेवन से बचने के लिए मनुष्य और सरकार दोनों को कुछ उपाय करने चाहिए जैसे कि-

1. भारत में ऐसे बहुत सारे मनोवैज्ञानिक पद्धति के रोगियों के लिए अस्पताल जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। इसीलिए मनुष्य को इस प्रकार के अस्पताल में जाकर अपने नशे की लत को छोड़ने की कोशिश करना चाहिए।

2. मनुष्य को अपने मन में नशे की लत को छोड़ने का दृढ़ संकल्प बनाना चाहिए, क्योंकि मनुष्य की इच्छा से सब कुछ संभव होता है।

3. वैज्ञानिकों द्वारा, नशा करने वाले व्यक्ति को रोज  डायरी लिखने चाहिए क्योंकि नशा करने के बाद  अपने दुष्परिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है कि वे किस तरह अपनी जिंदगी को नशे की लत के वजह से खराब कर रहे हैं । ताकि वे लज्जित होने के कारण इस आदत को छोड़ने की कोशिश कर पाएंगे।

4. व्यक्ति को एक अच्छी संगत में होना चाहिए। और उन्हें हर समय अपने रिश्तेदार ,परिवार, दोस्त, के साथ रहना चाहिए ,क्योंकि व्यक्ति हर समय अपने परिवार वालों के साथ रहेंगा तो उन्हें नशा करने का समय ही नहीं मिलेगा।

5. नशीली पदार्थ का सेवन करने वाले व्यक्ति को योगा और ध्यान करना चाहिए ,जिसके कारण उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहेगी और वह नशीली पदार्थ के सेवन करने से छुटकारा पा सकेंगे।

6. भारत में नशा से छुटकारा दिलाने वाला अलग-अलग प्रकार के नशा मुक्ति केंद्र स्थित है। इसके अंतर्गत एक साथ कई सारे मरीजों का इलाज किया जाता है। और यह नशा छुड़ाने का सबसे अच्छा साधन है।

नशीले पदार्थ का सेवन करना एक मनुष्य के जीवन के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके सेवन से मनुष्य अपनी मानसिक संतुलन भी खो सकता है। नशीले पदार्थ एक दीमक की तरह मनुष्य के पूरे जीवन को खोखला बना देता है। नशीले पदार्थ का सेवन करने से मनुष्य को कुछ समय के लिए आनंद का आभास होगा ,परंतु इसका दुष्परिणाम उनको पूरे जीवन झेलना पड़ेगा। इसीलिए मनुष्य को अपने आप पर नियंत्रण कर के नशीले पदार्थ के सेवन करने से बचना चाहिए । क्योंकि इससे उनकी पूरे जीवन और परिवार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। जिसके कारण मनुष्य का अमूल्य जीवन बर्बाद हो जाता है ।

FAQ in Hindi ( विषय के संबंध में प्रश्न):-

1 प्रश्न:- मनुष्य द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन करने का क्या कारण है?

उत्तर:- मनुष्य द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन करने का मुख्य कारण तनाव और अकेलापन है।

2 प्रश्न:- नशीले पदार्थ मनुष्य के शरीर  में किस प्रकार प्रभाव डालते हैं?

उत्तर:- नशीले पदार्थ का सेवन करने से मनुष्य के शरीर में अलग-अलग प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। तथा उनकी मानसिक संतुलन बिगड़ती है ।जिसके कारण  पागल होने का और हार्ट अटैक आने का खतरा भी बढ़ जाता है।

3. प्रश्न:- नशीले पदार्थ के कारण भारत में क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर:- नशीले पदार्थ के कारण भारत में निवास करने वाले युवा पीढ़ियों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। तथा भविष्य में आने वाले पीढ़ियों के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है ।जिसके कारण भारत के विकास में त्रुटि आ रही है।

4. प्रश्न:- नशीले पदार्थ का उपयोग करने से कैसे बचें?

उत्तर:- नशीले पदार्थों का उपयोग करने से बचने के लिए मनुष्य को अपने मन में दृढ़ संकल्प बनाना होगा। तथा नशीले पदार्थों से छुटकारा पाने के लिए उन्हें नशा मुक्ति केंद्र जाना चाहिए। और डेली डायरी लिखना चाहिए ।इनसे उनकी नशे की लत को छोड़ने  में बहुत मदद मिलेगी।

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दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण

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By विकास सिंह

Speech on drug abuse in hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विषय पर हमारे युवाओं को जागरूक करना बहुत महत्वपूर्ण है। ड्रग्स हमारे युवाओं के जीवन को नष्ट कर रहे हैं और उनके भविष्य को अँधेरे में डाल रहे हैं। दवाओं का उपयोग उनके जीवन को कमजोर बना रहा है और उनके विनाश की संभावना में बढ़ोतरी हो रही है।

इसलिए, हमारे युवाओं में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इसके शिकार होने से रोकना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। तुम भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक भाषण तैयार कर सकते हैं और इसे विभिन्न अवसरों और प्लेटफार्मों पर वितरित कर सकते हैं।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -1

प्रिय छात्रों – आप सभी को हार्दिक बधाई! मैं स्कूल सेमिनार हॉल में सभी का स्वागत करता हूं।

आज, हम यहां दवाओं के घातक सेवन के बारे में चर्चा कर रहे हैं और यह हमारे युवाओं के जीवन को कैसे नष्ट कर रहा है। लेकिन चर्चा शुरू होने से पहले, मैं नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक छोटा भाषण देना चाहूंगा और इस संवेदनशील विषय पर अपने छात्रों को ज्ञान देना चाहूंगा।

ड्रग्स, जैसा कि हम सभी जानते हैं, इनका उपयोग अवैध है। ऐसे कई छात्र हैं जो कई कारणों से दवाओं का सेवन करते हैं। जो लोग ड्रग्स की बिक्री का सौदा करते हैं, वे एक नेटवर्क बनाते हैं और मुख्य रूप से ड्रग्स के आदी बनाने के लिए छात्रों को निशाना बनाते हैं। प्रारंभ में, छात्रों को मुफ्त में दवाएं बेची जाती हैं और धीरे-धीरे जब वे इसके आदी हो जाते हैं, तो वे इसे खरीदना और उपभोग करना शुरू कर देते हैं। वास्तव में, छात्र भी अंततः अपने नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं और इसमें काम करना शुरू कर देते हैं।

यह देखा गया है कि छात्र अपने शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता के तनाव या अनुचित अपेक्षाओं के कारण दवाओं का सेवन करना शुरू कर देते हैं। उनके परिवारों में भावनात्मक समर्थन और विकार का अभाव उन्हें कमजोर बनाता है और दवाओं पर उनकी निर्भरता बढ़ाता है। वे अपने मानसिक आंदोलन की स्थिति को शांत करने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

इसके अलावा, गरीबी वह मुख्य कारण है जो कुछ छात्रों को दवाओं की बिक्री और काम करने के नेटवर्क का हिस्सा बनने करने के लिए मजबूर करती है। इसलिए, यह नशे के आदी छात्रों के एक दुष्चक्र की तरह हो जाता है, जहाँ से उन्हें कोई बचाव नहीं मिलता है जब तक कि समाज उनके बचाव के लिए नहीं आता है।

दुख की बात है कि छात्र यह महसूस करने में असफल हो जाते हैं कि दवाओं के सेवन से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वे मानसिक विकार का अनुभव करना शुरू कर देते हैं, घातक बीमारियों का अनुभव होता है और असमय मृत्यु हो जाती है।

जब कोई पूरी तरह से ड्रग्स के प्रलोभन के आगे झुक जाता है, तो उसके लिए ड्रग रिहैबिलिटेशन के केंद्रों को छोड़कर उसके प्रभाव से उबरना बहुत मुश्किल हो जाता है, जहां वे एक नया जीवन प्राप्त करते हैं, लेकिन जिसमें उच्च लागत शामिल होती है।

वास्तव में, कई मामले ऐसे भी हैं, जहां मरीजों की बुरी स्थिति के कारण पुनर्वास केंद्र भी विफल हो जाते हैं। इसलिए, मैं सभी छात्रों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने स्वास्थ्य, भविष्य को नष्ट करने से पहले खुद को दवाओं के सेवन से पूरी तरह से परहेज करें और अपने जीवन को छीन लें। यहां तक ​​कि उन्हें छूने या उनके करीब आने की कोशिश न करें। ड्रग्स भी एक पूरी पीढ़ी को नष्ट कर सकते हैं।

इसलिए सोच समझकर कार्य करें और स्मार्ट बनें। अपने भविष्य को आकार दें जो उज्ज्वल और उपलब्धियों से भरा लगता है। डॉक्टर द्वारा अपने रोगियों को दी जाने वाली दवाओं को केवल एक विशेष बीमारी से लड़ने के लिए लिया जाना चाहिए अन्यथा सरकार को बाजार में इसके अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाने और हमारे युवाओं को विनाश से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।

मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे छात्र कभी भी दवाओं का सेवन करने की कोशिश नहीं करेंगे और इसके उपयोग से पूरी तरह से दूर रहेंगे। याद रखें कि हमारे देश को आपकी जरूरत है क्योंकि आप इसके भविष्य और प्रगति के अग्रदूत हैं।

धन्यवाद!

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -2

गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स – नशा मुक्ति प्रतिबंध के 77 वें अभियान में आपका स्वागत है।

यह देखना बहुत अच्छा लगता है कि कैसे हमारे संगठन के सदस्य हर दिन गिनती करने और नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जनता तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

पहले दिन से और आज यह हमारे संगठन का 77 वां अभियान है – हमने वास्तव में कभी नहीं सोचा था कि हम इसे बड़ा करेंगे, अर्थात वर्तमान में हमारे पास 200 से अधिक लोग काम कर रहे हैं और एक सामूहिक अपील प्राप्त कर चुके हैं। अब तक की प्रतिक्रिया वास्तव में अच्छी रही है और हम लोगों के जीवन को अच्छे के लिए बदलने में सफल रहे हैं, जो पहले ड्रग्स के प्रभाव में रहते थे।

इसलिए आज मैं आम जनता से अपील करना चाहूंगा कि वे ड्रग्स के इस्तेमाल से खुद को दूर करें और स्वस्थ जीवन जीएं। नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग को किसी पदार्थ पर अत्यधिक निर्भरता के रूप में वर्णित किया जाता है, जो अनिवार्य रूप से इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकता बन जाती है।

यह आवश्यकता इतनी अनिवार्य हो जाती है कि उस पदार्थ के बिना वह व्यक्ति अपना जीवन नहीं जी सकता जैसे कोई सामान्य व्यक्ति करता है। और, जब ऐसा कोई पदार्थ बाजार में उपलब्ध होना बंद हो जाता है तो उस व्यक्ति को मादक द्रव्यों के सेवन से पीड़ित माना जाता है।

ड्रग्स की लत कई विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशों में गंभीर सामाजिक समस्याओं में से एक बन गई है और यह अनुचित रूप से बड़े पैमाने पर लोगों, समाज, देश और दुनिया के सर्वांगीण विकास में प्रमुख बाधा साबित होती है। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है और यह पहले से ही इतनी अधिक गंभीर समस्याओं, जैसे कि बेरोजगारी, गरीबी और अशिक्षा से पीड़ित है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की स्थिति यहां और भी बदतर बना देती है क्योंकि यह आगे हमारी अर्थव्यवस्था को इसके युवा जीवन को नष्ट करने के लिए प्रतिगामी बना देती है।

यहां तक ​​कि दुख की बात यह है कि कई नशा करने वाले लोग महंगी दवाओं की खरीद करने के लिए इतना खर्च नहीं कर सकते हैं और अंत में उन्हें अपने घरों को चलाने के लिए चोरी जैसी गतिविधियों का सहारा लेना पड़ता है। ये लोग जन्मजात चोर नहीं हैं, लेकिन ड्रग्स की लत उन्हें जघन्य बनाती है और ड्रग्स के साथ अपने शरीर को खिलाने के लिए उन्हें अपराध करने के लिए प्रेरित करती है।

विभिन्न कारणों से लोग नशे के आदी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

खुद को डी-स्ट्रेस करने के लिए

जब कोई व्यक्ति ड्रग्स के प्रभाव में होता है, तो वह सब कुछ भूल जाता है और ट्रान्स जैसी स्थिति में प्रवेश करता है। हालांकि, यह केवल बाद में लोग महसूस करते हैं कि दवाओं का उपयोग केवल समस्या को बढ़ाता है और वास्तव में तनाव से छुटकारा पाने में उनकी मदद नहीं करता है।

सहकर्मी के दबाव के कारण

कई बार लोग ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनके दोस्त उनके आदी होते हैं। हालांकि, एक बार जब वे इसे लेना शुरू करते हैं, तो इस आदत से छुटकारा पाना उनके लिए वास्तव में मुश्किल हो जाता है।

स्टाइल स्टेटमेंट

कई किशोर इन दिनों सोचते हैं कि शराब पीने, धूम्रपान और यहां तक ​​कि नशीली दवाओं की लत है जो उन्हें शांत दिखने और दूसरों के सामने एक स्टाइल स्टेटमेंट बनाने में मदद करती है। हालाँकि, यह केवल तब होता है जब ये लोग इसके दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि उन्हें अपने जीवन के लिए अपूरणीय क्षति का एहसास होता है।

किशोरों और उस मामले के प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की आदत न केवल उनके शरीर और दिमाग को प्रभावित करती है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य को भी समाप्त करती है। इसलिए हमें अपने आस-पास जागरूकता फैलाने के लिए ड्रग्स का उपयोग नहीं ’करना चाहिए और अपने जीवन के साथ-साथ अपने प्रियजनों के जीवन को भी बचाना चाहिए।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -3

आदरणीय प्रधानाचार्य, वाइस प्रिंसिपल, शिक्षकों और मेरे प्रिय साथी विद्यार्थियों – आप सभी का हार्दिक स्वागत है! आज, मैं प्रार्थना कक्ष में खड़ा होकर ड्रग एब्यूज पर एक संक्षिप्त भाषण देने का अवसर लेना चाहूंगा।

मैं अपने प्रिंसिपल और शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे इस विषय पर बोलने की अनुमति दें क्योंकि यह हमारे युवाओं को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की खतरनाक आदत के बारे में बताने का एक उच्च समय है। वर्तमान समय में, ऐसे कई कारक हैं जो किसी व्यक्ति को मादक पदार्थों की लत का सहारा लेने और उसके जीवन को दुखी करने में योगदान देते हैं।

सबसे भयावह कारक तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण हैं, जिन्होंने आज के युवाओं, अर्थात् व्यक्तिवाद और अनुज्ञा के बीच एक नए तरह के व्यवहार को जन्म दिया है। लोग इन दिनों परमाणु परिवारों को पसंद करते हैं और कई मामलों में माता-पिता दोनों काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अपनी पिछली पीढ़ियों की तुलना में कम दखलंदाजी हैं। लोग अपने जीवन को अलगाव में जी रहे हैं और सामाजिक होने से बचते हैं क्योंकि आधुनिक समय में तनाव उनके व्यक्तिगत जीवन में आंकड़े वापस लेने के लिए बहुत अधिक हो गया है।

यदि कोई बच्चा अपने माता पिता के व्यस्त रहने के कारण उसको मिलने वाले प्यार से वंधित हो जाता है तो फिर वह ड्रग्स, शराब धुम्रपान आदि का खुदको शांत करने के लिए उपयोग करता है। माता-पिता में असंतोष की भावना आती है और ऐसे बच्चे नशाखोरी के शिकार हो जाते हैं और अपना जीवन पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं।

यह देखने में और भी अधिक दर्दनाक है कि अगर नशीली दवाओं के आदी लोगों को दवाओं के उपयोग की अनुमति नहीं है, तो वह अवसाद, दर्दनाक और बेकाबू आक्षेप के साथ-साथ उल्टी से पीड़ित होता है!

यह एक स्पष्ट तथ्य है कि ड्रग्स की लत कई व्यक्तियों और हमारे राष्ट्र की प्रगति के मार्ग को पूरी तरह से बर्बाद कर रही है ताकि हमारे युवाओं की इस विनाशकारी आदत पर नजर रखने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा सकें। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता फैलाना होगा।

हमारी भारत सरकार ने वास्तव में विभिन्न अभियानों को तैयार किया है और यहां तक ​​कि इस दिशा में सफलता हासिल करने में भी सक्षम है। जिन व्यक्तियों के परिवार और दोस्त ड्रग्स की लत से पीड़ित हैं, उनसे अनुरोध है कि वे नशे की लत के इलाज के लिए पुनर्वास संस्थानों और शिविरों का रुख करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और एक निषेध के रूप में पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालाँकि, इस आदत के लिए व्यसनी को यातना देने या उसके साथ अमानवीय व्यवहार करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि यदि आप उस व्यक्ति को उसके उपचार के बारे में समझाने और समझाने की कोशिश करते हैं, तो वह स्वेच्छा से इसका विकल्प चुन सकता है और खुद इस लत से छुटकारा पा सकता है।

एक व्यक्ति जो मादक द्रव्यों के सेवन का शिकार हो गया है, उसे नशे की लत के साथ अपनी शारीरिक परिस्थितियों के द्वारा मजबूर किया जाता है, लेकिन जल्द ही उन्हें इस आदत के बुरे प्रभाव का एहसास होता है। इन सभी लोगों को मदद की ज़रूरत है और इसलिए हमें इन लोगों को अपने सामान्य जीवन में वापस आने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन देने के साथ-साथ इन लोगों को सहायता प्रदान करनी चाहिए।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -4

माननीय प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, साथियों और मेरे प्रिय छात्रों – सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

सबसे पहले, मैं अपनी उपस्थिति के साथ इस भाषण समारोह में शामिल होने और अपनी स्वीकृति देने के लिए हमारे सम्मानित प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को धन्यवाद देना चाहूंगा। और, साथी शिक्षकों के लिए – आपके समर्थन के बिना यह घटना संभव नहीं थी। मैं अपने प्रिय छात्रों को एक छोटी सूचना पर वांछित व्यवस्था करने के लिए बधाई देना चाहूंगा।

आज के भाषण का विषय ड्रग एब्यूज है! मैंने इस विषय पर बोलने के लिए चुना है क्योंकि इन दिनों मैं लोगों को इसके दुष्प्रभाव के बारे में सिखाने के लिए ड्रग एब्यूज पर चलाए जा रहे कई अभियानों का निरीक्षण करता हूं। एक शिक्षक के रूप में, यह मेरी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि हम जहाँ भी हो सकते हैं, उन्हें संदेश फैलाने में मदद करें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे अपने ही स्कूल से शुरुआत करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को हमारे तथाकथित सभ्य समाज के प्रतिबंधों में से एक माना जाता है। इसने हमारे समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रभावित किया है। नशीली दवाओं के अवैध उपयोग वाले लोग हर जगह पाए जाते हैं, अर्थात् शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं के बीच, अमीर और गरीब के बीच। लेकिन यह लगभग सभी तकनीकी और शैक्षणिक संस्थानों में हॉस्टल में रहने वाली हमारी युवा लड़कियों और लड़कों द्वारा अत्यधिक अभ्यास किया जाता है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की गंभीर स्थिति दुनिया भर में प्रचलित है और दुर्भाग्य से हमारा देश भारत इससे बहुत ही अधिक प्रभावित है। हमारा देश एक पारगमन देश है क्योंकि यह गोल्डन ट्राएंगल के बीच रखा गया है जिसमें बर्मा, थाईलैंड और कंबोडिया शामिल हैं, जिसमें गोल्डन क्रीसेंट शामिल हैं जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं – वे स्थान जहां ज्यादातर ड्रग्स, मुख्य रूप से हेरोइन और अफीम का उत्पादन होता है।

पाकिस्तान किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की बात आने पर दुनिया का नाभिक है और जहां तक ​​दवा उत्पादन का सवाल है – यह केंद्र है। वास्तव में, दवाओं का एक बड़ा हिस्सा भारत द्वारा जाता है ताकि इसे अन्य देशों में निर्यात किया जा सके।

यह ड्रग माफिया के नेटवर्क के माध्यम से होता है, जो आगे चलकर दुर्जेय तस्करों और आतंकवादियों के साथ संबंध रखता है। इस प्रक्रिया में, दुर्भाग्यवश कई युवा पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इस मधुमेह गतिविधि का शिकार हो जाती हैं। आईएसआई की मदद से पाकिस्तान ड्रग माफिया की मदद से भारत के खिलाफ कश्मीर के क्षेत्र में छद्म युद्ध में शामिल है। इस प्रकार, आतंकवाद और ड्रग्स बहुत मजबूत कनेक्शन साझा करते हैं।

नशे की यह लत इतनी घातक है कि लोग इसके इस्तेमाल का शिकार हो जाते हैं और लगभग गुलाम बन जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इसकी नियमित खुराक नहीं मिलती है, तो वह व्यक्ति इसकी कमी महसूस करने लगता है और गंभीर दर्द से ग्रस्त हो जाता है, जिससे हाथ और पैरों में सनसनी की कमी हो जाती है। ड्रग्स विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे हेरोइन, अफीम, चरस, गांजा, आदि।

कुछ इंजेक्शन भी हैं, जो गंभीर उनींदापन की स्थिति में ले जाते हैं। यदि कोई नशा करने वाला व्यक्ति जरूरत पड़ने पर दवा की आवश्यक खुराक प्राप्त नहीं कर पाता है, तो वह अनुचित साधनों का सहारा लेकर भी इसके लिए कुछ भी करने को तैयार होगा, जैसे चोरी या शारीरिक रूप से किसी को चोट पहुंचाना आदि।

इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि ड्रग्स को सख्ती से ‘ना’ कहें और यदि कोई नशे से ग्रस्त व्यक्ति आपको मिलता है तो आप उसे पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती करवाएं ताकि उसका जीवन संवर सके।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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ड्रग्स फ्री इंडिया पर निबंध

ड्रग्स फ्री इंडिया पर निबंध hindi essay on drugs free india नशीली दवाओं के सेवन – दुरुपयोग पर निबंध.

ड्रग्स के सेवन से नशे की लत को पूरा करना भारत की एक प्रमुख एवं व्यापक समस्या है। इस समस्या से जहाँ परिवार विघटित होता है, वहीं समाज संक्रमित होता है, तो राष्ट्र कमजोर होता है। यह मात्र एक सामाजिक समस्या ही नहीं है, अपितु चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्या भी है। एक ऐसा दलदल है, जिसमें धंसने वाला खुद तो तबाह होता ही है, साथ ही उसका पूरा परिवार भी तबाह होता है।

ड्रग्स के दुष्प्रभाव सिर्फ उस व्यक्ति को तबाह नहीं करते, जो इसके आदी होते हैं, बल्कि ये परिवार, समाज और राष्ट्र को भी जर्जर करते हैं। यही कारण है कि राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए उसे ड्रग्स से मुक्त रखना अनिवार्य है। ड्रग्स का सेवन यानी नशाखोरी की देन थ्रीडी बुराइयां हैं। पहली ‘डार्कनेस’ यानी जीवन में अंधेरा, दूसरी ‘डिस्ट्रक्शन’ यानी बर्बादी के मोड़ पर पहुँचना तथा तीसरी ‘डिवास्टेशन’ यानी सम्पूर्ण रुप से तबाही। ड्रग्स की बुराइयों एवं दुष्प्रभावों से परिवार, समाज एवं राष्ट्र को बचाने के लिए ही हमने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का सपना देखा है और इस सपने को साकार करने के लिए मजबूत पहल शुरु हो चुकी है। स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ का आह्वान कर अपने मन की बात देशवासियों से साझा की है।

सामान्य अर्थों में ड्रग्स से आशय उन रासायनिक पदार्थों से है, जिन्हें लेने से मस्तिष्क पर उसकी रासायनिक प्रतिक्रिया होती है तथा शरीर और मन के सामान्य कार्यकलापों पर प्रभाव पड़ता है। ड्रग्स का सामान्य अर्थ दवा या औषधि भले ही है, लेकिन सामाजिक विज्ञानों में यह शब्द उन मादक द्रव्यों के लिए प्रयुक्त होता है, जिनका सेवन गैरकानूनी माना जाता है। इन पदार्थों का अधिक मात्रा में बार-बार सेवन किए जाने से जब व्यक्ति के शारीरिक तथा मानसिक कार्यकलापों पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगता है, तो यह अवस्था ‘ड्रग अब्यूस’ या ‘ड्रग एडिक्शन’ कहलाती है। विडंबना यह है कि इस अवस्था में पहुंचने वाला कोई भी व्यक्ति प्रायः सामान्य जीवन जीने लायक नहीं रह पाता। वह स्वयं को शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक स्तरों पर तबाह कर लेता है। यह एक ऐसी अंधी सुरंग है, जो बर्बादी के मुहाने तक ले जाती है। भारत में ड्रग्स की समस्या का फैलाव छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से लेकर महानगरों तक में है।

यह कहना असंगत न होगा कि समूचा देश इस समस्या से आच्छादित है। यह समस्या किसी वर्ग विशेष से भी जुड़ी नहीं है। गरीब मध्यम एवं आभिजात्य सभी वर्गों में ड्रग्स का चलन है। किसी के लिए यह मौजमस्ती का साधन एवं स्टेटस सिंबल का प्रतीक है, तो किसी के लिए थकान मिटाने का। कोई असफलता और हताशा को मिटाने के लिए ड्रग्स की ओर उन्मुख होता है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें, तो युवा वर्ग ड्रग्स की गिरफ्त में कुछ ज्यादा हैं।

युवा वर्ग ड्रग्स की अंधेरी गली में कई कारणों से प्रवेश करता है। कभी इसका कारण जीवन का एकाकीपन होता है, तो कभी भावनात्मक असुरक्षा अथवा माता-पिता से मिलने वाले प्यार में कमी। घरेलू कलह, जीवन की असफलताएं, विभिन्न कारणों से मिलने वाला तनाव, गलत संगत, एक अनूठे आनंद की अनुभूति की ललक, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव, समस्याओं से निजात की क्षणिक अनुभूति, मित्रों का दबाव या दुष्प्रेरणा आदि वे मुख्य कारण हैं, जो युवकों तथा कभी-कभी अल्पवयस्कों तक को नशे का आदी बना देते हैं। इसक अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैले ड्रग्स माफिया के संजाल में सम्मिलित लोग भी अपना धंधा चमकाने के लिए युवकों को गुमराह कर ड्रग्स का व्यसनी बनाते हैं।

ड्रग्स के व्यसन के अनेक दुष्परिणाम सामने आते हैं। इन्हें व्यसनी खुद तो भुगतता ही है, उसका परिवार भी बर्बाद होता है। समाज और राष्ट्र भी प्रतिकूल रुप से प्रभावित होता है। ड्रग्स का दलदल इतना खतरनाक होता है कि इस दलदल में फंसने वाला व्यक्ति कहीं का नहीं रहता है। वह शारीरिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तरों पर तबाह हो जाता है। एक बार ड्रग्स का व्यसनी होने पर यह लत छूटती नहीं और इस लत का शिकार व्यक्ति जब आर्थिक रुप से खोखला हो जाता है, तब नशे की लत को पूरा करने लिए चोरीछिनैती जैसे अपराध करता है।

ऐसा भी देखा गया है कि नशे की अवस्था में पहुँचने के बाद व्यसनी हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तक कर डालते हैं। वे अनेक प्रकार की शारीरिक व्याधियों के शिकार भी बन जाते हैं। इनमें प्रमुख व्याधियां होती हैं – रक्तचाप में गड़बड़ी, विक्षिप्तता, पागलपन, मोतियाबिंद, अवसाद, तनाव, मनोव्यथाएं, नपुंसकता तथा श्वास संबंधी बीमारियां। अधिक अवसाद की अवस्था में व्यसनी को आत्महत्या की ओर उन्मुख होते भी देखा गया है। ड्रग्स के व्यसनी को 3 डी बुराइयां कहीं का नहीं छोड़ती। डार्कनेस (जीवन का अंधियारा), डिस्ट्रक्शन (बर्बादी) एवं डिवास्टेशन (तबाही) उसे खोखला कर देती हैं।

ड्रग्स का एक घातक पक्ष यह भी है कि इससे प्राप्त होना वाला पैसा उन आतंकवादियों के पास पहुंचता है, जो खूरेजी में आगे हैं तथा अशांति एवं अस्थिरता फैलाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेते हैं। यहाँ यह रेखांकित करना आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार विगत वर्षों में पाकिस्तान विश्व में हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक एवं हशीश के सबसे बड़े उत्पादक व वितरक के रुप में विकसित हुआ है। पाकिस्तान में राजनेता से लेकर बड़े-बड़े फौजी अधिकारी भी ड्रग्स की तस्करी में सहयोग देते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ाने एवं आतंकवादियों को प्रश्रय देने में किस कदर आगे है। यह कहना असंगत न होगा कि आतंकवादी जो गोलियां दागते हैं, वे ड्रग्स के पैसे से ही खरीदी जाती हैं। इस प्रकार ड्रग्स के व्यसनी परोक्ष रुप से आतंकवादियों तक पहुंचता है, जिससे खरीदे गए अस्त्र-शस्त्रों से वे खून की होली खेलते हैं।

हमारी सरकार ड्रग्स की समस्या को रोकने के लिए कानूनी स्तर पर प्रयासरत रही है। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार चिकित्सकीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद मादक पदार्थों व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने कि लिए वर्ष 1985 में नशीली दवाएं एवं मनोविकारी पदार्थ कानून (ND PS Act) लागू करने के साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान, इलाज, शिक्षा, बीमारी के बाद देख-रेख, पुनर्वास व समाज में पुनर्स्थापना के लिए प्रयास किए गए, तथापि इनके सकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हुए। ड्रग्स की समस्या धीरे-धीरे विकराल होती चली गई।

वस्तुतः ड्रग्स की समस्या एक ऐसी समस्या है, जिसे सिर्फ कानून बनाकर नहीं निपटा जा सकता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसके निवारण के लिए विधिक प्रयासों के साथ-साथ पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर भी प्रयासों की जरुरत है। परिवार में माता-पिता का यह दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चों को भटकाव और भ्रम से बचाने के लिए उन्हें ध्येयवादी बनाएं। ध्येय की तरफ बढ़ने में बच्चों की भरपूर मदद करें। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जब जीवन का कोई लक्ष्य या ध्येय नहीं होता है, तो जीवन में एक प्रकार की रिक्तता आ जाती है। इस अवस्था में जीवन में ड्रग्स का प्रवेश आसान हो जाता है। ध्येय को सामने रखकर आगे बढ़ने वाले बच्चे भटकाव का शिकार नहीं होते हैं। अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि वे जीवन की भागदौड़ में से समय निकालें और अपना यह समय बच्चों को दें। बच्चों के साथ बैठकर सिर्फ उनकी लौकिक प्रगति पर ही चर्चा न करें, अपितु उनके मन में भी झांकें। उन्हें भरपूर भावनात्मक संरक्षण तो प्रदान करें हीं, उनकी गतिविधियों, साथ-संग पर भी नजर रखें। यदि बच्चे में कोई बदलाव दिख रहा हो, तो उसकी परख करें। ऐसा करके अभिभावक शुरु में ही बच्चे को ड्रग्स के दलदल की तरफ बढ़ने से रोक सकते हैं।

ड्रग्स की समस्या के निवारण में समाज की भी भूमिका निर्णायक हो सकती है। समाज के जिम्मेदार लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे ड्रग्स के व्यसनियों को उपेक्षित न करें और न ही उन्हें समाज से बहिष्कृत करें। ऐसे लोग सहानुभूति के पात्र होते हैं, अतः सहानुभूतिपूर्वक उनमें बदलाव लाने तथा उन्हें सही मार्ग पर लाने की चेष्टा करें। खेल, शिक्षा, संस्कृति, धर्म, मीडिया, राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े गणमान्य लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे इस संदर्भ में जनजागृति लाने का काम करें। लोगों को ड्रग्स की बुराइयों से बचने का संदेश दें। इससे एक सकारात्मक वातावरण तैयार होगा, जो समस्या पर अंकुश लगाने में सहायक सिद्ध होगा।

‘ड्रग्स फ्री इंडिया’ के स्वप्न को साकार करने के लिए आज समग्र प्रयासों की आवश्यकता है। व्यक्ति को स्वयं, उसके परिवार, यार दोस्तों, समाज, सरकार और कानून सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। किसी भी व्यक्ति को नशे की लत से बाहर लाना असंभव नही है। यह थोड़ा मुश्किल जरुर है। यदि समग्र प्रयास किए जाएं तो यह काम आसान हो सकता है। हमारे समक्ष ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि व्यसनी नशे की लत से बाहर आए और उन्होंने एक अच्छा नागरिक बन कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया। यकीनन एक मजबूत भारत के लिए एक आवश्यक है कि हम भारत को ड्रग्स मुक्त देश बनाएं। यह पहल शुरु भी हो चुकी है। नई सुबह करीब है।

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drug abuse hindi essay

HOW TO DRUG ADDICTION Abuse in Hindi

मादक द्रव्य और नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

आज के समय में  मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है। ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है जिसमे व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है।

स्कूल, कॉलेजो में ड्रग्स, नशीली गोलियां चोरी छिपे बेचीं जा रही है जो युवाओं के भविष्य को नष्ट कर रही है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं। बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों/ ड्रग्स को चोरी छिपे बेचा जा रहा है। पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में रेव पार्टिस में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। आमतौर पर पैसे वाले लोग इसका जादा शिकार होते है।

नशीली दवाओं के सेवन पर निबंध Essay on Drug Abuse in Hindi (Drug Addiction Information)

प्रमुख नशीले पदार्थ common drugs and narcotics.

कुछ प्रमुख नशीले पदार्थ –

  • कोकीन (चरस), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, भांग
  • डॉक्टर द्वारा लिखी गयी- नींद की गोलियां, तनाव, चिंता, अवसाद कम करने  वाली गोलियां
  • कफ सीरप जैसे कोरेक्स का सेवन
  • तम्बाकू वाले पदार्थ जैसे- बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी, जर्दा, पान मसाला
  • वाष्पशील विलायक जैसे- नेल पॉलिश रिमूवर (Nail Polish Remover), पेट्रोल,   पेंट (Paint)

मादक पदार्थ लेने के कारण   REASONS OF DRUG ABUSE

इसके पीछे निम्न कारण है-

  • आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है, मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
  • आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
  • अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
  • कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
  • कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।

मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव EFFECTS OF DRUG ABUSE

मादक पदार्थो के सेवन का निम्न दुष्परिणाम निकलता है-

  •  नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं। Android app banaye kaise
  • इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
  • नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा, आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।
  • मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। दूसरे लोगो के पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है। How to increase Hindi ‘s height tips

मादक पदार्थो की लत से कैसे बचे? HOW TO OVERCOME DRUGS ADDICTION?

नशीले पदार्थो के सेवन के लिए निम्न उपाय अपनायें – how to Compost All Type’s खाद at Home Idea’s खाद कैसे बनायें All Step’s in Hindi

  • अपने मन में नशे की लत को छोड़ने की ठान लीजिये। मन में प्रबल इक्षा होना जरूरी है।
  • पुनर्वास केंद्र/ नशा मुक्तिकेंद्र (Rehabilitation Centre) में भर्ती होना अच्छा विकल्प है। वहां पर और भी लोग आते है। सबका इलाज एक साथ डॉक्टरों की देख रेख में किया जाता है। समूह चिकित्सा (Group Therapy) में मरीज का इलाज किया जाता है।
  • मनोवैज्ञानिक पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है। How to Start Milk Dairy Farming Business Idea’s & Development in Hindi
  • ध्यान और योग के द्वारा भी मादक पदार्थो की लत को छोड़ा जा सकता है।
  • हर समय अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और हितैषियों के साथ रहे। जब आप उनके सामने हर समय रहेंगे तो आपको नशा करने का मौका ही नही मिलेगा।
  • नशे से ग्रस्त रोगियों को रोज डायरी लिखनी चाहिये। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जीवन की हर एक बात लिखनी चाहिये। नशा करने के बाद के दुषपरिणामो को लिखने से व्यक्ति को आभास होता है की किस तरह उसकी जिन्दगी नशे से खराब हो रही है।

नशीले पदार्थो का सेवन कुछ मिनटों के लिए आनन्द देता है पर इसके दूरगामी दुष्परिणाम होते है। यह व्यक्ति को धीरे धीरे निगल जाता है और उसके जीवन को हर तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसे लोग आये दिन लोगो से झगड़ा करने लगते है, ऑफिस या कार्यस्थल पर साथी कर्मचारियों के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार शुरू कर देते है। काम करते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो जाना, सस्पेंड होना, बार बार नौकरी बदलना, नौकरी छोड़ना, चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव दिखाने से व्यक्ति का सब कुछ खत्म हो जाता है। व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते है। अतः हमे नशीले पदार्थो का सेवन बिलकुल नही करना चाहिये। जो लोग इस समस्या से ग्रस्त है उनको दृढ़ निश्चय करके इसे छोड़ देना चाहिये। याद रखे नशा एक जहर है।

युवाओ में मादक पदार्थ व्यसन के कारण एवं रोकथाम | Essay on Drug Addiction in Hindi

मादक पदार्थ अंग्रेजी के Drugs शब्द का रूपांतरण है जो नशीली दवा का द्योतक है | वस्तुत: मादक पदार्थ ऐसे रासायनिक पदार्थ है जो व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक क्रियाओं को प्रभावित करते है इन्हें Narcotics औषधि भी कह सकते है जिनको नार्को टेस्ट में प्रयोग किया जाता है | मनोवैज्ञानिक रूप में Drugs ऐसे पदार्थ है जो व्यक्ति के मष्तिष्क ,स्नायुमंडल को प्रभावित करते है | इन पदार्थो के सेवन से कुछ समय के लिए व्यकित मानसिक तनाव एवं चिन्ताओ से मुक्ति का आभास पाता है | यहा तक कि उसका विषाद एवं कष्ट कम हो जाता है तथा उसे अस्थाई शान्ति एवं आनन्द का अनुभव होता है परन्तु धीरे धीरे व्यक्ति इनके सेवन का गुलाम हो जाता है तथा उसे इनकी लत लग जाती है |

मादक पदार्थो का  दुरुपयोग या औषधि व्यसन क्या है ? What is Drug Abuse and Drug Addiction in Hindi

मादक पदार्थो के दुरुपयोग Drug Abuse शब का आशय उन नशीले पदार्थो का सेवन है जो शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि के हानिकर है अत: मनुष्य के लिए नुकसानदायक औषधियों या मादक पदार्थो का क्षणिक प्रसन्नता एवं शान्ति के लिए सेवन करना , मादक पदार्थ या औषधि अक दुरुपयोग Drug Abuse कहलाता है | औषधि या मादक पदार्थो का व्यसन शारीरिक निर्भरता की ओर इंगित करता है अर्थात मादक पदार्थ या औषधि व्यसन Drug Addiction वह अवस्था है जिसमे व्यक्ति शरीर संचालन के लिए मादक पदार्थो या औषधियों पर निर्भर हो जाता है अन्यथा शरीर संचालन में बाधाये उत्पन्न हो जाती है |

औषधि व्यसन के लक्षण | Sign and Symptoms of Drug Addict

  • मादक पदार्थ / औषधि के सेवन की प्रबल  इच्छा drug addiction help
  • किसी भी प्रकार इन्हें प्राप्त करने का दृढ़ निश्चय drug addiction help
  • मादक पदार्थो के कुप्रभाव के परिणामस्वरूप मानसिक एवं शारीरिक निर्भरता drug addiction help
  • अध्ययन , खेल , शौक , घर , परिवार एवं व्यवसाय में कम रूचि drug addiction help
  • अनुत्तरदायी पूर्ण व्यवहार drug addiction help
  • खाद्यपान और निद्रा की अनियमित आदते drug addiction help
  • चिडचिडापन तथा अनैतिक आचरण जिसमे चोरी करना म झूठ बोलना आदि शामिल है drug addiction help
  • घर ,स्कूल ,उद्योग में अनुपस्थित रहना drug addiction help
  • हाथ पैरो में कम्पन्न होना तथा स्कूटर या मोटर वाहन चलाने में असमर्थ होना drug addiction help
  • शक्ति क्षीण होना drug addiction help
  • आत्महत्या की प्रवृति पाया जाना
  • भुजाओं /जंघाओं पर इंजेक्शन के चिन्ह होना (इंजेक्शन व्यसनी की स्थिथि में )

मादक पदार्थो में धुम्रपान ,गांजा ,चरस ,अफीम , हशीश ,हेरोइन ,कोकीन , L.S.D. , मार्फीन के इंजेक्शन ,शराब आदि का प्रयोग सम्मिलित है इन्हें High of Speed या Kick अथवा Kicks इत्यादि शब्दों से भी व्यक्त किया जाता है |

मादक पदार्थो के प्रकार | Types of Drugs

  • उत्तेजक Stimulant [ कोकीन  ,एम्फीटामाइन ,मिथेड्रीन्, डेक्सीड्रीन, कैफीन ]
  • निश्चेतक Narcotic  [ मार्फीन ने ननिर्मित हेरोइन ]
  • अवसादक Depressant [ बारबिच्युरेट्स , नेम्बूटाल , सिकोनाल ,सेनोरिल ]
  • भ्रान्तिजनक Hallocinogens [L.S.D.]

औषधि व्यसन के कारण | Causes of Drug Addiction in Hindi

  • बुरे दोस्तों की संगति movies about drug addiction
  • रोमांच एवं प्रसन्नता प्राप्ति हेतु movies about drug addiction
  • पलायनवादी प्रवृति movies about drug addiction
  • उत्सुकता की संतुष्टि हेतु movies about drug addiction
  • अपने को स्वतंत्र एवं उन्मुक्त समझना movies about drug addiction
  • शहरीकरण / औधोगिकरण movies about drug addiction
  • मादक पदार्थो की सहज उपलब्धि movies about drug addiction
  • अस्वास्थ्यप्रद शैक्षणिक उपलब्धि movies about drug addiction
  • युवा कुंठाए / छात्र असंतोष / हिप्पी वादी या पॉप संस्कृति drug addiction in punjab
  • अस्वास्थ्यप्रद शैक्षणिक माहौल drug addiction in punjab
  • परिवार का टूटना /अभिभावकों का ध्यान न देना drug addiction in punjab
  • परिवार के किसी सदस्य का औषधि व्यसन होना drug addiction in punjab
  • मादक पदार्थो एवं ड्रग माफीयाओ का विश्वव्यापी जाल drug addiction in punjab

इन कारको को मनोवैज्ञानिक drug addiction in punjab ,सामाजिक ,औषधि उपलब्धि drug addiction in punjab एमव शारीरिक कारणों के अंतर्गत drug addiction in punjab वर्णित किया जा सकता है |

मादक पदार्थो के व्यसन ,दुरुपयोग पर रोकथाम के उपाय | Solution for Drug Addiction in Hindi

  • मादक पदार्थो की तस्करी पर कठोर प्रतिबन्ध
  • औषधि व्यसनियो के प्रति चिकित्सको /नर्सिंग कार्मिको के दृष्टिकोण में बदलाव लाना
  • मादक पदार्थो के खिलाफ व्यापक जन शिक्षा
  • माता पिता ,अभिभावक एवं शिक्षको द्वारा युवाओ की प्रवृतियों पर ध्यान रखना
  • व्यसनियो का उपचार करना
  • सविधानिक प्रावधानों एवं कानूनी प्रतिबंधो का उपयुक्त उपयोग करना तथा इन्हें सुदृढ़ करना
  • नशामुक्ति शिविरों की व्यवस्था तथा अनुवर्ती देखभाल पर विशेष ध्यान देना
  • सीमा पार से मादक पदार्थो की खेप रोकना
  • मादक पदाथो के विरुद्ध विश्व स्तर की कार्यनीति एवं सहयोग की व्यवस्था विकसित करना

Drug Addiction से जुड़े आंकड़े

  • भारत में  Drug Addiction के सबसे ज्यादा मामले पंजाब में मिलते है जहा पर लगभग 75 प्रतिशत युवाओं को Drugs की आदत है जिसका मतलब है कि हर 4 बच्चो में से एक को Drugs की लत है जो बहुत चिंता का विषय है |
  • पंजाब के बाद मुम्बई हैदराबाद और कुछ अन्य शहरों में भी Drug Abuse तेजी से फ़ैल रहा है जिसको रोकना बहुत जरुरी है इसलिए दिल्ली में तो Rehab सेण्टर भी शुरू किये गये जो Drug Addicts को उनकी आदत छुडवाने में मदद करते है |
  • भारत के 75 प्रतिशत से ज्यादा घरो में कम से कम एक मादक पदार्थो का सेवन करने वाल मौजूद हो वो चाहे बीडी ,सिगरेट या ओर कोई नशा करता है |
  • जानकारों का मानना है कि 13-14 वर्ष की उम्र में ही मादक पदार्थो के लत सबसे ज्यादा लगती है इसलिए यदि इस उम्र में बच्चो को कण्ट्रोल किया जाए तो Drug पर भी कण्ट्रोल जो सकता है |
  • हर दिन Drug Abuse की वजह से देश में 10 जाने जाती है जिसमे से एक वव्यक्ति की मौत पंजाब से ही होती है |
  • सयुंक्त राष्ट्र के आंकड़ो के अनुसार 2014 में Drug Addiction की वजह से दुनिया भर में 2 लाख लोगो ने अपनी जान गवाई थी |
  • 500 डॉलर बिलियन के व्यापार के साथ Drugs का व्यापार दुनिया drug addiction essay में पेट्रोलियम और शस्त्रों के बाद तीसरा सबसे बड़ा व्यापार है |
  • UN की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 drug addiction essay लाख लोग हेरोइन एडिक्ट है जबकि अनौपचारिक रूप से देखा जाए तो इनकी संख्या 50 लाख तक हो सकती है |
  • 13 से भी ज्यादा प्रकार की Drug drug addiction essay अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मौजूद है जिनकी कीमत 1.5 लाख प्रति किलो से लेकर 2.5 करोड़ प्रति किलो तक होती है |
  • भारत में Drug Addiction के drug addiction essay सबसे ज्यादा मामले पंजाब ,उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र ,तमिलनाडु राजस्थान और जम्मू कश्मीर में है वही दुसरी ओर भारत में Drug Addiction के सबसे कम मामले सिक्किम , drug addiction essay अंडमान पांडिचेरी और लक्षद्वीप में है |
  • एक Drug Addict प्रतिदिन औसतन 1400 रूपये Drugs में उदा देता है |
  • भारत में Drug माफियाओ के पकड़े जाने पर 10 साल की सजा और 1 या 2 लाख तक के जुर्माने के प्रावधान है |
  • विश्व भर में हर प्रतिदिन 7500 करोड़ Drugs की खपत होती है जिसमे से भारत में रोज 2000 करोड़ के ड्रग की smuggling होती है |
  • भारत में De- Addiction सेंटर्स में 20 प्रतिशत से भी ज्यादा Drug Addict 16 साल से कम उम्र है क्योंकि Drug मेडिकल शॉप पर आसानी से 25 रूपये से कम कीमत पर भी मिल जाती है |
  • Drugs का निर्माण अफ़घानिसतान में होता है जो पाकिस्तान के जरिये भारत में आती है और उसके बाद विश्व के दुसरे देशो में भेजी जाती है | इसमें मुनाफे का प्रतिशत 300 प्रतिशत से भी ज्यादा होता है |
  • Drugs के पैकेट को 553 किमी भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर फेंका जाता है जहा से ड्रग माफिया उसे लेकर 12 घंटे के अंदर दिल्ली पहुचा देते है और वहा से देश के दुसरे इलाको में सप्लाई होती है |

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) - उपचार, लक्षण, और कारण

आखिरी अपडेट : Apr 25, 2024

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) क्या है?

किसी व्यक्ति द्वारा आदत के रूप में अडिक्टिवे सब्स्टेन्सेस (addictive substances) का लगातार उपयोग, उपयोग के एक विशिष्ट पैटर्न (specific pattern) के बाद ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) कहा जाता है। लंबे समय तक, रेपेटिटिव (repetitive) और कमपलसिव (compulsive) उपयोग उपयोगकर्ता को पदार्थ (substances) के एब्यूज (Abuse) के प्रभावों के प्रति सहनशील बना सकता है। इस तरह के पदार्थों (substances) का उपयोग एब्यूजर (abuser) की प्रणाली में शामिल हो जाता है, और विशिष्ट लक्षणों (specific symptoms) के एक सेट (set) में वापसी परिणाम (withdrawal results) , एक को एक रिलैप्स (relapse)के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग और निकासी (withdrawal) के इस दुष्चक्र (vicious cycle) में ड्रग एडिक्शन ( drug addiction ) नामक एक कंडीशन (condition) होती है।

जबकि व्यापक धारणा (widespread notion) यह है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और परिणामी एडिक्शन (resultant addiction) एक बिहेवियरल डिसऑर्डर (behavioral disorder) है, यह वास्तव में एक गलतफहमी है। ड्रग यूज़ (Drug use) के प्रभाव अधिक व्यापक (pervasive) हैं। दवाओं का निरंतर उपयोग मस्तिष्क कोशिकाओं (brain cells) के तंत्रिका कार्य (neural functioning) को बदल देता है। मस्तिष्क पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभाव के रूप में देखी जाने वाली तंत्रों (mechanisms) में से 'प्राकृतिक रासायनिक दूतों की नकल (imitation of natural chemical messengers)' और 'रिवॉर्ड सर्किट ओवर-स्टिमुलेशन (reward circuit over-stimulation)' है, जिससे पदार्थ (substance) मस्तिष्क विकार (brain disorder) का दुरुपयोग कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की चिकित्सा प्रगति के साथ, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पिछली कमी को केवल एक बिहेवियरल डिफ्लेक्शन (behavioral deflection) के बजाय, मस्तिष्क विकार (brain disorder) की तरह निदान और इलाज किया गया है। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पहचान और इसी तरह के इलाज के प्राथमिक कदमों में से एक मजबूत समझ है कि उपचार किसी की इच्छाशक्ति से परे है। ज्यादातर मामलों में, उपचार चिकित्सा सहायता और परामर्श का एक उचित संयोजन है। यह विभिन्न मामलों के लिए परिवर्तनीय (variable) हो सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कारण।

किशोरों (teenagers) और युवा वयस्कों (young adults) के बीच ड्रग (Drugs) का उपयोग करना एक आम प्रथा है। लेकिन वह चरण जहां व्यक्ति इस तरह के पदार्थों से रोक नहीं सकता है, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की ओर जाता है। सबसे प्रमुख कारण हैं:

  • जेनेटिक्स (Genetics): यह देखा गया है कि कई ड्रग एब्यूजर (Drug Abuser) और एडिक्ट्स (addicts) का परिवार का इतिहास एक ही जैसा होता है। हालांकि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और जेनेटिक्स (Genetics) के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले परिवार के सदस्यों के लिए उच्च पूर्वाग्रह (predisposition) है।
  • सह-परिस्थितियों की स्थिति (Co-occurring conditions): मानसिक बीमारी (Mental illness), गहन तनाव (profound stress), मौखिक (verbal), शारीरिक (physical) या सेक्सुअल एब्यूज (sexual abuse) ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शीर्ष कारणों में से हैं। इस तरह के बीमारियों / दुर्व्यवहार के पीड़ितों को निराशा से बाहर निकलने के लिए एक चैनल (channel) की आवश्यकता होती है या वे जिस चिंता का सामना करते हैं उससे राहत दें। इस प्रकार, वे एक विकृति (disorder) के रूप में ड्रग्स (drugs) की ओर मुड़ते हैं।
  • एनवायर्नमेंटल कॉसेस (Environmental causes): एनवायर्नमेंटल कॉस (Environmental cause) मुख्य रूप से सहकर्मी दबाव या धमकाने शामिल होते हैं। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले किशोर (Adolescents) अज्ञानी माता-पिता (ignorant parents) के ध्यान के लिए झुकाव कर सकते हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के लक्षण क्या हैं?

फिजियोलॉजिकल इंडिकेशन (Physiological indications): एक व्यक्ति की एब्यूज हैबिट (abuse habit) मजबूत होने के कारण, वे अपनी ड्रग डोसेज (drug dosage) बढ़ाते हैं, क्योंकि उन्हें छोटी मात्रा में उच्च सहनशीलता का सामना करना पड़ता है। यह स्पष्ट फिजिकल सिम्पटम्स (physical symptoms) देने, अधिक मात्रा में सक्षम बनाता है। इनमें ब्लूडशॉट (bloodshot) या चमकदार आंखें, प्यूपिल कॉन्सट्रिक्शन (pupil constriction) या फैलाव, असामान्य या उनप्रीसीडेटेड वेट अल्ट्रेशंस (unprecedented weight alterations), ड्रग एंट्रेंस (drug entrance) की साइट (site) पर घाव या चोट , से पीड़ित हैं। इनके अलावा, ऑर्गन फेलियर (organ failure) भी देखी जा सकती है। बिहेवियरल चेंजेस (Behavioral changes): व्यवहार में अचानक परिवर्तन, परिवार और दोस्तों की ओर, देखा जा सकता है। पीड़ित नेगेटिव बिहेवियरल मॉडिफिकेशन्स (negative behavioral modifications) दिखाता है खासकर जब उनकी सामान्य ड्रग (usual drug) का उपयोग करने में असमर्थ होता है। किसी की प्राथमिकताओं (priorities) में बदलाव, पूर्व प्रतिबंधित गतिविधियों (previously restricted activities) की ओर अवरोध (inhibitions) को कम करना संकेत हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का उपचार।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शिकारों के लिए कई उपचार योजनाओं का पालन किया जा सकता है। आम तौर पर, कार्यवाही का कोर्स (course) केस-स्पेसिफिक फैक्टर्स (case-specific factors) जैसे कि शामिल पदार्थों (substances involved), एब्यूज (Abuse) की फ्रीक्वेंसी (frequency), प्रोग्राम (program) में प्रवेश के समय रोगी की स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है। उपचार के सबसे महत्वपूर्ण पहलू कंसिस्टेंसी (consistency) और इंटेंसिटी (intensity) हैं। आम तौर पर, उपचार का कोर्स (course) मेडिकल असिस्टेंस (medical assistance) और काउन्सलिंग (counseling) या अन्य बिहेवियरल थेरेपीज (behavioral therapies) का संयोजन है। रोगी की प्रगति की जांच करने और आवश्यकतानुसार संशोधित करने के लिए उपचार की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए। किसी भी पूर्व सामना या वर्तमान में सामना करने वाली मानसिक बीमारी के लिए उपचार शामिल होना चाहिए। रोगी ट्रीटमेंट कोर्स (treatment course) के दौरान विशेष रूप से कमजोर है। प्रत्येक दवा के कैरेक्टरिस्टिक विथड्रावल (characteristic withdrawal) के लक्षणों के कारण, एक रिलैप्स (relapse) की संभावना बहुत अधिक है। इसलिए, रोगी की नज़दीकी और सावधानीपूर्वक निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) से बचने के लिए रोकथाम।

रोकथाम की दिशा में पहला कदम ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कई पहलुओं के बारे में उचित जागरूकता शामिल है। यह पहले एस्टैब्लिशड (established) किया गया है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और बाद में सबसीक़ुएन्ट एडिक्शन (subsequent addiction) अनिवार्य रूप से एक ब्रेन डिसऑर्डर (brain disorder) है। यह यंग अबुज़रस (young abusers), ज्यादातर टीनएजर्स (teenagers) और एडोलैसैंट्स (adolescents) को अधिक जोखिम पर रखता है। सबसे प्रभावी रोकथाम रणनीति ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के प्रभाव और परिणामों के बारे में इन्फोर्मटिवे डिसकशंस (informative discussions) हैं। ज्यादातर बच्चों के लिए, यह आकर्षण को खत्म कर देगा, और इसलिए लेइज़र (leisure) के लिए एब्यूज (abuse) की संभावना है। शुरुआती उम्र में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) को रोकना सबसे फायदेमंद होगा। अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियां (Excessively stressful conditions) वयस्कों (adults) में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का कारण बन सकती हैं, जिन्हें शुभचिंतक से रेपेटिटिवे गाइडेंस (repetitive guidance) और मेन्टल सपोर्ट (mental support) से बचा जा सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की वापसी के सामान्य लक्षण बेचैनी, मांसपेशियों की ऐंठन और पूर्ण शरीर में दर्द, थकान, प्रोफीयूज़ लैक्रिमशन (profuse lacrimation), चिंता, इंसोम्निया (insomnia), नाक बहने आदि हैं। इनके अलावा, प्रत्येक ड्रग (drug) में इसके स्पष्ट विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण होते हैं। यहाँ कुछ है:

  • हीरोइन (Heroine): पिछले खुराक के 12 घंटों के भीतर लक्षण 24-48 घंटों के बीच बढ़ने लगते हैं। विथड्रावल (Withdrawal) और सामान्य फ्लू के लक्षण समान हैं।
  • कोकीन (Cocaine): डिप्रेशन (Depression) और रेस्टलेससनेस्स (restlessness) आमतौर पर लक्षणों में देखा जाता है। पिछली खुराक के कुछ घंटों के भीतर विथड्रावल (Withdrawal) शुरू होती है, कुछ दिनों के भीतर पीक (peaks) पर होती है, और एब्यूज (abuse) की इंटेंसिटी (intensity) के आधार पर, कुछ महीनों तक, 7-10 दिनों तक लगातार रह सकती है।
  • प्रिस्क्रिप्शन ओपिएट्स (Prescription Opiates): विथड्रावल (Withdrawal) आमतौर पर 5-10 दिनों के लिए फैलता है, 8-12 घंटे के भीतर शुरू होता है और पीक (peak) 12-48 घंटों में देखा जाता है।
  • Eiseman S, Wingard JA, Huba GJ. Drug abuse: Foundation for a psychosocial approach. Routledge; 2019 Apr 15. [Cited 26 July 2019]. Available from: https://books.google.co.in/books?hl=en&lr=&id=pp6RDwAAQBAJ
  • Drug Abuse- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://medlineplus.gov/drugabuse.html
  • Seeking Drug Abuse Treatment: Know What To Ask- NIH, National Institute on Drug Abuse [Internet]. drugabuse.gov 2013 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://www.drugabuse.gov/publications/seeking-drug-abuse-treatment-know-what-to-ask/introduction

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Essay on “Drug Abuse and Addiction in India” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Drug Abuse and Addiction in India

Drug abuse is a complex phenomenon, which has various social, cultural, biological, geographical, historical and economic aspects. The disintegration of the old joint family system, absence of parental love and care in modern families where b0th parents are working, decline of old religious and moral values etc lead to a rise in the number of drug addicts who take drugs to escape hard realities of life. Drug use, misuse or abuse is also primarily due to the nature of the drug abused, the personality of the individual and the addict’ s immediate environment The processes of indust1ialization, urbanization and migration have led to loosening of the traditional methods of social control rendering an individual vulnerable to the stresses and Strains of modern life. The fast changing social milieu, among other factors, is mainly contributing to the proliferation of drug abuse, both of traditional and of new psychoactive substances. The introduction of synthetic drugs and intravenous drug use leading to HIV/AIDS has added a new dimension to the problem, especially in the Northeast states of the country

Drug abuse and addiction is on the rise throughout India. According to recent surveys, India has at least seventy million drug addicts. In India, the cultural values are slowly changing, the poorer class 13 suffering with economic hardship while at the same time there 13 a massive rise in the upper class, all of this combined with the dwindling support of family (due to increase work and western life) is leading to drug abuse and addiction.

Indian produced pharmaceuticals, heroin, and alcohol are amongst the most abused drugs. However, drugs like yaba, methamphetamine, ecstasy, cocaine, and crack are all becoming more abused on a daily basis throughout India.

Over the past two decades, India has seen a rise in industrialization and urbanization, which has caused large migrations to its cities This is causing their traditional culture and way of life to slowly loosen; the individual Indians and their new way of life is causing them to be very vulnerable to the stresses and strains of the modern way of life. These stresses and strains may cause the person to turn to drugs to calm their thoughts and deal with everyday life.

Trafficking and Distribution

Because India has seen such a rise in drug abuse and addiction, there is an increasing need for dealers and distributors to traffic the drugs. Many people in India are seeing this opportunity as a way to make fast and easy money. They not only risk the chance of getting caught by police and sentenced to a minimum of ten years in prison, but they are at risk for abusing or developing an addiction to the drugs. They are also at risk for becoming caught up in rivalry and drug related crimes.

By ninth grade, approximately half of Indian students have tried at least one type of drug. These youth begin to damage their physical and psychological health and their intellectual growth, especially when their curiosity turns into abuse. The youth that continue to abuse drugs will normally begin to use harder drugs and develop addictions to them. Some of them will join gangs or drug related organizations.

Most of the youth that get caught up with drugs normally do not continue education through college, and it is not uncommon for these people to end up on the streets. Most of the people who abuse or have an addiction to drugs in India are between the ages of 18 and 35. The majority of them are males, but there are a small percentage of women in India who abuse them; the number of women is slowly rising each year.

Since drug abuse and addiction in India has risen, the country has seen an increase in HIV, Tuberculosis, Hepatitis B and C, and other transmitted diseases. Injecting substances is becoming more popular amongst addicts, which is causing healthcare officials to become concerned about an even greater rise in these diseases.

Family Effects

The women and their children are facing problems as well. Many women who are married to drug abusers and addicts are subjected to domestic violence, infectious diseases, and financial problems. Eighty seven per cent of users who were in a rehab center claimed that they were violent to their wife, children, and other family members while using. Most domestic violence comes as a result of the addict needed money to buy more drugs.

India is beginning to see a rise in rehab centers across the country. However, drug use is still considered taboo and a very sensitive matter. Often times, families do not want to send their loved ones to a rehab in India, because of shame or even fear; fear that the government will find out about their loved one’s drug use.

India’s Stand

India has braced itself to face the menace of drug trafficking both at the national and international levels. Several measures involving innovative changes in enforcement, legal and judicial systems have been brought into effect. The introduction of death penalty for drug-related offences has been a major deterrent. The Narc0tic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985, were enacted with stringent provisions to curb this menace. The Act envisages a minimum term of 10 years imprisonment extendable to 20 years and fine of Rs 1 lakh extendable up to Rs 2 lakhs for the offenders. The Act has been further amended by making provisions for the forfeiture of properties derived from illicit drugs trafficking. Comprehensive strategy involving specific programmes to bring about an overall reduction in use of drugs has been evolved by the various government agencies and NGOS and is further Supplemented by measures like education, counseling, treatment and rehabilitation programmes. India has bilateral agreements on drug trafficking with 13 countries, including Pakistan and Burma. Prior to 1999, extradition between India and the United States occurred under the auspices of a 1931 treaty signed by the United States and the United Kingdom, which was made applicable to India in 1942. However, a new extradition treaty between India and the United States entered into force in July 1999. A Mutual Legal Assistance Treaty was signed by India and the United States in October 2001. India also is signatory to the following treaties and conventions:

(a) 1961 UN. Convention on Narcotic Drugs. (19) 1971 UN. Convention on Psychotropic Substances. (c) 1988 UN. Convention against Illicit Traffic in Narcotic Drugs and Psychotropic Substances. (d) 2000 Transnational Crime Convention

The spread and entrenchment of drug abuse needs to be prevented, as the cost to the people, environment and economy will be colossal. The unseemly spectacle of unkempt drug abusers dotting lanes and by lanes, cinema halls and other public places should be enough to goad the authorities to act fast to remove the scourge of this social evil. Moreover, the spread of such reprehensible habits among the relatively young segment of society ought to be arrested at all cost. There is a need for the government enforcement agencies, the non governmental philanthropic agencies, and others to collaborate and supplement each Other’s efforts for a solution to the problem of drug addiction through education and legal actions. Practically every country has its own substance abuse problem to face.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

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